नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता के राज़
देश की जनता का सियासी मिजाज भांपने के लिए हमने एक राष्ट्रव्यापी ओपिनियन पोल किया ताकि यह पता लगाया जा सके कि अगर आज लोकसभा चुनाव कराए जाएं तो कौन सी पार्टी जीतेगी। इंडिया टीवी-मैट्रिज ओपिनियन पोल ने यह अनुमान जताया है कि अगर अभी लोकसभा चुनाव कराए जाएं तो एनडीए को पूर्ण बहुमत मिलेगा।
सर्वे में उत्तरी, पश्चिमी, मध्य और उत्तर-पूर्वी भारत में एनडीए की बड़ी जीत का अनुमान है। वहीं क्षेत्रीय और गैर-बीजेपी दल दक्षिण के राज्यों तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और केरल में बेहतर प्रदर्शन करेंगे जबकि पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस की जीत का सिलसिला जारी रहेगा। यही इस पूरे ओपिनियन पोल का संक्षिप्त निष्कर्ष रहा।
अगर लोकप्रियता की बात करें तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अभी-भी अव्वल हैं। 48 फीसदी लोगों की पसंद के साथ उन्होंने राहुल गांधी, ममता बनर्जी और विपक्ष के अन्य नेताओं को पीछे छोड़ दिया है। यह सर्वे मैट्रिज न्यूज ने 11 जुलाई से 24 जुलाई के बीच 34 हजार लोगों के बीच किया जिसमें करीब 20 हजार पुरुष और 14 हजार महिलाएं शामिल हुईं।
ओपिनियन पोल में नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली एनडीए को लोकसभा की कुल 543 में से 362 सीटें जीतने का अनुमान जताया गया है। अगर यही ट्रेंड्स चुनाव तक बना रहा तो नरेंद्र मोदी इतिहस रच सकते हैं। वे जवाहरलाल नेहरू के रिकॉर्ड की बराबरी कर सकते हैं। क्योंकि अबतक सिर्फ जवाहरलाल नेहरू ने 1952, 1957 और 1962 में लगातार तीन लोकसभा चुनावों में जीत हासिल की है। आमतौर पर पांच साल का कार्यकाल पूरा होने तक किसी भी नेता या पार्टी के खिलाफ एंटी इन्कम्बेंसी (सत्ता विरोधी) लहर शुरू हो जाती है, लेकिन मोदी के मामले बिल्कुल उल्टा है। सांप्रदायिक तनाव, महंगाई और बेरोजगारी जैसे कई मुद्दों के बावजूद उनकी लोकप्रियता की रेटिंग लगातार बढ़ रही है।
अगर आज लोकसभा चुनाव कराए जाएं तो इंडिया टीवी-मैट्रिज ओपिनियन पोल के मुताबिक पार्टी के आधार पर सीटों का ब्यौरा कुछ इस प्रकार रह सकता है।
एनडीए-362 सीटें (बीजेपी-326, जेडीयू-14, शिंदे शिवसेना-11, अन्य-11), यूपीए-97 सीटें (कांग्रेस-39, डीएमके-25, एनसीपी-6, आरजेडी-4, ठाकरे शिवसेना-3, अन्य-20)। वहीं ‘अन्य’ जिसमें क्षेत्रीय दल और निर्दलीय भी शामिल हैं, उन्हें 84 सीटें (तृणमूल कांग्रेस-26, वाईएसआर कांग्रेस-9, टीआरएस-8, आम आदमी पार्टी-5, समाजवादी पार्टी-2 अन्य और निर्दलीय-24) सीटें मिल सकती हैं।
ओपनियन पोल का यह अनुमान साफ तौर पर बताता है कि यह लीडरशिप का असर है। पार्टी का नेतृत्व किसके हाथ में है, नेता कितना मजबूत है और उसकी छवि कैसी है, इस पर पार्टी का प्रदर्शन निर्भर करता है। सर्वे में इसका असर दिख रहा है। राहुल गांधी की लीडरशिप में कांग्रेस का ग्राफ 2014 के बाद से लगातार गिर रहा है। सर्वे के हिसाब से कांग्रेस न्यूनतम आंकड़े तक पहुंचने का रिकॉर्ड बनाएगी। खास बात यह है कि इस दौरान कोरोना जैसी ग्लोबल महामारी आई, रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से तेल संकट भी पैदा हुआ। इसके बावजूद मोदी की अगुवाई में एनडीए अपनी सीटें बढ़ा रहा है।
मोदी की बढ़ती लोकप्रियता को लेकर राज्यसभा में सदन के नेता और वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि ग्लोबल लेवल पर इतने संकट आने के बावजूद प्रधानमंत्री मोदी ने जिस तरह हालात को संभाला, कोरोना के दौरान गरीबों तक राशन पहुंचाया, उसकी वजह से उन्होंने देश की जनता के दिल को छुआ है। और यही वजह है कि एनडीए सरकार पहले से ज्यादा मजबूत हुई है।
मोदी कैसे विपक्षी दलों के नेताओं को पछाड़ने में कामयाब रहे और देश के नंबर वन नेता बन गए, इसका जवाब पाने के लिए किसी सर्वे की जरूरत नहीं है। ममता बनर्जी, शरद पवार, के. चन्द्रशेखर राव और देवेगौड़ा जैसे तमाम नेता सार्वजनिक मंचों से कई बार कह चुके हैं कि मोदी का मुकाबला कोई अकेला नहीं कर सकता। विपक्षी दलों को मिलकर मोदी से लड़ना होगा।
लगभग सभी विपक्षी दल यह मान चुके हैं कि मोदी इस समय भारत के सबसे बड़े, सबसे ताकतवर और सबसे लोकप्रिय नेता हैं, सर्वे तो सिर्फ इस बात पर मुहर लगाता है और इसकी पुष्टि करता है। नरेन्द्र मोदी के विरोधी भी मानते हैं कि मोदी ने पिछले आठ साल में देश की राजनीति में अपना कद इतना बढ़ा लिया है कि कोई दूर-दूर तक उनके मुकाबले में दिखाई नहीं देता। ऐसा एक भी नेता नजर नहीं आता जो उन्हें चुनौती देने की क्षमता रखता हो।
मोदी की इस लोकप्रियता का राज क्या है ?
मुझे लगता है कि इसका सबसे बड़ा राज है मोदी की मेहनत। नरेंद्र मोदी दिन-रात काम में लगे रहते हैं। चाहे सरकार चलाने का काम हो, बीजेपी के संगठन का काम हो, या फिर चुनाव लड़ने का, हर जगह मोदी फ्रंट से लीड करते हैं। जाहिर है जो भी यह सब करेगा उसे अथक परिश्रम करना पड़ेगा। न आराम का टाइम होगा और न मनोरंजन का। मैंने अपने चालीस साल के करियर में इतनी मेहनत करने वाला दूसरा नेता नहीं देखा।
मोदी की सफलता का दूसरा राज यह है कि उन्होंने गरीबों और दलितों के लिए जो योजनाएं बनाई और चलाई, उससे लोगों में भरोसा पैदा हुआ है। मोदी से पहले नेताओं और सरकारों से सिर्फ वादे मिलते थे, लेकिन नरेन्द्र मोदी की सरकार में जब लोगों को घर, राशन, रसोई गैस, बिजली, पानी और सड़कें मिलीं तब लोगों को लगा कि एक नेता है, वो जो कहता है उसे पूरा करता है। जाहिर है कि ऐसे नेता का जनता सपोर्ट क्यों नहीं करेगी? ये सारी बातें हमारे सर्वे में रिफलैक्ट होती हैं, जिसे हमने शुक्रवार को इंडिया टीवी पर प्रसारित किया।
मोदी को देश का सबसे लोकप्रिय नेता बताने के कुछ अन्य कारण भी हैं। पहली बात, लोगों को यह भरोसा है कि नरेन्द्र मोदी कट्टर देशभक्त हैं और उनके हाथों में देश सुरक्षित है।
दूसरी बात, मोदी के प्रधानमंत्री बनने से पहले लोगों को लगता था कि नेता ईमानदार नहीं होते हैं। राजनीति में सिर्फ भ्रष्टाचार है। लेकिन मोदी के आने के बाद उनके 8 वर्षों के शासन में लोगों के मन में यह भरोसा पैदा हुआ कि ईमानदारी से भ्रष्टाचार मुक्त सरकार चल सकती है। लोगों को नरेन्द्र मोदी की ईमानदारी पर रत्ती भर भी शक नहीं है।
तीसरी बात, देश के हिन्दू समाज को लगता है कि मोदी के कारण तुष्टिकरण का काम बंद हो गया है। अब यह दिखाई देता है कि दूसरी पार्टियों के नेता भी मंदिर जाते हैं, पूजा करते हैं, जनेऊ दिखाते हैं और खुद को अच्छा हिंदू बताते हैं।
चौथी बात, मोदी की तीसरी आंख हर वक्त अपने राजनितिक विरोधियों पर रहती है। मोदी के पास एक सशक्त टीम है जो विरोधियों को ठिकाने लगाने के काम में दिन-रात लगी रहती है।
पांचवीं बात, बाकी पार्टियों के मुकाबले बीजेपी के नेताओं-कार्यकर्ताओं को अपने एक लीडर पर पूरा विश्वास है। न पार्टी में कोई दूसरा पावर सेंटर है, न सरकार में कोई समानान्तर लीडरशिप है। बीजेपी के कार्यकर्ता और नेता मानते हैं कि मोदी ही उन्हें जिता सकते हैं और मोदी ही सरकार चला सकते हैं। इंडिया टीवी के सर्वे में जो दिखाई देता है वो इन सारी बातों का असर है।
The secrets behind Modi’s popularity
With a view to gauge the political mood of the people across India, we commissioned a nationwide opinion poll titled ‘Desh Ki Awaaz’ to find out which party will win if a Lok Sabha election is held now. The India TV-Matrize Opinion Poll projected Modi-led NDA to win an absolute majority in the event of a snap LS election.
NDA is projected to sweep the polls in northern, western, central and north-eastern India, while regional and non-BJP parties will perform better in the southern states of Tamil Nadu, Andhra Pradesh and Kerala, and the Trinamool Congress in West Bengal. This, in a nutshell, was the conclusion of the India TV Opinion Poll.
In the popularity ratings, Prime Minister Narendra Modi stands tall scoring 48 per cent acceptance from the people, with other opposition leaders like Rahul Gandhi, Mamata Banerjee and others way behind. The survey was conducted by Matrize News between July 11 and 24 among 34 thousand respondents, which include nearly 20,000 males and 14,000 females.
The opinion poll projected Modi-led NDA to win 362 seats out of a total of 543 LS seats. If this trend persists till the 2024 Lok Sabha elections, Narendra Modi can create history. Only Jawaharlal Nehru won three Lok Sabha elections consecutively in 1952, 1957 and 1962, and Modi can very well equal Nehru’s record. Normally anti-incumbency sentiment sets in after a leader completes five years of his tenure, but in Modi’s case, it seems to be exactly the opposite. His popularity rating is on the rise, consistently, despite several issues like communal tension, rising prices, and unemployment.
The India TV-Matrize opinion poll gives the following partywise projection, if a Lok Sabha election is held now:
NDA 362 (BJP 326, JD(U) 14, Shinde Shiv Sena 11, Others 11),
UPA 97 seats (Congress 39, DMK 25, NCP 6, RJD 4, Thackeray Shiv Sena 3, Others 20).
‘Others’ including regional parties may win 84 seats (Trinamool Congress 26, YSR Congress 9, TRS 8, Aam Aadmi Party 5, Samajwadi Party 2, independents and others 24).
The projections clearly reflect the positive effects of a strong leadership. The stronger a leader, the brighter his image, the better his electoral performance. Rahul Gandhi’s leadership is reflected poorly in the falling graph of Congress since 2014, when Modi rode to power. The survey clearly shows that the Congress may set a dubious record of touching the minimum mark. This is happening at a time when there is a global pandemic and Ukraine war causing economic crisis all over the world, and yet Modi-led NDA is set to increase its tally of seats.
It was Commerce Minister Piyush Goyal who said in Rajya Sabha that by distributing free foodgrains to millions of poor Indians during the pandemic, Modi has touched the chords of people’s hearts. This seems to be the main reason why NDA is set to improve its tally.
How Modi managed to outflank the opposition parties and become India’s No. 1 leader at this moment. To get the answer, one need not look at a survey. Opposition leaders like Mamata Banerjee, Sharad Pawar, K. Chandrashekhar Rao and H D Devegowda have said this several times in public that one single opposition leader can never muster the strength to challenge Modi. Opposition parties need to unite to challenge Modi.
Almost all opposition leaders have achknowledged that Modi is currently India’s most popular, tallest and strongest leader. The findings of the survey only puts its seal on this sentiment. In the last eight years of his governance, Modi has enhanced his stature in politics to a level, which no other opposition leader can ever dream of. There is not a single leader who seems to have the potential to challenge him.
What are the secrets behind Modi’s popularity?
I think, the biggest reason is: Modi’s toil. He works from early morning till late in the night, whether in the field of governance or fixing BJP’s organasiational issues, or preparing the party for elections. Modi leads from the front, both in the government and in his party. Naturally, a statesman who toils hard day and night, without taking a break for recreation, is bound to become popular among the masses. In my 40-year-long career, I have never seen a leader who toiled so hard.
The second secret of Modi’s success is his schemes to help the poor and downtrodden. By implementing path breaking schemes, he gained the trust of the poorer class. Leaders who preceded Modi only used to give promises, but failed to implement. During Modi’s regime, the lower middle class and poorer sections got houses, free ration, power, water, good roads, and cooking gas. The masses felt that here was a leader who not only promises, but fulfils them at the earliest. The natural corollary: Why won’t the poor people not support Modi in that case? All these points reflect in our survey that we telecasted on Friday on India TV.
There are some other reasons why Modi’s popularity rating is on the rise. One, the common Indian believes that Modi is a staunch patriot and the nation is safe in his hands.
Two, Before Modi became PM , there was a perception among common people that leaders at the top were not honest and there is widespread corruption in politics. After Modi ruled for eight years, the man on the street has regained the trust that he had lost earlier. The people realized that there can be corruption-free governance and the leaders can be honest. The man on the street does not have an iota of doubt about Modi’s honesty.
Thirdly, the Hindu society in India now believes that the government at the Centre is no more following the policy of appeasement under Modi’s rule. Leaders of opposition parties have also started visiting temples, offering prayers, showing off their ‘janeu’ (sacred thread) and projecting themselves as a ‘good Hindu’.
Fourth point: Modi has a strong team with him that keeps a “third eye” on political opponents. This team consistently tries to put the opposition in place.
Fifthly, Compared to other parties, the leaders and workers in BJP repose their full trust in a single leader, there is no second power centre in BJP, nor is there any parallel leadership in government. The leaders and workers in BJP feel that only Modi can win the elections for the party and run the government. The India TV survey substantiates this outlook.
अधीर रंजन चौधरी को राष्ट्रपति के अपमान के लिए माफी मांगनी चाहिए
संसद के दोनों सदनों में गुरुवार और शुक्रवार को ज़ोरदार हंगामा हुआ। बीजेपी और विपक्षी सांसद एक दूसरे पर वार और पलटवार करते रहे। वजह थी, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के बारे में कांग्रेस संसदीय दल के नेता अधीर रंजन चौधरी द्वारा की गई एक अमर्यादित टिप्पणी। एक टीवी इंटरव्यू में चौधरी ने ‘राष्ट्रपत्नी’ शब्द का इस्तेमाल किया था।
केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी की अगुआई में बीजेपी सांसदों ने इस बयान पर कड़ी आपत्ति जताई। उन्होंने इसे कांग्रेस नेता द्वारा जानबूझकर राष्ट्रपति के खिलाफ दिया गया ‘सेक्सिस्ट’ बयान बताया। वहीं, चौधरी ने सफाई देते हुए कहा कि ‘चूकवश’ उनके मुंह से यह शब्द निकल गया और उनका इरादा कभी भी राष्ट्रपति का अपमान करने का नहीं था। हालांकि उन्होंने कहा, वह सिर्फ राष्ट्रपति मुर्मू से व्यक्तिगत रूप से मिलकर ही माफी मांगेंगे।
गुरुवार को लोकसभा में केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी पर निशाना साधा और राष्ट्रपति मुर्मू को ‘दुर्भावनापूर्ण तरीके से निशाना बनाने’ के लिए माफी मांगने को कहा। ईरानी ने कांग्रेस को ‘महिला विरोधी, आदिवासी विरोधी और दलित विरोधी’ करार दिया। लोकसभा में बीजेपी के लगभग सभी सांसद ‘सोनिया गांधी माफ़ी मांगो’ के नारे लगाते हुए खड़ हो गए थे। स्मृति ईरानी ने कहा, ‘कांग्रेस यह बर्दाश्त नहीं कर सकी कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक गरीब आदिवासी महिला को राष्ट्रपति बनाया। सोनिया जी ने सर्वोच्च संवैधानिक पद पर बैठी एक महिला के अपमान की इजाज़त दी।’
मामले में नया ट्विस्ट तब आया जब सदन की कार्यवाही रुकने के बाद सोनिया गांधी और केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी के बीच बहस हो गई। कांग्रेस अध्यक्ष अपनी सीट से उठकर बीजेपी की सांसद रमा देवी के पास पहुंचीं और उनसे पूछा, ‘मेरी क्या गलती है? अधीर रंजन चौधरी पहले ही माफी मांग चुके हैं।’ दोनों की बातचीत के बीच स्मृति ईरानी भी वहां पहुंच गईं और उन्होंने सोनिया से पूछा, ‘मैडम, क्या मैं आपकी मदद कर सकती हूं? आपका नाम मैंने लिया था।’ इस पर सोनिया गांधी ने बड़ी तल्ख़ी से जवाब देते हुए कहा, ‘आप मुझसे बात मत करिये।’
NCP सांसद सुप्रिया सुले के मुताबिक, वह सोनिया गांधी के पास गईं और उनसे कहा कि ‘इन सब बातों का कोई नतीजा नहीं निकलेगा।’ सुप्रिया सुले ने कहा, ‘सोनिया जी और मैं वहां से चले गए और मैंने उन्हें उनकी कार तक छोड़ा।’ स्मृति ईरानी और सोनिया गांधी के बीच तीखी नोकझोंक के दौरान सुप्रिया सुले और तृणमूल कांग्रेस की कई महिला सांसद सोनिया गांधी के पास गईं और उन्हें वहां से हटाकर ले गए। बीजेपी की कई महिला सांसद भी वहां तब तक पहुंच गई थी। बीजेपी सांसदों ने जहां आरोप लगाया कि सोनिया ने स्मृति ईरानी को धमकी दी थी, वहीं कांग्रेस नेताओं ने आरोप लगाया कि बीजेपी सांसदों ने सोनिया के साथ बदतमीज़ी की और उनका अपमान किया।
पिछले 10 दिन से मॉनसून सत्र के दौरान संसद में हंगामा कर रही कांग्रेस गुरुवार को जहां बैकफुट पर आ गई, वहीं बीजेपी हमलावर नजर आई। बीजेपी के नेताओं ने कहा कि चौधरी ने राष्ट्रपति पद का अपमान किया है और उनसे उनकी ‘राष्ट्रपत्नी’ टिप्पणी के लिए बिना शर्त माफी की मांग की। चौधरी ने माफी तो नहीं मांगी, बल्कि उन्होंने कहा कि ‘गलती से एक शब्द मुंह से निकल गया तो क्या फांसी पर लटका दोगे।’ अधीर रंजन चौधरी लोकसभा में सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी के नेता हैं, ऐसे में उनकी टिप्पणी को ‘स्लिप ऑफ टंग’ कहकर अनदेखा नहीं किया जा सकता। जब राष्ट्रपति पर क़ाबिल-ए-ऐतराज़ बयान पर अधीर रंजन माफ़ी मांगने को तैयार नहीं हुए तो बीजेपी कार्यकर्ताओं ने उनके खिलाफ देशभर में प्रदर्शन शुरू कर दिया, और एक आदिवासी महिला राष्ट्रपति के अपमान के लिए उनके पुतले जलाए।
केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि अधीर रंजन चौधरी अपनी जिद पर अड़े थे और उन्होंने सदन में माफी मांगने से इनकार कर दिया, इसलिए बात बढ़ गई। उन्होंने कहा, ‘यह महिलाओं और आदिवासियों के प्रति कांग्रेस की मानसिकता दिखाता है।’ बीजेपी के मुख्यमंत्रियों शिवराज चौहान, पुष्कर सिंह धामी, मनोहर लाल खट्टर, प्रमोद सावंत, योगी आदित्यनाथ और डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस ने अधीर रंजन चौधरी की टिप्पणी को नारी शक्ति का अपमान बताया।
चौधरी ने रिपोर्टर्स से कहा, ‘बीजेपी के कहने पर पर माफी क्यों मांगूं? वे हिपोक्रेट्स (पाखंडी) हैं।’ वहीं, दूसरी तरफ जब पत्रकारों ने सोनिया गांधी से इस बारे में पूछा तो उन्होंने कहा, ‘अधीर रंजन चौधरी पहले ही माफी मांग चुके हैं।’ स्मृति-सोनिया के बीच हुई नोकझोंक पर केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा, ‘बदतमीजी से बात तो सोनिया गांधी ने की थी। वह हमारे सदस्यों को धमका रही थीं। उन्हें अब विनम्रता के साथ देश से माफी मांगनी चाहिए।’ राष्ट्रीय महिला आयोग (NCW) ने चौधरी को नोटिस भेजकर 3 अगस्त तक जवाब मांगा है। NCW ने सोनिया गांधी को भी नोटिस भेजा है।
दोपहर बाद कांग्रेस के सांसद लोकसभा स्पीकर से मिले और सोनिया गांधी एवं स्मृति ईरानी के बीच हुई नोकझोंक की CCTV फुटेज देने की मांग की। उन्होंने कहा कि इस मामले को संसद की प्रिविलेज कमेटी को भेजा जाना चाहिए, और जिन सांसदों ने नारेबाजी की उनको सस्पेंड किया जाना चाहिए। दिलचस्प बात यह है कि जिन अधीर रंजन चौधरी के बयान के चलते यह सारा हंगामा हुआ, विवाद पैदा हुआ, वह भी स्पीकर से बीजेपी सांसदों की शिकायत करने गए थे। स्पीकर से मिलने के बाद अधीर रंजन ने उन्हें एक चिट्ठी लिखी जिसमें उन्होंने सोनिया गांधी से बदसलूकी के मामले में दखल देने की अपील की। अधीर रंजन ने बाद में कहा कि वह राष्ट्रपति से मिलकर उन्हीं से माफी मांगेंगे, लेकिन बीजेपी के कहने पर न उन्होंने माफी मांगी है, और न माफी मांगेंगे।
मुझे लगता है कि अगर अधीर रंजन चौधरी सीधे-सीधे माफी मांग लेते तो यह इतना बड़ा मुद्दा नहीं बनता। द्रौपदी मुर्मू देश की राष्ट्रपति हैं, हमारी तीनों सेनाओं की सुप्रीम कमांडर हैं। वह एक आदिवासी हैं, महिला हैं और हर लिहाज से सम्माननीय हैं। अगर अधीर रंजन चौधरी से गलती हो गई थी तो वह कह देते कि मैं हाथ जोड़कर माफी मांगता हूं, संसद में भी माफी मांगूगा और राष्ट्रपति के पास जाकर भी क्षमा याचना करूंगा। ऐसा करने से अधीर रंजन चौधरी छोटे नहीं हो जाते बल्कि उनका अपना मान भी बढ़ता और राष्ट्रपति का सम्मान भी बढ़ता।
दुर्भाग्य से, उनकी पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी एक बेमतलब के विवाद में फंस गईं। उन्होंने जिस अंदाज़ में रिपोर्टर से कहा कि ‘अधीर रंजन चौधरी ने माफी मांग ली है’, उस अंदाज में थोड़ा अहंकार दिखाई दिया। अगर वह विनम्रता से जवाब देतीं कि अधीर रंजन चौधरी ने द्रौपदी मुर्मू के बारे में जिस तरह के शब्दों का इसतेमाल किया, वह ठीक नहीं है, उनसे माफी मांगने को कहा जाएगा, तो शायद मामला वहीं खत्म हो जाता। लेकिन अधीर रंजन चौधरी और सोनिया गांधी के अड़े रहने से गलत संदेश गया। बीजेपी को यह कहने का मौका मिला कि कांग्रेस आदिवासियों और महिलाओं का सम्मान नहीं करती। कांग्रेस के दूसरे नेताओं ने भी इस मामले में जिस तरह की बयानबाजी की उससे पार्टी की छवि और खराब हुई।
Adhir Ranjan Chowdhury should apologise for insulting the President
There was acrimonious uproar in Parliament both on Thursday and Friday, amid protests and counter protests both by BJP and opposition MPs over the controversial remark made about President Droupadi Murmu by Congress Parliamentary Party leader Adhir Ranjan Chowdhury. In a television interview, Chowdhury had used the ‘Rashtrapatni’ remark.
BJP MPs led by Union Minister Smriti Irani strongly objected to this remark and accused Chowdhury of hurling a ‘deliberate sexist insult’ at India’s first Adivasi woman President. Chowdhury has since clarified that it was his ‘slip of tongue’ and that he never intended to cause disrespect of the President. He however said, he would apologize only to President Murmu personally.
In a fiery intervention in Lok Sabha on Thursday, Union Minister Smriti Irani slammed the Congress President Sonia Gandhi and demanded an apology for what she called ‘maliciously targeting’ President Murmu. Irani described the Congress as “anti-women, anti-tribal and anti-Dalit”. Almost the entire BJP bloc in Lok Sabha was on its feet, shouting slogans ‘Sonia Gandhi Maafi Maango”. Smriti Irani said, “Congress could not tolerate that Prime Minister Narendra Modi made a poor tribal woman as the President. Soniaji sanctioned humiliation of a woman sitting in the highest constitutional post.”
In a fresh twist to the controversy, soon after the Speaker adjourned the House following Smriti Irani’s intervention, a heated row erupted between Irani and Sonia Gandhi. The Congress President went over to the BJP benches and asked a woman BJP MP Rama Devi, “what was my fault? Adhir Chowdhury has already apologized.” During the conversation, Smriti Irani cut in and told Sonia Gandhi, “Madam, May I help you? I took your name.” To which, Sonia Gandhi retorted, “Don’t talk to me.”
According to NCP MP Supriya Sule, she walked up to Sonia Gandhi and told her “this exchange is not going anywhere”. Sule said, “Soniaji and I left and I went and dropped her to her car.” During the heated conversation between Irani and Sonia Gandhi, Supriya Sule and some women MPs from Trinamool Congress, surrounded Sonia Gandhi and took her away, even as several women MPs from BJP reached the scene. While BJP MPs alleged that Sonia Gandhi had threatened Irani, Congress leaders alleged that BJP MPs had heckled and insulted Sonia Gandhi.
The Congress, which had been creating uproar in Parliament for the last ten days of Monsoon Session, appeared to be on the backfoot, and BJP members appeared to be aggressive. BJP leaders demanded unconditional apology from Chowdhury for his ‘Rashtrapatni’ remark because he has insulted the post of President. Chowdhury did not tender apology and instead said, “will you hang me for this slip of tongue?” Since Chowdhury is the leader of the largest opposition party in Lok Sabha, his remark cannot be overlooked as a slip of tongue. There were protests in different cities of India by BJP workers, who burnt effigies of Chowdhury for insulting the Adivasi woman President.
Union Law Minister Kiren Rijiju said that the matter became worse when Chowdhury was adamant and he refused to tender apology inside the House. “This shows Congress party’s mentality towards women and tribals”, he said. BJP chief ministers Shivraj Chauhan, Pushkar Singh Dhami, Manohar Lal Khattar, Pramod Sawant, Yogi Adityanath and Deputy CM Devendra Fadnavis said Adhir Ranjan Chowdhury’s remark was an insult to ‘naari shakti’ (women power).
Chowdhury told reporters, “Why should I apologize because of BJP’s demand? They are hypocrites”. On the other hand, Sonia Gandhi, when asked by reporters, said, “Adhir Ranjan Chowdhury has already apologized.” On the Smriti-Sonia row, Finance Minister Nirmala Sitharaman said, “It was Sonia Gandhi who spoke rudely. She was threatening our members. She should now apologize to the nation politely.” The National Women’s Commission has sent a notice to Chowdhury and sought his reply by August 3. The NCW has also sent notice to Sonia Gandhi.
In the afternoon, Congress MPs met the Lok Sabha Speaker and demanded CCTV footage of the row between Sonia Gandhi and Smriti Irani. They demanded that the matter be referred to the Privileges Committee, and those MPs who were shouting slogans must be suspended. Interestingly, Chowdhury was also part of this delegation, though the entire controversy arose due to his remark about the President. Chowdhury wrote a letter to the Speaker seeking his intervention in the mater relating to ‘heckling’ of Sonia Gandhi. Chowdhury later said, he will meet the President personally and apologize to her, but he would not apologize because of BJP’s demand.
I feel that had Chowdhury apologized soon after making the controversial remark, this would not have become a big issue. Droupadi Murmu is the President of our Republic, and Supreme Commander-in-Chief of our Armed Forces. She is an Adivasi and a woman. She must be accorded full respect. If Chowdhury felt that he had made a mistake, he could have said that ‘I seek apology with folded hands’, both inside Parliament and also while meeting the President. By doing so, Adhir Ranjan Chowdhury’s stature would not have been diminished. He could have gained respect from all and the prestige of the President could have been enhanced.
Unfortunately, his party president Sonia Gandhi was embroiled in an unnecessary controversy. The manner in which she quipped at a reporter by saying that “Chowdhury has already apologized”, smacks of a bit of arrogance. Had she politely told reporters that the words used by Chowdhury against President Murmu were improper, and that he will be asked to apologize, the matter could have ended there. But a wrong message has gone after both Chowdhury and Sonia Gandhi remained adamant and BJP got the chance to allege that the Congress does not respect women and tribals. Remarks by other Congress leaders have also dented the image of the party.
कर्नाटक हत्याकांड: क्या प्रवीण को कन्हैयालाल के हत्यारों से सवाल की कीमत चुकानी पड़ी ?
कर्नाटक के दक्षिण कन्नड़ जिले में एक वीभत्स घटना में मंगलवार की रात बीजेपी युवा मोर्चा के नेता प्रवीण नेट्टरू की कुल्हाड़ी से हत्या कर दी गई। बेल्लारे में प्रवीण की चिकन शॉप है और इसी दुकान के बाहर तीन बदमाशों ने प्रवीण हमला किया। प्रवीण अपनी दुकान बंद करके घर लौट रहे थे।बदमाशों ने कुल्हाड़ी से हमला किया और प्रवीण की जान ले ली।
ऐसी खबरें है कि प्रवीण की हत्या के बाद हत्यारे बाइक से पड़ोसी राज्य केरल भाग गए। हत्यारे जिस बाइक पर थे उस पर केरल का नंबर प्लेट था। इस लोमहर्षक हत्याकांड के बाद बुधवार को लोगों का गुस्सा फूट पड़ा। पथराव की घटनाएं हुईं और पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा। इतना ही नहीं लोगों के अंदर आक्रोश इतना ज्यादा था कि बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष नलिन कुमार कटील भी इससे बच नहीं पाए। उनकी गाड़ी पर भी हमला हुआ। इस घटना के विरोध में बीजेपी के कार्यकर्ताओं ने सामूहिक रूप से इस्तीफा भी दिया।
कर्नाटक पुलिस इस पूरे मामले की जांच में लगी हुई है। इस वीभत्स हत्याकांड के पीछे छिपे मंसूबों को तलाश रही है। वहीं बीजेपी के स्थानीय कार्यकर्ताओं का आरोप है कि प्रवीण नेट्टरू को अपने फेसबुक पेज पर 29 जून को लिखे पोस्ट के चलते इस्लामी कट्टरपंथियों के हमले का शिकार होना पड़ा। प्रवीण ने अपने फेसबुक पोस्ट में राजस्थान के उदयपुर में दर्जी कन्हैयालाल की हत्या की निंदा की थी।
प्रवीण ने अपने फेसबुक पोस्ट में बीजेपी की निलंबित प्रवक्ता नूपुर शर्मा की पैगंबर मोहम्मद के खिलाफ की गई टिप्पणी का समर्थन किया था। वहीं पुलिस प्रवीण हत्याकांड की जांच अन्य एंगल से भी कर रही है। पुलिस का तर्क है कि 19 जुलाई को बेल्लारे में मसूद नाम के युवक पर हमला हुआ और 21 जुलाई को उसकी मौत हो गई थी। जिन लोगों पर मसूद पर हमले का आरोप है उनमें कुछ प्रवीण के परिचित हैं। मसूद केरल के कासरगोड का ही रहने वाला था। प्रवीण के हत्यारे जिस बाईक से आए उसपर केरल का नंबर था और हत्या के बाद हत्यारे कासरगोड की तरफ ही भागे हैं। इसीलिए पुलिस को लग रहा है कि हो सकता है प्रवीण की हत्या मसूद की हत्या का बदला हो।
एडिशनल डीजीपी (कानून-व्यवस्था) आलोक कुमार ने कहा, ‘हम इस मामले में इन दोनों एंगल के अलावा अन्य सभी एंगल पर भी गौर कर रहे हैं। हम उन सभी चीजों पर नजर रख रहे हैं जो सार्वजनिक तौर पर सामने आए हैं। उन सभी तथ्यों पर गौर कर रहे हैं जिसके चलते इस हत्याकांड को अंजाम दिया गया।’
अभी तक जो भी सबूत सामने आए हैं उससे इस बात को लेकर कोई संदेह नहीं रह गया है कि प्रवीण के हत्यारे केरल से आए थे और वे हत्याकांड को अंजाम देने के बाद वापस भाग गए। कर्नाटक पुलिस ने हत्यारों को पकड़ने के लिए केरल पुलिस से सहयोग की मांग की है। छह टीमें इस केस को सुलझाने में जुटी हैं और अभी तक 15 लोगों को पूछताछ के लिए पकड़ा गया है।
दक्षिण कन्नड़ जिले के स्थानीय बीजेपी कार्यकर्ता अपने नेताओं से बेहद नाराज़ हैं। राज्य बीजेपी अध्यक्ष नलिन कुमार कटील जिस गाड़ी से पहु्ंचे थे, उसे गुस्साए प्रदर्शनकारियों ने पलट दिया। बीजेपी कार्यकर्ता यह सवाल कर रहे थे कि कर्नाटक में बीजेपी सरकार के सत्ता में होने के बावजूद कैसे प्रवीण नेट्टारू जैसे लोकप्रिय युवा नेता की निर्मम तरीके से हत्या कर दी गई? नलिन कुमार कटील प्रवीण नेट्टरू के परिवार से मिलकर सांत्वना देने पहुंचे थे। लेकिन हजारों लोगों की भीड़ ने उनकी गाड़ी को घेर लिया। हालात ऐसे बन गए कि नलिन कुमार को प्रवीण के परिवार से मिले बिना ही वापस लौटना पड़ा।
प्रवीण के पार्थिव शरीर को भगवा कपड़े में लपेटा गया। उनके अंतिम संस्कार में हजारों की संख्या में लोग जुटे। ज्यादातर लोग भगवा कपड़े पहने हुए थे और भगवा झंडे लिए हुए थे। प्रवीण के पार्थिव शरीर पर फूल बरसाए गए और प्रवीण जिंदाबाद के नारे लगाए गए। बेल्लारे, पुत्तूर, सुल्या और कडाबा में बंद का आह्वान किया गया। बुधवार को वहां स्कूल और कॉलेज बंद रहे।
सांप्रदायिक हिंसा रोकने के लिए जिले में सुरक्षा बलों की एक बड़ी टुकड़ी को तैनात किया गया है। राज्य बीजेपी महासचिव सी.टी. रवि ने कहा कि कर्नाटक सरकार जिहादियों को सबक सिखाएगी और हत्यारों को छोड़ा नहीं दिया जाएगा। उन्होंने आरोप लगाया कि पिछले कुछ महीनों में कई हिंदू नेताओं की हत्या कर दी गई है।
कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने वादा किया कि प्रवीण के हत्यारों को जल्द गिरफ्तार कर लिया जाएगा। उन्होंने कहा कियह हत्या एक पूर्व नियोजित षडयंत्र का हिस्सा लग रहा है। बीजेपी कार्यकर्ताओं और हिंदू संगठनों ने इस निर्मम हत्या के पीछे एसडीपीआई और पीएफआई का हाथ होने का आरोप लगाया है।
हिंदू संगठन श्रीराम सेना के नेता प्रमोद मुतालिक ने यह सवाल उठाया कि आखिर बीजेपी की सरकार PFI को बैन क्यों नहीं कर रही है? संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने साफ-साफ कहा कि शुरुआती रिपोर्ट में प्रवीण की हत्या के पीछे SDPI और PFI का हाथ सामने आया है। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस और दूसरी विपक्षी पार्टियां PFI और SDPI की गतिविधियों को बढ़ावा दे रही हैं, जिससे ऐसे संगठनों का हौसला बढ़ रहा है।
अब सवाल यह है कि दक्षिण कर्नाटक में बीजेपी के समर्थक अपनी ही सरकार से इतने नाराज क्यों हैं ? वे बेल्लारे में प्रवीण की हत्या को मुस्लिम कट्टरपंथियों से क्यों जोड़ रहे हैं? दरअसल कर्नाटक में इस तरह के मामलों की एक लंबी फेहरिस्त है। इसी साल 22 अप्रैल को चन्द्रू नाम के 22 साल के लड़के की हत्या कर दी गई थी । इसके बाद कलबुर्गी में 25 साल के दलित युवक विजय कांबले की हत्या इसलिए कर दी गई क्योंकि वह एक मुस्लिम लड़की से शादी करने वाला था। इससे पहले 20 फरवरी को शिवमोगा में बजरंग दल के कार्यकर्ता हर्षा की बेरहमी से हत्या हुई थी। हर्षा की हत्या इसलिए हुई क्योंकि वह हिन्दुओं के मसले को जोर-शोर से उठाता था। इसीलिए प्रवीण की हत्या पर कर्नाटक के लोगों का गुस्सा फूट पड़ा।
मुझे लगता है कि इस तरह की घटनाएं कर्नाटक की बीजेपी सरकार के लिए बड़ी चुनौती है। बीजेपी नेता सी.टी. रवि की यह बात सही है कि जब कांग्रेस की सरकार थी उस वक्त भी इस तरह की घटनाएं हो रही थीं, लेकिन बीजेपी ने लोगों को सुरक्षा देने का वादा किया था। सबको सुरक्षा की गारंटी दी थी। इसलिए अब उस गारंटी को पूरा करना होगा। वरना इसी तरह लोगों की नाराजगी झेलनी पड़ेगी। इस्लामिक कट्टरपंथी पहले से ही नूपुर शर्मा का समर्थन करनेवालों का सिर काटने की धमकी दे रहे हैं। इसलिए कर्नाटक पुलिस को चौकन्ना रहना चाहिए।
Murder in Karnataka : Did he pay price for questioning Kanhaiya killers?
In a gruesome incident in Karnataka’s Dakshina Kannada district, a BJP Yuva Morcha leader Praveen Nettaru was hacked to death in front of his chicken shop at Bellare by three miscreants on Tuesday night. The miscreants attacked him with an axe when he was returning home after closing his shop, and hacked him to death.
There are reports that the killers sneaked back to neighbouring Kerala on their bike, which bore a Kerala number plate. The gruesome murder resulted in widespread outrage on Wednesday, with incidents of stone-pelting and police lathicharge, attack on BJP state chief Nalin Kumar Kateel’s vehicle and mass resignations by BJP workers.
While Karnataka Police is yet to explain the motive behind this gruesome murder, local BJP activists alleged that Praveen Nettaru was hacked to death by Islamic fundamentalists for sharing a post on Facebook on June 29 in which he had condemned the murder of a tailor Kanhaiyalal in Udaipur, Rajasthan.
In his post, Nettaru had supported suspended BJP spokesperson Nupur Sharma’s remarks against Prophet Mohammed. The other motive, police said, could be a retaliation for the killing of a Kerala youth Masood B, a daily wage earner from Kasaragod, who was attacked on July 19 and died two days later.
Additional DGP (law and order) Alok Kumar said, “we are looking into all angles, including those two. We are keeping a watch on all that has surfaced in the public doman and are analysing factors that could have contributed to this ghastly murder.”
There is no doubt, from all available circumstantial evidences, that the killers of Nettary had come from Kerala, and they escaped to the neighbouring state after committing the gruesome killing. Karnataka police has sought cooperation from Kerala Police in nabbing the killers. Till now, 15 persons have been picked up for questioning and six teams are working on this case.
Local BJP workers in Dakshin Kannada are angry against their leaders. The vehicle in which Nalin Kumar Kateel, the state BJP chief, was sitting, was overturned by angry protesters. BJP workers questioned how a popular youth leader like Nettaru was murdered in a gruesome manner despite a BJP government in power in Karnataka. Naleen Kumar Kateel is also the BJP MP from Dakshin Kannada, and he was going to meet Nettaru’s family to offer sympathy. He had to return empty handed after angry protesters blocked his car.
Thousands turned up at the funeral and Nettaru’s body was wrapped in saffron cloth. Most of the people joining the funeral were wearing saffron clothes and carrying saffron flags. They threw flower petals on his bier and shouted ‘Praveen Zindabad’. Bandh calls were given in Bellare, Puttur, Sulya and Kadaba, and schools and colleges remained closed on Wednesday.
A large contingent of security forces was deployed in the district to prevent communal violence. State BJP general secretary C. T. Ravi said, Karnataka government “will teach a lesson to jihadis and the killers will not be allowed to escape.” He alleged that several Hindu leaders have been killed during the last few months.
Karnataka CM Basavaraj Bommai promised that the killers of Praveen will be arrested soon. “This murder appears to be part of a pre-planned conspiracy”, he added. BJP activists and Hindu outfits allege the hand of SDPI and PFI behind this gruesome murder.
Hindu outfit Sriram Sene leader Pramod Mutalik questioned why PFI is not being banned. Union Parliamentary Affairs Minister Pralhad Joshi said, according to initial indications, Nettaru was killed by SDP and PFI. He also alleged that Congress and some opposition parties in the state are encouraging PFI and SDPI’s activities.
The question is: why are BJP workers in south Karnataka unhappy with their own government. There is a long list of such hate crimes. On April 22 this year, Chandru, a 22-year-old youth was killed. Soon after, Vijay Kamble, a 25 year old Dalit youth was killed in Kalburgi because he was going to marry a Muslim girl. A Bajrang Dal worker Harsha was hacked to death on February 20 by a local Muslim gang in Shivamogga for raising Hindu-related issues. The anger of local BJP workers against their leaders should be viewed in this background.
I think, such gruesome crimes pose a big challenge to the BJP government in Karnataka. BJP leader C.T.Ravi’s statement is correct that earlier such incidents used to happen during Congress, but BJP had promised security and safety to all citizens. It must fulfil its promise, otherwise the leaders will have to face the anger of people. Already Islamic fundamentalists are issuing threats to behead people who support Nupur Sharma. Karnataka government must keep its police on high alert.
गुजरात में ज़हरीली शराब से हुई मौतों का ज़िम्मेदार कौन?
गुजरात में ज़हरीली शराब से मरने वालों की संख्या बुधवार को 40 तक पहुंच गई। इस घटना में पिछले 12 घंटों के दौरान सात और लोगों ने दम तोड़ दिया। अहमदाबाद, बोटाद और भावनगर के अस्पतालों में करीब 50 लोग अब भी अपनी जिंदगी की जंग लड़ रहे हैं। मरने वालों में ज्यादातर बोटाद जिले के गांवों से थे, जबकि बाकी अहमदाबाद जिले के धंधुका तालुका के रहने वाले थे।
पुलिस ने इस केस में दस लोगों को गिरफ्तार किया है। अहमदाबाद और बोटाद पुलिस ने लगभग बीस लोगों के खिलाफ हत्या (IPC की धारा 302), ज़हर देकर नुकसान पहुंचाने (धारा 328), और आपराधिक साजिश (धारा 120 बी) के आरोप में 3 FIR दर्ज की हैं। सोमवार तड़के जहरीली शराब पीने वालों को बोटाद और अहमदाबाद के अस्पतालों में भर्ती कराया गया।
गुजरात सरकार ने एक वरिष्ठ IPS अफसर सुभाष त्रिवेदी की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय समिति का गठन किया है जो मामले की जांच करेगी और 3 दिनों के भीतर रिपोर्ट सौंपेगी।
इंडिया टीवी के संवाददाता निर्णय कपूर उस गांव में गए, जहां जहरीली शराब से काफी लोगों की जान गई थी। उन्हें पता चला कि अहमदाबाद के एक गोदाम से जयेश उर्फ राजू नाम के एक गार्ड ने 600 लीटर मिथाइल अल्कोहल या मेथनॉल चुराया था। यह एक जहरीला केमिकल होता है जो कि इंडस्ट्रियल यूज में आता है। जयेश ने वह एथनॉल अपने कजिन संजय को 40,000 रुपये में बेच दिया। संजय ने इस जहरीले केमिकल को बोटाद और उसके आसपास के इलाकों में नकली शराब का धंधा करने वालों को बेचा। उन्होंने मिथाइल अल्कोहल के साथ पानी मिलाया और उसे 20 रुपये प्रति पाउच की दर से लोगों को बेच दिया। इस तरह लगभग 110 लीटर मिथाइल अल्कोहल और पानी को मिक्स करके पाउचों में भरा गया और कई गांवों में लोगों को बेचा गया। पुलिस ने बताया कि गोदाम से चोरी हुए 600 लीटर मिथाइल अल्कोहल में से 490 लीटर बरामद कर लिया गया है।
गुजरात में 1960 से ही शराबबंदी सख्ती से लागू है। यहां ज़हरीली शराब से इतनी बड़ी तादाद में लोगों की मौत होना दुखद और आश्चर्यजनक है। आम तौर पर नकली शराब बेचने वाले एथाइल अल्कोहल का इस्तेमाल करते हैं, लेकिन इस घटना में मिथाइल अल्कोहल का इस्तेमाल किया गया। मिथाइल अल्कोहल ज़हरीला होता है, और इसका इस्तेमाल केवल उद्योगों में होता है। सस्ता होने की वजह से नकली शराब के कारोबारी इसका इस्तेमाल करते हैं।
पुलिस के मुताबिक, शराब के नाम पर मिथाइल अल्कोहल की पहली डिलीवरी 22 जुलाई को की गई थी। इसे पहले ड्रम में भरा गया, फिर उसकी 5-5 लीटर की थैलियां बनाई गईं। जिन लोगों ने इसे खरीदा, उन्होंने इसमें पानी मिलाकर फिर इसकी छोटी-छोटी थैलियां बनाईं और देसी शराब कहकर इसे बेचा। मिथाइल अल्कोहल बेहद जहरीला होता है। इसे पीने के 15 मिनट के भीतर किसी इंसान की मौत हो सकती है। यह शरीर में पहुंचने के बाद लिवर को नुकसान पहुंचाता है और इससे मल्टि-ऑर्गन फेल्योर हो सकता है। चूंकि केमिकल में पानी मिला दिया गया था, इसलिए इसका असर 12 से 24 घंटों में नजर आया।
यह पूछे जाने पर कि वहां अवैध शराब कैसे बेची जा रही थी, बोटाद के एसपी ने हमारे संवाददाता से कहा कि आमतौर पर कई गांवों में चोरी-छिपे देसी शराब बनाई और बेची जाती थी। एसपी ने कहा कि चूंकि देसी शराब बनाने में कम से कम 6 दिन का वक्त लगता है, और पुलिस की छापेमारी का डर रहता है, इसलिए अब नकली शराब बेचने वालों ने एक शॉर्टकट तरीका ढूंढ़ा और मिथाइल अल्कोहल का इस्तेमाल किया।
लेकिन बोटाद जिले के रोजिद गांव के सरपंच ने खुलासा किया कि उन्होंने 4 महीने पहले ही पुलिस को लिखित शिकायत दी थी कि उनके इलाके में अवैध शराब बेची जा रही है, लेकिन पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की।
इस मामले में स्थानीय पुलिस की लापरवाही साफ नजर आती है। बोटाद के एसपी ने हालांकि सरपंच के आरोपों को निराधार बताते हुए खारिज कर दिया, लेकिन उन्होंने ये तो माना कि उन्हें इस साल मार्च में सरपंच की चिट्ठी मिली थी। एसपी ने दावा किया कि आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई की गई और तमाम केस भी दर्ज किए गए थे। उन्होंने कहा कि नकली शराब बनाने वालों ने शॉर्टकट तरीका अपनाते हुए मिथाइल अल्कोहल के साथ पानी मिला दिया।
गुजरात की यह घटना बहुत सारे सवाल खड़े करती है। गुजरात में नकली, जहरीली शराब इसलिए बिकती है क्योंकि वहां शराब पर पाबंदी है, तो क्या शराब से पाबंदी हटा ली जाए? जहरीली शराब का यह कारोबार इंडस्ट्री में काम आने वाले मिथाइल अल्कोहल की वजह से हुआ, तो क्या इंडस्ट्री को मिथाइल एल्कोहल की सप्लाई बंद कर दी जाए? लोग शराब के जहर से मौत की कगार पर आ गए, पर हॉस्पिटल जाने से बचते रहे क्योंकि उन्हें डर था कि पुलिस उन पर केस बना देगी, तो क्या पुलिस ड्राई स्टेट में शराब पीने वालों पर केस बनाना बंद कर दे?
मैं बार-बार कहता हूं, हमेशा कहता हूं कि किसी चीज पर पाबंदी लगाना कोई समाधान नहीं हो सकता। एक तरीका है कि लोगों को जागरूक किया जाए, असली-नकली में फर्क समझाया जाए, इससे शायद इस तरह के हादसे कम हो जाएं। लेकिन ड्राई स्टेट में नकली शराब, कच्ची शराब, जहरीली शराब के कारोबार को रोक पाना मुश्किल है।
जहां तक पुलिस का सवाल है, तो वह ये कहकर नहीं बच सकती कि उसने कच्ची शराब की भट्टियां बंद कर दी थी। मुझे लगता है कि लोकल पुलिस की मिलीभगत के बगैर इस तरह के गलत काम हो ही नहीं सकते। अपराधियों के खिलाफ ऐक्शन के साथ-साथ उन पुलिसवालों की भी पहचान होनी चाहिए जो इस तरह के काले कारनामे करने वालों को संरक्षण देते हैं। हालांकि ये सियासत का मसला नहीं है, लेकिन फिर भी चूंकि यह हादसा गुजरात में हुआ है, और वहां दिसंबर में विधानसभा चुनाव होने हैं, इसलिए सियासी दलों ने एक दूसरे पर वार-पलटवार करना शुरू कर दिया है।
Gujarat toxic hooch tragedy: Who did it?
The death toll in the toxic liquor tragedy in Gujarat reached 40 on Wednesday, with seven more persons succumbing during the last 12 hours. Nearly 50 people are still fighting for their lives in Ahmedabad, Botad and Bhavnagar hospitals. Most of the people who died belonged to several villages in Botad, while the remaining were from Dhandhuka taluka of Ahmedabad district.
Ten persons have been arrested by police, and three FIRs have been filed by Ahmedabad and Botad police against nearly 20 persons on charges of murder(Sec 302 IPC), causing hurt by poison(Sec 328), and criminal conspiracy (Sec 120B). The hooch tragedy on early Monday morning when those who had taken toxic liquor were admitted to hospitals in Botad and Ahmedabad.
Gujarat government has set up a three-member committee headed by a senior IPS officer Subhash Trivedi to conduct a probe and submit a report within three days.
India TV correspondent Nirnay Kapoor went to the village that accounted for a large number of hooch-related deaths. He found that 600 litres of methyl alcohol or methanol, a toxic industrial solvent used in factories, were stolen from an Ahmedabad godown by a guard Jayesh alias Raju and sold to his cousin Sanjay for Rs 40,000. Sanjay sold this toxic solvent to small-time bootleggers in and around Botad, who fixed water with methyl alcohol and sold them in pouches for Rs 20 each. Nearly 110 litres of methyl alcohol mixed with water was filled in pouches and sold to people in villages. Police said, 490 litres out of 600 litres methyl alcohol stolen from the godown has been recovered.
Gujarat is a dry state since 1960, where prohibition law has been strictly implemented. The deaths of so many people by consuming toxic solvent is an unfortunate tragedy. Normally, bootleggers use ethyl alcohol while making illicit liquor, but in this incident, methyl alcohol was used which is toxic and is meant for industrial use only. Since it is cheap, it was used by bootleggers.
The first delivery of methyl alcohol, according to police, was made on July 22, it was filled in a drum, and five-litre pouches were filled with the solvent. Bootleggers bought these and against mixed water and sold to people in small pouches, claiming it was country liquor. Methyl alcohol is highly toxic. Anybody consuming this can die in a span of 15 minutes. This solvent, if taken, can damage the liver and cause multi-organ failure. Since water had been mixed with the solvent, the effects showed in a span of 12 to 24 hours.
On being asked how this illicit hooch was being sold, Botad SP told our correspondent that normally in several villages, country liquor is being made and sold secretly. Since it takes six days to prepare country liquor, and there was fear of police raids, bootleggers found a shortcut method and used methyl alcohol this time, the SP said.
The sarpanch of Rojid village in Botad district, however, disclosed that he had complained to police four months ago, in writing, about illicit liquor being sold in his area, but police did not take any action.
Clearly, this is a case of sheer negligence on part of local police. Though the SP of Botad rejected the sarpanch’s allegation as baseless, he admitted that he had got a letter from the sarpanch in March this year. The SP claimed that action was taken against bootleggers and cases were registered. The bootleggers then took the shortcut method and mixed water with methyl alcohol, he said.
The toxic liquor tragedy in Gujarat raises several questions. One, should prohibition be removed since illicit liquor is being made and sold in village? Two, should supply of methyl alcohol to factories be stopped to cut off the supply of this solvent to bootleggers? People who had consumed toxic methyl alcohol were afraid of going to hospitals, because they feared that police could take action against them.
I have been saying repeatedly that prohibition can never be a solution. Of course, awareness must be spread among people and they should be told about the difference between real and fake liquor. This can bring about a decline in the number of deaths due to illicit hooch, but in a dry state, it is difficult to prevent the manufacture and sale of illicit and toxic liquor.
Police cannot get away by saying that it had closed down illegal country liquor distilleries. I suspect that such illegal trade cannot thrive without the connivance of some corrupt policemen, who provide protection to the bootleggers. Strict action must be taken against police officers who were helping the bootleggers. This issue must be kept above party politics. Since Gujarat assembly elections are due in December this year, political parties have already started blaming one another.
द्रौपदी मुर्मू का राष्ट्रपति बनना भारत के लिए ऐतिहासिक क्षण है
भारत की सबसे युवा और पहली आदिवासी राष्ट्रपति के रूप में द्रौपदी मुर्मू का शपथ ग्रहण, जैसा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, ‘भारत के लिए ऐतिहासिक क्षण है, खासकर गरीबों, वंचितों और कमजोर वर्गों के लिए।’ वह राष्ट्रपति का पद संभालने वाली दूसरी महिला हैं।
मुर्मू की जीवन यात्रा संघर्षों से भरी और अविश्वसनीय रही है। ओडिशा के आदिवासी बहुल मयूरभंज जिले की एक आदिवासी बस्ती उपरबेड़ा में जन्मी द्रौपदी का मूल संथाली नाम ‘पुती’ था, लेकिन उनके स्कूल टीचर को यह नाम पसंद नहीं आया और उन्होंने इसे स्कूल के रिकॉर्ड में बदलकर ‘द्रौपदी’ कर दिया। वह पढ़ाई में खूब मेहनत करती थीं और प्रतिभाशाली थीं। गांव में बिजली न होने के बावजूद उन्होंने अपनी मेहनत के दम पर क्लास में टॉप किया और मॉनिटर भी बनीं। उनके स्कूल में सिर्फ 8वीं तक पढ़ाई होती थी इसलिए आगे का रास्ता नहीं सूझ रहा था।
द्रौपदी ने हिम्मत नहीं हारी। वह एक स्थानीय विधायक से मिलीं, उन्हें अपनी मार्कशीट दिखाई और विधायक ने उन्हें भुवनेश्वर के एक सरकारी स्कूल में भर्ती करा दिया। हाई स्कूल की पढ़ाई खत्म करने के बाद उन्होंने भुवनेश्वर के रमादेवी महिला कॉलेज में ऐडमिशन लिया और कॉलेज के हॉस्टल में रहने लगीं। उनके पिता उन्हें खर्चे के लिए हर महीने सिर्फ दस रुपये भेज पाते थे। ग्रैजुएशन की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्हें राज्य सरकार में सहायक क्लर्क की नौकरी मिल गई, और एक बैंक क्लर्क से उनकी शादी हो गई। शादी के तुरंत बाद उन्हें अपने बच्चों की देखभाल के लिए अपनी सरकारी नौकरी छोड़नी पड़ी। बाद में वह अपने गृह नगर रायरंगपुर में बतौर शिक्षक अरबिंदो स्कूल में काम करने लगीं ।
द्रौपदी मुर्मू के जीवन में कई त्रासदियों ने दस्तक दी। उन्होंने अपने पति और दोनों बेटे खो दिए। उनके पास सिर्फ अपनी बेटी का साथ बचा। अपने आध्यात्मिक और मानसिक संतुलन को वापस पाने के लिए द्रौपदी ब्रह्माकुमारियों में शामिल हुईं, और फिर सामाजिक कार्य करते हुए रायरंगपुर में पार्षद बनीं। आगे चलकर वह विधायक बनीं, उसी साल मुख्यमंत्री नवीन पटनायक के मंत्रिमंडल में मंत्री बनीं, और बाद में झारखंड की राज्यपाल भी बनीं। मुर्मू का संघर्ष इस बात का साक्षी है कि किस तरह एक आदिवासी लड़की जीवन की चुनौतियों से पार पा कर देश की पहली नागरिक बनती है।
सोमवार को राष्ट्रपति पद की शपथ लेने के बाद द्रौपदी मुर्मू ने संसद के केन्द्रीय कक्ष में मंच से हिंदी में भाषण दिया । अपने भाषण में उन्होने कहा, “ये भी एक संयोग है कि जब देश अपनी आजादी के 50वें वर्ष का पर्व मना रहा था तभी मेरे राजनीतिक जीवन की शुरुआत हुई थी। और आज आजादी के 75वें वर्ष में मुझे ये नया दायित्व मिला है।“
द्रौपदी मुर्मू ने हाथ से बुनी हुई संथाली साड़ी, जिसे उनकी भाभी अपने साथ दिल्ली लाई थीं, पहनकर केंद्रीय मंत्रियों, सांसदों, मुख्यमंत्रियों और राज्यपालों की भव्य सभा को सम्बोधित किया और कहा: “ये मेरे लिए बहुत संतोष की बात है कि जो सदियों से वंचित रहे, जो विकास के लाभ से दूर रहे, वे गरीब, दलित, पिछड़े तथा आदिवासी मुझ में अपना प्रतिबिंब देख रहे हैं। मेरे इस निर्वाचन में देश के गरीब का आशीर्वाद शामिल है, देश की करोड़ों महिलाओं और बेटियों के सपनों और सामर्थ्य की झलक है।“
मुर्मू ने कहा, “ये हमारे लोकतंत्र की ही शक्ति है कि उसमें एक गरीब घर में पैदा हुई बेटी, दूर-सुदूर आदिवासी क्षेत्र में पैदा हुई बेटी, भारत के सर्वोच्च संवैधानिक पद तक पहुंच सकती है।
राष्ट्रपति के पद तक पहुँचना, मेरी व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं है, ये भारत के प्रत्येक गरीब की उपलब्धि है। मेरा निर्वाचन इस बात का सबूत है कि भारत में गरीब सपने देख भी सकता है और उन्हें पूरा भी कर सकता है।“
15वीं राष्ट्रपति ने कहा, “हमारे स्वाधीनता सेनानियों ने आजाद हिंदुस्तान के हम नागरिकों से जो अपेक्षाएं की थीं, उनकी पूर्ति के लिए इस अमृतकाल में हमें तेज गति से काम करना है।
इन 25 वर्षों में अमृतकाल की सिद्धि का रास्ता दो पटरियों पर आगे बढ़ेगा- सबका प्रयास और सबका कर्तव्य। भारत के उज्ज्वल भविष्य की नई विकास यात्रा, हमें सबके प्रयास से करनी है, कर्तव्य पथ पर चलते हुए करनी है।“
पर्यावरण संरक्षण पर मुर्मू ने कहा, “मेरा जन्म तो उस जनजातीय परंपरा में हुआ है जिसने हजारों वर्षों से प्रकृति के साथ ताल-मेल बनाकर जीवन को आगे बढ़ाया है। मैंने जंगल और जलाशयों के महत्व को अपने जीवन में महसूस किया है। हम प्रकृति से जरूरी संसाधन लेते हैं और उतनी ही श्रद्धा से प्रकृति की सेवा भी करते हैं। यही संवेदनशीलता आज वैश्विक अनिवार्यता बन गई है।“
द्रौपदी मुर्मू पहली राष्ट्रपति हैं जिनका जन्म 1947 में भारत की आजादी के बाद हुआ है। उन्हें हिंदी में धाराप्रवाह बोलते हुए देखकर यह पता चलता है कि वह मुखर भी हैं और उनमें आत्मविश्वास भी खूब है। राष्ट्रपति चुनाव प्रचार के दौरान कुछ विपक्षी नेताओं ने टिप्पणी की थी कि मुर्मू बोल नहीं सकतीं, लेकिन हिंदी में उनका भाषण ऐसे दावों को झुठला देता है। उन्होंने अपने भाषण की शुरुआत ‘जोहार’ से की, जो कि ‘नमस्कार’ के जैसा पारंपरिक संथाली अभिवादन है।
उन्होंने श्रद्धेय ओडिया संत और कवि भीम भोई की एक पंक्ति का पाठ करके अपना भाषण खत्म किया: ‘मो जीबन पछे नरके पड़ी थाउ, जगतो उद्धार हेउ’, जिसका शाब्दिक अर्थ है, ‘भले ही मेरा जीवन नरक में रहे, मैं विश्व के कल्याण के लिए काम करूंगी।’ द्रौपदी मुर्मू ने अपने भाषण में एक तरफ गांधी, नेताजी, नेहरू, सरदार पटेल, आंबेडकर, भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरु और चंद्रशेखर आजाद जैसे भारत के स्वतंत्रता संग्राम के महान सेनानियों और दूसरी तरफ रानी लक्ष्मीबाई, रानी वेलु नचियार, रानी गाइदिन्ल्यू और रानी चेन्नम्मा जैसी महिला विभूतियों को याद किया।
भारत के राष्ट्रपति के रूप में द्रौपदी मुर्मू के चुनाव ने गरीबों, दलितों और आदिवासियों को एक स्पष्ट संदेश दिया है कि वे भी हमारे जीवंत गणतंत्र में अपने सपनों को पूरा कर सकते हैं। यह भारत के लोकतंत्र की शक्ति का द्योतक है और प्रत्येक भारतीय के लिए गर्व का क्षण भी।
Droupadi Murmu as President: A watershed moment for India
The swearing-in of Droupadi Murmu as India’s youngest and first tribal President marked, as what Prime Minister Narendra Modi described, “a watershed moment for India, especially for the poor, marginal and downtrodden.” She is the second woman to take over as President.
Her journey through life has been turbulent and incredible. Born in a tribal hamlet Uparbeda in Odisha’s tribal-dominated Mayurbhanj district, Droupadi’s original Santhali name was ‘Puti’, but her school teacher did not like the name and changed it in school records as ‘Droupadi’. Since childhood, the girl showed consistency and brilliance in studies, topped her class and became class monitor, though her village had no electricity. The school had classes only up to Class 8, and the future seemed to be dark for her.
The brave girl did not lose heart, met a local legislator, showed him her mark sheet, and the legislator got him admitted to a government school in Bhubaneswar. After finishing her High School, she got admission to Ramadevi Women’s College in Bhubaneswar and stayed in the college hostel. Her father used to send only Rs 10 per month for her personal expenses. After finishing her graduation, she got a job as an assistant clerk in the state government, and married a bank clerk. Soon after marriage, she had to leave her government job in order to take care of her offsprings. Later, she worked as a teacher in the Aurobindo school in Rairangpur, her home town.
Tragedies struck her, and she lost her husband and both her sons. Only her daughter gave her company. Droupadi joined the Brahmakumaris to regain her spiritual and mental balance, and then started social work to become a councillor in Rairangpur Notified Area Council. She was later elected MLA and in the same year, she became a minister in Chief Minister Naveen Patnaik’s cabinet, and later became the Governor of Jharkhand. This, in a nutshell, is how a tribal girl worked against all odds to overcome the challenges of life and become the nation’s first citizen.
On Monday, after taking oath as President, the gentle Droupadi Murmu took the podium in the Central Hall of Parliament, and in her speech, read fluently in Hindi, said how she started her political career in the 50th year of Independence, and was now taking up the nation’s highest seat in the 75th year of Independence, being celebrated as Amrit Utsav.
Wearing a hand-woven Santhali saree that her sister-in-law brought with her to Delhi, Droupadi Murmu audust the august gathering of Union Ministers, MPs, chief ministers and governors, and said: “It is a matter of great satisfaction for me that those who have been deprived for centuries and those who have been denied the benefits of development, those poor, downtrodden, backwards and tribals are seeing their reflection in me.”
“It is the power of India’s democracy that a girl born ina poor tribal home could reach the topmost constitutional post. That I attained the post of President is not my personal achievement. It is the achievement of every poor person in India. My election is proof that the poor in India can have dreams and fulfil them too.”
The 15th President said, the nation will have to move fast on the twin tracks of ‘sabka prayaas’ (everybody’s effort) and ‘sabka kartavya’ (everybody’s duty) to fulfil the expectations of people. On protecting environment, Murmu said, “I was born in that tribal tradition which has lived in harmony with nature for thousands of years. I have realised the importance of forests and water bodies in my life. We take our resources from nature and we have to serve nature with equal reverence. This has become a global imperative today”.
Droupadi Murmu is the first President who was born after India attained independence in 1947. Watching her speak fluently in Hindi, one gets the impression that she is articulate and confident. During the presidential election campaign, some opposition leaders had commented that Murmu cannot speak fluently, but her speech in Hindi belies their claims. She began her speech with ‘Johaar’, the traditional Santhali greeting, like ‘Namaskar’.
She ended her speech by reciting a line from the revered Odia saint and poet Bhima Bhoi : “Mo jibana pachhe narke padi thaau, Jagata uddhara heu”, which literally means, ‘even if my life stays in hell, I shall seek the betterment of this world.’ In her speech, Droupadi Murmu also recalled the great titans of India’s freedom struggle like Gandhi, Netaji, Nehru, Sardar Patel, Ambedkar, Bhagat Singh, Sukhdev, Rajguru and Chandrashekhar Azad, on one hand, and great women leaders like Rani Lakshmi Bai, Rani Velu Nachiyar, Rani Gaidinliu and Rani Chennamma on the other.
The election of Droupadi Murmu as India’s President has sent a clear message to the poor, downtrodden and tribals that even they can fulfil their dreams in our vibrant republic. It reflects the power of India’s democracy, and a moment of pride for every Indian.
शराब नीति को लेकर लगे स्पष्ट आरोपों का जवाब दें केजरीवाल, सिसोदिया
दिल्ली की आम आदमी पार्टी की सरकार और केंद्र के बीच गतिरोध शुक्रवार को उस वक्त और ज्यादा बढ़ गया जब लेफ्टिनेंट गवर्नर ने राज्य सरकार द्वारा लागू की गई नई दिल्ली एक्साइज पॉलिसी की सीबीआई जांच की सिफारिश कर दी।
यह कार्रवाई दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव नरेंद्र कुमार की रिपोर्ट के आधार पर हुई। मुख्य सचिव ने 8 जुलाई को लेफ्टिनेंट गवर्नर को रिपोर्ट भेजी थी जिसमें सात ‘जानबूझकर की गई घोर प्रक्रियात्मक खामियों’ का उल्लेख किया गया था। रिपोर्ट में कहा गया था कि इन खामियों के चलते शराब लाइसेंसधारियों को ‘अनुचित लाभ’ प्राप्त हुआ। दिल्ली सरकार की नई एक्साइज पॉलिसी पिछले साल नवंबर में लागू की गई थी। इसके तहत पूरी दिल्ली में शराब बेचने के लिए 849 विक्रेताओं को खुदरा लाइसेंस दिए गए थे।
रिपोर्ट में सत्ताधारी दल और लाइसेंसधारियों के बीच वित्तीय लेन-देन के पर्याप्त संकेत पाते हुए इसकी सीबीआई जांच के आदेश दे दिए। इस पूरे मामले में निशाने पर मनीष सिसोदिया हैं जिनके पास एक्साइज डिपार्टमेंट है। केजरीवाल के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन पहले से भी मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में जेल में हैं।
आम आदमी पार्टी के प्रमुख और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजीरवाल ने बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा कि यह मामला पूरी तरह से ‘फर्जी’ है। मनीष सिसोदिया ‘कट्टर ईमानदार और देशभक्त’ हैं। केजरीवाल ने कहा-‘उनके खिलाफ बनाया गया केस पूरी तरह से झूठा और निराधार है। आरोपों में रत्ती भर भी सच्चाई नहीं है।’
मुख्य सचिव द्वारा उपराज्यपाल को भेजी गई रिपोर्ट में लगाए गए कुछ खास आरोपों का केजरीवाल ने जवाब नहीं दिया। वे केवल भाजपा पर राजनीतिक निशाना साधते रहे। उन्होंने कहा, ‘ मुझे बताया गया था कि वे (भाजपा) उन्हें (मनीष सिसोदिया) गिरफ्तार करना चाहते थे और उन्हें फंसाने के लिए एक झूठे मामले की तलाश कर रहे थे’। उन्होंने कठोर शब्दों का प्रयोग करते हुए कहा, ‘तुम लोग (बीजेपी) सावरकर की औलाद (बेटा) हो जिसने अंग्रेजों से माफ़ी मांगी, और हम भगत सिंह की औलाद हैं जो फांसी पे लटक गए। हम जेल जाने से नहीं डरते।’
केजरीवाल ने कहा, ‘बीजेपी हमारी पार्टी को इसलिए टारगेट कर रही है क्योंकि हम एक ईमानदार पार्टी हैं और बीजेपी यह साबित करने की कोशिश कर रही है कि हम लोग भी उन्हीं के जैसे भ्रष्ट हैं… वे लोग झूठे आरोप लगाकर हम पर कीचड़ उछाल रहे हैं लेकिन जनता उनके झूठ पर भरोसा नहीं करेगी।’
बीजेपी नेता मीनाक्षी लेखी, आदेश गुप्ता और रामवीर सिंह बिधूड़ी ने एक संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में केजरीवाल पर निशाना साधते हुए कहा कि आम आदमी पार्टी की सरकार ने शराब कंपनियों को लाभ पहुंचाने के लिए गुटबंदी को बढ़ावा दिया। नई दिल्ली से सांसद और केंद्रीय राज्यमंत्री मीनाक्षी लेखी ने आरोप लगाया कि लाइंसेंसधारियों को 144.4 करोड़ रुपये की छूट दी गई और एक कंपनी से 30 करोड़ रुपये की बयाना राशि नियमों और प्रक्रियाओं का पालन किए बिना वापस कर दी गई। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि ‘आप’ सरकार ने दिल्ली के 32 इलाकों में से दो इलाकों के लिए एक ब्लैक लिस्टेड कंपनी को शराब का लाइसेंस दिया।
मीनाक्षी लेखी ने कहा, ‘वह नहीं जानती कि कौन जेल जाएगा, लेकिन ऐसे दस्तावेज और हस्ताक्षर हैं जो नयी एक्साइज पॉलिसी को लागू करने का फैसला लेने और अनियमितताओं उनकी मिलीभगत को साबित करते हैं। पिछले साल 21 अक्टूबर को एक्साइज विभाग ने लाइसेंस देने वाली कंपनियों को नोटिस दिया था। लेकिन इस साल 14 जुलाई को बिना कैबिनेट नोट के उन्हीं कंपनियों को 144.4 करोड़ रुपये की छूट दे दी गई।’
बीजेपी नेताओं ने इल्जाम लगाया कि यह सब सीएम केजरीवाल के कहने पर हुआ, जिन्होंने एक्साइज पॉलिसी में मनमाने बदलाव किए, जल्दबाजी में फैसले लिए, और यह वेंडर्स के साथ लेन-देन के बगैर नहीं हुआ। बीजेपी नेता मनजिंदर सिंह सिरसा ने आरोप लगाया कि दिल्ली कैबिनेट ने पिछले साल मार्च में नई एक्साइज पॉलिसी को मंजूरी दी थी। अप्रैल में, मंत्रियों के एक ग्रुप ने नीति में कुछ बदलाव किए, और पिछले साल 17 नवंबर को लागू की गई नई नीति में सरकार द्वारा चलाई जा रहीं 600 से ज्यादा शराब की दुकानें बंद कर दी गईं, और निजी विक्रेताओं को लाइसेंस देने के लिए दिल्ली को 32 जोन में बांटा गया।
शुरू में यह फैसला किया गया था कि मैन्युफैक्चरर, डिस्ट्रिब्यूटर और रिटेलर अलग-अलग होंगे, और यह कि एक कंपनी को दो से अधिक जोन के लिए लाइसेंस नहीं दिया जाएगा। लेकिन हकीकत में दिल्ली सरकार ने 5-5 जोन में एक ही कंपनी को लाइसेंस दे दिया। शर्त यह थी कि अगर टेंडर मिलने के बाद कोई शर्तें पूरी नहीं करता तो अर्नेस्ट मनी जब्त हो जाएगी, लेकिन आरोप है कि मनीष सिसोदिया ने डिपॉजिट किए गए 30 करोड़ रुपये लौटा दिए। इतना ही नहीं, कोरोना काल में वेंडर्स को हुए नुकसान की भरपाई के नाम पर 144 करोड़ रुपये माफ कर दिए गए।
सिरसा गड़बड़ियों की पूरी डिटेल लेकर सामने आए। उन्होंने आरोप लगाया कि केजरीवाल की सरकार ने नई शराब नीति में बिचौलियों को 12 फीसदी मुनाफे की जो गारंटी दी है, इसमें से 6 पर्सेंट कमीशन के तौर पर कैश में वापस लिया जाता था। सिरसा ने कहा कि दिल्ली में एक के साथ एक शराब की बोतल मुफ्त देने के पीछे भी ब्लैक को व्हाइट करने का खेल था। उन्होंने कहा कि शराब के ठेके पर एक के साथ एक शराब की बोतल मुफ्त दी जाती थी, लेकिन शराब कंपनियां दोनों बोलतों की कीमत के बराबर पैसा बैंक में जमा करती थीं। सिरसा ने आरोप लगाया कि एक बोतल का पैसा तो ग्राहक से लिया जाता था, दूसरी बोतल की कीमत के बराबर शराब कंपनी की ब्लैक मनी बैंक में व्हाइट के तौर पर जमा हो जाती थी।
दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव ने उपराज्यपाल को दी गई अपनी रिपोर्ट में कुछ प्रक्रियात्मक खामियों की ओर इशारा किया था। पहली, एअरपोर्ट जोन के लाइसेंस की सबसे कम बोली लगाने वाले को 30 करोड़ रुपये की बयाना राशि भी वापस कर दी, क्योंकि वह हवाईअड्डा प्राधिकारियों से ‘अनापत्ति प्रमाणपत्र’ हासिल नहीं कर सका। दिल्ली आबकारी नियमावली-2010 के मुताबिक, सफल बोली लगाने वाले को लाइसेंस के लिए सभी औपचारिकताएं पूरी करनी होगी और ऐसा नहीं किए जाने पर उसके द्वारा जमा जमानत राशि सरकार जब्त कर लेगी।
दूसरी, विदेशी शराब के दाम तय करने के फार्मूले को संशोधित कर दिया गया और ‘बिना अधिकृत प्राधिकार की मंजूरी’ के बीयर के प्रति केस पर 50 रुपये के लगने वाले आयात शुल्क को हटा दिया गया, जिससे सरकारी खजाने को राजस्व का नुकसान हुआ। तीसरी, लाइसेंस शुल्क, ब्याज और जुर्माने के भुगतान में चूक के लिए दंडात्मक कार्रवाई करने की बजाय, L7Z (खुदरा) लाइसेंसधारियों को अनुचित वित्तीय लाभ प्रदान करने के लिए टेंडर डॉक्युमेंट के शिथिल प्रावधान लागू किए गए। मुख्य सचिव की रिपोर्ट में 4 अन्य प्रक्रियात्मक खामियां हैं, जिनमें मैं नहीं जाऊंगा।
केजरीवाल कह रहे हैं कि देख लेना कोर्ट में इनको डांट पड़ेगी, लेकिन वह ये नहीं बताते हैं कि सत्येन्द्र जैन लोअर कोर्ट से हाई कोर्ट तक गए, लेकिन जमानत नहीं मिली। क्या न्यायपालिका भी केजरीवाल और उनकी पार्टी के खिलाफ है?
केजरीवाल ने इसी तरह का कैरेक्टर सर्टिफिकेट जितेन्द्र तोमर को दिया था। केजरीवाल ने कहा था कि मैंने उनकी डिग्री चेक करवाई है और वह बिल्कुल असली है, लेकिन बाद में यूनिवर्सिटी ने लिख कर दे दिया कि तोमर की डिग्री फर्जी है और वह जेल चले गए। अब केजरीवाल उनका नाम भी नहीं लेते।
केजरीवाल दावा करते थे कि वह हीरे खोजकर लाए हैं, ठोक बजाकर ईमानदारी के पुतले ढ़ूंढ कर लाए हैं, लेकिन उनके मंत्री आसिम अहमद खान बिल्डर से 6 लाख रुपये की घूस लेते पकड़े गए। जब मामला खुला तो केजरीवाल ने खुद CBI जांच की सिफारिश करके अपने आपको ईमानदारी का सर्टिफिकेट दे दिया।
एक और सहयोगी संदीप कुमार को महिला एवं बाल विकास मंत्री बनाया था। वह राशन कार्ड बनवाने का भरोसा देकर महिला से रेप के इल्जाम में पकड़े गए थे।
केजरीवाल अब कह रहे हैं कि मनीष सिसोदिया जेल जाएंगे लेकिन कोई फर्क नहीं पड़ता, बीजेपी उन्हें डरा नहीं सकती। लेकिन सच्चाई यह है कि मुख्य सचिव की रिपोर्ट में लगाए गए आरोपों का न तो केजरीवाल और न ही उनके मंत्रियों और सहयोगियों ने कोई जवाब दिया है। आम आदमी पार्टी के नेता सिर्फ बीजेपी पर इल्जाम लगा रहे हैं और खुद को शहीद बताकर ईमानदारी का सर्टिफिकेट दे रहे हैं। ये सारी बातें, ये सारे डायलॉग्स सुनने में तो अच्छे लगते हैं, लेकिन अदालत में काम नहीं आएंगे। अदालतें रिपोर्ट में लगाए गए आरोपों और CBI चार्जशीट, यदि यह दायर होती है, पर विचार करेगी।
Kejriwal, Sisodia must reply to specific charges made about liquor trade
In a major escalation in the standoff between the Centre and Aam Aadmi Party, the Lt. Governor of Delhi V. K. Saxena on Friday recommended a CBI probe into the new Delhi Excise Policy implemented by the state government.
This action was taken after the Chief Secretary of Delhi government, Narendra Kumar, in his report to the L-G on July 8, pointed out to seven “deliberate and gross procedural lapses” which led to “undue benefits” for liquor licensees. The new Excise Policy for 2021-22 was implemented in November last year, under which retail licenses were given to 849 vendors to sell liquor across the capital.
The Lt. Governor, while recommending CBI probe, found “substantive indications” of “financial quid pro quo” between the ruling party and licensees. In the line of fire is Manish Sisodia, Deputy Chief Minister, who holds the Excise portfolio. Already, Health Minister Satyendar Jain is in jail in a money laundering case.
AAP supremo and Delhi chief minister Arvind Kejriwal lashed out at the BJP saying the case was “fake”, and Manish Sisodia “is an extremely honest patriot”. “The case made against him is totally false and baseless and there is not an iota of truth in the allegations”, Kejriwal said.
The chief minister did not reply to specific charges made by the Chief Secretary in his report to the L-G, and confined himself to firing political salvos at the BJP. He said, “I was told that they (BJP) wanted to arrest him and were searching for a false case to frame him”, Kejriwal said. Using harsh words he said, ‘Tum log (BJP) Savarkar ki aulaad (son) ho jisne Angrezon se maafi maangi, aur hum Bhagat Singh ki aulaad hain jo phansi pe latak gaye. Hum jail jaane se nahin darte (You are the sons of Savarkar who apologized to British rulers, and we are the sons of Bhagat Singh, who went to the gallows. We do not fear going to jail)”.
Kejriwal said, “BJP is targeting our party because ours is an honest party and BJP is trying to portray that we are as corrupt as them…They are throwing mud at us by levelling false charges to portray that we are as corrupt as them, but the world is not going to believe their lies.”
BJP leaders Meenakshi Lekhi, Adesh Gupta and Ramvir Singh Bidhuri in a joint press conference lashed out at Kejriwal, saying AAP government has promoted cartelisation to benefit liquor companies. New Delhi MP and Union Minister of State Meenakshi Lekhi alleged that a waiver of Rs 144.4 crore was given to liquor licensees and earnest money deposit of Rs 30 crore from one company was refunded without following rules and procedures. She also alleged that AAP government gave liquor licence to a blacklisted company for two out of the 32 zones in Delhi.
Lekhi said, “I do not know who will go to jail, but there are documents and signatures of people establishing their culpability in taking these questionable decisions. On October 21 last year, the excise department had given notices to companies that were given licences. But on July 14 this year, without a cabinet note, a rebate of Rs 144.4 crore was given to the same companies”.
BJP leaders alleged that all this happened at the instance of CM Kejriwal, who made arbitrary changes in the excise policy, took hasty decisions, and this could not have happened without quid pro quo with the vendors. BJP leader Manjinder Singh Sirsa alleged that Delhi cabinet approved the new excise policy in March last year. In April, a group of ministers made certain changes in the policy, and in the new policy implemented on November 17 last year, more than 600 government-run liquor vends were closed down, and Delhi was divided into 32 zones for distributing licenses to private vendors.
Initially, it was decided that manufacturers, distributors and retailers shall be different, and that a single company shall not be given licences for more than two zones. In practice, the Delhi government gave licences to a single company for five zones each. It was decided that earnest money would be seized if conditions are not fulfilled by vendors, but Manish Sisodia allegedly returned Rs 30 crore earnest money. Moreover, Rs 144 crores were waived off in the name of losses in sales due to Covid pandemic.
Sirsa, who has details of the irregularities that took place, alleged that Kejriwal government had given 12 per cent profit guarantee to distributors, out of which six per cent commission would have been taken in cash. He alleged that ‘one bottle free with one bottle sold’ offer was introduced in order to convert black money into white. Liquor companies, he said, used to deposit the fully money for two bottles sold in banks, but took money for a single bottle from consumers. The second bottle’s price was used to convert black money into white, Sirsa alleged.
In his report to the Lt. Governor, the chief secretary of Delhi government pointed out to certain procedural lapses. One, Refund of earnest money of Rs 30 crore to the lowest bidder for the licence for airport zone after it failed to obtain an NOC from authorities. As per Delhi Excise Rules, 2010, if the bidder fails to complete formalities, the earnest money stands forfeited.
Two, Revised formula of calculation of rates of foreign liquor and removed the levy of import pass fee of Rs50 per case on beer without approval of competent authority, causing loss of revenue to exchequer.
Three, Relaxed provisions of tender document to provide undue financial favours to L7Z (retail) licensees, instead of taking coercive action for default in payment of licence fee, interest and penalty. There are four other procedural lapses in the Chief Secretary’s report, which I shall not go into.
Kejriwal has said that the case will not stand in court, but he has not mentioned that his colleague Satyendar Jain went from lower court to High Court but could not get bail. Can he say that the judiciary is working against him and his party?
Kejriwal had given a character certificate to his ex-colleague Jitendra Tomar in the past, by saying that we got his degree checked, but later the University gave in writing that Tomar’s degree certificate was fake, and he went to jail. Kejriwal does not take Tomar’s name any more.
Kejriwal used to claim that he has picked ‘diamonds and jewels’ for his cabinet who are honest, but his minister Asim Ahmed Khan was caught taking Rs six lakhs bribe from a builder. When this was exposed, Kejriwal ordered CBI probe and gave himself a certificate of honesty.
Another colleague Sandeep Kumar was Women and Child Development Minister. He was caught on camera engaged in sex with women in exchange for ration cards.
Kejriwal now says that it does not matter even if Sisodia goes to jail and “BJP cannot cow us down”. But the fact of the matter is this: neither Kejriwal nor his ministers and colleagues have replied to specific charges made in the chief secretary’s report. AAP leaders are only lashing out at BJP and giving themselves certificates of honesty. All these lofty dialogues may be good for atmospherics, but these will not work in courts. The courts will go through the specific charges made in the report, and in the CBI chargesheet, if ever it is filed.