सौ करोड़ की वसूली: उद्धव ठाकरे तक पहुंच सकती है सीबीआई जांच की आंच
महाराष्ट्र की राजनीति में ये किसी तूफान से कम नहीं है। इस तूफान की आहट कई दिन पहले मिल गई थी। महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच अब सीबीआई करेगी। सीबीआई यह जांच बॉम्बे हाईकोर्ट के आदेश पर शुरू करनेवाली है। अगर 100 करोड़ रुपए हर महीने वसूली के आरोप में गृह मंत्री देशमुख के खिलाफ प्रथम दृष्टया कोई सबूत मिलता है तो सीबीआई को इस केस में एफआईआर दर्ज करनी होगी।
इसका पहला असर ये हुआ कि गृह मंत्री अनिल देशमुख को मजबूरी में इस्तीफा देना पड़ा। उनकी पार्टी के प्रमुख शरद पवार ने अनिल देशमुख से इस्तीफा देने को कहा और मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को अपने मंत्री का इस्तीफा राज्यपाल के पास भेजना पड़ा। सोमवार को बॉम्बे हाईकोर्ट ने सीबीआई को आदेश दिया कि वह मुंबई पुलिस के पूर्व कमिश्नर परमबीर सिंह के द्वारा लगाए गए ‘भ्रष्टाचार के आरोपों’ की प्राथामिक जांच करे। पूर्व कमिश्नर ने हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दाखिल कर गृह मंत्री देशमुख पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया था।
हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस गिरीश कुलकर्णी की बेंच ने अपने आदेश में कहा- ‘देशमुख गृहमंत्री हैं और इल्जाम संगीन हैं। पुलिस विभाग उनके नियंत्रण में है और उनके निर्देशों का पालन करता है। ऐसे में अगर राज्य की पुलिस को ही जांच सौंपी जाए तो इसमें निष्पक्ष जांच नहीं हो सकती है। मौजूदा मामले की जांच सीबीआई जैसी स्वतंत्र एजेंसी से कराया जाना जरूरी है जिससे लोगों का भरोसा कायम रहे।’
अब ऐसे में अनिल देशमुख के पास इस्तीफा देने के अलावा कोई और रास्ता नहीं था। हालांकि देशमुख ने अपनी चिट्ठी में लिखा कि वह ‘नैतिक आधार’ पर इस्तीफा दे रहे हैं। अगर मान लिया जाए कि अनिल देशमुख ने आत्मा की आवाज पर और नैतिकता के तकाजे पर इस्तीफा दिया है तो उनकी आत्मा बहुत देर से जागी।
परमबीर सिंह ने जब मुख्यमंत्री को चिट्ठी लिखकर देशमुख पर इल्जाम लगाए थे उसके बाद ही अनिल देशमुख को खुद जांच के आदेश देने चाहिए थे और पद छोड़ देना चाहिए था। परमबीर सिंह ने उद्धव ठाकरे को लिखी चिट्ठी के प्वाइंट 7 में स्पष्ट रूप से आरोप लगाया था कि गृह मंत्री अनिल देशमुख ने क्राइम इंटेलीजेंस यूनिट के मुखिया सचिन वाज़े को पिछले कुछ महीनों में लगातार अपने आधिकारिक आवास पर बुलाया और उसे मुंबई के 1,750 रेस्टोरेंट और बार से हर महीने 100 करोड़ रुपए की वसूली का टारगेट दिया। परमबीर सिंह ने इसी चिट्ठी के प्वाइंट 9 में लिखा था कि कुछ दिनों बाद गृह मंत्री अनिल देशमुख ने सोशल सर्विस ब्रांच के एसीपी संजय पाटिल और डीसीपी भुजबल को अपने घर बुला कर मुबई के रेस्टोरेंटऔर बार से वसूली की बात कही थी।
ये आश्चर्य की बात है कि ऐसे संगीन इल्जाम लगने के बाद भी अनिल देशमुख इतने दिनों गृह मंत्री की कुर्सी पर कैसे बने रहे। आरोप लगानेवाला कोई और नहीं बल्कि एक सीनियर आईपीएस अधिकारी और मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह थे। बड़ी बात ये है कि परमबीर सिंह ने इसी चिट्ठी में ये भी लिखा था कि अनिल देशमुख की वसूली की जानकारी उन्होंने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और एनसीपी चीफ शरद पवार को भी दी थी।
हालांकि उद्धव ठाकरे वसूली कांड पर अब तक खामोश हैं, लेकिन अनिल देशमुख के इस्तीफे के बाद इस केस की आंच उद्धव ठाकरे तक भी पहुंच सकती है। बीजेपी ने अपनी मांगों के जरिए इसकी कोशिश भी शुरू कर दी है। सोमवार को हाईकोर्ट का फैसला आया तो मुंबई से लेकर दिल्ली तक हलचल तेज हो गई। मुंबई में देवेन्द्र फडणवीस और दिल्ली में कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद की प्रेस कॉन्फ्रेंस हुई और दोनों नेताओं ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे का इस्तीफा मांगा। रविशंकर प्रसाद ने सवाल उठाया कि अनिल देशमुख ने अपने पार्टी प्रमुख शरद पवार को इस्तीफे की चिट्ठी क्यों सौंपी? उन्होंने कहा कि कहा कि जब सारा फैसला शरद पवार को ही करना था तो अब तक इस बात का ड्रामा क्यों किया जा रहा था?
कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि अनिल देशमुख के इस्तीफे से ये मामला यहीं खत्म नहीं होगा। ‘वसूली के पूरे रैकेट का पता लगना चाहिए। ये पता लगना चाहिए कि पैसा कहां-कहां पहुंचता था और वसूली में किसकी कितनी हिस्सेदारी थी?’ देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि वसूली कांड पर अब मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को अपनी चुप्पी तोड़नी चाहिए। उन्होंने कहा कि वसूली कांड को लेकर जिस तरह महाराष्ट्र की बदनामी हुई है उसपर उद्धव ठाकरे को जवाब तो देना ही होगा। फडणवीस ने कहा कि जिस वक्त ये मामला सामने आया था अगर उद्धव ठाकरे ने उसी समय अनिल देशमुख से इस्तीफा ले लिया होता तो शायद इतनी फजीहत नहीं होती। फडणवीस ने यह भी संकेत दिया कि अभी तो सिर्फ शुरुआत है, आगे कई ‘राजनीतिक धमाके ‘ होंगे।
जरा सोचिए, अगर सहायक पुलिस इंस्पेक्टर सचिन वाज़े ने उद्योगपति मुकेश अंबानी के घर के बाहर स्कॉर्पियो गाड़ी में जिलेटिन की छड़ें रखने का दुस्साहस नहीं किया होता। अगर वाज़े मनसुख हिरेन की हत्या के मामले में आरोपी नहीं बनता तो परमबीर सिंह मुंबई पुलिस के कमिश्नर बने रहते। अगर उन्हें हटाया नहीं जाता तो अनिल देशमुख उनके बारे में कभी नहीं कहते कि परमबीर की जांच की जाएगी। अगर ये सब नहीं होता तो ये बात कभी सामने नहीं आती कि गृह मंत्री अनिल देशमुख ने सचिन वाज़े को रेस्टोरेंट और बार से 100 करोड़ रुपए महीना वसूली का टारगेट दिया था। सबकुछ वैसे ही चलता रहता। वसूली होती रहती। लोगों को झूठे मामलों में फंसाने का सिलसिला चलता रहता और किसी को कानोंकान खबर नहीं होती।
इस बात को भुलाया नहीं जा सकता कि उद्धव ठाकरे ने विधानसभा में सचिन वाजे़ को डिफेंड (बचाव) किया था। इस बात को भी नहीं भुलाया जा सकता कि कैसे शरद पवार ने गृह मंत्री अनिल देशमुख का बचाव किया था। कुल मिलाकर सबलोग एक-दूसरे को बचाने में लगे थे, एक-दूसरे की करतूतों पर पर्दा डालने की कोशिश में लगे थे। उद्धव ठाकरे और शरद पवार एक दूसरे की मदद से सरकार में हैं। लेकिन जब इस तरह के खुलासे होते हैं तो एक सीमा के बाद फिर कोई एक-दूसरे की मदद नहीं करता।
इस बात की पूरी संभावना है कि अनिल देशमुख के खिलाफ सीबीआई की जो जांच होगी उसकी आंच उद्धव ठाकरे तक भी पहुंचेगी। क्योंकि मुंबई पुलिस के पूर्व कमिश्नर परमबीर सिंह ने साफ कहा है कि उन्होंने 100 करोड़ रुपया महीना वसूली के बारे में उद्धव ठाकरे को पूरी जानकारी दे दी थी लेकिन उन्होंने कुछ नहीं कहा। उद्धव के सामने एक बड़े सियासी संकट से लड़ने की चुनौती है। अब देखना है कि वे इस चुनौती का सामना कैसे करते हैं।
Rs 100 crore collection: The heat of CBI probe is bound to reach Uddhav Thackeray
It was nothing less than a storm in Maharashtra politics. There were straws in the wind about the impending storm. Central Bureau of Investigation will now probe graft allegations against Home Minister Anil Deshmukh, on the order of Bombay High Court. If any prima facie evidence is found about the allegation against the minister, for having demanded Rs 100 crore extortion, the CBI will have to file an FIR.
The first ripple effect was that the minister was forced to resign. His party supremo Sharad Pawar asked him to put in his papers, and chief minister Uddhav Thackeray had to forward his resignation to the Governor. On Monday, Bombay High Court directed the CBI to start a preliminary inquiry into “allegations of corrupt malpractices” made by former Mumbai Police commissioner Param Bir Singh against the minister. The former police chief had filed a PIL in the High Court accusing the minister of malpractices.
The High Court bench of Chief Justice Dipankar Datta and Justice Girish Kulkarni, in their order, said, “Deshmukh is the Home Minister. The police department is under his control and direction. ..There can be no fair, impartial, unbiased and untainted probe, if the same were entrusted to the state police force. As of necessity, the probe has to be entrusted to an independent agency like the CBI…interests of justice will be served if there is a CBI preliminary inquiry into the complaint.”
There was no other way out for Anil Deshmukh, except to resign. Though Deshmukh wrote in his resignation letter that he was quitting “on moral grounds”, it appears as if his moral conscience was aroused after a long delay.
Deshmukh should have ordered an inquiry soon after the former police chief made the allegations in his detailed letter to the Chief Minister. In this letter, Param Bir Singh had clearly alleged in Point 7 that the Home Minister had frequently called Crime Intelligence Unit chief Sachin Vaze to his residence and gave him a target of collecting Rs 100 crore every month from 1,750 restaurants and bars in Mumbai. At Point 9, Param Bir Singh had written that the Home Minister called ACP Social Service Branch Sanjay Patil and DCP Bhujbal to his home, and spoke fo collecting money from restaurants and bars.
It is surprising how Deshmukh continued to remain as Home Minister despite the allegations being made public. The complainant was none other than the Mumbai Police commissioner Parambir Singh, a senior IPS officer. Singh had alleged that he had informed the chief minister Uddhav Thackeray and NCP supremo Sharad Pawar about this.
Even now, chief minister Uddhav Thackeray is silent on this ‘collection’ charge, but once the CBI starts its probe into the allegations, the heat may reach the chief minister, too. Already, the BJP has started pressing its demand. On Monday, soon after the High Court order, BJP leader Devendra Fadnavis in Mumbai and Union Law Minister Ravi Shankar Prasad in Delhi demanded that chief minister Uddhav Thackeray should resign. Prasad questioned why Anil Deshmukh gave his letter of resignation to his party chief Sharad Pawar, who forwarded it to the chief minister. Why this drama, he asked.
The Law Minister said, the matter does not end with Deshmukh’s exit. “The entire extortion racket has to be unravelled. We must know who were the final recipients of ‘collection money’? Fadnavis demanded that the chief minister must break his silence on this issue. He said, the chief minister could have saved himself, had he taken Deshmukh’s resignation, when the allegations were first made. Fadnavis indicated that there were more ‘political explosions’ coming.
Just imagine, if assistant police inspector Sachin Vaze had not abanadoned a car carrying gelatine sticks outside industrialist Mukesh Ambani’s residence, if Vaze not become an accused in Mansukh Hiren’s murder case, Param Bir Singh would have continued as Mumbai Police chief, and the allegation that the Home Minister had asked for Rs 100 crore collection from restaurant and bar owners would not have surfaced. Everything would have been hunky dory. The ‘collections’ from restaurant and bar owners by police would have continued unabated and no one would have been wiser.
Nobody can forget how chief minister Uddhav Thackeray had defended Sachin Vaze in the assembly. Nobody can forget how Sharad Pawar tried to defend his Home Minister in public. The top political leaders were trying to protect each other and were trying to hush up the matter. Both Uddhav Thackeray and Pawar’s party are in a coalition government, but when such a can of worms opens up, there is a certain limit up to which a leader can protect the other.
There is full possibility of the heat of CBI probe against Anil Deshmukh reaching the chief minister, because the ex-police chief had claimed that he had given detailed information about this to Uddhav Thackeray. But the chief minister did not act on his information. Uddhav Thackeray now faces a crucial political challenge to his authority. It remains to be seen how he handles this challenge.
तेजी से फैलने वाली और ज्यादा घातक है कोरोना की दूसरी लहर
कोरोना महामारी की दूसरी लहर पूरे देश को अपनी चपेट में ले चुकी है। यह पहले से ज्यादा खतरनाक है और इसके फैलने की रफ्तार भी पहले से कहीं ज्यादा तेज है। शुक्रवार को कोरोना के नए मामलों की संख्या 90 हजार के आंकड़े को छू गई। 24 घंटे में कुल 89,129 मामले सामने आए। इससे एक दिन पहले कुल 81,466 नए केस सामने आए थे।
सबसे ज्यादा बुरा हाल महाराष्ट्र का है जहां कोरोना के 47,827नए मामले आए हैं। शुक्रवार को देशभर में इस वायरस के संक्रमण से कुल 714 लोगों की मौत हुई जिसमें अकेले महाराष्ट्र में 220 मौतें दर्ज की गई हैं। इस महामारी की पहली लहर के दौरान जिस रफ्तार से मामले बढ़े थे उसकी तुलना में मौजूदा रफ्तार करीब तीन गुना ज्यादा है। पिछले साल 17 सितंबर को एक दिन में कोरोना के सर्वाधिक 98,795 मामले दर्ज किए गए थे और मौजूदा लहर को देखें तो यह तेज गति से इस आंकड़े की ओर बढ़ रही है।
यह महामारी तेजी से कर्नाटक( शुक्रवार को 4,991 नए मामले ), दिल्ली (3,594), तमिलनाडु (3,290), पंजाब (2,903), गुजरात (2,640), और मध्य प्रदेश (2,777) में फैल रही है। कोरोना के 80 प्रतिशत से ज्यादा नए मामले इन राज्यों में हैं। शुक्रवार को स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने यह स्पष्ट कर दिया कि महामारी की दूसरी लहर पहले की तुलना में ज्यादा घातक और खतरनाक है। विशेषज्ञों ने यह अनुमान जताया है कि अगले कुछ दिनों में हालात ऐसे हो सकते हैं जब रोजाना एक लाख से ज्यादा कोरोना के मामले सामने आएंगे, इसलिए कोरोना के गाइडलाइंस का पालन करने के लिए और सख्ती बरतने की जरूरत है।
यह चेतावनी बिल्कुल स्पष्ट है कि अगर अब भी नहीं संभले तो फिर अमेरिका और ब्राजील जैसे हालात होने में वक्त नहीं लगेगा। हमें भी उन्हीं चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है जिनका सामना अमेरिका और ब्राजील ने किया है। ये दोनों देश मौजूदा समय में कोरोना की लिस्ट में शीर्ष पर हैं। पिछले साल सितम्बर में जब यह महामारी अपने चरम(पीक) पर थी तो रोजाना 97 हज़ार नए मामले आते थे। पॉजिटिविटी और मृत्यु दर भी बढ़ रही और ये हम सभी के लिए अत्यंत चिंता की बात है।
केंद्र ने 11 राज्यों को ‘गंभीर चिंता वाले राज्यों’ के रूप में पहचान की है जहां कोरोना के नए मामले और इससे होनेवाली मौतों में वृद्धि हो रही है, लेकिन रोकथाम के उपायों को लागू करने में कोई सराहनीय पहल नहीं हुई है। कैबिनेट सचिव ने शुक्रवार को सभी राज्यों को निर्देश दिया कि वे अपने राज्य प्रशासन को सक्रिय करें और महामारी को फैलने से रोकने के लिए सभी संसाधनों का इस्तेमाल करें।
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने शुक्रवार शाम अपने लाइव स्पीच में इस बात की चेतावनी दी कि अगले दो दिनों में लॉकडाउन लागू करने पर फैसला हो सकता है। ठाकरे ने कहा, ‘मैं इसकी अभी घोषणा तो नहीं कर रहा हूं लेकिन पूर्ण लॉकडाउन की चेतावनी दे रहा हूं । मैं देखूंगा कि क्या हम कोरोना के बढ़ते मामलों को रोकने के लिए एक व्यावहारिक समाधान ढूंढ सकते हैं।’
महाराष्ट्र सरकार पूरे राज्य के स्तर पर लॉकडाउन लागू करने की बजाय मुंबई, पुणे, ठाणे और नागपुर जैसे आठ क्षेत्रों में लॉकडाउन लागू कर सकती है, जहां कोरोना के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। पुणे में रोजाना 12 घंटे के कर्फ्यू की पहले ही घोषणा की जा चुकी है। छत्तीसगढ़ में राज्य सरकार ने कोरोना हॉटस्पॉट बन चुके दुर्ग और बेमेतरा जिले में 9 दिनों का लॉकडाउन किया है। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने छिंदवाड़ा जिले में तीन दिनों के पूर्ण लॉकडाउन का आदेश दिया है। भोपाल, इंदौर, जबलपुर, बैतूल, छिंदवाड़ा, खरगोन, रतलाम, ग्वालियर, उज्जैन, विदिशा और नरसिंहपुर जिलों में वीकेंड लॉकडाउन लगाया गया है। यानि शनिवार रात 9 बजे से सोमवार शाम 6 बजे तक इन शहरों में लॉकडाउन लागू रहेगा। कर्नाटक में राज्य सरकार ने आठ जिलों में नए प्रतिबंध लगाए हैं, जिनमें स्कूल, जिम और स्विमिंग पूल को बंद करना शामिल है। पंजाब के अधिकांश शहरों में पहले से ही रात का कर्फ्यू लगा हुआ है।
केवल नाइट कर्फ्यू, आंशिक लॉकडाउन जैसे फैसले करने, कागजों पर योजना बनाने, आदेश देने से क्या होगा। जमीनी हकीकत इससे बिल्कुल अलग है। महाराष्ट्र में सरकार ने सख्त नियम तो पहले से बना रखे हैं लेकिन मुश्किल ये है कि नियमों का पालन नहीं हो रहा है। न सरकार पालन करवा रही है और न लोग सरकारी नियमों को मान रहे हैं। शुक्रवार की रात को अपने प्राइम टाइम शो ‘आज की बात’ में हमने दिखाया कि कैसे महाराष्ट्र के सतारा जिले के बसावत बावन इलाके में होली के तुरंत बाद बगड़ यात्रा उत्सव को मनाने के लिए हजारों लोग इकट्ठा हो गए। इस यात्रा में हजारों लोगों की भीड़ ने भाग लिया। यह कोरोनावायरस को एक खुला निमंत्रण है क्योंकि यह भीड़ में तेजी से फैलता है।
इंडिया टीवी संवाददाता ने बताया कि पिछले एक महीने से इस यात्रा को लेकर जिला प्रशासन, पुलिस और स्थानीय लोगों के बीच लोगों के बीच मीटिंग चल रही थी कि यात्रा को होने दिया जाए या नहीं। लेकिन होली पर जब यात्रा नहीं हुई तो पुलिस भी निश्चिंत हो गई। लेकिन होली के चार दिन के बाद हजारों लोग अचानक सड़कों पर आ गए। हालांकि जब इस भीड़ की तस्वीरें पुलिस को दिखाई गई और प्रशासन से सवाल पूछे तो पुलिस ने कोविड नियमों के उल्लंघन के मामले में एफआईआर दर्ज की और यात्रा के आयोजन करने को लेकर 50 गांववालों को हिरासत में ले लिया। वहीं गांववालों का तो कहना है कि जब चुनावी रैलियां हो सकती हैं तो फिर किसी को धार्मिक यात्रा में क्या दिक्कत है?
सतारा जिला पुणे के बिल्कुल पास है और पुणे कोरोना का बड़ा हॉटस्पॉट बन चुका है। इसके बाद भी सतारा में प्रशासन इस यात्रा को रोकने में विफल रहा। अकेले पुणे शहर में एक दिन में 9 हजार से ज्यादा नए मामले सामने आए हैं। अगर प्रशासन समय पर कार्रवाई करता तो महामारी को फैलने से रोका जा सकता था।
मुंबई में भी कमोबेश ऐसे ही हालात हैं। यहां प्रशासन ने पाबंदियां लगाई थीं लेकिन हर रोज लोकल ट्रेन, स्टेशन और बाजारों में भीड़ जस की तस है। लेकिन कोई कार्रवाई नहीं होती। इसका नतीजा ये हो रहा है कि कोरोना के मरीजों की संख्या बहुत तेजी से बढ़ रही है। मुंबई में चौबीस घंटों में 8, 832 केस सामने आए हैं। चिंता की बात ये है कि धारावी (एशिया की सबसे बड़ी झुग्गी) जैसे घनी आबादी वाले इलाके में कोरोना की रफ्तार नियंत्रण से बाहर हो गई है।
कई लोगों को लगता है कि कोरोना उन्हें नहीं होगा। यह धारणा उनके मन में है कि वे उनकी रोग प्रतिरक्षा प्रणाली मजबूत है और कोरोना उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाएगा। ऐसे लोगों को मैं बताना चाहता हूं कि कोरोना किसी को नहीं छोड़ता। बड़े-बड़े लोगों को छोटी-छोटी गलतियां भारी पड़ जाती हैं। अब सचिन तेंदुलकर को ही लीजिए। वे स्पोर्टस पर्सन हैं, फिट हैं और अभी-भी खेलते हैं। कोरोना प्रोटोकॉल का पालन करते हैं, भीड़भाड़ में नहीं जाते, सोशल डिस्टेंसिंग अपनाते हैं लेकिन इसके बाद भी कोरोना सचिन तेंदुलकर तक पहुंच गया और एक हफ्ते में ऐसी हालत हो गई कि सचिन को हॉस्पिटल में भर्ती होना पड़ा। अब सवाल ये है कि सचिन तेंदुलकर ने गलती क्या की? असल में सचिन रोड सेफ्टी वर्ल्ड सीरीज़ में हिस्सा लेने के लिए रायपुर गए थे। यहां उन्होंने इंडिया लेजेंड्स की कप्तानी की थी और फाइनल मुकाबले में श्रीलंका को हराने के बाद जब वो मुंबई लौटे तो उनके साथ कोरोना वायरस भी उनके घर पहुंच गया।
अब रॉबर्ट वाड्रा को ही लें। मैं उन्हें अच्छी तरह जानता हूं कि वो फिटनेस के मामले में कोई समझौता नहीं करते। रोजाना जिम जाते हैं और बहुत फिट हैं। फिर भी कोरोना राबर्ट वाड्रा तक पहुंच गया। उनमें किसी तरह का कोई लक्षण नहीं है इसलिए वो फिलहाल घर में ही आइसोलेटेड हैं। ऐसे और भी उदाहरण हैं जैसे अभिनेत्री आलिया भट्ट शारीरिक रूप से फिट हैं, लेकिन कोरोना से संक्रमित हो गईं। सुपरस्टार आमिर खान, वे अपना बेहद ख्याल रखते हैं, कोविड गाइडलाइंस का पालन करते हैं फिर भी वे घर में आइसोलेटेड हैं। बीजेपी सांसद मनोज कोटक दो बार वायरस से संक्रमित हुए। मिलिंद सोमन जो हमेशा शारीरिक रूप से फिट रहते हैं उनकी भी कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई।
दिल्ली में भी कोरोना तेज रफ्तार से बढ रहा है। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने शुक्रवार को केंद्र से अपील की कि वह 18 साल से ऊपर के सभी लोगों को वैक्सीन लगाने की इजाजत दे। हालांकि उन्होंने लॉकडाउन से इनकार कर दिया। एक सवाल के जवाब में केजरीवाल ने कहा कि अगर हालात बिगड़े तो लॉकडाउन भी एक विकल्प होगा लेकिन वो लॉकडाउन का फैसला जनता से पूछकर करेंगे। 18 साल से ज्यादा उम्र के सभी लोगों को वैक्सीन देने के लिए, बड़ी संख्या में वैक्सीन के साथ ही स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं की भी जरूरत होगी। अच्छी बात ये है कि जिस रफ्तार से कोरोना बढ़ रहा है वैक्सीनेशन भी उसी तेजी से हो रहा है। वैक्सीन लगवाने के लिए लोगों में उत्साह दिख रहा है। आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक अब तक 7 करोड़ से ज्यादा लोगों ने वैक्सीन के लिए अपना नाम रजिस्टर्ड कराया है, इनमें से 3.75 करोड़ लोग वैक्सीन ले चुके हैं।
वैक्सीनेशन बहुत जरूरी है। मैं फिर से सभी से अपील करूंगा कि अपना नाम कोविन (CoWin) ऐप पर रजिस्टर्ड करें, अपॉइंटमेंट लें और नजदीक के वैक्सीनेशन सेंटर पर जाकर वैक्सीन लें। देरी मत कीजिए। लोगों की इन गलत धारणाओं से निकलें जिसमें कुछ लोग यह कहते हैं कि वो पूरी तरह स्वस्थ हैं, उनकी इम्युनिटी अच्छी है, उन्हें वैक्सीन की क्या जरूरत है? हमने लोगों को ये कहते सुना कि गांव के लोगों को कोरोना नहीं होता। कोई कहता था कि मेहनत करने वालों को कोरोना नहीं होता। कुछ लोग कहते थे कि कोरोना धूप में मर जाता है। जो लोग धूप में रहते हैं, खेत में पसीना बहाते हैं उन्हें कोरोना नहीं होता। उन विशेषज्ञों की सुनें जिनका कहना है कि कोरोना किसी को भी हो सकता है और आपकी इम्युनिटी कितनी भी अच्छी क्यों न हो कोरोना कितना खतरनाक हो सकता है, इसका अंदाजा इन्फेक्शन होने के बाद ही होता है। जब कोरोना वायरस आपकी कोशिकाओं, और अंगों पर आक्रमण करना शुरू कर देता है, तब पता चलता है कि एक रोगी को किस हालात से गुजरना पड़ता है। अगर इम्युनिटी अच्छी भी है तो वैक्सीन लेने से आप और बेहतर तरीके से कोरोना से लड़ पाएंगे। अस्पताल में भर्ती होने की नौबत से बच सकते हैं और आप घर पर रहकर भी स्वस्थ हो सकते हैं।
सुपरस्टार सलमान खान की फिटनेस तो सब जानते हैं। सलमान नियमित रूप से जिम जाते हैं, फिटनेस का पूरा ख्याल रखते हैं इसके बाद भी उन्होंने वैक्सीन लगवाई। अभिनेता सैफ अलीखान भी फिट हैं, एक्सरसाइज करते हैं लेकिन उन्होंने भी वैक्सीन ली। रवि शास्त्री प्लेयर्स के साथ ही रहते हैं। जिम से लेकर मैदान तक दिनभर दौड़ते हैं, फिर भी उन्होंने कोरोना के वैक्सीन डोज़ ली है। मलाइका अरोड़ा फिटनेस पर ध्यान देने वालों में है रोल मॉडल हैं, फिर भी उन्होंने वैक्सीन ली है।
कहने का मतलब ये है कि एक तो कोरोना से डरिए लेकिन वैक्सीन लगाने से मत डरिए। वैक्सीन जरूर लगवाइए। दूसरी बात ये है कि वैक्सीन पूरी तरह सुरक्षित है। कोरोना वायरस का हमला होने पर वैक्सीन ही जिंदगी की गारंटी है। अगर वैक्सीन लगी होगी तो कोरोना का संक्रमण होने पर भी आपको हॉस्पिटल तक नहीं जाना पड़ेगा। इसलिए वैक्सीन जरूर लगवाइए। एक और बात कहना चाहता हूं, वैक्सीन लगवाने के लिए भीड़ मत लगाइए। रजिस्ट्रेशन करवाइए और अपनी बारी का इंतजार कीजिए। और अंत में वह बात जो बेहद जरूरी है- वैक्सीन लगने के बाद भी कोरोना के दिशानिर्देशों का पालन कीजिए। मास्क लगाइए, हाथ समय-समय पर धोते रहिए, सेनेटाइजर का इस्तेमाल कीजिए और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कीजिए। हम सब साथ मिलकर इस महामारी को हराएंगे।
Second wave of Covid: More lethal and moves faster
The second wave of Covid pandemic is presently sweeping across India at a deadlier and faster pace. On Friday, the number of fresh Covid cases almost touched 90,000, with total number of 89,129 new cases reported. Only a day before, the number of fresh Covid cases was at 81,466.
The worst affected state is Maharashtra, which reported 47,827 new cases. Maharashtra accounted for 202 deaths out of a total of 714 Covid related deaths recorded across India on Friday. The rise is three times faster compared to the corresponding increase during the first wave of the pandemic. The highest single-day spike was recorded on September 17 last year at 98,795, and the current wave is fast moving towards that number.
The pandemic is spreading in Karnataka (4,991 cases on Friday), Delhi (3,594), Tamil Nadu (3,290), Punjab (2,903), Gujarat (2,640), and Madhya Pradesh (2,777). More than 80 per cent of the new cases are from these states.
On Friday, health experts made it clear that the second wave of the pandemic is more dangerous compared to the earlier one. They predicted that the single-day spike may jump to one lakh and more in the coming days, and there is a strong need for strictly enforcing Covid guidelines.
The warning is clear: if we in India fail to take precautions now, we may face the same challenges that the US and Brazil have faced. Both these countries are presently on top of the World Covid chart. In September last year, when the pandemic was at its peak in India, the daily average rise in cases was nearly 97,000. The positivity and fatality rates are also rising and these are matters of utmost concern to all of us.
The Centre has identified 11 states as “states of grave concern”, where the numbers of new cases and fatalities are rising, but there is no commensurate increase in enforcement of containment measures. The Cabinet Secretary, on Friday, directed all the states to galvanize their state administrations and use all resources at their disposal to stop the spread of the pandemic.
Maharashtra chief minister Uddhav Thackeray in his live address on Friday evening, warned that a decision on enforcing lockdown may be taken in the next two days. Thackeray said, “I am warning of a complete lockdown, not declaring it as of now. I will see if we can find a workable solution to stop the surge.”
The state government may impose lockdown in eight areas, like Mumbai, Pune, Thane, and Nagpur, that are leading the surge, rather than imposing a statewide lockdown. A 12-hour daily curfew has already been declared in Pune.
In Chhattisgarh, the state government has imposed a nine-day lockdown in Durg and Bemetera districts, which have emerged as Covid hotspots. Madhya Pradesh chief minister Shivraj Singh Chouhan ordered a complete 3-day lockdown in Chhindwara district. Weekend lockdown from Saturday 9 pm till Monday 6 am has been imposed in Bhopal, Indore, Jabalpur, Betul, Chhindwara, Khargone, Ratlam, Gwalior, Ujjain, Vidisha and Narsinghpur districts. In Karnataka, the state government has imposed new restrictions in eight districts, that include closure of schools, gyms and swimming pools. Night curfews are already in place in most of the cities of Punjab.
Only announcements of night curfew and partial lockdown will not do. These are mostly on paper, whereas the ground realities are quite different. Maharashtra government had already announced strict measures, but most of it are either not being implemented in full or being enforced in a cosmetic manner. In my prime time show ‘Aaj Ki Baat’ on Friday night, we showed how thousands of people gathering in Basavat Bavdhan area of Maharashtra’s Satara district to celebrate an annual Bagad Yatra festival that takes place soon after Holi. Thousands of people, jampacked in crowds, took part in the yatra. This is an open invitation to the Coronavirus that spreads wherever crowds assemble.
India TV reporter said, for the last one month, meetings were going on between the district administration, police and local community on whether to allow the yatra to take place or not. There was no yatra after Holi, but after four days, all of a sudden, thousands of villagers came out and took part in the yatra. The local administration was helpless. When videos of the yatra surfaced, police filed FIRs and detained nearly 50 villagers. The local villagers had a simple question: if huge election rallies and road shows can be organized in other states, then why not a yatra?
Satara district is close to Pune, one of the top hotspots where Covid pandemic is raging, but the administration failed to prevent crowds from taking out the yatra. In Pune city alone, more than 9,000 fresh cases were reported on a single day. Had the administration taken timely action, the spread of pandemic could have been prevented.
Same is the situation in Mumbai. Every day there are crowds inside local trains, buses and markets, but no action was taken. The result: the daily surge in Mumbai alone was 8,832. The situation is going out of control in Asia’s largest sum, Dharavi, where several lakh people living in congested localities.
I have heard there are many people who are under the false impression that they would never be infected by the virus as they have developed strong immunity. I want to tell them that Coronavirus does not spare any one, irrespective of whether one has developed immunity or not. Take the instance of our sports icon Sachin Tendulkar. He avoids crowds, sticks to his practices and game, never meets strangers, and yet he was hospitalized on Friday after he was found Covid positive. How: He had gone to Raipur to lead India Legends team in Road Safety World Series. After defeating Sri Lanka, when he returned home, the virus came with him.
Take the case of Robert Vadra. I know him personally, goes to gym daily, takes care of his body and immunity, practices social distancing, had no symptoms, but was found Covid positive.. He is presently in home quarantine. More examples: actor Alia Bhatt, physically fit but was infected with the virus, superstar Aamir Khan, takes care of his physique, practices social distancing, and yet he is in home quarantine. BJP MP Manoj Kotak was infected by the virus twice. Milind Soman, who is always physically fit, was tested Covid positive.
With the virus spreading fast in Delhi too, chief minister Arvind Kejriwal on Friday appealed to the Centre to allow vaccination of all people above the age of 18 years. He however ruled out a lockdown, but added a rider saying that he would consult people before imposing any lockdown. To vaccinate all above the age of 18 years, a huge number of vaccines and health workers are required. It is nice to find that a large number of people have started turning up to take vaccines. Till now, more than 7 crore Indians have registered their names for vaccine. Out of them, 3.75 crore people walked in to vaccination centres to get the jabs, according to official data.
I will again appeal to all to get your names registered on CoWin App, take appointment, and go to the nearest vaccination centre to take the jab. Do not delay. Cast aside the false notion that nothing may happen to you because your immunity is strong. Discard wrong impressions of people who claim that they will never get the virus, because they toil hard in summer, do their gym workouts regularly. Listen to experts who are saying that the virus may attack any individual, immunity or no immunity.
Once the Coronavirus start invading your cells, tissues and organs, you will know the trauma a patient has to go through. If you take the vaccines, there may be a slim chance of being hospitalized. You can recover by undergoing treatment at home. Remember how superstar Salman Khan, who takes meticulous care of his physique, opted to take the vaccine for protecting himself from the virus. Actor like Saif Ali Khan, who is a fitness freak, Ravi Shastri, who spends most of his time playing cricket with players, Malaika Arora, a role model for women who take care of their physical fitness: all of them got vaccinated.
My advice is: Fear the virus, but do not fear the vaccine. The Covid vaccines are safe, they are meant to protect you when the virus strikes your body, the vaccine is your guarantee of life. If you take the jab, you will not have to go to the hospital, if you are infected.. One more advice: do not jostle in crowds to take vaccine. Take your appointment and await your turn. And, of course the perennial advice: Continue with Covid precautions, wearing masks, avoiding crowded places, frequent washing of hands and social distancing. We will beat this pandemic together.
नंदीग्राम में वोटिंग के दिन गांववालों को किसने धमकाया था?
इंडिया टीवी पर हमने आपको दिखाया कि नंदीग्राम में मतदान के दिन कैसे खौफज़दा गांववाले केंद्रीय सुरक्षाबलों के साये में वोट डालने के लिए मतदान केंद्र तक जा रहे थे। इन ग्रामीणों में महिला और पुरुष दोनों थे। इन लोगों ने तृणमूल के कुछ स्थानीय नेताओं का नाम लिया जिन्होंने उन्हे मतदान के दिन घरों से बाहर न निकलने और वोट न देने की धमकी दी थी। इससे पता चलता है कि नंदीग्राम में किस तरह से आतंक का माहौल बनाया गया था जहां से तृणमूल कांग्रेस की सर्वेसर्वा ममता बनर्जी अपने राजनीतिक अस्तित्व को बचाने की लड़ाई लड़ रही हैं।
अब तक हम केवल ये सुनते आये थे कि तृणमूल के नेता और बााहुबली बंगाल में भाजपा की रैलियों में शामिल नहीं होने के लिए लोगों को धमकी देते हैं, लोगों को बीजेपी की रैली में जाने पर डराते हैं। हम ऐसा भी सुनते थे कि यहां के गांववाले लोकल पुलिस पर कभी भरोसा नहीं करते। लेकिन सेंट्रल फोर्सेज को देखकर उनकी हिम्मत बढ़ी है और लोग एकजुट होकर वोट देने के लिए घरों से बाहर निकले। बीजेपी के नेता बार-बार कहते हैं कि तृणमूल के लोगों ने उनके कार्यकर्ताओं की पिटाई की, डराया और कई जगह हत्याएं हुईं। इन सब आरोपों पर यकीन करना कई बार मुश्किल होता था लेकिन नंदीग्राम में पोलिंग के दिन जो कुछ दिखा उससे यह मनना पड़ेगा की तृणमूल के गढ़ वाले इलाकों में आतंक का राज है।
इन गांववालों ने इंडिया टीवी के संवाददाता अमित पालित को बताया कि कैसे तृणमूल के नेता उनके घरों पर आए और मिथुन के रोड शो में शामिल होने पर धमकाया। इनके गांव में केंद्रीय सुरक्षा बलों की टीम भेजी गई और इन ग्रामीणों को पोलिंग बूथ तक लाया गया ताकि ये बिना किसी भय के अपने वोट डाल सकें।
हमने गुरुवार को एक और दृश्य दिखाया कि कैसे मुस्लिम बहुल इलाके में बीजेपी प्रत्याशी शुभेंदु अधिकारी के काफिले की गाड़ियों पर पथराव हुआ। शुभेंदु की गाड़ियों के पीछे मीडिया की गाड़ियां भी थी। अचानक सड़क के दोनों तरफ से पत्थरों की बारिश होने लगी। गाड़ियों के शीशे चकनाचूर हो गए। इंडिया टीवी की गाड़ी के शीशे भी फूटे और हमारे संवाददाता पवन नारा के सिर में चोट भी लगी। जैसे ही शुभेंदु अधिकारी को हमले की खबर मिली तो उन्होंने काफिले को रोका और इंडिया टीवी की गाड़ी के पास आए। उन्होंने कहा, ‘ये बेगम के जंगलराज का सबूत है। बंगाल के लोगों को देखना चाहिए। यहां तृणमूल के लोकल मुस्लिम लीडर और बाहुबली शेख सूफियान के खिलाफ पहले से ही गैर-जमानती वारंट लंबित है, ये बाहरी लोगों को मदरसा बूथ पर धांधली के लिए लए थे। अभी बंगाल चुनाव में 6 चरण बाकी है, इसे सबको दिखना चाहिए कि यहां क्या हो रहा है।’
शुभेंदु अधिकारी नंदीग्राम के ब्लॉक-1 में हमले के लिए सीधे-सीधे मुसलमानों को जिम्मेदार क्यों ठहरा रहे हैं? इसका अंदाजा आपको नंदीग्राम के मुसलमानों की बात सुनकर हो जाएगा। इंडिया टीवी संवाददाता मनीष भट्टाचार्या भी नंदीग्राम के उसी इलाके में थे जहां पथराव हुआ था। यहां के तृणमूल समर्थक मुस्लिम मतदाताओं ने कहा, ‘इस बार तो शुभेंदु दादा गया, न ओवैसी चलेगा, न पीरजादा, मुसलमानों का सौ प्रतिशत वोट ममता को मिलेगा।’
ममता बनर्जी इस बात को अच्छी तरह से जानती हैं कि बंगाल में मुस्लिम मतदाता उनके समर्थन में एकजुट हैं और किसी भी हद तक जा सकते हैं क्योंकि उन्हें डर है कि बीजेपी सत्ता में आ सकती है। इसीलिए ममता बनर्जी ने मुस्लिम इलाकों से ज्यादा हिंदू इलाकों पर फोकस किया। ममता ने बूथ पर पहुंचकर करीब दो घंटे तक ड्रामा किया। दो घंटे से ज्यादा वक्त तक वह व्हीलचयर पर बूथ में बैठी रहीं। इस बीच उन्होंने राज्य़पाल जगदीप धनखड़ को फोन करके शिकायत की। ममता ने राज्यपाल से बंगाल में निष्पक्ष चुनाव कराने की मांग की। उन्होंने अपने हाथ से चुनाव आयोग को 2 पेज की चिट्ठी लिखी और यह आरोप लगाया कि केंद्रीय बल धांधली की इजाजत दे रहे हैं। यह सब राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मीडिया का ध्यान आकर्षित करने के लिए किया गया था।
ममता बनर्जी का कहना है कि उन्हें शिकायत मिली थी कि हिंदू बहुल क्षेत्र बोयाल में मुस्लिम मतदाताओं को वोट डालने से रोका जा रहा है। ममता जब पोलिंग बूथ पर पहुंची तब इंडिया टीवी के रिपोर्टर मनीष भट्टाचार्य वहीं मौजूद थे। अचानक बड़ी संख्या में तृणमूल समर्थक वहां नारेबाजी करते हुए आए और भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं के साथ झगड़ा शुरू कर दिया। तृणमूल सुप्रीमो की मौजूदगी में ही दोनों तरफ से नारेबाजी हुई, और फिर मारपीट भी हुई। अच्छी बात यह रही कि केंद्रीय सुरक्षा बलों की एक बड़ी टीम मौके पर आई और हालात को बिगड़ने से रोक लिया।
चुनाव आयोग के खिलाफ शिकायत करने के लिए एक पोलिंग बूथ के बाहर दो घंटे तक बैठे रहना और फिर राज्यपाल को फोन करना, ममता की नाटकीय शैली थी । ये वही राज्यपाल थे, जिन्हें वह पिछले कई सालों से ‘बीजेपी का एजेंट’ बता कर कोसती थीं । एक बूथ के बाहर ममता के होने की खबर तेजी से फैली, और कुछ ही देर बाद चुनाव आयोग के ऑब्जर्वर वहां पहुंच गए, और अपनी रिपोर्ट दिल्ली स्थित EC के कंट्रोल रूम को भेज दी।
चुनाव आयोग ने शाम को इस बारे में मीडिया को बताया, ‘मीडिया के कई हिस्सों में यह कवर किया गया कि नंदीग्राम विधानसभा सीट की बूथ संख्या 7 पर मुख्यमंत्री के कथित घेराव और भीड़ जमा होने के कारण मतदान की प्रक्रिया बाधित हुई। जनरल ऑब्जर्वर हिमेन दास (IAS 2009 बैच) और पुलिस ऑब्जर्वर आशुतोष रॉय (IPS 1994 बैच) से तत्काल मौके पर पहुंचने के लिए कहा गया था। जनरल ऑब्जर्वर की रिपोर्ट 4.06 मिनट पर मिली, जिसमें कहा गया, ‘गुड ऑफ्टरनून सर, बूथ संख्या 7 (बोयाल मोक्ताब प्राइमरी स्कूल) पर मतदान सुचारु रूप से चल रहा है। मुख्यमंत्री, जो कि प्रत्याशी भी हैं, वहां करीब डेढ़ घंटे तक रहने के बाद लगभग 3.35 बजे चली गईं।’
‘इसका संज्ञान लिया जाए कि यहां पर पूरे समय मतदान में कोई व्यवधान नहीं हुआ। अब तक कुल 943 मतों में से 702 मत डाले जा चुके हैं। यहां 74 फीसदी मतदान हुआ है। जब हम मौके पर पहुंचे तो वहां करीब 3,000 लोग थे। अब सभी लोग वहां से जा चुके हैं। अब यहां पर मैं, पुलिस ऑब्जर्वर और CAPF समेत अधिकृत पुलिसकर्मी ही मौजूद हैं। सादर।’
‘पश्चिम बंगाल के मुख्य निर्वाचन अधिकारी के माध्यम से मुख्यमंत्री की ओर से दोपहर के समय हस्तलिखित शिकायत मिली जिसके बाद इसे विशेष पर्यवेक्षक अजय नायक और विशेष पुलिस पर्यवेक्षक विवेक दुबे के पास भेज दिया गया। उनसे शुक्रवार शाम 6 बजे तक रिपोर्ट देने के लिए कहा गया है।’
इसका मतलब है कि ममता तिल का ताड़ बना रही थीं। वह नाटक रच रही थीं जबकि उनकी खुद की पार्टी के गुंडे गांवों में लोगों को वोट देने के लिए घर से बाहर न निकलने की धमकी दे रहे थे।
ममता के प्रतिद्वंद्वी शुभेंदु अधकारी ने कहा कि इससे साफ पता चलता है कि ममता नंदीग्राम में हार रही हैं। उन्होंने दावा किया कि नंदीग्राम के अधिकांश मतदाताओं ने उनके पक्ष में मतदान किया है। अधिकारी ने पूछा कि पोलिंग बूथ के बाहर 2 घंटे तक बैठकर ममता ने आचार संहिता का उल्लंघन कैसे नहीं किया।
उसी समय उलुबेड़िया और जयनगर में प्रधानमंत्री ने चुनाव रैलियों को संबोधत करते हुए कहा, ‘बंगाल की जनता ने इस बार ममता को सबक सिखाने का फैसला कर लिया है। लोगों के गुस्से से दीदी को कोई नहीं बचा सकता। दीवार पर लिखी हुई इबारत पढ़ लीजिए। पहले चरण के मतदान के बाद इस बात का अच्छी तरह अंदाजा लग चुका है। अभी कुछ ही देर पहले नंदीग्राम में जो हुआ, वह हम सबने देखा है। यह दिखाता है कि दीदी अपनी हार मान चुकी हैं।’
मोदी ने ममता पर सीधा सवाल दागते हुए कहा, ‘दीदी, अभी भी आखिरी चरण के चुनाव के लिए नामांकन पत्र दाखिल किया जाना है। जरा बताइए। इस बात में कितनी सच्चाई है, यहां कानाफूसी चल रही है कि आप अचानक किसी दूसरी सीट से फॉर्म भरने जा रही हैं? आप पहली बार नंदीग्राम गईं और वहां की जनता ने आपको दिखा दिया। आप कहीं और जाएंगी तो वहां भी बंगाल के लोग (आपको सबक सिखाने के लिए) तैयार बैठे हैं।’
तृणमूल कांग्रेस के प्रवक्ता ने देर शाम औपचारिक तौर पर इस बात से इनकार कर दिया कि ममता किसी दूसरी सीट से नामांकन पत्र दाखिल करने जा रही हैं। प्रवक्ता ने कहा, ‘अगर बीजेपी के नेताओं को बंगाल से इतना ही प्यार है तो प्रधानमंत्री या गृह मंत्री यहां नामांकन क्यों नहीं दाखिल करते?’ तृणमूल की एक अन्य सांसद महुआ मोइत्रा ने ट्वीट किया: ‘दूसरी सीट से चुनाव लड़ने जा रही हैं? हां, मिस्टर प्राइम मिनिस्टर, और वह वाराणसी की सीट होगी। इसलिए जाइए, और पूरी तैयारी कर लीजिए।’
इंडिया टीवी के पत्रकारों को इस बात का श्रेय जाता है कि उन्होंने गुरुवार को जबर्दस्त साहस दिखाते हुए केंद्रीय बलों के संरक्षण में अपना वोट डालने के लिए पोलिंग बूथों पर पहुंचे ग्रामीणों से बात की। हमारे रिपोर्टरों ने तृणमूल समर्थकों के पथराव का सामना किया, जिसमें हमारे एक रिपोर्टर घायल भी हो गए। हमारे तीसरे रिपोर्टर ने दिखाया कि मुख्यमंत्री की मौजूदगी में कैसे तृणमूल और बीजेपी के समर्थक आपस में भिड़ गए।
बंगाल में चुनाव कराने से पहले चुनाव आयोग जानता था कि बूथ कैप्चरिंग की कोशिश की जाएगी, और इसलिए 8 चरणों के मतदान और केंद्रीय बलों की भारी तैनाती का विकल्प चुना गया। उस समय 8 फेज की वोटिंग पर सबसे पहले ममता बनर्जी ने ही आपत्ति जताई थी। गुरुवार को कैमरे पर जब गांव के लोगों ने बताया कि वह किस तरह खौफ के माहौल में जी रहे हैं, उससे सारा भेद खुला।
दूसरी बात ये है कि गुंडों द्वारा मारपीट और डराने-धमकाने का ज्यादा असर नहीं हुआ, और आम मतदाता ने मतदान के दिन हिम्मत दिखाई। यह बात गुरुवार को ममता बनर्जी के निराश और हताश चेहरे से जाहिर थी, जब वह एक पोलिंग बूथ के बाहर अपनी व्हीलचेयर पर बैठी थीं। ममता कभी इतनी उदास नज़र नहीं आई । यह उनकी सामान्य शैली नहीं थी। उन्होंने गृह मंत्री अमित शाह पर आरोप लगाया और कहा कि केंद्रीय सुरक्षा बलों ने पक्षपातपूर्ण तरीके से काम किया। ममता ने चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर भी सवाल उठाया।
सवाल अभी भी सामने है: ममता नंदीग्राम में जीत दर्ज करेंगी या उनकी हार होगी?
Nandigram: Who threatened villagers on voting day?
On polling day in Nandigram, we showed on India TV, how villagers, both men and women, fearing for their lives, were walking towards the polling booth near their village, with central security forces accompanying them. These men and women named some local Trinamool leaders, who had threatened them not to come out of their homes and vote. This was how a reign of terror had been created in Nandigram, where the Trinamool supremo Mamata Banerjee is fighting a raging battle to save her political existence.
Till now, we had been only hearing news of Trinamool leaders threatening people not to attend BJP rallies in Bengal, we used to hear how villagers never trusted the local police, but after a long time, people have mustered courage to come out and vote, with central security forces protecting them. Till now, we used to take all accusations made by BJP leaders against TMC about beatings and killings, with a pinch of salt, but after watching the video of poor, innocent villagers narrating how hooligans came to their homes and threatened them not to vote, one has to believe that there indeed is a reign of terror in TMC strongholds.
These villagers told India TV reporter Amit Palit, how TMC leaders came to their homes and threatened them for attending Mithun Chakraborty’s road show. A central security force team went to their village, and brought the villagers to the polling booths so that they could freely cast their votes.
In another visual on Thursday, we showed how a convoy of vehicles led by BJP candidate Suvendu Adhikari was stoned in a Muslim-dominated locality. India TV crew vehicle was in the convoy, and it bore the brunt of stoning. The car windshield was smashed, and India TV reporter Pawan Nara was injured. When Suvendu Adhikari came to know about this, he stopped his convoy, came to India TV crew vehicle, and said, “the world must see the jungle raj created by the Begum. There is already a non-bailable warrant pending against local Muslim TMC strongman Sheikh Sufian, they brought outsiders to rig voting at Madrasa booth, there are six phases of poll remaining, and the world should see what is happening here.”
Why was Suvendu Adhikari making allegations against Muslim supporters of TMC in Block-1 of Nandigram? India TV reporter Manish Bhattacharya was present in the area where the stoning took place. Local Muslim TMC supporters told him, on camera,”Suvendu Dada will lose this time, neither Owaisi nor Pirzada will work here, One hundred per cent Muslim votes will go to Didi”.
Mamata Banerjee knows this quite well that Muslim voters in Bengal will support her this time en bloc, because they fear BJP may come to power. She therefore visited Hindu dominated areas of Nandigram, and staged a drama outside a booth, where she sat for more than two hours, rang up the state governor Jagdeep Dhankad, wrote a two-page letter to the EC in her own handwriting, alleging that central security forces were allowing rigging to take place. This was done in full view of national and international media, to garner attention.
Mamata Banerjee says that she had got complaints about Muslim voters not being allowed to vote in Boyal, a Hindu dominated area. India TV reporter Manish Bhattacharya was present, when Mamata reached the booth. Suddenly, a large number of TMC supporters came shouting slogans and started a fracas with BJP workers. There were clashes and fisticuffs, in the presence of Trinamool supremo. Fortunately, a large contingent of central security forces came to the spot and prevented the situation from deteriorating.
It was indeed a dramatic scene when Mamata Banerjee rang up the state governor from a polling booth, complaining against the Election Commission. This was the same governor, whom she had been labelling as ‘BJP agent’ for the last several years.
As news of Mamata waiting outside a booth travelled fast, Election Commission observers reached the scene, and sent this report to the EC control room in Delhi.
This is what the EC reported to the media: “Many sections of media have been covering the incident of alleged gherao of Hon’ble Chief Minister of West Bengal and crowding at Polling Station No. 7 at 210 Nandigram AC today that inter alia resulted in disruption of poll process. General Observer Shri Hemen Das (IAS 2009 batch) and Police Observer Shri Ashutosh Roy (IPS 1994 batch) were asked to go to the spot immediately. The report received from the General Observer at 4.06 pm is as follows: “Good afternoon sir, Polling at PS no 7 ( Boyal Moktab Primary School) is going on smoothly. Hon’ble CM, who is also a contesting candidate, has left the place at about 3.35 pm after staying here for nearly one and half hour.
“It may kindly be noted that polling was not disrupted at any moment. Till now, 702 votes, out of 943, have been polled. It’s 74%. Nearly 3000 people were there when we reached the station. All have left now. Now, me and Police Observer are here besides the authorised police personnel including CAPF. Regards”
“A separate hand written complaint was received from Hon’ble Chief Minister via CEO West Bengal today in the late afternoon. The same has been forwarded to Special General Observer Shri Ajay Nayak and Special Police Observer Shri Vivek Dube under intimation to CEO. They have been asked to send a report by tomorrow 6pm.”
So, much ado about nothing by Mamata. She was creating a drama, even as her party goons were threatening people in villages not to come out and vote.
Mamata’s rival Suvendu Adhikari said, this was clear indication of Mamata losing in Nandigram. He claimed that the majority of voters in Nandigram have voted in his favour. Adhikari questioned how Mamata violated Code of Conduct but sitting outside a polling booth for two hours.
At the same time, in Uluberia and Joynagar, Prime Minister Narendra Modi, addressing election rallies, said, “the people of Bengal have decided to teach Mamata a lesson this time. He said, nobody can now save Didi from people’s anger. She should read the writing on the wall. Already the indications were there after the first phase of polling. And now, whatever has happened in Nandigram, are indicative that Mamata is losing.”
Modi posed a direct question to Mamata: “Didi, the last phase of nominations still remains. Tell me, are the rumours true that you may file another nomination from a different constituency? You went to Nandigram, the people showed you what they wanted. If you go anywhere else, people are ready (to teach you a lesson).”
Late in the evening, Trinamool Congress spokesman formally denied that the party chief was going to file nomination from another constituency. The spokesman said, “if BJP leaders are so much in love with Bengal, why doesn’t the PM or the Home Minister file a nomination here?” Another Trinamool MP Mahua Moitra tweeted: “Contesting from second seat? Yes, Mr PM. She will, and it will be Varanasi. So go, get your armour on.”
It goes to the credit of India TV reporters, who, on Thursday, showed courage and spoke to villagers who went to booths under central forces’ protection to cast their votes. Our reporters faced stoning from TMC supporters, and one of them was injured. Our third reporter showed how TMC and BJP supporters clashed in the presence of the chief minister.
The Election Commission knew that there would be attempts to capture polling booths, and it, therefore, opted for an eight phase polling and heavy deployment of Central forces. At that time, the first to object to the eight-phase polling was Chief Minister Mamata Banerjee. Voters speaking on camera clearly described the reign of terror that had been unleashed.
Secondly, all these threats by goons did not work, and the common voters showed courage on the day of polling. This was evident from the glum visage of Mamata Banerjee on Thursday, sitting on her wheel chair outside a polling booth. Never had Mamata appeared so glum. This was not her usual style. She blamed Home Minister Amit Shah and said the central forces acted in a biased manner. She raised doubts about the neutrality of Election Commission.
The question is still open: Will Mamata win or lose in Nandigram?
ममता ने अपना गोत्र बताकर क्यों खेला हिंदू कार्ड?
पश्चिम बंगाल में हिंसा की छिटपुट घटनाओं के बीच विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण के लिए मतदान जारी है। इन घटनाओं में बीजेपी और तृणमूल के कई समर्थकों के हताहत होने की खबरें हैं। सबकी निगाहें नंदीग्राम पर टिकी हैं, जहां बड़ी संख्या में लोग वोट देने के लिए मतदान केंद्रों पर कतार में खड़े दिखे। इस सीट पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को कभी उनके वफादार रहे शुभेंदु अधिकारी चुनौती दे रहे हैं।
ममता बनर्जी बुधवार की पूरी रात नंदीग्राम में ही रहीं जहां उन्होंने अपने पार्टी के पोलिंग एजेंट्स के साथ चुनावी तैयारियों का पूरा आकलन किया। उपद्रवी तत्वों को इलाके में दाखिल होने से रोकने के लिए नंदीग्राम की ओर जानेवाली सभी सड़कों को सुरक्षा बलों ने सील कर दिया है। शांतिपूर्ण मतदान सुनिश्चित करने के लिए केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों की 22 कंपनियों को तैनात किया गया है। कई क्षेत्रों में हिंदू और मुस्लिम मतदाताओं के बीच तनाव भी देखा गया।
यह तनाव इसलिए है वोटिंग से कुछ घंटे पहले नंदीग्राम के वोटर्स को हिन्दू और मुसलमान में बंटा हुआ देखा गया । यहां वोटों का ध्रुवीकरण हो रहा है। बात कितनी बढ़ चुकी है इसका अंदाज आपको इस बात से हो जाएगा कि ममता बनर्जी ने बुधवार को एक सभा में अपना गोत्र बता दिया। उन्होंने कहा कि उनका गोत्र शांडिल्य है जो ब्राह्मणों के शीर्ष 8 गोत्रों में एक है। इससे साफ है कि वह अपना संदेश उन हिंदू मतदाताओं तक पहुंचाना चाहती थीं जिनका झुकाव बीजेपी उम्मीदवार शुभेंदु अधिकारी की ओर है। वहीं, ममता के गोत्र बताने का जवाब में बीजेपी ने जय श्रीराम का नारा लगाया । लगता है प्रधानमंत्री मोदी ने ममता की राजनीति का मुहावरा बदल दिया है।
उधर, ममता के गोत्र बताने के बाद AIMIM सुप्रीमो असदुद्दीन ओवैसी ने तीखी टिप्पणी की। ओवैसी ने आरोप लगाया कि बंगाल चुनाव में ज्यादातर राजनीतिक दल अब ‘हिंदू कार्ड’ खेल रहे हैं। ओवैसी ने ट्वीट किया, ‘मेरे जैसे लोगों के साथ क्या होना चाहिए जो न शांडिल्य हैं, न जनेऊधारी (राहुल गांधी के लिए) हैं, न किसी भगवान के भक्त हैं, न चालीसा पढ़ते हैं और न कोई पाठ करते हैं? हर पार्टी को लगता है कि उसे जीतने के लिए अपनी हिंदू साख दिखानी होगी। यह अनैतिक, अपमानजनक है और इसके सफल होने की संभावना नहीं है।’
ममता बनर्जी ने अपनी नंदीग्राम रैली में वास्तव में कहा क्या था? उन्होंने कहा था, ‘जब मैं मंदिर गई तो पुजारी ने मेरा गोत्र पूछा। मुझे याद है कि त्रिपुरेश्वरी मंदिर में मैंने कहा था कि मेरा गोत्र ‘मां, माटी और मानुष’ है, लेकिन जब पुजारी ने आज मेरा गोत्र पूछा, तो मैंने कहा, ‘व्यक्तिगत तौर पर मेरा गोत्र शांडिल्य गोत्र है, लेकिन मेरा मानना है कि मेरा गोत्र ‘मां , माटी और मानुष’ है।
ममता के गोत्र बताने पर बीजेपी ने उन पर निशाना साधा। केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह का गोत्र भी शांडिल्य है। उन्होंने कहा कि ममता उन्हीं की गोत्र की निकलीं लेकिन ममता ने सबसे ज्यादा परेशान अपने ही गोत्र के लोगों को किया। गिरिराज सिंह ने सवाल किया, ‘क्या रोहिंग्या और घुसपैठिये भी शांडिल्य हैं? जिन लोगों ने हिंदुओं का अपमान किया और दुर्गा पूजा जुलूसों पर प्रतिबंध लगाया, वे अब अपने गोत्र का खुलासा कर रहे हैं, क्योंकि उन्हें हार का डर है। शांडिल्य गोत्र राष्ट्र और सनातन धर्म को समर्पित है, वोटों को नहीं।’
ममता बनर्जी ने जब नंदीग्राम में 25 हिंदू मंदिरों का दौरा किया, तो बीजेपी के नेताओं ने आरोप लगाया कि वह एक फर्जी हिंदू हैं, क्योंकि उन्होंने रामनवमी का जुलूस को निकालने की इजाजत नहीं दी थी। ममता ने तब जवाब दिया कि वह एक धर्मपरायण हिंदू हैं और रोजाना चंडी पाठ का जाप किए बिना वह घर से बाहर नहीं निकलतीं।
अब नंदीग्राम के 70 फीसदी हिंदू और 30 फीसदी मुस्लिम मतदाता आज अपना फैसला देने वाले हैं। हालांकि ममता बनर्जी को मुस्लिम वोटों पर पूरा भरोसा है, और कई हिंदू मतदाता भी उनका समर्थन कर सकते हैं, लेकिन ममता उन्हें लेकर निश्चित नहीं हैं। बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने बुधवार को कहा कि ममता को महसूस हो गया है कि मतगणना के दिन (2 मई को) उनकी हार होने वाली है। उन्होंने कहा, ‘वह जानती हैं कि 2 मई के बाद उनको घर बैठना होगा। यही वजह है कि वह अपना गोत्र बता रही हैं और चंडी पाठ का जाप कर रही हैं। उन्होंने अप्रत्यक्ष रूप से मान लिया है कि बंगाल में भारतीय जनता पार्टी की जीत होगी।’
नड्डा ने कहा, यही वजह है कि ममता ने विपक्ष के अन्य नेताओं को SOS भेजा है। बुधवार को ममता ने सोनिया गांधी, फारूक अब्दुल्ला, नवीन पटनायक, वाईएस जगन मोहन रेड्डी, एमके स्टालिन, अखिलेश यादव, शरद पवार और अरविंद केजरीवाल सहित विपक्ष के 14 बड़े नेताओं को चिट्ठी भेजकर उनसे एकजुट होने की अपील की। अपने पत्र में ममता ने लिखा कि बीजेपी ‘भारत में एक पार्टी का शासन स्थापित करने’ की कोशिश कर रही है, जिसे रोकना ज़रूरी है।
नड्डा ने कहा कि ममता ने अन्य विपक्षी नेताओं को SOS भेजकर पैनिक बटन दबाया है, क्योंकि उन्हें हार का डर सता रहा है। असल में नंदीग्राम तृणमूल और बीजेपी की लड़ाई के सबसे बड़े केंद्र के रूप में उभरकर सामने आया है। ममता बनर्जी को चुनौती देने वाले शुभेंदु अधिकारी अपनी रैलियों में जय श्री राम का नारा लगा रहे हैं, और ममता को इसके मुकाबले में खुद को अधिकारी से भी बड़ा हिंदू साबित करने के लिए अपना गोत्र बताना पड़ा है।
बीजेपी के नेता इस बात से खुश हैं कि उन्होंने ममता बनर्जी को अपना गोत्र बताने को, अपने आपको धर्मपरायण ब्राह्मण बताने को मजबूर कर दिया। बीजेपी इसे अपनी वैचारिक जीत मानती है। बात कुछ हद तक सही भी है क्योंकि इसके पहले हम हर चुनाव में सुनते थे मुस्लिम कार्ड खेला जा रहा है। नेता इफ्तार पाटियां करते थे, मुसलमान मतदाताओं को अपनी तरफ खींचने की कोशिश करते थे। ऐसा पहली बार हुआ है कि सभी पड़ी पार्टियां खुलेआम हिंदू कार्ड खेलने लगी हैं। बंगाल की राजनीति में यह बहुत बड़ा बदलाव है।
इस बात में तो कोई शक नहीं है कि बीजेपी ने बंगाल में बड़े-बड़े नेताओं की कारपेट बॉम्बिंग करके हवा तो बना दी है। इसका असर ग्राउंड पर दिखता भी है। यह सही है कि बीजेपी के पास प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, जेपी नड्डा, अमित शाह और योगी आदित्यनाथ जैसे कई बड़े स्टार कैंपेनर हैं, लेकिन पार्टी के सामने सबसे बड़ी चुनौती यह है कि उसके पास केंद्र का एक भी ऐसा बड़ा वक्ता नहीं है जो बंगाली भाषा में अपनी बात रखता हो। ऐसे में ममता बनर्जी और अभिषेक बनर्जी बंगाली भाषा, बंगाल के कल्चर और लोकल प्राइड को बड़ा इश्यू बना रहे हैं। बीजेपी के पास कम से कम इसका जबाव मौजूद नहीं है।
अब बिसात पर गोटियां चल चुकी है। अगर ममता बनर्जी नंदीग्राम का चुनाव जीत जाती हैं तो पश्चिम बंगाल की राजनीति में उनका दबदबा और बढ़ जाएगा। बंगाल का चुनाव जीतने के बाद राष्ट्रीय राजनीति में उनका कद बहुत बड़ा हो जाएगा। वह मोदी को चैंलेज देने वाली एक बड़ी नेता बन जाएंगी। लेकिन अगर ममता नंदीग्राम हार गईं तो समझ लीजिए बंगाल भी हाथ से गया, और अगर बंगाल में बीजेपी की सरकार बनी तो मोदी का वर्चस्व और बढ़ जाएगा। पूरे देश में संदेश जाएगा कि नरेंद्र मोदी ने देश की राजनीति का नक्शा बदल दिया। ऐसे में विपक्ष के लिए मोदी और उनकी पार्टी को हराने की सोचना मुश्किल तो हो जाएगा, नामुमकिन भले ही न हो। हालांकि मैं जानता हूं कि ममता फाइटर हैं और इतनी आसानी से हार मानने वाली नहीं हैं। इसलिए 2 मई तक इंतजार करना ही बेहतर होगा।
Hindu card: Why Mamata revealed her gotra ?
With reports coming in of several Trinamool and BJP supporters killed and injured in violence, polling is under way for the second phase of assembly polls in West Bengal. All eyes are on Nandigram, where large number of voters turned out in queues to vote. Nandigram is witnessing a clash of personalities – between chief minister Mamata Banerjee and her ex-loyalist Suvendu Adhikari.
Mamata Banerjee stayed in Nandigram the entire night on Wednesday to oversee her party agents preparing for the polls. All roads leading to Nandigram were sealed by security forces, to stop miscreants from entering the area. Twenty two companies of central armed police forces were posted to ensure peaceful polling in Nandigram. There was tension among Hindu and Muslim voters in several pockets.
It appears as if the votes in Nandigram are being polarized. On Wednesday, Mamata Banerjee revealed that she belonged to Shandilya gotra, one of the eight top Brahmin gotras. This was apparently a message she wanted to convey to Hindu voters, who were leaning towards BJP candidate Suvendu Adhikari. BJP leaders replied with slogans of ‘Jai Shri Ram’. Prime Minister Narendra Modi seems to have changed the paradigm of Mamata’s politics in Bengal.
Soon after Mamata revealed her gotra, AIMIM chief Asaduddin Owaisi made caustic remarks. Owaisi alleged, most of the political parties were now playing, what he called, the ‘Hindu card’ in Bengal polls. Owaisi tweeted: “What should happen to people like me who aren’t Shandilya or Janeudhari ? (referring to Rahul Gandhi), are’nt bhakts of any gods, don’t recite Chalisa or any Path? Every party feels that it has to show its Hindu credentials to win. Unprincipled, insulting and unlikely to succeed.”
What had Mamata Banerjee actually said at her Nandigram rally? She said, “When I went to the temple, the priest asked my gotra. I remember, at Tripureshwari temple, I had said, my gotra is ‘Maa, Maati aar Manush’, but when the priest asked my gotra today, I said, personally I belong to Shandilya gotra, but I still believe my gotra is ‘Maa, Maati aar Manush’.
The BJP pounced upon Mamata for revealing her gotra. Union Minister Giriraj Singh (himself a Shandilya) questioned: “Are Rohingyas and infiltrators Shandilya too? Those who insulted Hindus and banned Durga Puja processions are now revealing their gotra, because they fear defeat. Shandilya gotra is dedicated to the nation and Sanatan dharma, not to votes.”
When Mamata visited 25 Hindu temples in Nandigram, BJP leaders alleged, she was a fake Hindu, because she did not allow Ramnavami procession to be taken out. Mamata then replied, she was a devout Hindu and never leave her home daily without reciting Chandi Path.
Now, 70 per cent Hindu and 30 per cent Muslim voters in Nandigram are going to give their verdict today. While Mamata is relying on en bloc Muslim vote, there are Hindu voters who may support her, but Mamata is not certain. On Wednesday, BJP President J P Nadda said, Mamata has realized that she is going to lose when the results will be out on counting day (May 2). “She knows after May 2, she will have to sit at home, that is why she is revealing her gotra and reciting Chandi Path. She is indirectly admitting that BJP will win in Bengal”, he said.
Nadda said, this is why Mamata has sent an SOS to other opposition leaders. On Wednesday, Mamata sent a letter to 14 top opposition leaders including Sonia Gandhi, Farooq Abdullah, Navin Patnaik, Y S Jagan Mohan Reddy, M K Stalin, Akhilesh Yadav, Sharad Pawar, Arvind Kejriwal and others, appealing to them to unite and join hands to stop, what she called, the BJP from “establishing one-party authoritarian rule in India.”
Nadda says, Mamata has pressed the panic button by sending SOS to other opposition leaders, because she is fearing defeat. As Nandigram emerged as the epicentre of the battle between Trinamool and BJP, Mamata’s rival Suvendu Adhikari started chanting Jai Shri Ram slogans at his meetings, and Mamata had to counter this by revealing her gotra, in order to project herself as a more devout Hindu than Adhikari.
BJP leaders are happy that they have at last forced Mamata to reveal her gotra to show herself up as a devout Brahmin. BJP considers this its ideological victory. Till now, in most of the Bengal elections, we used to hear about parties playing the Muslim card. This is the first time that mainstream parties are openly playing the Hindu card. This has brought about a fundamental change in Bengal politics.
BJP has no doubt managed to create a wave in its favour in Bengal elections, by bringing in its top star campaigners like Prime Minister Narendra Modi, Amit Shah, J P Nadda and Yogi Adityanath, but the only drawback seems to be the lack of a Bengali speaking orator from the Centre. Mamata Banerjee and her nephew Abhishek are making Bengali language and culture, an issue of pride for all Bengalis. BJP has no effective weapon to counter this linguistic challenge.
The die has been cast. If Mamata manages to win the Bengal elections, her stature in national politics is bound to rise. She will emerge as one of the top opposition leaders to challenge Modi. But if she loses Nandigram, and Bengal, Prime Minister Modi will emerge as a leader who has changed the nation’s political map. To defeat Modi and his party will surely become unthinkable, if not impossible, for the opposition. But I know, Mamata is a fighter, she is not going to accept defeat easily. Let us wait till May 2.