अडानी को क्लीन चिट : राहुल को अब नई स्क्रिप्ट की ज़रूरत
सुप्रीम कोर्ट ने अडानी ग्रुप पर लगे आरोपों की जांच के लिए किसी तरह की SIT बनाने से साफ इंकार कर दिया. कोर्ट ने कहा कि जो 24 मामले थे, उनमें से 22 की जांच SEBI कर चुकी है, कहीं कोई गड़बड़ी नहीं मिली. बाकी जो दो मामले बचे हैं, उनकी जांच भी SEBI अगले तीन महीने में पूरी करेगी. सुप्रीम कोर्ट ने SEBI को ये आदेश भी दिया कि अगर हिंडनबर्ग ने कोई गड़बड़ी की है, जिससे भारतीय निवेशकों को नुक़सान हुआ है, तो उसकी जांच भी करे. मुख्य न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़, जस्टिस जे. बी. परदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने अपने फ़ैसले में कहा कि अडानी ग्रुप के ख़िलाफ़ जांच के लिए पेटिशनर्स कोई ठोस सुबूत पेश नहीं कर पाए हैं. CJI चंद्रचूड़ ने कहा कि बिना ठोस सबूतों के मीडिया में थर्ड पार्टी की रिपोर्ट या किसी संस्था पर भरोसा नहीं किया जा सकता, इनके पास कोई ठोस सबूत नहीं है. अदालत ने कहा कि हिंडनबर्ग या ऐसी किसी बाहरी रिपोर्ट के आधार पर जांच का आदेश नहीं दिया जा सकता. हिंडनबर्ग की रिपोर्ट पिछले साल 24 जनवरी को आई थी जिसमें अडानी ग्रुप पर गंभीर आरोप लगाए गए थे. दो दिन बाद ही अडानी ग्रुप, देश का सबसे बड़ा फ़ॉलो ऑन पब्लिक ऑफ़र लाने वाली थी. 20 हज़ार करोड़ रुपये के इस FPO को अडानी ग्रुप ने वापस ले लिया था क्योंकि हिंडनबर्ग रिपोर्ट आने के बाद अडानी ग्रुप के शेयरों में भारी गिरावट आई थी. हिंडनबर्ग रिपोर्ट आने के बाद कई पेटिशनर्स ने इसकी जांच कराने के लिए सुप्रीम कोर्ट में अर्ज़ी दी थी. इस पर चली लंबी सुनवाई के बाद अदालत ने डेढ़ महीने पहले नवंबर में अपना फ़ैसला सुरक्षित रख लिया था. बुधवार को सुप्रीम कोर्ट का फ़ैसला आने के बाद गौतम अडानी ने खुशी जाहिर की. गौतम अडानी ने कहा कि सत्य की जीत हुई है, सत्यमेव जयते. उनका ग्रुप देश के विकास में अपना योगदान देना जारी रखेगा. सीनियर एडवोकेट मुकुल रोहतगी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने SEBI की जांच पर पूरा भरोसा जताया है. हिंडनबर्ग की रिपोर्ट ने अडानी ग्रुप के काम-काज पर, इन्वेस्टमेंट और मैनेजमेंट पर सवाल उठाए थे. ये मामला संसद में भी ज़ोर-शोर से उठा था. पिछले साल का पूरा बजट सेशन हंगामे का शिकार हो गया था. विपक्षी दलों ने सेबी के काम-काज पर भी सवाल उठाए थे. अब सुप्रीम कोर्ट ने अडानी ग्रुप की जांच SIT से कराने से इनकार कर दिया है तो विपक्षी दल ये इल्ज़ाम लगा रहे हैं कि देश की सबसे बड़ी अदालत ने निवेशकों के साथ इंसाफ़ नहीं किया. CPI-M महासचिव, सीताराम येचुरी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट से गुहार लगाई गई थी कि वो इंसाफ करे, लेकिन कोर्ट के फ़ैसले से उन्हें निराशा हुई है. सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले के बाद भी कांग्रेस ने सेबी के काम-काज पर सवाल उठाए. कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने कहा कि पूरी सरकार अडानी का घोटाला छुपाने में लगी है, इसीलिए जब उन्होंने मामला संसदीय समिति में उठाया, तो भी बीजेपी ने बहुमत के दम पर उनकी आवाज़ को दबा दिया था. मनीष तिवारी ने कहा कि सेबी चाहती तो वो ईमानदारी से इस मामले की जांच पहले ही पूरी कर सकती थी. दिलचस्प बात ये है कि राहुल गांधी लगातार गौतम अडानी और उनके ग्रुप के कारोबार पर सवाल उठाते रहे हैं, लेकिन जिन जिन राज्यों में कांग्रेस की सरकारें हैं, वहां के मुख्यमंत्री चाहते हैं कि अडानी उनके राज्य में आएं, पूंजी लगाएं. तेलंगाना में कांग्रेस की नई नई सरकार बनी है और बुधवार को अडानी ग्रुप के एक प्रतिनिधिमंडल ने तेलंगाना में कांग्रेस के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी से मुलाकात की. अडानी ग्रुप के इस प्रतिनिधिमंडल में अडानी पोर्ट ऐंड स्पेशल इकॉनमिक ज़ोन के CEO करण अडानी भी शामिल थे. करण अडानी गौतम अडानी के बेटे हैं. अडानी ग्रुप तेलंगाना में डेटा सेंटर और एरो स्पेस पार्क एस्टैब्लिश करना चाहता है. पता ये लगा है कि रेवंत रेड्डी ने अडानी ग्रुप को हरसंभव मदद का भरोसा दिया है. गौतम अडानी देश के सबसे बड़े उद्योगपतिय़ों में से एक हैं. जब हिंडनबर्ग की रिपोर्ट आई, उस वक्त अडानी दुनिया के अमीरों में तीसरे नंबर पर थे लेकिन इस रिपोर्ट के आने के बाद अडानी की संपत्ति घटकर आधी रह गई. अडानी ग्रुप की कंपनियों के शेयर बुरी तरह गिरे. सिर्फ बीस दिन में अडानी, दुनिया के बीस top अमीरों की लिस्ट से बाहर हो गए. एक विदेशी कंपनी की गलत, झूठी और मनगंढत रिपोर्ट से जो नुकसान हुआ, वो सिर्फ अडानी का नुकसान नहीं था, यह देश का नुकसान था, देश का पैसा डूबा, हमारी अर्थव्यवस्था को नुकसान हुआ. विपक्ष ने इस मुद्दे पर खूब हंगामा किया. संसद नहीं चलने दी, राहुल गांधी ने अडानी के नाम को मोदी पर हमले का हथियार बना लिया लेकिन जब सुप्रीम कोर्ट ने अडानी को क्लीन चिट दे दी, तो राहुल कहीं दिखाई नहीं दिए. उन्होंने कोई ट्वीट नहीं किया. मुझे याद है कि हिंडनबर्ग की रिपोर्ट सामने आने के बाद जब गौतम अडानी “आपकी अदालत” में आए थे तो उन्होंने कहा था कि उनकी बैलेंस शीट क्लीयर है, पाई-पाई का हिसाब है, न उन्होंने बेईमानी की है, न बेईमानी में यकीन करते हैं, नियम कानून का पालन करते हैं, इसलिए उन्हें कोई चिन्ता नहीं है. अडानी ने बाद में मुझ से कहा था की जल्दी ही वो दिन आएगा जब अडानी ग्रुप फिर आसमान की ऊंचाईयों पर होगा. मुझे लगता है कि अडानी आज सही साबित हुए. उनकी बात सच थी. अब सुप्रीम कोर्ट ने भी उन्हें क्लीन चिट दे दी है. अब सबसे ज्यादा मुसीबत राहुल गांधी को होगी, अब वो अडानी का नाम लेकर मोदी पर आरोप कैसे लगाएंगे ,राहुल के स्क्रिप्ट writers को पूरी कहानी बदलनी पड़ेगी.
SC CLEAN CHIT TO ADANI : RAHUL MAY HAVE TO WRITE A NEW SCRIPT
The Supreme Court on Wednesday rejected prayers for a court-monitored probe by CBI or SIT(Special Investigation Team) into allegations made against Adani group by an American short seller firm, Hindenburg Research, in its report which was published on January 24, 2023. A three judge bench comprising Chief Justice D Y Chandrachud, Justice J B Pardiwala and Justice Manoj Misra disposed of a batch of four petitions seeking probe into Hindenburg allegations. The apex court pointed out that SEBI(Securities & Exchange Board of India) has completed 22 out of the 24 investigations into the Adani group and the remaining two are pending due to inputs awaited from foreign regulators. The court directed SEBI to complete the remaining probe within three months. The apex court said, “SEBI has prima facie conducted a comprehensive investigation… No apparent regulatory failure can be attributed to SEBI based on the material before this court. Therefore, there is prima facie no deliberate inaction or inadequacy in the investigation by SEBI.” The apex court also rejected the views of some petitioners who had relied on a report published by Organized Crime and Corruption Reporting Project (OCCRP) and various other newspaper articles which referred to the OCCRP report, and had complained that SEBI was lackadaisical in conducting the probe. Rejecting the petitioners’ views, the apex court said, “the petitioner’s case appears to rest solely on inference from the OCCRP report…such reports by ‘independent’ groups or investigative pieces by newspapers may act as inputs before SEBI or the Expert Committee, but they cannot be relied on as conclusive proof”. The Hindenburg report came in January 2023, two days before Adani group was supposed to come with its largest Follow-On Public Offer of Rs 20,000 crore. The Adani group withdrew its FPO offer and this led to a sharp decline in the prices of Adani group shares in the stock market. Expressing happiness over the apex court verdict, Gautam Adani went on social media platform X and tweeted: “The Hon’ble Supreme Court’s judgement shows that: “Truth has prevailed. Satyameva Jayate. I am grateful to those who stood by us. Our humble contribution to India’s growth story will continue. Jai Hind.” Senior Advocate Mukul Rohatgi welcomed the verdict saying that the apex court has reposed its full trust in SEBI probe. The Hindenburg report had raised questions about the style of working, investments and management of Adani group. There was hue and cry inside Parliament over this issue and the entire budget session witnessed pandemonium. Now that the apex court has refused to direct a SIT probe into Adani group, opposition parties are alleging that the Supreme Court has not done justice to investors. CPI-M general secretary Sitaram Yechury said, “SC judgement in the Adani case is disappointing and unfortunate on several grounds…SC has not enhanced its credibility with this judgement.” Congress party said, “The Supreme Court judgement .. has proved extraordinarily generous to SEBI…Truth dies a thousand deaths when we hear Satyameva Jayate from those who have gamed, manipulated and subverted the system this past decade….Our fight for NYAY against crony capitalism and its ill-effects on prices, unemployment and inequalities will continue even more forcefully”. Congress MP Manish Tewari alleged that Modi government is trying hush up Adani scam. Interestingly, on one hand while Congress leader Rahul Gandhi has been consistently raising questions against Gautam Adani and his group, his party’s government in Telangana is welcoming investments from Adani group. On Wednesday, Telangana chief minister Revanth Reddy met a delegation from Adani group led by Gautam Adani’s son, Karan Adani, CEO of Adani Ports and Special Economic Zone, for setting up a data center and aerospace park in the state. Revanth Reddy promised full assistance to the group. Gautam Adani is one of India’s leading industrialists. When the Hindenburg report came, Adani was third in the list of World’s richest persons, but after the report came, his wealth declined by nearly half and prices of his group companies crashed. Within 20 days, Adani was out from the list of World’s Top 20 richest persons. The loss that accrued because of an incorrect, false, fabricated and speculative report of a foreign short seller company was not only Adani’s, but also India’s loss. It hurt Indian economy. The opposition made hue and cry over this report, did not allow Parliament to function, and Rahul Gandhi made Adani his main tool to attack Narendra Modi. On Wednesday, when the Supreme Court gave a clean chit to Adani group, Rahul was nowhere on the scene. He did not post any tweet. I remember, when the Hindenburg report came, Gautam Adani was my guest in ‘Aap Ki Adalat’. Adani had then said clearly that his “balance sheet was clear, every paisa was accounted for, there has been no dishonesty”, nor does he believe in dishonesty, and he follows rules and laws scrupulously. He said, he was least worried. Later, Adani told me that a day will soon come when Adani group will touch the pinnacle of success. I think, Gautam Adani has been proved correct. His words have come true. Now that the Supreme Court has given his group a clean chit, Rahul Gandhi may become worried, because he has lost his biggest weapon to target Modi. Rahul’s script writers will have to change the entire story.
क्या मोदी मुसलमानों का दिल जीत पाएंगे?
आप सबको नए साल की शुभकामनाएं. 2024 दुनिया के सबसे बड़े चुनाव का साल होगा. एक तरफ बीजेपी और NDA और दूसरी तरफ कांग्रेस और इंडी एलायन्स का मुकाबला. मेरी कोशिश रहेगी दोनों तरफ की रणनीति, दोनो तरफ की तैयारी और इस मुकाबले की खबर सबसे पहले आप तक पहुंचाऊं. मंगलवार को बीजेपी ने एलान कर दिया कि इस बार लोकसभा चुनाव में उसका नारा होगा – ‘तीसरी बार मोदी सरकार, अबकी बार 400 पार.’ इस लक्ष्य को पाने के लिए बीजेपी ने रणनीति भी तय कर ली है. बीजेपी देश भर में ‘सबका साथ सबका विकास’ के नारे को लेकर जाएगी. नोट करने वाली बात ये है कि इस बार बीजेपी, मुस्लिम मतदाताओं का दिल जीतने की कोशिश करेगी. सभी राज्यों में बीजेपी बूथ लेबल तक मुस्लिम परिवारों के पास पहुंचेगी.खासतौर पर उन मुस्लिम परिवारों को टारगेट किया जाएगा, जो किसी न किसी सरकारी योजना के लाभार्थी हैं. सभी राज्यों में प्रधानमंत्री की योजनाओं के साथ बीजेपी के कार्यकर्ता, ज़्यादा मुस्लिम आबादी वाले इलाकों में जाएंगे. उत्तर प्रदेश में ‘शुक्रिया मोदी भाईजान’, बंगाल में ‘मोदी दादा’, महाराष्ट्र में ‘मोदी भाऊ’ और तमिलनाडु में ‘मोदी अन्ना’ अभियान चलाया जाएगा. इस अभियान की टैग लाइन होगी – ‘न दूरी है, न खाई है, मोदी हमारा भाई है’. बीजेपी की इस नई कोशिश का पहला उदाहरण मिला, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस अभियान की अनौपचारिक शुरूआत लक्षद्वीप से की. मोदी मंगलवार की रात लक्षद्वीप में ठहरे. बुधवार को उन्होने लक्षद्वीप में 1150 करोड़ रुपये की परियोजनाओं का तोहफा दिया. लक्षद्वीप वो चुनावक्षेत्र है, जहां 95 प्रतिशत से ज्यादा मुस्लिम मतदाता हैं. यहां बीजेपी कभी नहीं जीती लेकिन मोदी ने लक्षद्वीप के लोगों से कहा कि वो उनके साथ हैं, उनके साथ रहेंगे, उनकी सभी जरूरतों का ख्याल रखेंगे. जिस वक्त विरोधी दलों के नेता बीजेपी पर राम मंदिर का हवाला देकर हिन्दुत्व की राजनीति को आगे बढ़ाने का इल्जाम लगा रहे हैं, मुसलमानों को मोदी के खिलाफ भड़का रहे हैं, ऐसे वक्त मोदी ने अचानक पैंतरा बदल कर विरोधियों को चौंका दिया.
लक्षद्वीप केन्द्र शासित क्षेत्र है, यहां केवल एक लोकसभा सीट है. वोटर्स की संख्या के लिहाज से सबसे छोटी लोकसभा सीट है, आबादी करीब 70 हजार है लेकिन खास बात ये है कि लोकसभा सीट बनने के बाद 1967 से यहां जनसंघ या बीजेपी कभी नहीं जीती. कांग्रेस के पीएम सईद यहां से दस बार सांसद रहे, जो लगातार एक सीट से चुनाव जीतने का रिकॉर्ड है. पीएम सईद के निधन के बाद यहां से लोकसभा का चुनाव उनके बेटे अब्दुल्ला सईद ने जीता. इस मुसलिम बहुल चुनावक्षेत्र में जाकर नरेन्द्र मोदी का लोगों से बात करना, वहां रात भर ठहरना, ये बीजेपी की रणनीति में बदलाव का सबूत है. बीजेपी ने अब तय किया है कि मुस्लिम भाइयों के दिलों में विरोधी दलों ने ,बीजेपी को लेकर जो खौफ पैदा किया है, जो दूरियां बनाने की कोशिश की गई है, उन्हें खत्म करना है. अब बीजेपी खुद मुस्लिम भाइयों के घर जाकर उनकी बात सुनेगी और अपनी बात कहेगी. बीजेपी की माइनॉरिटी सेल के अध्यक्ष जमाल सिद्दीकी ने बताया कि बड़ी संख्या में मुस्लिम महिलाएं खुद आगे आ रही हैं, मोदी को शुक्रिया कहकर चिट्ठियां लिख रही हैं, पूरे देश से मुस्लिम बहनों के करीब पांच लाख पत्र प्रधानमंत्री को भेजे गए हैं – उत्तर प्रदेश के अलावा असम, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, केरल, मध्य प्रदेश, राजस्थान जैसे कई प्रदेशों से जबरदस्त फीडबैक मिल रहा है. इसलिए अब बीजेपी भी मुस्लिम परिवारों तक खुद पहुंचेगी. अगले दो हफ्तों में देशभर में ये अभियान चलाया जाएगा. उत्तर प्रदेश में शुक्रिया मोदी भाईजान अभियान की शुरूआत 12 जनवरी से होगी. पहला कार्यक्रम 12 जनवरी को लखनऊ में होगा. इसके बाद हर जिले में करीब दो हजार ऐसे सम्मेलन होंगे, जिसमें उज्जवला योजना, आयुष्मान भारत और प्रधानमंत्री आवास योजना की लाभार्थी मुस्लिम महिलाएं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को शुक्रिया भाईजान कहेंगी. यूपी अल्पसंख्यक मोर्चा के अध्यक्ष कुंवर बासित अली ने कहा कि विपक्ष की सरकारों के लिए मुसलमान सिर्फ वोटबैंक था लेकिन केंद्र सरकार ने बिना भेदभाव के काम किया, मुस्लिम परिवारों को भी सरकारी योजनाओं का लाभ मिला है. कुंवर बासित अली ने कहा कि मुस्लिम परिवारों को अब समझ में आ गया है कि मोदी ने उनके लिए क्या किया है. इसीलिए मुस्लिम वोटर्स और बीजेपी के बीच जो खाई थी वो अब पट रही है. बड़ी बात ये है कि मोदी ने दस साल पहले नारा दिया था – सबका साथ सबका विकास. 2014 में लोकसभा चुनाव से पहले जब मोदी ‘आप की अदालत’ में आए थे, तो उन्होंने कहा था कि वो चाहते हैं मुस्लिम नौजवानों के एक हाथ में कुरान हों और दूसरे हाथ में कंप्यूटर हो. अगर वो प्रधानमंत्री बने तो सबका साथ सबके विकास के नारे पर काम करेंगे. मोदी ने दस साल तक इसी थीम पर काम किया. अब मुस्लिम भाइयों के दिलों में जो शंकाएं थी, आशंकाएं थीं, उनको दूर करने की जो कोशिश हुई, उस में कितनी कामयाबी मिली, अब बीजेपी ने जो दोस्ती का हाथ बढाया है, इसका राजनीतिक असर क्या होगा, बीजेपी को इसका कितना फायदा मिलेगा, ये अभी कहना मुश्किल है. बीजेपी की मंशा तो समझ में आती है, देश में करीब सौ लोकसभा सीटें ऐसी हैं, जिनमें मुस्लिम मतदाता जीत हार में बड़ी भूमिका निभाते हैं. इसलिए अगर बीजेपी को चार सौ का आंकड़ा पार करना है तो ये मुसलमानों के वोट के वगैर नहीं होगा. लेकिन बीजेपी और मुसलमान वोटर्स के बीच खाई गहरी है. ये तो सब मानते हैं कि सरकार की योजनाओं का लाभ मुसलमानों तक बिना भेद भाव के पहुँचा है, मकान मिले, राशन मिला, बिजली मिली, नल से जल मिला, लोन मिला , हुनर को मौका मिला, पर मोदी को मुलालमानों का वोट नहीं मिला. मुस्लिम समाज में मोदी को लेकर एक बड़े वर्ग में पर्सेप्शन बदला है, पर बीजेपी की विचारधारा को लेकर, इसके कई नेताओं की बयान बाजी को लेकर, mob lynching जैसी घटनाओं को लेकर बहुत सारे सवाल हैं, शक है, डर है। विरोधी दलों के नेता भी इस बात को समझते हैं, वो भी भड़काने और आग लगाने का कोई मौका नहीं छोड़ते, वो जानते हैं कि अगर कुछ मुस्लिम वोट बीजेपी के पाले में चले गए तो उनके सारे सियासी समीकरण बिगड़ जाएंगे. उदाहरण के तौर पर असदुद्दीन ओवैसी ने मौका लगते ही शुरुआत कर दी, वो राम मंदिर का हवाला देकर काम पर लग गए. ओवैसी ने मुस्लिम नौजवानों से कहा कि एक मस्जिद तो छीन ली गई, अब जाग जाओ, दूसरी मस्जिदों को बचाओ. ओबैसी के इस बयान पर बीजेपी, वीएचपी और साधु संतों ने कड़ी नाराजगी जाहिर की. ओवैसी की सारी सियासत राम मंदिर के विरोध पर टिकी है. वो लगातर कहते रहे हैं कि वहां बाबरी मस्जिद थी, बाबरी है और बाबरी मस्जिद ही रहेगी. लेकिन कहने से क्या होता है. सुप्रीम कोर्ट का फैसला है, ये एक सर्वमान्य सत्य हैं कि अब वहां राम मंदिर है और राम मंदिर ही रहेगा. तमाम विरोधी दल इस हकीकत को समझ चुके हैं. मुस्लिम भाईयों ने भी सुप्रीम कोर्ट के फैसले को दिल से स्वीकार किया है. ओवैसी जितने जल्दी इस हकीकत को समझ जाएं, अच्छा है, वरना उनके भड़काऊ बयान से कुछ होने वाला नहीं है. इस पूरे मामले का दूसरा पक्ष देखने समझने की जरूरत है. अयोध्या नगरी का कायाकल्प हो चुका है. राम मंदिर के उद्घाटन और रामलला की प्राणप्रतिष्ठा की तैयारी पूरे जोर शोर से चल रही है.
MODI’S OUTREACH TOWARDS MUSLIMS
First of all, New Year greetings to all of you. This year will witness one of the world’s largest elections in history. The contest is between BJP-led NDA and Congress-led INDIA alliances. Already both camps have started preparations. On Tuesday, BJP announced its slogan, “Teesri Baar Modi Sarkar, Ab Ki Baar 400 Paar”. BJP has chalked out a strategy to achieve its target of 400 Lok Sabha seats. BJP will be trying to win the support of Muslim voters this time. Party workers have been asked to reach out to all Muslim families at the polling booth level. Muslim families who have benefited from a plethora of Modi government’s welfare initiatives will be targeted. BJP workers will be reaching out to voters in states with different names – “Shukriyaa Modi Bhaijaan” in UP, “Modi Dada” in West Bengal, “Modi Bhau” in Maharashtra and “Modi Anna” in Tamil Nadu. The tag line will be “Na Doori Hai, Na Khai Hai, Modi Hamara Bhai Hai”. Already, Prime Minister Modi has begun his informal launch of the campaign by visiting Lakshadweep, located 1,215 km away from Delhi, where more than 95 per cent voters are Muslims. BJP never won this parliamentary seat in the past. During his two-day visit, Modi told Muslim voters in Lakshadweep that he would continue to take care of their needs and aspirations. At a time when leaders of opposition parties are alleging that BJP is pushing its majoritarian Hindutva agenda by building the Ram temple in Ayodhya, and leaders like Asaduddin Owaisi are inciting Muslim youths to come forward to protect mosques, Modi has surprised his rivals by changing tack. The Prime Minister preferred a night stay in Lakshadweep before launching projects worth Rs 1150 crore. He launched a submarine optical fibre project linking Lakshadweep to Kochi in mainland Kerala on Wednesday. Since 1967 when Lakshadweep became a Lok Sabha constituency, BJP or its previous avatar Jana Sangh, never won this seat. P M Sayeed of Congress party won this seat ten times consecutively. After his death, his son Abdullah Sayeed won. Modi wooing Muslim voters in Lakshadweep has sent a message to the entire community. BJP minority cell chief Jamal Siddiqui says, large number of Muslim women are now coming forward to support the party and they have written letters thanking the PM for putting an end to ‘triple talaq’ and providing them with welfare schemes. Similar feedback has come from UP, Assam, Maharashtra, West Bengal, Kerala, MP and Rajasthan. In UP, BJP is going to launch ‘Modi Bhaijaan’ campaign from January 12 to reach out to Muslim voters. BJP’s UP Minority Morcha chief Kunwar Basit Ali said, Muslims had been merely vote banks for opposition governments in the past, but for the first time, Modi government has made no discrimination in providing welfare benefits to Muslim families. When he took over as Prime Minister in 2014, Modi had coined the slogan “Sabka Saath, Sabka Vishwas”. The same year during the Lok Sabha elections, Modi was my guest in ‘Aap Ki Adalat’ show, where he made the famous remark: “I would one day like to see Muslim youths holding the Holy Quran in one hand and a computer in the other”. Modi worked on this theme for ten years and tried to dispel all misgivings from the minds of minorities. It remains to be seen how far this outreach towards Muslim community will work during the forthcoming general elections. There are nearly 100 Lok Sabha seats in India where Muslim voters play a major role in the victory or defeat of candidates. BJP can touch the magical 400 figure in Lok Sabha only by securing the support of Muslim voters. However, the chasm between BJP and Muslim voters continues to remain deep, despite the fact that benefits of most of the welfare schemes of Modi government have also reached Muslims. Whether it is housing, or free ration, or drinking water supply, or Ujjwala LPG cylinders, or electricity, or bank loans, Muslims have also been the beneficiaries. Yet, during elections, Modi’s BJP failed to get Muslim votes. Gradually the perception of Muslims towards Modi is changing. Issues like mob lynching, hate speeches by some hardline leaders remain and Muslim voters still have fear in their minds. Opposition leaders realize this and they do not miss any opportunity in stoking fear in the minds of Muslims. These leaders are apprehensive that Modi may ruffle their political equations. On New Year Day, AIMIM chief Asaduddin Owaisi told Muslim youths in Hyderabad to mobilize and protect all mosques. VHP president Alok Kumar condemned his remark, while Union Minister Giriraj Singh said, “the jinn (soul) of Jinnah has now entered Owaisi’s body”. Singh alleged that Owaisi is trying to incite Muslims, but he must know that the DNA of both Hindus and Muslims in India is the same. It is no secret that Owaisi’s politics has always been focused on Babri mosque demolition issue and on opposing the building of Ram Temple in Ayodhya. Owaisi continues to say that Babri mosque was, is and will always remain in its place. His remark may sound pompous now, because already the Supreme Court has given its verdict and the grand Ram Temple that is being built will continue to remain in its place. Most of the opposition parties have acknowledged this reality, and Muslims have also accepted the apex court verdict. The sooner Owaisi realizes this reality, the better, because inciting youths will not help. The city of Ayodhya is already gearing up for the consecration ceremony of Ram Lala idol on January 22.