मोदी ने राहुल की इस धारणा को कैसे तोड़ा कि पीएम सवालों के जवाब नहीं देते?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार की रात एक इंटरव्यू में बहुत सारे मुद्दों पर बात की। मोदी ने इंटरव्यू में पूरे भरोसे के साथ कहा कि जिन 5 राज्यों, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, गोवा और मणिपुर में विधानसभा चुनाव हो रहे हैं, वहां बीजेपी को ‘पूर्ण बहुमत’ मिलेगा।
मोदी ने उन सारे सवालों के जवाब दिए जो पिछले कुछ दिनों से चुनाव कैंपेन के दौरान विपक्ष ने उठाए थे। चाहे वह सवाल चुनावों में ईडी और सीबीआई के इस्तेमाल का हो, चाहे अजय मिश्रा टेनी को बचाने का हो, किसानों की नाराजगी का हो या फिर अन्तरराष्ट्रीय मीडिया में भारत की बदनामी का हो। ये ऐसे सवाल थे जो हर रोज पूछे जाते थे, और सबसे बड़ा सवाल था कि क्या विधानसभा चुनावों में बीजेपी जीतेगी।
प्रधानमंत्री मोदी ने उत्तर प्रदेश में पहले चरण की वोटिंग से 11 घंटे पहले ये दावा किया कि यूपी में फिर से बीजेपी की सरकार आएगी, और पूर्ण बहुमत की सरकार बनेगी।
मोदी ने कहा: ‘मैं सत्ता विरोधी लहर की बजाय सत्ता समर्थक लहर देख रहा हूं। जब भी सत्ता समर्थक लहर होती है, बीजेपी चुनाव जीत जाती है। इन सभी 5 राज्यों के मतदाता बीजेपी को उनकी सेवा करने का मौका देंगे। इन राज्यों के लोगों ने हमारा काम देखा है। पहले लोग ‘एंटी-इनकम्बैंसी’ की बात करते थे। मैं समझता हूं कि हमारे देश में वक्त बदला, लेकिन टर्मिनॉलजी नहीं बदली। पहले की सरकारें सिर्फ योजनाओं की घोषणा करती थीं, फाइलों पर हस्ताक्षर करती थीं, लेकिन अपने वादे कभी पूरे नहीं करती थीं।’
मोदी ने इस धारणा को खारिज कर दिया कि समाजवादी पार्टी के सुप्रीमो अखिलेश यादव के राष्ट्रीय लोक दल के अध्यक्ष जयंत चौधरी के साथ गठबंधन करने से वोट एकजुट हो जाएंगे। मोदी ने कहा, ‘यूपी में ‘दो लड़के’ फॉर्मूला काम नहीं करेगा। ये दो लड़कों वाला खेल तो हमने पहले भी देखा था। उनमें इतना अहंकार था कि उन्होंने ‘गुजरात के दो गधे’, ये शब्द प्रयोग किया था। और यूपी की जनता ने उनको हिसाब दिखा दिया। और एक बार तो दो लड़के भी थे, और एक बुआ जी (मायावती) भी उनके साथ थीं, फिर भी वे सफल नहीं हो पाए।’ मोदी 2019 के लोकसभा चुनावों में सपा, बसपा और आरएलडी के गठबंधन का जिक्र कर रहे थे, जो ज्यादा सीटें जीतने में नाकाम रहा था।
अपनी बात को और स्पष्ट करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा: ‘जरा सोचिए। 18 वर्ष की आयु से युवाओं को वोट देने का अधिकार है, और 25 वर्ष की आयु से चुनाव लड़ने का अधिकार है। यदि कोई पिता आगे आता है, और कहे कि उसके दो बेटे हैं, एक 15 साल का और दूसरा 10 साल का, दोनों मिलाकर 25 साल हो गए इसलिए उसे चुनाव लड़ने दें। ऐसा कभी हो सकता है क्या? क्या आपको लगता है कि इस तरह के मेलजोल से चीजें आगे बढ़ सकती हैं?’
मोदी ने कहा, ‘2014 के लोकसभा चुनाव, 2017 के विधानसभा चुनाव और 2019 के लोकसभा चुनाव के नतीजे इस थिअरी को स्पष्ट रूप से खारिज करते हैं कि कोई भी पार्टी यूपी में एक बार जीत हासिल करने के बाद दोबारा नहीं जीत सकती। बीजेपी ने इसे बार-बार साबित किया है और हम इस बार भी जीतेंगे।’
उत्तर प्रदेश में बीजेपी के होर्डिंग पोस्टरों खुद की और योगी आदित्यनाथ की तस्वीरों को दिखाए जाने के बारे में पूछे जाने पर मोदी ने कहा, ‘पोस्टरों पर मेरी तस्वीर बीजेपी के एक कार्यकर्ता के रूप में होती है जिसका नाम नरेंद्र मोदी है। हम सामूहिक नेतृत्व में विश्वास करते हैं और हम मिलजुल कर काम करते हैं।’
पीएम मोदी ने यह भी समझाया कि वह अखिलेश यादव की पार्टी को बार-बार ‘नकली समाजवादी’ क्यों कहते हैं। उन्होंने कहा: ‘नकली समाजवादियों से मेरा मतलब उन लोगों से है जहां एक ही परिवार के सदस्य किसी पार्टी में विभिन्न पदों पर काबिज हैं। सच्चे समाजवादियों से मेरा तात्पर्य डॉक्टर राम मनोहर लोहिया, जॉर्ज फर्नांडीस और नीतीश कुमार जैसे नेताओं से है, जिन्होंने अपने परिवार के सदस्यों को कभी भी अपनी पार्टी के पदों पर कब्जा नहीं जमाने दिया। एक बार किसी ने मुझे चिट्ठी भेजी थी कि यूपी में खुद को समाजवादी कहने वाली एक पार्टी में एक ही परिवार से 45 लोग ऐसे थे जो किसी न किसी पद पर थे। ।’
मोदी ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सराहना करते हुए कहा: ‘यूपी में सत्ता में आने से पहले, गुंडों और माफियाओं का शासन था। अब योगी के राज में ज्यादातर माफिया नेताओं ने या तो सरेंडर कर दिया है या फिर राज्य से पलायन कर गए हैं। यूपी में महिलाएं अब स्वतंत्र रूप से घूम सकती हैं। योगी ने लोगों के मन में सुरक्षा का भरोसा दिया है। जिस तरह से उनकी सरकार ने प्रयागराज में कुंभ मेले का आयोजन किया और कोरोना महामारी का मैनेजमेंट किया, वह काबिले तारीफ है।’
यह बताने पर कि यूपी में पिछले 3 दशकों में कोई भी सत्तारूढ़ दल लगातार दोबारा चुनाव नहीं जीता है, और पिछले 60 सालों में एक भी मुख्यमंत्री लगातार दूसरी बार सत्ता में नहीं आया है, मोदी ने कहा कि यूपी में उनकी पार्टी ने लगातार जीत हासिल की है और 2014, 2017 एवं 2019 के चुनाव इसकी गवाही देते हैं। उन्होंने कहा, ‘हमें यूपी की जनता का आशीर्वाद इस बार भी मिलेगा।’
लखीमपुर खीरी में किसानों को अपनी गाड़ी से कुचलने के आरोपी गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी के बेटे से संबंधित एक सवाल पर मोदी ने जवाब दिया: ‘सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तहत मामले की जांच की जा रही है, और शीर्ष अदालत जांच की प्रगति से संतुष्ट है। योगी सरकार जांच टीम को पूरा सहयोग कर रही है।’
यह पूछे जाने पर कि ईडी, सीबीआई और इनकम टैक्स डिपार्टमेंट चुनाव से पहले छापे क्यों मारते हैं, मोदी ने जवाब दिया: ‘हम भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने के वादे पर सत्ता में आए। अगर हम कार्रवाई नहीं करेंगे तो लोगों को क्या जवाब देंगे?’
विपक्ष के इस आरोप पर कि बीजेपी ‘डबल इंजन सरकार’ की बात कहकर मतदाताओं को परोक्ष रूप से धमकी दे रही है कि अगर लोगों ने बीजेपी को वोट नहीं दिया तो केंद्र राज्य की मदद करना बंद कर देगा, मोदी ने जवाब दिया: ‘राज्यों में कोई भी पार्टी सत्ता में हो, केंद्र में हमारी सरकार ने सहायता प्रदान करने में कभी भी भेदभाव नहीं किया है।’
मोदी ने कहा, ‘आयुष्मान भारत योजना का ही उदाहरण लें। इस योजना के तहत एक गरीब आदमी 5 लाख रुपये की सीमा तक मुफ्त इलाज का लाभ उठा सकता है। भारत में कहीं भी, कोई भी इस योजना के तहत अपना इलाज करवा सकता था, लेकिन कई राज्यों ने इसका विरोध किया और यह कहते हुए इसे अपने यहां लागू करने से इनकार कर दिया कि उनके पास बेहतर मेडिकल स्कीम हैं। बंगाल, दिल्ली और केरल जैसे राज्यों ने इसे लागू करने से मना कर दिया। अगर यह आयुष्मान भारत योजना पूरे भारत में लागू होती, तो कोई भी भारतीय किसी भी राज्य में मुफ्त इलाज का लाभ उठा सकता था।’
मोदी ने फिर से परिवारवाद की राजनीति पर निशाना साधते हुए कहा कि यह भविष्य में लोकतंत्र के लिए खतरा बन सकती है। उन्होंने कहा, ‘कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक कई राज्य ऐसे हैं जहां क्षेत्रीय दलों पर एक ही परिवार का कब्जा है। कश्मीर में 2 परिवार हैं, झारखंड, तमिलनाडु और कई अन्य राज्यों में परिवार ही पार्टी चलाता है, यह लोकतंत्र के लिए बहुत बड़ा खतरा है। और अगर एक पार्टी में किसी परिवार के 2 लोग एमपी या एमएलए बन गए, तो वह पार्टी परिवार की नहीं बन जाती है। इन दोनों का फर्क समझना होगा। पहले में, परिवार ही सर्वोपरि होता है, जहां केवल बेटे और बेटियां ही प्रमुख पदों पर आसीन हो सकते हैं। दूसरे में, नेताओं के बेटों को चुनाव लड़ना और जीतना होता है। दोनों में फर्क साफ है।’
गांधी-नेहरू परिवार की आलोचना पर मोदी ने जवाब दिया, ‘मैंने किसी के पिताजी, किसी के दादाजी, किसी के नानाजी या किसी की माताजी के लिए कुछ नहीं कहा है। मैंने देश के प्रधानमंत्री ने क्या कहा, ये बताया है। इसमें कुछ भी व्यक्तिगत नहीं है। मैंने सिर्फ ये बताया कि एक प्रधानमंत्री के ये विचार थे, तब क्या स्थिति थी। आज के प्रधानमंत्री के ये विचार हैं, और क्या स्थिति है।’
कुल मिलाकर अपने 70 मिनट के इंटरव्यू में मोदी ने भारतीय राजनीति में कई बरसों से बनी धारणाओं को ध्वस्त कर दिया। उन्होंने समझाया, एंटी-इनकम्बैंसी इसलिए होती थी क्योंकि पहले की सरकारें काम नहीं करती थीं। जब काम होता है तब कोई एंटी-इनकम्बैंसी नहीं होती है। मोदी की ये बात सही है। यूपी में एक बार जो जीतता है वह फिर हारता है, ये थ्योरी भी पिछले 3 चुनावों में गलत साबित हो चुकी है।
मोदी ने इस धारणा को भी गलत बताया कि उनकी सरकार चुनाव के लिए ईडी, सीबीआई और इनकम टैक्स डिपार्टमेंट का इस्तेमाल करती है। उन्होंने कहा कि चुनाव की वजह से एजेंसियां भ्रष्टाचार से हुई लूट की संपत्ति वापस लाने का काम नहीं रोक सकतीं, क्योंकि चुनाव लगातार होते रहते हैं। भारत में सारे चुनाव एक साथ नहीं होते।
मोदी ने इस धारणा को भी तोड़ा कि किसान योगी से नाराज हैं। उन्होंने कहा, ‘मैं किसानों के दिल जीतने के लिए निकला हुआ इंसान हूं। मैं किसानों के हित में तीनों कृषि कानून लाया था, लेकिन मैंने उन्हें देश के हित में निरस्त कर दिया।’
विपक्ष के इस आरोप पर कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की छवि खराब हुई है, मोदी ने कहा कि देश में एफडीआई और एफआईआई की आमद बढ़ी है, और दुनिया भर के 150 से अधिक देशों में कोविड के टीके भेजने से भारत की प्रतिष्ठा बढ़ी है। अंतरराष्ट्रीय मीडिया के बारे में उन्होंने कहा कि उसपर कमेंट करने की जरूरत नहीं है। पीएम ने कहा, ‘हमें अपने आप पर भरोसा होना चाहिए।’
मुझे लगता है मोदी ने राहुल गांधी की इस धारणा को भी तोड़ दिया कि प्रधानमंत्री सवालों के जवाब नहीं देते। दरअसल, मोदी ने बुधवार को उन सभी सवालों को जवाब दिए जो इंटरव्यूअर ने उठाए थे। मेरे विचार से लोकतंत्र में यह एक स्वस्थ परंपरा है।
How Modi demolished Rahul’s charge that the PM does not reply to questions
In a wide-ranging interview on Wednesday night, Prime Minister Narendra Modi confidently said that BJP will get “full majority” in all the five states, Uttar Pradesh, Uttarakhand, Punjab, Goa and Manipur, where assembly elections are being held.
Modi replied to almost all the issues raised by opposition in the run-up to the elections. These range from allegations like misuse of ED, CBI and Income Tax department during elections, ”protecting” Minister of state for Home Ajay Mishra Teni, whose son has been accused of crushing farmers in Lakhimpur Kheri, farmers’ agitation issues and his government being criticized in international media. These issues were being raised almost daily during the last several months, and the question still hanging fire is whether BJP will win the assembly elections.
Eleven hours before voters in UP went to cast their votes in the first phase, the Prime Minister said, his party is going to win in UP.
Modi said: “I am seeing a wave of pro-incumbency instead of anti-incumbency. Whenever there is pro-incumbency, the BJP wins elections. The voters in all these five states will give BJP the opportunity to serve them. People have seen our work in these states. Earlier, people used to speak about anti-incumbency, but the times have changed, though the terminology has not changed. Governments in the past used to announce schemes, sign files, but they never fulfilled their promises.”
Modi rejected the theory that with Samajwadi Party chief Akhilesh Yadav aligning with Rashtriya Lok Dal chief Jayant Chaudhary, there will be aggregation of votes. “The ‘two boys’ (do ladke) formula won’t work in UP. Yeh do ladkon wala khel toh humne pahle bhi dekha tha. (We have seen the ‘two boys’ game earlier too). They were so much arrogant that they used words like ‘two Gujarati donkeys’ (do Gujarati gadhe). And the people of UP gave them their ‘hisaab’ (account). Again there were these two boys along with bua ji (Mayawati), and still they could not succeed.” Modi was referring to the 2019 Lok Sabha poll alliance between SP, BSP and RLD, which failed to win at the hustings.
Explaining his point, the Prime Minister said: “Just imagine. There is this right to vote for youths from the age of 18, and the right to contest from the age of 25. If a father comes forward, and says he has two sons, one aged 15 and the other aged 10, and says their age collectively is 25 years, can they contest? Can this happen? Do you think things can move forward through such calculations?”
Modi said, “the results of 2014 LS polls, 2017 assembly polls and 2019 LS polls clearly reject this theory that no party can win again after being victorious once in UP. BJP has proved it again and again, and we shall also win this time.”
Asked about BJP billboard posters in UP projecting both him and Yogi Adityanath, Modi replied: “My picture is there on the posters as a BJP worker whose name is Narendra Modi. We believe in collective leadership, and we work collectively.”
On his frequent mention of the phrase ‘naqli Samajwadi’ for Akhilesh Yadav’s party, Modi explained: “By fake Socialists, I mean those, whose family members are occupying posts in a party. By true Socialists, I mean, leaders like Dr Ram Manohar Lohia, George Fernandes and Nitish Kumar, who never allowed their family members to occupy party posts. In one party which calls itself socialist, I found names of at least 45 members of a single family occupying different posts.”
Modi effusively praised UP chief minister Yogi Adityanath, saying: “ Before he came to power in UP, goondas and mafia used to rule the roost. Now under Yogi’s rule, most of the mafia leaders have either surrendered or have fled the state. Women in UP can now move around freely. Yogi has given a feeling of security in the minds of people. The manner in which his government handled the Kumbh Mela at Prayagraj and during the Corona pandemic, deserves to be praised.”
When it was pointed out that in UP, no ruling party won again in the last three decades, and in the last 60 years, not a single chief minister has came to power twice, Modi said, the consecutive victories that his party has secured in UP during 2014, 2017 and 2019 polls are examples. “We will get the blessings of people of UP again this time too”, he added.
On a question relating to the son of Minister of state for Home, Ajay Mishra Teni, who has been accused of running his vehicle into a crowd of farmers in Lakhimpur Kheri, Modi replied: “The matter is being investigated under the orders of Supreme Court, and the apex court is satisfied with the progress of investigation. Yogi’s government is fully cooperating with the investigation team.”
Asked about why ED, CBI and Income Tax conduct raids before elections, Modi replied: “We came to power on the promise of taking strict action against corruption. If we do not take action, what reply can we give to the people?”
On the opposition’s allegation that BJP is arm-twisting voters by harping on the ‘double engine sarkaar’ theme and indirectly threatening that the Centre would stop assisting the state, if people did not vote for BJP, Modi replied: “Our government at the Centre has never discriminated in providing assistance, whichever party may be in power in the states.”
“Take the example of Ayushman Bharat scheme. Under this scheme, those who are poor can avail of free medical treatment upto a limit of Rs 5 lakhs. Anybody could have availed this medical treatment anywhere in India, but several states opposed it and refused saying that they have better medical schemes. States like Bengal, Delhi and Kerala refused. Had this Ayushman Bharat scheme been implemented across India, any Indian could have availed free medical treatment in any of the states.’
Modi again lashed out at dynastic politics saying that this could become a threat to democracy in future. “Right from Kashmir to Kanyakumari, there are many states where single family rule regional parties. In Kashmir, there are two families, in Jharkhand, Tamil Nadu and several other states, single families run political parties, which is not good for democracy. There is a difference between dynastic politics and sons of politicians getting tickets in BJP. In the first one, the family is the whole and sole custodian, where only sons and daughters can occupy key posts. In the second one, the sons of politicians have to contest and win elections. There is a clear difference.”
On his criticisms against Gandhi-Nehru dynasty, Modi replied: “ I did not say anything about anyone’s father, mother or grandfather. I only shared what the country’s first prime minister had said in the past. There is nothing personal about it. ..I just shared what were the views of our prime minister and what was the situation then, and this is the current prime minister, and what are his views now.”
To sum up, Modi in his 70-minute interview demolished several theories that had been prevailing in Indian politics over several decades. He explained, there used to be anti-incumbency only because state governments failed to perform. “And when governments perform, there is pro-incumbency, and not anti-incumbency”. Modi is right. The prevailing theory about any ruling party failing to repeat its victory in UP stands demolished since the last three elections.
Modi also made it clear that ED, CBI and Income Tax department cannot stop raids against tax evaders or money launderers, just because an election is in progress. Moreover, every year there is some election or other. In India, all elections are not clubbed together.
Modi also rejected the assumptions that farmers in UP are unhappy with Yogi. He said, “I have won the hearts of farmers. I brought the three farm laws in the interest of farmers, but I repealed them in the national interest.”
On the opposition’s charge that India’s international image has taken a beating, Modi pointed out the inflow of FDIs and FIIs into India have increased, and that India has won plaudits by sending Covid vaccines to more than 150 countries across the world. About the international media, he said, he would not react. “We must have faith in ourselves”, the PM said.
I think Modi has also demolished Rahul’s charge that the PM is not replying to questions. In fact, Modi replied to all questions that were raised on Wednesday by the interviewer. In my view, this is a healthy tradition in a democracy.
कांग्रेस में मोदी के जवाब को सुनने की हिम्मत भी होनी चाहिए
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को राज्यसभा में कांग्रेस पर एक और तीखा हमला बोलते हुए आरोप लगाया कि कांग्रेस एक प्रकार से अर्बन नक्सल के चंगुल में फंस गई है, और उसकी सारी सोच और गतिविधि विनाशकारी बन गई है, और यह देश के लिए चिंता का विषय है।
साफ शब्दों में कहें तो मोदी यह बताना चाह रहे थे कि वर्तमान कांग्रेस नेतृत्व अब ‘अर्बन नक्सल्स के कब्ज़े में’ है।
मोदी कांग्रेस नेता राहुल गांधी के उस भाषण पर प्रतिक्रिया दे रहे थे जिसमें उन्होंने कहा था कि संविधान में कहीं भी भारत का उल्लेख एक राष्ट्र के रूप में नहीं किया गया है, बल्कि भारत का उल्लेख सिर्फ ‘राज्यों के संघ’ के रूप में किया गया है।
मोदी ने संसद में राष्ट्रपति के अभिभाषण के धन्यवाद प्रस्ताव पर बहस के दौरान कांग्रेस और अन्य विपक्षी नेताओं द्वारा लगाए गए हर आरोप का जवाब दिया। मोदी ने अपनी सरकार के काम गिनाए, लेकिन जब उन्होंने परिवारवाद की राजनीति पर बोलना शुरू किया, तो उनकी बात सदन के अंदर मौजूद कांग्रेस के अधिकतर सांसदों को चुभ गई।
मोदी ने कहा कि कांग्रेस की सारी राजनीति एक परिवार (गांधी-नेहरू) के इर्दगिर्द घूमती है। मोदी ने गांधी परिवार की चार-चार पीढ़ियों पर अटैक किया। मोदी ने नेहरू से लेकर इंदिरा गांधी, और राजीव गांधी से राहुल गांधी तक किसी को नहीं छोड़ा। उन्होंने कांग्रेस सदस्यों को याद दिलाया कि कैसे महात्मा गांधी ने आजादी के तुरंत बाद कांग्रेस पार्टी को भंग करने की सलाह दी थी।
मोदी ने कहा, ‘मैं सोच रहा हूं कि कांग्रेस न होती तो क्या होता। क्योंकि महात्मा गांधी की इच्छा थी, क्योंकि महात्मा गांधी को मालूम था कि इनके रहने से क्या-क्या होने वाला है। और इन्होंने कहा था पहले से इसको खत्म करो, इसको बिखेर दो। महात्मा गांधी ने कहा था। लेकिन अगर न होती, महात्मा गांधी की इच्छानुसार अगर हुआ होता, अगर महात्मा गांधी की इच्छा के अनुसार कांग्रेस न होती तो क्या होता- लोकतंत्र परिवारवाद से मुक्त होता, भारत विदेशी चश्मे की बजाय स्वदेशी संकल्पों के रास्ते पर चलता।’
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘अगर कांग्रेस न होती तो इमरजेंसी का कलंक न होता। अगर कांग्रेस न होती तो दशकों तक करप्शन को संस्थागत बनाकर नहीं रखा जाता। अगर कांग्रेस न होती तो जातिवाद और क्षेत्रवाद की खाई इतनी गहरी न होती। अगर कांग्रेस न होती तो सिखों का नरसंहार न होता, सालों-साल पंजाब आतंक की आग में न जलता। अगर कांग्रेस न होती तो कश्मीर के पंडितों को कश्मीर छोड़ने की नौबत न आती। अगर कांग्रेस न होती तो बेटियों को तंदूर में जलाने की घटनाएं न होतीं। अगर कांग्रेस न होती तो देश के सामान्य मानवी को घर, सडक, बिजली, पानी, शौचालय, मूल सुविधाओं के लिए इतने सालों तक इंतजार न करना पड़ता।’
कांग्रेस नेताओं ने बहस के दौरान आरोप लगाया था कि वर्तमान सरकार इतिहास को बदलने की कोशिश कर रही है । मोदी ने कहा: ‘यहां पर ये भी चर्चा हुई कि हम इतिहास बदलने की कोशिश कर रहे हैं। कई बार बोला जाता है। बाहर भी बोला जाता है। और कुछ लोग लिखा जाते हैं। मैं देख रहा हूं कि कांग्रेस एक प्रकार से अर्बन नक्सल के चुंगल में फंस गई है। उनकी पूरी सोचने के तरीकों को अर्बन नक्सलों ने कब्जा कर लिया है। और इसलिए उनकी सारी सोच गतिविधि डिस्ट्रक्टिव बन गई है। और देश के लिए चिंता का विषय है। बड़ी गंभीरता से सोचना पड़ेगा। अर्बन नक्सल ने बहुत चालाकी पूवर्क कांग्रेस की इस दुर्दशा का फायदा उठाकर के उसके मन को पूरी तरह कब्जा कर लिया है। उसकी विचार प्रवाह को कब्जा कर लिया है। और उसी के कारण बार–बार ये बोल रहे हैं कि इतिहास बदल रहा है।’
मोदी ने कहा, ‘हम सिर्फ कुछ लोगों की याददाश्त को ठीक करना चाहते हैं। थोड़ा उनका मैमोरी पावर बढ़ाना चाहते हैं। हम कोई इतिहास बदल नहीं रहे हैं। कुछ लोगों का इतिहास कुछ ही सालों से शुरू होता है। हम जरा उसको पहले ले जा रहे हैं और कुछ नहीं कर रहे हैं। अगर उनको 50 साल के इतिहास में मजा आता है, तो उनको 100 साल तक ले जा रहे हैं। किसी को 100 साल तक मजा आता है, उसको हम 200 साल के इतिहास में ले जा रहे हैं। किसी को 200 साल में मजा आता है तो 300 ले जाते हैं। अब जो 300–350 ले जाएंगे तो छत्रपति शिवाजी का नाम आएगा ही आएगा। हम तो उनकी मैमोरी को तेज कर रहे हैं। हम इतिहास बदल नहीं रहे।’
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘कुछ लोगों का इतिहास सिर्फ एक परिवार तक सीमित है, क्या करें इसका। और इतिहास तो बहुत बड़ा है। बड़े पहलू हैं। बड़े उतार-चढ़ाव हैं। और हम इतिहास के दीर्घकालीन कालखंड को याद कराने का प्रयास कर रहे हैं। क्योंकि गौरवपूर्ण इतिहास को भूला देना इस देश के भविष्य के लिए ठीक नहीं है। ये हम अपना दायित्व समझते हैं। और इसी इतिहास से सबक लेते हुए हमने आने वाले 25 साल में देश को नई उचाईयों पर ले जाने का एक विश्वास पैदा करना है। और मैं समझता हूं ये अमृत कालखंड अब इसी से बढ़ने वाला है।’
मोदी ने गोवा मुक्ति संग्राम के दौरान पंडित जवाहरलाल नेहरू की भूमिका को भी नहीं बख्शा। उन्होंने कहा: ‘गोवा मुक्ति को 60 साल हुए हैं। मैं आज जरा उस चित्र को कहना चाहता हूं। हमारे कांग्रेस के मित्र जहां भी होंगे, जरूर सुनते होंगे। गोवा के लोग जरूर सुनते होंगे मेरी बात को। जिस प्रकार से सरदार पटेल ने हैदराबाद के लिए रणनीति बनाई, इनीशिएटिव लिए। जिस प्रकार से सरदार पटेल ने जूनागढ़ के लिए रणनीति बनाई, कदम उठाए। अगर सरदार साहब की प्रेरणा लेकर के गोवा के लिए भी वैसी ही रणनीति बनाई होती, तो गोवा को हिन्दुस्तान आजाद होने के 15 साल तक गुलामी में नहीं रहना पड़ा होता। भारत की आजादी के 15 साल के बाद गोवा आजाद हुआ और उस समय के 60 साल पहले के अखबार उस जमाने की मीडिया रिपोर्ट बताती है कि तब के प्रधानमंत्री अंतरराष्ट्रीय छवि का क्या होगा। ये उनकी सबसे बड़ी चिंता का विषय था, पंडित नेहरू को। दुनिया में मेरी छवि बिगड़ जाएगी तो। और इसलिए उनको लगता था कि गोवा की औपनिवेशिक सरकार पर आक्रमण करने से उनकी जो एक ग्लोबल लेवल लीडर की शांतिप्रिय नेता की छवि है वो चकनाचूर हो जाएगी।’
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘पंडित नेहरू ने सोचा, गोवा को जो होता है होने दो। गोवा को जो झेलना पड़े झेलने दो। मेरी छवि को कोई नुकसान न हो और इसलिए जब वहां सत्याग्रहियों पर गोलियां चल रही थी, विदेशी सल्तनत गोलियां चला रही थी। हिन्दुस्तान का हिस्सा, हिन्दुस्तान के ही मेरे भाई–बहन उनपर गोलियां चल रही थीं, और तब हमारे देश के प्रधानमंत्री ने कहा था कि मैं सेना नहीं दूंगा। मैं सेना नहीं भेजूंगा। सत्याग्रहियों की मदद करने से उन्होंने इनकार कर दिया था। ये गोवा के साथ कांग्रेस ने किया हुआ जुल्म है। और गोवा को 15 साल ज्यादा गुलामी की जंजीरों में जकड़ के रखा गया। और गोवा के अनेक वीरपुत्रों को बलिदान देना पडा। लाठी गोलियों से जिंदगी बशर करनी पड़ी।’
कम से कम राहुल गांधी को तो इस बात का शिकायत नहीं करनी चाहिए कि नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस पर हमला किया। राहुल गांधी खुद भी तो अपने हर भाषण में, अपनी हर प्रेस कॉन्फ्रेंस में, अपने ट्वीट्स में सिर्फ मोदी पर हमला करते हैं, और प्रधानमंत्री ने संसद के दोनों सदनों में उन्हें तीखे अंदाज में जवाब दिया।
यहां तक कि मंगलवार को भी मोदी के जवाब के बाद राहुल गांधी ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा, ‘मोदी हमसे डरते हैं। उन्होंने मेरे द्वारा उठाए गए मुद्दों का जवाब नहीं दिया।’ पिछले 8 सालों से राहुल गांधी कभी ‘सूट-बूट की सरकार’, कभी ‘अंबानी-अडानी की सरकार’ कहकर आरोप लगाते रहे हैं। कभी वह कहते हैं कि मोदी ने देश को बर्बाद कर दिया, कभी कहते हैं मोदी चीन से डरते हैं, कभी कहते हैं कि मोदी डिक्टेटर हैं। ऐसी कितनी बातें गिनवाई जा सकती हैं जब राहुल ने पीएम के खिलाफ कड़े शब्दों का इस्तेमाल किया। इसलिए अगर मोदी ने कांग्रेस के परिवारवाद पर सवाल उठाए, अगर 84 के दंगों की, कश्मीरी पंडितों के पलायन की याद दिलाई तो वह गलत कैसे हो गए? अगर मोदी ने ये कहा कि कांग्रेस ने कहां-कहां और कितनी बार राज्य सरकारों को बर्खास्त किया तो ये कहना गलत कैसे हुआ?
राहुल गांधी बार-बार इल्जाम लगाते हैं कि मोदी सिर्फ अपने उद्योगपति मित्रों को फायदा पहुंचाने के लिए काम करते हैं। अगर मोदी ने ये बता दिया कि किसानों को अब उनकी फसल पर ज्यादा MSP दिया, किसानों के खाते में डायरेक्ट पैसा पहुंचाया, कोरोना के दौरान कोई भूखा नहीं रहा, 80 करोड़ से ज्यादा लोगों को राशन दिया गया, भारत में करीब करीब 100 पर्सेंट एलिजिबल लोगों को वैक्सीन की पहली डोज, और 80 फीसदी वयस्क लोगों को वैक्सीन की 2 डोज लग चुकी है, लाखों गरीबों के लिए मकान बनाए, 5 करोड़ लोगों तक नल से जल पहुंचाया गया तो ये बताना गलत कैसे हुआ?
जो लोग इल्जाम लगाते हैं, उनमें जवाब सुनने की हिम्मत भी होनी चाहिए। लोकतंत्र में कोई वन-वे ट्रैफिक नहीं होता।
Congress must have the courage to listen to Modi’s reply
Prime Minister Narendra Modi launched another blistering attack on Congress in Rajya Sabha on Tuesday and alleged that the “very thought process of Congress has now become destructive. This has become an issue of national concern as urban Naxals are trying to exploit the poor condition of Congress to hijack the party’s line of thinking.”
In plain words, Modi wanted to convey that the present Congress leadership is now “in the grip of urban Naxals”. Modi was reacting to Congress leader Rahul Gandhi’s remarks in Lok Sabha in which he had said that the Constitution nowhere mentioned India as a nation, it only mentioned India as “a union of states”. “Naxals”, Modi said, “have hijacked the Congress party’s mindset. It is this which has led Congress leaders to level baseless allegations about rewriting of history by the present government”.
In fact, Modi replied to every allegations levelled by Congress and other opposition leaders during the debate on Motion of Thanks to the President for his opening speech to Parliament. Modi enumerated the work done by his government, but when he started speaking on dynastic politics, it rattled most of the Congress MPs present inside the House. Modi described how the Congress devoted most of its political time in the service of one dynasty (Gandhi-Nehru). “To protect a dynasty, Congress imposed Emergency in 1975. The massacre of Sikhs in the aftermath of Indira Gandhi’s assassination in 1984 and the huge exodus of Kashmiri Pandits from the Valley took place because of the Congress.
Modi attacked all the four generations of Nehru-Gandhi dynasty beginning with India’s first prime minister Pandit Jawaharlal Nehru, followed by Indira Gandhi, Rajiv Gandhi and now, Rahul Gandhi. He reminded Congress members of how Mahatma Gandhi, soon after independence, had advised that the Congress party should be dissolved.
“I am thinking what could have happened had the Congress not been there. Because it was Mahata Gandhi’s wish. Mahatma Gandhi knew what would have happened if the Congress continued. It was because of this that he said, Congress should be wound up. Had there been no Congress, in deference to the wishes of Mahatma Gandhi, what would have happened? Our democracy would have remained free from dynastic politics, India would have marched forward on Swadeshi instead of putting on “foreign spectacles”.”
“ Had there been no Congress, there would not have been the darkest spot of Emergency. Had there been no Congress, corruption would not have been institutionalized since decades. Had there been no Congress, the divides of casteism and regionalism would not have deepened. Had there been no Congress, there would have been no massacre of Sikhs and Punjab would not have burnt in the fire of terrorism for years. Had there been no Congress, Kashmiri Pandits would not have left the Valley. Had there been no Congress, daughters would not have been burnt in ‘tandoor’. Had there been no Congress, the common man would not have been forced to wait for houses, electricity, water, roads, toilets and other basic facilities for years.”
Replying to Congress leaders alleging that the present government was trying to rewrite history, Modi replied: “In this House, it was alleged that we are trying to change history. I find that the Congress has been caught in a vice like grip of Urban Naxals, who have practically taken over their very thought process. That is why, their thinking and activities have now become destructive. This is a matter of concern for all of us. We will have to think seriously. The Urban Naxals have cleverly exploited the poor state of Congress and have occupied their thought process. That is why, they are saying that history is being rewritten. We want to correct the memory of some people.’
“ We want to increase their memory power. We are not changing history. For some people, history began a few years ago. They feel fine in their 50-year-long history. Some take it back to 100 years, and feel fine. We are taking it 200 years back, some take it to 300 years back. Now, if you take history back to 300 and 350 years, the name of Chhatrapati Shivaji will surely crop up. We are sharpening their memory, we are not changing history. For some people, history is confined to only one family, but our history is vast. There are many dimensions, ups and downs, and we are trying to delve into history over a long-term period. To forget our glorious history will not be good for our country’s future. We realize our duty, and taking lessons from history, we are aiming at creating confidence among people to take our country to new heights over the next 25 years. I think this ‘amrit kaal-khand’ (period of next 25 years from now) will move on this note.”
Modi did not spare even Pandit Jawaharlal Nehru for his role during the Liberation of Goa. Modi said: “Goa was liberated 60 years ago. Had Nehru followed Sardar Patel’s initiative by annexing Hyderabad and Junagadh to India, the people of Goa would not have remained under Portuguese occupation for 15 more years. Goa was liberated 15 years after India attained independence. Newspaper reports 60 years ago clearly show that, at that time, Pandit Nehru was worried about his international image if the Indian army attacked Goa. This was Nehru’s point of concern. He thought if the colonial government in Goa was attacked, his own image as a peace-loving leader on a global level would be broken to pieces. Nehru thought, let the people of Goa suffer, my image must not suffer. That is why the Portuguese police was firing bullets at our satyagrahis who were Indians. And our Prime Minister saying, I will not order my army to move to Goa. Nehru clearly refused to help the satyagrahis. This was the atrocity committed by Congress on the people of Goa. Goa had to suffer for 15 more years of foreign rule, and many sons of Goa had to give their supreme sacrifice. People had to live under the shadow of lathis and bullets.”
With no-holds-barred attacks from Prime Minister Modi, Congress leader Rahul Gandhi should not have any excuse to object. In most of his speeches, tweets and press conference, Rahul launches attacks on Modi, and the Prime Minister gave back to him in a sharp manner, in both House of Parliament. Even on Tuesday, after Modi’s reply, Rahul Gandhi reacted by saying that “Modi fears us. He did not reply to the points I raised”. Since last eight years, Rahul had been using catch phrases like ‘suit-boot ki sarkar’, ‘Adani Ambani ki sarkar’, against Modi government. Sometimes Rahul says, Modi has destroyed this country, Modi fears China, Modi is a dictator. There are umpteen such examples when Rahul Gandhi used harsh words against the PM. So, if Modi attacked Rahul and his party on the issue of dynasty, on imposition of emergency, on Sikh massacre, and on exodus of Kashmiri Pandits, what mistake did he commit? Was Modi committed political error in reminding the Congress, how over several decades, it dismissed the governments of Namboodiripad, Karunanidhi, MGR, N T Ramarao, Charan Singh, Devi Lal and others?
Rahul had been complaining that Modi is only working to benefit his industrialist friends. If the Prime Minister replies by saying how farmers are getting more minimum support prices directly into their bank accounts, if farmers are getting direct money transfer from the Centre, not a single person died of starvation during the pandemic, more than 80 crore Indians got free rations from the Centre, nearly 100 per cent Indian adults have already taken their first dose of Covid vaccine, nearly 80 per cent Indian adults have taken both doses of Covid vaccines, lakhs of poor Indians have now got their own houses, five crore Indians have now started getting drinking water from taps, what wrong did Modi commit?
Those who level allegations must have the courage and patience to listen to replies. Democracy is not a one-way traffic.
मोदी ने संसद में कांग्रेस पर कैसे करारा प्रहार किया
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार और मंगलवार को लोकसभा और राज्यसभा दोनों में कांग्रेस पार्टी पर जमकर वार किए और देश के इस सबसे पुराने राजनीतिक दल पर अलगावावाद के बीज बोने और वंशवाद की राजनीति करने का आरोप लगाया। मोदी ने राज्य सभा में कहा-‘अगर कांग्रेस न होती तो सिखों का नरसंहार न हुआ होता, कश्मीरी पंडितों का पलायन न हुआ होता, देश में इमरजेंसी नहीं लगाई गई होती और बेटियों को तंदूर में न जलाया गया होता।’
इसके साथ ही मोदी ने यह याद दिलाया कि कैसे आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री टी. अंजैया को इसलिए बर्खास्त कर दिया गया था क्योंकि प्रधानमंत्री के बेटे को हवाई अड्डे पर उनके स्वागत के इंतजाम पसंद नहीं आए थे। उन्होंने यह भी याद दिलाया कि कैसे कर्नाटक के मुख्यमंत्री वीरेंद्र पाटिल को बीमार पड़ने के बावजूद बर्खास्त कर दिया गया था। प्रधानमंत्री ने गांधी परिवार पर हमला करते हुए कहा- ‘कुछ लोगों का मानना है कि भारत का जन्म 1947 में हुआ था। उनका मानना है कि केवल एक परिवार ही इस देश पर शासन कर सकता है। अब तो कई राजनीतिक दलों में वंशवाद की राजनीति है। मैं सभी दलों से अपील करता हूं कि वे अपनी पार्टी के अंदर लोकतंत्र लाएं और वंशवाद की राजनीति से दूर रहें।’
लोकसभा में मोदी ने कांग्रेस पर ‘फूट डालो और राज करो’ की ब्रिटिश नीति अपनाने का आरोप लगाया और कहा, ‘तोड़ो और राज करो’ की नीति कांग्रेस ने अंग्रेजों से सीखी और उस पर आज तक चल रही है।’ इसके साथ ही उन्होंने कहा-‘यह अब टुकड़े-टुकड़े गैंग की लीडर बन गई है’। उन्होंने कांग्रेस पर अलगाववाद के बीज बोने का आरोप लगाया। मोदी ने राहुल गांधी का नाम एक बार भी नहीं लिया लेकिन उनका इशारा राहुल गांधी की तरफ ही था। राहुल गांधी ने कहा था कि भारत राज्यों का एक संघ है, राष्ट्र नहीं। राहुल गांधी ने अपने भाषण में आरोप लगाया था कि केंद्र तमिलनाडु और केरल जैसे दक्षिणी राज्यों की अनदेखी कर रहा है।
मोदी ने कहा-‘जब हमारे सीडीएस जनरल बिपिन रावत का दक्षिण भारत में एक हेलिकॉप्टर हादसे में अकस्मात निधन हुआ और उनका पार्थिव शऱीर तमिलनाडु में हवाई अड्डे की तरफ ले जाने के लिए रास्ते से गुजर रहा था, तब मेरे तमिल भाई, तमिल बहनें लाखों की संख्या में रोड पर घंटों तक कतार में खड़े रहे थे। जब सीडीएस रावत का पार्थिव शरीर वहां से गुजर रहा था तब हर तमिलवासी गौरव के साथ हाथ ऊपर करके, आंख में आंसू के साथ कह रहा था- ‘वीर मणक्कम, वीर मणक्कम’। ये मेरा देश है। लेकिन कांग्रेस को हमेशा से इन बातों से नफरत रही है। विभाजनकारी मानसिकता उनके डीएनए में घुस गई है। अंग्रेज चले गए लेकिन ‘बांटो और राज करो’ की नीति को कांग्रेस ने अपना चरित्र बना लिया है। और इसलिए ही आज कांग्रेस ‘टुकड़े-टुकड़े’ गैंग की लीडर बन गई है।
प्रधानमंत्री मोदी ने भारत के राष्ट्र होने पर सवाल उठाये जाने को लेकर आपत्ति जताई। दरअसल राहुल गांधी ने यह दावा किया था कि संविधान में कहीं भी भारत की व्याख्या एक राष्ट्र के तौर पर नहीं की गई है। इसे राज्यों का संघ बताय गया है। मोदी ने राज्यसभा में डॉ. भीम राव अंबेडकर के भाषण के अंश को पढ़ा और यह बताया कि प्रशासनिक उद्देश्यों के लिए भले ही भारत को राज्यों में बांटा गया है लेकिन वास्तव में भारत एक देश है, एक राष्ट्र है। लोकसभा में मोदी ने ‘विष्णु पुराण’ और जवाहरलाल नेहरू की पुस्तक ‘डिस्कवरी ऑफ इंडिया’ का जिक्र किया और यह बताया कि एक राष्ट्र के तौर पर भारत का विचार हमारे संविधान का मसौदा तैयार होने से सदियों पहले मौजूद था। राज्यसभा में मोदी ने पूछा कि कांग्रेस का नाम ‘इंडियन नेशनल कांग्रेस’ क्यों रखा गया है? उन्होंने कहा-‘अगर भारत एक राष्ट्र नहीं है तो कांग्रेस को अपने नाम से राष्ट्रीय शब्द हटा लेना चाहिए और अपने पूर्वजों की गलती को ठीक कर लेना चाहिए। ‘
लोकसभा में मोदी ने कहा, ‘आपका (कांग्रेस का) गेम प्लान कोई भी हो, ऐसे बहुत लोग आए और चले गए। लाखों कोशिशें की गईं, अपने स्वार्थवश की गईं। लेकिन यह देश अजर-अमर है, इस देश को कुछ नहीं हो सकता। इस प्रकार की कोशिश करने वालों को हमेशा कुछ-न-कुछ गंवाना पड़ा है। यह देश एक था, श्रेष्ठ था, यह देश एक है, श्रेष्ठ है और यह देश श्रेष्ठ रहेगा, इसी विश्वास के साथ हम आगे बढ़ रहे हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा, ऐसा लगता है कि कांग्रेस ने अगले 100 साल तक सत्ता में नहीं लौटने का मन बना लिया है। उन्होंने याद दिलाया कि कैसे पिछले 15 से 30 साल में चुनाव में हार के बाद कांग्रेस ने कई राज्यों को खो दिया। उन्होंने कहा-‘नागालैंड के लोगों ने आखिरी बार 1998 में कांग्रेस के लिए वोट किया था, करीब 24 साल हो गए। ओडिशा ने 1955 में आपके लिए वोट किया था, 27 साल हो गए आपको वहां एंट्री नही मिली। गोवा में 1994 में पूर्ण बहुमत के साथ आप जीते थे, 28 साल हो गए लेकिन गोवा ने आपको स्वीकार नहीं किया। पिछली बार 1988 में त्रिपुरा की जनता ने वोट दिया था, करीब 34 साल बीत चुके हैं। यूपी, बिहार और गुजरात में आखिरी बार 1985 में, करीब 37 साल पहले जनता ने आपके लिए वोट किया था। पश्चिम बंगाल में लोगों ने 1972 में करीब 50 साल पहले आपको पसंद किया था। तमिलनाडु के मतदाताओं ने आखिरी बार 1962 में कांग्रेस को वोट दिया था यानी करीब 60 साल पहले आपको मौका मिला था। तेलंगाना बनाने का श्रेय आपकी पार्टी लेती है, लेकिन तेलंगाना बनने के बाद भी वहां की जनता ने आपको स्वीकार नहीं किया। झारखंड का जन्म 20 साल पहले हुआ लेकिन वहां भी मतदाताओं ने पूरी तरह से आपको स्वीकार नहीं किया। पिछले दरवाजे से घुसने का प्रयास करते हैं। सवाल चुनाव नतीजों का नहीं है। सवाल उन लोगों की नीयत का है, उनकी नेकदिली का है। इतने बड़े लोकतंत्र में इतने साल तक शासन में रहने के बाद देश की जनता हमेशा-हमेशा के लिए उनको क्यों नकार रही है? और जहां भी ठीक से लोगों ने राह पकड़ ली, दोबारा आपको प्रवेश करने नहीं दिया है। इतना सारा होने के बावजूद भी..हम तो एक चुनाव हार जाएं ना, महीनों तक न जाने ईको-सिस्टम क्या-क्या करती है। इतना सारा पराजय होने के बावजूद न आपका अहंकार जाता है, न आपकी ईको-सिस्टम आपके अहंकार को जाने देती है।’
नरेंद्र मोदी ने उद्योगपतियों की निंदा करने के लिए कांग्रेस और विपक्ष के नेताओं पर निशाना साधा। राहुल गांधी ने दो उद्योगपतियों का नाम लिए बिना उन्हें ‘A A वैरिएंट’ बताया था। मोदी ने कहा, ‘एक तरफ हमारे युवा उद्यमी अब दुनिया भर में टॉप थ्री में हैं और उनके यूनिकॉर्न धूम मचा रहे हैं और दूसरी ओर हमारे उद्यमियों और जॉब क्रियेटर्स को बदनाम करने की प्रवृत्ति पनप रही है। उद्यमियों में डर पैदा कर उन्हें अच्छा लगता है। कांग्रेस में ऐसे लोग बैठे हैं जो हमारे उद्यमियों को कोरोना वायरस वेरिएंट बता रहे हैं। ये आप क्या कर रहे है? आप कांग्रेस पार्टी को नुकसान पहुंचा रहे हैं।’
प्रधामंत्री ने यह आरोप लगाया कि ‘कोरोना की पहली लहर के दौरान कांग्रेस ने मामूली सियासी फायदे के लिए लाखों मजदूरों को अपने राज्य लौटने के लिए उकसाया था और कोरोना का कैरियर बना दिया था। जब पूरी दुनिया लॉकडाउन का पालन कर रही थी तब मुंबई में कांग्रेस के नेता मजदूरों को डराकर मुफ्त में ट्रेनों की टिकट बांट रहे थे। इसी तरह दिल्ली में सत्ताधारी दल के लोग जीप और माइक लेकर गलियों में घूम-घूमकर लोगों से अपना सामान पैक करने और दिल्ली-बिहार रवाना होने की अपील कर रहे थे। इतना ही नहीं प्रवासी मजदूरों को बसें उपलब्ध कराई गईं और उन्हें यूपी बॉर्डर पर छोड़ दिया गया।’
संसद के दोनों सदनों में पीएम मोदी अपने पुराने रंग में दिखाई दिए। कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों के नेताओं को करारा जवाब दिया। तथ्य और आंकड़ों के साथ विपक्ष पर हमला किया। उन्होंने जवाब देने के लिए बार-बार पंडित जवाहरलाल नेहरू का नाम लिया। नरेन्द्र मोदी का ज्यादा जोर इस बात पर था कि कांग्रेस के नेता सिर्फ विरोध के लिए उनका विरोध करते हैं। ऐसे विरोध से देश का नुकसान होता है।
मोदी ने कोरोना का उदाहरण दिया और याद दिलाया कि कैसे लॉकडाउन और वैक्सीन को लेकर तमाम विरोध के बावजूद भारत के लोगों ने महामारी का डटकर मुकाबला किया। सरकार ने किसी को भूखा नहीं सोने दिया, सप्लाई चेन को टूटने नहीं दिया, अपने देश में वैक्सीन बनाई और अब तक 80 प्रतिशत जनता को दोनों डोज मिल चुकी है। मोदी ने यह भी बताया कि किसानों को खाद की कमी नहीं होने दी गई और किसानों ने भी रिकॉर्ड उत्पादन किया इसीलिए महंगाई पर काफी हद तक काबू पाया जा सका। मोदी ने ऐसे बहुत सारे उदाहरण दिए और कहा कि संकट के इस काल में उन्होंने समर्पण भाव से काम किया। लेकिन पूरे समय कांग्रेस ने उन्हीं को निशाना बनाया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने इतिहास से कोई सबक नहीं लिया।
How PM Modi took Congress to task in Parliament
In his stinging and no-holds barred attacks on the Congress Party in both the Lok Sabha and Rajya Sabha on Monday and Tuesday, Prime Minister Narendra Modi accused the Grand Old Party of sowing seeds of separatism and perpetuating dynastic politics. “Had there been no Congress, the massacre of Sikhs, the exodus of Kashmiri Pandits, the proclamation of Emergency would not have happened”, he told the Upper House.
Modi recalled how the chief minister of Andhra Pradesh T. Anjaiah was sacked when the son of the Prime Minister did not like his reception arrangements at the airport. He also recalled how the chief minister of Karnataka Veerendra Patil was sacked when he was suffering from illness. The Prime Minister hit out at the Gandhi family, and said, “some people seem to believe that India took birth in 1947. They believe only one family can rule this country. Now, dynastic politics is being followed by several political parties. I would appeal to all parties to allow inner-party democracy and abstain from dynastic politics.”
In Lok Sabha, Modi accused the Grand Old Party of following the British policy of ‘Divide and Rule’ and said, “it has now become the leader of tukde-tukde gang”. He accused the party of sowing seeds of separatism by harping on the theme that ‘India is a union of states, and not a nation’. Congress leader Rahul Gandhi had, in his speech, alleged that southern states like Tamil Nadu and Kerala were being ignored by the Centre.
Modi said, “I salute lakhs of people of Tamil Nadu who came to the streets to offer their last respects to Chief of Defence Staff Gen Bipin Rawat, when his mortal remains were being taken to airport. People were chanting slogans like “Veer Vanakkam” (Welcome, warrior). This is my country, but the Congress has been hating such things. Divisive mentality (vibhaajankari mansikta) has entered their DNA. The Britishers have left but their “divide and rule” mentality has entered the character of Congress. Congress today, has become the leader of ‘tukde-tukde’ gang.”
The Prime Minister objected to Rahul Gandhi questioning India’s status as a nation. Rahul Gandhi had claimed that nowhere in the Constitution has India been described as a nation, it has been described as a union of states. Modi, in Rajya Sabha, read out experts from Dr B R Ambedkar’s speech to say that India may have been divided into states for administrative purpose, but in reality, India is one country. In Lok Sabha, Modi referred to the Vishnu Puran and Jawaharlal Nehru’s book ‘Discovery of India’ to make the point that the idea of India as a nation had been there since centuries, much before our Constitution was drafted. In Rajya Sabha, Modi asked why the Congress is named ‘Indian National Congress’. “If India is not a nation, let the Congress remove the word ‘national’, and rename itself as a Federation of Congress”, he said.
In Lok Sabha, Modi said, “whatever may be the gameplan (of Congress), many have come and gone. There were many, many attempts to divide this nation, but our nation is immortal and perpetual. Nobody can break our nation. Those who tried it, had to lose. This country was one, was great, this country is one, is great, and this country will remain one, and will remain great”, Modi said.
The Prime Minister said, it seems that Congress has made up its mind not to return to power for the next 100 years. He reminded how Congress lost many states since the last 15 to 30 years after electoral drubbing. “In Nagaland, the voters last voted for Congress in 1998, and now 24 yeas have passed. The voters of Odisha last voted for Congress in 1995, and 27 years have passed. You secured majority in Goa in 1994, and since last 28 years, voters of Goa have not accepted you. The last Congress won in Tripura was in the year 1988, 34 years have passed. The last time UP, Bihar and Gujarat voters voted you to power was in the year 1985, since then 37 years have passed. The people of Bengal voted you to power the last time in 1972, more than 50 years have passed. The voters of Tamil Nadu voted Congress to power the last time in 1962, sixty years have passed. Your party takes the credit for creating Telangana, but the people did not accept you. Jharkhand was created 20 years ago, but the voters did not accept you. You came to power through backdoor. The question is not of election results. The issue is about your intentions, your ‘nekdili’ (good sense). You should find out why people in states are rejecting you since decades and are not allowing your party to come to power. If we lose one election, we think about if for months. But in your case, your ego comes in the way, and your party eco-system does not allow you to dispense with your ego.”
Modi hit out at the Congress and opposition leaders for denouncing entrepreneurs. It was Rahul Gandhi who described two top industrialists, without naming them, as “AA variant”. Modi said, “on one hand, our young entrepreneurs are now in Top Three across the world, and their unicorns are making a splash, and on the other hand, there is the tendency to denigrate our entrepreneurs and job creators. They feel nice by striking fear in the hearts of entrepreneurs. There are people sitting in Congress who are describing our entrepreneurs as Corona virus variants. What are you doing? You are harming the Congress party”
The Prime Minister also alleged that “it was the Congress which, instead of appealing to people to remain indoors, egged on poor people living in Mumbai to go to railway stations and take the trains to their home states. They even bought tickets for them. Similarly, in Delhi, the party in power, took out jeeps, fitted with mikes, appealing to poor people to pack up their belongings and leave for UP and Bihar. They even provided buses and dropped them at the UP border.”
Prime Minister Modi’s speeches in both houses of Parliament remind us of his old image when he used to tear his rivals to bits, by placing facts and figures, embellished with stinging remarks. He quoted Jawaharlal Nehru several times in his speech. Modi wanted to convey this message that the Congress is indulging in blind opposition to anything that the Prime Minister does.
By referring to how the Congress leaders behaved during Covid pandemic, Modi described how despite strong opposition to lockdowns and vaccines, the nation came out with flying colours by tackling the pandemic. “We did not allow any one to starve. We did not allow our supply chains to break. Today 80 per cent Indians have taken both their vaccine doses. We focused on MSMEs and agriculture, and did not allow our farmers to lose during the pandemic”, Modi said. The Congress is yet to learn from its past and present mistakes.
क्या सिद्धू चन्नी को अपना नेता मानेंगे?
पंजाब में कांग्रेस अभी तक यह तय नहीं कर पाई है कि विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री पद के लिए उसका उम्मीदवार कौन होगा। राज्य में 20 फरवरी को मतदान होने में मुश्किल से दो हफ्ते बचे हैं और अभी तक इस बारे में कुछ भी साफ नहीं है कि पार्टी अपना सीएम कैंडिडेट किसे बनाएगी। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, कांग्रेस नेता राहुल गांधी रविवार को लुधियाना में एक वर्चुअल रैली को संबोधित करते हुए सीएम कैंडिडेट के नाम की घोषणा कर सकते हैं।
पार्टी फोन कॉल के जरिए से टेली-सर्वेक्षण कर रही है कि किसे सीएम कैंडिडेट बनाया जाए। आम आदमी पार्टी ने भी ठीक ऐसे ही टेली-सर्वे के बाद मुख्यमंत्री पद के लिए भगवंत मान के नाम की घोषणा की थी। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस बात की काफी चर्चा है कि वर्तमान मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष एवं एक मजबूत दावेदार नवजोत सिंह सिद्धू से बहुत बड़े अंतर से आगे चल रहे हैं।
सिद्धू, जो कि माता वैष्णो देवी मंदिर में देवी का आशीर्वाद लेने गए थे, परेशान नजर आ रहे हैं। शुक्रवार को उनके एक बयान से उनकी परेशानी जगजाहिर भी हो गई। सिद्धू ने अपने समर्थकों से कहा, ‘मुझे आपसे एक ही बात कहनी है। नया पंजाब बनाना सीएम के हाथ में है। जैसा मुख्यमंत्री होता है, वैसा ही सूबा होता है। पिछले 2 मुख्यमंत्रियों ने बेड़ागर्क कर दिया। 25-30 साल में पंजाब को बर्बाद कर दिया। इस बार मुख्यंत्री आपको चुनना है। सीएम ईमानदार होगा तो ईमानदारी नीचे तक जाएगी। ऊपर चोर बिठा दिया तो फिर सब गया। आप मेरी ये बात याद रखना। ऊपर वाले चाहते हैं कमजोर सीएम, जिसे वे अपनी धुन पर नचा सकें, ता था थैया करा सकें। उनसे कहें, नाच मेरी बुलबुल तुझे पैसा मिलेगा, कहां कदरदान हमारे जैसा मिलेगा। ये ऐसा मुख्यमंत्री चाहते हैं।’
अपने इस बयान पर हंगामा मचने के बाद सिद्धू एक बार फिर कैमरे के सामने आए और सफाई दी। उन्होंने कहा, ‘पिछले 25 साल जो भी यहां सीएम रहे, वे केंद्र सरकार की धुन पर नाचते रहे, भले ही उन्हें धुन पसंद न हो। उनकी धुन पर कठपुतलियों की तरह नाचते रहे हैं और यही वो चाहते हैं। ये झूठ है, मैं रूठा हुआ नहीं था। चन्नी मेरा छोटा भाई है, मैं उससे कभी नहीं रूठा।’
सिद्धू के मीडिया सलाहकारों ने भी सफाई दी कि ‘ऊपर वाला’ कहने से उनका मतलब कांग्रेस आलाकमान से नहीं बल्कि केंद्र से था, जो एक कमजोर सीएम चाहता है।
सिद्धू पहले कई बार कह चुके हैं कि वह राजनीति में ‘शोपीस’ बनने नहीं आए। इसका मतलब है कि वह पंजाब में मुख्यमंत्री बनने आए हैं। उन्होंने यह भी कहा है कि अगर उन्हें दर्शनी घोड़ा बनाया गया तो ठीक नहीं होगा। मतलब, वह बगावत कर देंगे, संन्यासी बन जाएंगे, सियासत छोड़ देंगे।
सिद्धू की पत्नी नवजोत कौर ने 2 दिन पहले ही कह दिया था, ‘अगर हाई पोस्ट नहीं मिली तो राजनीति में रहने का क्या फायदा?’ यानी मुख्यमंत्री नहीं बनाया गया तो सब बेकार हैं। नवजोत कौर ने यह भी कहा कि सिद्धू पहले हर घंटे 25 लाख रुपये कमाते थे, वह भी हर महीने 5 लाख रुपये कमा लेती हैं। दोनों के पास पैसे की कोई कमी नहीं है, लेकिन अगर सिद्धू को हाई पोस्ट नहीं मिली, तो, दूसरे शब्दों में वह बगावत की तरफ इशारा कर रही थीं।
Will Sidhu accept Channi as leader?
The Congress in Punjab is yet to decide who will be its chief ministerial candidate in the assembly elections. Hardly two weeks are left for the state to go to the polls on February 20 and yet there is no clarity about who will be the CM candidate. Congress leader Rahul Gandhi is likely to announce the name of CM candidate on Sunday when he will address a virtual rally for Ludhiana, according to media reports.
The party has been doing a tele-survey via phone calls on who should become the CM candidate, similarly on the lines of Aam Aadmi Party, when it announced the name of Bhagwant Mann as its candidate for chief ministership after a tele-survey. According to media reports, there is a strong buzz about present chief minister Charanjit Singh Channi leading by a wide margin over PCC chief Navjot Singh Sidhu, who is also a strong contender.
Sidhu, who had gone to Mata Vaishno Devi shrine to seek the goddess’s blessings, seems to be worried. On Friday, he made a cryptic remark. Sidhu told his supporters, “I want to tell you one thing. The aim of ushering in a New Punjab lies in the hands of Chief Minister. Jaisa mukhyamantri hoga, waisa hi yeh state hoga. In the last 25-30 years, there were two chief minister who did the ‘bedaa-gark’ (destroyed the state). This time, elect a CM, whose honesty will percolate deeper to the lowest level. If you put a thief on top, truth will vanish. Remember my words. “Ooper wala (those at the top) want a weak chief minister, who can do ‘ta thaiya, ta thaiya’ for them (dance to their tune). Naach meri bulbul, tujhe paisa milega, kahaan kadar daan hamare jaisa milega. They want this type of CM”. He was speaking at a public function in Amritsar. Soon after he made this remark, his supporters shouted slogan “Hamara CM Kaisa Ho, Navjot Sidhu Jaisa Ho”. This remark soon triggered a row. It was perceived to be against the party high command.
As this remark caused a furore, Sidhu had to appear again before cameras and clarify. He said “For the last 25 years, there were chief ministers in Punjab who danced to the tune of the Centre, even when they did not like the tune. They danced like puppets on a string. ..It is a lie to say that I am unhappy with the CM. Channi is my younger brother. I was never angry with him.”
Sidhu’s media advisers clarified that by saying “Ooper wala”, he did not mean the Congress high command, but the Centre which wants a weak CM.
Sidhu is on record of having said several times in the past that he has not entered politics, to become a ‘showpiece’. In other words, he is hinting that, his ambition is to become the chief minister of Punjab. He has also said, “if I am made a darshani ghoda (decorative horse), it will not be good”.. In other words, he is threatening to revolt, he will become a sanyasi and leave politics.
Sidhu’s wife Navjot Kaur had said two days ago, “what is the use of being in politics, if one does not get a high post?” In other words, there is no use staying in politics, if one does not become the CM. Navjot Kaur also said, her husband used to earn Rs 25 lakh per hour, and she herself used to earn Rs 5 lakh a month. Both of them have no dearth of money, but if Sidhu does not get a high post, then, in other words, she was hinting at a revolt.
ओवैसी पर हमले की एक स्वर में निंदा होनी चाहिए
चुनाव में जुबानी जंग और तीखी तकरार तो हो रही है लेकिन इस सियासी संग्राम में बोली की जगह गोली चलेगी यह नहीं सोचा था, लेकिन गुरुवार को ऐसा ही हुआ। एक बेहद निंदनीय घटना हुई। दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे के एक टोल प्लाजा पर ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के चीफ असदुद्दीन ओवैसी के काफिले पर दो युवकों ने 9 एमएम की पिस्टल से फायरिंग की। ओवैसी उस समय पश्चिमी यूपी में चुनाव प्रचार के बाद दिल्ली वापस लौट रहे थे।
पुलिस ने दोनों हमलावरों को गिरफ्तार कर लिया है और मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक पूछताछ में इन्होंने जो खुलासा किया है उसके मुताबिक दोनों एक हिंदू संगठन से जुड़े हैं। इनकी पहचान ग्रेटर नोएडा स्थित बादलपुर के रहनेवाले सचिन शर्मा और सहारनपुर निवासी शुभम के तौर पर हुई है। सचिन शर्मा लॉ का स्टूडेंट है। घटनास्थल से एक आल्टो कार भी बरामद की गई है।
सचिन शर्मा के फेसबुक अकाउंट में हिंदू कट्टरपंथी नेता यति नरसिंहानंद का एक वीडियो पाया गया। नरसिंहानंद को हाल ही में मुसलमानों के खिलाफ जहरीले बयान देने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। सचिन ने अपने एक पोस्ट में राम भक्त गोपाल के कारनामे का भी समर्थन किया था। राम भक्त गोपाल को वर्ष 2020 में सीएए विरोधी प्रदर्शनकारियों पर फायरिंग के आरोप में गिरफ्तार किया गया था।
ओवैसी पर फायरिंग हापुड़ जिले के पिलुखवा के पास छिजारसी टोल प्लॉजा पर हुई। पुलिस ने आगे की जांच के लिए कार, हथियार और टोल प्लाजा के वीडियो को जब्त कर लिया है। गुरुवार रात अपने प्राइम टाइम शो ‘आज की बात’ में मैंने ओवैसी से बात की। उन्होंने बताया कि किस तरह से उनपर हमला हुआ।
ओवैसी ने कहा- ‘हमलोग मेरठ से लौट रहे थे और जब हमारे काफिले की चार गाड़ियां टोल प्लाजा पर रुकीं तो अचानक मैंने एक तेज आवाज सुनी। मुझे बताया गया कि हमारे काफिले पर फायरिंग हो रही है। मैंने दो हमलावरों को देखा, एक लाल रंग की जैकेट पहने हुए था जबकि दूसरा सफेद रंग के कपड़े में था। मैंने अपने ड्राइवर को कार तेज करने को कहा और सामने वाली कार को टक्कर मार दी। दूसरी कार ने लाल जैकेट पहने शख्स को टक्कर मारी। इसी बीच दूसरे हमलावर ने हमारी फॉर्च्यूनर गाड़ी पर फायरिंग शुरू कर दी। गोली लगने से हमारी कार का टायर पंचर हो गया और टोल प्लाजा से करीब 5-6 किमी की दूरी पर हमलोग रुके।’
एआईएमआईएम चीफ ने कहा- ‘हमने तुरंत गाड़ी पर लगी गोलियों के निशान की तस्वीरें लीं और वीडियो बनाया। इसके बाद हमने वहां से तुरंत निकलने का फैसला किया। मैंने अपनी गाड़ी बदली और दिल्ली अपने घर पहुंचा। बाद में हमारे लोग घटनास्थल पर पहुंचे तो पता चला कि लाल रंग की जैकेट वाला हमलावर पकड़ लिया गया है और उसकी पिस्टल जब्त कर ली गई है। एडिशनल एसपी से मेरी बात हुई। उन्होंने कहा कि पुलिस हमारी गाड़ी का टेक्निकल और फॉरेंसिक जायजा लेगी। मैंने उनसे कहा कि जो भी करना है आप कीजिए लेकिन मेरी मांग है कि पुलिस इन दोनों हमलावरों के पीछे जो मास्टमाइंड है, उसका पता लगाए। क्योंकि जाहिर सी बात है कि वे लोग दिल्ली या मेरठ से मेरा पीछ कर रहे होंगे। और उन्हें पता था हमारा काफिला इस टोल प्लाजा पर रुकेगा।
ओवैसी ने कहा- ‘हमलावर हमसे मुश्किल से 10 कदम की दूरी पर होंगे। अल्लाह का करम है कि हमलोग बच गए। वरना वो लोग बुरा इरादा लेकर आए थे। यामीन और हमारी प्रजेंस ऑफ माइंड ने काम किया और हमने हाजी साहब की गाड़ी को पीछे से टक्कर मारी। हालांकि उस गाड़ी का बंपर डैमेज हो गया, हम आगे बढ़े तो पता चला कि गाड़ी की टायर पंचर हो गई है। लेकिन हमने वहां से तुरंत निकलने का फैसला किया। दरअसल यह दो लोगों की हरकत नहीं है, देश की जिस्म में नफरत के जहर का पैगाम घोला जा रहा है। हमें उम्मीद है कि प्रधानमंत्री और उत्तर प्रदेश प्रशासन इस मामले की तह में जाएंगे।’
यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पुलिस से घटना की पूरी रिपोर्ट मांगी है। यूपी के आईजीपी, एसएसपी और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों ने मौके का दौरा किया। राज्य प्रशासन को यह पता लगाना चाहिए कि कौन लोग इस हमले के मास्टमाइंड हैं? इस हमले के पीछे उनका असली मकसद क्या था? वे कौन लोग हैं जिन्होंने इन दोनों हमलावरों को हमले के लिए उकसाया? जानकारों का कहना है कि बिना पूरी प्लानिंग के यह हमला नहीं हो सकता था। हमलावरों को यह मालूम था कि ओवैसी किस कार में हैं। यही वजह है कि उन्होंने सीधे ओवैसी की कार पर फायरिंग शुरू कर दी।
इंटरव्यू में ओवैसी ने कहा कि वह 1994 में विधायक बने लेकिन वे लगातार व्यक्तिगत सुरक्षा लेने से इनकार करते रहे हैं। वे अपने लिए किसी भी तरह की पुलिस सुरक्षा नहीं लेंगे। उन्होंने कहा-‘मुझे पसंद नहीं है कि लोग हथियार लेकर मेरे साथ रहें, मुझे परेशानी होती है, खुद से पुलिसकर्मियों को घिरा देख मुझे अजीब लगता है।’ मैंने जब ओवैसी से यह पूछा कि उस वक्त उन्हें डर नहीं लगा जब हमलावरों को अपनी कार पर फायरिंग करते देखा, इस पर ओवैसी ने कहा-‘मैंने तुरंत कलमा पढ़ना शुरू कर दिया।’
टोल प्लाजा के सीसीटीवी फुटेज को देखकर एक बात तो साफ है कि ओवैसी पर गोलियां पूरी प्लानिंग के साथ चलाईं गईं। उन पर हमला करने वाले घात लगाकर बैठे थे। यह भगवान का शुक्र है कि ओवैसी को जरा सा भी चोट नहीं आई। ओवैसी ने सही कहा कि यह किसी राजनीतिक दल के प्रमुख पर नहीं बल्कि हमारे लोकतंत्र और देश के संविधान पर हमला है। इस घटना को गंभीरता से लेते हुए जांच को उसके तार्किक परिणाम तक ले जाना चाहिए।
मैं ओवैसी के गुस्से और दुख को समझ सकता हूं। अपने भाषणों में वे अपने राजनीतिक विरोधियों पर जोरदार हमले करते हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि उनकी आवाज गोलियों से दबा दी जाए। ओवैसी पर हुए हमले के बाद मेरे पास बोलने के लिए उनके साहस की तारीफ के सिवा और कुछ नहीं है। ओवैसी ने उत्तर प्रदेश के चुनाव में 100 उम्मीदवार उतारे हैं और वो जबरदस्त प्रचार कर रहे हैं। वह बीजेपी, समाजवादी पार्टी, बीएसपी, कांग्रेस, सब पर जोरदार हमला करने में लगे हैं। अगर हमला करने वाले अपने नापाक मंसूबों में कामयाब हो जाते और ओवैसी को जरा सी भी चोट लग जाती तो कितनी गड़बड़ी होती, इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। यह उत्तर प्रदेश के माहौल को खराब करने की कोशिश है।
Attack on AIMIM chief Owaisi must be unequivocally condemned
A highly condemnable incident took place on Thursday at a toll plaza on Meerut-Delhi expressway, when two youths fired from 9 mm pistols at the convoy of All India Majlis Ittehadul Muslimeen (AIMIM) chief Asaduddin Owaisi. The AIMIM leader was returning to Delhi after his election campaign in western UP.
Both the assailants have been arrested, and according to media reports, they have revealed that they belong to a Hindu outfit. They have been identified as Sachin Sharma, a law student from Badalpur, Greater Noida, and Shubham, from Saharanpur. An Alto car was also seized from the spot.
The Facebook account of Sachin Sharma carries a video of Hindu fundamentalist leader Yati Narsinghanand, who was recently arrested for giving a hate speech against Muslims. In one of his posts, Sachin had supported the act of Ram Bhakt Gopal, who was arrested for firing at anti-CAA protesters in Delhi in 2020.
The firing took place at Chhajarsi toll plaza near Pilkhuwa of Hapur district. Police have seized the car, weapons and the toll plaza video for further investigation. In my prime time show ‘Aaj Ki Baat’ on Thursday night, I spoke to Owaisi, who described how the attack took place.
“We were returning from Meerut, when our convoy of four vehicles stopped at the toll plaza. Suddenly, I heard a loud sound, and I was told that our convoy is being fired at. I saw two attackers, one with a red dress with a hood, and the other in a white dress. I asked my driver to drive the car fast and hit the car that was in front of us. The other car hit one of the attackers, who was wearing a red hood. The other attacker started firing at our Fortuner vehicle. Our car tyre was punctured by bullets, and it stopped 5-6 km away from the toll plaza”, Owaisi said.
“We immediately took photos and videos of the bullet marks, and we decided to leave the place fast. I changed my vehicle and reached my home in Delhi. Later our people who went to the spot found that the red hood wearing assailant had been caught and his pistol seized. I had a talk with the Additional SP, who told me police would take technical and forensic evidences from our vehicles. I told him that our main demand is that police should trace the mastermind behind these two assailants, because they had been following us, from either Delhi or Meerut, I do not know, but they knew that our convoy would stop at this toll gate”, the AIMIM chief said.
“The attackers were hardly ten steps away from us and by the grace of Allah, we were saved, otherwise their intent was lethal. …It was the presence of mind of Yameen and myself, that we decided to hit Haji Saheb’s vehicle from behind, damaging his bumper, we moved forward, noticed that our tyre was punctured, but we decided to leave the spot immediately. This is not the act of two persons, this is the result of the poison of hate that is being mixed in our nation’s body politic, and we hope the Prime Minister and UP administration should get to the bottom of this matter”, Owaisi said.
Already, UP chief minister Yogi Adityanath has sought details about the attack from police. UP IG police, SSP and other senior officers have visited the spot. The state administration much find out who were the masterminds behind this attack? What was the ulterior motive behind this attack? Who are the persons who motivated these two assailants to launch this attack ? Experts say, this attack could not have happened without proper planning. The attackers knew in which car Owaisi was travelling, and they fired directly at his car.
In my interview, Owaisi said, he had been consistently refusing to take personal security since 1994, and will continue to decline any offer of police security for himself. “I consider this odd to find myself surrounded by policemen when I meet people”, he said. I also asked Owaisi, whether he had fear in his mind when he saw the attacker firing at his car, he replied: “I promptly started reading Kalmaa (holy Quran verse)”.
The toll plaza video clearly shows that the attack was pre-planned and it was by God’s grace that Owaisi could save his life. The video also points towards a bigger conspiracy. Owaisi is right when he says that this is not an attack on the chief of a political party, it is an assault on our democracy and our Constitution. This deplorable incident must be taken seriously and the probe must be taken to a logical end.
I understand Owaisi’s anger and sadness. In his speeches, he is always hard hitting against his rivals, but this does not mean that his voice should be silenced by bullets. I have nothing but admiration for his courage, for speaking out clearly after the attempt on his life. Owaisi’s AIMIM has fielded nearly 100 candidates in the UP assembly polls, and in his non-stop campaign, he has been hitting out at BJP, SP, Congress and BSP. One must realize the disturbance that could have taken place had Owaisi been injured in the attack. This is nothing but a crude attempt to disturb peace in UP during the assembly elections.
यूपी चुनाव में अब योगी बनाम अखिलेश की लड़ाई
उत्तर प्रदेश में चुनाव प्रचार अब ज़ोर पकड़ चुका है। सभी प्रमुख राजनीतिक दलों के नेता पश्चिमी और मध्य यूपी में चुनावी सभाओं को संबोधित कर रहे हैं। भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष जेपी नड्डा, गृह मंत्री अमित शाह, यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव, आरएलडी चीफ जयंत चौधरी, बीएसपी सुप्रीमो मायावती और AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी चुनावी रैलियों को संबोधित करने में व्यस्त हैं। योगी शुक्रवार को गोरखपुर से अपना नामांकन दाखिल करेंगे। बुधवार को उन्होंने पश्चिमी उत्तर प्रदेश में 4 चुनावी रैलियों को संबोधित किया।
चुनाव प्रचार के रफ्तार पकड़ते ही योगी आदित्यनाथ और अखिलेश यादव के बीच जुबानी जंग और आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है। योगी ने अपनी रैलियों में आरोप लगाया कि दो ‘लड़के’ चुनाव लड़ने के लिए अब फिर साथ आ गए हैं, लेकिन जब 5 साल पहले मुजफ्फरनगर में सांप्रदायिक दंगे हुए थे, उनमें से एक लड़का लखनऊ में दंगाइयों के नेता को सम्मानित कर रहा था, जबकि दूसरा लड़का दिल्ली में बैठकर तमाशा देख रहा था और कह रहा था कि दंगाइयों के खिलाफ ज्यादा कार्रवाई नहीं होनी चाहिए। अखिलेश यादव और जयंत चौधरी ने योगी के बयान पर तुरंत प्रतिक्रिया दी।
एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में अखिलेश यादव ने कहा कि मुख्यमंत्री को इस तरह की बातें नहीं करनी चाहिए। उन्होंने कहा, ‘योगी जी जिस भाषा का इस्तेमाल कर रहे हैं, वह मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठे व्यक्ति को शोभा नहीं देती। लगता है योगी को अपनी मनपसंद सीट से टिकट नहीं मिला, इसलिए वह गुस्से में हैं, उन्हें गर्मी लग रही है, लेकिन 10 मार्च को नतीजे आने के बाद वह शांत हो जाएंगे।’
अखिलेश यादव पर हमले में योगी ने कोई कसर नहीं छोड़ी। उन्होंने कहा, पहले की सरकारों में मुख्यमंत्री सबसे पहले अपना बंगला बनवाते थे, लेकिन उनके 5 साल के शासन में यूपी में 43 लाख गरीब परिवारों के लिए घर बनवाए गए। उन्होंने आरोप लगाया कि पहले सरकारी खजाने का अधिकांश पैसा तत्कालीन सीएम के ‘इत्र वाले मित्रों’ की जेब में चला जाता था। योगी ने कहा, ‘वे केवल नाम से समाजवादी हैं, लेकिन इनका काम ‘दंगावादी’ और सोच ‘परिवारवादी’ है।’
अखिलेश ने चेतावनी दी कि अगर उनकी पार्टी सत्ता में आई तो योगी के खिलाफ दर्ज सभी पुराने आपराधिक मामले फिर से खोल दिए जाएंगे। लेकिन इन सब बातों का योगी पर कोई फर्क नहीं पड़ा। योगी ने आरोप लगाया कि सपा के शासन के दौरान यूपी में तमंचों की फैक्ट्रियां चलती थीं, लेकिन बीजेपी की सरकार डिफेंस कॉरिडोर बना रही है और यहां तोपें बनेंगी। योगी ने कहा कि पहले की सरकार में गैंगस्टर और माफिया का शासन चलता था, जबकि बीजेपी के शासन के दौरान भ्रष्ट माफियाओं की अवैध संपत्तियों पर बुलडोजर चलवाया गया। योगी ने कहा, ‘ये बुलडोजर अब रुकने वाले नहीं हैं।’
दोनों की बातें सुन कर मैंने पाया कि कि अपने चुनाव प्रचार के शुरुआती दौर में अखिलेश अपने शासन की उपलब्धियां गिनवाते थे, और अपनी पार्टी के सत्ता में आने पर नई योजनाओं को लागू करने का वादा करते थे। लेकिन अब ऐसा लग रहा है कि छोटे दलों के साथ गठबंधन करने के बाद अखिलेश की ज़्यादातर ताकत और वक्त गठबंधन को बचाए रखने में खर्च हो रहा है।
जैसे-जैसे चुनाव की तारीखें नजदीक आ रही हैं, अखिलेश अपने सहयोगियों की सफलता पर ज्यादा भरोसा करते नजर आ रहे हैं। अखिलेश अब अपराध, भ्रष्टाचार और दंगाइयों पर ज्यादा नहीं बोलते। इसकी वजह यह है कि उनकी पार्टी और उनके सहयोगियों ने आपराधिक पृष्ठभूमि वाले कई उम्मीदवारों को टिकट दिया है। इससे योगी को अखिलेश पर हमला करने का मौका मिल गया है। अब योगी अपराधियों और माफिया को टिकट दिये जाने की बात को प्रमुखता से उठा रहे हैं।
योगी आदित्यनाथ बड़ी चतुराई से दोनों बातें करते हैं। वह अखिलेश सरकार की कमियां बताते हैं और फिर अपने शासन के दौरान किए गए काम गिनवाते हैं। जब वह कहते हैं कि पिछली सरकारों में नेताओं ने बंगले बनवाए, उसी सांस में वह बता देते हैं कि उनकी सरकार ने गरीबों के लिए 43 लाख घर बनवाए।
इसके बाद योगी उन अवैध तमंचा फैक्ट्रियों की बात करते हैं जो पिछली सरकार के दौरान पनपे थे, और फिर इसकी तुलना डिफेंस कॉरिडोर से करते हैं जो हमारी सेना के लिए तोपें बनाएगा। फिर वह मतदाताओं को याद दिलाते हैं कि कैसे अखिलेश ने उन नेताओं को सम्मानित किया जिनका हाथ मुजफ्फरनगर दंगों के पीछे था और उसी सांस में यह भी याद दिला देते हैं कि कैसे उनकी सरकार ने अपराधियों, दंगाइयों और भ्रष्ट माफियाओं को सलाखों के पीछे भेजा और उनकी अवैध संपत्तियों पर बुलडोजर चलवाया।
UP polls: It’s Yogi vs Akhilesh now
The election campaign in Uttar Pradesh is now in full swing with all major stakeholders addressing election meetings across western and central regions. BJP president J P Nadda, Home Minister Amit Shah, UP chief minister Yogi Adityanath, Defence Minister Rajnath Singh, SP supremo Akhilesh Yadav, RLD chief Jayant Chaudhary, BSP supremo Mayawati and AIMIM chief Asaduddin Owaisi are busy addressing election rallies. Yogi will file his nomination in Gorakhpur on Friday. On Wednesday, he addressed four election meetings in western UP.
As the poll campaign speed went on full throttle, Yogi and Akhilesh Yadav were locked in a war of words, levelling charges and counter-charges. Yogi alleged in his meetings that two ‘ladke’ (youths) have now joined hands to fight elections, but when there were communal riots in Muzaffarnagar five years ago, one of them was in Lucknow felicitating the leader of rioters, while the other was in Delhi, doing nothing for the victims. Akhilesh Yadav and Jayant Chaudhary promptly responded.
Addressing a joint press conference, Akhilesh Yadav said, the chief minister should be careful with his words while levelling accusations. “The language that Yogi Ji is using does not behove the dignity of the chair of the chief minister. He said, Yogi seems not have lost his bearings after he was denied the ticket of his choice, he is feeling the heat, but he would calm down after the results are out on March 10.
Yogi was unsparing in his attack on Akhilesh Yadav. He said, previously chief ministers used to spend lavishly on their official bungalows, but during his five-year-rule, houses were built for 43 lakh poor families in UP. He alleged that most of the money from official exchequer were being diverted to the friends of the then CM, who used to manufacture perfumes (itra waale mitra). “They are only Samajwadi by name, but by act, they are ‘dangawadi’ (rioters), and their thought process is pariwaarwadi (dynastic)”, Yogi said.
Akhilesh threatened that if his party came to power, all previous criminal cases filed against Yogi will be reopened. Undeterred, Yogi went on alleging that during SP’s rule there used to be illegal gun making factories in UP, but under BJP rule, a defence corridor for making defence related products, has been launched. Yogi said, during earlier rule, gangsters and mafia used to rule, while during BJP rule, bulldozers were used to destroy illegal properties acquired by corrupt mafia gangsters. “These bulldozers shall not stop”, Yogi said.
What I find is, during the earlier phase of campaigning, Akhilesh Yadav used to list the achievements of his rule and promise to implement new schemes if his party comes to power, but after he cobbled an alliance with smaller parties, Akhilesh appears to be spending much of his time in keeping this alliance intact.
Akhilesh is now relying more on the success of his allies as the dates of polling approach. Akhilesh no more speaks about crime, corruption and rioters. The reason is that his party and his allies have given tickets to several candidates who have criminal background. This has given Yogi the opportunity to strike back at Akhilesh, the main topic being, tickets given to criminals and gangsters.
Yogi Adityanath cleverly mixes the two: the achievements during his rule and the weaknesses and failures of Akhilesh’s rule. Look at the manner in which he launches his attack on rivals: he mentions how 43 lakh families got houses during his rule and juxtaposes this figure with the money spent by previous chief ministers on their bungalows.
Yogi then compares the illegal arms factories that used to thrive during earlier rule, and compares this with the defence corridor that is going to manufacture artillery guns for our army. He then reminds voters of how Akhilesh felicitated leaders who had a hand behind Muzaffarnagar riots and in the same breath, mentions how his government sent criminals, rioters, and corrupt mafia leaders behind bars and bulldozed their ill-gotten properties.