Rajat Sharma

My Opinion

नगालैंड हत्याकांड: गलत पहचान का मामला बताकर जिम्मेदारी से बच नहीं सकते

AKBनगालैंड के मोन जिले में शनिवार को सेना के पैरा स्पेशल फोर्सेज की कमांडो कार्रवाई के बाद वहां लोगों में काफी आक्रोश व्याप्त है। शनिवार को इस कमांडो कार्रवाई के दौरान कोयला खान में काम करनेवाले मजदूरों को लेकर जा रहे पिकअप वैन पर फायरिंग में 6 लोगों की मौत हो गई। इस घटना के तुरंत बाद भीड़ ने सैनिकों को घेर लिया। इसके बाद फिर गोलीबारी शुरू हुई जिसमें सात ग्रामीणों की मौत हो गई। नगालैंड की पुलिस ने 21 पैरा स्पेशल फोर्सेज यूनिट के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है, जबकि सेना ने मेजर जनरल की अगुवाई में कोर्ट ऑफ इन्क्वॉयरी का गठन किया है।

कोर्ट ऑफ इंक्वायरी के तहत उस ‘विश्वसनीय खुफिया’ सूचना की जांच की जाएगी जिसके आधार पर एनएससीएन (के) के विद्रोहियों के संदेह में खदान मजदूरों पर फायरिंग की गई थी। नगालैंड और मेघालय के मुख्यमंत्रियों ने आर्म्ड फोर्सेज स्पेशल पावर्स एक्ट (एएफएसपीए) को निरस्त करने की मांग की है। संसद में गृह मंत्री अमित शाह ने अपने बयान में कहा कि यह गलत पहचान का मामला है। अमित शाह ने कहा-‘सरकार नगालैंड की घटना पर अत्यंत खेद प्रकट करती है और मृतकों के परिवारों के प्रति गहरी संवेदना जताती है।’

शनिवार को हुए इस असफल ऑपरेशन में शामिल कमांडो यूनिट ने दावा किया कि एक ओपेन पिक-अप ट्रक में राइफल जैसी चीज ले जाते हुए देखा गया, जो कि बाद में एयरगन पाया गया। इस पिक-अप ट्रक में कुल 8 खदान मजदूर सवार थे। अमित शाह ने बताया कि कमांडोज ने गाड़ी को रुकने का इशारा किया लेकिन इसके बाद भी जब गाड़ी नहीं रुकी तब उग्रवादियों के होने के संदेह में फायरिंग की गई। कमांडोज को जब अपनी गलती का अहसास हुआ तब उन्होंने 8 में से जीवित बचे दो मजदूरों के इलाज के लिए मेडिकल सहायता मांगी लेकिन तब तक ग्रामीणों की एक भीड़ घटनास्थल पर जमा हो गई। हथियारों से लैस ग्रामीणों ने सैनिकों पर हमला कर दिया। इस हमले में एक पैराट्रूपर की मौत हो गई। इस घटना के बाद केंद्र और राज्य सरकारों ने मृतकों के परिजनों के लिए मुआवजे का ऐलान किया है।

इस बीच नगालैंड के मुख्यमंत्री नेफ्यू रियो और मेघालय के मुख्यमंत्री कोनार्ड संगमा ने आर्म्ड फोर्सेज स्पेशल पावर्स एक्ट (एएफएसपीए) को निरस्त करने की मांग करते हुए कहा है कि यह बहुत ही क्रूर (ड्रैकोनियन ) कानून है, जिसमें सेना को बिना वारंट किसी को भी गिरफ्तार करने और बिना जवाबदेही किसी को मारने की इजाजत दी गई है। आपको बता दें कि नगालैंड और मेघालय में नेफ्यू रियो और कोनार्ड संगमा की पार्टी बीजेपी की अगुवाई वाली एनडीए का हिस्सा हैं। नेफ्यू रियो ने कहा-एएफएसपीए से भारत की छवि धूमिल हुई है और इस क्रूर एक्ट को हटाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा एएफएसपीए पिछले 59 वर्षों से नगालैंड में लागू है और पिछले 25 वर्षों से विद्रोही समूहों के साथ संघर्ष विराम के बावजूद यह अधिनियम अभी भी लागू है।

नेफ्यू रियो ने कहा, ‘केंद्र का तर्क है कि उग्रवाद और नागा आंदोलन अभी जारी है और जब तक इस संघर्ष का समाधान नहीं हो जाता है तब तक वे इस एक्ट को नहीं हटा सकते। मैं उनसे यह पूछता हूं कि जब सभी विद्रोही ग्रुप सीजफायर किए हुए हैं और शांति की स्थिति बहाल है तो फिर आप हमारे राज्य को अशांत क्षेत्र का टैग क्यों लगाए हुए हैं?’

विपक्षी दल अब इस मुद्दे को राजनीतिक रंग देने की कोशिश कर रहे हैं। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने ट्वीट किया, ‘यह हृदय विदारक घटना है। भारत सरकार को इसका जवाब देना चाहिए। यहां न तो लोग सुरक्षित हैं और ना ही सुरक्षाकर्मी, गृह मंत्रालय कर क्या रहा है? फेसबुक पर उन्होंने दावा किया कि पीड़ितों के अंतिम संस्कार में सबसे पहले स्थानीय कांग्रेस नेता शामिल हुए। ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस के नेताओं ने भी इलाके का दौरा किया।

लोगों के गुस्से को समझा जा सकता है क्योंकि सेना के कमांडोज की फायरिंग में निर्दोष लोगों की मौत हुई है। सेना ने इस बात को माना कि गलती हुई लेकिन यह जानबूझकर नहीं किया गया। अब इस बात की जांच की जा रही है कि कमांडोज ने क्यों और किसके आदेश पर फायरिंग की। जब सैनिकों ने एंबुश लगाने की तैयारी की तो इसकी सूचना स्थानीय पुलिस को क्यों नहीं दी? सेना से इतनी बड़ी गलती कैसे हो गई? मैंने नॉर्थ-ईस्ट के एक्सपर्ट्स से बात की और उन लोगों ने जो बताया वो वाकई हैरत में डालने वाली बात है। एक एक्सपर्ट ने बताया कि सेना साजिश का शिकार हुई है। नॉर्थ-ईस्ट में कई जनजातियां हैं जो देशभक्त हैं और वो सेना का साथ देती हैं। इस पूरी साजिश का मकसद सेना और इन जनजातियों के बीच एक दरार पैदा करना था।

शौर्य चक्र विजेता और रिटायर्ड कर्नल डी.पी.के. पिल्लई ने कहा कि नगालैंड में सेना की फायरिंग में जिन लोगों की मौत हुई है वे लोग कोनयाक जनजाति के हैं। यह जनजाति उग्रवादी संगठनों के खिलाफ है। पिल्लई ने बताया कि इस बार सेना को उनके इन्फॉर्मर ने गलत सूचना देकर धोखा दिया। दरअसल, अलगाववादी विद्रोही समूह एनएससीएन (के) कोनयाक जनजाति और सेना के बीच दरार पैदा करना चाहता था और विद्रोही आंदोलन के बारे में गलत जानकारी देने के लिए मुखबिर का इस्तेमाल करता था।

इस सवाल पर कि जब सेना ने पिक-अप ट्रक को रुकने का इशारा किया तो क्यों नहीं रुका, एक एक्सपर्ट ने कहा, नगालैंड में बड़े पैमाने पर अवैध कोयला खनन हो रहै है और खदान मजदूरों को लगा कि चेकिंग के लिए पुलिस उन्हें रोकने की कोशिश कर रही है। उनके पिक-अप ट्रक में माइनिंग से जुड़े सामान थे, इसी वजह से उन्होंने पिक-अप ट्रक को नहीं रोका। आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट पहले ही नॉर्थ-ईस्ट में अवैध खनन पर प्रतिबंध लगाने का आदेश दे चुका है।

रिटायर्ड कर्नल पिल्लई ने बताया कि पिछले महीने जब एनएससीएन (के) विद्रोहियों के हमले में सेना के कर्नल विपल्व त्रिपाठी, उनकी पत्नी और बेटे समेत पांच लोग शहीद हुए थे तो उन शहीदों में असम राइफल्स का एक जवान भी था जो कोनयाक जनजाति का था। इस जवान के अन्तिम संस्कार से पहले उसके पिता ने अपने बहादुर बेटे की शहादत पर आंसू नहीं बहाए थे। तिरंगे में लिपटे बेटे के पार्थिव शरीर के पास खड़े होकर इस पिता ने उग्रवादी संगठनों को चुनौती दी थी और कहा था कि उनका एक बेटा देश पर शहीद हो गया लेकिन वो अपने दूसरे बेटे को भी देश की सेवा में भेजने को तैयार हैं। पूरे देश ने इस पिता को सलाम किया था। कोनयाक जनजाति में इस स्तर की देशभक्ति है।

सोमवार की रात अपने प्राइम टाइम शो ‘आज की बात’ में हमने इस बहादुर पिता का वीडियो दिखाया जिसमें लोगों से आगे आकर देश सेवा करने की अपील की गई थी। रिटायर्ड कर्नल पिल्लई का कहना है, हो सकता है कि एनएससीएन (के) ने सेना के इन्फॉर्मर को खरीद लिया हो और उसके जरिए गलत खबर दी गई हो जिससे कोनयाक जनजाति के लोग मारे जाएं और उनके भीतर आर्मी के खिलाफ गुस्सा और नाराज़गी पैदा हो। फिलहाल निर्दोष युवकों की हत्या को लेकर कोनयाक जनजाति में काफी गुस्सा है।

अब केंद्र सरकार और सेना भी मान रही है कि जो लोग गोली का शिकार हुए वे लोग ना उग्रवादी थे, ना ही उनके पास हथियार थे। यह गलत पहचान का मामला है। जो एयरगन उन खदान मजदूरों के पास मिली उसे आमतौर पर ज्यादातर लोग शिकार के लिए अपने साथ रखते हैं। एक्सपर्ट्स का कहना है कि जल्द से जल्द कोनयाक जनजाति की भावनाओं, उनके आक्रोश को शांत किया जाना चाहिए। केवल यह स्वीकार कर लेना कि यह गलत पहचान का मामला है, निर्दोष युवकों की मौत का एक्सक्यूज नहीं हो सकता।

हम सभी सेना को और जवानों की बहादुरी को सलाम करते हैं लेकिन जवान हमारे निर्दोष लोगों पर फायरिंग कर दें और आम लोगों को मौत के घाट उतार दें, इसे किसी कीमत पर ना तो सही ठहराया जा सकता है और ना ही इसका समर्थन किया जा सकता है। कुछ दिन पहले जम्मू-कश्मीर में एक गलत एनकाउंटर के मामले में आर्मी के अफसर का कोर्ट मार्शल हुआ है। इसी तरह इस केस में भी जिसकी गलती हो उसकी पहचान करके कार्रवाई होनी चाहिए और नरसंहार का केस चलना चाहिए। दुख की बात यह है कि इस मामले में भी सियासत हो रही है।

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Nagaland killings: Mistaken identity is no excuse

AKBThere was widespread outrage over the unfortunate incident in Mon district of Nagaland when commandos of Army’s Para Special Forces opened fire on a pickup truck carrying coal miners killing six civilians on Saturday. Soon after the incident, a mob surrounded the soldiers leading to more firing in which seven villagers were killed. Nagaland Police has registered an FIR against the 21 Para Special Forces unit, while the Army has set up a Court of Inquiry headed by a Major General.

The Court of Inquiry will examine the “credible intelligence” received that resulted in the ambush of mine workers, who were suspected to be NSCN(K) rebels. The chief ministers of Nagaland and Meghalaya have demanded repeal of Armed Forces Special Powers Act (AFSPA). In Parliament, Home Minister Amit Shah, in his statement, said it was a case of mistaken identity. “The government sincerely regrets this unfortunate incident and offers its deepest condolences to the families of those who have lost their lives”, Shah said.

The commando unit involved in Saturday’s botched-up operation claims that a rifle-like thing was seen being carried by one of the eight mine workers in their open pick-up truck, but was later found to be an airgun. The commandos, Shah said, opened fire only after the vehicle did not stop despite being flagged down by their scouts. After the commandos realized their mistake, they called for medical help for two of the eight workers who were still alive, but, by then, a mob of local villagers reached the spot, carrying machetes and attacked them, killing a paratrooper. Both the Centre and Nagaland governments have announced ex gratia help to the kin of those killed.

While demanding the repeal of AFSPA, Nagaland CM Neiphiu Rio, and Meghalaya CM Conrad Sangma, whose parties are part of BJP-led NDA, alleged that it was a draconian measure that allows the Army to arrest anybody without warrant and kill without any accountability. Rio said, “the AFSPA has blackened the image of India and this draconian act must be removed”. AFSPA, he said, has been in force in Nagaland for the last 59 years, and in the last 25 years, despite a ceasefire with insurgent groups, the act is still in place.

Neiphiu Rio said, “The Centre argues that insurgency and the Naga movement are still alive, and till the conflict is resolved, they cannot remove this Act. I am asking them, when all insurgent groups are in ceasefire and there is peace, why do you tag our state as a disturbed area?..We have seen that putting AFSPA has not really given any result and in the last many years that the Act has been there, it has only been counter-productive.”

Opposition parties are now trying to politicize the issue. Congress leader Rahul Gandhi tweeted: “This is heart wrenching. GOI must give a real reply. What exactly is the home ministry doing, when neither civilians nor security personnel are safe in our own land?” On Facebook, he claimed that local Congress leaders were the first to attend the funeral of victims. Mamata Banerjee’s Trinamool Congress leaders also visited the area.

The popular outrage is understandable because innocent people died in firing by Army commandos. The army has admitted that there was a mistake, but it was not deliberate. It is now being investigated why the commandos fired and on whose order. Why the local police was not informed before the ambush was carried out. Why did the army commit such a major mistake? I spoke to experts on North-east, and what they revealed was surprising. One of them said, the army became a victim of conspiracy. There are many tribes in the northeast who are patriotic and they side with the army. This conspiracy was aimed at creating a wedge between the army and these tribes.

Retd Col D P K Pillai, a Shaurya Chakra awardee, said, the victims belonged to Konyak tribe which is against the separatists. Pillai said, the informer deceived the army by passing on incorrect information about the mine workers. The separatist rebel group NSCN(K) wanted to drive a wedge between the Konyak tribe and the army, and used the informer to pass on incorrect information about rebel movement.

On the question of why the pick-up truck did not stop, one of the experts said, there is rampant illegal coal mining in Nagaland, and the mine workers thought that it was the local police trying to stop them. They had mining implements inside the truck, and that is why, the truck did not stop. Supreme Court has already ordered ban on all illegal mining in the northeast.

Retd Col Pillai pointed out that during last month’s ambush by NSCN(K) rebels, five persons were martyred including army Col. Viplav Tripathi, his wife and son, and among the martyrs was an Assam Rifles jawan, who belonged to Konyak tribe. At the funeral of this Konyak jawan, his brave father did not shed a tear, and vowed to send his second son in the service of the Indian nation. Such is the level of patriotism among the Naga Konyak tribe.

In my prime time show ‘Aaj Ki Baat’ on Monday night, we showed the video of this brave father exhorting people to come forward and serve the nation. Retd Col Pillai says, there could be the possibility of the rebel group bribing the informer to pass on incorrect information to the army, so that the Konyak tribe could move away from the mainstream. At this moment, there is much outrage among the Konyak tribe because of the killing of innocent youths.

Now that the Centre and Army have admitted that it was a case of mistaken identity, and that the airgun that was found among the mine workers is a normal weapon kept for hunting purpose inside forest, experts say that the feelings of Konyak tribe must be assuaged at the earliest. Merely admitting that it was a case of mistaken identity is not an excuse for the killing of innocent youths.

We salute the bravery and valour of our jawans, but no amount of patriotism can justify the killing in cold blood of innocent people. Recently, an army officer was court martialled for carrying out a fake encounter in Kashmir. Similarly, in this case, the person who made the mistake, must be identified and action must be taken against him. He should be charged for carrying out mass murder. The saddest part is that this issue is still being politicized.

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कोविड महामारी की चुनौती से निपटने के लिए देश तैयार

AKB

देश पर कोरोना वायरस के नए वेरिएंट ओमिक्रॉन का खतरा मंडरा रहा है, लेकिन मुझे यह देखकर दुख हो रहा है कि कुछ शहरों में लोगों का रवैया बेहद गैर-जिम्मेदाराना है। करीब 50 से ज्यादा ऐसे मामले सामने आए हैं जिसमें दक्षिण अफ्रीका से वापस लौटे लोगों ने अपना पता और फोन नंबर गलत लिखाया और फिर गायब हो गए। अब राज्य सरकारों को इन लोगों का पता लगाने में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।

यह पूरी घटना पिछले साल मार्च और अप्रैल महीने की याद दिलाती है जब कोरोना ने पहली बार देश में दस्तक दी थी। उस वक्त भी लोगों ने इसी तरह का गैर-जिम्मेदाराना रवैया अपनाया था। विदेश से आनेवालों की कोरोना रिपोर्ट निगेटिव आने के बावजूद उन्हें सात दिनों तक आइसोलेशन में रहने की हिदायत दी जा रही है, लेकिन कई मामलों में ये यात्री लापता हो जा रहे हैं। इनमें से कई यात्रियों की कोविड रिपोर्ट पॉजिटिव रही है। कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु में विदेश से आए 45 से ज्यादा यात्री गायब हो गए हैं।

सबसे ज्यादा परेशान करने वाली खबर जयपुर से आई जहां दक्षिण अफ्रीका से आया एक परिवार शादी समारोह में शामिल हुआ। इसके बाद कुछ रिश्तेदारों की तबीयत खराब हुई तो कोविड टेस्ट कराया गया। एनआरआई परिवार के दो बच्चों समेत चार लोगों की टेस्ट रिपोर्ट पॉजिटिव आई। अब प्रशासनिक अमला इनके प्राइमरी और सेकेंडरी कॉन्टैक्ट्स की खोज में जुटा हुआ है। इनका सैंपल जीनोम सीक्वेंसिंग के लिए भेजा गया है। यह परिवार सीधे दक्षिण अफ्रीका से यहां नहीं आया था बल्कि दुबई के रास्ते पहुंचा था। इसलिए एयरपोर्ट पर जरूरी आरटी-पीसीआर टेस्ट से बच गया। 25 नवंबर को यह परिवार जब मुंबई पहुंचा तो उसने 48 घंटे पहले की निगेटिव आरटी-पीसीआर टेस्ट रिपोर्ट दिखाई। 28 नवंबर को यह परिवार जयपुर पहुंचा और रॉयल सिटी पैलेस होटल में आयोजित एक शादी समारोह में शरीक हुआ। और अब पूरा परिवार कोरोना पॉजिटिव है। इस शादी समारोह में कई सौ लोग शामिल हुए थे। अब इस परिवार के संपर्क में आए सभी लोगों को ट्रेस कर पाना काफी मुश्किल है।

ठीक इसी तरह एक और एनआरआई परिवार शादी समारोह में शामिल होने अमेरिका से जयपुर पहुंचा। पूरा परिवार बाद में दिल्ली, वैष्णो देवी, बीकानेर गया और फिर जयपुर वापस लौट आया। 27 नवंबर को जब इनका टेस्ट हुआ तो परिवार के दो बच्चे कोविड पॉजिटिव पाए गए। यह परिवार दो सप्ताह तक भारत में रहा और जबतक बच्चों की रिपोर्ट पॉजिटिव आई तब तक वापस अमेरिका चला गया। अब जयपुर के प्रशासनिक अधिकारियों के लिए उनके कॉन्टैक्ट्स का पता लगाना सिरदर्द बन गया है। अब प्रशासन कहां-कहां जाए, किस-किस से पूछे, किस किस का टेस्ट कराए।

जयपुर में ही तीसरा मामला सामने आया पूर्व मंत्री बृज किशोर शर्मा का जिनकी कोविड रिपोर्ट पॉजिटिव आई है। एक दिसंबर को उनका कोरोना टेस्ट हुआ था। इससे पहले 30 नवंबर को वे कांग्रेस के बड़े-बड़े नेताओं के साथ मीटिंग में मौजूद थे। दरअसल, राहुल गांधी 12 दिसंबर को जयपुर में कांग्रेस की एक रैली करनेवाले हैं। राहुल की इसी जनसभा की तैयारियों के सिलसिले में जयपुर कांग्रेस दफ्तर में यह मीटिंग रखी गई थी। इस मीटिंग में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और उनके मंत्रिमंडल के ज्यादातर सदस्यों के साथ प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविन्द सिंह डोटासरा समेत राजस्थान कांग्रेस के 50 से ज्यादा नेता और विधायक मौजूद थे। इनमें ज्यादातर नेता बिना मास्क के एक-दूसरे के पास बैठे थे। अब बृज किशोर शर्मा की रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद पूरी कांग्रेस और सरकार परेशान है। बैठक में मौजूद सभी लोगों को अपना टेस्ट कराने के लिए कहा गया है। चूंकि रैली में करीब एक लाख लोगों के शामिल होने की उम्मीद है, इसलिए किसी ने कोर्ट में याचिका दाखिल कर रैली पर प्रतिबंध लगाने की मांग की है। वहीं, इसके जवाब में कांग्रेस के एक नेता ने 5 दिसंबर को जयपुर में गृह मंत्री अमित शाह के प्रस्तावित रोड शो पर प्रतिबंध की मांग करते हुए कोर्ट में याचिका दाखिल की है।

आपको याद होगा कि इस साल अप्रैल में कोरोना महामारी की दूसरी लहर जयपुर, इंदौर, पुणे और नागपुर से शुरू हुई थी। लोग अपनी जांच रिपोर्ट छिपा रहे थे और वायरस तेजी से फैलता जा रहा था। अब दक्षिण के राज्यों में भी ठीक उसी तरह के मामले सामने आ रहे हैं।

कर्नाटक में ओमिक्रॉन वेरिएंट के दो मामले सामने आए हैं वहीं विदेश से आए 10 यात्री लापता हैं। उनके फोन स्विच ऑफ हैं। पिछले दो हफ्ते में 57 यात्री कर्नाटक पहुंचे। इनमें से कई का आरीटी-पीसीआर टेस्ट नहीं हुआ, क्योंकि वे 24 नवंबर से पहले दक्षिण अफ्रीका से बेंगलुरु पहुंचे थे। उस वक्त ज्यादातर देशों में ओमिक्रॉन वेरिएंट का पता नहीं चला था। अब 57 यात्रियों में से 47 को पुलिस ने ट्रेस कर लिया है लेकिन बाकी के 10 अभी-भी लापता हैं। राज्य सरकार अब इन लोगों से अपील कर रही है कि आगे आएं और अपना टेस्ट कराएं।

वहीं, पड़ोसी राज्य आंध्र प्रदेश में विदेश से आए 30 यात्री गायब हैं। विशाखापट्टनम में 60 यात्री विदेश से आए जिनमें 3 दक्षिण अफ्रीका से और 6 बोत्सवाना से लौटे थे। इनमें से 6 को ट्रेस कर लिया गया है जबकि बाकी के तीन यात्री गायब हैं। आंध्र प्रदेश सरकार ने भी इन यात्रियों से अपील की है कि वे आगे आएं और अपना टेस्ट कराएं। जो लोग विदेश से आए हैं वो भी कोरोना के खतरे को जानते हैं, लेकिन दिक्कत यह है कि लोगों को लगता है कि टेस्ट होगा और पॉजिटिव आए तो सरकारी हॉस्पिटल में रहना पड़ेगा। इसलिए लोग सामने आने के बजाए छुप जाते हैं। विदेशों से आए लोगों का गायब होना ज्यादा चिंता की बात है। क्योंकि ये लोग जानबूझ कर हजारों लोगों की जान खतरे में डाल रहे हैं। तमिलनाडु में सिंगापुर से तिरुचिरापल्ली पहुंचा एक यात्री और ब्रिटेन से चेन्नई पहुंचे एक एनआरआई की टेस्ट रिपोर्ट पॉजिटिव आई है। इनके सैंपल्स जीनोम सीक्वेंसिंग के लिए भेजे गए हैं।

इस बीच, सभी महानगरों और बड़े शहरों में स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने युद्धस्तर पर तैयारी कर ली है। मुंबई में बीएमसी ने अपने स्पेशल कोविड सेंटर को एक्टिवेट कर दिया है। इन सेंटर्स में वॉर रूम, वॉर्डस, ऑक्सीजन फ्लो मीटर, ऑक्सीजन टैंक और ऑक्सीजन मैन्युफैक्चरिंग यूनिट को पूरी तरह से एक्टिवेट किया गया है। बीएमसी के सभी अस्पतालों को भी अपनी तैयारी पूरी रखने के निर्देश दिए गए हैं। मुंबई में कोरोना का सबसे बड़ा सेंटर BKC का जंबो कोविड केंद्र है, यहां दो हज़ार 328 बेड हैं। इस केंद्र को भी तैयार रखा गया है। अच्छी बात यह है कि यह सेंटर अभी पूरी तरह से खाली है। यहां कोरोना वायरस का एक भी मरीज नहीं है। मुंबई मेयर ने बताया कि 288 सैंपल्स जीनोम सीक्वेंसिंग के लिए भेजे गए हैं। अभी तक ओमिक्रॉन का एक भी मामला सामने नहीं आया है।

इसी तरह, गुजरात में भी सरकार अलर्ट मोड पर है। किसी भी हालात से निपटने के लिए अस्पतालों में बेड और वेंटिलेटर की संख्या दोगुनी कर दी गई है। एक लाख 10 हजार से ज्यादा बेड तैयार रखे गए हैं। महामारी की दूसरी लहर के दौरान 65 हजार बेड की डिमांड थी। आईसीयू के 25 हजार बेड तैयार रखे गए हैं। हालात से निपटने के लिए राज्य सरकार ने 10 हजार नए वेंटिलेटर खरीदे हैं । इसके अलावा ऑक्सीजन जेनरेटर भी ख़रीदे जा रहे हैं। पूरे राज्य में 400 PSA ऑक्सीजन जेनरेटर लगाए गए हैं। 400 से ज़्यादा प्रेशर स्विंग ऑक्सीजन प्लांट भी तैयार हैं। यहां बोत्सवाना से आए दो यात्रियों का कोविड टेस्ट पॉजिटिव पाया गया है। जामनगर पहुंचे एक दक्षिण अफ्रीकी की टेस्ट रिपोर्ट भी पॉजिटिव आई है। अकेले जामनगर में अब तक कोरोना के 34 मामले सामने आए हैं।

दिल्ली में ओमिक्रॉन वेरिएंट के 12 संदिग्ध मामले सामने आए हैं। इनमें से चार-चार मामले ब्रिटेन और फ्रांस से जबकि एक-एक मामले नीदरलैंड और तंजानिया से हैं। एलएनजेपी हॉस्पिटल की लैब देश की उन 37 लैब में एक है जिसमें जीनोम सीक्वेंसिंग की सुविधा उपलब्ध है। इस हॉस्पिटल में विदेश से आनेवाले यात्रियों के लिए 40 बेड अलग से रखे गए हैं। एक्सपर्ट्स का कहना है कि ओमिक्रॉन वेरिएंट बहुत तेजी से फैलेगा लेकिन यह वेरिएंट घातक होगा या नहीं, इस पर इनकी राय अलग-अलग है।

कुछ एक्सपर्ट्स का कहना है कि ओमिक्रॉन वेरिएंट, डेल्टा की तरह घातक नहीं हो सकता जिसने कोरोना की दूसरी लहर के दौरान बड़े पैमाने पर तबाही मचाई थी। इसलिए घबराने की जरूरत नहीं है। वायरस ज्यादा नुकसान नहीं करेगा क्योंकि एक तो इसके इन्फेक्शन से न तो सांस की दिक्कत हो रही है और न ही ऑक्सीजन की जरूरत पड़ रही है। दूसरी बात यह है कि बड़े पैमाने पर वैक्सीनेशन के कारण वर्तमान में लोगों में 70 प्रतिशत से अधिक हर्ड इम्युनिटी है। अगर तीसरी लहर भी आती है तो भारत का स्वास्थ्य ढांचा पूरी तरह से तैयार है।

संसद में स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने बताया कि सरकार ने कोरोना के नए वेरिएंट से लड़ने के लिए किस तरह की तैयारी की है। उन्होंने कहा कि अब देश में जीनोम सीक्वेंसिंग 30 घंटे में हो जाती है जबकि पहले इसमें 30 दिन का वक्त लगता था। उन्होंने दावा किया कि देशभर में 44 हजार से ज्यादा वेंटीलेटर्स लगाए गए हैं और इनके इन्स्टॉलेशन की रिपोर्ट और फिटनेस सर्टिफिकेट भी राज्य सरकारों से प्राप्त हुए हैं।

यह बात सही है कि आज हमारा देश कोरोना वायरस की तीसरी लहर से लड़ने के लिए हर तरह से तैयार है। अब टेस्टिंग के लिए लैब्स हैं और ट्रेसिंग के लिए पूरा सिस्टम है। जीनोम सीक्वेंसिंग भी अब तेज गति से केवल 30 घंटे में हो जाती है। हमारे देश में बनी वैक्सीन पर्य़ाप्त मात्रा में उपलब्ध है और 18 साल से ऊपर के करीब 50 प्रतिशत लोगों को डबल डोज लग चुकी है। कोरोना के मामले लगातार कम हो रहे हैं और ना हॉस्पिटल्स पर दबाव है और ना आज कहीं आईसीयू की कमी है। कोरोना वायरस से लड़ने के मामले में आज हमारा देश दुनिया के बड़े-बड़े देशों के मुकाबले बेहतर स्थिति में है।

लेकिन समस्या ये है कि यह वायरस ऐसा है जो धोखा देता है। यह तेजी से रूप बदलकर आता है। ये आज भी पूरी दुनिया के साइंटिस्ट और डॉक्टर्स के लिए चैंलैंज बना हुआ है। हमने इस पर काबू पाया क्योंकि देश के ज्यादातर लोगों ने सावधानी बरती। हमारे डॉक्टर्स औऱ हेल्थ वर्कर्स ने जी-जान से दिन-रात मेहनत की। हमारे वैज्ञानिकों ने अपनी वैक्सीन ईजाद की और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लड़ाई को फ्रंट से लीड किया। लेकिन खतरा अभी-भी बना हुआ है। सावधान रहने की जरूरत है। मुझे लगता है कि नए वेरिएंट का खतरा इस लड़ाई का आखिरी मोर्चा है। अगर हम चौकन्ने रहे, बाहर जाने पर मास्क लगाए रहते हैं, भीड़ में जाने से बचते हैं तो हम खुद भी बचेंगे और देश को भी इस वायरस से बचाएंगे।

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Covid Pandemic: India is fully prepared to meet the challenge

AKB

There is the threat of the new Omicron variant of Coronavirus looming over all of us, but I am sorry to note that people are behaving irresponsibly in some cities. There are more than fifty cases of people arriving in India from southern Africa, and then vanishing by giving false contact phone number and addresses. State authorities are finding it difficult to trace them and their contacts.

This reminds me of how people behaved irresponsibly last year in March and April, when the pandemic first broke. Those arriving from abroad are being asked to remain in isolation for seven days, despite testing negative, but in many cases these travellers have vanished. Some of them were later traced and were tested positive. In Karnataka, AP and Tamil Nadu more than 45 travellers, who came from abroad, have vanished.

The most worrying news came from Jaipur, where an NRI family came from South Africa to take part in a wedding. Some of their relatives were later tested positive, and when the NRI family members were tested, four of them including two kids were tested positive. Authorities are now trying to trace their primary and secondary contacts. Genome sequencing of all those tested positive is in progress. This family did not come to India directly from South Africa. They came via Dubai, and this avoided compulsory RT-PCR testing at the airport. On November 25, when the family arrived at Mumbai airport, they showed a negative RT-PCR report taken 48 hours ago. On November 28, the family travelled to Jaipur, and attended a wedding ceremony at Royal City Palace hotel, and now the entire family has been tested positive. There were several hundred guests at the wedding. It is now difficult to trace all these contacts.

Similarly, another NRI family came to Jaipur from the US to attend a wedding. The family later went to Delhi and Vaishno Devi shrine, visited Bikaner and returned to Jaipur. On November 27, they were tested and two children in the family were tested positive. The family stayed in India for two weeks, and by the time, the children were reported positive, the family had returned to the US. It has now become a headache for Jaipur authorities to trace all their primary and secondary contacts.

In a third case in Jaipur, a former minister Brij Kishore Sharma was tested positive on December 1. He was present at a meeting of top Congress leaders on November 30, to plan a party rally scheduled to be addressed by Rahul Gandhi in Jaipur on December 12. Rajasthan chief minister Ashok Gehlot, his ministers, the state unit chief and more than 50 MLAs and local leaders were present at the meeting. Most of them were sitting without masks, close to one another. The entire Congress party machinery is now worried and all of those who were present at the meeting have been asked to get themselves tested. Since nearly one lakh people are expected to attend the rally, somebody filed a case in court seeking ban on this rally. In reply, a local Congress leader filed another case in court seeking ban on Home Minister Amit Shah’s proposed road show in Jaipur on December 5.

You may recall the second wave of pandemic started from Jaipur, Indore, Pune and Nagpur during April this year. People were hiding their test reports and the virus spread fast. Similar cases are now happening, also in southern states.

In Karnataka, where two cases of Omicron variant have been found, ten travellers who had arrived from abroad are missing. Their phones are switched off. Fifty seven travellers arrived in Karnataka during the past two weeks. Many of them did not undergone RT-PCR tests, because they had arrived before November 24 in Bengaluru from South Africa. At that time, Omicron variant had not been detected in most of the countries. Out of 57 travellers, 47 people were traced by police, but the remaining ten have vanished. The state government is now appealing to these people to come forward and get themselves tested.

In neighbouring Andhra Pradesh, 30 travellers who had come from abroad, have vanished. Out of 60 travellers who arrived in Visakhapatnam from abroad, three were from South Africa, and six were from Botswana. Out of them, six have been traced, and the remaining three have vanished. AP government has also appealed to these travellers to come forward for testing. One can easily imagine why these travellers are evading detection. Once a person is tested positive, he or she will have to stay in isolation in a dedicated ward at a government hospital. By doing so, these travellers from abroad are putting thousands of Indians at risk. In Tamil Nadu, a traveller arriving from Singapore to Tiruchirappalli, and another NRI from UK who arrived in Chennai, have been tested positive, and their samples have been sent for genome sequencing.

Meanwhile, in all metros and big cities, local health authorities have made preparations on a war footing. In Mumbai, BMC has re-activated its special Covid Centre, equipped with war room, wards, oxygen flow meters, oxygen tanks and oxygen manufacturing unit. All hospitals run by BMC have been kept prepared to face any eventuality. At the jumbo Covid Centre in BKC, 2,328 beds have been kept ready. The good news is that, till now, this centre is empty and not a single bed is occupied. Mumbai Mayor said, 288 samples have been sent for genome sequencing. Till now, not a single Omicron case has been detected.

Similarly, in Gujarat, the number of beds and ventilators have been doubled in hospitals to meet any eventuality. More than 1,10,000 hospital beds have been kept ready. During second wave of pandemic, there was a demand for 65,000 hospital beds. 25,000 ICU beds have also been kept ready. The state government has purchased 10,000 new ventilators, and more oxygen generators are also being bought. 400 PSA oxygen generators have been installed across Gujarat. More than 400 pressure swing oxygen plants have been kept ready. Two travellers arriving from Botswana have been tested Covid positive. A South African arriving in Jamnagar was also tested positive. In Jamnagar alone, 34 Covid cases have been detected so far.

In Delhi, 12 suspected Omicron cases have been found. Among them four each are from Britain and France, and one each from The Netherlands and Tanzania. The LNJP hospital lab is among the 37 labs across India which have genome sequencing facility. 40 beds in LNJP hospital have been kept separate for travellers coming from abroad. Experts say, that the Omicron variant will surely travel faster, but they are divided over whether this variant will be lethal or not.

Some experts say, this variant may not cause deaths on a large scale like the Delta variant that caused havoc during the second wave of pandemic, and that there should be no reason for panic. They say, this variant may not cause acute breathing problems. Secondly, due to large scale vaccinations, there is presently more than 70 per cent herd immunity among people. Even if the third wave comes, India’s health infrastructure is fully prepared.

In Parliament, Health Minister Mansukh Mandaviya said that Indian labs can now do genome sequencing within 30 hours, compared to the earlier time period of 30 days. He claimed that more than 44 thousand ventilators have been installed across India, and their installation reports and fitness certificates have been received from state governments.

There is no denying the fact that India is ready to face the onslaught of a third wave, if it comes. Our testing labs are ready, tracing system is in place and genome sequencing can be done fast, within a span of 30 hours. Vaccination drive is going on at full pace. Nearly 50 per cent of Indians above the age of 18 years have got double doses. The number of Covid infection cases is on the decline, and hospitals are presently not under much pressure. India has its health infrastructure ready in comparison with those of developed nations.

The only problem is that the virus is mutating into several variants at a fast pace, and it is difficult to keep track of these mutations. A majority of Indians followed Covid guidelines, our doctors and health workers worked day and night, our scientists contributed their mite in preparing vaccines and Prime Minister Narendra Modi led the battle from the front. The danger still lurks. Caution is the need of the hour. I have a gut feeling that the Omicron variant could be the last phase of the war against Corona. If we remain alert, keep on our masks while travelling outside, stay away from crowds, then we can save ourselves and our great nation.

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क्या ओमिक्रॉन वेरिएंट भारत के लिए खतरनाक साबित होगा ?

AKBकोरोना को लेकर गुरुवार को अच्छी और बुरी दोनों खबरें आईं। अच्छी खबर यह है कि अब देश में कोरोना वैक्सीन की 125 करोड़ डोज लग चुकी है और करीब 49 फीसदी आबादी को वैक्सीन की दोनों डोज दी जा चुकी है। बुरी खबर यह है कि कोरोना का ओमिक्रॉन वेरिएंट देश में पहुंच चुका है। पहली बार देश में ओमिक्रॉन वेरिएंट के दो मामले सामने आए। ये दोनों मामले कर्नाटक में मिले हैं।

दक्षिण अफ्रीका से बेंगलुरु पहुंचे 66 साल के एक शख्स में कोरोना का ओमिक्रॉन वेरिएंट पाया गया। यह शख्स 20 नवंबर को बेंगलुरु पहुंचा था। यहां उसका आरटी-पीसीआर टेस्ट किया गया तो रिपोर्ट पॉजिटिव आई। इसके बाद सैंपल को जीनोम सीक्वेंसिंग के लिए भेजा गया। यह शख्स जोहान्सबर्ग स्थित एक फार्मा कंपनी के प्रतिनिधि के तौर पर बेंगलुरु के एक प्राइवेट होटल में ठहरा था। 23 नवंबर को इस शख्स ने एक प्राइवेट लैब में टेस्ट कराया तो रिपोर्ट निगेटिव आई और फिर 27 नवंबर को वह बेंगलुरू से दुबई चला गया। दो दिसंबर को जब जीनोम सीक्वेंसिंग की रिपोर्ट आई तो पता चला कि वह शख्स ओमिक्रॉन वेरिएंट से संक्रमित था। उसके 24 प्राइमरी और 240 सेकेंडरी कॉन्टैक्ट थे। इन सभी का कोविड टेस्ट कराया गया लेकिन सभी की रिपोर्ट निगेटिव आई।

बेंगलुरु में ही ओमिक्रॉन वेरिएंट से संक्रमित दूसरा मरीज मिला। वह भारत का नागरिक है, उसकी उम्र 46 साल है और पेशे से वह डॉक्टर (Anaesthetist) है। हैरानी की बात है कि उसकी कोई ट्रैवल हिस्ट्री नहीं है। 21 नवंबर को तबीयत ख़राब होने पर उसका आरटी-पीसीआर टेस्ट किया गया और 22 नवंबर को उसकी कोविड रिपोर्ट पॉज़िटिव आई। उसे 25 नंबवर कोहॉस्पिटल में भर्ती कराया गया और दो दिन बाद डिस्चार्ज कर दिया गया। दो दिसंबर को उसकी जीनोम सीक्वेंसिंग रिपोर्ट में यह पता चला कि वह कोरोना के ओमिक्रॉन वेरिएंट से संक्रमित था।

बेंगलुरु में स्वास्थ्य विभाग इन दोनों मरीजों के कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग में जुट गया है। स्वास्थ्य विभाग के लोग अब इन दोनों मरीजों के प्राइमरी और सेकेंडरी कॉन्टैक्ट को ट्रेस करके उन्हें आइसोलेट कर रहे हैं। अब तक 37 प्राइमरी और 450 से ज़्यादा सेकेंडरी कॉन्टैक्ट का पता लगा है। इनमें से 3 प्राइमरी और 2 सेकेंडेरी कॉन्टैक्ट के लोगों की कोविड रिपोर्ट पॉज़िटिव आई है और उन्हें आइसोलेट किया गया है। इनके सैंपल की जीनोम सीक्वेंसिंग भी की जा रही है। अच्छी बात यह है कि अब तक बेंगलुरु के डॉक्टर और उसके संपर्क में आए लोगों में गंभीर लक्षण नहीं हैं और जल्द ही उन्हें आइसोलेशन से छुट्टी मिलने की उम्मीद है।

आखिरकार, तमाम सावधानियों के बाद भी वायरस का नया वेरिएंट ओमिक्रॉन भारत में पहुंच गया। ऐसी भी खबरें हैं कि मुंबई और दिल्ली में कुछ लोग इससे संक्रमित हो सकते हैं। जामनगर में भी दक्षिण अफ्रीका से लौटा एक व्यक्ति कोविड पॉज़िटिव पाया गया है। इसके सैंपल के जीनोम सीक्वेसिंग की रिपोर्ट आनी बाकी है।

ओमिक्रॉन के दो मामलों की पुष्टि होने के बाद अब केंद्र और राज्य सरकारों का फोकस दो बातों पर है। पहला, इस नए वेरिएंट को देश में फैलने से रोकना है और दूसरा, विदेशों से आ रहे यात्रियों की और ज्यादा गंभीरता से स्क्रीनिंग करना। दोनों स्तरों पर काम चल रहा है।

जिन 12 देशों को जोखिम की श्रेणी में रखा गया है उन देशों से आने वाले यात्रियों को अनिवार्य रूप से आरटी-पीसीआर टेस्ट कराना होगा। टेस्ट रिपोर्ट आने से पहले वह एयरपोर्ट से बाहर नहीं आ सकेंगे। जिनकी रिपोर्ट पॉजिटिव होगी उन्हें उसी वक्त आइसोलेट किया जाएगा और उनके सैंपल्स जीनोम सीक्वेंसिंग के लिए भेजे जाएंगे। कोरोना की निगेटिव रिपोर्ट आने तक उन्हें कहीं भी जाने की इजाजत नहीं मिलेगी। जोखिम की श्रेणी वाले देशों से आने वाले जिन यात्रियों के टेस्ट निगेटिव पाए जाएंगे, उन्हें 7 दिन तक घर में ही आइसोलेशन में रहना होगा। आठवें दिन उनका दोबारा कोविड टेस्ट किया जाएगा।

जोखिम श्रेणी के12 देशों के अलावा दूसरे देशों से जो यात्री आ रहे हैं, उनमें से 2 प्रतिशत यात्रियों की रैंडम टेस्टिंग की जा रही है। इन्हें सैंपल देने के बाद घर जाने की इजाजत दी जा रही है। इनमें से जो लोग कोविड पॉज़िटिव पाए जाएंगे, उन्हें आइसोलेट किया जाएगा। उनके सैंपल की जीनोम सीक्वेंसिंग होगी और अगर ओमिक्रॉन वेरिएंट पाया जाता है तो फिर उनका इलाज तय प्रोटोकॉल के हिसाब से होगा।

समस्या यह है कि हर रोज 31 देशों से 8 हजार से ज्यादा यात्री भारत के विभिन्न एयरपोर्ट पर पहुंचते हैं। सभी का आरटी-पीसीआर टेस्ट करना और फिर एयरपोर्ट पर उन्हें आइसोलेट करना मुश्किल काम है। गुरुवार को दिल्ली पहुंचे ज्यादातर यात्रियों को जब एयरपोर्ट से बाहर निकलने से रोका गया तो वह बहुत परेशान थे। उनका गुस्सा समझ में आता है, लेकिन इस साल अप्रैल और मई के महीने में जिस तरह की लहर ने पूरे देश को अपनी गिरफ्त में लिया था, वैसी एक और लहर का देश सामना नहीं कर सकता। अप्रैल-मई की लहर में बड़े पैमाने पर मौतें हुईं थी। हमारे एक्सपर्ट्स भी अभी कोरोना के नए वेरिएंट ओमिक्रॉन से पूरी तरह अवगत नहीं हैं।

वैज्ञानिकों का कहना है कि अभी तक दुनिया भर में ओमिक्रॉन वेरिएंट से संक्रमित जितने मरीजों का पता चला है, उनमें हल्के लक्षण पाए गए हैं। अमेरिका में रोजाना एक लाख से ज्यादा लोगों की टेस्टिंग हो रही है लेकिन ज्यादतर मामले डेल्टा वेरिएंट के पाए जा रहे हैं। हालांकि, डेल्टा वेरिएंट की तुलना में ओमिक्रॉन वेरिएंट पांच गुना तेजी से फैलता है। पहले ही ओमिक्रॉन वेरिएंट में 52 म्यूटेशन हो चुके हैं और जीनोम सीक्वेंसिंग करते समय एक्सपर्ट्स के लिए यह एक बड़ी चुनौती है। अब तक 29 देशों में ओमिक्रॉन के 375 मामले सामने आ चुके हैं। ओमिक्रॉन के घातक प्रभावों पर अभी तक विस्तार से अध्ययन नहीं किया गया है।

हमें इस बात को समझना होगा कि ओमिक्रॉन वेरिएंट भारत में पहुंच चुका है। इस वेरिएंट का पता लगाना आसान नहीं है। आरटी-पीसीआर टेस्ट केवल यह बता सकता है कि रोगी कोविड पॉजिटिव है या निगेटिव। यह टेस्ट कोरोना के वेरिएंट के बारे में जानकारी नहीं देता है। जीनोम सीक्वेंसिंग से ही इसका पता चल पाता है। जीनोम सीक्वेंसिंग की सुविधा पूरे भारत में केवल 37 लैब में उपलब्ध है। अभी यह नहीं मालूम है कि यह वायरस कितना खतरनाक है। केवल इतना पता है कि यह वायरस डेल्टा वेरिएंट से पांच गुना ज्यादा तेजी से फैलता है। इसलिए ज्यादा सावधानी की जरूरत है।

सवाल यह है कि क्या यह वेरिएंट कोरोना की तीसरी लहर का कारण बनेगा? क्या देश में कोरोना की तीसरी लहर आएगी और अगर तीसरी लहर आई तो क्या यह दूसरी लहर से ज्यादा घातक होगी? इसके जबाव में एक्सपर्ट्स दो तरह की बातें कहते हैं। पहली, यह कि अभी तक दुनिया में ओमिक्रॉन के जो मरीज मिले हैं, वो ज्यादातर एसिम्टोमैटिक (बिना लक्षण वाले) है या माइल्ड सिम्टम्स (मामूली लक्षण) है। इसलिए हो सकता है कि यह वेरिएंट तेजी से फैलने वाला हो लेकिन गंभीर न हो। अगर ऐसा हुआ तो यह ब्लैसिंग इन डिसगाइज जैसा होगा यानि यह कोरोना के खात्मे का रास्ता हो सकता है। क्योंकि यह वायरस कोरोना के डेल्टा वेरिएंट को रिप्लेस कर देगा जो ज्यादा खतरनाक है। लेकिन अगर ओमिक्रॉन ज्यादा घातक हुआ तो फिर आने वाला वक्त बहुत ही मुश्किल हो सकता है।

अब सवाल यह है कि फिर इससे बचने के लिए क्या किया जाए? तो जबाव बहुत आसान है कि अगर वैक्सीन नहीं लगवाई है तो जितनी जल्दी से जल्दी हो सके वैक्सीन ले लीजिए। अब वैक्सीन की कोई कमी नहीं है और यह आसानी से मिल रही है। जो लोग सेकेंड डोज का इंतजार कर रहे हैं वो भी इसे पूरा कर लें। इसके साथ-साथ कोविड प्रोटोकॉल का पालन खुद भी करिए और दूसरों को भी करने को कहिए। मास्क जरूर पहनिए, बार-बार हाथ धोएं, सेनेटाइजर का इस्तेमाल कीजिए और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कीजिए। जितना संभव हो सामूहिक समारोहों और शादी-विवाह के समारोहों से दूर रहिए। भीड़भाड़ वाली जगहों पर मत जाइए। चूंकि अभी हमारे देश में 18 साल से कम उम्र की आबादी को वैक्सीन नहीं लगी है इसलिए बच्चों पर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है। आप इतना करेंगे तो वायरस से बचे रहेंगे। इसलिए डरने की जरूरत नहीं, सावधान रहने की जरूरत है।

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Omicron variant enters India: Will it prove lethal?

akbOn Thursday, there was both good and bad news from the Covid warfront. The good news was that India achieved another milestone of administering 125 crore vaccine doses and nearly 49 per cent Indians have been given both the doses. The bad news was that for the first time, India reported two cases of Omicron variant, from Karnataka.

Omicron variant was detected from a 66 year old flyer who had come to Bengaluru from South Africa on November 20. RT-PCR test was done on him, and on being found positive, it was sent for genome sequencing. He represents a Johannesburg-based pharma company, checked into a hotel. On November 23, he got himself tested from a private lab, was tested negative and he quietly left in a flight from Bengaluru to Dubai on November 27. On December 2, the genome sequencing report showed he was infected with Omicron variant. He had 24 primary and 240 secondary contacts, and all of them have tested negative.

The other person detected with Omicron variant was a 46-year-old anaesthetist Indian doctor from Bengaluru with no travel history. This is surprising. On November 21, RT-PCR test was done on him and the next day the report showed positive. He was hospitalized on November 25, and was discharged two days later. On December 2, the genome sequencing report showed he was infected with Omicron variant.

The health department in Bengaluru is now busy tracing all primary and secondary contacts of these two patients. So far 37 primary and more than 450 secondary contacts have been traced, and have been isolated. All these contacts have undergone tests and genome sequencing is being done to detect Omicron variant. The good news is that the doctor and many of his contacts have so far not shown any serious symptoms and may be freed from isolation.

The moot point is that despite all precautions, the Omicron variant has reached India, and there are reports that some people in Mumbai and Delhi may have been infected with this variant. It will be clear only when the genome sequencing is done. A man who arrived in Jamnagar, Gujarat, has undergone test, and his genome sequencing report is awaited.

The Centre and state governments are now focused on two issues: One, how to prevent spread of Omicron variant in India, and Two, how to carry out stringent screening of all travellers arriving in India. Work is going on at both levels.

Twelve countries have been put in “at risk” category, and all travellers arriving from these countries must undergo mandatory RT-PCR test. They cannot leave the airport till the test report comes. Travellers tested positive will be isolated immediately and their samples will be sent for genome sequencing. Those from “at risk” category countries arriving in India, and found negative, will nevertheless stay in home isolation for a week. They will have to undergo another Covid test on the eighth day.

Travellers arriving from other countries to India will undergo random testing at airports. They will be allowed to go home only after giving their samples. Those tested positive will be isolated and their samples will be sent for genome sequencing. If Omicron variant is found, they will be treated as per established protocol.

The problem is: more than 8,000 flyers reach Indian airports daily from 31 countries. To carry out RT-PCR tests of all, and then to isolate them inside airports, is a tough job. Most of the international flyers who arrived in Delhi on Thursday were a harried lot, when they were prevented from leaving airport. Their anger is understandable but India cannot afford to face another wave of the type that engulfed the nation in April and May this year, resulting in deaths of people. Our experts are still not fully aware of the details of the new Omicron variant.

Scientists say that most of the patients detected with Omicron variant across the world, have, till now, mild symptoms. More than a lakh people in the US are being tested positive daily, but most of them are infected with Delta variant. However, Omicron variant spreads five times faster compared to the Delta variant. Already Omicron variant has undergone 52 mutations and it has become difficult for experts while doing genome sequencing. Till now, 375 Omicron cases have been detected across 29 countries. No detailed studies have yet been made about the lethal effects of Omicron variant.

We must realize the fact that Omicron variant has already reached Indian shores. RT-PCR tests can only reveal whether a patient is tested negative or positive, it cannot determine the variant. Genome sequencing facility is available in only 37 labs across India. Even now, there is no idea how much lethal this new variant is. The only fact that has come out is that it spreads at a fast rate. Precaution is the need of the hour.

The question is: whether this variant will be the harbinger of a third Covid wave? Will the third wave be more lethal compared to the second one? Experts say, till now most of the Omicron patients detected have been either asymptomatic or have mild symptoms. The variant may spread fast, but may not be severe. It can then be a blessing in disguise. In other words, it could open up the path for an end to Coronavirus, because this new variant will replace the Delta variant. Conversely, if the Omicron variant is found lethal, it could be a troubling time for all.

The next question is: how to protect yourself from the new variant? Vaccination seems to be the answer. Those who are still not vaccinated, should get the dose immediately, and those waiting for their second dose, must complete it. Follow all other precautions, like avoiding mass gatherings, wearing masks, washing your hands regularly with soap or sanitizer. Stay away from crowds at weddings or busy markets. Since kids below the age of 18 years have not been vaccinated, we should take more care of them, and ensure that they follow precautions. This is the only way to protect yourself from the virus. There is no need to panic, but remain careful.

As of now, it is still not established whether Covid vaccines have been found effective against Omicron variant or not.

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क्या विपक्ष को एकजुट कर सकती हैं ममता?

AKBतृणमूल कांग्रेस अध्यक्ष और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बुधवार को मुंबई में ऐलान किया कि उन्होंने देश को एक नया और मजबूत विकल्प देने की तैयारी शुरू कर दी है। ममता ने साफ कहा कि अब कांग्रेस राष्ट्रीय स्तर पर बीजेपी का मुकाबला नहीं कर सकती। अब क्षेत्रीय दलों को मिलकर राष्ट्रीय स्तर पर एक मजबूत विकल्प देना होगा। उन्होंने कहा, ‘केवल क्षेत्रीय दल ही बीजेपी को हरा सकते हैं।’

ममता बनर्जी ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर भी उनका नाम लिए बिना निशाना साधा। ममता ने कहा- ‘जो ज्यादातर समय विदेश में रहते हैं, वे नरेंद्र मोदी को चुनौती नहीं दे सकते।‘ शिवसेना के नेताओं और एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार के साथ मुंबई में मुलाकात के बाद ममता बनर्जी ने देश के राजनीतिक भविष्य को लेकर कुछ संकेत दिए। इसमें सबसे बड़ी बात थी उनका राहुल गांधी पर सीधा हमला।

ममता बनर्जी से जब एक रिपोर्टर ने यह पूछा कि क्या शरद पवार यूपीए के नेता होंगे, तो ममता के जवाब के समय उनके बगल में शरद पवार खड़े थे। ममता ने कहा, ‘अब कहां हैं यूपीए- व्यूपीए? अब यूपीए नहीं है। हम इस पर साथ मिलकर फैसला करेंगे। हमें बीजेपी से मुकाबला करने के लिए व्यापक रणनीति बनानी होगी। हमें एकजुट विपक्ष की जरूरत है। शरद जी से मेरी मुलाकात बीजेपी को हराने के लिए एक्शन प्लान तैयार करने के लिए हुई । मैं उन्हें जानती हूं। मैंने उनके साथ काम किया है।’

दूसरा महत्वपूर्ण संकेत यह था कि शरद पवार ने ममता की बातों का प्रकारान्तर से समर्थन किया। पवार ने माना कि राष्ट्रीय स्तर पर विकल्प की जरूरत है। ममता बनर्जी और शऱद पवार की मुलाकात के बाद जो बयान आए उससे तमाम सियासी सवाल खड़े हो गए। सबसे बड़ा सवाल यह उठा कि क्या अब मोदी विरोधी मोर्चे का नेतृत्व ममता करेंगी? क्या ममता, प्रधानमंत्री की कुर्सी पर राहुल गांधी की दावेदारी को छीन लेंगी?

सच्चाई यह है कि ममता ने मुंबई में शिवसेना और एनसीपी नेताओं से मुलाकात की लेकिन महाराष्ट्र की सत्ता पर काबिज ‘महा विकास अघाड़ी’ गठबंधन के कांग्रेसी नेताओं से मिलने से परहेज किया। यह उनके सियासी रुख का स्पष्ट संकेत दे रहा है। राष्ट्रीय स्तर पर भी तृणमूल कांग्रेस खुद को कांग्रेस से दूर रख रही है। मिसाल के तौर पर जब राज्यसभा के 12 सांसदों के निलंबन का विरोध शुरू हुआ तो सभी विपक्षी दल कांग्रेस के साथ एकजुट होकर प्रद4शन करने लगे, लेकिन तृणमूल कांग्रेस के सांसदों ने अलग से अपना विरोध प्रदर्शन किया।

इससे यह सवाल उठता है कि क्या ममता टीएमसी को राष्ट्रीय विकल्प के तौर पर पेश करने जा रही हैं? क्या ममता खुद को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विकल्प के तौर पर पेश कर रही हैं? मुंबई में ममता-पवार मुलाकात के बाद राजनीति के इस नए खेल को समझने के लिए दीदी और शरद पवार की बातों को सुनना और समझना जरूरी है।

ममता की रणनीति बिल्कुल साफ है: कांग्रेस जहां नरेंद्र मोदी के खिलाफ गैर-बीजेपी दलों के गठबंधन की बात करती है वहीं ममता बीजेपी के खिलाफ गैर-कांग्रेसी दलों के गठबंधन की बात कर रही हैं। ऐसे में यह सवाल उठेगा कि गैर-कांग्रेसी गठबंधन यानी तीसरे मोर्चे का नेतृत्व कौन करेगा? और अगर शरद पवार के साथ खड़े होकर ममता कांग्रेस के खिलाफ बोलें तो फिर महाराष्ट्र में चल रहे गठबंधन पर भी सवाल उठेगा क्योंकि कांग्रेस इस गठबंधन में शामिल है।

यह पूछे जाने पर कि क्या वह अपने विकल्प से कांग्रेस को बाहर रखेंगी, ममता बनर्जी ने कहा: ‘शरद जी ने जो कहा वह यह है कि लड़ने के लिए एक मजबूत विकल्प होना चाहिए। कोई लड़ नहीं रहा है तो हम क्या करें? हमें लगता है कि सभी को मैदान में उतर कर लड़ना चाहिए।’

शरद पवार सारी बातें अच्छी तरह जानते हैं। पवार की पार्टी एनसीपी महाराष्ट्र सरकार में शिवसेना और कांग्रेस के साथ गठबंधन में सहयोगी है। इसीलिए ममता बनर्जी की बात खत्म होती, इससे पहले ही शरद पवार ने कहा- ‘हमारी सोच आज के लिए नहीं है, बल्कि 2024 के चुनावों के लिए है और हमें इसके लिए एक मंच तैयार करना होगा। और ममता बनर्जी यही काम कर रही हैं। इसी इरादे से वह आई हैं और हमने बहुत सकारात्मक चर्चा की है। किसी को बाहर रखने का सवाल ही नहीं है। जो लोग बीजेपी के खिलाफ हैं और हमारे साथ आते हैं तो उनका स्वागत है… बात सबको साथ लेकर चलने की है..हमारे लिए नेतृत्व अहम सवाल नहीं है। जनता को एक मजबूत और भरोसेमंद मंच उपलब्ध कराना हमारे लिए महत्वपूर्ण है। इसका नेतृत्व कौन करेगा यह बाद की बात है।’

शरद पवार ने भले ही कांग्रेस का नाम लेने से परहेज किया हो, लेकिन ममता ने पहले ही यशवंतराव चव्हाण केंद्र में आयोजित एक सभा में सिविल सोसायटी के सदस्यों के साथ बातचीत में कांग्रेस का नाम लिया। ममता ने राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए कहा, ‘आप ज्यादातर समय विदेश में नहीं रह सकते। राजनीति में निरंतर कोशिश की जरूरत होती है। अगर आप मौज-मस्ती के लिए विदेश जा रहे हैं तो फिर जनता आप पर कैसे भरोसा करेगी। आप विदेश में बैठकर लड़ाई नहीं लड़ सकते। आपको सड़कों पर उतरकर लड़ना होगा। जो लोग अपना आधा समय विदेश में बिताते हैं वे न तो मोदी से लड़ सकते हैं और न ही मोदी को हरा सकते हैं। बीजेपी का मुकाबला वही नेता कर सकते हैं जो जमीनी हकीकत जानते हैं और हमने पश्चिम बंगाल में ऐसा कर दिखाया है। हमने कांग्रेस को सलाह दी थी कि विपक्ष को दिशा देने के लिए सिविल सोसायटी की प्रमुख हस्तियों की एक सलाहकार परिषद होनी चाहिए, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।’

ममता बनर्जी ने यह भी कहा, उनकी पार्टी उन राज्यों में चुनाव नहीं लड़ेगी जहां क्षेत्रीय दल मजबूत हैं। उन्होंने कहा, ‘अगर सभी क्षेत्रीय दल एकजुट हो जाएं तो बीजेपी को हराना बहुत आसान है। क्षेत्रीय दल मिलकर राष्ट्रीय दल का निर्माण करेंगे। वे अकले बीजेपी को हरा सकते हैं। मैं वोटों का बंटवारा नहीं चाहती, कोई भी दल देश से बड़ा नहीं है।’

इस सभा में सिविल सोसायटी के ज्यादातर वही लोग शामिल थे जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी पार्टी के खिलाफ टीवी और सोशल मडिया पर लगातार कैंपेन चला रहे हैं। इनमें जावेद अख्तर, मेधा पाटकर, स्वरा भास्कर, शोभा डे, महेश भट्ट, मुनव्वर फारूकी जैसे तमाम लोग मौजूद थे। इनमें से ज्यादातर लोगों ने बार-बार कहा कि अब ममता को विरोधी दलों का नेतृत्व अपने हाथ में लेना चाहिए।

इसके जवाब में ममता ने कहा कि मैं एक ‘मामूली कार्यकर्ता’ हूं और कार्यकर्ता के तौर पर ही रहना चाहती हूं। ‘पीएम कौन बनेगा, ये फैसला तो बदलते हुए हालात और राज्य तय करेंगे। अहम बात यह है कि बीजेपी को देश के अंदर राजनीतिक रूप से मिटाना है और देश को बचाना है।’

केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए उन्होंने आरोप लगाया कि देश में यूएपीए (गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम) जैसे कानूनों का दुरुपयोग किया जा रहा है। उन्होंने आरोप लगाया ‘यूएपीए देश की आंतरिक सुरक्षा और बाहरी ताकतों से सुरक्षा के लिए है। इसका भी दुरुपयोग अन्य चीजों की तरह किया जा रहा है। इनकम टैक्स विभाग, सीबीआई, ईडी का भी दुरुपयोग हो रहा है।’

ममता बनर्जी यह जानती हैं कि विपक्षी दलों के समर्थकों का एक बड़ा तबका किसी ऐसे नेता का इंतज़ार कर रहा है जो मोदी को सीधी टक्कर दे सके। इन लोगों ने 2014 और 2019 के चुनावों में राहुल गांधी पर अपनी उम्मीदें टिका रखी थीं। लेकिन राहुल गांधी के नेतृत्व वाली कांग्रेस को दोनों बार करारी हार का सामना करना पड़ा। इसके बाद विपक्षी दलों के बीच एक वैकल्पिक नेता की तलाश शुरू हई और अब ममता बनर्जी उस जगह को भरने की कोशिश कर रही हैं। यही वजह है कि आजकल वह पीएम मोदी पर सीधा हमला करती हैं। सिविल सोसायटी के सदस्यों के साथ अपनी मीटिंग में ममता बनर्जी ने कहा कि ‘मोदी अजेय नहीं हैं, मोदी को भी डर लगता है।’

राहुल गांधी के सलाहकारों के कोर ग्रुप का हिस्सा माने जानेवाले अधीर रंजन चौधरी और के.सी. वेणुगोपाल जैसे कांग्रेस नेताओं को ममता बनर्जी की यह बात चुभ गई। उन्होंने ममता के उस बयान पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की जिसमें उन्होंने कहा कि ‘कोई यूपीए नहीं है।’ वेणुगोपाल ने कहा, ‘भारतीय राजनीति की हकीकत हर कोई जनता है। यह सोचना कि बिना कांग्रेस के कोई बीजेपी को हरा सकता है, यह केवल एक सपना है।’

अधीर रंजन चौधरी ने कहा, ‘क्या ममता नहीं जानती हैं कि यूपीए क्या है? मुझे लगता है कि उन्होंने पागलपन शुरू कर दिया है। उन्हें लगता है पूरे देश ने ममता-ममता चिल्लाना शुरू कर दिया है। लेकिन भारत का मतलब बंगाल नहीं है और अकेले बंगाल का मतलब भारत नहीं है। पिछले चुनावों (बंगाल) में उनकी रणनीति धीरे-धीरे उजागर हो रही है। बंगाल में बीजेपी के साथ उन्होंने जो साम्प्रदायिक खेल खेला वह अब साफ हो चुका है।’

कुल मिलाकर मुझे लगता है कि चाहे ममता बनर्जी हों या शरद पवार, सब जानते हैं कि उनके लिए अपने दम पर मोदी को हराना संभव नहीं है। इसलिए सभी विपक्षी दलों को साथ आना पड़ेगा।

दूसरी बात, दोनों यह मानते हैं कि न तो राहुल गांधी नरेंद्र मोदी को टक्कर दे सकते हैं और न ही कांग्रेस बीजेपी का एकमात्र विकल्प हो सकती है। लेकिन कांग्रेस का मानना है कि उसके अलावा कोई मजबूत विकल्प नहीं बन सकता। कांग्रेस को अलग रखकर विपक्ष खड़ा नहीं हो सकता। राहुल गांधी मानते हैं कि सिर्फ एक वही हैं जो मोदी को चैलेंज कर सकते हैं, क्योंकि वो मानते हैं कि बाकी सब नेता मोदी से डरते हैं। लेकिन ममता बनर्जी जमीन की राजनीति को अच्छी तरह समझती हैं। उन्होंने पश्चिम बंगाल में बीजेपी को बुरी तरह मात दी है, साथ ही बंगाल मे वामपंथी शासन के दौरान राजनीतिक संघर्ष करने का उनका एक लंबा रिकॉर्ड रहा है।

इसीलिए अब ममता बनर्जी को लगता है कि कांग्रेस का साथ लेकर कोई मजबूत विकल्प नहीं बन पाएगा। इसीलिए उन्होंने खुद नेतृत्व संभालने का फैसला किया है। ममता को लगता है कि अगर क्षेत्रीय ताकतें इक्कठी हो जाएं, जैसे महाराष्ट्र में एनसीपी और शिवसेना, यूपी में समाजवादी पार्टी, बिहार में आरजेडी, यानी जो पार्टी जहां मजबूत है उस राज्य में वो लीड करे तो एक राष्ट्रीय विकल्प बन सकता है। ममता चाहती हैं कि यह मजबूत राष्ट्रीय विकल्प बीजेपी को टक्कर दे इसीलिए उन्होंने कहा कि ‘अब यूपीए नहीं रहा’ और ‘राहुल गांधी राजनीति को लेकर गंभीर नहीं हैं’।

वैसे राहुल गांधी के बारे में यह बात सबसे पहले शरद पवार ने कही थी। हालांकि उस वक्त महाराष्ट्र में एनसीपी कांग्रेस के साथ सरकार में शामिल नहीं थी। लेकिन अब शिवसेना-एनसीपी और कांग्रेस की सरकार है इसीलिए शरद पवार खामोश रहे। उन्होंने सिर्फ ममता का समर्थन किया लेकिन कांग्रेस पर कटाक्ष नहीं किया। ममता की सोच सही है लेकिन सभी क्षेत्रीय दलों को एक मंच पर लाना आसान काम नहीं है।

सभी क्षेत्रीय नेताओं की अपनी-अपनी आकांक्षाएं और अपनी-अपनी जरूरतें होती हैं। इसीलिए इन सबको एक गठबंधन में बांधना मुश्किल काम है। लेकिन आज देश में जो राजनीतिक स्थिति नज़र आ रही है उसमें अगर कोई यह काम कर सकता है, तो वो ममता बनर्जी ही कर सकती हैं। अब तक तो बीजेपी ही ‘कांग्रेस मुक्त भारत’ की बात करती थी लेकिन अब ममता बनर्जी ने ‘कांग्रेस मुक्त विपक्ष’ की बात कह दी है। मुंबई में उन्होंने जो कुछ किया वो अभी एक शुरुआत भर है।

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Can Mamata Banerjee unite the opposition?

akb fullTrinamool Congress supremo and West Bengal chief minister Mamata Banerjee announced in Mumbai on Wednesday that she has initiated efforts to provide a new and strong alternative to the nation. She made it clear that the Congress is unable to counter the BJP on the national level, and regional parties will have to provide a strong national alternative. ‘Only regional parties can defeat the BJP’, she said.

Mamata Banerjee also took a swipe at Congress leader Rahul Gandhi, without naming him, by saying “you can’t be abroad most of the time and challenge” Prime Minister Narendra Modi. After meeting Shiv Sena leaders and NCP supremo Sharad Pawar in Mumbai, Mamata Banerjee gave some indications about the nation’s political future. The most important was her direct attack on Rahul Gandhi.

When a reporter asked whether Sharad Pawar would lead the UPA, Mamata Banerjee, with Pawar standing nearby, replied: “What UPA? There’s no UPA now. We’ll decide on it together. We have to draft a comprehensive strategy to take on BJP. We need united opposition. My meeting with Sharadji was to work out an action plan to defeat BJP. ..I know him. I have worked with him.”

The second important indicator was that Sharad Pawar extended support to Mamata Banerjee’s views. Pawar agreed that a national alternative is needed. After going through Mamata’s and Pawar’s remarks, several political questions arise.

The biggest question is whether Mamata Banerjee will lead the anti-Modi front? Will she seize the stake for the PM’s chair from Rahul Gandhi?

The fact that Mamata met Shiv Sena and NCP leaders in Mumbai, but avoided meeting Congress leaders of the ‘Maha Vikas Aghadi’ alliance that is ruling Maharashtra, speaks volumes about the direction she is taking. At the national level too, Trinamool Congress is keeping itself away from the Congress. To cite one example, while opposition parties joined Congress in protesting suspension of 12 Rajya Sabha MPs, Trinamool members staged their protest separately.

It raises the question about whether Mamata Banerjee is going to project TMC as the national alternative? Is she trying to project herself as an alternative to Prime Minister Narendra Modi? One should carefully go through the remarks made both by Mamata Banerjee and Sharad Pawar after their one-to-one meeting in Mumbai, and read between the lines.

Mamata’s strategy is clear: While the Congress is speaking of an alliance of non-BJP parties against Modi, Mamata is speaking of an alliance of non-Congress parties against the BJP. The question would then arise about who will lead the non-Congress alliance, that is, the Third Front? And when Mamata speaks against the Congress with Pawar standing with her, questions will also arise about the alliance in Maharashtra, where Congress is a partner.

To a pointed question on whether he alternative would exclude the Congress, Mamata Banerjee said: “What Sharadji said is that there should be a strong alternative of those who fight. What do we do if one is not fighting? We feel that everyone should fight on the field.”

Pawar, whose party is an alliance partner of Shiv Sena and Congress in Maharashtra government, realized the importance of this remark. Even before Mamata could finish her sentence, Pawar said: “Our thinking is not for today, but for the 2024 elections and this platform has to be established for it. With that intention, she visited, and we had a very positive discussion….There’s no question of excluding anyone. All those who are against the BJP are welcome to join us. ..The point is to take everyone together. ..The leadership is not an important issue for us. Providing a strong and credible platform to the people is important for us. The question of who will lead it is a secondary matter”.

Pawar may have avoided naming the Congress, but Mamata has already named Congress at her interaction with “civil society” members at a gathering at Yahswantrao Chavan Centre. Taking a dig at Rahul Gandhi, Mamta Banerjee said, “You can’t be abroad most of the time. Continuous endeavour is necessary in politics. If you are going abroad to enjoy, how will people trust you. You can’t fight battles sitting abroad. You have to come out on the streets and fight. Those who spend half of their time abroad cannot fight Modi or defeat Modi…. Only those politicians can take on the BJP who know ground realities..We have done it in West Bengal.….I had suggested to the Congress that there should be an advisory council comprising prominent personalities from civil society to give a direction to the Opposition, but in vain.”

Mamata Banerjee also said, her party will not fight elections in states where the regional parties are strong. “If all the regional parties are together, then it is very easy to defeat the BJP. Regional parties will build up national parties. They alone can defeat the BJP..I don’t want division of votes, but no party is bigger than the nation”, she said.

Most of the civil society members who attended the gathering included those who had been prominently carrying out campaign on TV and social media against Prime Minister Narendra Modi and his party. These include Javed Akhtar, Medha Patkar, Swara Bhaskar, Shobhaa De, Mahesh Bhatt, Munawar Farooqui and others. Most of them implored Mamata Banerjee to take the reins of leadership of opposition in her hands.

In response, the West Bengal CM said, she was a “small worker” and would like to continue as one. “The choice of PM will be decided by the evolving situation and states… The important issue now is to wipe BJP out of the country politically and save democracy.” Lashing out at the Centre, she alleged that laws like UAPA (Unlawful Activities Prevention Act) are being misused in the country. “The UAPA is for internal security and protection from external forces. It is being misused like anything. The Income Tax department, CBI, ED are also being misused”, she alleged.

Mamata Banerjee understands that a large number of opposition supporters are waiting for a leader who can give a direct challenge to Modi. These supporters had rested their hopes on Rahul Gandhi in 2014 and 2019 elections, but Rahul-led Congress had to face consecutive electoral defeats. Soon after that, a search for a strong leader in the opposition space began, and Mamata Banerjee is trying her best to fill up that space. This is the reason why she is making direct attacks on Modi nowadays. She told the gathering of “civil society” members that “Modi is not invincible. Modi is also afraid.”

Congress leaders like Adhir Ranjan Chowdhury and K. C. Venugopal, considered to be part of the core group of Rahul Gandhi’s advisers, reacted strongly to Mamata Banerjee’s remark about “there’s no UPA”. Venugopal said, “ Everybody knows the reality of Indian politics. Thinking that without the Congress anybody can defeat the BJP is merely a dream”.

Adhir Ranjan Chowdhury said, “Does Mamata Banerjee not know what UPA is? I think she has started madness. She thinks entire India has started chanting ‘Mamata, Mamata’. But India doesn’t mean Bengal and Bengal alone doesn’t mean India. He tactics in the last polls (in Bengal) are slowly getting exposed. The communal game that she played with BJP in Bengal is now clear. “

In conclusion, I feel, whether it is Mamata or Sharad Pawar, both of them know this very well that they cannot defeat Modi at this juncture alone. All the opposition parties will have to come together.

Secondly, both of them know that Rahul Gandhi cannot give a strong fight to Modi, nor can Congress become the sole alternative to BJP. But Congress is convinced that there cannot be a strong alternative without it. The opposition cannot be strong by excluding the Congress. Rahul Gandhi believes that he is the only leader who can forcefully challenge the BJP. He is on record of having said that other leaders fear Narendra Modi. But Mamata Banerjee is a politician who understands ground realities better. She decimated the BJP in the last assembly elections. She also has a long record of carrying out political struggle during the Left rule in Bengal.

Mamata now feels that a strong alternative cannot be forged by taking the Congress along. That is why she has decided to lead the alternative herself. Mamata’s view is that if regional parties combine, like TMC in Bengal, RJD in Bihar, Samajwadi Party in UP, NCP-Shiv Sena in Maharashtra, DMK in Tamil Nadu and other strong regional parties in their respective states, then a powerful national alternative can emerge and can challenge the BJP. That is why Mamata Banerjee said, “There is no UPA now” and that Rahul is not serious about politics.

Well, it was Sharad Pawar who made the same remark about Rahul Gandhi years ago, when his party was not in alliance with Congress in Maharashtra. Now that the SS-NCP-Congress alliance government is in place, Pawar remained silent, when Mamata made her remark. He only supported Mamata, but did not take swipe at the Congress. Mamata’s viewpoint may be right, but to bring all regional opposition parties on a single platform is a Herculean task.

All regional leaders have their own aspirations and needs. To bring them into a single alliance is a difficult task. But, looking at the prevailing political situation, it is none other than Mamata who can do this job. Till now, it was BJP which was saying ‘Congress-mukt Bharat’, but Mamata has now said ‘Congress-mukt Vipakash (opposition)”. Whatever she did in Mumbai can be taken as a beginning.

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क्या 4 दिसंबर के बाद किसान आंदोलन खत्म हो जाएगा?

akb fullकिसान संगठन के नेताओं की तरफ से पहली बार इस बात के संकेत मिल रहे हैं कि पिछले एक साल से ज्यादा लंबे अर्से से चल रहा उनका आंदोलन जल्द ही खत्म हो सकता है। पंजाब के 32 किसान जत्थों के एक बड़े ग्रुप ने मंगलवार की शाम को कहा कि उनकी ज्यादातर मांगों को सरकार ने मान लिया है और अब आंदोलन को वापस लेने पर समझौता हो सकता है। मंगलवार को दिल्ली-हरियाणा बॉर्डर पर कुंडली में पंजाब के 32 जत्थों की मीटिंग में तय किया गया कि पंजाब के किसान नेताओं की तरफ से इस आशय का प्रस्ताव संयुक्त किसान मोर्चे की मीटिंग में रखा जाएगा। यह मीटिंग चार दिसंबर को होगी और इसमें आंदोलन को लेकर अंतिम फैसला लिया जाएगा।

पंजाब के किसान नेताओं ने मंगलवार को तीन बड़ी बातों का ऐलान किया। पहला, केंद्र सरकार ने एमएसपी पर कमेटी बनाने के लिए उनसे पांच नाम मांगे हैं, यह कमेटी एमएसपी पर बिल तैयार करेगी। किसान नेता इसे पॉजिटिव कदम मानते हैं। दूसरी बड़ी बात ये है कि केंद्र सरकार ने राज्य सरकारों से आंदोलन के दौरान किसानों पर दर्ज किए गए केस वापस लेने का निर्देश दे दिया है। तीसरी बात, पंजाब के 32 किसान जत्थों की ओर से यह कहा गया है कि जब तीनों कानूनों को वापस ले लिया गया है और किसानों की ज्यादातर मांगें मान ली गई हैं तो फिर धरने पर बैठे रहने का कोई मतलब नहीं रह जाता। हालांकि, अभी अंतिम फैसला नहीं हुआ है और ये लोग 4 दिसंबर को संयुक्त किसान मोर्चे की मीटिंग में अपना प्रस्ताव रखेंगे साथ ही बाकी राज्यों के किसान नेताओं को इस बात के लिए राजी करने की कोशिश करेंगे ताकि आंदोलन खत्म करने का रास्ता निकाला जा सके। पंजाब के इन बड़े किसान नेताओं ने साफ-साफ कहा कि वे संयुक्त किसान मोर्चे को तोड़ेंगे नहीं लेकिन उन्हें यकीन है कि चार दिसंबर को ये तय हो जाएगा कि किसान कब अपने घरों को वापस लौटेंगे।

संयुक्त किसान मोर्चे की तरफ से देर रात जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि कृषि मंत्रालय से उनका कोई औपचारिक संवाद नहीं हुआ है। विज्ञप्ति के मुताबिक कृषि मंत्रालय ने पंजाब के एक किसान नेता से फोन पर संपर्क कर एमएसपी पर प्रधानमंत्री की ओर से प्रस्तावित पैनल के गठन के लिए संयुक्त किसान मोर्चा के पांच प्रतिनिधियों का नाम मांगा हैं। संयुक्त किसान मोर्चे ने कहा कि इस संबंध में लिखित सूचना मिलने के बाद ही मोर्चे की तरफ से आगे की कार्रवाई की जाएगी।

केंद्र ने जिस किसान नेता से संपर्क किया वह डॉ. सतनाम सिंह अजनाला हैं। अजनाला पंजाब के बड़े किसान नेता हैं और जम्हूरी किसान सभा के अध्यक्ष हैं। उन्होंने जत्थों को एमएसपी पर सरकार की कमेटी को लेकर सारी बातें विस्तार से बताई। सतनाम सिंह ने बताया कि एमएसपी पर कमेटी के लिए सरकार ने जो पांच नाम मांगे हैं उनपर लंबी चर्चा हुई और पंजाब के बड़े किसान नेता बलबीर सिंह राजेवाल के नाम पर सहमति करीब-करीब बन गई है। बैठक में देवेंद्र शर्मा, सुच्चा सिंह गिल और रंजीत सिंह घुम्मन जैसे कृषि विशेषज्ञों के नामों पर भी चर्चा हुई। उन्होंने यह भी कहा कि गृह मंत्रालय ने राज्य सरकारों को आंदोलन के दौरान किसानों के खिलाफ दर्ज सभी मामलों को वापस लेने की सलाह दी है। हरियाणा, पंजाब और राजस्थान की सरकारों ने केस वापस लेने का भरोसा भी दिया है। वहीं हरियाणा के किसान नेता इस मुद्दे पर सीएम मनोहरलाल खट्टर से मुलाकात करेंगे।

पंजाब के जिन 32 जत्थों की मीटिंग हुई उनमें दोआबा किसान कमेटी के जंगवीर सिंह भी शामिल हुए। उन्होंने उम्मीद जताई कि अब कृषि मंत्री तरफ से अगर संसद में यह आश्वासन मिल जाए कि एमएसपी पर गारंटी कानून की रूपरेखा क्या है, उसकी शर्तें क्या हैं और क्या टाइम फ्रेम होगा, तो बात आगे बढ़ेगी। उन्होंने कहा, कृषि मंत्रालय का फोन तब आया जब 32 जत्थों की बैठक चल रही थी। यह बात गौर करने लायक है कि सोमवार को जब जत्थों के नेताओं की संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं के साथ मुलाकात हुई थी तब पंजाब के 32 जत्थों के किसान संगठनों ने साफ-साफ पूछा था कि आगे की दशा और दिशा कैसे तय होगी? आंदोलन कब तक चलता रहेगा? जब संसद में तीनों कानूनों की औपचारिक तौर पर वापसी हो गई है तो फिर धरने पर बने रहने का क्या औचित्य है? इसपर संयुक्त किसान मोर्चे के दूसरे नेताओं ने एमएसपी का मुद्दा उठाया और कहा कि अभी एमएसपी समेत अन्य मांगें बाकी हैं इसलिए संघर्ष करना होगा। फिर ये बात कही गई कि अब सरकार को डिमांड लिस्ट सौंप दी गई है और जब जवाब आएगा तो आगे की रणनीति तय करेंगे।

असल में किसान नेताओं के रुख में बदलाव तो उसी दिन से दिखने लगा था जब गुरु पर्व के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीनों कानूनों को वापस लेने का फैसला लिया था। पीएम मोदी ने किसान नेताओं से कहा था कि अब सरकार तीनों कृषि कानून वापस ले रही है, इसलिए किसान भाई आंदोलन खत्म करें और अपने घर जाएं। इस फैसले पर दो तरह के रिएक्शन दिखाई दिए। सिंघु ब़ॉर्डर पर धरने पर बैठे किसानों में खुशी की लहर दौड़ गई। कई किसान नेताओं ने इस फैसले का स्वागत किया। उन्होंने कहा था कि हमारी मांग पूरी हो गई। और फिर यही बात धीरे-धीरे संयुक्त किसान मोर्चे की बैठकों में भी उठती रही। लेकिन वहीं गाजीपुर बॉर्डर पर बैठे और पश्चिमी यूपी के किसानों का प्रतिनिधित्व करनेवाले राकेश टिकैत बार-बार कहते रहे कि आंदोलन आगे बढ़ेगा।

भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष राकेश टिकैत कहते रहे हैं कि एमएसपी पर पहले भी कितनी कमेटी बनी लेकिन कुछ हुआ नहीं, कोई नतीजा नहीं निकला। लेकिन पंजाब के किसान नेताओं के साथ जब उनकी मीटिंग हुई और उनसे कहा गया कि अब समय आ गया है कि आंदोलन वापस लेने पर विचार किया जाए, इसके बाद राकेश टिकैत के सुर बदले हुए नजर आए। मंगलवार को राकेश टिकैत ने साफतौर पर कहा कि अब यह आंदोलन निश्चित रूप से समझौते की तरफ बढ़ रहा है। सरकार मांगें मान रही है और पहल कर रही है, तो फिर ये अच्छी बात है। हालांकि इसके बाद राकेश टिकैत ने नई बात कही। टिकैत ने कहा कि आंदोलन के दौरान सैकड़ों किसानों के ट्रैक्टरों को नुकसान पहुंचा, कई ट्रैक्टर जब्त कर लिए गए और थाने में रखे-रखे खराब हो गए हैं। इसलिए अब सरकार किसानों को इन ट्रैक्टरों के बदले नए ट्रैक्टर दे। उधर, अकाली दल के नेता मनजिंदर सिंह सिरसा ने भी कहा कि चूंकि तीन कृषि कानूनों को निरस्त कर दिया गया है, इसलिए आंदोलन जारी रखने का कोई मतलब नहीं है।

एक बात साफ है कि पंजाब के 32 जत्थों (ग्रुप) का संगठन इस आंदोलन की जान है और अब वे धरना प्रदर्शन खत्म करने के पक्ष में है। मेरी जानकारी यह है कि पंजाब के इन किसानों को तैयार करने में कैप्टन अमरिंदर सिंह ने भी एक अहम भूमिका निभाई है। उनके जरिए सरकार ने किसानों को समझाया गया कि तीनों कानून वापस हो गए, पराली जलाने पर केस ना करने का फैसला हो गया और एमएसपी पर सरकार कमेटी बनाने को तैयार हो गई है, इस कमेटी में संयुक्त किसान मोर्चा के प्रतिनिधियों को भी शामिल किया जाएगा। गृह मंत्रालय ने भी राज्य सरकारों से मुकदमे वापस लेने को कह दिया तो अब आंदोलन वापस लेने में ही जीत है और इसी में समझदारी है।

पिछले साल भर से सड़कों पर बैठे किसान भी अब आंदोलन खत्म कर घर जाना चाहते हैं। किसानों को भी लगता है कि यह आंदोलन वापस लेने और घर लौटने का सही समय है। वहीं किसान नेताओं को डर है कि आंदोलन को और लंबा खींचा तो कहीं समर्थन कम ना हो जाए। पिछले एक साल में पहले भी कई बार ऐसा हुआ है कि ज़्यादातर किसान घर चले गए और टेंट खाली हो गए। अब हरियाणा में मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर भी एक्टिव हो गए हैं और उन्होंने जाट खाप नेताओं से बात करने की शुरुआत कर दी है। ऐसा लगता है कि पंजाब और हरियाणा से आए किसान तो आंदोलन खत्म करने के मूड में हैं, लेकिन पश्चिमी यूपी से आनेवाले राकेश टिकैत इस मामले में आज भी अलग राय रखते हैं और आंदोलन को जारी रखना चाहते हैं।

लेकिन यह बात भी सच है कि पंजाब के 32 जत्थे इस पूरे किसान आंदोलन की असली ताकत हैं, इसलिए उनकी राय और उनका प्रस्ताव महत्वपूर्ण है। उनका रुख देखने के बाद टिकैत जैसे नेताओं ने भी अपना सुर बदला औऱ अब वो भी कह रहे हैं कि जल्दी समझौता हो जाए और आंदोलन वापस हो जाए तो अच्छा होगा।

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Farmers’ agitation: Will it be called off after December 4?

AKBFor the first time, there are indications from farmer leaders that their year-long agitation may be called off soon. A group representing 32 farmers’ organisations of Punjab said on Tuesday evening that the government has accepted most of their demands and there could be an agreement over calling off the agitation. At the Delhi-Haryana border point in Kundli on Tuesday, 32 jathas (groups) from Punjab, at a meeting, decided that they would place their proposal before the Samyukta Kisan Morcha, scheduled to meet on December 4, where a final decision will be taken.

Farmer leaders from Punjab made three important announcements on Tuesday.

One, the Centre has asked for five names of farmers’ representatives to be included in the proposed committee to prepare MSP legislation.

Two, the Centre has asked all states to withdraw all cases filed against farmers during the agitation.

Three, the 32 farmers’ ‘jathas’ from Punjab decided that since the Centre has repealed the three farm laws and has accepted most of their demands, there was no point in continuing the agitation. They decided to convince farmer leaders from other states about their point of view. They also decided that the Samyukta Kisan Morcha will not be wound up, but the December 4 meet will decide when the farmers will return home.

A late night press release from Samyukta Kisan Morcha said, there has been no formal communication from the agriculture ministry and that the ministry has only contacted a farmer leader from Punjab over phone seeking names of 5 SKM representatives for the panel which the Prime Minister has proposed to set up. The press release said the SKM will decide its future course of action once a written communication is received.

The Punjab farmer leader contacted by the Centre is Dr Satnam Singh Ajnala, who heads the Jamhoori Kisan Sabha. He told the jathas about the details of the MSP committee and about the five names of farmer leaders sought by the Centre. He said, Balbir Singh Rajewal could be one of the representatives. At the meeting, names of farm experts like Devendra Sharma, Sucha Singh Gill and Ranjit Singh Ghumman were also discussed. He also said that the Ministry of Home Affairs has advised states to withdraw all cases filed against farmers during the agitation. Haryana, Punjab and Rajasthan governments have indicated their willingness, and farmer leaders from Haryana will meet chief minister M L Khattar on this issue.

One of the leaders of 32 Punjab jathas, Jangbir Singh of Doaba Kisan Committee said, they expect the Agriculture Minister to tell Parliament about the composition of the MSP committee and its terms of reference, along with a definite time frame. He said, the phone call from agriculture ministry came when the meeting of 32 jathas was on. It may be noted that the jatha leaders, in their meeting with Samyukta Kisan Morcha, on Monday had asked when the agitation would be called off, now that Parliament has repealed all the three farm laws. SKM leaders told them that the MSP issue and several other demands were still pending, and the struggle should continue. Once the government’s response comes on the list of farmers’ demands, a final decision will be taken.

The change in the views of farmer leaders was evident on the day of Guru Purab when the Prime Minister Narendra Modi announced to the nation that his government would repeal all the three farm laws. At the Singhu border, farmers sitting on dharna rejoiced, and their leaders conveyed their views to the SKM, but at the Ghazipur border, Rakesh Tikait, representing farmers from western UP, was insistent that the agitation would continue.

BKU president Rakesh Tikait had pointed out that several committees on MSPs were formed in the past, but nothing fruitful came out. Tikait’s tone also changed after the Punjab farmer leaders said that it was time to think about calling off the agitation. On Tuesday, Tikait clearly said, that things are definitely moving towards an agreement. He also added one more demand. He said, several tractors of farmers that were parked at police stations, have become unusable and the government should give them new tractors in exchange. Akali Dal leader Manjinder Singh Sirsa also said that since the three farm laws have been repealed, there was no point in continuing with the agitation.

One thing is clear. All the 32 jathas from Punjab which took part in the agitation, now want that the movement should be called off. My information is that former Punjab chief minister Capt Amrinder Singh played a big role in persuading these farmer leaders to call off the agitation since the farm laws have been repealed. It was through him that the Centre conveyed to the farmers that cases of paddy stubble burning filed against farmers will not be pursued, and SKM representatives will be included in the proposed committee on MSP.

The farmers, too, find that this is the right time to call off the agitation and return home. They have been sitting on dharna for more than a year, and their leaders worry that they may lose support if the agitation is not called off now. During the last one year, there were instances when many farmers left for their homes and the tents were empty. Haryana chief minister Manohar Lal Khattar has also entered the scene and he has started talks with the Jat Khap leaders. It appears that farmers from Haryana and Punjab want to call off the agitation, but those from western UP led by Rakesh Tikait are still holding out.

One should realize that the 32 jathas from Punjab are the backbone of this agitation, and their views carry weight. It is because of their stand that Rakesh Tikait has now changed his tune and is now saying that the sooner the agitation is called off, the better.

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