क्या सेना के काफिले को रोकने से किसानों की समस्या हल हो जाएगी?
किसान संगठनों द्वारा सोमवार को बुलाए गए 10 घंटे के भारत बंद के दौरान जहां पंजाब और केरल में जनजीवन ठप हो गया, वहीं पश्चिमी उत्तर प्रदेश, हरियाणा और दिल्ली में रोजाना सफर करनेवाले यात्रियों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा। इस दौरान दिल्ली-गुरुग्राम बॉर्डर पर भी भारी ट्रैफिक जाम रहा। यूपी गेट के पास किसानों ने दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस वे के सभी लेन को करीब 10 घंटे तक बंद रखा गया था। दिल्ली के चिल्ला बॉर्डर, डीएनडी फ्लाइवे और अन्य प्रवेश एवं निकास वाले रास्तों पर ट्रैफिक जाम रहा जबकि दिल्ली से कौशांबी और वैशाली तक का पूरा रास्ता दिनभर जाम रहा।
सबसे दुखद बात ये रही कि प्रदर्शनकारियों ने सेना के काफिले और एम्बुलेंस को भी नहीं छोड़ा। अपने प्राइम टाइम शो ‘आज की बात’ में सोमवार की रात हमने दिखाया था कि कैसे जालंधर में संयुक्त किसान मोर्चा के प्रदर्शनकारियों ने 6 लेन के हाइवे को टेंट लगाकर पूरी तरह से बंद कर दिया। हालांकि इस हाइवे के 3 लेन पर कुछ घंटों के लिए यातायात की अनुमति किसानों ने दी थी लेकिन बाद में सभी 6 लेन पर यातायात बंद कर दिया। इस दौरान जालंधर से आ रहा सेना के काफिले का आधा हिस्सा तो हाइवे से गुजर गया लेकिन बाकी काफिले को किसान नेताओं ने रोक लिया। प्रदर्शनकारियों ने रास्ते पर ट्रैक्टर खड़ा करके सेना के काफिले को रोक दिया। किसान नेताओं ने सेना के जवानों की इस दलील को भी अनसुना कर दिया कि उन्हें बॉर्डर के पास युद्धाभ्यास में हिस्सा लेना है इसलिए उन्हें आगे बढ़ने की इजाजत दी जाए।
यह घटना जालंधर में पीएपी चौक पर सुबह 8.30 बजे की है। लेफ्टिनेंट कर्नल रैंक के आर्मी ऑफिसर ने हाइवे पर बैठे किसान नेताओं को समझाने की कोशिश की लेकिन वे मानने को तैयार नहीं हुए। इसके बजाय किसान नेताओं ने आर्मी ऑफिसर को केंद्र द्वारा बनाए गए 3 कृषि कानूनों को पढ़ने के लिए कहा। जब आर्मी ऑफिसर ने बताया कि सेना का यह काफिला बॉर्डर पर युद्धाभ्यास के लिए जा रहा है, इस पर एक किसान नेता ने कहा कि आप रोजाना वॉर एक्सरसाइज में हिस्सा लेते हैं, कम से कम एक दिन निकालें और यहां हमारे इस एक्सरसाइज (विरोध प्रदर्शन) में शामिल हों।
करीब आधे घंटे की जिरह और दिल्ली में नेताओं के फोन कॉल के बाद आर्मी के बाकी काफिले को जाने दिया गया। यह वास्तव में बड़ा शर्मनाक था। खासकर ऐसे समय में जब देश पाकिस्तान और चीन के साथ लगी सीमाओं पर नई चुनौतियों का सामना कर रहा है। सबसे अजीब बात यह थी कि भारतीय किसान यूनियन के प्रमुख राकेश टिकैत ने इंडिया टीवी को बताया कि किसान बाधा नहीं डाल रहे थे, ‘किसान आर्मी ऑफिसर से बॉर्डर के हालात के बारे में पूछ रहे थे।’ जब उनसे बात हो गई तो फौजियों को आगे जाने दिया। टिकैत प्रदर्शनकारियों की इस हरकत की निंदा तो छोड़िए, उल्टा बचाव कर रहे थे।
न केवल सेना के काफिले को, बल्कि लाखों आम लोगों को यातायात बाधित होने के कारण दिक्कतों का सामना करना पड़ा। मुंबई-अहमदाबाद हाईवे पर सोमवार को 15 से 20 किलोमीटर लंबा जाम लगा रहा। इंडिया टीवी के रिपोर्टर राजीव कुमार ने बताया कि मुंबई-ठाणे-नवी मुंबई मार्ग पर 2 घंटे से भी ज्यादा समय तक एक इमरजेंसी एम्बुलेंस जाम में फंसी रही। एक हार्ट ट्रांसप्लांट केस के लिए एम्बुलेंस को सुबह 9 बजे अस्पताल पहुंचना था। ट्रैफिक जाम में फंसी एम्बुलेंस का ऐसा ही एक मामला हरियाणा के पलवल में देखने को मिला।
16 लेन का गुरुग्राम-दिल्ली हाईवे पर घंटों तक भारी ट्रैफिक जाम था। दोनों ही तरफ हजारों की संख्या में गाड़ियां बेहद धीमी रफ्तार से आगे बढ़ पा रही थीं। ट्रैफिक जाम के कारण ऑफिस जाने वाले हजारों लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ा। इसी तरह के दृश्य दिल्ली के साथ लगे गाजियाबाद और नोएडा के बॉर्डर पर देखे गए, क्योंकि ज्यादातर गाड़ियों को हाइवे से डायवर्ट कर दिया गया था।
एक तरफ तो हजारों लोग ट्रैफिक जाम में फंसकर दिक्कतें झेल रहे थे तो दूसरी तरफ भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत चाय की चुस्कियां लेते हुए ब्रेकफस्ट कर रहे थे। टिकैत को मीडियाकर्मियों से यह कहते हुए सुना गया कि मोर्चा ने तो पहले ही लोगों से कह दिया था कि सोमवार की भी छुट्टी ले लो और वीकेंड की छुट्टियों को मिलाकर 3 दिन एंजॉय करो।
केरल, पंजाब और महाराष्ट्र की राज्य सरकारों ने बंद को ‘सफल’ बनाने के लिए विरोध प्रदर्शन कर रहे किसानों का परोक्ष रूप से समर्थन किया, लेकिन सच्चाई यही है कि कुछ राज्यों को छोड़ दिया जाए तो भारत के अधिकांश हिस्सों में भारत बंद का कोई असर नहीं दिखा और जनजीवन बिल्कुल सामान्य रहा। भारत के कुछ हिस्सों में प्रदर्शनकारी पटरियों पर बैठ गए जिसके कारण 25 ट्रेनों को रद्द करना पड़ा। केरल के कोझिकोड में, सत्तारूढ़ मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के ट्रेड यूनियन (CITU) के समर्थकों ने एक ब्रॉडबैंड कंपनी के कार्यालय पर धावा बोल दिया, कर्मचारियों को जमकर पीटा और पूरे ऑफिस में तोड़फोड़ कर उसे तहस-नहस कर दिया। कारण: बंद के आह्वान के बावजूद ऑफिस खुला था।
किसानों को शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन करने का अधिकार है, लेकिन उन्हें आम लोगों को परेशान करने का कोई हक नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने भी अपने कुछ फैसलों में इसे स्पष्ट किया है। अगर किसान, अन्नदाता के रूप में सेना के काफिले, एम्बुलेंस और ऑफिस आने-जाने वाले लोगों के रास्ते बंद करने लगा तो इससे वह क्या हासिल कर लेगा?
ये किसान नेता एक ही मुद्दे पर अड़े हुए हैं: तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करो। केंद्र ने सभी किसान नेताओं के साथ 11 दौर की बातचीत की। फिर भी किसान नेताओं का आरोप है कि सरकार ने बातचीत के लिए अपने दरवाजे बंद कर लिए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि उनके दरवाजे बातचीत के लिए खुले हैं, और वह तीनों कानूनों पर क्लॉज-बाइ-क्लॉज चर्चा करने के लिए तैयार हैं, और अगर कोई गलती है तो सरकार उसे सुधारने के लिए भी तैयार है। लेकिन किसान नेताओं की शर्त है कि पहले कानून रद्द करो फिर बात करेंगे। अब अगर कानून ही रद्द हो गए तो फिर बात किस पर होगी?
सुप्रीम कोर्ट ने कृषि विशेषज्ञों की एक समिति नियुक्त की, लेकिन किसान नेताओं ने समिति से बात करने से इनकार कर दिया। किसान नेताओं ने एक तरफ तो केंद्र और सुप्रीम कोर्ट, दोनों के प्रस्तावों को ठुकरा दिया और दूसरी तरफ किसानों के दमन का झूठा आरोप लगाया। केंद्र ने 10 महीने से भी ज्यादा समय से धरने पर बैठे किसी भी प्रदर्शनकारी किसान के खिलाफ पुलिस बल का प्रयोग नहीं किया।
किसान आंदोलन की आड़ में राष्ट्रविरोधी तत्व गणतंत्र दिवस पर ऐतिहासिक लाल किले तक पहुंच गए थे और वहां तिरंगे का अपमान किया था। सोमवार को भी कई किसान प्रदर्शनकारियों को खतरनाक तरीके से लाठी-डंडों का इस्तेमाल करते हुए देखा गया। पुलिस ने अधिकतम संयम बरता। सरकार ने ऑफर किया था कि वह नए कृषि कानूनों को सस्पेंड करने के लिए तैयार है, लेकिन किसान नेताओं ने इसे भी खारिज कर दिया।
लंबे समय से धरने पर बैठे कई किसानों की ठंड, खराब मौसम, कोविड और अन्य कारणों से दुखद मौत हुई है। इन मौतों को टाला जा सकता था, लेकिन ये भी देखना पड़ेगा कि उसके लिए जिम्मेदार कौन है।
और फिर धरने पर बैठे किसानों और उनमें से कुछ की जान जाने की तस्वीरों और वीडियो को पूरी दुनिया में दिखाया जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हाल की अमेरिका यात्रा के दौरान तथाकथित किसान समर्थकों द्वारा वॉशिंगटन और न्यूयॉर्क में विरोध प्रदर्शन किए गए। उनका असली मकसद नरेंद्र मोदी को बदनाम करना था। क्या यह स्वीकार्य है?
जब हमारे देश के प्रधानमंत्री व्हाइट हाउस में जो बायडेन के साथ महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा कर रहे थे, ये प्रदर्शनकारी अमेरिकी राष्ट्रपति को ट्वीट भेज रहे थे, और उनसे मोदी के साथ किसानों के आंदोलन के मुद्दे को उठाने के लिए कह रहे थे। उनके ट्वीट्स का किसी ने संज्ञान नहीं लिया। लेकिन इस तरह की हरकतों से ये पता चलता है कि किसान आंदोलन के पीछे असली मकसद क्या है। मकसद है दुनिया की नजरों में भारत की छवि खराब करना, किसी भी तरह मोदी को शर्मसार करना। किसी भी सूरत में इन विरोधियों का मकसद किसानों का भला करना नहीं हो सकता। भारत में मोदी का विरोध करने वाले लोग किसान नेताओं के कंधों का इस्तेमाल पीएम पर निशाना साधने के लिए कर रहे हैं। बीजेपी का विरोध करने वाले विपक्षी नेता किसान आंदोलन का इस्तेमाल अपने राजनीतिक स्वार्थ के लिए कर रहे हैं।
Will obstructing army convoys during Bharat Bandh help the cause of farmers?
The ten-hour Bharat Bandh call given by farmers’ organizations crippled normal life in Punjab and Kerala, and hit millions of commuters in western UP, Haryana and Delhi on Monday. There were massive traffic snarls on Delhi-Gurugram border, while farmers closed all lanes of Delhi-Meerut Expressway at UP Gate for nearly ten hours. There were traffic jams at Delhi’s Chilla border, DND flyway and other entry-exit routes, while the entire stretch from Delhi to Kaushambi and Vaishali remained choked throughout the day.
The worst part was that even army convoys and ambulances were not spared by the protesters. In my prime time show ‘Aaj Ki Baat’ on Monday night, we showed how in Jalandhar, Samyukta Kisan Morcha protesters blocked the six-lane highway by setting up tents after allowing traffic for a few hours on three lanes. Half of the army convoy that was passing through Jalandhar, crossed the highway, but the remaining army convoy was blocked by farmer leaders. Protesters blocked the army convoy by parking tractors in front of them. They did not listen to pleas from army jawans to allow them to proceed to take part in a war exercise near the border.
This incident occurred at around 8.30 am near PAP Chowk, Jalandhar. An army officer of Lt. Col. Rank tried to persuade farmer leaders sitting on the highway, but to no avail. Instead, the farmer leaders told the army officer to go through the three farm laws enacted by the Centre. When the army officer pointed out that the convoy was going to take part in war exercises near the border, one of the farmer leaders said, “you take part in war exercise daily, at least spare a day and join our exercise (protest) here”.
After half an hour of wrangling, and phone calls from leaders in Delhi, the rest of the army convoy was allowed to pass. It was really a shameful incident, particularly at a time, when the nation is facing challenges on its borders with Pakistan and China. The strangest part was that Bharatiya Kisan Union chief Rakesh Tikait told India TV that the farmers were not obstructing, “they were asking the army officer about the situation on the border”. Tikait was not only condoning, but defending the action of the protesters.
Not only the army convoy, but millions of common people faced ordeals due to traffic obstructions. On the Mumbai-Ahmedabad highway on Monday, there was a 15 to 20 km long traffic jam. India TV reporter Rajiv Kumar noticed an emergency ambulance stuck in the snarl on Mumbai-Thane-Navi Mumbai route for more than two hours. The ambulance was supposed to reach a hospital for a heart transplant case at 9 am. Similar case of ambulance stuck in traffic jam was noticed in Palwal, Haryana.
The 16-lane Gurugram-Delhi highway was chock-a-bloc with thousands of cars from both sides trying to proceed at a snail’s pace. Thousands of officegoers had to face travails because of traffic snarls. Similar scenes were witnessed at Ghaziabad and Noida borders with Delhi, as most of the vehicles were diverted from the highways.
On one hand, thousands of commuters were caught in traffic jams, and on the other hand, BKU chief Rakesh Tikait spent his time sipping tea and having his breakfast. Tikait was seen telling mediapersons that the Morcha had already told people to take a day’s off on Monday, clubbing with weekend holidays, for a three-day recreation.
State governments in Kerala, Punjab and Maharashtra gave indirect support to the protesting farmers in order to make the bandh a “success”, but the fact remains, that apart from a few states, life in most parts of India was not at all disrupted by Bharat Bandh. 25 trains had to be cancelled after protesters squatted on railway tracks in some parts of India. In Kozhikode, Kerala, supporters of ruling CPI(M) trade union CITU went on a rampage inside the office of a broadband company, beat up staffers and ransacked the entire office. Reason: the office was open despite a bandh call.
Farmers have the right to stage peaceful protests, but they do not have the right to subject common people to harassment. This has been clarified even by the Supreme Court in some of its judgments. If farmers, as ‘annadatas’ (providers of food) start obstructing army convoys, ambulances and commuters going to offices, what are they going to achieve?
The farmer leaders are adamant over one issue: repeal all the three farm laws. The Centre carried out 11 rounds of discussions with all farmer leaders. Yet, farmer leaders allege that the government has closed its door for talks. Prime Minister Narendra Modi had said that his doors were open for talks, and he was ready to discuss all the three laws, clause-by-clause, and if any amendments were needed, the Centre was ready. But farmer leaders are stuck with their only stand: first withdraw all the three laws, then we will go for talks. If the laws are repealed, then where is the scope for fresh rounds of talks?
The Supreme Court appointed a committee of farm experts, but the farmer leaders refused to talk to the committee. The farmer leaders rejected offers from both the Centre and the Supreme Court, and on the other hand, made false allegations of farmers being subject to oppression. The Centre did not use police force against any of the protesting farmers, sitting on dharna since more than 10 months.
Behind the façade of farmers’ agitation, anti-national elements marched up to the historic Red Fort on Republic Day and insulted our national flag. Even on Monday, several farm protesters were seen using lathis menacingly. Police exercised maximum restraint. The Centre even offered to suspend the new farm laws, which was rejected by farmer leaders.
Many farmers have died because of cold, bad weather, Covid and other causes, while sitting on a prolonged dharna. These deaths could have been avoided. But we should find out who are the persons responsible for causing this situation.
Moreover, images and videos of farmers sitting on dharna, and some of them dying, are being flashed across the world. Protests, by so-called farmer supporters, were held in Washington and New York, during the Prime Minister’s recent visit. The main aim was to defame India and Narendra Modi. Is this acceptable?
At a time when our Prime Minister was discussing critical issues with US President Joe Biden, these protesters were sending tweets to the US President, asking him to raise the farmers’ agitation issue with Modi. Nobody took notice of these tweets. But such acts reveal the real aim behind the farmers’ agitation. The aim is to tarnish India’s image in the world’s eyes, embarrass Modi and in any case, the objective of such naysayers could never be for the betterment of Indian farmers. Those opposing Modi in India are using the shoulders of farmer leaders to attack the PM. Anti-BJP opposition leaders are using the farmers’ agitation for their own political ends.
पीएम मोदी ने कैसे दुनिया भर में भारत का मान बढ़ाया
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिका के राष्ट्रपति जो बायडेन के साथ अपनी पहली व्यक्तिगत मुलाकात की। व्हाइट हाउस के ओवल ऑफिस में यह मुलाकात पहले से निर्धारित थी और इसके लिए एक घंटे का वक्त तय किया गया था। लेकिन जब दोनों नेता मिले तो यह मुलाकात 90 मिनट से ज्यादा समय तक चली।
इस मीटिंग के बाद भारत और अमेरिका की तरफ से एक संयुक्त बयान जारी किया गया जिसमें दोनों नेताओं की ओर से कहा गया कि, अमेरिका और भारत वैश्विक आतंकवाद के खिलाफ साझा लड़ाई में एक साथ खड़े हैं, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद प्रस्ताव (UNSCR) 1267 प्रतिबंध समिति द्वारा प्रतिबंधित समूहों सहित सभी आतंकवादी समूहों के खिलाफ ठोस कार्रवाई करेंगे। इसके साथ ही 26/11 मुंबई हमलों के अपराधियों को न्याय के कटघरे में लाने का आह्वान किया गया।
सूत्रों के मुताबिक, ‘दोनों नेताओं ने छद्म आतंकवाद की निंदा की और आतंकवादी समूहों को साजोसामान, वित्तीय या सैन्य सहयोग न देने पर जोर दिया जिसका इस्तेमाल आतंकवादी हमले करने या उसकी योजना बनाने में किया जा सकता है।’ मोदी और बायडेन के बीच द्विपक्षीय वार्ता के दौरान काउंटर टेररिज्म पर ज्यादा जोर था। वहीं, अफगानिस्तान में पाकिस्तान द्वारा निभाई गई नुकसानदेह भूमिका और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को इस पर संज्ञान लेने की जरूरतों पर भी दोनों देशों के बीच सहमति बनी।
विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला, जो कि इस द्विपक्षीय वार्ता के समय वहां मौजूद थे, ने कहा ‘पाकिस्तान जो अपने आप को एक सूत्रधार (अफगानिस्तान में अमेरिका के लिए) के रूप में पेश कर रहा है, कई मायनों में उन समस्याओं को पैदा करने वाला है जिससे हम अपने पड़ोस में निपट रहे हैं।’
श्रृंगला ने कहा कि पीएम मोदी और राष्ट्रपति बायडेन के बीच भारत-अमेरिका द्विपक्षीय बैठक और ऑस्ट्रेलिया, भारत, जापान तथा अमेरिका के क्वाड शिखर सम्मेलन दोनों के दौरान अफगानिस्तान में पाकिस्तान की भूमिका पर और सावधानीपूर्वक नजर रखने पर बात हुई। उन्होंने कहा, ‘दोनों चर्चाओं में यह बात स्पष्ट रही कि अफगानिस्तान में पाकिस्तान की भूमिका पर और सावधानीपूर्वक नजर रखी जाए।’ हालांकि उन्होंने इस पर विस्तार से कुछ नहीं बताया।
क्वाड शिखर सम्मेलन में पीएम मोदी ने कहा कि यह ग्रुप ‘दुनिया की भलाई के लिए एक शक्ति’ के तौर पर काम करेगा। साथ ही ये भी घोषणा की गई कि भारत अगले महीने (अक्टूबर) से कोरोना वैक्सीन का निर्यात फिर से शुरू करेगा। भारत अक्टूबर के अंत तक 80 लाख जैनसेन कोरोना वैक्सीन की डोज उपलब्ध कराएगा, जिसका निर्माण भारतीय कंपनी बायोलॉजिकल ई द्वारा क्वाड वैक्सीन इनीशिएटिव के तहत किया जाएगा। भारत इस पहली खेप के 50 प्रतिशत हिस्से का फाइनैंस खुद करेगा।
क्वाड देशों ने COVAX के माध्यम से फाइनैंस की जानेवाली वैक्सीन के अलावा वैश्विक स्तर पर 1.2 बिलियन से ज्यादा वैक्सीन डोज दान करने का संकल्प लिया। पीएम मोदी ने एक कॉमन अंतरराष्ट्रीय यात्रा प्रोटोकॉल का प्रस्ताव रखा जिसमें कोविड वैक्सीनेशन सर्टिफिकेट को मान्यता देना भी शामिल था। इस प्रस्ताव की क्वाड के नेताओं ने खूब सराहना की। जापान भारत के साथ मिलकर कोरोना वैक्सीन और दवाओं से जुड़े भारतीय हेल्थकेयर सेक्टर में 100 मिलियन डॉलर के निवेश को बढ़ाने का काम करेगा।
पीएम मोदी और बायडेन की द्विपक्षीय वार्ता का मुख्य फोकस चीन था। अमेरिका के राष्ट्रपति ने हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन की तरफ से पेश चुनौती का जिक्र किया। हालांकि क्वाड के संयुक्त बयान में चीन का खुले तौर पर नाम नहीं लिया गया, लेकिन क्वाड नेताओं के बीच चीन की हरकतों और क्षमताओं को लेकर एक समझ नजर आ रही थी।
चीन की कम्युनिस्ट पार्टी द्वारा समर्थित अखबार ग्लोबल टाइम्स ने अपने संपादकीय में क्वाड देशों को चेतावनी दी थी कि अगर वे ‘चीन का मुकाबला करने के लिए अमेरिका के साथ मिलकर हद से आगे बढ़ेंगे तो वह उन्हें दंडित करने में कोई संकोच नहीं करेगा। ग्लोबल टाइम्स ने इस संपादकीय को व्हाइट हाउस में मोदी-बायडेन की मीटिंग की पूर्व संध्या पर प्रकाशित किया था।
अखबार ने अपने संपादकीय में कहा, ‘अमेरिका क्वाड और AUKUS को चीन पर लगाम कसने वाले कुटिल गिरोहों में बदलने का इरादा रखता है। हम अन्य क्षेत्रीय देशों से अपील करते हैं कि वे वॉशिंगटन के बहकावे में न आएं। उन्हें चीन के खिलाफ अमेरिका के भू-राजनीतिक प्यादे या वॉशिंगटन के लिए बलि का बकरा बनने से इनकार कर देना चाहिए।’ संपादकीय का लहजा साफ तौर पर राष्ट्रपति शी जिनपिंग की सरकार के मूड को दर्शाता है। भारत, जापान और ऑस्ट्रेलिया के अमेरिका के करीब आने से चीन चिढ़ा हुआ है। दूसरी ओर, अफगानिस्तान में सत्ता हथियाने के लिए तालिबान की मदद करने और उसे उकसाने में पाकिस्तान की भूमिका के विश्व शक्तियों के संज्ञान में आने के बाद उसे अमेरिका ने बुरी तरह से खारिज कर दिया है। प्रधानमंत्री इमरान खान अभी तक राष्ट्रपति जो बायडेन से मुलाकात नहीं कर पाए हैं।
वहीं दूसरी तरफ, 135 करोड़ भारतीयों के नेता के रूप में प्रधानमंत्री मोदी की व्हाइट हाउस में राष्ट्रपति जो बायडेन के साथ हुई मीटिंग ने दुनिया भर की बड़ी शक्तियों का ध्यान आकर्षित किया है। गले लगाने के इरादे से एक-दूसरे के पास आने की बायडेन और मोदी की तस्वीरों और वीडियो ने साफ तौर से अमेरिकी नीति निर्माताओं के बीच भारत के रूतबे और बढ़े हुए कद का सबूत है। अन्य पूर्व भारतीय प्रधानमंत्रियों की वॉशिंगटन यात्राओं के दौरान अब तक ऐसा देखने को नहीं मिला था।
मोदी इससे पहले 2014 और 2016 में दो बार बायडेन से मिल चुके हैं। उस समय बायडेन अमेरिका के उपराष्ट्रपति हुआ करते थे। दोनों नेताओं के बीच संबंध हमेशा सौहार्दपूर्ण रहे हैं। जब बराक ओबामा अमेरिका के राष्ट्रपति थे, तब मोदी 4 बार अमेरिका गए थे। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ मोदी के काफी अच्छे रिश्ते रहे हैं। मोदी ने खुद 2019 में मेरे शो ‘सलाम इंडिया’ में इस बात का जिक्र किया था कि कैसे राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने उन्हें अमेरिकी इतिहास के मशहूर लम्हों की एक झलक दिखाने के लिए खुद पूरा व्हाइट हाउस घुमाया था।
शुक्रवार को, बायडेन ने भारत-अमेरिका संबंधों में एक नया अध्याय शुरू किया और दोनों देशों के सामने कुछ सबसे कठिन चुनौतियों का सामना करने के लिए, जिनमें कोविड महामारी और एक आक्रामक विश्व शक्ति के रूप में चीन के उभार का खतरा शामिल हैं, इन संबंधों को और अधिक ऊंचाइयों पर ले जाने का वादा किया। दोनों नेताओं ने किसी अन्य देश का जिक्र करने से परहेज किया, लेकिन उनका फोकस साफ था। बायडेन ने भारत में पूर्वजों के बारे में एक पुरानी कहानी दोहराता हुए कहा कि उन्होंने सुना है कि मुंबई में 5 बायडेन हुआ करते थे। उन्होंने कहा, ‘मजाक से हटकर बात की जाए तो भारत और अमेरिका के बीच संबंधों को मजबूत और घनिष्ठ होना ही है।’
अमेरिकी राष्ट्रपति के साथ मोदी की द्विपक्षीय वार्ता, और क्वाड चौकड़ी के बीच सबसे पुराने नेता के रूप में उनकी भागीदारी ने एक बात को रेखांकित किया है: कि भारत उपमहाद्वीप की भूराजनीति पर हावी है, और अमेरिका भारत के साथ द्विपक्षीय संबंधों को एक उच्च स्तर पर ले जाने की जरूरत को समझता है। पाकिस्तान, जो कि अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे के बाद दुनिया के सामने अपना प्रभाव फैला रहा था, अब एक मुश्किल विकल्प का सामना कर रहा है: उसे यह तय करना है कि वह किसकी तरफ जाएगा- अमेरिका या चीन? अफगानिस्तान में 2 दशकों तक अमेरिकी सेना के ‘सहयोगी’ के रूप में मदद करने के बाद अब सच्चाई सबके सामने आ गई है। पाकिस्तान ने ही पूरे तालिबान नेतृत्व को पनाह दी, तालिबान के लड़ाकों को ट्रेनिंग दी, और अमेरिकी सेना की वापसी के बाद जब तालिबान ने अफगानिस्तान की सत्ता संभाली तब उसकी पूरी मदद की और उसे बढ़ावा दिया था।
अमेरिका अब अब यह बात मानता है कि भारत दुनिया के सबसे अधिक आबादी वाले लोकतंत्र के रूप में, एक बड़ी ताकत है जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। भारत को विश्व भू-राजनीति के केंद्र में लाने का श्रेय अपने पिछले 7 सालों के शासन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा किए गए अथक प्रयासों को जाता है। अमेरिका ने महसूस किया है कि भारत के पास ज्ञान की शक्ति का एक विशाल भंडार है, जिसकी अमेरिकी उद्योग को आवश्यकता है। भारत टीकों का दुनिया का सबसे बड़ा निर्माता है, और भारतीय कंपनियां पूरी दुनिया में अपनी मौजूदगी को जाहिर कर रही हैं। भारत को अब और नजरअंदाज करना मुश्किल है। इसके अलावा, भारत में एक अरब से ज्यादा उपभोक्ता हैं, जो कि अमेरिकी निवेश के लिए एक मौके की तरह हैं।
मुझे याद है कि जब मोदी अभी प्रधानमंत्री नहीं बने थे, तो सबसे ज्यादा सवाल उनकी विदेश नीति की क्षमता को लेकर खड़े किए गए थे। किसी ने कहा कि एक ‘चायवाला’ दूसरे देशों के राष्ट्राध्यक्षों से कैसे बात करेगा, किसी ने कहा कि वह गुजरात के अलावा कुछ नहीं जानते तो विदेश नीति कैसे चलाएंगे। कुछ लोगों ने सवाल किया कि क्या ओबामा उन्हें अमेरिका जाने के लिए वीजा देंगे। पिछले 7 सालों में मोदी ने इन सभी विरोधियों को पूरे विश्वास के साथ करारा जवाब दिया है।
लगातार 3 अमेरिकी राष्ट्रपतियों बराक ओबामा, डोनाल्ड ट्रंप और जो बायडेन ने जिस तरह से मोदी का व्हाइट हाउस में स्वागत किया, उससे हर भारतीय का सिर गर्व से ऊंचा हो गया। मोदी ने अपनी व्यावहारिक राजनीति और व्यक्तिगत केमिस्ट्री से दुनिया के नेताओं को चौंका दिया है। यह देखकर अच्छा लगता है कि विदेश में रहने वाले भारतीय मोदी की इसलिए जमकर तारीफ करते हैं कि उन्होंने भारतीय प्रधानमंत्री के कद को ऊंचाई दी है।
मोदी की लगातार विदेश यात्राओं के ने विदेश में रहने वाले भारतीयों को उन देशों के लोगों की नज़र में इज्जत बढ़ाई है। मोदी आज दुनिया के सबसे लोकप्रिय राजनेताओं में से एक हैं। वह बार-बार कहते हैं कि उन्हें यह दर्जा इसलिए मिला है क्योंकि भारत की 135 करोड़ जनता उनके पीछे है।
How Modi has enhanced India’s stature across the world
Prime Minister Narendra Modi completed his successful Washington visit with his first in-person meeting with US President Joe Biden which went on at the Oval Office of White House for more than 90 minutes instead of the scheduled one hour meet.
In a joint India-US statement released after the meeting, the two leaders reaffirmed that “the US and India stand together in a shared fight against global terrorism”, will take concerted action against all terrorist groups, including groups proscribed by UN Security Council 1267 Sanctions Committee, and called for “the perpetrators of 26/11 Mumbai attacks to be brought to justice”.
The two leaders “denounced any use of terrorist proxies and emphasized the importance of denying any logistical, financial or military support to terrist groups, which could be used to launch or plan terror attacks.” During bilateral talks between Modi and Biden, counter-terrorism was a focus area, and the pernicious role played by Pakistan in Afghanistan, and the need for international community to be cognizant of this, found resonance with US interlocutors, said top sources accompanying the Prime Minister.
Foreign Secretary Harsh Vardhan Shringla, who was present during the bilateral talks, said, “Pakistan, which has been projecting itself as a facilitator (for the US in Afghanistan), has been in many senses an instigator of some of the problems that India has been dealing with in its neighbourhood.”
Shringla said, both during the Modi-Biden bilateral meeting and at the Quad summit comprising leaders of India, US, Japan and Australia, “there was a clear sense of a more careful look, examination and monitoring of Pakistan’s role in Afghanistan.” He did not elaborate.
At the Quad summit, Modi said, the group will act as “a force for global good”. It was announced that India will resume Covid vaccine exports from next month (October). India with make available 8 million Janssen Covid vaccine doses by October end, to be manufactured by Indian company Biological E, under the Quad vaccine initiative. India will finance 50 per cent of this first consignment.
Quad countries pledged to donate more than 1.2 billion vaccine doses globally, in addition to the doses financed through COVAX. Modi proposed a common international travelling protocol involving mutual recognition of Covid vaccination certificate, which was well received by other leaders. Japan will work with India to enhance key investments of $100 million in Indian healthcare sector relating to vaccines and Covid treatment drugs.
The major focus at the Modi-Biden bilateral talks and Quad summit, was on China, with the US President referring to challenged posed by China in the Indo-Pacific region. Although the Quad joint statement did not mention China by name, there was a sense of realism among Quad leaders about China’s actions and capabilities.
Already a Chinese Communist Party-backed newspaper Global Times in its editorial has warned Quad nations that it “would not hesitate to punish them”, if they “followed the US too far in confronting China”. The editorial came just on the eve of Modi-Biden meeting in the White House.
It said, “The Us intends to turn the Quad and AUKUS into sinister gangs containing China…We appeal to other regional countries not to be fooled by Washington. They should refuse to be geopolitical pawns of the US against China, or to become cannon fodders of Washington.” The tone of the editorial clearly indicates the mood in President Xi Jinping’s government. China is irked over India, Japan and Australia coming closer to the US. On the other hand, Pakistan has been badly snubbed by the US after its role in aiding and abetting Taliban to seize power in Afghanistan has come to the notice of world powers. Prime Minister Imran Khan is yet to get an appointment with President Joe Biden.
On the other hand, as the leader of 135 crore Indians, Prime Minister Modi’s meeting with President Joe Biden at the White House has attracted the notice of big powers across the world. Images and videos of Biden and Modi approaching each other with an intent to hug, have clearly established the tremendous hike in India’s reputation among US policy makers, hitherto unnoticed during other former Indian prime ministers’ visits to Washington.
Modi had earlier met Biden twice, in 2014 and 2016, when the latter was US Vice President, and their relationship has always been cordial. When Barack Obama was US President, Modi visited the US four times. Modi’s relationship with former US President Donald Trump has been legendary. Modi had himself mentioned in my show ‘Salaam India’ in 2019, how President Donald personally took him on a tour of the White House to give glimpses into famous moments in US history.
On Friday, Biden launched a new chapter in India-US ties and promised to take them to greater heights in the face of some of the toughest challenges being faced by both countries – Covid pandemic and the danger from China emerging as an aggressive world power. Both leaders avoided any mention of third countries, but their focuses were clear. Biden repeated an old apocryphal story about having ancestors in India, and that he had heard there were five Bidens in Mumbai. He said, “all kidding aside, relations between India and the US…are destined to be stronger and closer.”
Modi’s bilateral talks with the US President, and his participation as the oldest leader among the Quad quartet, has underlined one thing: that India continues to dominate the geopolitics of the subcontinent, and the US recognizes the need to take bilateral ties with India to a higher level. Pakistan, which had been crowing before the world that its influence has spread after the Taliban takeover in Afghanistan, is now facing a hard option: it has to decide which side to take – the US or China? After helping the US forces as “facilitator” for two decades in Afghanistan, the truth has now come out in the open. It is Pakistan which was keeping the entire Taliban leadership hidden under its wings, was training Taliban recruits, and fully aided and abetted the Taliban, when it took power in Afghanistan after the US troop withdrawal.
The US now acknowledges that India, as the world’s most populous democracy, is a major power which cannot be ignored. The credit for bringing India to the centre stage of world geopolitics goes to the untiring efforts of Prime Minister Narendra Modi in the last seven years of his rule. The US has realized that India has a huge storehouse of knowledge power, required by US industry, it is the world’s largest manufacturer of vaccines, and Indian companies are already making their present felt across the globe. India can no more be ignored. Moreover, India provides a huge billion plus base of consumers, ripe for US investments.
I remember, when Modi was yet to become the PM, there were questions being asked about how he would handle intricacies of diplomacy, given his background as a “chaiwallah”. Modi was projected as a leader who only knew about Gujarat. Some questioned whether Obama would give him the visa to visit the US. In the last seven years, Modi has replied to all these naysayers with full confidence.
The manner in which three consecutive US Presidents, Barack Obama, Donald Trump and Joe Biden, welcomed Modi to the White House has made every Indian raise his head with pride. Modi has stunned world leaders with her realpolitik mixed with personal chemistry. It is nice to watch Indians living abroad praising Modi for the big stature that he has provided to an Indian prime minister.
Because of Modi’s frequent foreign visits, Indians living in those countries have gained respect in the eyes of people of the countries they live in. Modi today stands in the front ranks of world’s most popular statesmen. He admits that he has acquired this status because of the solid backing that he received from 135 crore Indians in his homeland.
भारतीय सेना के जवानों को हनीट्रैप में फंसाने के लिए पाकिस्तानी लड़कियों को दी जा रही है ट्रेनिंग
पाकिस्तान की जासूसी एजेंसी आईएसआई सोशल मीडिया के ज़रिए भारतीय सेना के जवानों को हनीट्रैप में फंसाने की कोशिश कर रही हैं। भारतीय सेना की सीक्रेट जानकारी हासिल करने के लिए बड़ी संख्या में लड़कियों को बहाल किया गया है। कराची और रावलपिंडी में बैठी लड़कियां हनीट्रैप के जरिए यहां की खुफिया जानकारी हासिल करने की कोशिश में जुटी हैं। इसलिए हर देशवासी को अलर्ट रहने की जरूरत है। अपने प्राइम टाइम शो ‘आज की बात’ में हमने गुरुवार की रात आपको कराची, हैदराबाद और रावलपिंडी में बैठी पाकिस्तानी लड़कियों के वीडियो और चैट दिखाए। इन वीडियो और चैट के जरिए ये लड़कियां खुद को भारतीय बताकर सेना के जवानों, सैन्य प्रतिष्ठानों, सैन्य गतिविधियों और मिसाइल प्रक्षेपण स्थल से जुड़ी संवेदनशील जानकरी हासिल करने की कोशिश करती हैं।
आईएसआई की इस प्लानिंग को लेकर भारतीय सेना के हर जवान और उसके परिवार के सदस्यों को अलर्ट रहना चाहिए। इस बात को लेकर बेहद अलर्ट रहना चाहिए कि वे व्हाट्सएप, फेसबुक और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर किसके साथ चैट कर रहे हैं। यह सब पाकिस्तानी सेना की एक बड़ी साजिश का हिस्सा मालूम पड़ता है जो हमारे सैन्य प्रतिष्ठानों, सेना की प्लानिंग के बारे में सोशल मीडिया के जरिए सीक्रेट जानकारी हासिल करने की कोशिश कर रही है।
आईएसआई ने ऐसे कई कॉल सेंटर बनाए हैं जहां से पाकिस्तानी लड़कियां हिन्दू बनकर सोशल मीडिया के जरिए भारतीय सेना के जवानों को लुभाने की कोशिश करती हैं। इस खतरनाक गेम को अंजाम देने के लिए आर्टीफीशियल इंटैलीजेंस और इंटरनेट का इस्तेमाल किया जा रहा है।
मेरे पास इस खतरनाक साजिश के सबूत के दौर पर कई वीडियो और ऑडियो हैं जिससे पता चलता है कि पाकिस्तान में बैठी ये लड़कियां कैसे जासूसी एजेंसी के लिए काम करती हैं। सबसे पहले ये लड़कियां सोशल मीडिया पर नकली प्रोफाइल बनाती हैं और खुद को भारतीय सेना के जवानों की महिला रिश्तेदार के तौर पर पेश करती है। माथे पर बिंदी लगाकर, हाथ में कलावा बांध कर और मंगल-सूत्र पहन कर ये अपनी फोटो प्रोफाइल पर लगाती हैं। इनके बैकग्राउंड में गांधी या फिर हिंदू देवी-देवताओं की तस्वीर होती है। ये लड़कियां बिल्कुल पारंपरिक भारतीय कपड़े पहनती हैं ताकि किसी भी तरह से इनके पाकिस्तानी होने का शक न हो। इससे पहले कि सामने वाले को कोई शक हो ये महिला जासूस छल, छद्म, सौंदर्य को हथियार बनाकर फौज और देश की रक्षा से जुड़ी अहम जानकारियां हासिल कर लेती हैं।
पाकिस्तान की इंटेलिजेंस एजेंसी आईएसआई द्वारा शुरू किए गए ‘ऑपरेशन हैदराबाद’ के तहत पाकिस्तान में दो कॉल सेंटर बनाए गए हैं और वहां लड़कियों को बहाल किया गया है। एक कॉल सेंटर हैदराबाद में है और दूसरा रावलपिंडी में। आईएसआई ने लड़कियों को डेटा माइनिंग के काम में लगाया है। इसमें उन प्रोफाइल्स को सर्च किया जाता है जिसमें आर्मी से जुड़े लोग हों। इसके लिए कुछ कीवर्ड्स डालकर पहले सेना के लोगों की पहचान की जाती है। कई बार तो फौजियों के हेयर कटिंग के स्टाइल से ही उन्हें पहचान लिया जाता है और उनसे संपर्क करने की कोशिश होती है। एक-एक लड़की रोजाना कम से कम 50 प्रोफाइल हैंडल करती है। इंडिया टीवी के रिपोर्टर राजेश कुमार और डिफेंस एडिटर मनीष प्रसाद ने सेना के सूत्रों से इन वीडियो और चैट को वेरिफाई किया। ये वीडियो और चैट पूरी तरह वेरिफाइड और ऑथेंटिकेटेड हैं।
इन लिंक्स को डिकोड करने वाली मिलिट्री इंटेलिजेंस के मुताबिक, लड़कियां अपना नाम और पहचान बदलकर फौज से जुड़े शख्स या उसके रिश्तेदार को वीडियो कॉल्स करती हैं। पहले उसकी पर्सनल लाइफ के बारे में जानने की कोशिश करती हैं। धीरे-धीरे नजदीकियां बढ़ाने की कोशिश की जाती है। इस दौरान कई बार इंटिमेट बातें की जाती हैं। सीक्रेट जानकारी हासिल करने से पहले वो वीडियो कॉल और चैट पर काफी समय बिताती हैं। जब सामने वाले शख्स को यह अहसास हो जाता है कि लड़की जेनुइन है तो फिर धीरे-धीरे सीक्रेट जानकारियां हासिल करने का खेल शुरू हो जाता है।
‘आज की बात’ में हमने आपको एक ऐसी ही पाकिस्तानी लड़की के बारे में दिखाया जिसका कोड नेम पूजा राजपूत है। यह सिंध प्रांत के हैदराबाद से ऑपरेट करती है। इसने खुद को मिलिट्री नर्सिंग सर्विस में काम करने वाली बताया है और भारत में सिक्योरिटी पर्सनल्स और दूसरे टारगेट्स को निशाना बनाने की कोशिश करती है। चैट के दौरान शुरुआती मजाक, चुटकुलों और हल्की नोंकझोंक के बाद पर्सनल लाइफ की बात करती थी और उसकी समस्याओं को सुनकर अपने टारगेट को भरोसे में लेने की कोशिश करती थी। अक्सर हवाला के जरिए या बैंक खाते से पैसे ट्रांसफर करके पैसे की पेशकश करती थी। इस दौरान लड़की का व्यवहार ऐसा रहता था ताकि किसी को यह पता नहीं चले कि वह भारतीय हिंदू लड़की नहीं बल्कि एक पाकिस्तानी है।
मिलिट्री इंटेलिजेंस ने इन वीडियो कॉल और चैट के लिए कई आईपी एड्रेस की लोकेशन पाकिस्तान में ढूंढी है। नेहा शर्मा, संजना जोशी, सोनिया पटेल, अन्या शर्मा, प्रियांशी राजपूत, टीना अग्रवाल, सृष्टि दीक्षित (सभी हिंदू लड़कियों के नाम) के नाम से फर्जी प्रोफाइल बनाई गई है। आर्मी कमांडर की विजिट, संवेदनशील जगहों की तस्वीरें और आर्मी कम्यूनिकेशन से जुड़ी जानकारी उनकी प्राथमिकता रहती है।
मैं आपको इस मामले का एक उदाहरण देता हूं। राजस्थान के बाड़मेर के एक कपड़ा व्यापारी जितेंद्र सिंह को हाल ही में बेंगलुरु में गिरफ्तार किया गया था। वह पाकिस्तान के लिए जासूसी कर रहा था और भारतीय सेना की वर्दी पहना करता था। इसी तरह जयपुर के एक रेलवे कर्मचारी भरत और राजस्थान के झुंझनू में गैस एजेंसी चलाने वाले संदीप को भी गिरफ्तार किया गया। इन तीनों आरोपियों द्वारा इस्तेमाल किए गए सेलफोन के कॉल डेटा रिकॉर्ड की जांच करने पर यह पाया गया कि ये लोग हैदराबाद और रावलपिंडी के फोन नंबरों पर पाकिस्तानी लड़कियों के संपर्क में थे। इनके सेलफोन से पाकिस्तानी लड़कियों की तस्वीरें भी बरामद की गईं।
ओडिशा पुलिस ने 15 सितंबर को बालासोर जिले के चांदीपुर में डीआरडीओ के इंटीग्रेटेड टेस्ट रेंज से चार कॉन्ट्रैक्ट वर्कर्स को जासूसी के आरोप में गिरफ्तार किया। वे हनीट्रैप का शिकार हो गए थे और विदेशी एजेंटों को सीक्रेट जानकारियां लीक कर रहे थे। क्राइम ब्रांच ने इस मामले की जांच अपने हाथ में ले ली है। इन चारों ने इस बात को स्वीकार किया है कि गिरफ्तार होने से पहले कई दिनों तक ये लोग यूपी की एक महिला के साथ व्हाट्सएप और फेसबुक पर चैट करते थे। इस मामले को राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) को सौंप दिया गया है। एनआईए उस महिला की प्रोफाइल की जांच कर रही है जिसके साथ ये लोग चैट करते थे। इन चारों पर मिसाइल मूवमेंट और आईटीआर में काम करने वाले वैज्ञानिकों के नाम के बारे में संवेदनशील जानकारी देने का आरोप है। पता चला है कि इन्हें कराची से ऑर्डर मिल रहे थे और ये लोग कराची स्थित आईएसआई एजेंट्स के संपर्क में थे।
कुछ मामलों में ये पाकिस्तानी लड़कियां ये कहती हैं कि वो हिंदुस्तानी तो हैं लेकिन अमेरिका या लंदन में मौजूद हैं इसलिए फिजिकली मिलना तो मुमकिन नहीं मगर वीडियो कॉल, व्हाट्स एप कॉल पर उपलब्ध हैं। इसी तरह एक और वीडियो का खुलासा हुआ। आईएसआई के लिए काम करनेवाली एक और लड़की ने खुद को इंडियन आर्मी का क्लर्क बताकर परिचय दिया था। इसने अपनी फेसबुक और इंस्टाग्राम प्रोफाइल पर अपना नाम इशानिका अहीर लिखा। और ये बताया कि वो इंडियन क्लर्क है और डेस्क जॉब करती है। कई चैट में तो बेहद अश्लीलता होती है जिसे दर्शकों से शेयर नहीं किया जा सकता।
इशानिका नाम की एक लड़की अलग-अलग पहचान का इस्तेमाल करते हुए एक बार में लगभग 50 टारगेट को संभाल रही थी। वह किसी के लिए इशानिका थी तो किसी के लिए नव्या चोपड़ा। सोशल मीडिया पर लड़की की तस्वीरें एक जैसी हैं। वह एक आईएसआई हैंडलर है जो मिलिट्री इंटेलिजेंस के अनुसार वेस्ट रिज रोड, रावलपिंडी में एक सेफहाउस के लिए काम करती है। हमारी इंटैलीजेंस एजेंसीज को इस बात के भी सबूत मिले है कि आर्मी के जवानों को लड़कियों के जाल में फंसाने के लिए आईएसआई के एजेंट्स ने हमारे देश में फर्जी टेलीफोन एक्सचेंज तक लगा दिए हैं। इंटरनेट कॉलिंग के जरिए इस साजिश को अंजाम दिया जा रहा है जिससे इन कॉल्स की लोकेशन को ट्रैस नहीं किया जा सके।
पंजाब पुलिस की एक काउंटर-इंटेलिजेंस टीम ने 13 सितंबर को लुधियाना से जसविंदर सिंह नाम के एक व्यक्ति को एक पाकिस्तानी लड़की के साथ संबंधों के आरोप में गिरफ्तार किया। उस लड़की ने खुद को बठिंडा की जसलीन बरार बताकर उससे दोस्ती की थी। लुधियाना के पुलिस आयुक्त ने कहा कि जसलीन बरार के रूप में पेश पाकिस्तानी लड़की ने जसविंदर द्वारा दिए गए एक ओटीपी का इस्तेमाल एक व्हाट्सएप नंबर को एक्टिवेट करने के लिए किया और कम से कम सात डिफेंस पर्सनल से बातचीत की।
सूत्रों ने बताया कि सेना के जवानों के फोन तक पहुंच बनाने के लिए आईएसआई के ये हैंडलर अपनी फर्जी तस्वीरों को डाउनलोड करने के लिए एक लिंक भेजते हैं और एक खास मालवेयर का इस्तेमाल करते हैं। जब इस लिंक पर क्लिक किया जाता है तो संबंधित शख्स के फोन का सभी डेटा खतरे की जद में आ जाता है। इसके बाद सभी गुप्त या संवेदनशील जानकारी, वीडियो या चैट आईएसआई हैंडलर को के पास चले जाते हैं या फिर इसे दूसरे शब्दों में कहें तो सॉफ्टवेयर क्लोनिंग हो जाती है।
आईएसआई भी अब डार्क नेट का इस्तेमाल कर रही है। भारतीय सेना ने 20 विशेष ईमेल आईडी शेयर कर अपने सभी कर्मियों को सतर्क कर दिया है। इसके साथ ही सभी यूनिट को स्पूफिंग का विवरण भेज दिया गया है। सेना ने सभी रैंकों को किसी भी संदिग्ध लिंक पर क्लिक न करने की चेतावनी दी है, नहीं तो उनके सेलफोन की सभी सूचनाएं लीक हो जाएंगी। सेना के जवानों से कहा गया है कि वे अपने परिवार के सदस्यों को भी अलर्ट करें, किसी अज्ञात लिंक पर क्लिक न करें। जवानों और अधिकारियों से कहा गया है कि वे सेना की वर्दी पहने लेकिन अपनी तस्वीरें सेलफोन या सोशल मीडिया पर अपलोड न करें।
हमने विषकन्याओं की कहानियां तो बहुत सुनी हैं। कौटिल्य (चाणक्य) के काल में जासूसी और दुश्मनों की हत्या के लिए ‘विषकन्या’ का इस्तेमाल किया जाता था। पाकिस्तान की जासूसी एजेंसी की तरफ से इस्तेमाल की जा रही पाकिस्तानी लड़कियां इसी श्रेणी में हैं। उन्हें इस बात की ट्रेनिंग दी जाती है कि कैसे सेना के जवानों को हनीट्रैप किया जाता है। मैं भारतीय मिलिटरी इंटेलीजेंस को बधाई देना चाहता हूं, जिन्होंने पाकिस्तानी फौज की इस खतरनाक साजिश को नाकाम कर दिया। इसके पहले भी कई बार पाकिस्तान की हर चाल को हमारी फोर्सेज ने हमारी इंटेलीजेंस ने नाकाम किया है। ये कोई हैरत की बात नहीं है कि पाकिस्तान अब इन्फॉर्मेशन हासिल करने के लिए बड़ी बेशर्मी से अपने यहां की लड़कियों का इस्तेमाल कर रहा है।
दुनिया में शायद ही कोई ऐसा मुल्क होगा जो अपने देश की लड़कियों को इतने बड़े पैमाने पर जासूसी के लिए इस्तेमाल करने में लगाता हो, लेकिन पाकिस्तान चाहे जो भी करे हमारे देश में फौज के लोगों को सावधान रहने की जरूरत है। और उससे भी ज्यादा उन लोगों को सावधान रहने की जरूरत है, जो किसी ना किसी तरीके से फौज के लोगों से जुड़े हैं। हमें ये सुनिश्चित करना होगा कि हमारे देश का कोई सीक्रेट, हमारी फौज की कोई इन्फॉर्मेशन चाहे वो छोटी हो या बड़ी, इस हनीट्रैप रैकेट के जरिए बाहर ना जाए। ये हम सबकी जिम्मेदारी है।
How ISI has trained Pakistani girls for laying honey traps in India
News about Pakistan’s spy agency ISI trying to use girls from Karachi and Rawalpindi to lay honeytraps for Indian army personnel through social media should make every Indian sit up and take notice. In my prime time show ‘Aaj Ki Baat’ on Thursday night, we showed videos and chats of how Pakistani girls sitting in Karachi, Hyderabad and Rawalpindi, are posing as Indian girls, to entice Indian army personnel to part with sensitive information about army installations, troop movements and missile launch sites.
News about this diabolical ISI plan should make every Indian army personnel and their family members alert. They should be careful about with whom they are chatting on WhatsApp, Facebook and other social media platforms. It all appears to be part of a large conspiracy of Pakistan army to use social media to ferret out secret information about our army installations and plans.
Pakistani spy agency ISI has set up dozens of call centres where Pakistani girls, posing as Indian Hindu girls, are trying to lure Indian army personnel through social media. Artificial intelligence tools and internet are being used for carrying out this dangerous game.
I have several videos and chats which show how these Pakistani girls are working for their spy agency. They create fake profiles, posing as female relatives of Indian army personnel, put bindi on their forehead and wear ‘kalava’ (sacred thread) on their wrists to pose as Hindus, and in the background, they put pictures of Gandhi or Hindu gods and goddesses to create a perfectly fake background. The female spies wear traditional dress worn by Hindu girls, so that there should not be a whiff of doubt about them being Pakistanis. Through guile, and using beauty and sexual chats as tools, these female spies ferret out secret information from defence personnel, even before the latter realize that they have parted with something very important.
In ‘Operation Hyderabad’ launched by ISI, girls have been recruited in Pakistan for this purpose at two call centres, one in Hyderabad and the other in Rawalpindi. They have been trained to do data mining, locating Indian defence personnel by typing key words. They even trace defence personnel through their typical army haircuts. A single girl handles more than 50 profiles in a day. India TV reporter Rajesh Kumar and Defence Editor Manish Prasad, got these videos and chats verified and authenticated from army sources.
According to Military Intelligence, which decoded these links, the girls carry on intimate chats with their targets and after taking the quarry into confidence, they spend much time before seeking secret information. Once the target’s confidence is gained, the female spies manage to collect highly confidential information.
In ‘Aaj Ki Baat’, we showed one such Pakistani girl, codenamed Pooja Rajput, operating from Hyderabad in Sindh province. Posing herself as a former nurse from Military Nursing Service, she used to contact Indian defence personnel. After initial humorous jokes and light banter during chats, the girl gradually takes the target into confidence, by offering to listen to his personal and family problems. She often used to offer money using hawala route or by simply transferring money from a bank account. She also offers material help to the target. The girl acts in such a manner that the target could never realize that she is a Pakistani, not an Indian Hindu girl.
Locations of several IP addresses for these chats have been traced to Pakistan by Military Intelligence. Fake profiles in the names of Neha Sharma, Sanjana Joshi, Sonia Patel, Anya Sharma, Priyanshi Rajput, Tina Agrawal, Srishti Dixit (all names of Hindu girls) are created. Their priorities include, collection of secret info about army commander’s visit, photos of sensitive locations, and army communications.
Let me illustrate one case. One Jitendra Singh, a garment trader from Barmer, Rajasthan, was arrested in Bengaluru recently. He was actually spying for Pakistan and used to wear an Indian army uniform. Similarly a railway employee Bharat from Jaipur, and Sandip, who runs a gas agency in Jhunjhnu, Rajasthan, were also arrested. On checking the call data records of cellphones used by all these three accused, it was found that they were in contact with Pakistani girls operating from phone numbers originating in Hyderabad and Rawalpindi. Pictures of Pakistani girls were recovered from their cellphones.
On September 15, Odisha Police arrested four contractual workers of DRDO’s Integrated Test Range at Chandipur in Balasore district on charge of espionage. They were leaking secrets to foreign agents after being honey trapped. The Crime Branch has taken over the probe. While being taken to the court, the four admitted to chatting on WhatsApp and Facebook with a woman from UP for several days before they were arrested. The case has been handed over to National Investiation Agency (NIA) which is investigating the profile of the woman who was chatting with these workers. The four were accused of handing over sensitive info about missile movement and names of scientists working at ITR. They were reportedly in touch with their ISI contacts in Karachi.
In some cases, the Pakistani girls, posing as Indian Hindus, create an impression on their targets that they live abroad, say London or USA, and tell their targets that meeting them physically was not possible. They are however available on WhatsApp video calls or Facebook. In one case, the Pakistani girl described herself as Ishanika Ahir, working as a desk clerk. In many of the chats, there are obscene remarks loaded with sexual innuendoes, which I could not share with our viewers.
The girl, profiled as Ishanika, was handling nearly 50 targets at a time, using different identities. She was Ishanika to some, and Navya Chopra to some others. On social media, the pictures of the girl are identical. She is an ISI handler working for a safehouse at West Ridge Road, Rawalpindi, according to military intelligence. There are reports of some secret telephone exchanges set up inside India by Pakistani agencies, from where internet calls are made to Indian targets, so that the traces of Pakistani locations are obliterated.
ISI is openly recruiting these girls by placing ads in newspapers, in the name of Fatima Jinnah Women’s University. The ad says, a media house linked to Pakistan army, requires female social media specialists who can interact through virtual conversations with targets.
On September 13, a counter-intelligence team of Punjab Police from Ludhiana arrested a man, Jaswinder Singh over his links with a Pakistani girl, who posed herself as Jasleen Brar from Bathinda. The police commissioner of Ludhiana said that the Pakistani girl posing as Jasleen Brar used an OTP given by Jaswinder to activate a WhatsApp number and chatted with at least seven defence personnel.
Sources have said that in order to access phones of army personnel, these ISI handlers use a particular malware by sending a link for downloading their fake pictures. The moment the target clicks the link, all data in his phone are compromised. All secret or sensitive information, videos or chats are passed on automatically to the ISI handler. In other words, software cloning takes place.
ISI is also using dark net now. Indian army has alerted all its personnel by sharing 20 particular email IDs and details of spoofing have been sent to all units. Army has cautioned all ranks not to click any dubious link, otherwise all information stored in their cellphones would be compromised. Army personnel have been asked to alert their family members too, not to click any unknown links. Jawans and officers have been asked not to upload their pictures wearing army uniform on social media, including cellphones.
Many of us must have read about the use of ‘vishkanya’ for espionage and murder of enemies during Kautilya’s (Chanakya) period. Pakistani girls who are being used by their spy agency belong to this category. They have been trained how to honeytrap army personnel. I want to thank our Military Intelligence for foiling this conspiracy hatched by ISI. It is a shameful act on part of Pakistan army, which is using girls for espionage. There are only a few countries in the world who use women and girls for espionage activity. Pakistan is one of them.
Our countrymen, particularly our armed forces personnel and their family members, should remain alert against such nefarious activities. All of us must ensure that not a single critical info about our defence preparedness must be revealed to our enemies, at any cost.
कैप्टन अमरिंदर सिंह को गुस्सा क्यों आता है?
पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कैप्टन अमरिंदर सिंह ने बुधवार को इंडिया टीवी की विशेष संवाददता विजयलक्ष्मी को दिए एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में पार्टी हाईकमान को आगाह किया अगर पार्टी ने राज्य कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिद्धू को सीएम उम्मीदवार के तौर पर पेश किया तो विधानसभा चुनावों में पार्टी दहाई का आंकड़ा भी नहीं छू पाएगी। कैप्टन ने यह भी कहा कि अगर सिद्धू विधानसभा चुनाव लड़ते हैं तो वे उन्हें हराने के लिए जी जान से लड़ेंगे।
कैप्टन अमरिंदर के बयानों को आनेवाले समय में विद्रोह का संकेत माना जा रहा है। कैप्टन अमरिंदर ने आरोप लगाया कि सिद्धू के कनेक्शन पाकिस्तान से हैं। कैप्टन ने साफ-साफ कहा- ‘सिद्दू पाकिस्तान का यार है, इमरान का यार है, उसे पाकिस्तान से प्यार है और ये प्यार हमारे देश के लिए खतरनाक है।’ पूर्व सीएम ने हमारी रिपोर्टर को दिखाया कि कैसे पाकिस्तान हमारे यहां बम-बारूद भेज रहा है, ड्रोन से हथियार गिरा रहा है, ड्रग्स की सप्लाई कर रहा है, ‘पंजाब को बर्बाद’ करने की साजिश रच रहा है। कैप्टन ने कहा कि इतना सब देख कर भी सिद्धू अभी-भी पाकिस्तान के वजीरे आजम इमरान खान के कसीदे पढ़ रहा है। लोगों ने सिद्धू को पाकिस्तानी आर्मी चीफ जनरल बाजवा को गले लगाते देखा है।
कैप्टन ने कसम खाई है कि वो ऐसे सिद्धू को पंजाब में जमने नहीं देंगे। किसी भी कीमत पर पंजाब में सिद्धू को जीतने नहीं देंगे। अपने लंबे इंटरव्यू में कैप्टन अमरिंदर सिंह ने गांधी-नेहरू परिवार के साथ अपने 67 वर्षों (1954 से) के रिश्ते को याद किया और बताया कि कैसे एक झटके में इस रिश्ते को गांधी परिवार ने तोड़ दिया। उन्होंने इसपर दुख जताया। पूर्व सीएम ने कहा कि राहुल गांधी और प्रियंका गांधी ‘राजनीतिक तौर पर परिपक्व नहीं’ हैं और उन्हें उनके सलाहकार गुमराह कर रहे हैं।
मैंने अपने प्राइम टाइम शो ‘आज की बात’ में बुधवार की रात ये दिखाया कि कैसे कांग्रेस नेतृत्व द्वारा जबरन इस्तीफा देने के लिए मजबूर किए जाने पर कैप्टन अमरिंदर सिंह ने गुस्सा और दुख जताया। उन्होंने कहा-‘चार साल पहले सिद्धू बीजेपी का सांसद था और फिर इधर (कांग्रेस) चला आया। व्हाट इज हिज गेम? वह ड्रामा मास्टर है। लोग उसे सुनने आते हैं क्योंकि वो चुटकुले सुनाता है। वह लोगों का मनोरंजन कर भीड़ इकट्ठी करता है लेकिन लोग उसे वोट नहीं देंगे। अगर पार्टी सिद्धू को चेहरा बनाकर चुनाव में उतरेगी तो निश्चित तौर पर हार जाएगी। चन्नी (मौजूदा सीएम) सही है और उसके नाम पर किसी को आपत्ति नहीं है।’
यह पूछे जानेपर कि क्या इससे अकाली दल या आम आदमी पार्टी को फायदा नहीं होगा, पूर्व सीएम ने कहा-‘वोट बंट जाएंगे। कई राजनीतिक दल काम कर रहे हैं। आम आदमी पार्टी, तीन अकाली दल हैं, इसके अलावा किसान संगठन और फिर बीजेपी है। यह एक तरह से ‘खिचड़ी’ है। मुझे नहीं पता यह त्रिशंकु विधानसभा होगी या नहीं लेकिन अगर हमारी पार्टी सिद्धू की लीडरशिप में चुनाव लड़ती है तो सीटों की संख्या दहाई के आंकड़े में भी आ जाए तो बहुत बड़ी बात होगी।’
अमरिंदर सिंह ने कहा, ’50 साल में मैं पहली बार देख रहा हूं कि मंत्री तय करने के लिए मुख्यमंत्री दिल्ली जा रहे हैं। दिल्ली में बैठे वे नेता मुख्यमंत्री को अपना मंत्रिमंडल बनाने की सलाह दे रहे हैं जिन नेताओं का पंजाब से कोई लेना-देना नहीं है। चन्नी ने पिछले साढ़े चार साल मेरे मंत्रिमंडल में मंत्री के रूप में अच्छा काम किया। वह सही आदमी है। लेकिन अगर वह सिद्धू के नीचे काम करता है फिर पार्टी हार जाएगी। आपके पास एक नेता होना चाहिए। आपके पास दो नेता या फिर सामूहिक लीडरशिप नहीं हो सकती। पंजाब को एक नेता, मजबूत नेता की जरूरत है।’
पूर्व सीएम ने कहा- ‘जब मैं दो बार, वर्ष 2002 और 2017 में मुख्यमंत्री बना तो मुझे सोनिया गांधी ने कहा कि जाकर शपथ लो। मैंने पार्टी नेतृत्व से कभी नहीं पूछा कि किसे मंत्री बनाया जाए। मैंने खुद मंत्रियों का चयन किया और उन्हें शपथ दिलाई गई। चन्नी साढ़े चार साल तक मेरे मंत्री रहे, उन्हें हर मंत्री की क्षमता का पता है। उन्हें दिल्ली में (हरीश) रावत, (रणदीप) सुरजेवाला या (अजय)माकन जैसे नेताओं की बात क्यों सुननी चाहिए कि किसे मंत्री बनाना है? मुख्यमंत्री को अपनी कैबिनेट को चलाना होता और मंत्रियों को मुख्यमंत्री पर भरोसा रखना होता है, साथ ही मुख्यमंत्री को भी मंत्रियों पर भरोसा करना होता है।’
कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा, ‘मैंने तीन हफ्ते पहले कांग्रेस अध्यक्षा से मुलाकात की थी और कहा था कि मैं सिदधू के साथ काम नहीं कर सकता क्योंकि हम गलत दिशा में जा रहे हैं। मैंने उनसे कहा कि पार्टी टूट जाएगी, मैं इस्तीफा देना चाहता हूं। उन्होंने कहा- नहीं, आप बने रहें। लेकिन उस दिन जो भी हुआ, अगर वो मुझे फोन करके पद छोड़ने के लिए बोल देतीं तो मैं अपना इस्तीफा उन्हें भेज सकता था। लेकिन जब रात में मुझे कहा गया कि सीएलपी की बैठक बुलाई गई है और सीएलपी लीडर को भी आना है, तो मुझे दुख हुआ।’
यह पूछे जाने पर कि क्या उन्हें इसके लिए कम समय मिल पाया, पूर्व सीएम ने चुटकी ली, ‘मुझे क्या करना चाहिए था? क्या मुझे उन्हें (अपने विधायकों को) गोवा के लिए बस या प्लेन में ले जाना चाहिए था? ये मेरा स्टाइल नहीं है। और अगर 52 साल बाद वे मेरे काम करने के तरीके को नहीं समझ पाए तो यह कैसी लीडरशिप है? उन्हें मेरा स्टाइल पता होना चाहिए। मैं उन लोगों में नहीं हूं जो अपने समर्थकों कही छिपा देते हैं। मेरे समर्थकों ने मुझे सुबह बताया कि उन्हें सीएलपी की बैठक में शामिल होने के लिए कहा गया है। मैंने उनसे कहा कि मत जाओ, और दोपहर 2 बजे मेरे घर पर आओ। लेकिन जल्द ही फोन बजने लगे और मेरे समर्थकों से कहा गया कि वे मुझसे नहीं मिलें। यह किस तरह का बचपना है?
‘सुरजेवाला और कुछ अन्य नेता वहां मीटिंग के लिए आए थे। मैं उस तरह का नेता नहीं हूं। वे अपने विधायकों को दूसरे राज्यों में छिपा सकते थे, लेकिन यहां नहीं। अगर कांग्रेस अध्यक्ष ने मुझे पद छोड़ने के लिए पहले कहा होता तो मैं इस्तीफा दे देता। उस दिन सुबह 10 बजे जब मैंने उनसे कहा कि मैं इस्तीफा दे दूंगा तो उन्होंने कहा-अमरिंदर, आई एम वेरी सॉरी। मैंने शाम 4 बजे अपना इस्तीफा दे दिया। यह सब ड्रामा करने की क्या जरूरत थी?’
यह पूछे जाने पर कि पार्टी नेतृत्व द्वारा उन्हें सीएम पद छोड़ने के लिए कहने के फैसले के पीछे कौन लोग थे, अमरिंदर सिंह ने कहा, ‘ये सलाहकार लोग हो सकते हैं। मेंरे दोनों (राहुल और प्रियंका) से गहरे संबंध हैं। हालांकि मैं पिछले डेढ़ साल से कोविड महामारी के चलते उनसे मिल नहीं पाया था। हम एक-दूसरे से व्हाट्सएप के जरिए संपर्क में थे। वे मुझे इस्तीफा देने के लिए कह सकते थे। प्रियंका के साथ हमारी आपस में बात होती रहती है। अगर आप किसी और को लाना चाहते थे तो लाएं। लेकिन इसमें मुझे अपमानित मत करें। मैं दोनों को बचपन से जानता हूं। उनके पिता (राजीव गांधी) स्कूल में मुझसे एक साल जूनियर थे। मैं उन्हें 1954 यानी करीब 67 साल से जनता हूं। मैं इस बात से परेशान हूं कि पहले मैंने इस्तीफा देने की पेशकश की तो उन्होंने मुझे पद छोड़ने की इजाजत नहीं दी और जब उन्होंने अपना मन बदल लिया था तो मुझे बताना चाहिए था, मुझे फोन तो करना चाहिए था।’
यह पूछे जाने पर कि क्या यह सब प्रियंका और राहुल के निर्णय न ले पाने के चलते हुआ, अमरिंदर सिंह ने कहा-‘नहीं, वे अभी ज्यादा अनुभवी नहीं हैं। उनके पास (केसी) वेणुगोपाल और दूसरे सलाहकार हैं जो उन्हें हर बात बताते हैं। ये सलाहकार मेरे कैरेक्टर को नहीं जानते। जब मुझे पता चलता कि मेरा समय खत्म हो गया है तो मैं इस्तीफा दे देता। मैं किसी चीज से नहीं चिपकता।’
कैप्टन अमरिंदर ने बताया कि कैसे पाकिस्तान हथियार, विस्फोटक और ड्रग्स भेजकर पंजाब में अस्थिरता पैदा करने की साजिश रच रहा है। उन्होंने बताया कि राज्य को एक ऐसी सरकार की जरूरत है जो पाकिस्तान के मंसूबों का नाकाम करने के लिए केंद्र के साथ मिलकर काम सके। उन्होंने कहा- क्या पाकिस्तान के नेताओं को अपना दोस्त मानने वाले सिद्धू केंद्र की बीजेपी सरकार के साथ तालमेल बिठा सकते हैं? भारत के लोग कभी सिद्धू पर भरोसा नहीं कर सकते और कांग्रेस हाईकमान को भी उनपर भरोसा नहीं करना चाहिए।.. मैं सिद्धू को किसी भी कीमत पर जीतने नहीं दूंगा, चाहे इसके लिए कुछ भी कुर्बान क्यों न करना पड़े।’
कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने कहा, सिद्धू जब बीजेपी में थे तो शायरी सुनाकर नरेंद्र मोदी की तारीफ करते थे। अब कांग्रेस में पहुंचने पर वही शायरी सोनिया गांधी के लिए पढ़ी। केवल नाम में नरेंद्र मोदी की जगह सोनिया जोड़ दिया। फिर वही लाइनें आसाराम बापू के लिए कही और हैरानी की बात ये है कि सिद्धू जट सिख हैं और जो बातें उन्होंने इन नेताओं और बाबओं के लिए कही, वही बात और वही शब्द उन्होंने गुरू नानक देव के लिए कही है।
कैप्टन ने एक मंझे हुए नेता हैं और अपने इंटरव्यू में उन्होंने फ्यूचर प्लान के बारे में कुछ भी खुलासा नहीं किया। इससे जुड़े सभी सवालों को दरकिनार करते हुए उन्होंने अपनी बात रखी।
कैप्टन अमरिंदर सिंह की बातों से लगता है कि वो इस बात से सबसे ज्यादा आहत हैं कि उनके गांधी-नेहरू परिवार से 67 साल पुराने रिश्ते थे लेकिन सोनिया गांधी ने उनपर भरोसा नहीं किया। उन्हें इस बात का दुख है कि राहुल और प्रियंका ने चार साल पहले बीजेपी से कांग्रेस में आए सिद्धू पर भरोसा कर लिया और 67 साल पुराने पारिवारिक रिश्ते को झटके में तोड़ दिया।
कैप्टन को लगता है कि पंजाब में कांग्रेस हावी थी और चुनाव जीत जाती लेकिन अगर सिद्धू पार्टी को लीड करते हैं तो अब डबल फिगर में पहुंचना भी मुश्किल हो जाएगा। वो कन्विंस्ड हैं कि राहुल औऱ प्रियंका में अनुभव की कमी है। ये दोनों अपने सलाहकारों के कहने पर चलते हैं और वो पंजाब की राजनीति को नहीं समझ पाए। अपने इंटरव्यू में कैप्टन ने इशारा किया कि राजस्थान में अशोक गहलोत को अपनी सरकार संभालने की जरूरत है, उनकी कुर्सी पर भी खतरा हो सकता है।
कैप्टन अमरिंदर सिंह वैसे तो राजनीति से रिटायर होने का प्लान बना रहे थे पर जब सोनिया गांधी ने उन्हें चीफ मुख्यमंत्री से हटाया, तो उन्होंने तय किया कि वो हार कर मैदान नहीं छोड़ेंगे। जब तक जीत नहीं जाते, तब तक लड़ेंगे। कैप्टन ने कहा कि अगर कांग्रेस सिद्धू के नाम पर चुनाव लड़ेगी तो वो कांग्रेस को हराएंगे।
अब सच ये है कि राहुल और प्रियंका ने तो अपना दांव सिद्धू पर लगाया है। सब जानते हैं कि चन्नी एक स्टॉप गैप अरेंजमेंट हैं, लेकिन कैप्टन ने जो कड़ा स्टैंड लिया है उससे पंजाब में कांग्रेस का बना बनाया खेल बिगड़ सकता है।
Capt Amarinder Singh Ko Gussa Kyun Aata Hai?
Senior Congress leader and former Punjab chief minister Captain Amarinder Singh, in a hard-hitting exclusive interview to India TV special correspondent Vijaylaxmi on Wednesday, cautioned the party high command that it may not manage to get even double-digit figure in the assembly elections, if the party projected state unit chief Navjot Singh Sidhu as its chief ministerial candidate. To rub salt into the wounds, the ex-army captain said that he would ensure Sidhu’s defeat if he contested the assembly election.
In what is being seen as a virtual revolt by the former CM, Capt. Amarinder Singh alleged that Sidhu had “connections” with the Pakistani establishment. “He is Pakistan’s friend, Imran’s friend, he loves Pakistan and this sort of love is dangerous for India”, he said. The former CM showed to our correspondent documents which highlighted how Pakistan is sending arms, explosives and ammunitions to India, airdropping arms by using drones, and smuggling in huge quantities of narcotics in its plot to “destroy Punjab”. Yet, he said, Sidhu is still praising the Pakistan Prime Minister Imran Khan, and people have seen him hugging the Pakistani army chief Geb. Qamar Javed Bajwa.
Capt. Amarinder Singh vowed that he would not allow Sidhu to win the elections at any cost. In his long interview, the former army captain, nostalgically remembered his connections with Gandhi-Nehru family for the last 67 years (since 1954). He expressed sadness over the manner in which this relationship was snapped off this month by Gandhi family. The former CM described both Rahul and Priyanka Gandhi as “not politically mature” and that they were being misled by their advisers.
In my prime time show ‘Aaj Ki Baat’ on Wednesday night, we showed how Capt. Amarinder Singh expressed his anger and sadness over the manner in which the Congress leadership practically forced him to resign. “Four years ago, Sidhu was BJP MP and then he crossed over (to Congress). What is his game? He is a drama master. People come to listen to him because he cracks jokes. He only collects crowds to amuse them, but people will not vote. If the party projects him as the face, it will surely lose the polls. Nobody has objections over Channi (the present CM).”
Asked whether it will give advantage to Akali Dal or AAP, the former CM said: “Votes will be divided. There are lots of forces at work. There is AAP, there are three Akali Dals, there are farmers unions, then there is BJP, it is ‘khichdi’ right now. I do not know whether it would be a hung assembly, but under Sidhu’s leadership, it will be a big thing if our party gets double digit seats”.
Amarinder Singh said, “ For the first time in 50 years, I am seeing chief ministers going to Delhi to select ministers. Leaders in Delhi, who have nothing to do with Punjab, are advising the chief minister about forming his cabinet. Channi worked well for the last four and a half years as minister in my Cabinet. He is a bright man. But if he tows Sidhu’s line, the party will lose. You must have one leader, you cannot have two leaders or a collective leadership. Punjab wants one leader, a strong leader.”
The former CM said, “ When I became chief minister twice, in 2002 and in 2017, I was told by Mrs (Sonia) Gandhi to go and take oath. I never asked the party leadership on whom to make ministers. I selected the cabinet myself and the ministers were sworn in. Channi was my minister for four and a half years, he knows the capabilities each of the ministers. Why should he listen to leaders in Delhi like (Harish) Rawat, (Randeep) Surjewala or (Ajay) Maken, about whom to take as minister? The chief minister has to run his cabinet, and his ministers must have confidence in the CM, and vice versa. “
Capt. Amarinder Singh said, “I met the Congress president three weeks ago and told her I cannot work with Sidhu, because we are working in opposite directions. I told her, the party will break, I want to resign. She said, no, you carry on. But the day it happened, if she had telephoned me and asked to quit, I could have sent my resignation. But when they said at night that they have convened the CLP meeting, and wanted the CLP leader to come, that hurt me.”
Asked whether he got less time for this, the former CM quipped: “What should I have done? Should I have taken them (my MLAs) in a bus or plane to Goa? This is not my style. And, if after 52 years, they could not understand my style of working, what is this leadership? They should know my style. I am not somebody who would hide my supporters somewhere. My supporters told me in the morning, they have been asked to attend the CLP meeting. I told them not to go, and come to my residence at 2 pm. Soon, telephones started ringing and my supporters were told not to meet me. What’s all this childishness?”
“.. Surjewala and some other leader came here for the meeting. I am not that type of leader. They could have hidden their legislators in other states, but not here. If the Congress President had asked me to quit earlier, I would have resigned. The moment she told me that day to quit at 10 am, I said I will resign. She said, Amarinder, I am very sorry. … I tendered my resignation at 4 pm. What was the need for doing all this drama?”
Asked who were behind the party leadership’s decision to ask him to quit, the former CM said, “These could be advisers. ..I have close relationship with both of them (Rahul and Priyanka), though I could not meet them for last one and a half years because of Covid (pandemic). We contacted through WhatsApp. They could have told me to quit. With Priyanka, we keep talking to each other. If you want to bring somebody else, do that, but, in the process, please do not humiliate me. I know both of them since childhood. His father (Rajiv Gandhi) was one year junior to me in school. I knew him since 1954, say 67 years. I am upset about this. First I offered my resignation, they refused to allow me to quit. But when they changed their mind, they should have phoned me again.”
Asked whether this was because of Priyanka and Rahul’s indecisiveness, Singh said: ”No, they are not much experienced. They have advisers like (K.C.) Venugopal and all these other fellows who tell them all sorts of things. These advisers do not know my character. When I know my time is up, I resign. I do not cling to anything.”
The former chief minister pointed out how Pakistan was crafting a plot to create turmoil in Punjab by sending in arms, explosives and drugs, and the state needed a government which could coordinate with the Centre to foil Pakistan’s designs. ‘Can Sidhu, who considers Pakistani leaders as his friends, coordinate with the BJP government at the Centre?, he asked. “The people of India can never trust Sidhu, and the Congress high command should not trust him too. …I will not allow Sidhu to win at any cost, whatever may be the sacrifice.”
Capt. Amarinder Singh said, how Sidhu used to praise Modi by reciting a poem, when he was in BJP, substituted Sonia’s name when he joined the Congress, used the same poem to praise Asaram Bapu, and a Jat Sikh like Sidhu, even used the same poem for praising Guru Nanak Dev.
As a seasoned politician, Capt. Amarinder Singh did not disclose his future plan in the interview. He sidestepped all questions relating to the next step he proposed to take, keeping all the cards close to his chest.
Watching the former chief minister speak, one feels sad how Sonia Gandhi did not trust him even after his 67-year-long relationship with her husband. Singh is unhappy because Rahul and Priyanka have trusted Sidhu, who joined the party only four years back, disregarding the 67-year-old family relationship.
The ex-army captain feels that the Congress, which was dominating in Punjab, will now dwindle to two-digit figure if Sidhu continues to lead the party. He is also unhappy over the fact that Rahul and Priyanka’s advisers have practically no knowledge about the political equations in Punjab. In his interview, the Captain also hinted at chances of Rajasthan CM Ashok Gehlot losing his throne.
Capt. Amarinder Singh was already planning to retire from politics, but after his unceremonious removal, as an ex-army man, he has decided to quit only after fighting his last battle. He has decided not to leave the political battlefield like a loser. The Captain clearly said, he would ensure that the Congress is defeated if it contests Punjab elections under Sidhu’s leadership.
The ground reality is that both Rahul and Priyanka have backed Sidhu as their best bet, with Channi as a stop gap arrangement, but with the Captain hardening his stand, the Congress game plan in Punjab could backfire.
महंत की आत्महत्या की साजिश रचने वालों को कड़ी सज़ा मिलनी चाहिए
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेन्द्र गिरि को बुधवार को साधु-संतों की उपस्थिति में पूरे सम्मान के साथ भू-समाधि दी गई। इस बीच, महंत द्वारा साइन किए हुए सुसाइड नोट से पता चला है कि उन्होंने अपने शिष्य आनंद गिरी द्वारा ब्लैकमेल किए जाने की धमकी के कारण आत्महत्या जैसा कदम उठाया। आनंद गिरी इस समय पुलिस हिरासत में है।
उत्तर प्रदेश पुलिस को एक वीडियो रिकॉर्डिंग मिली है जिसे महंत नरेन्द्र गिरी ने आत्महत्या करने से पहले रिकॉर्ड किया था। इसमें मंहत ने अपने शिष्य आनंद गिरि को अपनी मौत के लिए जिम्मेदार ठहराया है। इस वीडियो से आनंद गिरि के वे सारे दावे झूठे साबित हो गए, जो वह पिछले 24 घंटे से कर रहा था। महंत की मौत के तुरंत बाद एक सुसाइड नोट मिला था और उसमें भी उन्होंने अपने शिष्य के खिलाफ ठीक ऐसा ही आरोप लगाया था। महंत का आरोप था कि उनका शिष्य आनंद गिरि उनकी मॉर्फ्ड तस्वीर और वीडियो जारी करने की धमकी दे रहा था जिसमें वह उन्हें किसी लड़की के साथ दिखाता।
महंत कहते और लिखते हैं कि सच्चाई सामने आने में लंबा वक्त लग जाएगा, लेकिन तब तक उनकी बदनामी हो जाएगी और समाज में उनकी प्रतिष्ठा धूमिल हो जाएगी। उन्होंने लिखा, ‘मैं लाख सफाई दूंगा, पर लोग कहां यकीन करेंगे? जब तक लोगों को सच्चाई का पता चलेगा, तब तक तो बहुत देर हो चुकी होगी।’ साफ है कि महंत को मॉर्फ्ड ब्लैकमेल वीडियो के सामने आने के बाद होने वाली बदनामी का डर था। बस इसी बदनामी के डर से उन्होंने आत्महत्या कर ली।
इस पूरी कहानी में सबसे ज्यादा दुख की बात ये है कि महंत नरेन्द्र गिरि ने अपनी मौत के लिए जिस शिष्य आनंद गिरि को जिम्मेदार ठहाराया है, उसे उन्होंने अपने बच्चे की तरह पाला था। महंत ने उसे पढ़ाया-लिखाया और अपना उत्तराधिकारी तक बनाने के बारे में सोचा। सोमवार को महंत की आत्महत्या की खबर सामने आने के कुछ मिनट बाद हरिद्वार के पास एक गांव में मौजूद आनंद गिरि ने आरोप लगाया कि महंत की हत्या की गई है। उसने कहा कि महंत इतना लंबा सुसाइड नोट नहीं लिख सकते थे। आनंद गिरि ने आरोप लगाया कि कुछ लोग महंत की संपत्ति हड़पना चाहते थे। एक तरफ सुसाइड नोट पढ़ने और वीडियो देखने, और दूसरी तरफ आनंद गिरी का बयान सुनने के बाद यह पता लगाना आसान हो जाएगा कि कौन सच कह रहा है, और कौन झूठ बोल रहा है।
महंत के वीडियो और सुसाइड नोट को देखने के बाद यह साफ हो जाता है कि उन्होंने भावावेश में आकर आत्महत्या नहीं की। महंत कई दिनों से अपनी आत्महत्या की तैयारी कर रहे थे।
सुसाइड नोट के मुताबिक, पहली बार उन्होंने 13 सितंबर को आत्महत्या करने की कोशिश की थी, लेकिन हिम्मत नहीं जुटा पाए। जब हम मंहत नरेन्द्र गिरि के 15 पन्ने के सुसाइड नोट को देखते हैं तो पता चलता है कि इसके दो हिस्से हैं और इसे लिखने में कई दिन लगे हैं। पुलिस को सुसाइड नोट 2 अलग-अलग लिफाफों में मिला है। एक सुसाइड नोट में 13 सितंबर की तारीख लिखी है, जबकि दूसरे में तारीख 20 सितंबर की है। इससे इस सवाल का जवाब मिलता है कि चूंकि महंत ज्यादा लिखना नहीं जानते थे इसलिए उन्होंने धीरे-धीरे कई दिन में ये नोट लिखा। यह बात भी गौर करने वाली है कि कहने को तो ये नोट 15 पन्नों पर लिखा गया लेकिन एक-एक पन्ने पर कुछ ही लाइनें लिखीं गई हैं, और कई शब्द लिख-लिख कर काटे गए हैं।
20 सितंबर के सुसाइड नोट में महंत ने लिखा है कि उन्हें जानकारी मिली है कि आनंद गिरि एक-दो दिन में उनका एक लड़की के साथ मॉर्फ्ड वीडियो जारी करने जा रहा है और वह इसे सोशल मीडिया पर वायरल कर देगा। नरेन्द्र गिरी ने लिखा, ‘अगर वह ऐसा कर देता है तो मैं कब तक सफाई देता रहूंगा? एक बार मेरी बदनामी हो गई तो फिर जीवन में क्या रह जाएगा? मैं एक गरिमामयी पद पर विराजमान हूं। मैं आत्महत्या करने जा रहा हूं और इसकी जिम्मेदारी आनंद गिरि, आद्या प्रसाद तिवारी और उनके लड़के संदीप तिवारी की होगी।’ महंत ने यह सुसाइड नोट बाघंबरी मठ के आधिकारिक लेटर पैड पर लिखा था।
महन्त नरेन्द्र गिरि ने यह भी लिखा: ‘जबसे आनंद गिरि ने मुझ पर असत्य, मिथ्या और मनगढ़ंत आरोप लगाए हैं, तबसे मैं जबरदस्त मानसिक दबाव में जी रहा हूं। जब भी मैं एकांत में होता हूं, तो मर जाने की इच्छा होती है। आनंद गिरि, आद्या तिवारी और संदीप तिवारी ने मिलकर मेरे साथ विश्वासघात किया, उन्होंने मुझे जान से मारने की कोशिश की। आनंद गिरि ने फेसबुक, सोशल मीडिया और अखबारों में मेरे ऊपर मनगढ़ंत आरोप लगाए। वे मुझे फिर से बदनाम करने की धमकी दे रहे हैं, इसलिए मैं आत्महत्या कर रहा हूं।’
अब सवाल यह उठता है कि आखिर महंत इतना क्यों डर गए थे? अगर उन्होंने कुछ गलत नहीं किया था, तो फिर डर किस बात का था? इस सवाल का जवाब महंत ने मौत से पहले रिकॉर्ड किए गए आखिरी वीडियो में, और सुसाइड नोट में खुद दे दिया है। आनंद गिरि ने इससे पहले भी महंत की आवाज का इस्तेमाल करते हुए एक मॉर्फ्ड ऑडियो क्लिप सोशल मीडिया पर फैला दी थी, जिससे काफी बदनामी हुई थी। अंत में उन्होंने लिखा, ‘आज मैं हिम्मत हार गया हूं और आत्महत्या कर रहा हूं।’ सोशल मीडिया पर जो ऑडियो क्लिप वायरल हुई थी उसमें महंत से मिलती-जुलती आवाज का कोई शख्स किसी को गाली देते हुए सुनाई देता है।
आनंद गिरि ने एक वीडियो भी जारी किया था जिसमें महंत को एक शादी के रिसेप्शन में बार डांसर्स पर नोटों की बौछार करते हुए दिखाया गया था। दरअसल, महंत अपने एक कर्मचारी के शादी समारोह में नवविवाहित जोड़े को आशीर्वाद देने के लिए गए थे, और फिर लौट आए थे, लेकिन वीडियो को मॉर्फ करके ऐसे दिखाया गया जैसे वह बार डांसर्स पर नोट उड़ा रहे हों। ऐसे में इस महीने जब महंत को पता चला कि आनंद गिरि एक लड़की के साथ उसका एक मॉर्फ्ड वीडियो फैलाने जा रहा है, तो उनकी हिम्मत टूट गई और उन्होंने अपनी जान देने जैसा कदम उठा लिया।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ मंगलवार को महंत को अंतिम विदाई देने के लिए प्रयागराज गए थे। वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों द्वारा मामले की जानकारी योगी को दिए जाने, और एक SIT जिसमें यूपी के वरिष्ठ पुलिस अधिकारी शामिल हैं, के गठन के बाद सच्चाई सामने आ ही जाएगी। शुरुआती FIR में आनंद गिरि का नाम है। उसे पूछताछ के लिए प्रयागराज लाया गया है। बाघंबरी मठ के कई शिष्यों और सेवादारों से पूछताछ की जा रही है। सूत्रों ने खुलासा किया है कि महंत ने शुरू में सल्फास (एल्यूमीनियम फॉस्फाइड) की गोलियों का ऑर्डर दिया था, लेकिन बाद में अपना विचार बदल दिया, और एक नायलॉन की रस्सी मंगाई। सल्फास की डिब्बी को खोला नहीं गया था। उन्होंने फांसी लगाने के लिए नायलॉन की रस्सी का इस्तेमाल किया था।
आनंद गिरि बचपन में महंत नरेन्द्र गिरि को हरिद्वार के एक ढाबे पर बर्तन धोते हुए मिला था। अपने माता-पिता के बारे में पूछने पर उसने बताया था कि वह राजस्थान के भीलवाड़ा का रहने वाला है और अपने घर से भाग आया है। महंत ने उसे समझा बुझा कर वापस घर भेजने की कोशिश की, पर जब वह नहीं माना तो महंत उसे अपने आश्रम ले आए। उन्होंने आनंद को अपने बच्चे की तरह पाला, पढ़ाया-लिखाया। आनंद गिरि ने काशी हिंदू विश्वविद्यालय से पीएचडी की। बाद में आनंद गिरि ने अपने गुरु को कई बार बदनाम करने, उन्हें परेशान करने की कोशिश की। जिस लड़के को उन्होंने अपना माना, पाल-पोसकर बड़ा किया, वही उनके जीवन के अंत का कारण बना। इससे बड़ी विडंबना क्या हो सकती है कि जिस लड़के के सिर पर उन्होंने बचपन से ही अपना हाथ रखा, उसी ने उन्हें बदनाम करने की कोशिश की।
पुलिस को इस पूरे मामले की गहराई से जांच करनी चाहिए। इस साजिश का पूरा सच सामने आना चाहिए। महंत को उनके अंतिम दिनों में कष्ट देने वालों को सजा मिलनी चाहिए।
Conspiracy behind Mahant’s suicide: Those guilty must be punished
Akhara Parishad chief Mahant Narendra Giri was laid to rest (Bhu-Samadhi) on Wednesday with full honours in the presence of saints and sadhus. Meanwhile, the signed suicide note of the Mahant has revealed that he committed suicide because of a blackmail threat by his disciple Anand Giri, presently under police custody.
UP police has, in its possession, a video recording of the Mahant before he committed suicide, in which he holds his disciple Anand Giri for his extreme act. This video clearly refutes all claims being made by Anand Giri during the last 24 hours. Soon after the Mahant’s death, a suicide note was found in which he had made a similar charge against his disciple.
On Tuesday, UP police confirmed that a one minute video has been found from Mahant Narendra Giri’s cellphone in which he has made the same charges that he levelled in his suicide note. The details revealed by the Mahant, both in his video and suicide note, are heart rending. The Mahant alleged that his disciple Anand Giri was threatening him to release morphed video and pictures in which he would show the Mahant with a girl.
The Mahant says and writes, that it would take a long time for the truth to come out, but by then, he would be defamed and his prestige in society would lie in tatters. “I will give so many clarifications, but will people believe them? By the time people will realize the truth, it would be too late”, he wrote. Clearly, the mahant was afraid of calumnies that would be heaped once the morphed blackmail video was out. He wanted to end his life before facing such insults and calumnies.
The saddest part of this story is that the Mahant had groomed his disciple, Anand Giri, from childhood, looking after his education and upbringing. He wanted to anoint him as his successor before death. On Monday, minutes after news spread about the Mahant’s suicide, Anand Giri, sitting in a village near Haridwar, alleged that the mahant was murdered, he could not have written such a lengthy suicide note and that some vested interests wanted to grab the mahant’s properties. If one goes through the suicide note and video, and his disciple’s charges, it will be easier to figure out who is telling the truth and who is lying.
Going through the mahant’s video and suicide note, it is clear that his suicide did not take place because of sudden emotion. The mahant was making preparations for his suicide for the several weeks.
According to the suicide note, he tried to commit suicide on September 13, but could not muster enough courage. The 15-page handwritten suicide note appears to have been written over a period of several days. Police found the suicide notes written in two envelopes. On one note, the date September 13 was written, and on the other, the date September 20 was written. Anand Giri’s claim that the mahant could not write more than a few paras stands refuted. The mahant took time to write his suicide notes, even one of the pages had only a few sentences with several corrections.
In the suicide note dated September 20, the mahant wrote that he has got information that Anand Giri was going to release a morphed video of the mahant with a girl within a day or two, and he would make it viral on social media. “If he does so, how long should I go on giving clarifications? Once I am defamed, what will remain for the rest of my life? I occupy a dignified post which commands respect and reverence…I am going to take my life, and for this act, I hold Anand Giri, Aadya Prasad Tiwari and his son Sandeep Tiwari responsible”, he wrote. The suicide note was written on an official letter pad of Baghambari Math.
He also wrote: “Since the time Anand Giri levelled false, untrue and baseless allegations against me, I have been living under tremendous mental pressure. Whenever I am alone, I feel I want to die. …Anand Giri, Aadya Tiwari and Sandeep Tiwari have backstabbed me, they even tried to kill me, baseless charges were levelled against me by Anand Giri on social media like Facebook and newspapers. They are threatening to defame me again, and that’s why, I want to take my life.”
The question arises: Why was the Mahant so much afraid? He did not commit any illegal act, yet why was he afraid? He himself reveals the reason both in the video and suicide note. Anand Giri had earlier circulated a morphed audio clip using the mahant’s voice on social media, causing defamation. In the end, he wrote, “Today I have lost my courage, I am ending my life.” In the audio clip posted on social media, a man’s voice similar to that of the mahant, is heard abusing somebody.
Anand Giri had also circulated a video showing the mahant showering currency notes on bar dancers at a wedding reception. In fact, the mahant had gone to a wedding function of one of his staff to bless the newly wedded couple, and returned, but the video was morphed and it was shown as if the mahant was showering currency notes on bar dancers. This month, when the mahant came to know that Anand Giri was going to circulate a morphed video of him with a girl, he lost courage and decided to take his own life.
UP chief minister Yogi Adityanath went to Prayagraj on Tuesday to pay his last respects to the mahant. After he was briefed by senior police officials, a Special Investigation Team consisting of senior UP police officers has been formed, the truth is going to come out. Anand Giri has been named in the initial FIR. He was been brought to Prayagraj for interrogation. Several disciples and sevadars of Baghambari Math are being questioned. Sources have revealed that the mahant had initially ordered sulphas (aluminium phosphide) pesticide tablets but later changed his mind, and bought a nylon rope. The box of sulphas was found unopened. He used the nylon rope to hang himself.
As a child, Anand Giri used to wash utensils at a ‘dhaba’ in Haridwar when the Mahant noticed him. On asking him about his parents, the boy told him that he hailed from Bhilwara, Rajasthan and has run away from his home. The mahant tried to send him back to his home, but when he refused, he took the child to his ashram. He groomed him like his son. Anand Giri pursued higher education and obtained Ph.D. from Benares Hindu University. Later, Anand Giri tormented his guru by trying to defame him in social life. This boy whom he had groomed for decades became the cause of his death. It is sad that a boy who he took under his wings since childhood tried to defame him in public.
It would be better if police goes to the depth of the conspiracy that led to the mahant’s suicide. The truth must come out. Those guilty for tormenting the mahant in his last days must be punished.
महंत नरेंद्र गिरि: खुदकुशी या हत्या?
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के प्रमुख महंत नरेंद्र गिरि महाराज की सोमवार को संदिग्ध हालत में मौत हो गई। प्रयागराज के बाघम्बरी मठ के अंदर उनका शव पंखे से लटका मिला। अखाड़ा परिषद भारत में साधुओं के 13 मान्यता प्राप्त अखाड़ों की शीर्ष संस्था है। इसका उत्तर भारत के हिंदुओं के बीच काफी प्रभाव है।
पुलिस ने बताया कि बंद कमरे से चार पेज का स्यूसाइड नोट बरामद हुआ है। इसमें पेज के दोनों तरफ लिखा हुआ है। स्यूसाइड नोट में महंत ने अपने शिष्य आनंद गिरि पर ‘मानसिक रूप से प्रताड़ित’ करने का आरोप लगाया और लिखा कि इसी वजह से वे यह बड़ा कदम उठाने को मजबूर हुए हैं। स्यूसाइड नोट में नाम आते ही उत्तराखंड पुलिस ने फौरन आनंद गिरि को हरिद्वार से पकड़ लिया। ये कहा जा रहा है कि स्यूसाइड नोट में महंत गिरि ने लिखा है कि ‘मैंने सम्मानपूर्वक जीवन जिया है और सम्मानपूर्वक मरना चाहता हूं।’ स्यूसाइड नोट का एक बड़ा हिस्सा एक तरह से वसीयतनामे की तरह लिखा है जिसमें इस बात उल्लेख है कि उनके किस शिष्य को कितनी संपत्ति मिलनी चाहिए।
महंत नरेंद्र गिरि का कुछ महीने पहले अपने शिष्य आनंद गिरि के साथ संपत्ति विवाद हुआ था। इस विवाद को एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी और दो राजनेताओं के दखल के बाद सुलझाया गया था। वहीं गिरफ्तार किए जाने से पहले हरिद्वार में आनंद गिरि ने मीडिया से बात की। आनंद गिरि ने आरोप लगाया कि महंत नरेंद्र गिरि ने आत्महत्या नहीं की बल्कि उनकी हत्या की गई है। उन्होंने कहा इसकी जांच होनी चाहिए कि एक बार में चंद पंक्तियों से ज्यादा नहीं लिख पानेवाले महंत नरेंद्र गिरि ने इतना लंबा स्यूसाइड नोट कैसे लिखा।
महंत नरेंद्र गिरि को वर्ष 2014 में अखाड़ा परिषद् का अध्यक्ष चुना गया था और पांच साल बाद हरिद्वार में वे फिर से निर्वाचित हुए। बीजेपी और समाजवादी पार्टी दोनों दलों के नेताओं से इनके करीबी संबंध थे। इस साल मई महीने में उनका अपने शिष्य आनंद गिरि, जिसे ‘छोटे महंत’ के नाम से जाना जाता था, के साथ काफी विवाद हुआ था। इस विवाद की सार्वजनिक तौर पर काफी चर्चा भी हुई थी। आनंद गिरि को बाघम्बरी मठ और निरंजनी अखाड़ा दोनों से निकाल दिया था। आनंद गिरि पर ‘संन्यास’ लेने के बाद परिवार के सदस्यों के साथ सभी तरह के संबंधों को खत्म करने के नियमों के उल्लंघन का आरोप लगा था। इसके साथ ही मंदिर के धन के दुरुपयोग का भी आरोप लगा था।
आनंद गिरि ने उस वक्त अपने गुरु के खिलाफ प्रधानमंत्री कार्यालय और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री को एक शिकायत भेजी थी। हालांकि, कुछ समय के बाद आनंद गिरि ने सार्वजनिक तौर पर अपने गुरु के पैर छूकर उनसे माफी मांग ली थी। आनंद गिरि ने श्री पंचायती अखाड़ा निरंजनी के पंच परमेश्वर से भी माफी मांगी थी। तब महंत नरेंद्र गिरि ने उन्हें माफ कर दिया था।
पूरे हालात पर नजर दौड़ाएं तो कुछ बातें स्पष्ट होती हैं। महंत नरेंद्र गिरि का शव अंदर से बंद कमरे में पंखे से लटका मिला है। साथ में स्यूसाइड नोट है और इस नोट में उन्होंने अपने शिष्य आनंद गिरि का नाम लिखा है। आनंद गिरि को गिरफ्तार कर लिया गया है। उनका कहना है कि महंत नरेंद्र गिरी तो चिठ्ठी भी नहीं लिख सकते थे तो इतना बड़ा स्यूसाइड नोट कैसे लिखेंगे? आनंद गिरि ने आरोप लगाया कि महंत नरेंद्र गिरि की हत्या हुई है। हत्या के बाद उनके शव को पंखे से लटका कर आत्महत्या का रूप देने की कोशिश की गई है। और हत्यारे ने उन्हें फंसाने के लिए उनका नाम स्यूसाइड नोट में लिख दिया है। ये सही है कि संप्रदाय के नियमों के उल्लंघन और धन-संपत्तियों के दुरुपयोग को लेकर गुरु और शिष्य के बीच सार्वजनिक रूप से विवाद हुआ था। यह भी सही है कि शिष्य ने बाद में गुरु से माफी मांगी थी और गुरु ने उसे माफ भी कर दिया था।
अब इस बात की जांच उत्तर प्रदेश पुलिस कर रही है कि महंत ने आत्महत्या की या उनकी हत्या की गई। महंत ने अपनी चिट्ठी में दो अन्य लोगों का भी नाम लिया है। पुलिस ने उन्हें भी पकड़ा है। चूंकि जांच अभी शुरुआती चरण में है इसलिए न तो किसी को क्लीन चिट दी जा सकती है और न ही किसी को दोषी ठहराया जा सकता है। मैं तो कहूंगा दोषी जो भी हो उसे पकड़ा जाना चाहिए। उसे दंडित किया जाना चाहिए। यदि किसी ने उन्हें आत्महत्या के लिए उकसाया हो तो उस पर आत्महत्या के लिए उकसाने का आरोप लगाया जाना चाहिए। यह मामला बहुत गंभीर है। इस मामले की हकीकत, इसकी सच्चाई जल्दी से जल्दी सामने आनी चाहिए। महंत नरेंद्र गिरि के बड़ी संख्या में अनुयायी थे और वे बेहद सम्मानित संत थे। संत समाज पूरे समाज को रास्ता दिखाता है। वे हमें जीने की राह बताते हैं। अगर महंत नरेन्द्र गिरि जैसे बड़े और सम्मानित संत अपनी जान देने के लिए मजबूर हो जाएं या फिर कोई उनकी हत्या कर दे तो समाज के लिए इससे ज्यादा दुख और चिंता की बात कोई नहीं हो सकती।
Mahant Narendra Giri: Suicide or murder?
Mahant Narendra Giri Maharaj, the chief of the Akhil Bharatiya Akhara Parishad, a decision making body of sadhus across India, was found mysteriously hanging from a ceiling fan inside his Baghambari Math in Prayagraj on Monday afternoon. The Akhara Parishad is the apex body of 13 recognized akharas (monastic orders) of sadhus in India and it wields considerable influence among large sections of Hindus in northern India.
Police said, a four-sheet suicide note, written on either side, was found from the room, which was locked from inside. In the suicide note, the Mahant accused his discipline Anand Giri for “mentally torturing” him and forcing him to take the extreme step. Anand Giri was immediately picked up by Uttarakhand police from Haridwar. In the suicide note, Mahant Narendra Giri is purported to have written that “I have lived respectfully and want to die respectfully”. A major part of the suicide note, which appears more like a will, mentions which of his disciples should get how much property.
The mahant was involved in a bitter property dispute with his disciple Anand Giri a few months ago which was resolved after intervention of a senior police officer and two politicians. In Haridwar, Anand Giri spoke to the media minutes before he was arrested. He alleged that the mahant did not commit suicide but was murdered. He said, it should be probed how the mahant who never wrote more than a few lines at a time, wrote such a long suicide note.
Mahant Narendra Giri was elected president of Akhara Parishad in 2014 and re-elected five years later in Haridwar. He was close to both BJP and Samajwadi Party politicians. In May this year, he had a public spat with his disciple Anand Giri, known as “chhotey mahant”. Anand Giri was expelled from both Baghambari Math and Niranjani Akhara, on charge of violating the sect’s rules of discontinuing all relations with family members after taking ‘sanyas’. He was also accused of misappropriating temple funds.
On his part, Anand Giri had then sent his own complaint against his guru to the PMO and Uttar Pradesh chief minister. However, after some time, Anand Giri publicly sought forgiveness from his guru by touching his feet. He also tendered apology to the Panch Parameshwar of Shri Panchayati Akhara Niranjani. Mahant Narendra Giri had then forgiven him.
After going through circumstantial evidences, some points are clear. The mahant’s body was found hanging from a ceiling fan in a room closed from inside. He had left behind a suicide note, which has been questioned by his disciple, who is now under arrest. The disciple alleges that the mahant was murdered and then his body was hanged from the ceiling to give it the shape of a suicide. The disciple also alleges that the mahant could not have written such a long suicide note, because he could never write more than a few lines. It is also true that the guru and the disciple had a public spat over violation of sect’s rule and misappropriation of funds and properties. It is also true that the disciple had later apologized for his misdemeanours and the guru had forgiven him.
It is now up to the Uttar Pradesh police to probe whether the mahant committed suicide or whether he was murdered. The mahant has also named two other persons in his letter, and they too have been picked up by police. Since the inquiry is in a preliminary stage, nobody can be given a clean chit at this point of time, and the culprits, if any, must be punished. If any person incited the mahant to commit suicide, he must be charged for abetment of suicide. Police must reach the bottom of the truth at the earliest. The mahant had a large following and was widely respected. The community of saints shows the right path to millions of people and if a revered saint either commits suicide or was murdered, then it is a matter of grief and concern for the entire society.