नासिक के अस्पताल में घोर लापरवाही से गई 24 कोरोना मरीजों की जान
कोरोना महामारी अपनी गंभीर अवस्था में पहुंच चुकी है और ये कोई नहीं जानता कि देश में इस घातक संक्रमण के नए मामलों में आ रहा उछाल कब थमेगा। बुधवार को भारत में कोरोना के 3,14,835 नए मामले सामने आए और इसने अमेरिका में एक दिन में सबसे ज्यादा नए मामलों के रिकॉर्ड को पीछे छोड़ दिया। इसी साल जनवरी में अमेरिका में कोरोना के 2,97,430 नए मामले सामने आए थे। बुधवार को देशभर में इस घातक संक्रमण से 2,140 लोगों की मौत हो गई। इसके साथ ही देशभर में कोरोना से मरनेवालों का आंकड़ा बढ़कर 1,85,657 हो गया है।
इस संक्रमण की रफ्तार का अंदाजा इसी बात से लगा सकते हैं कि कोरोना के नए मामले तीन गुना होने में केवल 17 दिनों का समय लगा। 4 अप्रैल को देशभर में कोरोना के मामले एक लाख से ऊपर हो गए थे। कई परिवारों के अधिकांश सदस्य इस संक्रमण से ग्रस्त हैं। उनकी कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई है। देश के 146 जिलों में पॉजिटिविटी रेट 15 प्रतिशत है। उधर, वैज्ञानिकों ने पहले से ही इस वायरस के ट्रिपल म्यूटेंट बंगाल स्ट्रेन को लेकर अगाह कर दिया है, हाेलांकि अभी इसकी पूरी स्टडी बाकी है।
मेडिकल ऑक्सीजन कंटेनर, सिलेंडर, वेंटिलेटर, दवाओं और हेल्थ केयर वर्कर्स के लिए भारतीय वायु सेना के विमानों का उपयोग किया जा रहा है। दिल्ली में डीआरडीओ द्वारा बनाए जा रहे एक बड़े अस्थायी कोविड अस्पताल में कोच्चि, विशाखापत्तनम, बेंगलुरु और मुंबई से नर्सिंग स्टाफ को लाने के लिए वायुसेना के विमानों का उपयोग किया जा रहा है। 250 बेड के इस DRDO अस्पताल की क्षमता 500 बेड तक बढ़ाई जा रही है। DRDO ने पटना के ESIC अस्पताल में भी 500-बेड का कोविड सेंटर शुरू किया है, जबकि लखनऊ में 450-बेड और लखनऊ में 750-बेड के अस्पताल पर काम चल रहा है। अहमदाबाद में 900 बेड का अस्पताल DRDO बना रहा है।
एक और अच्छी खबर ये है कि इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च ने बुधवार को कहा कि भारत बायोटेक द्वारा स्वदेशी रूप से निर्मित कोवैक्सिन को डबल-म्यूटेंट स्ट्रेन के साथ ही अन्य वेरिएंट के खिलाफ भी प्रभावी पाया गया है। आईसीएमआर ने कहा कि कोविड-19 संक्रमण के हल्के, मध्यम, और गंभीर लक्षण वाले मामलों में इस 78 प्रतिशत प्रभावी पाया गया है। जबकि कोरोना के चलते होनेवाली गंभीर बीमारियों में इसकी एफिकैसी 100 प्रतिशत पाई गई है।
बुधवार को एक बेहद बुरी खबर नासिक से आई जहां के एक अस्पताल में अचानक ऑक्सीजन सप्लाई में बाधा के चलते 24 कोरोना रोगियों की मौत हो गई। यह हादसा 150 बेड वाले डॉ. ज़ाकिर हुसैन हॉस्पिटल में हुआ। इस अस्पताल का संचालन नासिक नगर निगम द्वारा किया जाता है। जिस वक्त यह हादसा हुआ उस वक्त अस्पताल में 157 मरीज थे। मरने वालों में 33 साल से लेकर 74 साल तक की उम्र की 10 महिलाएं भी शामिल हैं। यह दावा किया गया कि अस्पताल के मुख्य ऑक्सीजन भंडारण में कुछ खराबी थी, लेकिन इंडिया टीवी के रिपोर्टर राजेश कुमार ने यह पाया कि अस्पताल में ऑक्सीजन टैंकर आने पर वहां तकनीकी टीम का एक भी सदस्य मौजूद नहीं था। ऑक्सीजन के रिसाव को एक फार्मासिस्ट ने सबसे पहले देखा। लेकिन रिसाव को रोकने के लिए वहां कोई तकनीकी कर्मचारी मौजूद नहीं था और आखिरकार एक बड़ी घटना हो गई।
इस अस्पताल के दृश्य बेहद डरावने थे। ये सारी मौतें घोर लापरवाही के कारण हुईं। ये मरीज ठीक हो रहे थे। इनकी मौत कोरोना वायरस से नहीं हुई। हमारी सिस्टम की खामियों के कारण इनकी मौत हुई। हालांकि स्थानीय पुलिस ने ‘अज्ञात लोगों’ के खिलाफ देर शाम एफआईआर दर्ज की, लेकिन तथ्य कुछ और है। ऑक्सीजन की कमी के कारण मरीजों को सांस लेने में तकलीफ हो रही थी। डॉक्टर और नर्स इन मरीजों को सीपीआर देने की पूरी कोशिश कर रहे थे। ये दिल दहलानेवाला दृश्य था। रिश्तेदार चीख रहे थे, चिल्ला रहे थे और मरीज एक-एक कर मरते जा रहा थे। कुछ लोगों ने अगर लापरवाही नहीं की होती तो ये लोग आज जिंदा होते।
ऑक्सीजन का रिसाव कैसे हुआ? जब टैंकर के जरिए अस्पताल के मुख्य टैंक में ऑक्सीजन भरा जा रहा था तो उसी समय ऑक्सीजन टैंक का एक सॉकेट टूट गया और चारों तरफ तेजी से कन्सन्ट्रेट ऑक्सीजन गैस का गुबार उठने लगा। अस्पताल ने ऑक्सीजन टैंक के रखरखाव की जिम्मेदारी एक प्राइवेट कंपनी को दे रखी है और कंपनी का कोई कर्मचारी वहां मौजूद नहीं था। रिसाव को रोकने के लिए वहां मौजूद लोगों ने वैपोराइजिंग पाइप को बंद कर दिया इसके कारण अस्पताल में ऑक्सीजन की सप्लाई बंद हो गई। इसकाअसर ये हुआ कि वार्ड में जो मरीज ऑक्सीजन के सहारे जिंदा थे उनकी सांसें अटकने लगीं। क्योंकि ऑक्सीजन का प्रैशऱ कम हो गया था। ऑक्सीजन की कमी से मरीज तड़पने लगे। फायर ब्रिगेड की टीम मौके पर पहुंची। सेफ्टी गियर के साथ लीक हो रही ऑक्सीजन को रोकने की कोशिश की गई और एक घंटे के बाद गड़बड़ी को ठीक किया गया। इस बीच डॉक्टर्स ने बहुत कोशिश की मरीजों को बचाने की लेकिन जब ऑक्सीजन की सप्लाई में ही समस्या थी तो डॉक्टर क्या करते। देखते-देखते 24 मरीजों की सांसे थम गई।
ये बात सही है कि हादसा कभी भी हो सकता है,कहीं भी हो सकता है। लेकिन सवाल ये है कि जब देश में हालात गंभीर हैं। लोग एक-एक लीटर ऑक्सीजन के लिए जूझ रहे हैं, उस वक्त तो हर स्तर पर सावधानी की जरूरत होती है। ऐसे वक्त में भी नासिक के अस्पताल में इतनी बड़ी लापरवाही हुई। इसीलिए बुधवार की रात अपने प्राइम टाइम शो ‘आज की बात’ मैंने कहा कि 24 लोगों की मौत नहीं हुई,..उनकी तो हत्या हुई है।
आश्चर्य की बात तो ये है कि इतना बड़ा हादसा होने के बाद भी महाराष्ट्र के स्वास्थ्य मंत्री कह रहे थे कि अस्पताल नगर पालिका के अधीन है। नगर पालिका शहरी विकास मंत्रालय के अधीन है और नासिक का गार्जियन मिनिस्टर कोई और है। ऐसे लोगों से क्या उम्मीद करें? इस वक्त देश में साढ़े सात हजार मीट्रिक टन ऑक्सीजन का उत्पादन होता है इसमें से 6 हज़ार 600 मीट्रिक टन ऑक्सीजन अस्पतालों को लगातार सप्लाई की जा रही है। बड़े पैमाने पर ऑक्सीजन के नए प्लांट लगाने के आदेश दे दिए गए हैं। ऐसी हालत में ऑक्सीजन टैंक का पाइप फट जाए, लोग मर जाएं, ये कैसे हो सकता है? ऐसे हालात में हम कोरोना से जंग कैसे जीत सकते हैं?
अगर कोरोना जंग जीतनी है तो राज्य सरकारों को केन्द्र सरकार को मिलकर काम करना होगा। दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल का ही उदाहरण लें, जिन्होंने मंगलवार को ऑक्सीजन की कमी की शिकायत की थी। केंद्र ने तुरंत उनकी मांगों पर एक्शन लिया और केजरीवाल ने इसके लिए केंद्र को धन्यवाद दिया। भारत में ऑक्सीजन की कोई कमी नहीं है। जितनी ऑक्सीजन का उत्पादन होता है आज भी जरुरत उससे कम है। लेकिन अस्पतालों के अलावा अन्य उद्योगों को भी ऑक्सीजन सप्लाई की जाती है। इन उद्योगों में फार्मा क्षेत्र भी शामिल है। यहां समस्या ऑक्सीजन के ट्रांसपोर्टेशन में है। हम अब मेडिकल ऑक्सीजन के ट्रांसपोर्टेशन के लिए टैंकर्स और ट्रेनों के साथ-साथ बेहद गंभीर हालात में विमानों और हेलीकॉप्टर्स का भी उपयोग कर रहे हैं।
मुकेश अंबानी के जामनगर रिलायंस प्लांट में बनने वाली 700 टन मेडिकल ग्रेड ऑक्सीजन की फ्री सप्लाई शुरू हो गई है। रिलायंस के इस प्लांट में अब तक 100 टन ऑक्सीजन का उत्पादन होता था जिसे बढ़ाकर 7 गुना कर दिया गया है और ये गुजरात, महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश के करीब 70 हजार मरीजों के काम आ रही है। टाटा ग्रुप ने लिक्विड ऑक्सीजन को एक जगह से दूसरी जगह ले जाने के लिए 24 कंटेनर इंपोर्ट करने का ऑर्डर दिया है। ये सारी कोशिशें जल्द ही बेहतर रिजल्ट देंगी। ऑक्सीजन की सप्लाई में सुधार होगा। मेरा यही आग्रह है कि राज्य सरकारें दूसरे राज्यों के टैंकर्स को रोकने का काम ना करें।
इसी तरह वैक्सीनेशन की बात करें तो इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर राजनीति बंद करें। 18 वर्ष से अधिक उम्र के हर भारतीय को वैक्सीन लगनी चाहिए। कोवैक्सिन की एफिकैसी के बारे में आईसीएमआर ने जो ऐलान किया है वह बेहद अहम और स्वागत योग्य है। वहीं केंद्र ने भारत में बायोलॉजिकल-ई कंपनी को कोरोना वैक्सीन के निर्माण की भी इजाजत दे दी है। यह कंपनी एक महीने में 7 करोड़ डोज का बना सकती है। यह पहले और दूसरे को चरण के ट्रायल को पूरा करनेवाली है और उम्मीद है कि अगस्त तक इसकी वैक्सीन लॉन्च कर दी जाएगी। कंपनी की योजना 2022 के अंत तक 100 करोड़ डोज बनाने की है। कोविशिल्ड, कोवैक्सिन और स्पुतनिक V के बाद यह भारत में कोरोना की चौथी वैक्सीन होगी।
यह जंग अभी-भी कई मोर्चे पर लड़ी जा रही है। डॉक्टर, नर्स, हेल्थ वर्कर्स अस्पतालों और कोविड केयर सेंटर्स में लाखों लोगों की जान बचाने के लिए इस समय लड़ रहे हैं। ऑक्सीजन, वेंटिलेटर, रेमेडिसविर और अन्य महत्वपूर्ण दवाओं की आपूर्ति में सुधार किया जा रहा है। सेना, डीआरडीओ, भारतीय वायु सेना भी अपनी ओर से पूरी कोशिश कर रही है। वह सुबह निश्चित तौर पर आएगी जब कोरोन के नए मामले रोजाना तीन लाख के आंकड़े से घटकर दो अंकों तक सिमट जाएंगे। इस दानव को परास्त करने के बाद हम सभी एक मुक्त वातावरण में सांस ले सकते हैं।
How sheer negligence at Nashik hospital caused the death of 24 Covid patients
The grim milestone has been crossed and nobody knows when the consistent surge in new Covid cases will drop in India. On Wednesday, India reported 3,14,835 new Covid cases, surpassing the previous one-day jump of 297,430 cases recorded by USA in January this year. The death toll touched 1,85,657 as 2,104 Indians died of Covid on Wednesday.
It took only 17 days for the daily Covid count to jump from 1 lakh on April 4 to thrice that number now. The pandemic is spreading so fast that in many families, most of the members have been tested positive. There is a 15 per cent positivity rate in 146 districts spread across India. Already, scientists have sounded alarm over triple-mutant Bengal strain of the virus, though proper studies are yet to be carried out.
Indian Air Force planes are being used to airlift medical oxygen containers, cylinders, ventilators, medicines and health care workers. In order to staff a huge temporary Covid hospital being set up by DRDO in Delhi IAF planes are being used to transport nursing staff from Kochi, Vishakhapatnam, Bengaluru and Mumbai to Delhi. The 250-bed DRDO hospital’s capacity is being increased to 500. DRDO has also started a 500-bed Covid Centre at the ESIC hospital in Patna, while work on 450-bed hospital in Lucknow and 750-bed hospital in Lucknow is in progress. A 900-bed DRDO hospital is coming up in Ahmedabad.
One more good news: Indian Council of Medical Research on Wednesday said that Covaxin, manufactured indigenously by Bharat Biotech, has been found effective against the double-mutant strain, as well as other variants circulating in India. Covaxin has shown an overall interim clinical efficacy of 78 per cent and 100 per cent efficacy against serious Covid disease, ICMR said.
On Wednesday, the nation was shocked when 24 Covid victims at the Nashik hospital died following sudden disruption of oxygen supply. There were 157 patients in the 150-bed Dr Zakir Hussain Hospital, run by Nashik Municipal Corporation, when this mishap occurred. Among those who died included ten women in the age group 33 years to 74 years. It was claimed that there was some malfunction in the main oxygen storage of the hospital, but India TV reporter Rajesh Kumar, during investigation, found that there was not a single technical team present, when the oxygen tanker came to the hospital. The leak was noticed by a pharmacist, there was no technical staff present to plug the leak, and finally it all led to chaos and death.
The visuals from the hospital were scary. All these deaths were caused due to gross negligence. These patients were recovering, they did not die of Coronavirus, they died because of deficiencies in our system. Though the local police filed an FIR late in the evening against ‘unknown persons’, but facts prove otherwise. The visuals of doctors and nurses trying their best to give CPR to the Covid patients who were breathless due to lack of oxygen, were unnerving. Even as relatives screamed and wailed, the patients died, one by one, due to sheer negligence. They would have been alive today had not some people avoided negligence.
How did the leak occur? When the tanker was refilling oxygen into the hospital’s main tank, it was noticed that the socket was broken and concentrate oxygen gas began to leak fast. There was no technical team present. Not a single staff from the company that manages the hospital’s oxygen tank was present. There was chaos as concentrate oxygen gas spread, and the main oxygen supply at the hospital was terminated. All the patients who were on oxygen, began to choke, due to lack of oxygen, and within minutes, their lives fell like nine pins. The Fire Service was called in, and it took nearly an hour to control the situation. By that time, 24 lives had been lost.
One can say, mishaps can happen anywhere, any time. But at a time of grave national crisis, when every metric tonne of medical oxygen can save lives of patients, one should be careful at all levels. That is why, in my prime time show ‘Aaj Ki Baat’ on Wednesday night, I said, these were not deaths, these were ‘murders’.
The most disgusting aspect was that the state health minister was saying on camera that the hospital belonged to the city municipal corporation, that comes under urban development ministry, and the Guardian Minister for Nashik was somebody else. What should we expect from such people? Out of 7,500 metric tonne medical oxygen being produced in India presently, 6,600 MT medical oxygen are being supplied continuously to all hospitals. Orders have gone out to set up new oxygen plants. At this critical time, how can one tolerate a mishap where oxygen starts leaking due to a broken socket, and oxygen supply to patients is abruptly cut short?
If we have to win the war against Corona, all state governments must cooperate with the Centre. Take the example of Delhi CM Arvind Kejriwal, who had complained of shortage of oxygen on Tuesday. The Centre promptly responded, and Kejriwal thanked the Centre for this quick response. There is no shortage of oxygen in India. We are in a surplus situation, but oxygen has to be supplied to other industries too, apart from hospitals. These industries also include the pharma sector. The problem relates to transportation. We are now using tankers and trains to transport medical oxygen, and in critical cases, we use planes and choppers.
Mukesh Ambani’s Reliance Jamnagar plant has already started free supply of 700 metric tonnes of medical grade oxygen. The Reliance plant used to produce only 100 MT medical oxygen, but in view of huge demand, the production has been increased seven times. This medical oxygen is being used to treat 70,000 Covid patients in Maharashtra, Gujarat and Madhya Pradesh. The Tata group has ordered import of 24 containers to transport liquid oxygen. All these efforts will surely give us positive results soon. My only request is, state governments should not stop oxygen tankers from going to other states.
Similarly, on the vaccination front. Let us stop indulging in politics on this vital issue. Every Indian above the age of 18 years needs to be vaccinated. The ICMR announcement about the efficacy of Covaxin is a welcome step. The Centre has also allowed Biological-E company in India to manufacture Covid vaccines. This company can manufacture 7 crore doses in a month. It is about to complete phase 1 and phase 2 trials and is expected to launch its vaccine by August. The company plans to manufacture 1 billion doses by end of 2022. This will be India’s fourth Covid vaccine, after Covishield, Covaxin and Sputnik V.
The battles are still being fought on the frontlines. Doctors, nurses, health workers are fighting against time to save the lives of millions of Indians in hospitals and Covid centres. Supplies of oxygen, ventilators, Remdesivir and other critical medicines are being revamped. The army, the DRDO, the Indian Air Force, are also pitching in with their best efforts. The day will surely dawn when the number of fresh Covid cases will drop from the present 3-lakh figure to two-digits. All of us can then breathe freely once the monster is decimated.
हिम्मत न हारें, कोरोना से जंग जीतकर रहेंगे
देशभर में मंगलवार को कोरोना संक्रमण के कुल 2,95,041 नए मामले सामने आए। यह कोरोना के ताजा मामलों में अब तक का सबसे बड़ा उछाल है। इसके साथ ही देश में एक्टिव मरीजों की संख्या 21,57,538 हो गई है। मंगलवार को इस घातक वायरस ने 2,023 लोगों की जान ले ली। इस तरह अबतक कोरोना से मरनेवालों की कुल संख्या 1,82,553 हो गई है। वहीं अबतक देशभर में कुल 13.01 करोड़ लोगों वैक्सीन दी जा चुकी है।
ये आंकड़े वास्तव में डरानेवाले हैं। जिस रफ्तार से कोरोना वायरस महामारी फैल रही है उसे देखकर ऐसा लगता है कि गुरुवार तक कोरोना के रोजाना मामले तीन लाख के आंकड़े को छू सकते हैं। मंगलवार रात देश के नाम अपने संबोधन में पीएम मोदी ने माना कि यह महामारी पूरे देश में एक तूफान की तरह बह रही है। लेकिन उन्होंने लोगों से यह अपील की कि वे विपत्ति के समय अपना हौंसला नहीं खोएं। उन्होंने कहा, ‘जो भी जरूरी कदम है हम उसे बिना हिम्मत हारे उठाएंगे और इसी तरह हम जीतेंगे।’
उन्होंने युवाओं से अपील की कि वे अपने इलाकों में छोटी-छोटी कमेटियों का गठन करें और यह कमेटी कोरोना को लेकर लोगों के अनुशासन पर नजर रखे और हर किसी से इसका पालन कराए। पीएम मोदी ने राज्यों से कहा कि वे लॉकडाउन का इस्तेमाल आखिरी विकल्प के तौर पर करें। उन्होंने राज्य सरकारों से कहा कि वे प्रवासी कामगारों को अपने कार्यस्थल पर लौटने के लिए समझाएं और इस बात का भरोसा दिया कि उन्हें वैक्सीन भी लगेगी और वे अपनी नौकरी नहीं खोएंगे। मोदी ने कहा कि मरीजों की जान बचाने और हर अस्पताल में ऑक्सीजन की उपलब्धता सुनिश्चित कराने के लिए केंद्र, राज्य और प्राइवेट सेक्टर हाथ मिला रहे हैं।
पीएम मोदी के भाषण से निश्चित तौर पर आम आदमी का मनोबल बढ़ेगा जो मौजूदा समय में कोरोना महामारी के चलते काफी गिर चुका है। मेरी लोगों से अपील है कि वे लोकल लेवल पर कमेटी बनाएं और कोविड के गाइडलाइंस का सख्ती से पालन कराएं। इससे कोरोना वायरस की चेन जल्द से जल्द तोड़ी जा सकेगी। मोदी के भाषण से निश्चित तौर पर उन कामगारों और मजदूरों का तनाव कम होगा जो रोजाना के काम से अपना जीवन यापन करते हैं और भविष्य में लॉकडाउन की आशंका उनके मन में घर कर रही थी।
प्रधानमंत्री ने लोगों से तथ्यों को छिपाने की कोशिश नहीं की। उन्होंने यह माना कि चुनौती बहुत बड़ी है, लाखों लोग पीड़ित हैं। उन्होंने माना कि लोगों को ऑक्सीजन, वेंटिलेटर, दवाइयों और अस्पतालों में बेड की कमी का सामना करना पड़ रहा है। उनके भाषण की सबसे अहम बात थी-आइए हम सब धैर्य रखें, हम इस लड़ाई को साथ मिलकर लड़ेंगे और जीतेंगे।
इस बीच दिल्ली के कुछ बड़े अस्पतालों में ऑक्सीजन के संकट का समाधान मंगलवार देर रात निकाल लिया गया। एलएनजेपी, जीटीबी और अन्य अस्पतालों में ऑक्सीजन टैंकरों की आपूर्ति के साथ ही एक बड़ा संकट टल गया। सर गंगा राम अस्पताल में आज सुबह तक 10,500 घन मीटर ऑक्सीजन की आपूर्ति की गई है। ये ऑक्सीजन गुरुवार सुबह 9 बजे तक चलेगी। अस्पताल के प्रवक्ता ने कहा कि इंडियन ऑक्सीजन और आईनॉक्स ने आज और ज्यादा ऑक्सीजन टैंकर भेजने का वादा किया है।
यह सच है कि दिल्ली के अस्पतालों में कोरोना मरीजों की संख्या अचानक बढ़ने से ऑक्सीजन की कमी का संकट पैदा हुआ। ये अस्पताल पहले से ऐसी स्थिति का सामना करने के लिए तैयार नहीं थे। आनेवाला हफ्ता दिल्ली के लिए बेहद अहम होगा जब यह महामारी अपने पीक (चरम) पर होगी। आईसीएमआर के पूर्व प्रमुख डॉ. एन.के. गांगुली के मुताबिक यह महामारी दिल्ली में करीब-करीब अपने पीक पर पहुंच चुकी है और यदि लॉकडाउन रहता है तो रोजाना के मामलों थोड़ी गिरावट हो सकती है। यहां तक कि अमेरिका को भी इसी तरह की पॉजिटिविटी रेट और डेथ रेट (मृत्यु दर) का सामना करना पड़ा था और बाद में ग्राफ नीचे आया था।
विशेषज्ञों को उम्मीद है कि मई के दूसरे हप्ते के बाद यह महामारी धीरे-धीरे कम होने लगेगी। एम्स के डॉ. युद्धवीर सिंह का भी यही मानना है कि कोरोना के मामलों में अभी तेज गति से वृद्धि हो रही है इसमें अप्रैल के आखिरी हफ्ते में कमी हो सकती है क्योंकि अभी यह अपने पीक पर है और पॉजिटिविटी रेट 33 प्रतिशत है।
इस बीच केंद्र सरकार ने मंगलवार रात को घोषणा की कि आयातित रेमेडिसविर एपीआई, इंजेक्शन और उसके इनपुट को ड्यूटी फ्री (शुल्क मुक्त) कर दिया गया है। इससे सस्ती कीमत पर इस महत्वपूर्ण दवा की आपूर्ति बढ़ाने में मदद मिलेगी। उधर, केंद्र द्वारा 18 वर्ष से ज्यादा उम्र के लोगों को भी वैक्सीन लगाने की इजाजत देने के बाद अब यह सभी के लिए खुला हुआ है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने वादा किया था अगर 18 वर्ष से ज्यादा उम्र के लोगों को वैक्सीन देने की इजाजत केंद्र से मिलती है तो वे तीन महीने के अंदर दिल्ली के हर नागरिक का वैक्सीनेशन करा देंगे।
मौजूदा समय में इस महामारी को लेकर मेरा विचार है कि हमें डरना या घबराना नहीं है। घर में रहना इस संकट का मुकाबला करने का सबसे सुरक्षित तरीका है। जो लोग मास्क पहनते हैं वे निश्चित तौर पर खुद को इस वायरस से बचा पाएंगे। पिछले साल हमने देखा है कि किस तरह से पूरे देश ने एक होकर इसका मुकाबला किया, कोविड के गाइडलाइंस का पालन किया और इसे हराने में सफल रहे थे। लेकिन बाद के दिनों में हमने सुस्त और गैरजिम्मेदाराना रवैये अपनाया।
ये भी सच है कि कोरोना का यह डबल म्यूटेंट वायरस काफी तेजी से फैलता है और बेहद घातक है। लेकिन हमारे डॉक्टर्स ने ऐसे वैरिएंट से मुकाबला करने में विशेषज्ञता हासिल कर ली है। और उनके अथक प्रयास का रिजल्ट भी सामने आ रहा है। डॉक्टर्स का कहना है कि अगर हम सभी कोविड गाइडलाइंस का सख्ती से पालन करें तो अगले दो से तीन हफ्ते में इस जंग को जीत लेंगे। भारत जीतेगा और कोरोना हारेगा।
देश में एक मई से युद्धस्तर पर वैक्सीनेशन अभियान चलाया जाएगा। ठीक इजरायल की तरह, जहां आधी आबादी का वैक्सीनेशन हो चुका है, स्कूल खोलने की इजाजत दे दी गई और मास्क पहनना वहां अनिवार्य नहीं रह गया है। भारत में भी जल्द ही ऐसा दिन आएगा। हमारा देश बहुत विशाल है। 137 करोड़ की आबादी वाला यह देश काफी बड़ा है। यह जंगल, पहाड़, घाटी, दलदल, मैदान और रेगिस्तान तक फैला हुआ है। निश्चत तौर पर ऐसे देश में वैक्सीनेशन एक बड़ा काम है। देश के हर नागरिक को वैक्सीन लगे इसमें समय लगेगा। लेकिन हमें ऐसा करना है। हम इस जंग को जीतेंगे, फिर सारे प्रतिबंध हटा लिए जाएंगे। इसलिए हिम्मत मत हारिए। इस खूबसूरत गीत को गुनगुनाइए: मन में है विश्वास, पूरा है विश्वास, हम होंगे कामयाब एक दिन।
Let us not lose courage: We shall overcome
In the biggest jump so far, India recorded 2,95,041 fresh Covid cases on Tuesday, taking the total number of active cases to 21,57,538. The number of Covid related deaths on Tuesday surged by 2,023, taking the total death toll since last year to 1,82,553. Till now 13.01 crore vaccinations have been given across India.
The figures are indeed frightening. The number of daily Covid cases may touch 3 lakh by Thursday, given the speed at which the Coronavirus pandemic is spreading. In his address to the nation on Tuesday night, Prime Minister Narendra Modi admitted that the pandemic has swept the nation like a storm (toofan), but he called on people not to lose heart in these times of adversity. “We will take the steps that we need to take without losing courage. That is how we will win”, Modi said.
He called on youths to form committees in their localities to ensure that Covid-19 discipline is followed by everybody. Modi asked the states to keep lockdown as a measure of last resort. He asked state governments to persuade migrant workers to return to their workplaces, and assure them that they will be vaccinated and they will not lose jobs. Modi said, the Centre, states and the private sector are joining hands to ensure that medical oxygen is available to every hospital that requires it to save patients.
Modi’s address will definitely raise the morale of the common people which is presently at a low ebb due to widespread pandemic. I join the PM in appealing to people to form local committees to ensure that Covid guidelines are followed strictly and the Coronavirus chain is broken at the earliest. Modi’s words will surely ease tension in the minds of daily wage earners and labourers, who are fearing a bleak future in view of lockdowns.
The Prime Minister did not try to conceal facts from the people, he admitted that the challenge was huge, lakhs of people are suffering due to lack of oxygen, ventilators, medicines and hospital beds. The moot point in his address was: Let us all have patience, we will fight this battle together and shall win.
Meanwhile, the oxygen crisis at some of the top Delhi hospitals was resolved late on Tuesday night with arrival of oxygen tankers at LNJP, GTB and other hospitals. At Sir Ganga Ram Hospital, 10,500 cubic metres of oxygen has been supplied till this morning, but this will last only till 9 am on Thursday. Indian Oxygen and Inox have promised to send more oxygen tankers today, said a hospital spokesperson.
It is true that due to sudden surge in the number of Covid patients seeking admission to Delhi hospitals, oxygen crisis took place. The hospitals were not prepared to face such an eventuality. The coming week is the most vital part, when the pandemic will at its peak in Delhi. According to Dr. N.K.Ganguly, former ICMR chief, the virus has almost reached its peak in Delhi, and if the lockdown holds, the number of daily cases may register a slight decline. Even the USA had faced a similar positivity and death rates, and later the curve dipped.
Experts hope that by the second week of May, the pandemic curve will become flat and then dip. Dr Yudhvir Singh of AIIMS also believes that the Covid surge is bound to dip by the end of last week of April, as it is now at its peak, posting a 33 per cent positivity rate.
Meanwhile, the Centre on Tuesday night announced that all imports of Remdesivir API, injections and their inputs have been made duty free. This will help in increasing supply of this vital medicine at affordable cost. With the Centre allowing mass vaccination of people above the age of 18 years, the field is now open. Delhi CM Arvind Kejriwal had promised to vaccinate every Delhite within 3 months if the 18-plus age limit was approved. Let us wait and see whether this aim is achieved.
My view about the present stage of pandemic is this: WE MUST NOT PANIC. Staying at home is the most secure way of combating this scourge. Those who wear masks will surely protect themselves from the virus. Last year, we noticed how we, as a nation, succeeded in beating this pandemic by sticking to Covid guidelines, but then lethargy and a sense of irresponsibility and fatigue set in.
It is also true that the latest virus is a double mutant which is deadly and spreads faster. But our doctors have acquired the expertise to deal with such variants. And already, their efforts are yielding results. Doctors say, we can win this battle within the next two or three weeks, if all of us follow Covid guidelines strictly. India shall win and Corona will lose.
From May 1, vaccination drive will begin on a war footing in India. Like Israel, which has vaccinated more than half of its population and has allowed opening of schools and lifting of restrictions on wearing masks, a day will come soon, when we, in India, will be doing the same. Our nation is vast, spread across hills and vales, plains, deserts, marshlands and forests, amidst undulating landforms, hosting 137 crore people. It is a gigantic task. Of course, it will take time to vaccinate every Indian, but be sure: we shall win, all the restrictions will then be removed. Do not lose courage. There is this beautiful song: Man Me Hai Vishwas, Poora Hai Vishwas, Hum Hongey Kaamyaab Ekdin.
कोरोना महामारी: लॉकडाउन लगा तो अगले दो-तीन हफ्ते में हालात जरूर सुधरेंगे
कोरोना वायरस की दूसरी लहर एक सुनामी की तरह पूरे देश में कहर बरपा रही है। पिछले 24 घंटे के दौरान देश के अलग-अलग राज्यों में इस वायरस के घातक संक्रमण ने 1,761 लोगों की जान ले ली। एक्टिव मामलों की संख्या पिछले 10 दिनों में दोगुनी हो गई है और यह 20 लाख के आंकड़े को पार कर गई है। सोमवार को कोरोना के कुल 2.6 लाख नए मामले सामने आए हैं। कई शहरों और कस्बों में हालात बेहद गंभीर हैं।
इस महामारी से अबतक 1,80,530 लोगों की मौत हो चुकी है। वहीं दूसरी तरफ देशभर में टीकाकरण अभियान भी चल रहा है। अबतक 12.7 करोड़ लोगों को वैक्सीन दी जा चुकी है। इस बीच कोरोना को कंट्रोल करने के लिए केंद्र सरकार ने सोमवार को बड़ा फैसला किया है। केंद्र सरकार ने यह ऐलान किया कि अब 1 मई से देश में 18 साल से ऊपर का हर व्यक्ति वैक्सीन लगवा सकेगा। वैक्सीनेशन के तीसरे चरण में तेजी से लोगों को वैक्सीन लगाने के लिए यह फैसला लिया गया। उधर देश की राजधानी दिल्ली में एक हफ्ते का पूर्ण लॉकडाउन लगा दिया गया है। यहां सोमवार को कोरोना के कुल 23,700 नए मामले सामने आए और 24 घंटे में 240 मरीजों की मौत हो गई।
सरकारी और प्राइवेट अस्पताल कोरोना मरीजों की बढ़ती संख्या का भार अब नहीं उठा पा रहे हैं लिहाजा केंद्र ने सेना और डीआरडीओ से मदद मांगी है। केंद्र ने इन्हें कोरोना मरीजों के इलाज के लिए अस्पताल बनाने को कहा है। डीआरडीओ लखनऊ और अहमदाबाद में अस्थायी कोविड अस्पताल बनाएगा। इससे पहले डीआरडीओ ने दिल्ली में भी एक बड़ा कोविड अस्पताल बनाया है। दिल्ली में इस कोविड अस्पताल के खुलते ही सभी 250 बेड फुल हो गए थे। इस अस्पताल की क्षमता अब 500 बेड तक बढ़ाई जा रही है।
रक्षा मंत्रालय ने सभी कैंट अस्पतालों से कहा है कि वे कोविड पीड़ित आम नागरिकों को भी अपने अस्पतालों में भर्ती करें। डीआरडीओ द्वारा दो और अस्पताल पटना और नासिक में बनाए जाएंगे।
दिल्ली में एक हफ्ते के लॉकडाउन का ऐलान होने के साथ ही एकबार फिर पिछले साल की तरह प्रवासी कामगारों का एक बड़ा तबका शहर से पलायन करने लगा। लॉकडाउन का ऐलान होते ही 5 हजार से ज्यादा की संख्या में प्रवासी कामगार अपने घर जाने के लिए बस पकड़ने आनंद विहार बस अड्डा (आईएसबीटी) पहुंच गए।
हालांकि घबराने की कोई बात नहीं है। विशेषज्ञों के मुताबिक लॉकडाउन के पीछे मुख्य उद्देश्य वायरस की उस चेन को तोड़ना है जो पिछले दो महीनों से फैल रहा है। जैसे ही वायरस की यह चेन टूटेगी, कोरोना के बढ़ते मामलों का ग्राफ निश्चित तौर पर धीरे-धीरे नीचे आ जाएगा। जैसा कि हमने आपको इंडिया टीवी पर अपने शो ‘आज की बात’ में पिछली रात दिखाया था कि ऐसा मुंबई में पहले ही हो चुका है।
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल द्वारा राजधानी में हफ्तेभर लॉकडाउन के फैसले का स्वास्थ्य जगत ने स्वागत किया है। डॉक्टरों ने कहा कि राजधानी के सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों पर जिस तरह से मरीजों का भारी दबाव है, उसे कम करना जरूरी था। इन लोगों ने कहा कि इस तरह का कठोर कदम जरूरी था और जल्द ही इसके रिजल्ट दिखाई देंगे। दरअसल मुद्दा केवल बेड, वेंटिलेटर और ऑक्सीजन सिलेंडर की कमी का नहीं है बल्कि स्वास्थ्यकर्मियों की भी भारी कमी हो रही है। कई स्वास्थ्कर्मी भी कोरोना से संक्रमित हो गए हैं और वे आइसोलेशन में हैं। डॉक्टरों का कहना है कि जिन लोगों में कोरोना के हल्के लक्षण हैं और उनके टेस्ट पॉजिटिव हैं तो वे घर पर रह सकते हैं और दवाइयां ले सकते हैं।
सबसे अहम बात है वैक्सीनेशन। क्योंकि जितने ज्यादा लोग वैक्सीन लगवाएंगे, उतना ही अस्पतालों पर का भार कम होगा। भारत में रिकॉर्ड संख्या में लोगों को वैक्सीन लगी है। शुरुआत से ही हमारे प्रधानमंत्री की यह कोशिश रही है कि वैक्सीन जल्द से जल्द आम लोगों तक पहुंच सके। इसके बावजूद अभी-भी कई लोग हैं जो वैक्सीन पर संदेह करते हैं। वैक्सीनेशन के पहले चरण में स्वास्थ्यकर्मियों को प्राथमिकता दी गई थी। लेकिन आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि 3 करोड़ ज्यादा स्वास्थ्य कर्मचारियों में से केवल 37 फीसदी ने ही वैक्सीनेशन का विकल्प चुना। वैक्सीनेशन के दूसरे चरण में उम्र सीमा घटाकर 45 वर्ष कर दी गई और इसके बाद भी इस आयुवर्ग के कई लोग वैक्सीन लगवाने के लिए आगे नहीं आए।
अब जबकि एक मई से 18 वर्ष से ऊपर के सभी लोगों को वैक्सीन देने की इजाजत दे दी गई तो हमें उम्मीद है कि वैक्सीनेशन के लिए लोगों की भारी भीड़ उमड़ेगी। अमेरिका और ब्रिटेन में बड़ी संख्या में लोगों ने वैक्सीन लगवाई और आज वहां कोरोना के मामलों में गिरावट आई है। बाजार एकबार फिर से खुल गए हैं। हमें इनके अनुभवों से सीख लेनी चाहिए। हमारे देश की आबादी अमेरिका की तुलना में लगभग 100 करोड़ ज्यादा है, और सभी के वैक्सीनेशन में लंबा समय लगेगा। इस बात को याद रखें कि इस महामारी को कंट्रोल करने के लिए वैक्सीनेशन ही एकमात्र उपाय है।
सबसे बड़ी गलती जो हमने की थी वो ये कि जब कोरोना की पहली लहर जा चुकी थी यह मान लिया गया कि देश में इसकी दूसरी लहर नहीं आएगी। कोविड जो बड़े अस्पताल पिछले साल बनाए गए थे, फरवरी तक रोगियों की कमी के चलते उन्हें हटा दिया गया था। अधिकांश लोगों ने कोरोना की दूसरी लहर की राह को इसलिए भी आसान बना दिया कि उन्होंने गाइडलाइंस का पालन करना छोड़ दिया। मास्क पहनना छोड़ दिया, भीड़-भाड़ में जाने लगे, हाथों को धोना छोड़ दिया और इसका रिजल्ट सबके सामने है।
हम इस महत्वपूर्ण समय का उपयोग अस्पताल में बेड की संख्या बढ़ाने, ऑक्सीजन की आपूर्ति, वेंटिलेटर और दवाओं का स्टॉक बढ़ाने के लिए कर सकते थे। लेकिन हमने अपना नजरिया बदल लिया और वैक्सीन पर केंद्रीत हो गए। हमारा ध्यान इस बात पर था कि टीका लेना है या नहीं लेना है। तब तक शादी का मौसम भी शुरू हो गया, पार्टियां होने लगीं, फिर कुंभ मेले की इजाजत दी गई, राजनीतिक रैलियां हुईं और कोरोना महामारी को कैरियर मिलता गया और इसने अपने डरावना रूप अख्तियार कर लिया। पिछले दो हफ्तों में हालात बेहद खराब हुए हैं। अब जब कर्फ्यू और लॉकडाउन लगाए गए हैं तो मुझे पूरा भरोसा है कि अगले दो से तीन सप्ताह में इसके बेहतर रिजल्ट दिखाई देंगे।
Pandemic: If lockdowns are enforced, situation will definite improve in next 2-3 weeks
India registered 1,761 deaths during the past 24 hours due to Covid pandemic as the second wave is taking the form of a tsunami spreading in different states, unabated. The number of active cases have doubled in the last ten days, and has crossed 20 lakhs. Nearly 2.6 lakh new Covid cases were reported on Monday, and the situation is grim across all metros and towns.
The total death since the onset of pandemic has now touched 1,80,530. Till now, 12.7 crore people have been vaccinated across India. On Monday, the Centre announced that all Indians above the age of 18 years will now be eligible to get Covid vaccines from May 1. A week-long complete lockdown has been clamped in the national capital Delhi, which recorded more than 23,700 Covid cases on Monday. 240 Covid patients died in Delhi in the last 24 hours.
With government and private hospitals unable to bear the load of a huge number of Covid patients, the Centre has asked Army and DRDO to open up hospitals to treat Covid patients. DRDO will set up temporary Covid hospitals in Lucknow and Ahmedabad, it has already opened a big Covid hospital in Delhi. Within two hours of opening of the Covid hospital in Delhi, all the 250 beds were filled up. The capacity is now being enhanced to 500.
The Defence Ministry has asked all cantonment board hospitals to admit civil Covid patients. Two more Covid hospitals will be set up in Patna and Nashik by the DRDO.
In a grim repeat of last year, a huge exodus of migrant workers has begun from Delhi after it was announced that a week-long lockdown will be enforced. More than 5,000 migrants rushed to Anand Vihar ISBT to catch buses for their home towns.
There is no reason to panic. According to experts, the main purpose behind lockdown is to break the virus chain that had been spreading for the last two months. Once the virus chain breaks, the Covid curve will definitely fall flat and then decline. This has already happened in Mumbai, as we showed last night in our show ‘Aaj Ki Baat’ on India TV.
The medical fraternity has welcomed Delhi chief minister Arvind Kejriwal’s decision to impose weeklong lockdown in the capital. Doctors said, this was necessary to ease the huge load that had been put on the capital’s hospitals, both public and private. Such a drastic step was necessary and the results will be visible soon, they said. The issue is not only of shortage of beds, ventilators and oxygen cylinders, there is sever shortage of healthcare workers, many of whom have been tested positive, and are in self-isolation. Doctors say that those people who have mild Covid systems and have been found positive, can stay at home and take medicines to recover.
The moot point is: vaccination. The more people get vaccine, the lesser load hospitals will have to bear. India has vaccinated a record number of people. It has been our Prime Minister Narendra Modi’s earnest endeavour, right from the beginning, to ensure that vaccines reach the common people at the earliest. Yet, there are still many who are sceptical about the vaccines. In the first stage, healthcare workers were given first priority for vaccination, but you will be surprised to know that only 37 per cent out of a 3 crore plus health workforce have opted for vaccines. The age limit was lowered to 45 years, and yet many people in the age group of 45-plus did not come forward and take vaccines.
Now that vaccination for all 18-plus Indians have been allowed from May 1, we expect to see a huge rush for vaccines. In the US and UK, a large number of people took vaccines, and today, because of a drop in Covid cases, the markets have now reopened. We should learn from their experience. Our population is nearly 100 crore more compared to that of the US, and it will take a long time to vaccinate all. Remember, vaccination is the only method available to control the pandemic.
The biggest mistake that we did was to presume when the first wave died down, that a second wave will never hit India. By February, most of the huge Covid temporary hospitals that were built last year, were dismantled due to lack of patients. Most of the people took it easy, started moving in crowds, without masks, did not practise hand hygiene, and the results are there for all to see.
We could have used this vital time to increase the number of hospital beds, enhance oxygen supply, ventilators and medicines, but we took a complacent view. Most of use were focused on vaccines – To take, or not to take. By this time, the wedding season began, parties were on in full swing, Kumbh Mela was allowed, political rallies took place, and the pandemic, that was waiting in the wings, struck. The situation has now become chaotic in the last two weeks. Now that curfews and lockdowns have been imposed, I am confident that better results will be visible in the next two to three weeks.
डरावने मंजर दिखा रही है कोरोना महामारी की दूसरी लहर
कोरोना वायरस के संक्रमण की रफ्तार थमने का नाम नहीं ले रही है। शुक्रवार को पूरे देश में 2,34,692 नए मामले सामने आने के साथ ही संक्रमण के एक्टिव मामलों की संख्या बढ़कर 16,79,740 हो गई है। शुक्रवार को इस घातक वायरस के संक्रमण ने देशभर में 1,341लोगों की जान ले ली। कोरोना से देशभर में अबतक कुल 1,75,649 लोगों की मौत हो चुकी है।
कोरोना महामारी की दूसरी लहर के फैलने का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि दुनिया भर में कोरोना के जो चार मामले आ रहे हैं उनमें से एक भारत का है। पिछले साल सितंबर में आई कोरोना की पहली लहर के पीक को हम पार चुके हैं।
16 राज्यों की लिस्ट में महाराष्ट्र 63,729 नए मामलों के साथ टॉप पर है, और यहां इस बीमारी ने 398 लोगों की जान ली है। उत्तर प्रदेश में 27,426 नए मामले आए हैं और 103 लोगों की मौत हुई है। दिल्ली में 19,500 से ज्यादा मामले आए और यहां 141 मरीजों की सांसें थम गईं। एक तरफ तो ये आंकड़े डरानेवाले हैं, वहीं दूसरी ओर अस्पतालों और श्माशनों के अंदर और बाहर बेहद खौफनाक मंजर देखने को मिल रहे हैं।
इंडिया टीवी के संवाददाताओं ने दिल्ली, मुंबई और अन्य शहरों के बड़े अस्पतालों का दौरा किया और ये रिपोर्ट भेजी कि कैसे वहां डॉक्टर्स और अन्य स्वास्थ्यकर्मी एक बड़ी चुनौती से संघर्ष कर रहे हैं। इन अस्पतालों में आरटी-पीसीआर टेस्ट के लिए लोगों की लंबी कतारें देखी गईं। अगर किसी की रिपोर्ट पॉजिटिव आई और अस्पताल में भर्ती कराने की जरूरत है तो बेड्स उपलब्ध नहीं हैं। जरूरी दवाओं, ऑक्सीजन और वेंटिलेटर्स की कमी थी। और अगर किसी ने इस घातक वायरस के संक्रमण से दम तोड़ दिया तो श्मशान के हालात भी भयावह थे। पीपीई किट पहने डॉक्टर और नर्स लोगों की जान बचाने के लिए दिन-रात मेहनत कर रहे हैं। एक वरिष्ठ डॉक्टर ने मुझे बताया कि कुछ महीने पहले वह भी कोरोना पॉजिटिव हो गए थे और तब उन्हें काम से छुट्टी मिली थी, लेकिन अब वह फिर से काम में जुट गए हैं।
ऑक्सीजन और इलाज के इंतजार में अस्पतालों की लॉबी और अस्पतालों के बाहर भी मरीज लेटे हुए थे। घरों में, अस्पतालों में, टीकाकरण केंद्रों और श्मशान में भय का माहौल है। चिता पर दर्जनों शवों के अंतिम संस्कार का दृश्य डर पैदा कर रहा है।
दिल्ली के एलएनजेपी अस्पताल में हर कुछ मिनट पर एम्बुलेंस नए मरीजों को लेकर पहुंच रही है। ऑफिशियल ऐप पर देखेंगे तो पता लगेगा कि LNJP में कुल 1620 बेड हैं इनमें 1500 बेड ऑक्सीजन वाले हैं जबकि ICU में तीन सौ बेड हैं। इस एप के मुताबिक LNJP में 739 बेड खाली हैं। फिर भी इस अस्पताल में एक ही बिस्तर पर दो या तीन मरीज लेटे हुए थे। एलएनजेपी अस्पताल के प्रमुख डॉ. सुरेश कुमार ने बताया कि कई बार अचानक एक साथ कई मरीज आ जाते हैं और सबको ऑक्सीजन की जरूरत होती है। ऐसे में बेड तैयार करने में वक्त लगता है तो इस बीच मरीज को तुरंत किसी बेड पर लिटाकर उसे ऑक्सीजन दिया जाता है ताकि जिंदगी बचाई जा सके। कुछ बेड्स पर दो या तीन मरीज पूरे दिन दिखते हैं ऐसा क्यों? इस सवाल के जवाब में डॉक्टर सुरेश कुमार ने बताया कि चूंकि इस बार कोरोना में पूरे परिवार के परिवार संक्रमित हो रहे हैं और कई बार ऐसा होता है कि एक ही परिवार दो सदस्य अस्पताल पहुंचते हैं तो उन्हें भर्ती कर लिया जाता है। अगर उसी वक्त कोई ऐसा मरीज जिसे बेड की जरूरत होती है तो फिर एक ही परिवार के दो लोगों को एक बेड पर शिफ्ट किया जाता है। जिससे तीसरे व्यक्ति को बेड देकर उसका इलाज शुरू किया जा सके। इन बातों से ऐसा लगता है कि इस अस्पताल को पूरा सिस्टम व्यवहारिक तौर पर धवस्त हो चुका है हालांकि हालात की गंभीरता को लेकर ये अस्पताल प्रमुख के अपने विचार हैं।
उधर मुंबई के अस्पतालों में हालात बदतर हैं। यहां अस्पतालों में भर्ती होने के लिए बड़ी तादाद में मरीज इंतजार कर रहे हैं और न तो उन्हें बेड मिल पा रहा है, न ऑक्सीजन और न ही वेंटिलेटर उपलब्ध है। ज्यादातरअस्पतालों में ऑक्सीजन की भारी कमी है। नागपुर में एक डॉक्टर और एक वार्ड ब्वॉय को रेमडेसिविर दवा की 15 शीशियों के साथ पकड़ा गया। ये लोग इस दवा को 16-16 हजार रुपये में बेचने की कोशिश कर रहे थे। कानपुर में रेमडेसिविर की 250 से ज्यादा डोज साथ तीन लोग पकड़े गए।
भोपाल में एक बार में एक साथ 40 शवों के अंतिम संस्कार का वीडियो सोशल मीडिया पर पहले से ही वायरल है। राज्य सरकार कोरोना से मौतों की सही संख्या को छिपाने की कोशिश कर रही है। 15 अप्रैल को भोपाल में 112 लोगों का अंतिम संस्कार किया गया था, लेकिन राज्य सरकार ने केवल 8 लोगों की मौत की सूचना दी। इसी तरह लखनऊ में रोजाना 100 से 150 शवों का अंतिम संस्कार गुलाला घाट पर किया जाता है, लेकिन सरकारी आंकड़ों में कहा गया है कि 15 अप्रैल को लखनऊ में कोरोना से केवल 26 लोगों की मौत हुई।
सरकारी आंकड़ों और श्मशान में अन्तिम संस्कारों की संख्या में अन्तर की एक वजह ये बताई गई कि जिन लोगों की मौत होती है उनमें से बहुत से ऐसे होते हैं जिनकी कोरोना की टेस्ट रिपोर्ट अंतिम संस्कार के समय उपलब्ध नहीं हो पाती है और उनका अन्तिम संस्कार भी कोरोना प्रोटोकाल के तहत होता है। जगह और समय की कमी के कारण जल्द से जल्द शवों का अंतिम संस्कार करना होता है।ये मौत के आंकड़ों में अंतर की मुख्य वजह है।
इस बीच प्रधानमंत्री की अपील के बावजूद हरिद्वार में कुंभ मेला जारी है। प्रधानमंत्री ने संतों से यह विशेष आग्रह किया है कि वे बाकी के ‘स्नान’ को वापस लें और इस बार के कुंभ मेले को प्रतीकात्मक बनाएं।
कुल मिलाकर, कोरोना महामारी की दूसरी लहर ने पूरे देश में जानमाल का भारी नुकसान किया है। यह पिछले महीने तक अकल्पनीय था कि ऐसा कुछ होगा। कोरोना के दिशा-निर्देशों का पालन करने, सोशल डिस्टेंसिंग, मास्क पहनने और भीड़ से दूर रहने की तमाम अपीलों के बावजूद कई लोगों ने इसे नजरअंदाज किया और अब इसका परिणाम हम सबके सामने है। दिल्ली, मुंबई, बैंगलोर, हैदराबाद, लखनऊ, भोपाल जैसे बड़े महानगरों के लोग टेस्ट कराने के लिए भाग रहे हैं, लोग अपने परिवार, रिश्तेदारों को भर्ती कराने के लिए अस्पताल पहुंच रहे हैं। इन हालात से बचा जा सकता था। हमलोगों के पास अभी भी समय है कि हम अपने घरों में रहें और कोरोना वायरस की इस घातक चेन को तोड़ने की कोशिश करें।
Second wave of Covid Pandemic: A scary scenario
The figures are frightening. 2,34,692 fresh Covid cases were registered across India on Friday, taking the total active case load to 16,79,740 cases. With 1,341 deaths recorded on Friday, the total Covid-related death toll has now touched 1,75,649.
The spread of the second wave of Covid pandemic can be gauged from the fact that one out of every four Covid cases detected throughout the world is from India. We have already crossed the peak of the first wave that was there in September last year.
At the top of the tally from 16 states, Maharashtra logged 63,729 new cases and 398 deaths. Uttar Pradesh registered 27,426 fresh cases and 103 deaths. Delhi recorded more than 19.500 cases and 141 deaths.
If the figures are frightening, the visuals inside and outside hospitals, morgues and crematoriums are scary.
India TV reporters on Friday visited many of the top hospitals in Delhi, Mumbai and other cities to get first-hand report on how the doctors and other healthcare workers are struggling against gigantic odds. There were long queues for RT-PCR tests, if anybody was found positive and needed hospitalization, there were simply no beds, there was scarcity of vital medicines, oxygen and ventilators, and if anybody succumbed to the virus, the conditions at the crematoriums were appalling. Doctors and nurses wearing PPE kits are toiling day and night to save the lives of people. A senior doctors told me, he was found positive a few months ago, and had a break from work, but now he is back to work again.
There were patients lying in the lobbies and even outside hospitals, waiting for oxygen and treatment. An atmosphere of fear is pervading, in homes, in hospitals, at vaccination centres, and in crematoriums. Visuals of dozens of bodies being cremated on pyres create a frightening effect.
At Delhi’s LNJP hospital, ambulances arrive after every few minutes bringing in new patients. There were two or three patients lying on a single bed, even though the official app shows the hospital has 739 unoccupied beds. 1500 out of 1620 beds in LNJP hospital have oxygen facility. There are 300 beds in ICU. The LNJP hospital chief Dr Suresh Kumar said, sometimes many patients arrive at a single point of time, it takes time to prepare beds and since all of them needs oxygen, it is a difficult task to allot them beds having this facility. For two or more people occupying a single bed, he said, in some families, more than two members have been found positive and need hospitalization. The system has practically collapsed at this hospital, though the hospital chief has his own views about the critical situation.
The situation in Mumbai hospitals is worse. There are no beds, no oxygen, nor any ventilator to cater to the long queues of patients awaiting admission. There is acute shortage of oxygen in most of the hospitals. In Nagpur, a doctor and a ward boy were caught with 15 Remdesivir vials which they were trying to sell for Rs 16,000 each. Three people were caught in Kanpur with more than 250 Remdesivir vials.
A scary video of 40 bodies being cremated at a time in Bhopal is already viral on social media. The state government is trying to hide the real number of Covid deaths. On April 15, 112 people were cremated in Bhopal, but the state government reported death of only 8 people in Bhopal. Similarly in Lucknow, daily 100 to 150 bodies are being cremated at Gulala Ghat, but the official statistics say only 26 people died of Corona in Lucknow on April 15.
Officials claim that the difference in death figures is mainly because the final Covid reports were not available at the time of cremation, and yet, the bodies have to be cremated soon, due to lack of space and time, as per Covid protocol. However, I do not find any reason, why state government would like to conceal the exact figures of Covid related deaths.
Meanwhile, the Kumbh Mela continues in Haridwar, despite the Prime Minister Narendra Modi making a special plea to the sadhus to call off the remaining ‘snans’ and make the Kumbh Mela symbolic this time.
Overall, the second wave of Covid pandemic has caused huge loss of lives across India. This was unthinkable even till last month. Despite several pleas to practise Covid protocol, by maintaining safe distancing, wearing of masks, and staying away from crowds, many of the people chose to ignore these appeals. The results are there for all of us to see. People living in big metros like Delhi, Mumbai, Bangalore, Hyderabad, Lucknow, Bhopal, are rushing to get themselves tested, and reach the nearest hospitals to admit their near and dear ones. This situation could have been avoided. There is still time for all of us to try to state inside our homes, and try to break this deadly chain of the Coronavirus.
कोरोना महामारी के खतरे से आंख मूंद लेना ठीक नहीं
कोरोना की रफ्तार थमने का नाम नहीं ले रही है। गुरुवार को केवल एक दिन में देशभर में 2.16 लाख नए मामले सामने आए जबकि इस घातक वायरस ने 1,184 लोगों की जान ले ली। दिल्ली और उससे सटे उत्तर प्रदेश के इलाकों में इस महामारी के कहर से हालात भयावह हो गए हैं। देश में कोरोना के कुल एक्टिव मामले पहले ही 15 लाख के आंकड़े को पार कर चुके हैं। यह आंकड़ा दो हफ्ते पहले के मुकाबले ढाई गुना ज्यादा है।
गुरुवार को 14 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में कोरोना के मामलों में सबसे ज्यादा उछाल दर्ज किया गया। इनमें महाराष्ट्र 61,695 मामलों के साथ सबसे ऊपर है। उत्तर प्रदेश में 22,439 मामले, छत्तीसगढ़ में 15,256 मामले, कर्नाटक में 14,738 मामले, मध्य प्रदेश में 10,168 मामले और गुजरात में 8152 मामले दर्ज किए गए। वहीं राजधानी दिल्ली में 16,699 मामले सामने आए हैं।
दिल्ली में शुक्रवार की रात से दो दिनों का वीकेंड कर्फ्यू लगेगा। इस दौरान शराब की दुकानें बंद रहेंगी। वहीं मॉल, बार, रेस्टोरेंट, जिम, स्पा, मनोरंजन पार्क और ऑडिटोरियम 30 अप्रैल तक बंद रहेंगे। रेस्टोरेंट से होम डिलीवरी और टेकअवे की इजाजत होगी, जबकि सिनेमा हॉल को 30 प्रतिशत की क्षमता के साथ सोमवार से शुक्रवार के बीच रात 10 बजे तक संचालन की इजाजत होगी।
पूरे देश की हालत बेहद चिंताजनक है। महाराष्ट्र ने पहले ही 1 मई तक कर्फ्यू लागू कर दिया है जबकि मध्य प्रदेश के शहरों में भी इसी तरह का कर्फ्यू लगाया गया है। सांसों की समस्या और अन्य गंभीर रूप से बीमार लोग लगातार अस्पतालों में पहुंच रहे हैं जिससे अस्पतालों में बेड की कमी हो गई है। ज्यादातर राज्यों में अस्पताल बेड की कमी से जूझ रहे हैं।
उधर, हरिद्वार में निर्वाणी अखाड़े के महामंडलेश्वर कपिल देव दास (65 वर्ष) की कोरोना संक्रमण से मौत के बाद निरंजनी अखाड़े ने कुंभ से हटने का ऐलान कर दिया है। निरंजनी अखाड़ा दूसरा सबसे बड़ा और प्रमुख अखाड़ा है। कुंभ में 68 बड़े साधुओं की कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई है।
कुंभ मेला परिसर 670 हेक्टेयर में फैला है और यहां श्रद्धालुओं के गंगा स्नान के लिए कई घाट बनाए गए हैं। लेकिन परेशानी ये है कि ज्यादातर श्रद्धालु हर की पौड़ी पर ही डुबकी लगाना चाहते हैं और गंगा आरती के दर्शन पर जोर देते हैं। ये स्थानीय प्रशासन के लिए सिरदर्द बन रहा है।
12 अप्रैल को सोमवती अमावस्या और 14 अप्रैल को चैत्र संक्रांति/बैसाखी के अवसर इन दो दिनों में 48 लाख से ज्यादा श्रद्धालुओं ने गंगा में स्नान किया। इस भीड़ की वजह से कोरोना के मामले काफी तेजी से बढ़े। करीब 50 लाख श्रद्धालुओं में से मुश्किल से करीब दो लाख लोगों ने कोरोना का टेस्ट कराया। वहीं उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत का कहना है कि मां गंगा के आशीर्वाद के कारण श्रद्धालुओं के बीच कोरोना वायरस नहीं फैलेगा।
हरिद्वार कुंभ के दृश्य सभी देख सकते हैं। इस मेले में आने वाले श्रद्धालुओं की जांच के लिए मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) के पालन की कोशिश नहीं की गई। इस मेले में शामिल होने के लिए सभी को खुला निमंत्रण था। मेले के दौरान साधुओं के ठहरने के लिए विशाल टेंट लगाए गए थे। हालांकि उस वक्त आपत्ति जताई गई थी लेकिन उन आपत्तियों पर ध्यान नहीं दिया गया,उन्हें नजरंदाज किया गया। इन टेंटों में रहनेवालों का आरटी-पीसीआर टेस्ट भी नहीं कराया गया। अब जबकि इतने सारे साधुओं और बड़े संतों की कोरोना रिपोर्ट पॉटिजिव आई है और कुछ ‘शाही स्नान’ बाकी हैं, तब उत्तराखंड शासन जनहित में मेला बंद करने का फैसला क्यों नहीं ले सकता?
ज्यादातर अस्पतालों और श्मशानों में हालात भयावह बने हुए हैं। इसके बावजूद ऐसे हजारों लोग हैं जो लापरवाह हैं। राजनीतिक नेताओं ने भी अपना दृष्टिकोण नहीं बदला है जबकि उनपर लोगों को सावधानी बरतने के लिए समझाने की जिम्मेदारी है।
गुरुवार को भी बंगाल विधानसभा चुनाव को लेकर रोड शो जारी रहा और इस दौरान मास्क लगाने और सोशल डिस्टेंसिंग की कोई कोशिश नहीं दिखी। कर्नाटक के बेलगावी उपचुनाव में वोट के लिए नेताओं ने खुलेआम लोगों से हाथ मिलाया और बिना मास्क पहने भीड़ में चले गए। आंध्र प्रदेश के कुरनूल में तेलुगु नववर्ष उगाडी के अवसर पर लोगों का एक भारी जमावड़ा देखने को मिला। इस धार्मिक मेले में हजारों लोगों ने एक-दूसरे पर गोबर फेंका। यहां सोशल डिस्टेंसिंग की जमकर धज्जियां उड़ाई गईं।
बंगाल में कोरोना प्रतिबंधों को धत्ता बताते हुए रैली और रोड शो के आयोजन को लेकर सभी राजनीतिक दल एक-दूसरे को दोषी ठहरा रहे हैं। यहां मतदान के अभी चार दौर बचे हुए हैं और चुनाव प्रचार अपने चरम पर है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी कोरोना वायरस फैलाने के लिए ‘बाहरी लोगों’ को दोषी ठहरा रही हैं। उनका कहना है कि ये लोग बीजेपी का प्रचार करने के लिए बाहर से बंगाल आए और यहां कोरोना फैला दिया। वहीं बीजेपी के नेताओं ने ममता सरकार को कुप्रबंधन और दोषपूर्ण योजना के लिए जिम्मेदार ठहराया है।
ममता बनर्जी ने यहां तक सुझाव दिया है कि बाकी के सभी चरण के चुनाव को एक साथ जोड़ कर एक दौर में ही वोटिंग करा ली जाए, लेकिन चुनाव आयोग ने ऐसी किसी भी संभावना से इंकार किया है। वहीं वामदलों ने बड़ी चुनावी रैलियां नहीं करने का फैसला किया है, जबकि बीजेपी ने अपने चुनाव प्रचार को स्थानीय इलाके तक सीमित रखने का फैसला किया है। ममता बनर्जी अपनी रैलियों को बंद करने के लिए तैयार नहीं हैं। उनका दावा है कि बीजेपी और वाम मोर्चे की जनसभाओं में लोग नहीं आ रहे हैं। अप्रैल के अंत तक इस तरह से चुनाव प्रचार का अभियान जारी रहेगा और तबतक काफी नुकसान हो चुका होगा। उस हालत में राज्य में कोरोना महामारी की स्थिति क्या होगी और उससे निपटने की चुनौती कैसी होगी इसका अंदाजा आप सहज लगा सकते हैं।
मैंने कई बड़े डॉक्टरों से बात की। उनका कहना है कि यहां लोगों का मास्क न पहनना इस महामारी के फैलने की एक बड़ी वजह है। जापान जैसे देशों में लोगों के बीच मास्क न पहनना एक बड़ा मुद्दा बन जाता है लेकिन भारत में यह नियम के बजाय एक अपवाद है। जब वैक्सीन बन रही थी तो लोग पूछते थे कि वैक्सीन कब आएगी? जब वैक्सीन आ गई तो देश के ज्यादातर लोग ‘इंतजार करना और देखना’ चाहते थे। वे दूसरों पर वैक्सीन के असर को देखना चाहते थे और फिर फैसला लेना चाहते थे। अब जब महामारी तेज गति से फैल गई है तो वैक्सीनेशन के लिए लोगों की भीड़ लगनी शुरू हो गई। इसका नतीजा ये हुआ कि कुछ राज्यों में वैक्सीन के स्टॉक (माल) की कमी हो गई है।
चूंकि शुरुआत में वैक्सीन की देश के अंदर ज्यादा मांग नहीं थी इसलिए वैक्सीन निर्माताओं ने अपने स्टॉक को दूसरे देशों में निर्यात करने का फैसला किया। अब जब वैक्सीन की मांग बढ़ गई तो टीकाकरण के अभियान को आगे बढ़ाने के लिए सभी राज्यों में स्टॉक भेजे जा रहे हैं।
डॉक्टरों ने इस बात पर जोर दिया कि ज्यादातर लोगों को घर के अंदर रहना चाहिए। जबतक कोई बहुत जरूरी काम न हो लोगों को घरों से बाहर नहीं निकलना चाहिए। अगर लोग कम से कम तीन से चार सप्ताह के लिए खुद को घरों तक सीमित रखें तो महामारी के फैलाव को रोका जा सकता है। अब डबल म्यूटेंट वायरस पूरे भारत में फैल चुका है। आरटी-पीसीआर टेस्ट के रिजल्ट भी गलत आ रहे हैं। यह नया डबल म्यूटेंट स्ट्रेन लोगों पर तेजी से हमला करता है और इसके फैलाव को कंट्रोल करना एक मुश्किल काम है। घरों में रहना, मास्क पहनना, सोशल डिस्टेंसिंग और हाथों को धोते रहने से लोग इस संक्रमण से बच सकते हैं।
Corona pandemic: Ignoring the danger won’t help
Daily Covid-19 cases continued to register a quantum jump on Thursday with the single-day spike crossing 2.16 lakhs, and 1,184 deaths reported. The situation has become scary as the pandemic now zeroes in on Delhi and neighbouring Uttar Pradesh. Active Covid cases across India have already crossed the 15-lakh mark. This is two and a half times the figure that was two weeks ago.
Fourteen states and union territories recorded their highest ever tally on Thursday, with Maharashtra leading by 61,695 cases, Uttar Pradesh 22,439 cases, Chhattisgarh 15,256 cases, Karnataka 14,738 cases, Madhya Pradesh 10,168 cases and Gujarat 8,152 cases. Delhi recorded 16,699 cases.
A two-day weekend curfew will be clamped in Delhi from Friday night, all liquor stores will remain closed. Malls, bars, restaurants, gyms, spas, entertainment parks and auditoriums will remain closed till April 30. Home deliveries and takeaways from restaurants will be allowed, while cinema halls have been permitted to operate with only 30 per cent capacity on weekdays up to 10 pm.
The overall situation is bleak across India. Maharashtra has already enforced total curfew till May 1, while similar curfews have been imposed in cities of Madhya Pradesh. Hospitals in most of the states are running short of beds with more patients reporting with breathing trouble and other critical illnesses.
The second largest Niranjani akhada exited the ongoing Kumbh Mela in Haridwar, after the head of Nirwani Akhada Mahamandaleshwar Kapil Dev Das, 65, died of Covid-19 complications. 68 senior sadhus have been tested positive. More than two thousand people have so far been tested positive during the Kumbh Mela.
The mela is spread across 670 hectares and many ghats have been built for devotees to take a holy dip in the Ganga. But most of the devotees are insisting on taking a dip at the Har Ki Paudi ghat and witness the evening Ganga aarti. This is causing headache for the local administration.
More than 48 lakh devotees took a dip on two important days, Somvati Amavasya on April 12 and on Chaitra Sankranti/Baisakhi on April 14. This has caused a huge spike in the number of Covid cases. Hardly two lakh out of these roughly 50 lakh devotees underwent Covid tests. The Uttarakhand CM Tirath Singh Rawat is on record having said that Coronavirus will not spread among devotees due to the blessings of Mother Ganga.
The visuals are there for all to see. No attempts were made to carry out standard operating procedure to check devotees coming to the Mela. It was an open invitation for all to join the Mela. Huge tents were erected for sadhus to stay during the Mela. At that time, objections were raised but were overruled. No RT-PCR tests were conducted at these tents. With so many sadhus and top saints tested positive, and some of the ‘shahi snans’ remaining, why can’t the Uttarakhand authorities decide to call off the mela, in the interest of all?
The situation remains bleak across most of the hospitals, its scarier in the crematoriums, but there are thousands of people who have simply become negligent. Nor have the political leaders changed their outlook, because on them rests the responsibility of persuading people to be careful.
Road shows continued during the Bengal elections on Thursday and there were no attempts to wear masks and practise social distancing. In Belgavi, Karnataka, leaders canvassing for votes in a byelection openly mixed with people without wearing masks and moved with crowds. In Kurnool, Andhra Pradesh, thousands of people took part in a religious fair on the occasion of Telugu New Year Ugadi by throwing cowdung at each other. Social distancing went for a toss.
In Bengal, all the parties are blaming one another for defying Covid restrictions by organizing rallies and road shows. There are four more phases of polling left and campaigning is at its peak. Chief Minister Mamata Banerjee has blamed the spread of virus due to “outsiders” who have entered to campaign for BJP in Bengal. BJP leaders have blamed Mamata’s government for mismanagement and faulty planning.
Mamata Banerjee has even suggested that all the three phases be clubbed into one phase to complete polling, but the Election Commission has ruled out any such possibility. The Left has decided not to hold big rallies, while the BJP has decided to confine its campaigning to road shows in localities. Mamata Banerjee is unwilling to call off her rallies. She claims that people are not flocking to public meetings organized by Left and BJP. Till the end of April, the campaigning will continue, and by that time, the damage would already have been done. All that would remain is how to tackle the gigantic challenge of Covid pandemic in that state.
I spoke to several top doctors. They said, it has become a norm for common people not to wear masks, because of which the pandemic spread. In countries like Japan, people make it a point to wear masks most of the time, but in India, it is an exception rather than the rule. When the vaccines were being prepared, people asked when the vaccines would arrive. When the vaccines arrived, most people in India wanted to ‘wait and watch’. They wanted to see the effects of vaccine on others and then decide. Now that the pandemic has spread at a fast pace, there is rush for vaccines, resulting in shortage of vaccine stocks in some of the states.
The vaccine manufacturers in India presumed that since there was not much demand in India, they decided to export much of their stocks to other countries. Now that there is a huge demand for vaccines, stocks are being dispatched to all the states to carry on the vaccination drive.
Doctors insist that most of the people must stay indoors, they should not leave their homes unless it is essential. If people confine themselves to their homes for at least three to four weeks, the pandemic surge can be contained. Now that the double mutant virus is active across India, even RT-PCR tests are throwing up incorrect results. This new mutant strain attacks people faster, and it is a difficult task to control the spread of this new mutant virus. Only social distancing, staying at homes, wearing masks and frequent washing of hands can save people from infection.
कोरोना के रोजाना मामले दो लाख के पार, देश के सामने बड़ी चुनौती
भारत में पिछले 24 घंटों के दौरान कोरोना वायरस से संक्रमण के 2 लाख से ज्यादा (2,00,739) नए मामले सामने आए हैं। यह एक दिन में कोरोना के मामलों में सबसे बड़ी उछाल है। बुधवार को भारत में इस घातक वायरस ने 1038 लोगों की जान ले ली। यह पिछले साल 2 अक्टूबर के बाद देशभर में हुई मौतों की सर्वाधिक संख्या है। हालात अब बेहद चिंताजनक हो चुके हैं।
पिछले 10 दिनों में कोरोना के दैनिक मामले दोगुने हो गए हैं। 4 अप्रैल को यह आंकड़ा एक लाख था और आज यह बढ़कर 2 लाख से ज्यादा हो गया है। अमेरिका की बात करें तो वहां 2 लाख के आंकड़े तक पहुंचने में 21 दिन लग गए थे। भारत में इस वायरस के फैलने की रफ्तार अमेरिका की तुलना में कहीं ज्यादा तेज है। स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, पूरे देश में कोरोना के 14 लाख 71 हजार 877 ऐक्टिव मामले हैं और इस संक्रमण से मरनेवालों का आंकड़ा बढ़कर 1 लाख 73 हजार 123 तक जा पहुंचा है।
देश में 9 राज्य ऐसे हैं जहां बुधवार को एक दिन में सबसे ज्यादा मामले सामने आए हैं। इन राज्यों में उत्तर प्रदेश (20,510), दिल्ली (17,282), कर्नाटक (11,265), मध्य प्रदेश (9,720), गुजरात (7,410), राजस्थान (6,200), हरियाणा (5,398), पश्चिम बंगाल (5,892) और बिहार (4,786) शामिल हैं। इन सभी राज्यों में पिछले 10 दिनों में कोरोना के मामलों में काफी तेजी देखी जा रही है। सबसे ज्यादा प्रभावित राज्य महाराष्ट्र में बुधवार को कुल 58,952 नए मामले दर्ज हुए और 278 मरीजों की मौत हुई। वहीं, छत्तीसगढ़ में 120 लोगों की जान गई, जबकि दिल्ली में 104 मरीजों की मौत हुई।
यह हम सभी के लिए एक चेतावनी है। अगर हम इसे नहीं समझ पा रहे हैं और नजरअंदाज कर रहें तो समझिए कि हम एक बड़ा जोखिम ले रहे हैं। हमें इस अभूतपूर्व त्रासदी से एकजुट होकर लड़ना होगा। दिल्ली के अस्पतालों में बेड की भारी कमी के चलते कई होटल, मॉल और बैंक्वेट हॉल को कोविड उपचार केंद्रों में बदला जा रहा है। लगभग सभी बड़े सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों में एक भी ICU बेड खाली नहीं हैं।
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने शुक्रवार रात 10 बजे से सोमवार सुबह 6 बजे तक वीकेंड कर्फ्यू का ऐलान किया है। दिल्ली सरकार ने 15 होटलों को एक्सटेंडेट कोविड हॉस्पिटल के रूप बदलने का ऐलान किया है। इससे कोरोना मरीजों के लिए करीब 3,000 नए बेड जुड़ जाएंगे। इन बेड्स के लिए कोरोना मरीजों को फाइव स्टार होटल्स में 5 हजार रुपये प्रति बेड, फोर स्टार या थ्री स्टार होटलों में 4,000 रुपये प्रति बेड की दर से भुगतान करना होगा। जिन होटल्स को एक्सटेंडेट कोविड हॉस्पिटल में बदला गया है उनमें होटल क्राउन प्लाजा, आईटीसी वेलकम, रेडिसन ब्लू और सूर्या शामिल हैं। कई बैंक्वेट हॉल, एक स्कूल और यमुना स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स को अस्थायी तौर पर कोविड हॉस्पिटल में बदला जाएगा। 14 प्राइवेट अस्पतालों को कोरोना मरीजों के लिए करीब 80 प्रतिशत बेड रखने के लिए कहा गया है।
एक ओर महाराष्ट्र में जहां इस महामारी के चलते एक मई तक 16 दिन का कर्फ्यू लागू किया गया है वहीं यूपी की राजधानी लखनऊ में व्यापारियों ने अगले 3 दिनों तक सभी बाजार बंद रखने का फैसला किया है। उधर, सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और उनके पूरे स्टाफ का कोरोना टेस्ट पॉजिटिव आया है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने निर्देश दिया है कि यूपी माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की परीक्षाएं कोरोना महामारी के मद्देनजर स्थगित कर दी जाएं। केंद्र सरकार ने पहले ही सीबीएसई की 10वीं की परीक्षाओं को रद्द कर दिया है और 12वीं की परीक्षाओं को जून तक स्थगित कर दिया है। अन्य राज्य सरकारें भी कोरोना के बढ़ते मामले को देखते हुए परीक्षाएं रद्द/स्थगित करने का फैसला ले रही हैं।
उधर हरिद्वार में चल रहे कुंभ के दौरान कई अखाड़ों और आश्रमों के साधु-संतों के कोरोना संक्रमित होने के बाद भी लाखों लोगों ने गंगा में स्नान किया।
इन सबके बीच वैक्सीनेशन का राष्ट्रव्यापी अभियान जारी है। बुधवार को करीब 33 लाख लोगों को कोरोना की वैक्सीन दी गई। अबतक 11.44 करोड़ लोगों को वैक्सीन दी जा चुकी है। रेमेडिसविर दवा की खेप गुजरात से एयरलिफ्ट कर मध्य प्रदेश मंगाई गई है और इस दवा को इंदौर, भोपाल, उज्जैन, रीवा, ग्वालियर, सागर और रतलाम में भेजा गया है। यूपी में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बुधवार को अपना राजकीय विमान रेमेडिसविर दवा की खेप अहमदाबाद से लखनऊ लाने के लिए दिया। इससे रेमेडिसविर की 20,000 डोज को लाया गया। महामारी प्रभावित राज्यों में ऑक्सीजन की व्यवस्था को सुचारू बनाए रखने और ऑक्सीजन की आपूर्ति बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार लगातार नजर बनाए हुए है। केंद्र का एक सशक्त दल कार्ययोजना को अंतिम रूप दे रहा है ताकि अस्पतालों में ऑक्सीजन की कमी न हो।
हजारों प्रवासी मजदूर अपने गृह राज्य लौटने की बेताबी में मुंबई के रेलवे स्टेशनों के बाहर डेरा डाले रहे। 16 दिन का कर्फ्यू लगने से पहले मुंबई में दुकानों और डिपार्टमेंटल स्टोर्स के बाहर हजारों लोग लंबी-लंबी लाइनों में खड़े थे। महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में मुर्दाघर कोविद-19 के मरीजों की लाशों से भरे पड़े हैं क्योंकि दाह संस्कार के लिए इंतजार करना पड़ रहा है। मुंबई, गुजरात और मध्य प्रदेश में श्मशान घाटों पर अंतिम संस्कार के इंतजार में लाशों की लंबी लाइनें लगी हैं।
मैं एक बार फिर से दोहराना चाहूंगा। संयम और आत्मनियंत्रण वक्त का तकाजा है। घबराने की जरूरत नहीं है। अपने घर में रहें और जब तक बेहद जरूरी न हो बाहर न निकलें। हमेशा मास्क पहनें और सोशल डिस्टैंसिंग का पालन करें। आइए, जल्द से जल्द इस वायरस की चेन को तोड़ा जाए और वापस सामान्य स्थिति लाई जाए। हम सभी एक बड़ी चुनौती का सामना कर रहे हैं और हमें मिलकर ये काम करना होगा। घर पर रहें, सुरक्षित रहें।
With 2-lakh daily spike in Covid cases, India faces a huge challenge
India reported more than 2 lakhs (2,00,739) new Covid cases during the last 24 hours – the highest single day spike so far. 1.038 deaths were recorded on Wednesday across India. This too, is the highest single day death toll since October 2 last year. The situation has now become alarming.
The daily case count has doubled in the last 10 days, from more than 1 lakh on April 4 to more than 2 lakh today. It took 21 days for the United States to reach the 2-lakh milestone, but the surge in India has been faster. There are 14 lakh 71 thousand 877 active Covid cases across India as of today, and the total death toll has now reached 1 lakh 73 thousand 123, according to Health Ministry figures.
There are nine states which have reported the highest one-day spikes on Wednesday. They include Uttar Pradesh (20,510), Delhi (17,282), Karnataka (11,265), Madhya Pradesh (9,720), Gujarat (7,410), Rajasthan (6,200), Haryana (5,398), West Bengal (5,892) and Bihar (4,786). All these states have been witnessing major spikes in the last ten days. The worst hit state, Maharashtra, logged 58,952 fresh cases and 278 deaths on Wednesday. Chhattisgarh reported 120 deaths, while Delhi reported 104 deaths.
This is a warning signal to all of us which we can ignore only at our own peril. We will have to fight this unprecedented tragedy unitedly. Due to severe shortage of beds in Delhi hospitals, several hotels, malls and banquet halls are being turned into Covid treatment centres. There are no ICU beds left vacant in almost all top government and private hospitals.
Delhi chief minister Arvind Kejriwal has announced weekend curfew from Friday night 10 pm till 6 am on Monday morning. The Delhi government has announced 15 hotels as ‘extended Covid hospitals’. This will add nearly 3,000 beds for Covid patients, for which they will have to pay Rs 5,000 per bed in 5-star hotels and Rs 4,000 per bed in 4-star or 3-star hotels. These include Hotel Crowne Plaza, ITC Welcome, Radisson Blu and Surya. Several banquet halls, one school and Yamuna Sports Complex will be converted into temporary Covid hospitals. 14 private hospitals have been asked to keep nearly 80 per cent of their beds for Covid patients.
While Maharashtra enforced 16-day-long curfew till May 1 due to the pandemic, traders in the UP capital of Lucknow have decided to keep all markets closed for the next three days. At the Supreme Court, the entire staff of Justice D. Y. Chandrachud have been tested Covid positive. UP chief minister Yogi Adtyanath has directed that the UP Secondary Education Board exams be postponed in view of the pandemic. Already, the Centre has cancelled CBSE Class 10 exams and postponed Class 12 exams till June. Other state governments are also following this trend in view of the surge in pandemic.
In the holy city of Haridwar, lakhs of people continued to take dip in the river Ganga, even as many top sadhus in the ashrams and akharas have been tested positive.
Meanwhile, the nationwide Covid vaccination drive continues. Nearly 33 lakh doses were administered on Wednesday taking the total number to 11.44 crores. Remdesivir vial stocks are being airlifted from Gujarat to Madhya Pradesh, and from there they are being distributed to Indore, Bhopal, Ujjain, Rewa, Gwalior, Sagar and Ratlam. UP chief minister Yogi Adityanath gave his state plane which transported 20,000 Remdesivir vials from Ahmedabad to Lucknow on Wednesday. To augment distribution of oxygen to pandemic hit states, an empowered group at the Centre is finalizing plans to distribute oxygen on a large scale to states suffering from acute shortage.
Thousands of migrant workers continued to wait outside railway stations in Mumbai, desperate to return to their home states. There were long queues of thousands of people outside shops and departmental stores in Mumbai, before the 16-day-long curfew was imposed. Mortuaries in Maharashtra, Madhya Pradesh and Chhattisgarh are packed with bodies of Covid-19 patients, awaiting cremation. There are long queues of bodies awaiting final rites at the crematoriums in Mumbai, Gujarat and Madhya Pradesh.
I will like to repeat here again. Patience and self-regulation is the need of the hour. Let us not panic. Please try to stay inside your homes and do not venture out unless it is essential. Always wear masks and practise social distancing. Let us break this virus chain at the earliest and bring back normalcy. We are all facing a huge challenge and we have to face this unitedly. Stay home, stay safe.