गुजरात : तबाही से सामना
इस वक्त गुजरात पर तूफान की तबाही का खतरा मंडरा रहा है. ये तूफान अरब सागर से गुजरात तट की तरफ बढ़ रहा है और गुरुवार शाम तक तट से होकर गुज़रेगा. इसके कारण पूरे गुजरात के समुद्री तट, महाराष्ट्र, गोवा, कर्नाटक से लेकर केरल तक सभी राज्यों में तैयारियां ज़ोरों पर है. सरकार इस खतरे से निपटने के लिए युद्ध स्तर पर काम कर रही है. स्थानीय प्रसासन के साथ साथ NDRF, SDRF, नौसेना, वायु सेना , तटरक्षक दल, थल सेना को भी सतर्क रखा गया है. गुजरात के तटवर्ती इलाकों में सागर से 10 किलोमीटर तक के इलाके को खाली करवा लिया गया है. 34 हजार से ज्यादा लोगों को सुरक्षित जगहों पर भेजा गया है. कांडला, मुंद्रा, ओखा, जखुआ बंदरगाहों पर हजारों कंटेनर्स को फिक्स कर दिया गया है, जिससे तूफानी हवाओं के कारण उन्हें कोई नुकसान न हो. इसी तरह जो बड़े जहाज तट पर थे, उन्हें समुद्र में भेजा गया है जिससे तूफान की वजह से जहाजों को तट से टकराने का खतरा न हो. मौसम विभाग का कहना है कि बिपरजॉय नाम का तूफान जब तट तक पहुंचेगा, तो 125 से 150 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से हवाएं चलेगी. गुजरात के तटवर्ती जिलों में अभी से तेज बारिश शुरु हो गई है. पच्चीस साल पहले 1998 में गुजरात के इसी इलाके में भयानक तूफान आया था, सौ से ज्यादा लोगों की जानें गई थी, भारी तबाही हुई थी, और अब जिस बिपरजॉय तूफान का डर है, जो 25 साल पहले आए तूफान से ज्यादा खतरनाक है. गृह मंत्री अमित शाह ने भविष्य की तरफ जो इशारा किया, वो वाकई डराने वाला है. अब प्राकृतिक आपदाओं की संख्या बढ़ रही है, और उसकी तीव्रता भी बढ़ रही है. अब से पहले तक जितने तूफान आते थे, उनका असर दो से पांच दिन तक रहता था. बिपरजॉय तूफान अरब सागर से 6 दिन पहले उठा था और इसका असर 10 दिनों तक रह सकता है. ये सबसे लंबे समय तक रहने वाला तूफान है. IIT मद्रास की स्टडी में ये सामने आया है कि ग्लोबल वार्मिंग के प्रभाव में अरब सागर के ऊपर चक्रवाती तूफान लगातार और गंभीर होते जा रहे हैं। पिछले चार दशकों में अरब सागर में तूफान के ड्यूरेशन में 260% का इजाफा देखा गया. सिर्फ तूफान के मामलों में नहीं, बेमौसम बारिश, बेमौसम बर्फबारी, तेज़ गर्मी, सूखा , इस तरह के बदलाव देखने को मिल रहे हैं. आप ये जानकर हैरान हो जाएंगे कि विशाखापट्टनम में सौ साल में पहली बार तापमान 43 डिग्री से ऊपर रिकॉर्ड किया गया. हिमालय के ऊंचाई वाले इलाकों में इस बार बर्फ की चादर 45 फीट तक जम चुकी है, जबकि जून के महीने में आम तौर पर सिर्फ तीस फीट तक बर्फ रहती थी. तीसरी बात, जब तटवर्ती इलाकों में तूफान की आशंका है, उसी वक्त दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, आन्ध्र, बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ और उड़ीसा में हीटवेव का एलर्ट जारी किया गया है, जबकि हिमाचल और उत्तरखंड के कई इलाकों में बर्फबारी की चेतावनी दी गई है. यानी जून के महीने में देश में बारिश, बर्फवारी और हीटवेव सब साथ साथ हो रहे हैं. ये ग्लोबल वॉर्मिंग का असर है. इसीलिए वैज्ञानिक बार बार प्राकृतिक आपदाओं की चेतावनी दे रहे हैं और सरकार उसी के हिसाब से रणनीति बना रही है.
भारतीय लोकतंत्र को जैक डोर्सी से प्रमाणपत्र नहीं चाहिए
ट्विटर के पूर्व CEO जैक डोर्सी के एक बयान को लेकर विरोधी दलों ने सरकार के ख़िलाफ़ हल्ला बोल दिया. एक इंटरव्यू में जैक डोर्सी ने दावा किया था कि जब वो ट्विटर के CEO थे, तो भारत सरकार ने उन पर बहुत दबाव डाला था. सरकार की आलोचना करने वालों के ट्विटर एकाउंट्स बंद करने को कहा था, किसान आंदोलन की ख़बरें रोकने को कहा था. जैक डोर्सी का ये बयान जैसे ही ट्विटर पर ट्रेंड करने लगा, वैसे ही विपक्षी दल मैदान में आ गए. किसी ने प्रधानमंत्री को कायर कहा. किसी ने नरेन्द्र मोदी को डरपोक कहा, किसी ने मोदी को तानाशाह बताया, लेकिन सरकार ने जैक डोर्सी के बयान को सिरे से खारिज कर दिया, इसे सफेद झूठ बताया. हालांकि जैक डोर्सी अब टिवटर के साथ नहीं हैं, वो फिलहाल BLOCK नाम से अपना फिनांशियल एप चला रहे हैं, जिसका शायद लोग नाम भी न जानते हों, लेकिन जैक ने अब ये बयान क्यों दिया, इसकी वजह तो जैक डोर्सी ही जानते होंगे. जैक डोर्सी के बयान पर दुनिया के किसी देश में कोई चर्चा भी नहीं हुई, लेकिन हमारे देश में उनके बयान को हाथों-हाथ लिया गया. कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, उद्धव ठाकरे की शिव सेना, NCP जैसे तमाम दलों ने जैक डोर्सी के बयान का हवाला देकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर हमला किया. कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत तो हिटलर और मोदी की फोटो लेकर आईं, दोनों तस्वीरें साथ साथ दिखा और कहा, तानाशाह डरपोक है, मोदी कायर है. पहली बात तो ये कि जिन जैक डोर्सी की बात को लेकर इतनी हाय-तौबा मचाई जा रही है, वो कोई दूध के धुले नहीं हैं. 2020 के अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में उनकी भूमिका पक्षपातपूर्ण रही थी. इसको लेकर उनकी काफी आलोचना हुई थी. दूसरी बात, हमारे देश में लोकतान्त्रिक मूल्य जीवित हैं, या उनकी हत्या कर दी गई, ये बताने के लिए हमें किसी अमेरिकन कंपनी के फॉर्मर सीईओ की जरूरत नहीं. अगर किसी की जिद है कि किसी अमेरिकन से ही सर्टिफिकेट लेना है तो जो बाइडेन की बात सुननी चाहिए. बाइडेन ने मोदी को फेमिली डिनर पर बुलाया है. तीसरी बात, ये कमेंट ऐसे वक्त में आए हैं, जब भारत के प्रधानमंत्री अमेरिका की राजकीय यात्रा पर जाने वाले हैं. ये कोई सीक्रेट नहीं है कि मोदी की ये अमेरिका यात्रा ऐतिहासिक है. व्हाइट हाउस में भारत के प्रधानमंत्री के सम्मान में डिनर, वॉशिंगटन में हमारे प्रधानमंत्री का अमेरिकी संसद की संयुक्त बैठक में दूसरी बार संबोधन, अमेरिका के साथ रक्षा सौदों की तैयारी, ये सब किसी व्यक्ति से नहीं, हमारे देश के मान सम्मान से जुड़ी बात है. इसलिए ट्विटर के फॉर्मर सीईओ की बातों की परछाईं इस पर न पड़े, ये हम सबको सोचना है. चुनाव के साल में बहुत से लोग बहुत सी बाते कहेंगे, लेकिन अपने झगड़े, अपने मतभेद, हम अपने यहां सुलाझाएं तो बेहतर होगा. भारत की राजनीति को किसी भी तरह से विदेशी ताकतों के हाथ की कठपुतली न बनने दें, ये सबको सुनिश्चित करना होगा. वैसे हमारी आदत है कि कोई अमेरिकन या ब्रिटिश कुछ कह दे तो उसे परम सत्य मान लेते हैं.
हरियाणा : किसान हित कम, राजनीति चमकाने का मौका
हरियाणा के कुरक्षेत्र में किसानों द्वारा 33 घंटे से लगाया गया हाईवे जाम मंगलवार शाम को खत्म हो गया. मुद्दा था सूरजमुखी के दामों का, किसान धरने पर बैठे थे. कई दौर की बातचीत के बाद सरकार ने किसान संगठनों की मांगे मान लीं. जिला प्रशासन ने भरोसा दिलाया है कि सरकार किसानों से समुचित दाम पर सूरजमुखी की फसल खरीदेगी और किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी और आठ अन्य लोगों को जेल से रिहा करेगी. प्रशासन ने किसानों के खिलाफ दायर मामलों को वापस लेने का आश्वसन भी दे दिया है. ये अच्छी बात है कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर की सरकार ने किसानों की बात मान ली. लेकिन किसानों का आंदोलन खत्म नहीं होगा. इसका इशारा राकेश टिकैत की बात से मिल गया. राकेश टिकैत जानते हैं कि अगले साले लोकसभा चुनाव है. हरियाणा में भी विधानसभा चुनाव होंगे. इसलिए सरकार पर दबाव बनाने का ये अच्छा मौका है. गुरनाम सिंह चढूनी ने पिछले आंदोलन के वक्त ही पार्टी बनाकर चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया था, उस वक्त उनकी तमन्ना पूरी नहीं हो पाई. हो सकता है, इस बार हो जाए, और इसके लिए फिर से आंदोलन की भूमिका बन रही है. कुल मिलाकर मामला किसानों के हित का कम, अपनी राजनीति चमकाने का ज्यादा है.
GUJARAT CYCLONE : PREPARING FOR THE WORST
Gujarat is bracing up for a very severe cyclonic storm ‘Biparjoy’ (meaning disaster in Bengali) which is supposed to make a landfall by Thursday night at a maximum speed of 150 km per hour. As the cyclone nears Gujarat coast, parts of Saurashtra-Kutch region witnessed heavy rains on Wednesday. More than 34,000 people have been evacuated to safer places in Kutch, while nine towns have been completely shut down. BSF jawans are providing shelter to people in their border outposts in Kutch, while Bhuj airport has been closed till Friday. Sixty-nine trains have been cancelled and 33 trains have been short terminated. On Wednesday afternoon, the cyclone was centred 290 km west south-west of Dwarka and 280 km away from Jakhau port. The last severe cyclone that Gujarat witnessed was nearly 25 years ago, in 1998, when more than 100 people lost their lives amidst big devastation. The number of natural disasters has increased and their intensity has also increased. Earlier, cyclonic storms used to last for two to five days, but Cyclone Biparjoy, that rose from Arabian Sea six days ago, will continue to wreak havoc for ten days. An IIT Madras study says, cyclonic storms in Arabian Sea have started increasing due to global warming. In the last four decades, the duration of cyclonic storms has registered a 260 per cent increase. Global warming is not only causing cyclonic storms, but also unseasonal rains, snowfall, excessive heat wave and drought. The coastal city of Visakhapatnam in Andhra Pradesh has witnessed a maximum temperature of 43 degree Celsius, which is said to be the highest in the last 100 years. On Himalayan heights, snow sheets 45 feet deep were noticed this year, whereas in June, snow used to be hardly up to 30 feet. On one hand, cyclonic storms threaten both western and eastern coasts, and on the other hand, an orange heat wave alert has been issued for Delhi NCR, Punjab, Haryana, Andhra Pradesh, Bihar, Jharkhand, Chhattisgarh and Odisha. Snowfall has taken place in Himachal Pradesh and Uttarakhand. In a nutshell, India is witnessing cyclone, rains, snowfall and heatwave simultaneously in the month of June. This is due to global warming. Scientists have been warning about natural disasters due to global warming and it is time for governments to wake up and take notice.
INDIA DOES NOT NEED JACK DORSEY’S CERTIFICATE
India has described former Twitter CEO Jack Dorsey’s allegation as “an outright lie” that the Modi government had threatened Twitter with shutdown and raids on its employees. “No one went to jail, nor was Twitter shut down”, said Minister of State for Electronics and IT, Rajeev Chandrashekhar. The minister alleged that Twitter was not complying with Indian laws repeatedly from 2020 to 2022, during Dorsey’s tenure. “Our focus was only on ensuring the compliance of Indian laws”, he said. Opposition leaders from Congress, Aam Aadmi Party, Shiv Sena (UT) and NCP alleged that Dorsey’s revelation has proved that the Modi government has been exerting pressure on Twitter to stifle freedom of expression. Let me put the record straight. First, Jack Dorsey is not so innocent as he seems to be. His role as CEO of Twitter during the US presidential elections in 2020 was partisan, and he had to face criticism. Secondly, to judge whether democratic values are alive or being crushed in India, does not need corroboration from a former CEO of an American company. If somebody insists on taking certificates from the US, one must hear what US President Joe Biden is going to say during Prime Minister Narendra Modi’s US visit. Biden has invited Modi to a family dinner. Thirdly, Dorsey’s comment comes at a time when India’s Prime Minister will be going on a state visit to USA. This visit is going to be a historic one. Modi will be addressing the joint session of US Congress in Washington. A big defence deal between India and the US is in the works. This is not related to an individual, but it is linked to the prestige of our great nation. A former Twitter CEO’s remarks must not cast a shadow on India-US relations. We must think about that. In an election year, sundry people are going to say things, but it would be better if we iron out our differences and quarrels, here in India. We must not allow Indian politics to become puppet in the hands of foreign forces. All of us will have to ensure this. Usually, it is our habit to consider any American or a British personality saying something about India as pure gospel. Since Jack Dorsey also alleged that Indian government tried to pressurize Twitter to block accounts related to farmer protests, farmer leaders like Rakesh Tikait have welcomed his remark.
HARYANA: FARMERS CALL OFF PROTEST
Protesting farmers, blocking the National Highway in Haryana for more than 33 hours, called off their protest on Tuesday evening after the Kurukshetra district administration assured them of “appropriate price” for purchase of sunflower seeds and release of farmer leader Gurnam Singh Chaduni and others who were arrested on June 6. It is good that Chief Minister Manohar Lal Khattar’s government in Haryana has accepted the demands of farmers. But Rakesh Tikait and his followers are not going to give up. With Lok Sabha elections scheduled for next year, and assembly elections in Haryana early next year, Tikait finds this an opportune time to pile up pressure on the government. Another farmer leader Gurnam Singh Chaduni had declared his intentions to contest elections by forming a party. The farmers’ protest seems to be a precursor to his poll preparations. In a nutshell, it is not farmers’ interest but a plan to reap political harvest.
अयोध्या में राम मंदिर : 500 साल का इंतज़ार खत्म
सबसे पहले अच्छी खबर. अगले साल 22 जनवरी को रामभक्तों का 500 सालों का इंतजार खत्म हो जाएगा. 2024 में, सोमवार के दिन, 22 जनवरी को ,अयोध्या में भव्य राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होगी. उसके बाद राममंदिर भक्तों के लिए खुल जाएगा. रामजन्म भूमि तीर्थ क्षेत्रट्रस्ट ने प्राण प्रतिष्ठा के कार्यक्रम का निमंत्रण प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को भेजा था. इंडिया टीवी के पॉलिटिकल एडीटर देवेन्द्र पाराशर ने जानकारी दी है कि प्रधानमंत्री कार्यालय ने 22 जनवरी की तिथि पर सहमति दे दी है. मोदी अयोध्या में 22 जनवरी को होने वाले एतिहासिक कार्यक्रम में मुख्य अतिथि होंगे और रामलाल की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा करेंगे. अयोध्या में बन रहे भव्य और दिव्य राम मंदिर के गर्भगृह का काम करीब करीब पूरा हो गया है. गर्भगृह में ही रामलला विराजमान होंगें, जिसके दरवाजों में स्वर्ण कलाकृतियां बनाई जाएंगीं. राम लला के गर्भगृह में मकराना के संगमरमर का इस्तेमाल किया गया है. गर्भ गृह के अलावा मंदिर में पांच मंडप हैं – गूढ़ मंडप, रंग मंडप, नृत्य मंडप, प्रार्थना मंडप और कीर्तन मंडप. इन पांचों मंडपों के गुंबद का आकार 34 फीट चौड़ा और 32 फीट लंबा है. मकर संक्रांति के एक हफ्ते के बाद शुभ मुहूर्त में 22 जनवरी को प्राण प्रतिष्ठा भी हो जाएगी. राम लला की प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम करीब सात दिनों तक चलेगा, जिसके बाद देश-विदेश से आने वाले भक्त नए मंदिर में राम लला के दर्शन कर पाएंगे. गर्भगृह के प्लिंथ का काम पूरा हो चुका है, मंदिर की दीवारें भी बन चुकी हैं. अब दीवारों पर नक्काशी का काम हो रहा है. आजकल राममंदिर में रामलला के गर्भगृह के ऊपरी हिस्से पर निर्माण कार्य चल रहा है. ये काम चार महीने के बाद अक्टूबर तक पूरा हो जाएगा. इसके बाद मंदिर में लकड़ी का काम शुरू होगा. इसमें मंदिर के दरवाजे, खिडकियां और लकड़ी की नक्काशी का काम होगा. मंदिर में द्वार बनाने के लिए महाराष्ट्र के चंद्रपुर से सागौन की लकड़ी अयोध्या पहुंच चुकी है. चन्द्रपुर की सागौन की लकड़ी सबसे अच्छी और मजबूत मानी जाती है. इसकी लाइफ कम से कम एक हजार साल तक होती है. लड़की का काम शुरू होने से पहले काष्ठ पूजा इसी महीने के अन्त तक हो सकती है, जिसमें उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे मौजूद रहेंगे. राम लला का भव्य मंदिर कई मायनों में बेहद खास है. ये भूकंपरोधी इमारत है. दावा ये किय़ा जा रहा है कि राम मंदिर को अगले 1 हजार साल तक किसी प्रकार की कोई क्षति नहीं होगी. 161 फीट ऊंचे मंदिर में कहीं भी लोहे का इस्तेमाल नहीं किया गया है. पत्थर को जोड़ने के लिए तांबे की छड़ों का इस्तेमाल किया गया है. 392 नक्काशीदार खंभों पर टिके मंदिर के गर्भ गृह को सफेद मार्बल से बनाया जा रहा है. मंदिर में दरवाजे की चौखट, फर्श, गर्भ गृह का द्वार भी मकराना के सफेद मार्बल से बनाया जा रहा है. इस पत्थर पर बारीक नक्काशी भी की जा रही है, जो देखने में अद्भुत है. मकराना के सफेद मार्बल की खासियत होती है कि ये 100 साल तक अपना रंग नहीं बदलते . मकर संक्रांति से पहले मंदिर का पहला फ्लोर पूरा तरह तैयार हो जाएगा. 22 जनवरी को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद मंदिर भक्तों के लिए खोल दिया जाएगा. इसके बाद 71 एकड़ में फैले परिसर में दूसरे मंदिर और मंडप बनाने का काम चलता रहेगा. राम मंदिर करोड़ों लोगों की श्रद्धा का केंद्र है, इसलिए इसका निर्माण एक राजनीतिक संदेश भी होगा. राम मंदिर का निर्माण प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के उन ऐतिहासिक संकल्पों में से एक है, जिसे उन्होंने सिद्धि तक पहुंचाया. 5 अगस्त 2020 को मोदी ने राम मंदिर की आधार शिला रखी थी और सिर्फ साढ़े तीन साल में ये मंदिर बनकर तैयार हो रहा है. जिस रफ्तार से ये काम हुआ वो अपने आप में एक बड़ी उपलब्धि है. हैरानी की बात ये है कि आजादी के बाद नरेन्द्र मोदी ऐसे पहले प्रधानमंत्री थे जिन्होंने अयोध्या जाकर रामलला के दर्शन किए. इसके बाद उन्हीं के कार्यकाल में अब रामलला टेंट से निकलकर भव्य और दिव्य राम मंदिर में विराजेंगे. जाहिर है अगले लोकसभा चुनाव में बीजेपी इसे अपनी एक बड़ी उपलब्धि के तौर पर पेश करेगी. विरोधी दल भी इस बात को समझ रहे हैं.
कांग्रेस : नई हिन्दू पार्टी
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने मध्यप्रदेश में कांग्रेस के चुनाव अभियान की शुरूआत सोमवार को नर्मदा पूजन से की. प्रियंका जबलपुर पहुंची. जबलपुर को मध्यप्रदेश की संस्कार राजधानी कहा जाता है. यहीं से नर्मदा के तट पर खड़े होकर प्रियंका गांधी ने कांग्रेस के कैंपेन का शंखनाद किया. इस मौके पर प्रियंका के साथ पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ और अन्य कांग्रेस नेता मौजूद थे. ग्वारीघाट पर 101 ब्राह्मणों के साथ प्रियंका गांधी ने करीब 20 मिनट तक मां नर्मदा की आरती की. जबलपुर में प्रियंका के प्रोग्राम में वो सारे नज़ारे दिखे, जो आमतौर पर बीजेपी के प्रोग्राम्स में दिखते हैं. अबये साफ हो गया है कि कांग्रेस चुनाव के दौरान सॉफ्ट हिन्दुत्व के रास्ते पर नहीं, पूरी तरह से हिन्दुत्व और भक्ति के मार्ग पर चलेगी. विधानसभा चुनाव में कांग्रेस मध्य प्रदेश में खुलकर हिंदुत्व की पिच में बैटिंग कर रही है. जबलपुर में प्रियंका गांधी के स्वागत में पार्टी के झंड़े बैनर और नेताओं की तस्वीरों के साथ साथ बजरंगबली की फोटो, चौराहों पर बजरंग बली की गदा भी दिखाई दी. शहर में हनुमान जी का भेष बनाए हुए कांग्रेस के कार्यकर्ता भी दिखे. कुल मिलाकर माहौल भक्तिमय था, लेकिन रैली में बातें सियासी हुईं. प्रियंका ने कांग्रेस की तरफ से पांच वादे किए, कहा, महिलाओं को हर महीने 1500 रूपए मिलेंगे, गैसे सिलेंडर पांच सौ रूपए में मिलेगा, 100 यूनिट बिजली मुफ्त होगी, पुराने पेंशन स्कीम लागू होगी, किसानों के कर्ज भी माफ होंगे. कर्नाटक के बाद अब कांग्रेस को मध्य प्रदेश से भी बड़ी उम्मीदें हैं. कर्नाटक की तरह मध्य प्रदेश में भी कांग्रेस ने गारंटी देनी शुरू कर दी हैं. चूंकि मध्य प्रदेश के लोग धार्मिक हैं, भक्ति भाव से भरे हुए हैं, इसलिए कांग्रेस ने सॉफ्ट हिन्दुत्व का रास्ता छोड़कर हार्ड हिन्दुत्व का मार्ग पकड़ा है. कमलनाथ पहले से ही पूरे मध्य प्रदेश में हनुमान चालीसा और भागवत कथा का आयोजन करवा चुके हैं. प्रियंका गांधी ने नर्मदा की आरती से चुनाव मुहिम की शुरूआत करके कांग्रेस की रणनीति स्पष्ट कर दी है, लेकिन कांग्रेस के नेता जानते हैं कि बीजेपी से उसकी पिच पर जाकर मुकाबला करना आसान नहीं होगा. शिवराज सिंह चौहान ने इस मामले में कड़े मुकाबले के संकेत दे दिए हैं. प्रियंका ने नर्मदा की आरती की, तो शिवराज चौहान ने कटनी में हरिहर तीर्थ की आधारशिला रख दी. कटनी में जगद्गुरु रामभद्राचार्य और स्वामी अवधेशानंद गिरी महाराज के साथ हरिहर तीर्थ का भूमिपूजन कर दिया. विजयराघवगढ़ विधानसभा के राम राजा पहाड़ पर इस तीर्थ क्षेत्र का निर्माण कार्य करवाया जाएगा, जिसे हरिहर तीर्थ का नाम दिया गया है. बंजारी के रामराजा पहाड़ पर चारों धाम के दर्शन होंगे, यहां 108 फीट ऊंची अष्टधातु से बनी भगवान परशुराम की प्रतिमा स्थापित होगी. बीजेपी के नेता तो हमेशा से राम मंदिर के निर्माण की बात करते आए हैं. नरेंद्र मोदी के 9 साल के शासन में काशी विश्वनाथ मंदिर और उज्जैन के महाकाल को भव्य स्वरूप दिया गया, पर कांग्रेस के बड़े बड़े नेता नर्मदा की आरती करें, हनुमान चालीसा का पाठ करें, .कांग्रेस के कार्यालयों में भगवा ध्वज लहराएं, ये कांग्रेस की राजनीति में बड़ा बदलाव है. पहले कांग्रेस के नेता राम का नाम लेने से कतराते थे, हनुमान मंदिर में जाने से बचते थे, अब नज़ारा बदल गया है. इसीलिए इस बार मध्य प्रदेश का चुनाव दिलचस्प रहेगा. कांग्रेस और बीजेपी के बीच इस बात का मुकाबला देखने को मिलेगा कि कौन बड़ा हिन्दुत्ववादी है, कौन हिन्दुओं का बड़ा पैरोकार है, किसकी भक्ति ज्यादा सच्ची है. बीजेपी इस मामले में थोड़ा फायदे में है क्योंकि बीजेपी की छवि हिन्दू समाज के अधिकारों के लिए लड़ने वाली पार्टी की रही है. शिवराज सिंह चौहान कांग्रेस की भक्ति को चुनावी बताएंगे और खुद को प्रखर हिन्दुत्ववादी साबित करेंगे, कांग्रेस के लिए थोड़ा मुश्किल होगा क्योंकि अब तक तो कांग्रेस के नेता दरगाहों पर चादर चढ़ाते नजर आते थे. कांग्रेस हिन्दुओं के वोट लेना चाहती है लेकिन मुसलमानों को नाराज भी नहीं करना चाहती. इसीलिए अमेरिका के शिकागो में AIMIM के मुखिय़ा असद्दुदीन ओवैसी ने कहा कि कांग्रेस जो काम बारीकी से करती है, वही काम बीजेपी खुलकर करती है.
उत्तरकाशी : ओवैसी के आरोप का कोई औचित्य नहीं
उत्तरकाशी में लव जिहाद के मुद्दे पर इस वक्त तनाव है. पिछले दिनों एक मुस्लिम युवक ने एक नाबालिग हिंदू लड़की को अपने साथ भगा ले जाने की कोशिश की थी. हिंदू संगठनों ने इसे लव जिहाद का मामला बताकर आरोपियों के ख़िलाफ़ कड़ी कार्रवाई की मांग की. 15 जून को उत्तरकाशी के हिंदू संगठनों ने इस मसले पर महापंचायत बुलाई है. नगर में कुछ जगहों पर मुसलमानों की कुछ दुकानों पर पोस्टर चिपकाए गए हैं. उनसे शहर छोड़कर जाने के लिए कहा गया है. हिंदू संगठन पिछले कई दिनों से लव जिहाद के ख़िलाफ़ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. 10 जून को स्थानीय लोगों ने एक पंचायत की थी और लव जिहाद की घटना के ख़िलाफ़ अपनी दुकानें बंद रखी थीं. तीर्थ पुरोहितों का कहना है कि विरोध प्रदर्शन शान्तिपूर्ण रहे. लोगों को कानून हाथ में नहीं लेना चाहिए लेकिन अपनी संस्कृति को बचाने के लिए लव जिहाद का विरोध जरूरी है. सरकार को ऐसी घटनाएं रोकने के लिए कड़ा कानून बनाना चाहिए. उत्तराखंड पुलिस मुसलिम दुकानदारों की सुरक्षा का भरोसा दे रही है, लेकिन AIMIM के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी का कहना है कि सुरक्षा के वादों से क्या होगा, भड़काऊ बयान दिए जा रहे हैं, मुसलमानों को दुकानें बंद करने को कहा जा रहा है. ओवैसी ने अमेरिका में उत्तरकाशी की घटना को हिटलर के दौर के जर्मनी से जोड़ दिया, कहा, हिटलर के राज में जिस तरह यहूदियों के घरों पर स्टार ऑफ डेविड का निशान बनाकर, उन्हें टारगेट किया जाता था, आज वही हाल बीजेपी के शासन वाले राज्यों में हो रहा है. उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी कह रहे हैं कि उनकी सरकार इस मामले को लेकर गंभीर है, संवेदनशील है. धामी ने खुद उत्तरकाशी जाकर लोगों से मुलाक़ात की. ये सही है कि पिछले कुछ दिनों में उत्तरकाशी की कुछ तस्वीरें सोशल मीडिया पर सर्कुलेट हुईं, जिनमें कुछ दुकानों के बाहर क्रॉस का निशान लगा था, कुछ पोस्टर्स सर्कुलेट हुए जिनमें कहा गया था कि बाहरी मुसलमान 15 जून से पहले यहां से चले जाएं. इस तरह के पोस्टर्स चिंता की बात है. सरकार ने इसको गंभीरता से लिया है. पुलिस ने सख्त रूख अपनाया है, ये अच्छी बात है. मुस्लिम भाइय़ों को भी अपना कारोबार करने का, तरक्की करने का उतना ही हक है, जितना किसी दूसरे धर्म के लोगों को, लेकिन अगर कहीं कोई घटना होती है, कुछ लोग शरारत करते हैं, किसी मुद्दे को लेकर लोगों में थोड़ी बहुत नाराजगी है, तो इसके आधार पर ये कहना ठीक नहीं है कि मुसलमानों के साथ हिन्दुस्तान में वैसा ही सलूक हो रहा है जैसा हिटलर के दौर में जर्मनी में यहूदियों के साथ हुआ था. ओबैसी के इस तरह के बयान का कोई औचित्य नहीं है. अमेरिका में जाकर राहुल गांधी ने भी इसी तरह की बातें की थी, अमेरिका के मीडिया के एक हिस्से में भारत को लेकर इसी तरह की अवधारणा बनाने की कोशिश की गई. कुछ मामलों में पाकिस्तानी प्रचार तंत्र का रोल दिखाई देता है, इसलिए विदेश में जाकर कुछ भी कहने से पहले हमारे नेताओं को सावधान रहने की जरूरत है.
AYODHYA RAM TEMPLE : 500 YEAR WAIT IS OVER
First, the good news. The nearly 500-year-long wait for the Ramjanmabhoomi Temple will be over on January 22 next year. On that Monday, devotees of Lord Rama can enter the huge temple after the installation (Pran Pratistha) of the idol of Ram Lalla (young Rama). Almost 500 years ago, at this spot, Babri Masjid was built in 1528-29 after the demolition of Ramjanmasthan temple by a commander of Mughal emperor Babur. The Ram Janmabhoomi Teerth Kshetra Trust has sent an invitation to Prime Minister Narendra Modi to attend the historic ceremony on January 22. India TV political editor Devendra Parashar reports that the PMO has accepted the invitation. The Prime Minister will be the chief guest at the ceremony to instal the idol of Ram Lalla. The plinth work of the sanctum sanctorum is almost complete and carving work on the wooden doors is in progress. Golden inlay work will be done on the doors and the famous Makrana marble has been used inside the sanctum sanctorum. Teak wood from Chandrapur, Maharashtra, which has a durability of more than a thousand years, will be used to build the doors. The ‘kaastha pooja’ (wood ceremony) will take place this month-end. It will be attended by Maharashtra CM Eknath Shinde and UP CM Yogi Adityanath. In the temple complex, there will be five ‘mandaps’, each 35 feet wide and 32 feet long. The installation date January 22 falls a week after the annual Makar Sankranti. The ceremony will continue for seven days and devotees from India and abroad are expected. The 161-feet high Ram Temple is quake resistant and can withstand weather disturbances for more than a thousand years. No iron has been used in the entire temple complex. Copper rods have been used to fix the stone slabs. 392 beautifully carved pillars support the sanctum sanctorum made of white marble. The famous Makrana marble never changes colour even after a hundred years. The first floor of the temple will be ready before next year’s Makar Sankranti (January 14). The Ram Janmabhoomi Temple is the centre of faith for millions of Hindus spread across India and the rest of the globe. It has been one of the several ‘sankalp’(resolves) of Prime Minister Narendra Modi. It was Modi who laid the foundation of the temple on August 5, 2020, and the temple is now ready to be opened in three and a half years. This is a big achievement. It is surprising that Narendra Modi was the first Prime Minister of India, who visited Ayodhya for the ‘darshan’ of Ram Lalla, when it was inside a makeshift tent after the demolition of Babri mosque. And it is during his tenure as PM, that Ram Lalla will be shifted from a tent to the gorgeous new temple. The ruling BJP is naturally going to project this as one of its great achievements. The opposition leaders do understand its nuances for the common voters.
CONGRESS : THE NEW HINDU PARTY
Congress general secretary Priyanka Gandhi was in Jabalpur on Monday to address a party rally to launch its Madhya Pradesh election campaign. Before addressing the rally, she went to the banks of river Narmada, considered sacred by Hindus, and along with former CM Kamal Nath and other leaders, performers prayers at Gwari Ghat, in front of 101 Brahmins. It is now clear that the Congress, instead of adopting a soft Hindutva stance, will go all out to woo Hindus through the path of devotion. On the roads leading to the rally grounds, Congress displayed posters of Bajrangbali holding a mace, while several party workers, dressed as Lord Hanuman, went to the rally. At the rally, Priyanka Gandhi announced ‘5 guarantees’ if Congress was brought to power in MP. These promises include Rs 1,500 monthly assistance to every eligible woman, LPG cylinders at Rs 500 each, 100 units of free electricity, and implementation of old pension scheme for government staff. After its victory in Karnataka assembly elections, Congress has pinned its hopes on Madhya Pradesh by announcing ‘5 guarantees’, as it did in Karnataka. Since most of the Hindu voters in MP are religious in nature, the party has decided to abandon its soft Hindutva line and project itself as a proponent of hardline Hindutva. Already, Kamal Nath had been organizing Hanuman Chalisa recitation and Bhagwad Katha across Madhya Pradesh, and Priyanka Gandhi has approved this line by performing ‘aarti’ of river Narmada. Congress leaders, however, know that it would not be easy to counter BJP on Hindutva pitch. While Priyanka was performing prayer of Narmada, MP chief minister Shivraj Singh Chouhan laid the foundation of Harihar Teerth temple in Katni on Monday, in the presence of Jagatguru Rambhadracharya and Swami Avadheshananda Giri. BJP leaders, since the Nineties, have been espousing the cause of Ram Temple in Ayodhya, and Prime Minister Narendra Modi has changed the face of Kashi Vishwanath temple and Ujjain Mahakaal shrine during his nine years’ tenure. Congress leaders are now following the Hindutva path, by performing ‘aarti’ of Narmada, reciting Hanuman Chalisa and even hoisting saffron flags on party offices. This is a sea change in Congress politics. Earlier, Congress leaders used to baulk on uttering ‘Jai Shri Ram’, and refrained from visiting Hanuman temples. The situation has now completely changed. The assembly election this year in Madhya Pradesh will be really interesting. Both BJP and Congress are in the race projecting themselves as real proponents of Hindutva. BJP seems to be slightly ahead in the race because the party has been known to publicly espouse the rights of Hindu community. Shivraj Singh Chouhan is going to label the new-found ‘devotion’ of Congress as poll-oriented. For Congress leaders, to prove that they are staunch Hindutva supporters will be a tall order. Till last year, Congress leaders used to go to dargahs to offer ‘chadar’, but now their strategy has changed. In faraway Chicago, USA, AIMIM chief Asaduddin Owaisi explained to his audience the difference between Congress and BJP on the issue of Hindutva. He said, ‘what Congress is doing in a subtle manner, BJP does it openly’.
OWAISI’S COMMENTS ON UTTARKASHI INCIDENT UNJUSTIFIED
There is tension in the small town of Uttarkashi in Uttarakhand after a ‘love jihad’ incident. Hindu outfits have called a Mahapanchayat on June 15 (Thursday), and prior to this, posters have appeared in the town asking Muslim shopkeepers to leave the town. Hindu outfits have been staging protests after a ‘love jihad’ incident. On Saturday, Hindu traders closed their shops and held a panchayat. Temple priests have been appealing to people to maintain peace, but at the same time, asked authorities to enact a strong law to stop ‘love jihad’ cases. V. Murugesan, Additional DGP (Law and Order) of Uttarakhand said, till now, no complaint has come from any shopkeeper of Hindu outfits threatening people to leave the town. In Chicago, USA, Asaduddin Owaisi compared this threat with Hitler’s Germany. He alleged that Muslims are being targeted like the Jews who were targeted in Germany during Hitler’s rule. Uttarkhand CM Pushkar Singh Dhami went to Uttarkashi and met local residents. He warned of strict action against anybody going against the law. It is true that some pictures have been circulated on social media of some shops in Uttarkashi bearing cross sign, and posters shown asking ‘outsider Muslims’ to quit the town by June 15. Such threats are worrying and the state government has also taken it seriously. Muslim shopkeepers have the same right as Hindus to engage in trade, but it is unjustified to allege, on the basis of such posters, that Muslims in India are being given the same treatment that the Jews got in Hitler’s Germany. Such a remark from a barrister like Owaisi is highly unjustified. Congress leader Rahul Gandhi also made some comments in the US, and a section of American media tried to create a wrong perception about India. In some cases, the role of Pakistan’s propaganda machine is evident. Indian leaders should be careful before making such comments outside the country.
बृज भूषण को गवाह ने किया बेनक़ाब
भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष बृज भूषण शरण सिंह के बारे में एक बहुत बड़ा खुलासा हुआ है. अब तक वो कहते थे, मेरे खिलाफ सबूत ले आओ, गवाह ले आओ, मैं फांसी पर लटक जाऊंगा. शुक्रवार को गवाह और सबूत कैमरे के सामने आए. ये गवाह हैं, कुश्ती के अन्तरराष्ट्रीय रैफरी जगबीर सिंह. रैफरी ने कहा कि उन्होंने कई बार बृजभूषण शरण सिंह को महिला पहलवानों के साथ अश्लील हरकतें करते देखा है. जगबीर सिंह इससे पहले दिल्ली पुलिस के सामने भी अपना बयान दर्ज करवा चुके हैं. बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ महिला पहलवानों ने जो इल्जाम लगाए उनकी जांच के दौरान पुलिस ने जिन 125 लोगों के बयान दर्ज किए, उस लिस्ट में जगबीर सिंह का नाम भी है. जगबीर सिंह ने कहा कि महिला पहलवानों ने जो इल्जाम लगाए हैं, वो बिल्कुल सही हैं. लड़कियों के साथ बृजभूषण शरण सिंह ने गलत हरकतें की. दिल्ली पुलिस ने जगबीर सिंह से तो सिर्फ लखनऊ में टीम के सिलैक्शन के दौरान एक महिला रेसलर्स को गलत तरीके से छुए जाने के इल्जाम के बारे में पूछा लेकिन जगबीर सिंह ने इंडिया टीवी को इस काले कारनामे के अलावा कई और शर्मनाक हरकतों के दिन, तारीख, जगह और मौकों के बारे में बताया, जब बृजभूषण शरण सिंह ने महिला पहलवानों को गलत तरीके से छूने की कोशिश की. हमारे संवाददाता अभय पाराशर ने जगबीर सिंह से बात की. बृजभूषण शरण सिंह को लेकर हंगामे से दूर जगबीर सिंह आज भी पहलवानों को कुश्ती के गुर सिखा रहे हैं. वो आजकल दिल्ली के चंदगीराम अखाड़े में ट्रेनिंग दे रहे हैं. इसी अखाड़े में जाकर अभय पाराशर ने जगबीर सिंह से बात की. बृजभूषण सिंह के खिलाफ पहलवानों ने जो FIR दर्ज करवाई है, उसमें लखनऊ की घटना का जिक्र है. आरोप ये है कि फोटो सेशन के दौरान बृजभूषण शरण सिंह ने एक लड़की को गलत तरीके से touch किया. बृजभूषण की इस हरकत से लड़की बुरी तरह सहम गई. जगबीर सिंह ने कहा कि ये इल्जाम बिल्कुल सही है. उन्होंने अपनी आंखों से इस घटना को देखा, लड़की बुरी तरह डर गई थी, वहां से भागी और बृजभूषण से दूर जाकर खड़ी हो गई. जगबीर सिंह ने कहा कि ये घटना पिछले साल 25 मार्च की है. लखनऊ में उस वक्त सीनियर एशियन कुश्ती चैम्पियनशिप के लिए ट्रायल चल रहा था. ये चैम्पियनशिप मंगोलिया में होने वाली थी. ट्रायल खत्म होने के बाद फोटो सेशन में सभी पहलवान, कोच और खिलाड़ी फे़डरेशन के अध्यक्ष के साथ फोटो खिंचवा रहे थे, उसी वक्त बृजभूषण ने एक हैवीवेट महिला पहलवान के साथ गलत हरकत की.
जगबीर सिंह ने लखनऊ की घटना के बारे में पुलिस को बता दिया है लेकिन उन्होंने कहा कि पुलिस ने लखनऊ के अलावा और किसी मामले में उनसे कुछ पूछा नहीं, इसलिए उन्होंने बताया नहीं. जगबीर सिंह ने कहा कि बृजभूषण इस तरह की हरकतें अक्सर करते थे. अगर पुलिस उनसे दूसरे मामलों के बारे में पूछेगी तो वो इस तरह के कई वाक्यात बता सकते हैं. जगबीर सिंह पुराने पहलवान हैं. तीस साल से ज्यादा वक्त से कुश्ती से जुड़े हैं. 2007 से अन्तरराष्ट्रीय रेफरी के तौर पर काम करते हैं. इंटरनेशनल रेसलिंग में रेफरी जज के तौर पर आखिरी बार 2022 में विदेश गए थे. 13 जून को उन्हें एक बार फिर विदेश जाना था, लेकिन इस बार फेडरेशन ने उन्हें नहीं भेजा. जगबीर सिंह ने कहा कि बृजभूषण ने लखनऊ में जो हरकत की, उस तरह की हरकतें वो तब से करते हैं, जबसे फेडरेशन के अध्यक्ष बने. जगबीर सिंह ने 2013 का किस्सा बताया. कहा, 2013 में थाईलैंड टूर के दौरान बृजभूषण ने पहलवानों के लिए हिन्दुस्तानी खाने का इंतजाम करवाया. डिनर के वक्त जब बृजभूषण वहां पहुंचे तो नशे में थे., उन्होंने नशे की हालत में महिला पहलवानों के साथ गलत हरकत की, उन्हें गलत तरीके से छुआ. जगबीर सिंह की गवाही इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि उन्होंने बृजभूषण के खिलाफ कैमरे के सामने गवाही दी है. एक-एक बात, तारीख के साथ बताई है जबकि बृजभूषण लगातार ये कहते आए हैं कि उनके खिलाफ कोई सबूत नहीं है, यौन शोषण के आरोप लगने के बाद से बृजभूषण जब भी कैमरे के सामने आए या मंच पर कोई भाषण दिया, तो हर बार उन्होंने यही कहा कि अगर उनके खिलाफ किसी के पास कोई सबूत है तो उसे दिखाओ. वो ताल ठोंककर कहते आए हैं कि किस महिला पहलवान के साथ उन्होंने गलत हरकत की, कब की, कहां की, इसका सबूत कोई भी लाकर देगा, तो वो फांसी पर लटक जाएंगे.
जगबीर सिंह ने घटनाओं का ब्यौरा दिया है, बताया है कि बृजभूषण लड़कियों पर हमेशा गलत नजर रखते हैं. हालत ये थी कि फैडरेशन का अध्यक्ष बनने के बाद बृजभूषण ने ये नियम बना दिया था कि लड़कियों की कुश्ती के मैट उनके मंच के सामने ही लगेंगे, और 2012 के बाद से ऐसा ही हो रहा था. हर कॉम्पटीशन में वो महिला पहलवानों की रेसलिंग मैट अपने स्टेज के सामने ही लगवाते थे. जगबीर सिंह ने एक और खुलासा किया, बताया कि जब भी वो फैडरेशन के अध्यक्ष के तौर पर इंटरनेशनल टूर्नामेंट्स में शामिल होने विदेश जाते थे तो उनकी हमेशा यही कोशिश रहती थी कि वो उसी होटल में रुके, जहां महिला पहलवान ठहरी हैं. जगबीर सिंह ने बताया कि 2022 में बुल्गेरिया में कुश्ती चैम्पियनशिप थी, एक दिन सुबह-सुबह पहलवान प्रैक्टिस कर रहे थे, तभी वहां बृजभूषण पहुंच गए और महिला पहलवानों को कुश्ती के दांव सिखाने लगे, इस पर दूसरे देशों के रेफरी ने मज़ाक भी उड़ाया. अब तो पुलिस को मानना पड़ेगा कि देश की चैंपियन बेटियों ने जो आरोप लगाए हैं, उनमें दम है. अब तो प्रत्यक्षदर्शी कह रहा है कि बृज भूषण की पहलवान लड़कियों पर बुरी नजर रहती थी, जब भी मौका मिलता था वो उनके साथ गलत हरकतें करता था. दूसरी बात उस नाबालिग लड़की के बयान को लेकर है जिसकी शिकायत के आधार पर बृज भूषण पर पॉक्सो कानून (Protection of Children from Sexual Offences Act) लगाया जा सकता है. इस लड़की के बयान को लेकर बार बार शक पैदा किया गया है. पहले उस नाबालिग लड़की को बालिग साबित करने की कोशिश की गई. जब ये नहीं हो पाया तो उसका बयान बदलवाने की कोशिश की जा रही है. कभी कहा गया कि उसने बयान वापस ले लिया, कभी कहा गया कि उसने झूठी शिकायत दर्ज करवाई थी, कभी कहा गया कि वो अपनी शिकायत पर कायम है. इन सारी बातों से लगता है कि इस बात की पूरी कोशिश की जा रही है कि किसी तरह बृज भूषण पर पॉक्सो कानून न लगाया जा सके और उन्हें गिरफ्तार करने की नौबत न आए. कुल मिलाकर बृज भूषण हर वो चाल चल रहे थे जिससे केस को कमजोर किया जा सके, लेकिन रैफरी जगबीर सिंह ने सामने आकर बाजी पलट दी. अब लगता है कि और भी गवाह हिम्मत दिखाएंगे , कैमरे के सामने आएंगे, पब्लिक को सच बतताएंगे और बृज भूषण के लिए बचना मुश्किल होता जाएगा .
योगी ने किया एक तीर से दो शिकार
योगी आदित्यनाथ की सरकार ने शुक्रवार को प्रयागराज में माफिया डॉन अतीक अहमद के कब्जे से छुड़ाई गई जमीन पर 76 फ्लैट बनाकर बेघर लोगों को सौंप दिए. ये फ्लैट प्रयागराज के लूकरगंज इलाक़े में बने हैं. इस जगह पर अतीक अहमद ने अपना ऑफिस और घर बना रखा था. करीब दो साल पहले सरकार ने इस जमीन को कब्जे से मुक्त कराया, अतीक के ऑफिस और घर पर बुलडोजर चला दिया और इसके बाद इस ज़मीन पर प्रधानमंत्री शहरी आवास योजना के तहत गरीबों के लिए 76 फ्लैट बनाए गए. दिसंबर 2021 में ख़ुद योगी आदित्यनाथ ने इन फ्लैट्स का शिलान्यास किया था और सिर्फ 15 महीने के रिकॉर्ड समय से ये फ्लैट बनकर तैयार हो गए. 76 फ्लैट्स के लिए 6071 लोगों ने आवेदन किया, 1595 लोग इस स्कीम के लिए योग्य पाए गए. शुक्रवार को सभी आवेदकों के सामने लॉटरी से ड्रॉ निकाला गया, जिसके बाद 76 लोगों को फ्लैट की चाबी दी गई. ये फ्लैट 800 वर्गफीट में बने हैं. फ्लैट को चार ब्लॉक में बांटा गया है. हर ब्लॉक में ग्राउंड प्लस तीन फ्लोर हैं, यहां पार्किंग के लिये भी जगह है. यगां एक सामुदायिक भवन और कॉमन एरिया बनाया गया है. फ्लैट्स में बिजली सप्लाई के लिए सोलर लाइट लगाई जाएंगी. बड़ी बात ये है कि जिन 76 लोगों को ड्रॉ में फ्लैट मिला है, उनमें ज्यादातर ऐसी महिलाएं हैं जो दूसरों के घरों में झाडू पोंछा करती है, बर्तन धोती हैं या खाना बनाने का काम करती हैं. कई महिलाएं प्राइवेट स्कूल में टीचर हैं, कुछ मजदूर हैं, ये लोग अब तक झुग्गियों या किराए के मकान में रहते हैं. आठ सौ वर्गफीट के इस फ्लैट की कीमत सिर्फ 6 लाख रूपए है. इनमें से डेढ़ लाख रुपए केंद्र सरकार देगी और एक लाख रुपए यूपी सरकार दैगी. बाक़ी के साढ़े तीन लाख रुपए, फ्लैट पाने वालों को देने होंगे. रजिस्ट्रेशन के वक़्त लोगों से 5 हज़ार रुपए लिए गए थे. फ्लैट की चाबी देते समय 45 हज़ार रुपए जमा कराए गए. बाक़ी के तीन लाख रुपए अगले छह महीनों में किस्तों में लिए जाएंगे. .आज जब ड्रॉ में नाम निकला तो ज्यादातर महिलाओं के आंखों में आंसू आ गए, खुशी के कारण वो बोल नहीं पाईं. सिर्फ इतना कहा कि जो कभी नहीं सोचा था, .वो हो गया है. घर मिलने की खुशी क्या होती है, इसका अंदाजा इन महिलाओं की बातों से समझा जा सकता है. .योगी आदित्यनाथ ने इस प्रोजैक्ट के जरिए दो काम किए – एक तो गरीबों को उनके सपनों का घर दिया, और दूसरा माफिया को सरकार की ताकत दिखाई.. आम लोगों में कानून के इकबाल के प्रति भरोसा और अपराधियों में कानून का खौफ पैदा किया. योगी ने दिखा दिया कि सरकारी बुलडोजर कैसे गरीबों को आशियाना दिलाने के लिए जमीन साफ करता है.
औरंगज़ेब या शिवाजी : कौन है हमारे नायक?
औरंगज़ेब और टीपू सुल्तान के नाम पर भड़की हिंसा के शिकार कोल्हापुर में हालात सामान्य हो रहे हैं. शुक्रवार को शहर में बाज़ार आम दिनों की तरह फिर खुले, लेकिन पुलिस ने जांच तेज कर दी है. सोशल मीडिया पर टीपू सुल्तान और औरंगजेब की तस्वीरें डालने और उसके बाद हिन्दू संगठनों पर हुई पत्थरबाजी के केस में पुलिस अब तक 36 लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है. अब पुलिस ये पता लगाने की कोशिश कर रही है कि सोशल मीडिया पर जो मैसेज और वीडियो वायरल हुए, वो किसने बनाए, किस ग्रुप के जरिए वो फैलाए गए. पुलिस ने लोगों से अपील की है कि वो माहौल खराब करने वाले पोस्ट न करें, अगर कोई ऐसा मैसेज या वीडियो आता है तो इसे फॉरर्वर्ड करने के बजाए पुलिस को खबर दें. पुलिस की इस बात का असर हो रहा है. मुस्लिम बहुल इलाकों में जुमे की नमाज़ शांति से अदा की गई. इमामों ने भी नमाज़ पढ़ने पहुंचे लोगों को समझाया, कहा कि किसी के बहकावे में आकर भड़काऊ सोशल मीडिया पोस्ट शेयर न करें, और अपने बच्चों पर भी नज़र रखें कि वो गलत लोगों के चक्कर में फंस कर कोई ऐसी हरकत न करें, जिससे पूरे समाज को नुकसान हो. नमाज़ के बाद मस्जिद से निकले लोगों ने भी कहा कि जो लोग महाराष्ट्र में ओरंगजेब को हीरो बता रहे हैं., वो महाराष्ट्र के हितैषी नहीं हो सकते. मुस्लिम भाइयों ने कहा कि उनके आदर्श छत्रपति शिवाजी हैं, औरंगज़ेब नहीं. कुछ लोगों ने कहा कि चुनाव करीब हैं, .इसी चक्कर में माहौल खराब करने की कोशिशें हो रही हैं. लेकिन राजनीतिक पार्टियां और नेता इस विवाद को खत्म करने के बजाए भड़काऊ बयानबाज़ी कर रहे हैं. AIMIM के चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने हैदराबद में कहा कि भारत में कोई ऐसा क़ानून नहीं है जिसमें टीपू सुल्तान या औरंगज़ेब के नाम का स्टेटस लगाना जुर्म हो. ओवैसी ने कहा कि महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम देवेंद्र फड़णवीस कहते हैं कि महाराष्ट्र में औरंगज़ेब की औलाद पैदा हो गई हैं… तो क्या उन्हें पता है कि नाथूराम गोडसे, नारायण आप्टे और मदनलाल पाहवा की औलादें कौन हैं. शिव सेना (उद्धव ठाकरे) के नेता संजय राउत ने कहा कि महाराष्ट्र में माहौल तो बीजेपी खराब कर रही है. राउत ने कहा, कर्नाटक में बजरंग बली का नाम नहीं चला तो महाराष्ट्र में बीजेपी ने औरंगज़ेब को जिंदा कर दिया. आम जनता कुछ कह रही है और नेता कुछ और कह रहे हैं. अब ये कहने की जरूरत तो नहीं है कि आम लोग दंगा फसाद नहीं चाहते. महाराष्ट्र के मुसलमान भी शिवाजी महाराज को अपना आदर्श मानते हैं.वो औरंगज़ेब को हीरो बताने वालों के साथ नहीं है लेकिन नेता इन लोगों की बात सुनने के बजाए भड़काऊ बातें कर रहे हैं. .नेताओं के बयानों से ही माहौल खराब होता है और इस मामले में न ओवैसी दूध के धुले हैं, .न संजय राउत पाक साफ हैं, और बीजेपी भी कम नहीं है. सभी पार्टियां अपने अपने फायदे के हिसाब से औरंगजेब और शिवाजी महाराज के नाम का इस्तेमाल करके सियासत चमका रही हैं. .आम लोगों को ये बात समझनी पड़ेगी.
WITNESS EXPOSES BRIJ BHUSHAN SHARAN SINGH
In an explosive interview to India TV, international wrestling referee Jagbir Singh has disclosed how he watched Wrestling Federation of India chief Brij Bhushan Sharan Singh inappropriately touching women wrestlers during tournaments abroad. The controversial WFI chief had been challenging women wrestlers to bring witnesses to substantiate their charges and if proved, he had offered to hang himself. Jagbir Singh, who has been questioned by Delhi Police, told India TV that he saw Brij Bhushan inappropriately touching the women wrestlers several times. Delhi Police has so far recorded the statements of 125 witnesses across four states. Jagbir Singh told India TV that he saw Brij Bhushan inappropriately touching a heavyweight woman wrestler in Lucknow on March 25 last year during a photo session after the trials for Senior Asian Wrestling Championship. The wrestler, he said, was stunned and afraid, and she chose to stand away from the WFI chief. Jagbir Singh, who trains wrestlers at Delhi’s Chandgi Ram Akhada, has been working as international referee and judge since 2007 and the last time he attended an international tournament was in 2022. He was supposed to be sent on June 13, but WFI did not send him. He alleged that in 2013, during Thailand tour, Brij Bhushan arranged Indian food for wrestlers. “When he reached for dinner he was inebriated, and sexually harassed several female wrestlers by inappropriately touching them”, he said. Jagbir Singh also disclosed that after becoming WFI chief, Brij Bhushan made it a rule since 2012 to position female wrestlers’ mats in front of his dais at every wrestling competition. He also alleged that Brij Bhushan made it a point to stay only in those hotels where female wrestlers used to stay during foreign tours. Last year, during a wrestling championship in Bulgaria, he said, Brij Bhushan went to the training centre early in the morning and tried to teach wrestling tactics personally to the girls. ‘He became a laughing stock in front of referees from other countries’, Jagbir Singh said. With the key witness revealing so many incidents on camera, even Delhi Police will have to accept that the sexual harassment charges made by our female wrestlers have substance. I wonder whether Brij Bhushan will now say that he will hang himself. Secondly, about the harassment charge levelled by an adolescent female wrestler. First, Brij Bhushan’s camp tried to prove that she was not adolescent, but an adult. Soon after, it changed tack and tried to change her statement. These efforts were part of a plot to ensure that he was not arrested and POCSO (Protection of Children From Sexual Offences) Act should not be applied. Overall, Brij Bhushan Sharan Singh was trying every tactic in the game to ensure that he was not arrested and the case is weakened. But referee Jagbir Singh has now changed turned the table on him. Let us hope more witnesses will come forward and tell the public on camera. It will then be difficult for Brij Bhushan to save himself from the hands of law.
YOGI KILLS TWO BIRDS WITH ONE STONE
On Friday, UP government, in Prayagraj, handed over keys of 76 new flats to poor people, names of whom were drawn in a lottery. The flats were built in a record time of 15 months after land grabbed illegally by mafia don Atiq Ahmed was seized by the administration. Chief Minister Yogi Adityanath had laid the foundation stone in December 2021. A total of 6,071 people applied for 76 flats, 1,595 applicants were found eligible under EWS category, and after a lottery draw, names of 76 beneficiaries were announced. The block of flats, each of which is built in 800 sq. feet area, houses a ground floor and three floors, with parking space. It has a community hall and common area. Electricity is provided through solar lights. The happiness of owing a house was clearly evident from the smiles on the faces of women who got the keys. Yogi Adityanath achieved two aims by completing this project. One, poor families got a house of their own, and Two, mafia groups have been shown their right place. Yogi has shown how bulldozers can clear the ground for building homes for the poor.
AURANGZEB OR SHIVAJI : WHO’S OUR HERO?
The situation is returning to normal in Kolhapur, Maharashtra, after violence and stoning over posting of pictures of Aurangzeb and Tipu Sultan by some miscreants on social media. Police arrested 36 persons and is now trying to mind out who provoked communal tension by posting these pictures. Muslims who came out after offering Friday prayers, said those who describe Aurangzeb as a hero in Maharashtra can never be called patriots. They said, Shivaji has always been our ideal, and not Aurangzeb. In Hyderabad, AIMIM chief Asaduddin Owaisi asked, since when posting of Aurangzeb and Tipu Sultan’s pictures on social media has become a crime. He attacked Deputy Chief Minister and BJP leader Devendra Fadnavis on his ‘Aurangzeb ki Aulaad’ remark, and asked who were the ‘aulaad’ (offsprings) of Nathuram Godse, Narayan Apte and Madanlal Pahwa, accused in Gandhi assassination case. Maharashtra BJP chief Chandrashekhar Bawankule said, if there is tension in the state, Owaisi will be solely responsible. Shiv Sena (Uddhav Thackeray faction) leader Sanjay Raut alleged that it was BJP which was creating communal tension. He said, “after failing to win Karnataka by using the name of Bajrangbali, BJP is now fomenting tension in the name of Aurangzeb”. After watching what the common Muslims in Kolhapur say and what the leaders say, there is no need to say that common people do not want riots and the Muslims living in Maharashtra consider Shivaji their hero. They are not with those who consider Aurangzeb their hero. But there are leaders who incite people by making inflammatory remarks. Neither Owaisi nor Sanjay Raut are innocent. All political parties, including BJP, are trying to make political hay by taking the names of Shivaji and Aurangzeb. The common public must understand this fact.
गेमिंग एप्प के ज़रिए धर्मांतरण : माता-पिता सावधान रहें
आज मैं माता-पिताओं को सावधान करना चाहता हूं. अगर आपका बच्चा फोन या लैपटॉप पर लगातार गेम खेल रहा है, अनजान लोगों से लंबी बातें कर रहा है, बिना बताए घर से बाहर चल जाता है, उसकी आदतों में कुछ बदलाव दिखाई दे रहा है, तो सावधान हो जाइए. क्योंकि देश में एक गिरोह काम कर रहा है, जो लालच देकर, मददगार बनकर, बच्चों को बहला कर उनका धर्मान्तरण करवा रहा है. जो तथ्य सामने आए हैं, वो चिंता में डालने वाले हैं. गाजियाबाद में गेमिंग एप के जरिए चार बच्चों के धर्मान्तरण की कोशिश की जांच के दौरान यूपी पुलिस को चौंकाने वाले सबूत मिले हैं. पता लगा कि मजहबी गिरोह का जाल उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब, गुजरात और महाराष्ट्र तक फैला हुआ है. मुंबई के पास मुंब्रा में इस गिरोह के एक सदस्य ने दावा किया है कि उसने करीब चार सौ हिन्दुओं को इस्लाम कबूल करवाया है. ये दावा पुलिस ने नहीं किया है, गिरोह का एक सदस्य एक बच्चे से बातचीत के दौरान खुद ये जानकारी दे रहा है. इस बच्चे के साथ फोन पर हुई बातचीत का पूरा ऑडियो टेप मेरे पास है. इस बातचीत को सुनकर आप हैरान जाएंगे. इस गिरोह के लोग उन परिवारों को टारगेट करते हैं, जो मुसीबत में हैं, परेशानी के दौर से गुजर रहे हैं, उन बच्चों को टारगेट करते हैं, जो कंप्यूटर पर गेम खेलते हैं और ज्यादातर वक्त ऑनलाइन रहते हैं. गिरोहके सदस्य बच्चों को पैसे, अच्छी नौकरी का लालच देते हैं, विदेश घुमाने का ऑफर देते हैं, और शुरूआत होती है, गेम में जीत दिलाने की गारंटी से. गाजियाबाद में एक बच्चा जिम जाने के बहाने मस्जिद में पांच बार नमाज के लिए जाता था. माता पिता को शक हुआ, बेटे का पीछा किया, तो हकीकत सामने आ गई. माता पिता ने पुलिस से शिकायत की, तो मस्जिद से इमाम अब्दुल रहमान को गिरफ्तार किय़ा गया. पूछताछ में मुम्ब्रा में रहने वाला शाहनवाज का नाम सामने आया, पुलिस ने शाहनवाज से संपर्क किया, उसके बाद से वो गायब हो गया. अब पुलिस उसके खिलाफ लुकआउट नोटिस जारी करने जा रही है, जिससे वो विदेश न भाग सके. ये केस मजबूरी का फ़ायदा उठाकर धर्म परिवर्तन का केस है. 47 मिनट का पूरा टेप सबूत है इस बात का कि नाबालिग हिंदू बच्चों को बहलाकर-फुसलाकर लालच देकर, जन्नत और हूरों का ख़्वाब दिखाकर इस्लाम क़बूल करने के लिए तैयार किया गया. पुलिस की शुरुआती जांच भी यही बताती है. एक मज़हबी गिरोह है जो कंप्यूटर गेम के ज़रिए बच्चों तक पहुंचता है या फिर लोगों की मजबूरी का फ़ायदा उठाता है. उनका धर्म परिवर्तन कर रहा है, ज़्यादातर मालों में मां-बाप को पता ही नहीं चलता कि उनका बच्चा कब धर्म बदल चुका है. पुलिस के लिए भी ऐसे मामलों को सुलझाना आसान नहीं होता. हमारे देश में हर किसी को अपनी मर्ज़ी से किसी भी धर्म को अपनाने की छूट है. पर अगर धर्म परिवर्तन डरा-धमकाकर, बहला-फुसलाकर या लालच देकर किया जाए, तो ये क़ानूनन अपराध है. अगर किसी नाबालिग को धर्म परिवर्तन के लिए उकसाया जाए. राज़ी कराया जाए, तो ये और भी बड़ा अपराध है. लेकिन ऐसे मामलों में सबूत जुटाना, लालच देने का सबूत हासिल करना मुश्किल होता है. लेकिन ग़ाज़ियाबाद, मुंब्रा के मामले ऐसे हैं, जहां पुलिस के पास सबूत भी हैं और गवाह भी. सबसे बड़ी बात ये है कि मां-बाप को सतर्क रहना पड़ेगा, बच्चों पर नज़र रखनी पड़ेगी. ग़ाज़ियाबाद, मुंब्रा की ये रिपोर्ट मां-बाप के लिए एक चेतावनी है. एक और बात मैं कहना चाहता हूं ऐसे दो चार मामलों को लेकर पूरे इस्लाम को बदनाम करने की कोशिश भी बेमानी है. पैगम्बर हज़रत मोहम्मद साहब ने भी जबरन धर्म परिवर्तन का कभी समर्थन नहीं किया. जो दो चार मुस्लिम ये काम करते हैं वो पूरी कौम को बदनाम करते हैं. लेकिन उनकी वजह से हमें पूरी कौम को ऐसा नहीं समझना चाहिए.
कनाडा में इंदिरा हत्या का महिमामंडन बरदाश्त नहीं
खालिस्तानी आतंकवादियों की करतूत से कनाडा और भारत के रिश्तों में तल्खी आ गई है. भारत सरकार ने सख्त लफ्ज़ों में कनाडा सरकार को चेतावनी दी है. विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने साफ साफ कहा कि इस तरह के भारत विरोधी तत्वों के साथ नरमी दोनों देशों के रिश्तों पर बुरा असर डालेगी. असल में 4 जून को ऑपरेशन ब्लू स्टार की बरसी पर कनाडा के ब्रैम्पटन शहर में खालिस्तानी अलगाववादियों ने एक झांकी निकाली. इसमें पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या की एक झांकी शामिल की गई. यह परेड 5 किलोमीटर लम्बी थी. इसके बाद इसके वीडियो को सोशल मीडिया पर वायरल किया गया जिस पर हंगामा मच गया. लोगों ने कनाडा की सरकार पर खालिस्तानी अलगाववादियों को शह देने का आरोप लगाया. कनाडा में भारत के उच्चायोग ने कनाडा के विदेश मंत्रालय को चिट्ठी लिखकर इस घटना पर नाराज़गी ज़ाहिर की. उच्चायोग ने कहा कि अभिव्यक्ति की आजादी का ये मतलब नहीं है कि किसी लोकतांत्रिक देश की नेता का इस तरह से अपमान किया जाए. इसके बाद विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा कि कनाडा की सरकार वोट बैंक की सियासत के चलते ऐसे लोगों को बढ़ावा दे रही है, जो भारत का विरोध करते हैं. विदेश मंत्री ने कहा कि कनाडा में बार-बार भारत विरोधी घटनाएं हो रही हैं, अगर कनाडा की सरकार ने इन पर रोक नहीं लगाई तो इसका असर दोनों देशों के रिश्तों पर पड़ेगा. एस जयशंकर ने अच्छा किया कि कनाडा को खुली चेतावनी दी. इंदिरा गांधी न सिर्फ भारत की प्रधानमंत्री थीं, वो दुनिया की एक प्रतिष्ठित राजनेता थीं. उनकी निर्मम हत्या करने वालों का महिमामंडन दुनिया के किसी भी हिस्से में हो, बर्दाश्त नहीं किया जा सकता. कनाडा में एक भारत विरोधी ग्रुप है जो कभी किसान के नाम पर, कभी खालिस्तान के नाम पर भारत को बदनाम करता है. भारत में हिंसा फैलाने वालों का समर्थन करता है. कनाडा की सरकार को ऐसे लोगों पर लगाम लगानी चाहिए, ये उनकी जिम्मेदारी है. भारत के लोगों की भावनाओं का सम्मान कैसे करना है ये कनाडा को अपने पड़ोसी देश अमेरिका से सीखना चाहिए.
राहुल मानें कि भारत में चुनाव निष्पक्ष होते हैं
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने गुरुवार को कांग्रेस नेता राहुल गांधी को एक नसीहत दी. एस. जयशंकर ने कहा कि राहुल गांधी देश में बीजेपी पर हमले करें, सरकार पर हमला बोलें, ये तो समझ में आता है, लेकिन विदेश जाकर भारत के सियासी मसलों को उठाना, देश में लोकतन्त्र खत्म होने की बात कहना, ये ठीक नहीं है. इससे राहुल को कोई सियासी फायदा तो नहीं होगा, लेकिन इससे देश का नाम तो खराब होगा. कुछ दिन पहले अमेरिकी में राहुल गांधी ने कहा था कि कि भारत में लोकतंत्र खत्म हो गया और हमारे यहां चुनाव स्वतंत्र और निष्पक्ष नहीं होते. इस पर एस. जयशंकर ने कहा कि पूरी दुनिया देख रही है कि भारत में चुनाव होते हैं, कभी एक पार्टी जीतती है, कभी दूसरी, इसलिए भारत के जीवन्त लोकतंत्र को लेकर पूरी दुनिया में कोई भ्रम नहीं है. इसके बाद जयशंकर ने ये भी जोड दिया कि हालांकि अगले लोकसभा चुनाव का नतीजा भी वही होगा, जो 2019 के आम चुनाव का रहा था, यानी नरेंद्र मोदी जीतेंगे. वहीं केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने आरोप लगाया कि राहुल गांधी अमेरिका में एक ऐसे आदमी से मिले थे, जो दुनिया भर में सरकारों को अस्थिर करने के लिए बदनाम है. स्मृति ईरानी ने कहा कि राहुल गांधी मोदी सरकार के ख़िलाफ़ साज़िश रचने के लिए अमेरिका गए थे. मैं इस बात से तो सहमत नहीं कि राहुल गांधी को विदेश में जाकर भारत की आलोचना करने का हक नहीं है. आज के डिजिटल जमाने में इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि बात भारत में कही जाए या विदेश में, सब कुछ सब जगह दिखाई और सुनाई देता है पर राहुल का ये कहना कि भारत में चुनाव स्वतंत्र और निष्पक्ष नहीं होते, बिल्कुल गलत है. पूरी दुनिया भारत की लोकतांत्रिक व्यवस्था, इतने बड़े देश में चुनाव कराने के तरीके की तारीफ करती है. सच बात तो ये है कि हमारे देश में चुनाव व्यवस्था में समय के साथ बहुत सुधार हुआ है. अब बूथ कैप्चरिंग नहीं होती, उम्मीदवारों को अगवा नहीं किया जाता, अब चुनाव के दौरान हिंसा की घटनाएं कम होती हैं, अब लोग निडर होकर वोट देते हैं और अपनी सरकार चुनते हैं. ये भारत के लिए गौरव की बात है. राहुल गांधी को ये नहीं भूलना चाहिए कि इसी सिस्टम से, इसी चुनावी प्रक्रिया से कांग्रेस ने सरकारें बनाई और चलाई हैं.
दिल्ली में कैम्पस उद्घाटन : बिन बात का बतंगड़
दिल्ली में उपराज्यपाल वी.के.सक्सेना और मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल का झगड़ा एक बार फिर सामने आ गया. गुरुवार को गुरु गोविंद सिंह इंद्रप्रस्थ यूनिवर्सिटी के ईस्ट दिल्ली कैंपस का उद्घाटन होना था. सक्सेना और केजरीवाल दोनों उद्घाटन के लिए पहुंच गए. दोनों ने मिलकर उद्घाटन तो कर दिया लेकिन इस दौरान जमकर हंगामा हुआ. बीजेपी और आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने एक दूसरे के खिलाफ नारेबाजी की. इसके बाद जब ऑडिटोरियम में भाषण शुरू हुआ तो वहां भी नारेबाजी शुरू हो गई. केजरीवाल ने माइक संभाला तो बीजेपी कार्यकर्ताओं ने हूटिंग की. जबाव में आम आदमी पार्टी के लोगों ने भी नारे लगाए. कैंपस को लेकर दोनों पक्षों के अपने अपने दावे हैं. इस कैंपस को बनाने का फैसला 2013 में हुआ था, तब केजरीवाल दिल्ली के सीएम नहीं थे. दिसंबर 2014 में इसका शिलान्यास तब की मानव संसाधन मंत्री स्मृति ईरानी ने किया था. कैंपस बनाने में 387 करोड़ रुपये लगे. दिल्ली सरकार की तरफ से 41 करोड़ रुपये दिए गए. आम आदमी पार्टी का दावा है कि भले ही इसका शिलान्यास केंद्र ने करवाया हो लेकिन इसे बनवाया दिल्ली सरकार ने है. मुझे लगता है विश्व विद्यालय के कैंपस के उद्घाटन के अवसर को राजनीति का अखाड़ा नहीं बनाया जाना चाहिए था. दोनों पार्टियों के समर्थकों को इस समारोह में नारे लगाने की जरूरत नहीं थी. उपराज्य़पाल ने उद्घाटन किया, मुख्यमंत्री को मुख्य अतिथि बनाया गया, तो इतनी हाय तौबा किस बात की? कैंपस का उद्घाटन कौन करता है, इससे वहां पढ़ने वाले विद्यार्थियों को क्या फर्क पड़ता है ? ध्यान तो इस बात पर देना चाहिए था कि कैंपस में पढ़ने वालों को और पढ़ाने वालों को अच्छी सुविधाएं मिल पाती हैं या नहीं.
CONVERSION THROUGH GAMING APP : PARENTS BEWARE
Reports about the busting of a gang targeting teenagers through a gaming app ‘Fortnite’ in order to convert them to Islam is really worrying. This inter-state gang is active on internet. According to police, till now, the gang has lured four Hindu and Jain teenagers in Ghaziabad, Faridabad and Chandigarh to convert to Islam. Union Home Ministry and UP government have sought detailed report about the activities of this gang. I want to caution parents to keep a close watch on their children who use gaming apps on smart phones or laptops. They should keep a watch when their children are involved in long conversations with unknown persons and leave their homes daily without telling their elders. If you notice changes in the habit of your children, please be on alert. The modus operandi of the gang is simple: they offer money, try to become friends and then through persuasion, ask children to convert to other religion. This gang has been operating in UP, Haryana, Punjab, Gujarat and Maharashtra. Reports say, this gang converted nearly 400 Hindus in Mumbra near Mumbai. In our show ‘Aaj Ki Baat’ on India TV, we played an audio conversation between a gang member and a young boy. Normally, this gang targets young boys and girls who play online games, offer them inducements and jobs, foreign travel, and the game begins by assuring them a win in their game. In Ghaziabad, a young boy went to a mosque to offer namaaz five times a day, but he told his parents that he was going to the gym. On suspicion, his parents followed him and caught him red-handed. They complained to police and the imam of a local mosque was detained. UP Police has sent a team to Maharashtra to arrest other members of the gang. In the audio tape, the gang member was heard trying to convince a Hindu boy the advantages of converting to Islam. On Sunday, Nanni Alias Abdul Rehman, a moulvi at a local mosque in Sanjay Nagar area in Ghaziabad was arrested and a manhunt has begun to nab the second accused, Shahnawaz Khan alias Baddo, a resident of Thane, Maharashtra. Nipun Aggarwal, Deputy Commissioner of Police, Ghaziabad, said, police have seized electronic evidence and related documents, to establish that the online game required users to recite verses from Holy Quran to the teenagers in order to win. The teenage gamers were also shown videos of absconding radical Muslim preacher Zakir Naik and another preacher Tariq Jameel. Zakir Naik, accused in several cases, fled India in 2016. Police said, the accused used to talk with the gamers through a chat application and showed them videos of Zakir Naik and Tariq Jameel. The 47-minute-long audio tape is proof of how Hindu and Jain teenagers are lured by offering them inducements and dreams of a lavish life. In most of the cases, parents fail to know when their children have got converted. For the police, it is not easy to solve such cases. In India, every citizen has the fundamental right to practise any faith, but there is also a law which says converting a person to another faith through inducements or coercion is a crime. If an impressionable young mind is made to convert his or her religion, the crime is more severe. In such cases, however, it is difficult to collect evidence of inducement or coercion. In the case of this gang operating in Ghaziabad and Mumbra, police have obtained evidence and statements. Parents must remain alert. If they find their children having long conversations on phone, or leave home suddenly, they must keep a close watch. I will also add a rider. Any effort to defame Islam on the basis of two or four cases cannot be justified. Even Prophet Mohammed never approved of forcible conversion. When two or four Muslims carry out such conversion, they bring a bad name to Islam. We must not tar the entire community with the same brush.
CANADA : GLORIFYING ASSASSINATION IS UNACCEPTABLE
India on Thursday hit out at Canada for allowing Khalistan supporters to bring out a float depicting assassination of former Prime Minister Indira Gandhi at a parade in Brampton. The parade was taken out on Sunday, two day before the 39th anniversary of Operation Blue Star. The float was part of a 5-km long parade taken out by Khalistan supporters. The video of the float drew sharp reactions in India, and the Congress slammed the ‘glorification’ of the assassination of Indira Gandhi. On Thursday, External Affairs Minister S. Jaishankar said, “it is not good for relationships and not good for Canada”. The Indian High Commission in Canada has given a note to the Canadian foreign ministry expressing resentment. Jaishankar said, “there is a larger underlying issue about the space which is given to separatists, to extremists, to people who advocate violence….Frankly we are at a loss to understand other than the requirements of vote bank politics, why anybody would do this.” Canadian High Commissioner in India Cameron MacKay tweeted saying, he was appalled by reports about the event. “There is no place in Canada for hate or for the glorification of violence. I categorically condemn these activities.” Jaishankar has done the right thing in giving a veiled warning to Canada by saying ‘this is not good for relationship’. Indira Gandhi was not only the prime minister of India, but a respected world leader. Glorification of her assassination cannot be justified in any corner of the world. In Canada, anti-India groups are active, sometime in the name of farmers, in the name of Khalistan, and their sole purpose is to tarnish India’s image. The government of Canada must put such activists on leash. It is its responsibility. Canada should learn from its neighbour, the USA, on how to respect the sentiments of the people of India.
RAHUL MUST KNOW, ELECTIONS ARE FREE AND FAIR
External Affairs Minister S. Jaishankar on Thursday attacked Congress leader Rahul Gandhi for criticizing India abroad and said his remarks were not in national interest. On Rahul Gandhi’s comments in the US that there is no democracy in India, Jaishankar said: “There is democracy in the country. You have your politics, we have ours. I have no problem with whatever is done within the country, but I do not think taking national politics out of the country is in national interest. I do not think it will enhance his credibility….The world is looking at us and what is the world seeing? Elections are held in the country and sometimes one party wins and at times the other parts wins. If there is no democracy in the country, such changes should not come.” Union Minister Smriti Irani alleged that Rahul met a person in America, who is notorious for destabilizing governments across the globe. She alleged, Rahul had gone to the US to chalk out a conspiracy against Modi government. I do not agree with the argument that Rahul Gandhi has no right to criticize the government on foreign soil. In this digital age, it does not matter where the remarks are made, whether in India or on foreign soil. It can be watched anywhere. But for Rahul to allege that elections in India are not free and fair, is totally wrong. The entire world praises India’s democracy and its electoral system. The truth is that there has been a huge improvement in our electoral system. There are no more incidents of booth capturing, no abduction of candidates, and incidents of violence during elections are few. People go out fearlessly and elect their government. This is a matter of pride for India. Rahul Gandhi must not forget that it is under this electoral system that the Congress has formed and run governments.
DELHI CAMPUS TUSSLE : MUCH ADO ABOUT NOTHING
The tussle between Delhi Lt Governor V K Saxena and Chief Minister Arvind Kejriwal was out in the open on Thursday at the inauguration of the East Delhi campus of Guru Govind Singh Indraprastha University. Slogans were raised by both BJP and AAP supporters during the speeches. Both the L-G and CM ‘jointly’ inaugurated the campus. BJP supporters hooted when Kejriwal took the mike. AAP supporters chanted slogans in reply. BJP supporters hooted when Education Minister Atishi spoke, and in reply, AAP supporters hooted when the Lt. Governor spoke. The stage for the tussle was set when both camps tried to take credit for building the East Delhi campus. While BJP said, the foundation was laid in 2014 by the then HRD Minister Smriti Irani, the campus was self-funded and built at a cost of Rs 387 crore, with Delhi government contributing only Rs 41 crore, AAP claimed that it was the Delhi government which completed the construction work. The party claimed that it was “a brainchild of former Education Minister Manish Sisodia (now in jail)”. Personally, I think, the inauguration event of a university campus should not be made a political ring. There was no need for supporters of either parties to shout slogans. The Lt. Governor inaugurate, the CM was made the chief guest, then why so much hullabaloo? How does it matter for the university students who inaugurated the campus? Rather, the focus should be on ensuring whether the students at the campus get good facilities for studies or not.
क्या कुश्ती पर बृज भूषण का नियंत्रण खत्म हो जाएगा ?
भारतीय कुश्ती फेडरेशन अगले महीने बृज भूषण शरण सिंह के चंगुल से आज़ाद हो जाएगा. जो भी फेडरेशन का नया अध्यक्ष बनेगा, वह न तो बृज भूषण शरण सिंह का कोई रिश्तेदार होगा, न ही उनके किसी करीबी को इस पद पर बैठने दिया जाएगा. खेल मंत्री अनुराग ठाकुर ने बुधवार को पहलवानों से कहा कि फेडरेशन से बृज भूषण शरण सिंह के नियंत्रण को खत्म कर दिया जाएगा. बुधवार को पहलवानों और खेल मंत्री के बीच 6 घंटे चली बातचीत में ये फैसला हुआ. पहलवानों को दूसरा बड़ा आश्वासन ये मिला कि एक हफ्ते के भीतर दिल्ली पुलिस बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ लगे आरोपों की जांच पूरी कर लेगी. 15 जून तक चार्जशीट फाइल कर दी जाएगी. तीसरी बड़ी बात ये तय हुई कि फेडरेशन की इंटरनल कंप्लेन कमेटी की अध्यक्ष एक महिला को बनाया जाएगा. फेडरेशन के पदाधिकारियों की नियुक्ति खिलाड़ियों की राय लेकर, उनकी सहमति से की जाएगी. चौथी बात, प्रदर्शन के दौरान खिलाड़ियों या उनके समर्थकों के खिलाफ जो केस दर्ज हुए हैं, वे सभी वापस लिए जाएंगे और पहलवानों को सुरक्षा दी जाएगी. पहलवानों ने भी सरकार को भरोसा दिया है कि वो 15 जून तक इंतजार करेंगे, 15 जून तक कोई धरना प्रदर्शन नहीं करेंगे. करीब डेढ़ महीने से चल रहे विरोध के बाद बुधवार को पहली बार सरकार ने साफ साफ बात की. चूंकि खुले मन से बात हुई, इसलिए इसका असर भी दिखा. सरकार ने पहलवानों की करीब करीब सभी मांगें मान ली हैं. इसका खाका परसों अमित शाह के साथ हुई बैठक में तय हो गया था. पहलवानों के साथ जो बात हुई, वह बहुत पहले हो जानी चाहिए थी. जो आश्वासन उन्हें आज दिए, वो अगर कुछ दिन पहले दिए जाते तो देश को सड़क पर पहलवानों को घसीटते हुए पुलिस की तस्वीरें देखने को न मिलतीं, न ही पहलवानों को अपने मैडल गंगा में बहाने की जरूरत महसूस होती. खैर देर आए, दुरुस्त आए. अगर खेल मंत्री अपनी बात पर कायम रहे तो देश के पहलवानों को बृज भूषण शरण सिंह की मनमानी से मुक्ति मिलेगी. कुश्ती में चैंपियन बनने के सपने देखने वाली देश की बेटियों की हिम्मत बढ़ेगी. पिछले दिनों फेडरेशन की जितनी बदनामी हुई है, उसे ध्यान में रखते हुए अब फेडरेशन की कमान ऐसे व्यक्ति के हाथ में होनी चाहिए जिसके नैतिक बल की रौशनी में पिछले अध्यक्ष पर लगे आरोपों से पैदा हुआ अंधेरा दूर हो जाए. जहां तक बृज भूषण शरण सिंह का सवाल है, अगर पुलिस ने जांच निष्पक्षता से की, तो इतने सबूत हैं इतने बयान हैं कि उनका बचना मुश्किल होगा. हालांकि उनका ख्याल तो यही होगा कि एक बार चार्जशीट फाइल हो गई तो केस बरसों चलेगा, वैसे ही चलेगा जैसे उन पर दर्जनों केस पहले भी चलते रहे हैं. लेकिन मुझे लगता है कि बृज भूषण को ये केस भारी पड़ेगा क्योंकि ये पब्लिक डोमेन में है. यहां शिकायत करने वाली देश की वो पहलवान बेटियां हैं जिन्होंने देश का नाम रौशन किया है. कोई भी अदालत उनकी शिकायत को, यौन शोषण के उनके आरोपों को गंभीरता से लेगी. इस पूरे मामले का एक पक्ष ये भी है कि चूंकि सरकार से आश्वासन मिलने में देरी हुई, कई राजनीतिक दल और खाप पंचायतें इस प्रोटेस्ट में शामिल हो गईं और उन्होंने पहलवानों को समर्थन दिया, उनकी हिम्मत बढ़ाई, अब पहलवान भी समर्थन देने वालों को नज़रअंदाज़ नहीं कर पाएंगे. इसलिए आज उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि जो भी बातचीत हुई है इसकी चर्चा वो खाप पंचायत के चौधरियों से करेंगे और उनकी राय लेकर ही आगे का कोई फैसला करेंगे.
क्या किसानों का आंदोलन सियासी रूप ले चुका है ?
हरियाणा में सूरजमुखी की फसल के कम दाम मिलने से नाराज़ किसान सड़कों पर हैं. कुरुक्षेत्र में मंगलवार को प्रदर्शन करने वाले किसानों पर पुलिस ने लाठीचार्ज किया. इससे किसान संगठन और भड़क गए. बुधवार को कुरक्षेत्र, रोहतक, सोनीपत समेत कई नगरों में प्रदर्शन हुआ, किसानों ने हाइवे को जाम कर दिया. किसानों की मांग है कि प्रदर्शन के दौरान गिरफ्तार उनके नेता गुरनाम सिंह चढ़ूनी को रिहा किया जाए और सूरजमुखी की फसल को एमएसपी पर खरीदा जाए. किसानों का कहना है कि जब तक एमएसपी पर सनफ्लावर की खरीद नहीं होती तब तक वो हटने वाले नहीं है. किसानों पर लाठियां चली तो राजनीति गर्म हो गई. कांग्रेस ने तुरंत इस मुद्दे को लपक लिया. जयराम रमेश, रणदीप सुरजेवाला और दीपेन्द्र हुड्ड़ा ने किसानों के समर्थन में बयान दिये. दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि लगता है कि सरकार दोबारा किसान आंदोलन चाहती है, सरकार किसानों से न टकराए, वरना किसान अपना हक लेना जानते हैं. हरिय़ाणा के कृषि मंत्री जे.पी. दलाल ने कहा कि प्रदर्शन करने वाले किसान नहीं, सियासी एजेंट हैं, जिनका खेती से दूर दूर तक कोई लेना देना नहीं है. कृषि मंत्री ने कहा कि जब सरकार को पता लगा कि किसानों को सूरजमुखी का भाव MSP से कम मिल रहा है तो सरकार ने प्रति क्विंटल एक हजार रूपए अपनी तरफ से किसानों को देने का फैसला किया. अगर इसके बाद भी किसानों को दिक्कत है, तो सरकार उनकी मांग के मुताबिक काम करने को तैयार है. बुधवार को ही दिल्ली में कैबिनेट बैठक के बाद खाद्या और नागरिक आपूर्ति मंत्री पीयूष गोयल ने ऐलान किया कि सरकार ने खरीफ की फसलों की MSP में 7 प्रतिशत बढोत्तरी होगी. सनफ्लावर सीड की एमएसपी को भी 6 से 7 परसेंट बढ़ाया गया है. मूंग दाल की MSP 10 परसेंट से ज्यादा बढ़ी है, मूंग दाल की खरीद अब 8558 रूपए प्रति क्विटल की दर से होगी. मूंगफली की MSP नौ परसेंट बढ़कर अब 6357 रूपए प्रति क्विंटल हो गई है. इसमें तो शक नहीं है कि केन्द्र सरकार ने पिछले कुछ सालों में फसलों की MSP में काफी इजाफा किया है. किसानों को राहत मिले, इसकी पूरी कोशिश की है लेकिन असली मुश्किल दूसरी है. सरकार MSP तो बढ़ा देती है, लेकिन आढ़तिए इस रेट पर फसल नहीं खरीदते. सरकारी खरीद केन्द्र इतने नहीं है कि किसान उन पर अपनी फसल बेच सकें, इसीलिए किसान परेशान होते हैं. इसका फायदा विरोधी दल उठाते हैं. अब राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ के बाद हरियाणा में चुनाव होने हैं. चर्चा ये भी है कि हरियाणा में चुनाव वक्त से पहले हो सकते हैं, इसलिए किसान नेता सड़कों पर आ गये हैं. कांग्रेस फिर से सक्रिय हुई है, फिर से रोड जाम, लेकिन पैटर्न वही है, नारे वही है, लोग वही हैं जो दिल्ली में हुए किसान आंदोलन के वक्त थे. अब मामला सियासी हो गया है.
विपक्षी एकता : नींव कितनी मजबूत ?
पटना में 23 जून को विपक्षी दलों के नेताओं की एक बड़ी बैठक होगी, जिसमें कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, राहुल गांधी, एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार, तृणमूल कांग्रेस अध्यक्ष ममता बनर्जी, समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव, तमिलनाडु के सीएम एम.के.स्टालिन, झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन, दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल और वाम दलों के नेता आएंगे. मेजबान नीतीश कुमार होंगे. जब जेडीयू के अध्यक्ष ललन सिंह नामों का एलान कर रहे थे, तो उनके पास बैठे राष्ट्रीय जनता दल के अध्यक्ष तेजस्वी ने कहा कि विरोधी दलों की एकता नीतीश कुमार और लालू यादव की कोशिशों का नतीजा है. इस बात में कोई शक नहीं है कि विरोधी दलों के नेता मोदी विरोध के चक्कर में एकजुट हो गए हैं. सब मोदी से इतने हैरान परेशान हैं कि सारे मतभेद भुलाकर एक मंच पर आने को तैयार हैं. मजे की बात ये है कि सबको इकट्ठा करने के काम में लीड लेने वाले नीतीश कुमार दो – दो बार बीजेपी के सपोर्ट से मुख्यमंत्री बन चुके हैं. बिहार में सब जानते हैं कि आरजेडी ने मजबूरी में नीतीश के साथ समझौता क्यों किया. पलटू चाचा दो – दो बार लालू यादव को धोखा दे चुके हैं. नीतीश कुमार कब पलट जाएं कोई नहीं कह सकता. इसलिए विरोधी दलों की एकता का जो मंच बन रहा है उसकी नींव कमजोर धरातल पर रखी गई है. इस मामले में कांग्रेस की भूमिका सबसे अहम होगी. कांग्रेस अकेली ऐसी पार्टी है जिसका अखिल भारतीय जनाधार है, जिसके नेताओं को सरकार चलाने का अच्छा खासा अनुभव है, लेकिन विरोधी दलों के नेताओं को लगता है कर्नाटक में जीत के बाद कांग्रेस के तेवर बदल गए हैं. अगर मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव कांग्रेस जीत गई, तो उसे संभाल पाना और मुश्किल हो जाएगा. कांग्रेस के बदले हुए अंदाज़ का सबसे ताजा उदाहरण अरविंद केजरीवाल के साथ उनका व्यवहार है. केजरीवाल की लाख कोशिशों के बाद भी दिल्ली सरकार को लेकर जो अध्यादेश आया है, उसके विरोध के सवाल को लेकर अभी तक कांग्रेस का समर्थन नहीं मिला है.
IS IT AN END OF BRIJ BHUSHAN’S CONTROL OVER WRESTLING ?
It is now almost clear that the Wrestling Federation of India will be freed from the clutches of its controversial chief Brij Bhushan Sharan Singh by next month. The new WFI president will neither be his relative, nor will any of his close associates be allowed to occupy any post. Sports Minister Anurag Thakur said on Wednesday that Brij Bhushan’s control on WFI will now end. This was decided at a six-hour-long meeting between the minister and the protesting wrestlers. Secondly, the wrestlers have been assured that Delhi Police will complete within a week its probe into sexual harassment charges levelled against the WFI chief and a chargesheet will be filed by June 15. Thirdly, a woman will be appointed as chairperson of the WFI internal complaints committee and WFI office-bearers will be appointed after taking the opinions of players. Fourthly, all cases filed against the wrestlers during protest by Delhi Police will be withdrawn and they will be given protection. The protesting wrestlers assured the government that they will not sit on protest till June 15. Since the talks between the government and wrestlers were held in an open manner, all misgivings have been removed and most of their demands have been accepted. The outline of this agreement was prepared at Saturday night’s meeting of wrestlers with Home Minister Amit Shah. The government’s approach now appears to be positive. Whatever happened on Wednesday should have happened much before. Had these assurances been given to them several weeks ago, the world would not have watched the sorry spectacle of Delhi Police dragging the medal winning wrestlers on the streets. Nor would the wrestlers have taken the extreme decision to immerse their medals in the river Ganga at Haridwar. Better late than never. If the Sports Minister fulfills all these assurances, Indian wrestlers will be freed from the clutches of Brig Bhushan Sharan Singh. Our daughters who dream of becoming champions in wrestling will gain courage. Keeping in view the infamy that the Wrestling Federation faced during the last several weeks, the reins of WFI must now be given in the hands of a person, whose moral force can dispel the darkness that had descended on the federation. As far as Brij Bhushan Sharan Singh is concerned, if Delhi Police investigates the matter impartially, there are umpteen number of evidence and statements from which the WFI chief cannot wriggle out. Probably, he is expecting the legal cases to run for several years after the chargesheet is filed, like dozens of other criminal cases that were filed against him in the past. I feel, for Brij Bhushan, it could be difficult because the evidence and statements are now in public domain. Those who have filed complaints are champion female wrestlers who brought fame to the country. Any court will take their charges of sexual harassment seriously. There is one more side to this issue. Since the assurances from the government came late, several political parties and Khap Panchayats joined the protest to support the wrestlers. On Wednesday, the wrestlers said they would discuss the outcome of their talks with the chiefs of Khap Panchayats and will decide on future steps after taking their opinion.
HAS FARMERS’ PROTEST BECOME POLITICAL ?
Farmers have been staging protests across Haryana demanding procurement of sunflower seeds at MSP rate. They blocked national highways at Kurukshetra, Rohtak, Sonepat and several other places on Tuesday and Wednesday. Several farmer leaders including Gurnam Singh Charuni have been arrested. On Wednesday, the Centre announced a hike of 7 per cent in minimum support prices for Kharif crops vis-à-vis the rates fixed last year. Farmers are alleging that wholesale buyers at markets are not purchasing sunflower seeds at MSP rates. Farmer leaders have said, they will continue with their stir unless sunflower seeds are purchased at MSP rates. There is no doubt that the Centre has raised the MSP for almost all crops during the last several years. It has been trying to provide relief to farmers, but the problem is at the ground level. Though the Centre raises MSP, buyers at mandis refuse to buy at MSP rate. Government procurement centres are not many, where farmers can sell their crops. Opposition parties are trying to take advantage of the miseries of farmers. Since assembly elections will be held in Rajasthan, MP, Chhattisgarh and later in Haryana, political parties have become active by taking up the cause of farmers. Blocking of highways have begun. The slogans are the same, the protesters are the same, the pattern is the same. These are the same which people noticed last year during the farmers’ movement. Haryana Agriculture Minister has said, those protesting are not farmers but political agents in the guise of farmers. The matter has now become political.
OPPOSITION UNITY : HOW STRONG IS THE FOUNDATION?
Bihar chief minister Nitish Kumar will host a conclave of anti-Modi opposition parties in Patna on June 23. Congress President Mallikarjun Kharge and Rahul Gandhi, NCP chief Sharad Pawar, West Bengal CM Mamata Banerjee, Jharkhand CM Hemant Soren, Delhi CM Arvind Kejriwal, Samajwadi Party chief Akhilesh Yadav, DMK chief M K Stalin and Left leaders have agreed to attend. Earlier, the meeting was fixed for June 12, but had to be called off because several leaders had prior commitments. In Patna, as JD(U) leader Lallan Singh announced the names of leaders, RJD chief Tejashwi Yadav, sitting beside him, said, this was possible because of consistent efforts by Nitish Kumar and Lalu Prasad Yadav for forging opposition unity. There is no doubt that leaders of opposition parties have gathered on a common platform with the sole aim of ousting Narendra Modi from power. Most of these leaders are ready to forget past differences and join hands. The most interesting part is that Nitish Kumar, the man behind this effort, had been Bihar CM twice with BJP support. People in Bihar know that Lalu Prasad’s RJD joined hands with Nitish Kumar due to political compulsions, despite being ditched by the Bihar CM twice in the past. Nobody can predict when Nitish Kumar can switch camps. The platform of all opposition parties that is being forged, is being built on weak foundations. The role of Congress in opposition unity will be important. Congress is the only opposition party with an all India base, and its leaders have good experience of running governments. But opposition leaders feel that Congress has changed its mood after its win in Karnataka. If Congress wins assembly polls in MP and Chhattisgarh later this year, it would be difficult to reign in the Congress. The latest example of change in the mood of Congress is its approach towards Arvind Kejriwal. The Delhi CM tried his best to cajole the Congress, but the Grand Old Party has refused to support AAP’s efforts to oppose the Delhi-related ordinance.
रेल हादसा : तकनीकी खामी, लापरवाही या साज़िश ?
ओडिशा में हुए भयानक रेल हादसे में कई नई बातें सामने आईं है. ये साफ हो गया है कि बालेश्वर में रेल हादसा तकीनीकी गड़बड़ी के कारण नहीं हुआ. इतना बड़ा हादसा इसलिए हुआ क्योंकि सिग्नल सिस्टम में छेड़छाड़ की गई थी. 288 बेकसूर लोगों की जानें इसलिए गई कि किसी ने आखिरी वक्त में कोरोमंडल एक्सप्रेस की लाइन बदल दी. यह गाड़ी मेन लाइन पर जा रही थी, अचानक उसे लूप लाइन पर डायवर्ट किया गया, जहां छह हजार टन लोहे से भरी मालगाड़ी खड़ी थी. 128 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से जा रही कोरोमंडल एक्सप्रेस लोहे की दीवार जैसी मालगाड़ी से जा टकराई. कुछ डिब्बे दूसरी मेन लाइन पर गिरे और दूसरी तरफ से आ रही बेंगलुरु-हावड़ा एक्सप्रेस भी हादसे का शिकार हो गई. अब सवाल ये है कि वो शख्स कौन था जिसने कोरोमंडल एक्सप्रेस को लूप लाइन पर डाला? रेलवे के बड़े अफसरों का कहना है कि ये काम गलती से नहीं हो सकता, ये इंसानी गलती का मामला नहीं है, ये तकनीकी खामी का मामला भी नहीं है. अब सीबीआई इस केस की जांच कर रही है. CBI ने एफआईआर दर्ज कर लिया है, सारे रिकॉर्ड अपने कब्जे में ले लिए. लेकिन अब कांग्रेस समेत दूसरे विरोधी दलों ने CBI जांच पर सवाल उठा दिए हैं. कांग्रेस ने आरोप लगाया कि सरकार सच्चाई को छुपाना चाहती है, वरना जांच का काम तो कमिश्नर ऑफ रेलवे सेफ्टी का है, इसमें CBI का क्या काम? कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह, तृणमूल कांग्रेस अध्यक्ष ममता बनर्जी और समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने सीबीआई जांच पर सवाल उठाए हैं, लेकिन जनता दल-एस के अध्यक्ष और पूर्व पीएम एच डी देवगौडा ने कहा कि सीबीआई जांच पर सवाल उठाना ठीक नहीं है. इस मुद्दे पर सियासत नहीं होनी चाहिए. देवगौडा ने कहा, वो पिछले तीन दिन से देख रहे हैं कि कैसे रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव मेहनत कर रहे हैं, दुर्घटना स्थल पर खड़े होकर बचाव और पटरियों की मरम्मत का काम खुद देख रहे हैं. मुझे लगता है इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि इस भयानक दुर्घटना की जांच कौन कर रहा है. जांच जो भी करे, सच सामने आना चाहिए. जांच इस बात की होनी चाहिए कि क्या इलेक्ट्रोनिक इंटरलॉकिंग सिस्टम ने ट्रेन चालक को गुमराह किया? जिस ट्रेन को मेन लाइन पर जाना था उसे ऐन वक्त पर लूप लाइन पर कैसे डाल दिया ? इलेक्ट्रोनिक इंटर लॉकिंग सिस्टम को दोषमुक्त माना जाता है. अगर सिस्टम फेल होता है या खराब होता है तो सारे सिग्नल रेड हो जाते हैं, सारी ट्रेनें रुक जातीं हैं. फिर गड़बड़ कहां हुई? कैसे हुई? इलेक्ट्रोनिक इंटरलॉकिंग में बदलाव किसने किया? अलग अलग लोगों की अलग अलग राय है. कोई कह रहा है कि लोकेशन बॉक्स में हुए मैनुअल चेंज की वजह से कोरोमंडल एक्सप्रेस को ग्रीन सिग्नल मिला. किसी का कहना है कि इंटरलॉकिंग सिस्टम से साजिश के तहत छेड़छाड़ की गई, जिससे ट्रेन लूप लाइन पर चली गई. हर किसी की अपनी थ्योरी है, अपना विचार है. इसलिए सीबीआई के सामने बहुत बड़ी चुनौती है, ये पता लगाना कि जो सिस्टम कभी फेल नहीं हो सकता, उसने धोखा कैसे दिया? क्या ये टैक्निकल फॉल्ट था या किसी की लापरवाही की वजह से ऐसा हुआ या फिर किसी साजिश के तहत इंटरलॉकिंग में बदलाव किया गया? जब तक इन सवालों के जवाब नहीं मिलते किसी को चैन कैसे आ सकता है? कांग्रेस कह रही है कि सरकार सच छिपाने की कोशिश कर रही है. ममता बनर्जी ने कहा कि सच सामने आना चाहिए और शुभेंदु अधिकारी ने तृणमूल नेताओं द्वारा वायरल की गई ऑडियो रिकॉर्डिंग पर सवाल उठा दिए. इसकी क्या जरूरत थी? देवेगौड़ा ने ठीक कहा, इस मामले में सियासत नहीं होनी चाहिए.
बिहार में पुल गिरा : ज़िम्मेवार कौन ?
एक और हादसे पर सियासत हो रही है और नीतीश कुमार को जबाव देते नहीं बन रहा है. भागलपुर में गंगा पर बना पुल दूसरी बार ढ़ह गया और छत्तीस घंटे के भीतर आज सरकार को IIT रूड़की की वो जांच रिपोर्ट भी मिल गई जो 14 महीने से नहीं मिली थी. इसके बाद बिहार सरकार ने लापरवाह अफसरों की भी पहचान कर ली, और जिस कंपनी को 1700 करोड़ में पुल बनाने का ठेका दिया था, उसके खिलाफ भी एक्शन ले लिया. भागलपुर में पुल का निर्माण कर रही एस पी सिंगला कंस्ट्रक्शन कंपनी को कारण बताओ नोटिस दिया गया. एजेंसी को 15 दिन के अंदर गंगा नदी से मलबा हटाने को कहा गया. बिहार पुल निर्माण निगम के MD को भी कारण बताओ नोटिस दिया गया. खगड़िया के एग्जीक्यूटिव इंजीनियर को सस्पेंड कर दिया गया. बिहार के अवर मुख्य सचिव प्रत्यय अमृत ने कहा कि जब पिछली बार पुल गिरा था तभी से इसकी डिजाइन को लेकर शक था, आईआईटी रुड़की की टीम की जांच रिपोर्ट आ गई है. पुल को नए सिरे से बनाया जाएगा. इसके लिए डिटेल्ड प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार हौगी, और मॉनसून के बाद पुल को नए सिरे से बनाने का काम शुरु किया जाएगा. 1700 करोड़ की लागत से बना पुल ताश के पत्तों की तरह ढ़ह जाए तो सवाल पूछे जाएंगे और नीतीश कुमार को जबाव देना पड़ेगा. नीतीश कुमार खुद कह रहे हैं कि उन्हें तो पहले से पता था कि पुल बनाने में गड़बड़ी हो रही है तो सवाल है कि फिर कार्रवाई क्यों नहीं हुई? तेजस्वी कह रहे हैं कि सरकार IIT की रिपोर्ट का इंतजार कर रही थी. तो सवाल उठता है कि अगर रिपोर्ट का इंतजार हो रहा था तो फिर इस दौरान उसी कंपनी को पुल का काम शुरू करने की अनुमति किसने दी? क्यों दी? और सबसे बड़ा सवाल ये है कि IIT रूड़की को जो रिपोर्ट सरकार को 14 महीने से नहीं मिली थी, वो एक ही दिन में कैसे मिल गई? जब तक इन सवालों के जबाव सरकार नहीं देती, तब तक नीतीश सरकार की नीयत पर शक बना रहेगा और इसका राजनीतिक नुकसान नीतीश के साथ साथ तेजस्वी को भी होगा. एसपी सिंगला कन्स्ट्रक्शन कंपनी के देश में 34 प्रोजेक्ट्स चल रहे हैं. इस कंपनी को महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे की सरकार के वक्त मुंबई में गोरेगांव-मुलुंड लिंक रोड बनाने का ठेका मिला था. अब इस टेंडर की जांच करवाने की मांग शुरू हो गई है..गोरेगांव-मुलुंड लिंक रोड प्रोजेक्ट के के तहत का फ्लाईओवर बनाने का ठेका एसपी सिंगला प्राइवेट लिमिटेड को दिसंबर 2021 में बीएमसी ने दिया था, उस वक्त उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री थे. भागलपुर में ब्रिज गिरने के बाद एनसीपी, कांग्रेस और बीजेपी ने इस प्रोजेक्ट की क्वालिटी और टेंडर प्रोसेस की जांच की मांग की है. इस मामले में उद्धव ठाकरे पर इल्जाम लग रहे हैं. उनकी पार्टी के सांसद अरविंद सावंत ने कहा कि जब ये ठेका उद्धव सरकार ने सिंगला कंपनी को दिया था उस वक्त एकनाथ शिन्दे नगर विकास मंत्री थे, आज भी ये विभाग एकनाथ शिन्दे के पास है, इसलिए जिसको शक हो, वो एकनाथ शिन्दे से जाकर पूछ ले कि सिंगला कंपनी को ठेका क्यों दिया था.
पहलवानों का मुद्दा : सुलझाने का अब वक्त
चैम्पियन पहलवान बजरंग पूनिया और साक्षी मलिक ने बुधवार को खेल मंत्री अनुराग ठाकुर से मुलाकात की. खेल मंत्री ने उन्हें बातचीत के लिए बुलाया था. पहलवानों ने मांग की कि उनकी मुख्य मांग है, भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह को गिरफ्तार किया जाय। आज वार्ती अदूरी रही, और अभी बातचीत के कई और दौर हो सकते हैं. मुझे लगता है कि चैंपियन पहलवानों ने पिछले कुछ दिनों में बहुत संयम दिखाया है. सरकार से बात करने की पहल की है. इस मामले में कुछ एक्शन तो तुरंत लिए जा सकते हैं. सबसे पहला, पहलवानों को यकीन दिलाया जाए कि पुलिस बृज भूषण शरण सिंह को बचाने की कोशिश नहीं कर रही. अगर इसके बाद भी पहलवानों को पुलिस पर भरोसा ना हो तो जांच किसी दूसरी एजेंसी को दे दी जाए. दूसरा, बृज भूषण शरण सिंह को फेडरेशन के अध्यक्ष पद से तुरंत हटाया जाए और ये सुनिश्चित किया जाए कि जब भी फेडरेशन के चुनाव होंगे तो बृज भूषण का बेटा या उनका कोई रिश्तेदार या उनका कोई नॉमिनी फेडरेशन का अध्यक्ष नहीं बनेगा. तीसरी बात, महिला पहलवानों के दैनन्दिन मामलों की देखरेख के लिए किसी महिला प्रशासक को जिम्मेदारी दी जाए. मेरी जानकारी के अनुसार, इस दिशा में बात आगे बढ़ी है. बात अटकी है, बृज भूषण शरण सिंह की गिरफ्तारी को लेकर. मुझे लगता है कि अगर पुलिस की शुरुआती जांच में बृज भूषण दोषी पाए जाते हैं तो उनके खिलाफ एक्शन लिया जाना चाहिए. अगर हिरासत में लेकर पूछताछ करने की जरूरत हो तो वो भी किया जाना चाहिए. इन रास्तों से मामला सुलझाने के लिए दोनों तरफ से अगर कोशिश हुई तो रास्ता जरूर निकलेगा.
RAIL TRAGEDY: TECHNICAL GLITCH, NEGLIGENCE OR CONSPIRACY ?
Several new facts have emerged about the Balasore railway accident. It is now almost clear that the crash did not take place due to ‘technical error’. There was some ‘interference’ in the signal system. 288 people lost their lives because somebody at the last moment changed the line through which Coromandel Express was to pass. It passed through the loop line instead of the main line, and crashed at a speed of 128 kmph into a stationary goods train carrying 6,000 tonnes of iron ores. Some coaches fell on the other line derailing two coaches of Bengaluru-Howrah Express. Already, CBI has filed an FIR and has started its probe, but several political parties have questioned the need for CBI probe. Congress alleged that the government is trying to hide the truth by ordering a CBI probe. It said, normally, railway accidents are probed by Commissioner for Railway Safety. Congress leader Digvijaya Singh, Trinamool Congress supremo Mamata Banerjee and Samajwadi Party chief Akhilesh Yadav have questioned the need for CBI probe. But Janata Dal (S) chief and former PM H D Deve Gowda praised Railway Minister Ashwini Vaishnaw for toiling hard at the accident site for three days, till restoration work was complete. He said, it was not proper to question CBI probe. I feel, it does not matter who is conducting the probe. Whosever may investigate, the truth must come out before the public. It must be investigated who misguided the loco pilot of Coromandel Express by tinkering with the electronic interlocking system, which is considered failsafe and error-free? Whenever there is a flaw in the signal system, all signals glow red, and trains are halted. Then where was the error and how? Who tinkered with the electronic interlocking system? Different people have varied views. Some said, a manual change in the location box gave a green signal to Coromandel Express. Some said, the interlocking system was deliberately tinkered with as part of a conspiracy. Since everybody has his own theory and conclusion, it has now become a big challenge for CBI to find out how a foolproof system gave the wrong signal. Was it a technical glitch or negligence? Or, was the interlocking changed as part of a conspiracy? Unless one gets answers to all these questions, it would be better, and I think, Deve Gowda is right, that politicians must avoid indulging in games.
BRIDGE COLLAPSE : WHO’S RESPONSIBLE ?
After the under-construction bridge collapsed in Bhagalpur, Bihar, on Sunday, the IIT Roorkee experts committee report which was being awaited since 14 months, was submitted within 36 hours. Bihar government has suspended an executive engineer, issued show cause notices to the MD of Bihar Pul Nirman Nigam Ltd and S P Singla Construction company, and directed that the debris be removed from Ganga river within 15 days. The company may be blacklisted, said the Additional Chief Secretary. When a Rs 1700 crore worth bridge collapses like a pack of cards, questions will be raised and Chief Minister Nitish Kumar must reply. He has already said that he knew there were serious lapses in construction. The question arises: why no action was taken? Tejashwi Yadav says, government was awaiting the IIT experts’ report. Then the question is: if the report was being awaited, why was permission given to resume work on the bridge? The biggest question is: How was the IIT experts’ report which was being awaited since 14 months, was submitted within a day? Unless these questions are addressed, there will be suspicions on the intentions of Nitish Kumar’s government. Both Nitish and Tejaswi Yadav will have to face political damage. Meanwhile, questions have been raised in Maharashtra about the same S P Singla construction company involved in 34 projects. When Uddhav Thackeray was chief minister, the contract for building Rs 6,000 crore worth Goregaon-Mulund Link Road (GMLR) project, which includes a 12 km road and a flyover, was given to the company in December, 2021 by Brihanmumbai Municipal Corporation. Now NCP, Congress and BJP have demanded probe into the quality of the project and the entire tendering process. Congress leader Ravi Raja has demanded that the contract be cancelled and the company be blacklisted. Shiv Sena (UT) leader Arvind Sawant replied that when Uddhav Thackeray govt have the contract to that company, Eknath Shinde was Urban Development Minister, and even today, the same department is with Shinde. Questions must be raised with the present CM Eknath Shinde, he said.
WRESTLERS’ ISSUE : TIME TO RESOLVE NOW
Champion wrestlers Bajrang Punia and Sakshee Mallikh on Wednesday met Union Sports Minister Anurag Thakur and demanded that the Wrestling Federation chief Brij Bhushan Sharan Singh must be arrested. The Sports Minister has invited the wrestlers for fresh talks relating to sexual harassment charges. Though the meeting was inconclusive, there will be further rounds of talks. I think our champion wrestlers have shown much restraint and the government has taken an initiative to speak to them. Let us hope some action will be taken at the earliest. First, the wrestlers must be convinced that Delhi Police is not trying to shield MP Brij Bhushan Sharan Singh. If the wrestlers still persist in saying they do not trust the police, then the probe be given to some other agency. Second, Brij Bhushan Sharan Singh must be removed immediately from the post of President of the Wrestling Federation of India and it must be ensured that whenever WFI elections take place, no relative or son or nominee of Brij Bhushan Sharan Singh be made the president. Third, handling of day-to-day matters of women wrestlers be given to a female administrator. I think, some steps have begun in this direction. The only issue now left is about the wrestlers’ demand for arrest of Brij Bhushan Sharan Singh. I think if police finds the MP guilty of sexual harassment charges, action must be taken against him. If required, he should be taken into custody and interrogated. A way can be found out if efforts are made from both ends to resolve the issue.