Rajat Sharma

My Opinion

METHOD IN MADNESS : WHY A. RAJA ABUSED BHARAT MATA

AKB Senior DMK leader A. Raja was embroiled in a big controversy when he spewed venom at Lord Ram, saying, “I spit on BJP leaders who say Jai Shri Ram”. He said this on March 3 while addressing a meeting to celebrate the 71st birthday of chief minister M. K. Stalin in Coimbatore. Raja said, ‘if this is your Jai Shri Ram, if this is your Bharat Mata Ki Jai, we will never accept Jai Shri Ram and Bharat Mata. Tamil Nadu will not accept. You go and tell, we are enemies of Ram.” The DMK leader went on to say, “I don’t have faith in Ramayana and Lord Ram. If you say that Ramayana means human harmony, where four brother are born as siblings, one Kuravar as brother, one Hunter as brother, another money as another brother, another money as the sixth brother, then I don’t accept Jai Shri Ram.” Raja’s tirade was not confined to Ram and Sanatan Dharma alone. He also questioned India’s sovereignty. Raja said, “Understand this well. India is not a nation. One nation means one language, one tradition and one culture. Then only we can say it is one nation. India is not a nation, it is a subcontinent. Tamil is one language, one nation, Malayalam is one language, one nation. Oriya is a language, another nation. All these nations make to become India. There are so many traditions and cultures. ..If you force people to chant ‘Bharat Mata Ki Jai’, the people of Tamil Nadu will never accept this.” One is astonished to find a former Union Minister saying all this. A. Raja has a peculiar double character. If he does not consider India a nation, why is he sitting in Indian Parliament after contesting elections? Why did he take oath as per the Indian Constitution? Why did he become a Union Minister at the Centre? A. Raja was the Telecom Minister in Dr Manmohan Singh’s government. His name figured in 2G scam, he was removed from cabinet, he remained in jail, he was elected to Parliament five times, he became a minister at the Centre four times, and yet, this same person is saying, India is a nation. So long as he was the minister at the Centre, India was fine as a nation, and when he is sitting in the opposition benches, he refuses to accept India as a nation. Such an attitude is surprising. On Tuesday, BJP leader Ravi Shankar Prasad asked whether DMK has read the Constitution or not. DMK’s alliance partner Congress was careful in reacting to this. Congress did not hesitate in rejecting A. Raja’s remarks. Congress spokesperson Supriya Shrinate said, Congress worshipped Lord Ram as its ideal, it has faith in Ram, and it condemns A. Raja’s remark. She also said, alliance partners should be careful while speaking on such subjects. RJD leader Tejashwi Yadav described A. Raja’s comments as his personal opinion, but added that RJD does not agree with his opinion. Later in the day, DMK spokesperson T K S Elangovan distanced his party from Raja’s remarks saying it was only Raja who can explain why he made such comments. Let us recollect: it was A. Raja, who, in the presence of CM M K Stalin, on July 3, 2022, raised the demand for a separate country. As the Chief Minister, Stalin did not stop his leader from making such a comment. Later, DMK said, it was Raja’s personal opinion. But now that the Lok Sabha elections are near, not only Stalin, but his alliance partners will also have to explain to the people. On Raja’s remarks, I want to make two points: One, we cannot allow people to say whatever they want in the name of freedom of speech and expression. A day before, on Monday, the Supreme Court bench of Justices Sanjiv Khanna and Dipankar Datta told the lawyer of Udhayanaidhi Stalin, son of M K Stalin and a minister in DMK government, that the minister is not a layman and he should know the consequences of his remarks on Sanatan Dharma. Udhayanidhi Stalin had compared Hindutva with diseases like malaria and dengue and had said that his party would uproot Hindutva. When cases were filed against him, he went to the Supreme Court seeking relief in the name of freedom of speech. The SC bench told his lawyer,”You abuse your rights under freedom of speech and right to freedom of religion, and then come to the Supreme Court for protection under Article 32? Do you not know the consequences of what you said?” The Supreme Court clearly said that freedom of expression does not mean that anybody has the right to vitiate the atmosphere. Secondly, DMK leaders like A. Raja and Udhayanidhi Stalin, do not make such comments carelessly. This is part of their political strategy. The reality is DMK has started realizing that the BJP is trying to prepare its base in Tamil Nadu. Prime Minister Narendra Modi visited Rameswaram, he sat in Ranganathaswamy temple and heard the recital of Kamban Ramayana, before performing the consecration of Ram Lala idol in Ayodhya on January 22. This is the reason why DMK leaders have started spewing venom against Hindus, Hindutva and Lord Ram.

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पूरा भारत मोदी का परिवार है

AKB30 प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लोकसभा चुनाव का नया स्लोगन सैट कर दिया- “ मैं भी मोदी का परिवार”. जैसे 2019 के लोकसभा चुनाव के वक्त नारा था “मैं भी चौकीदार”, वैसे ही इस बार के चुनाव में बीजेपी का नारा होगा “मैं भी मोदी का परिवार”. ये नारा देने का मौका विरोधी दलों ने ही दिया है. रविवार को लालू यादव ने मोदी-विरोधी मोर्चे की रैली में नरेन्द्र मोदी के परिवार पर सवाल उठाए थे, कहा था कि मोदी परिवारवाद का मुद्दा उठाते हैं, क्योंकि मोदी का अपना खुद का तो परिवार ही नहीं हैं. लालू के बयान पर रैली में खूब तालिया बजीं लेकिन मोदी ने अगले ही दिन ऐसा जवाब दिया कि अब विरोधी दलों के नेताओं को जवाब देना मुश्किल हो गया. मोदी ने तेलंगाना और तमिलनाडु की रैली में कहा कि पूरा देश उनका परिवार है, उन्होंने बचपन में घर छोड़ा था, ये सोचकर कि अब पूरा देश ही उनका घर होगा, देश के लोगों के सपने पूरा करना ही उनक लक्ष्य होगा, वह इसी काम में लगे हुए हैं. इसके बाद जे पी नड्ढा, नितिन गड़करी, अमित शाह, राजनाथ सिंह, योगी आदित्यनाथ, पीयूष गोयल से लेकर स्मृति ईरानी तक बीजेपी के तमाम नेताओं और कार्यकर्ताओं ने अपने ट्विटर हैंडल पर अपने नाम के आगे जोड़ दिया (मोदी का परिवार). इसके बाद तो बीजेपी की कैंपेन की थीम बदल गई. अब मोदी का परिवार नई कैंपेन की थीम होगी. सवाल ये है कि अब विरोधी दलों के नेता क्या करेंगे? क्या जवाब देंगे? परिवारवाद के खिलाफ मोदी की लड़ाई को कैसे फेस करेंगे? ये देखने में तो छोटा मुद्दा है, लेकिन बिहार, बंगाल,झारखंड, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, तेलंगाना, तमिलनाडु से लेकर जम्मू कश्मीर और आन्ध्र प्रदेश तक हर राज्य में विरोधी दलों के नेताओं को परिवारवाद के सवालों का सामना करना पड़ेगा. ये सही है कि नरेन्द्र मोदी अपने भाषणों में विरोधियों पर तीखा प्रहार करते हैं, विपक्ष के नेताओं के घपलों, घोटालों का जिक्र करते हैं, परिवारवाद का इल्जाम लगाते हैं, परिवारवाद को लोकतन्त्र के लिए सबसे बड़ा खतरा बताते हैं, लेकिन कभी किसी नेता पर व्यक्तिगत हमले नहीं करते. लालू ने जो बात कही, वह नरेन्द्र मोदी पर व्यक्तिगत हमला था, राजनीतिक मर्यादा और शालीनता के खिलाफ था. इसलिए मोदी ने बिना देर किए पूरे देश को, 140 करोड़ लोगों को अपना परिवारजन बता दिया. लालू यादव के खिलाफ पटना के गांधी मैदान थाने में शिकायत दर्ज करवाई गई. बीजेपी के नेताओं ने देशभर में लालू यादव के खिलाफ प्रदर्शन भी किया. लालू यादव ने फुलटॉस गेंद फेंकी और मोदी ने सिक्सर मार दिया. मुझे आश्चर्य होता है विरोधी दलों के बड़े बड़े नेता अभी तक मोदी को समझ ही नहीं पाए हैं. पिछले साल पन्द्रह अगस्त को लाल किले से राष्ट्र के नाम संबोधन में और उसके बाद हर मौके पर, हर रैली में, मोदी ने देश के लोगों को “मेरे परिवारजनों” कह कर पुकारना शुरू किया. लेकिन लगता है विरोधी दलों के नेता मोदी की लाइन पकड़ ही नहीं पाए और लालू ने मोदी के परिवार पर सवाल उठा कर वही गलती कर दी, जो राहुल गांधी ने पिछले चुनाव में चौकीदार पर सवाल उठा कर की थी. ऐसे मामलों में कोई मोदी को मात नहीं दे सकता. मोदी फुल टाइम प्रधानमंत्री की तरह काम करते है, अपने परिवार पर, भाइयों पर, भतीजे भतीजियों पर उनका ध्यान कभी नहीं जाता. लेकिन रविवार को पटना में मोदी-विरोधी मोर्चे की रैली में मंच पर जो नेता बैठे थे वो सब पार्ट टाइम पॉलिटिशियन हैं. बयान देने वाले लालू तेजस्वी को सीएम बनाना चाहते हैं, सोनिया गांधी राहुल को पीएम बनाना चाहती है, एम.के. स्टालिन अपने बेटे उदयनिधि को मुख्यमंत्री बनाने चाहते है, शरद पवार की चिंता सुप्रिया सुले के भविष्य को लेकर है, उद्धव की चिंता हमेशा ये रहती है कि आदित्य का क्या होगा? अखिलेश यादव को तो मुलायम सिंह यादव पूरे परिवार की चिंता सौंप कर गए हैं, अखिलेश ने पत्नी, चाचा, भाई, भतीजा, सबको मैदान में उतारा है.. ये लोग परिवारवाद के सवाल पर मोदी से कैसे मुकाबला कर सकते हैं? मैं आपको मोदी के biological परिवार के बारे में बताता हूं. मोदी कुल पांच भाई और एक बहन हैं. नरेन्द्र मोदी तीसरे नंबर पर हैं. सोमभाई मोदी सबसे बड़े हैं. वो गुजरात के स्वास्थ्य विभाग में काम करते थे. करीब बीस साल पहले रिटायर हो चुके हैं. दूसरे नंबर पर अमृत मोदी है. ये प्राइवेट फैब्रिकेशन प्लांट में काम करते थे. वो भी रियटार हो चुके हैं. नरेन्द्र मोदी के दो छोटे भाई हैं. एक प्रह्लाद मोदी सरकारी राशन की दुकान चलाते हैं. सबसे छोटे भाई हैं पंकज मोदी, जो गुजरात सरकार के सूचना विभाग में थे. वो भी नौ साल पहले रिटायर हो चुके हैं. मोदी की एक बहन हैं, वासंती बेन. विसनगर में अपने परिवार के साथ रहती हैं. इन सारे भाई बहनों में से कोई राजनीति में नहीं है. मोदी के भाई बहनों को तो छोड़िए. उनके भतीजे और भतीजियों का भी राजनीति से दूर दूर तक कोई लेना देना नहीं हैं. यहां तक परिवार वालों को सार्वजनिक तौर पर नरेन्द्र मोदी के नाम के इस्तेमाल की भी मनाही है. मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद प्रह्लाद मोदी की बेटी का दिल्ली में पर्स चोरी हो गया था लेकिन उसने पुलिस को ये नहीं बताया कि वो प्रधानमंत्री की भतीजी है. इसीलिए अब जब पूरे देश में नारा चलेगा – “पूरा देश मोदी का परिवार” – तो लोग विरोधी दलों के नेताओं से उनके परिवारों का हिसाब मांगेंगे, और ये हिसाब देना मंहगा पड़ेगा.

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WHY INDIA IS MODI’S FAMILY?

AKB30 At his rally in Adilabad, Telangana, on Monday, Prime Minister Narendra Modi coined a new slogan “Main Hoon Modi Ka Parivar” (I am part of Modi’s family). This slogan is similar to the 2019 Lok Sabha elections, when Modi had coined a slogan “Main Bhi Chowkidar” (I am also a Chowkidar). It was the opposition which gave Modi a handle to coin both these slogans. In 2019, Rahul Gandhi had alleged “Chowkidar Chor Hai”, and Modi replied with the slogan “Main Bhi Chowkidar”. This time, on Sunday, RJD supremo Lalu Prasad Yadav, while addressing a big rally at Patna’s Gandhi Maidan, lashed out at Modi for raising dynastic politics issue. Lalu said, “Modi has no family of his own”. The crowd erupted in joy when Lalu made this remark. On Monday, Modi hit out with “Modi Parivar” slogan, and the opposition leaders are now searching for a riposte. At his rallies in Telangana and Tamil Nadu, Modi said, “I left my home when I was young… I wanted to make the entire nation my family..My aim was to fulfil the dreams of my countrymen..For me, all of you are members of my family.” Soon afterwards BJP president J P Nadda, central ministers Amit Shah, Nitin Gadkari, Rajnath Singh, Piyush Goyal, Smriti Irani, UP CM Yogi Adityanath, and almost all top BJP leaders and workers added “Modi Ka Parivar” to their name on social media handles. The issue of dynastic politics may seem to be a minor one, but opposition leaders in Bihar, Bengal, Jharkhand, UP, Maharashtra, Telangana, Tamil Nadu, Kashmir and Andhra Pradesh will have to face questions about their families. Normally, Prime Minister Modi never attacks any political rival personally, but the RJD supremo had launched a personal attack on Modi and his family, which was against the norms of political decency. Modi did not lose time in declaring that 140 crore Indians were his family members. In Patna, a complaint was filed at Gandhi Maidan station against Lalu Yadav for making this remark against Modi. There were protests by BJP workers in several states. In cricket parlance, we can say that Modi hit a ‘sixer’ to a full-toss ball from Lalu Yadav. I am surprised why top opposition leaders have so far failed to understand Modi till now. Let me remind them that since last year’s August 15 speech from Red Fort, Modi had been addressing people as “Mere Parivarjan” (my family members) in all his speeches. It seems opposition leaders have failed to understand the line that Modi is taking. By raising the issue of Modi’s family, Lalu Yadav made the same mistake which Rahul Gandhi did five years ago by saying “Chowkidar Chor Hai”. Nobody can beat Modi on such issues. Modi works like a full-time Prime Minister, and never gives any preference to his brothers, nephews and nieces. All the leaders sitting on the dais at the anti-Modi rally in Patna on Sunday are part-time politicians. Lalu Yadav wants to crown his son Tejashwi as chief minister. Sonia Gandhi wants to see her son Rahul has Prime Minister. M.K. Stalin wants to anoint his son Udhay Nidhi as chief minister of Tamil Nadu. Sharad Pawar is worried about his daughter Supriya Sule’s future. Uddhav Thackeray’s perennial worry is about his son Aditya. Late Mulayam Singh Yadav handed over all his worries to his son Akhilesh. Akhilesh Yadav fielded his wife, uncle, brother and nephews in politics. How can these leaders counter Modi on the issue of dynastic politics? Let me tell you about Modi’s biological family. Modi has five brothers and a sister. He is third in the line of siblings. His eldest brother Somabhai Modi used to work in Gujarat’s health department. He retired 20 years ago. The second brother is Amrit Modi, who used to work at a private fabrication plant. He, too, has retired. Narendra Modi has two younger brothers – Prahlad Modi, who runs a PDS ration shop. The youngest brother is Pankaj Modi, who worked in Gujarat government’s information department. He retired nine years ago. Modi has a sister, Basantiben, who lives in Visnagar with her family. All these brothers and sister have nothing to do with politics. Forget Modi’s brothers and sister. Even his nephews and nieces have nothing to do with politics. All these family members have been expressly told not to disclose their relationship to Narendra Modi in public. After Modi became PM, Prahlad Modi’s daughter once lost her purse in Delhi. She lodged a complaint with Delhi Police, but did not tell them that she was the niece of the Prime Minister. So, the slogan that will be heard for the next two months across India will be “Poora Desh, Modi Ka Parivar”. Naturally, people will then ask about the families of opposition leaders, and they will have a lot to explain.

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बंगाल में मोदी का फोकस : संदेशखाली में अत्याचार

AKBप्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस वक्त बिहार, झारखंड और बंगाल के तूफानी चुनावी दौरे पर हैं. बंगाल में मोदी ने संदेशखाली की महिलाओं पर अत्याचार और भ्रष्टाचार को मुख्य मुद्दा बनाया है. शुक्रवार को बंगाल के आरामबाग में रैली को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा कि ” संदेशखाली की माओं-बहनों के साथ जो कुछ हुआ, उससे पूरा देश शर्मसार है.” शनिवार को बंगाल के कृष्णनगर की रैली में मोदी ने कहा कि तृणमूल के नेताओं ने “स्कीम को स्कैम” का रूप देने में महारत हासिल कर ली है. मोदी को एक बात के लिए दाद देनी होगी. गुरुवार की रात को बीजेपी के मुख्यालय में साढे 3 बजे तक उम्मीदवारों की सूची को अंति रूप देने के बाद मोदी घर लौटे, और अगले दिन सुबह झारखंड और फिर बंगाल पहुंच गए. शुक्रवार को मोदी ने कोलकाता के राज भवन में रात बितायी और अगले दिन कृष्णनगर के बाद बिहार में औरंगाबाद, पटना और बेगूसराय की तरफ रवाना हो गए. आरामबाग की रैली में मोदी ने ममता बनर्जी पर तीखे हमले किए. सबसे पहले संदेशखाली का मुद्दा उठाया और सवाल किया कि आखिर 56 दिन एक अपराधी बगैर राजनीतिक संरक्षण के कैसे पुलिस के शिकंजे से दूर रह सकता है. मोदी ने कहा कि संदेशखाली की महिलाओं ने अपने ऊपर हुए जुल्म की दास्तां रो-रोकर सुनाई लेकिन ममता बनर्जी का दिल नहीं पसीजा. वो जुल्म करने वाले गुंडे को, गरीबों की जमीनों पर कब्जा करने वाले अपने नेता को बचाती रहीं.मोदी ने संदेशखाली के मामले में इंडी अलायंस के सहयोगी दलों की चुप्पी पर सवाल उठाया. मोदी ने कहा कि संदेशखाली की महिलाओं की बातें सबने सुनी लेकिन इंडी अलायंस के नेताओं ने अपनी आंख, कान और मुंह बंद कर लिया, इंडी अलायंस में शामिल पार्टियों के नेताओं ने ममता बनर्जी से सवाल पूछना तो दूर, संदेशखाली की महिलाओं की तरफ नज़र घुमाकर भी नहीं देखा. बंगाल में ममता पर मुस्लिम तुष्टीकरण का आरोप कई साल से लगता है. इल्जाम यही लगाया जा रहा है कि शेख शाहजहां मुस्लिम था. ममता को मुस्लिम वोट बैंक की फिक्र थी, इसीलिए शेख शाहजहां इतने दिनों तक बचा रहा. मोदी ने इसी बात को मुद्दा बनाया और कहा कि महिलाओं का सम्मान सर्वोपरि है, सम्मान के मामले में इस बात से फर्क नहीं पड़ता कि महिला हिन्दू है या मुसलमान. मोदी ने कहा कि महिलाओं के सम्मान से खिलवाड़ तो मुस्लिम बेटियां भी बर्दाश्त नहीं करेंगी,वो ममता बनर्जी की सरकार को उखाड़ फेंकेंगी. मोदी ने आरामबाग की रैली में ममता बनर्जी के शासन में हो रहे भ्रष्टाचार, घोटाले और परिवारवाद का भी मुद्दा उठाया. मोदी ने कहा कि तृणमूल कांग्रेस ने पश्चिम बंगाल में भ्रष्टाचार का एक नया मॉडल पैदा किया है. मोदी ने कहा कि बंगाल में जिन लोगों ने जनता को लूटा है, उन्हें लूट का माल सूद के साथ लौटाना पड़ेगा. मोदी ने कहा कि कोई कितनी भी गाली दे, वो डरने वाले नहीं हैं, लूटने वालों को जेल भेजकर ही रहेंगे.मोदी के आरामबाग दौरे से तृणमूल कांग्रेस में खलबली है क्योंकि अपनी पहली रैली के लिए मोदी ने ये सीट बहुत सोच समझकर चुनी है. 2019 के चुनाव में इस रिजर्व सीट पर बीजेपी के तापस रॉय तृणमूल कांग्रेस की अपरूपा पोद्दार से सिर्फ 1146 वोट से हारे थे. 2014 में आरामबाग सीट तृणमूल कांग्रेस ने ही जीती थी लेकिन लैफ्ट फ्रंट का उम्मीदवार दूसरे नंबर पर था. बीजेपी बड़े अंतर से तीसरे नंबर पर आई थी लेकिन इस बार बीजेपी को लगता है कि ये सीट आसानी से निकाली जा सकती है. दिलचस्प बात ये है कि तृणमूल कांग्रेस की सांसद अपरूपा पोद्दार ने मुस्लिम से शादी कर ली है और अब उनका नाम आफरीन अली हो गया है. इसलिए अब वो दलित कोटे की सीट पर चुनाव लड़ पाएंगी या नहीं, इस पर भी संशय है. दूसरा, अगर लड़ती हैं तो भले ही उन्हें मुस्लिम वोट थोड़ा ज्यादा मिल जाए लेकिन हिन्दू वोट कटने का खतरा है. इसलिए उन्हें ममता मैदान में उतारेंगी, इस पर सस्पेंस है. इसीलिए बीजेपी ने इस सीट पर फोकस किया है. इसके अलावा इस बार बीजेपी ममता के राज में मुस्लिम तुष्टीकरण और महिलाओं पर अत्याचार को बड़ा मुद्दा बनाएगी और आज मोदी ने इन्ही दो मुद्दों पर फोकस किया. असदुद्दीन ओवैसी की नजर भी बंगाल पर है. ओवैसी इस बार लोकसभा चुनाव के दौरान बंगाल में भी अपनी पार्टी के उम्मीदवार खड़े कर सकते हैं.. ओवैसी का कहना है कि ममता सिर्फ मुसलमानों को सत्ता पाने की सीढ़ी समझती हैं, ममता मुसलमानों पर सिर्फ जुबानी जमा खर्च करती हैं, उन्होंने मुसलमानों के लिए कुछ नहीं किया है. असल में असद्दुदीन ओवैसी इस बार “आपकी अदालत” शो में मेरे मेहमान हैं. मैंने ओवैसी से पूछा कि ममता बनर्जी तो खुद को मुसलमानों का सबसे बड़ा खैरख्वाह बताती हैं. इस पर ओवैसी ने तपाक से कहा कि बंगाल जाकर देखिए हकीकत समझ आ जाएगी. उन्होंने इस पर डिटेल में जबाव दिया. पूरा जबाव आप देख पाएंगे शनिवार और रविवार रात दस बजे.

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MODI CAMPAIGN FOCUS : SANDESHKHALI ATROCITIES IN BENGAL

akbIn his whirlwind election campaign in Jharkhand, Bihar and West Bengal, Prime Minister Narendra Modi has taken Trinamool Congress supremo Mamata Banerjee to task for the atrocities committed on women and local farmers by TMC leaders in Sandeshkhali. This issue has already hogged national news headlines. Modi, in his rallies in Arambagh and Krishnagar, focused on corruption and atrocities against women in Bengal. He did not mince words while criticizing Mamata and her party while describing the Sandeshkhali “atrocities” as “shameful”. Modi also alleged that TMC has converted all “schemes” into “scams”. He mentioned the seizure of huge amounts of cash from people close to TMC ministers. One must admire Modi for his remarkable tenacity in electioneering. On Thursday night, he was busy at his party headquarters till 3.30 am finalizing the names of candidates for nearly 150 constituencies. He returned home and early morning, he was in Jharkhand and Bengal, addressing rallies in Sindri and Arambagh. Modi had a night stay in Kolkata on Friday and again left for his meetings in Krishnagar on Saturday, followed by his visits to Aurangabad, Patna and Begusarai in Bihar. Modi is focussed on achieving his target of winning 370 Lok Sabha seats this time, if not more. On Friday evening, Chief Minister Mamata Banerjee met Modi as part of protocol, and gifted him a box of laddoos. It was described by Mamata as a courtesy call, despite the fact that hours earlier, Modi had lambasted the TMC chief at his Arambagh rally. Mamata Banerjee is going to respond by holding Mahila Padyatra in Kolkata next week on the eve of International Women’s Day to counter BJP’s publicity campaign on atrocities against women in Sandeshkhali. In his Arambagh rally, Modi said, the entire nation hangs its head in shame over the atrocities committed on “mothers and sisters of Sandeshkhali”. He blamed Mamata for trying to protect the perpetrators of crimes in Sandeshkhali, since they belonged to her party. Modi asked at the rally, “how can any criminal save himself for 56 days without political patronage”. He also asked why Mamata’s alliance partners in INDIA bloc are silent on the Sandeshkhali issue. “Like Mahatma Gandhi’s three monkeys, they have closed their eyes, ears and noses”, Modi said. The Pto “everrime Minister asked voters to reply to every “chot” (attack) by using their “vote”. Modi vowed to send to jail all those who have looted people’s money in Bengal. It is pertinent to note why Modi chose Arambagh as the place to start his Bengal poll campaign. In the 2019 Lok Sabha elections, BJP’s Tapas Kumar Roy lost to TMC’s Aparupa Poddar by a slender margin of 1146 votes. In 2014 elections, TMC had won the Arambagh seat, and at that time BJP candidate was on third place behind the CPI-M candidate. This time, BJP is confident of winning the Arambagh seat. One more point. Aparupa Poddar named herself Aafreen Ali after marrying a Muslim, and since Arambagh is a scheduled caste reserved constituency, she may or may not be allowed to contest this time, since she is now a Muslim. Even if she gets Muslim votes, there is danger of Hindu voters moving away from TMC. Already, BJP has made “Muslim appeasement” a big issue in this election. On Mamata Banerjee, AIMIM chief Asaduddin Owaisi made a significant point in my show ‘Aap Ki Adalat’. Owaisi said, Mamata has only been paying lip service to the cause of Muslims in Bengal, and has been using Muslim vote bank as a ladder to success. On the whole, Owaisi said, the common living conditions of Muslims in Bengal have not improved. He mentioned how in Malda and Murshidabad, which are predominantly Muslim areas, hundreds of Muslims are suffering from toxic underground water and Muslim women are working in abysmal conditions in beedi rolling units of Murshidabad. You can watch Aap Ki Adalat show with AIMIM chief Asaduddin Owaisi on India TV on Saturday and Sunday nights at 10 pm.

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SHAHJAHAN ARREST : WHY MAMATA HAD TO BOW BEFORE COURT, PEOPLE

AKB At last West Bengal chief minister Mamata Banerjee had to bow in the face of stern action by Calcutta High Court and also due to popular pressure from the women of Sandeshkhali. Trinamool Congress strongman Shahjahan Sheikh, accused of sexual abuse of women and land grab, was arrested by state police and produced before a local court on Thursday. He had been in hiding for the last 56 days after his goons assaulted a team of Enforcement Directorate on January 5. He was remanded to CID custody for ten days. There are 42 cases filed against him, mostly relating to forcible occupation of land and rape of women. Bengal police has arrested him on charge of attacking the ED team only. He was arrested in Minakhan, North 24-Parganas, only 30 km away from Sandeshkhali, despite nationwide outcry against him. There was celebration in Sandeshkhali on Thursday. Women blew conch shells and threw ‘gulaal’ (coloured powder) at one another, while men distributed sweets to celebrate the arrest of Shahjahan Sheikh. The women demanded that the Centre must make arrangements so that Shahjahan must remain behind bars forever. Visuals of Shahjahan Sheikh being “escorted” by state police to the Basirhat court, and the strongman walking with a swagger showing a victory sign, soon went viral on social media. Police officers were walking meekly behind the strongman, as he stridently walked inside the courtroom. Even before he was produced in court, his lawyer approached the Calcutta High Court seeking bail and requested for an urgent hearing. The High Court clearly told the lawyer that Shahjahan Sheikh was not an ordinary criminal. The High Court told the lawyer that he was underground for nearly two months, and there was no point seeking a bail soon after his arrest. The High Court told the lawyer that “he does not deserve any sympathy”. Chief Justice T S Sivagnanam told his counsel, “As many as 42 cases are pending against him, and for the next 10 years, you will have a wonderful job. You won’t have the time to handle any other brief. You will have five to seven juniors and a legal team for the next 10 years.” There are reports that the ED may seek custody of Shahjahan Sheikh after his 10 day police custody ends. Hours after his arrest, Trinamool Congress announced that Shahjahan Sheikh has been suspended from the party for the next six years. Shahjahan held the post of party convenor for Sandeshkhali assembly constituency. He is a member of Trinamool controlled North 24 Parganas zilla parishad (district council). After trying to protect Shahjahan for nearly two months, Mamata Banerjee has realized that the continuance of this strongman in her party could prove to be a political liability in the forthcoming elections and he was, therefore, suspended from the party.

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शाहजहां की गिरफ्तारी : ममता को अदालत, जनता के सामने झुकना पड़ा

akb full पश्चिम बंगाल में हाईकोर्ट की सख्ती और संदेशखाली की जनता के दबाव के सामने आखिरकार ममता बनर्जी को झुकना पड़ा. 56 दिन से फरार तृणमूल कांग्रेस के बाहुबली नेता शेख शाहजहां को बंगाल की पुलिस ने 48 घंटे में खोज निकाला, उसकी गिरफ्तारी हो गई और उसे दस दिन की हिरासत में CID के हवाले कर दिया गया. शेख शाहजहां के खिलाफ 42 केस दर्ज हैं जिनमें जमीनों पर कब्जे, महिलाओं के साथ बलात्कार, आम लोगों की संपत्ति हड़पने जैसे मामले हैं लेकिन बंगाल की पुलिस ने कोर्ट को बताया है कि शाहजहां को ED की टीम पर 5 जनवरी को किये गए हमले के मामले में गिरफ्तार किया गया है. मज़े की बात ये है कि शेख शाहजहां को पुलिस ने संदेशखाली से सिर्फ 30 किलोमीटर दूर, उत्तरी 24 परगना के मीनाखान से गिरफ्तार करने का दावा किया है. शेख शाहजहां की गिरफ्तारी की खबर जैसे ही संदेशखाली पहुंची, वहां के लोगों ने गुरुवार को जश्न मनाया. संदेशखाली में महिलाओं ने एक दूसरे को अबीर-गुलाल लगाया, शंख बजाया और थाली बजाकर डांस किया. इन महिलाओं ने कहा कि ये सही है कि शेख शाहजहां अभी सिर्फ गिरफ्तार हुआ, उसे सजा नहीं मिली है लेकिन न्याय की उम्मीद तो जगी है. उसके आतंक और जुल्म से अब उन्हे मुक्ति मिलेगी. कई महिलाओं ने कहा कि केन्द्र सरकार को ऐसा इंतजाम करना चाहिए जिससे शेख शाहजहां कभी जेल से बाहर न आ सके.
इन महिलाओं के मन में शाहजहां शेख का डर इतना क्यों है, इसका अंदाज़ा गुरुवार की तस्वीरों से लग गया. जब शाहजहां को बसीरहाट कोर्ट में पेश किया गया, तो पश्चिम बंगाल की पुलिस पूरी अकड़ के साथ आगे आगे चल रहा था, हाथ हिलाकर विक्ट्री साइन दिखा रहा था, और बंगाल पुलिस के अफसर उसके पीछे-पीछे चल रहे थे. कोर्ट में पुलिस ने जो रिमांड कॉपी पेश की, उसमें बताया गया कि शेख शाहजहां ने ये माना है कि 5 जनवरी को ईडी की टीम पर उसने हमला करवाया था, ED की टीम से जो सामान लूटा गया और जिन हथियारों से हमला किय़ा गया, वो उसने दूसरे राज्यों में छुपा रखे हैं, उसे बरामद करना है, ED की टीम पर हमले में शामिल शेख शाहजहां के साथियों को गिरफ्तार करना है, इसलिए उसे पुलिस की हिरासत में दिया जाए. इसके बाद कोर्ट ने शेख शाहजहां को दस दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया. लेकिन हैरानी की बात ये है कि शाहजहां की गिरफ्तारी के बाद उसे कोर्ट में पेश किया जाता, उससे पहले ही शाहजहां के वकील कलकत्ता हाईकोर्ट पहुंच गए और जमानत की अर्जी फाइल कर दी. वकील ने कोर्ट से शीघ्र सुनवाई का अनुरोध किया. लेकिन मुख्य न्यायाधीश टी. एस. शिवज्ञानम ने साफ-साफ कहा कि शेख शाहजहां कोई छोटा मोटा अपराधी नहीं हैं, उसके खिलाफ रेप, जमीनों पर कब्जे, मारपीट और सरकारी टीम पर हमले जैसे 42 संगीन मामले हैं, वो 56 दिन तक फरार रहा, कोर्ट के कहने पर भी पेश नहीं हुआ और आप चाहते हैं कि गिरफ्तारी के तुरंत बाद उसे जमानत दे दी जाए, उसकी अर्जी पर तुरंत सुनवाई कर ली जाए, ये संभव नहीं है. मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि कोर्ट को शेख शाहजहां जैसे अपराधी से कोई सहानुभूति नहीं है. मुख्य न्यायाधीश ने शाहजहां के वकील से कहा कि उसे कुछ दिन पुलिस की हिरासत में रहने दीजिए, तत्काल सुनवाई की कोई जरूरत नहीं हैं. शाम को तृणमूल कांग्रेस ने शाहजहां शेख को 6 साल के लिए पार्टी से निलम्बित कर दिया. शाहजहां शेख संदेशखाली विधानसभा क्षेत्र में पार्टी के संयोजक और जिला परिषद के सदस्य हैं. साफ है कि ममता बनर्जी दो महीने तक शाहजहां का बचाव करने के बाद अब समझ चुकी है कि अब वह पार्टी के लिए राजनीतिक बोझ बन सकता है, इसलिए पार्टी अब उससे पीछा छुड़ाना चाहती है.

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