कोरोना महामारी: रूस भारत को 85 करोड़ स्पूतनिक V वैक्सीन उपलब्ध कराएगा
कोरोना के मामले हर रोज बढ़ते ही जा रहे हैं। हर दिन मौत और संक्रमण के नए मामलों का रिकार्ड टूट रहा है। गुरुवार को देशभर में कोरोना वायरस के 3,86,452 नए मामले सामने आए और 4 लाख के आंकड़े को छूने के करीब है। आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक गुरुवार को देशभर में 3,498 लोगों की मौत के साथ ही इस संक्रमण से अबतक कुल 2,08,330 लोगों की जान जा चुकी है। वहीं अस्पतालों में बेड, ऑक्सीजन और वेंटिलेटर का गंभीर संकट लगातार बना हुआ है। इसके बावजूद पिछले 24 घंटे में कोरोना के 2,97,540 मरीजों ने इस संक्रमण को मात दी है।
मैंने तमाम स्वास्थ्य विशेषज्ञों से बात की और पूछा कि ये ट्रेंड कब रूकेगा, हम पीक पर कब पहुंचेंगे, कोरोना की लहर कब खत्म होगी? सबका एक ही जबाव है कि कोई नहीं जानता कि ये लहर कब खत्म होगी? अगर दूसरी लहर खत्म हो गई तो तीसरी आएगी। महाराष्ट्र सरकार ने पहले ही अपने डॉक्टर्स को कोरोना की तीसरी लहर का सामना करने के लिए अलर्ट कर दिया है। कोरोना को पर काबू पाने का एक ही उपाय है और वो है वैक्सीनेशन। इसीलिए इस वक्त देश में सबसे ज्यादा फोकस वैक्सीनेशन पर है।
तीसरे चरण के वैक्सीनेशन के लिए शुक्रवार सुबह तक 3.45 करोड़ लोगों ने CoWin ऐप पर अपने नाम रजिस्टर्ड करा चुके थे। देश में अबतक 15.22 करोड़ से ज्यादा लोगों को वैक्सीन दी जा चुकी है। पिछले 24 घंटों में 19 लाख से ज्यादा कोविड टेस्ट किए गए। अब सवाल ये है कि देश में 18 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों को वैक्सीन देने के लिए इतनी डोज (खुराक) कहां मिलेगी? देश की कुल जनसंख्या 135 करोड़ में से 18 वर्ष से ज्यादा उम्र के लोगों की आबादी 91 करोड़ हैं। सबको वैक्सीन को दो डोज देने के लिए कम से सम 180 करोड़ डोज की जरूरत होगी। पिछले तीन महीने में भारत सरकार राज्यों को 16 करोड़ 16 लाख वैक्सीन डोज ही उपलब्ध करा पाई है। अब तक 15.22 करोड़ डोज लोगों को दिए जा चुके हैं। राज्यों के पास फिलहाल उनके स्टॉक में एक करोड़ डोज बाकी हैं और अगले तीन दिन में केन्द्र सरकार बीस लाख डोजे औऱ सप्लाई करेगी। लेकिन इतने से काम तो चलने वाला नहीं है। सौ करोड़ से ज्यादा डोज कहां से आएगी? केन्द्र सरकार इसी का इंतजाम करने में लगी है, सारे रास्ते तलाशे जा रहे हैं।
कुछ न्यूज रिपोर्ट्स के मुताबिक पता ये चला है कि इस काम में रूस भारत की मदद करेगा। रूस भारत को स्पूतनिक V की 85 करोड़ डोज उपलब्ध कराएगा। रूस के डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट फंड ने स्पुतनिक V वैक्सीन की 85 करोड़ डोज बनाने के लिए पांच भारतीय कंपनियों के साथ करार किया है। मई के शुरुआती सप्ताह से स्पूतनिक V वैक्सीन की डोज बड़े पैमाने पर भारतीयों को दी जाएगी। स्पूतनिक V को 12 अप्रैल को भारत सरकार की एक्सपर्ट कमेटी से आपातकालीन उपयोग की मंजूरी मिली, जिससे यह भारत में उपयोग के लिए मंजूरी पाने वाला तीसरा टीका बन गया। मई के पहले हप्ते से स्पूतनिक V की डिलीवरी भी शुरू हो जाएगी। रूस सबसे पहले 1.5 लाख से 2 लाख डोज की आपूर्ति करेगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस सप्ताह की शुरुआत में वैक्सीनेशन के मुद्दे पर रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ बातचीत की थी। स्पूतनिक V की वैक्सीन की पहली खेप थोक में आएगी और फिर यहां पर इस कंपनी की भारतीय पार्टनर डॉ. रेड्डीज इसका डिस्ट्रिब्यूशन का इंतजाम करेगी। इसके बाद स्पूतनिक V का निर्माण भारत में डॉ. रेड्डीज की लैब में होगा। अन्य वैक्सीन की तरह स्पूतनिक V की भी दो डोज 21 दिन के अंतराल पर लेनी होगी।
उधर, कोरोना वैक्सीन के घटते स्टॉक के कारण गुरुवार को मुंबई में कई जगहों पर वैक्सीनेशन को रोकना पड़ा। मुंबई में NESCO के वैक्सीनेशन सेंटर में सुबह-सुबह स्टॉक खत्म हो गया और सैकड़ों लोगों को खाली हाथ लौटना पड़ा। कुछ अन्य सेंटर्स पर भी दो-दो किमी लंबी कतार में लोगों को तेज धूप और गर्मी में अपनी बारी का इंतजार में देखा गया। लॉकडाउन के बावजूद ये लोग वैक्सीन की उम्मीद में इन सेंटर्स में आते हैं, धूप में खड़े रहते हैं और फिर खाली हाथ घर लौटना पड़ता है। यही वजह है कि गुरुवार को इनका सब्र जवाब दे गया। वैक्सीनेशन सेंटर्स के कर्मचारियों से इनकी बहस हो गई और फिर बीच-बचाव करने के लिए पुलिस को आना पड़ा। यही दृश्य मुंबई के राजावाड़ी अस्पताल में भी देखने को मिला। गुरुवार देर शाम को बीएमसी ने स्टॉक में कमी के कारण 30 अप्रैल से 2 मई तक तीन दिनों के लिए वैक्सीनेशन अभियान स्थगित करने की घोषणा कर दी।
महाराष्ट्र, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और पंजाब सरकार ने घोषणा की है कि वैक्सीन के बहुत कम स्टॉक के कारण वे 1 मई से 18 वर्ष से अधिक उम्र के सभी लोगों के लिए वैक्सीन अभियान को शुरू नहीं कर पाएंगे। पंजाब के पंचकुला में 45 साल से ऊपर के लोगों को भी वैक्सीन नहीं मिल रही है। ये चारों राज्य ऐसे हैं जहां गैर-बीजेपी सरकार है। अच्छा तो ये होता कि वे केंद्र के साथ मिलकर, सहयोग के जरिए इस अभियान को फिलहाल छोटे पैमाने पर शुरू करते और फिर स्टॉक की स्थिति में सुधार होने पर वैक्सीनेशन अभियान को गति देते।
उत्तर प्रदेश सरकार ने पहले ही इस कमी से निपटने के लिए एक करोड़ वैक्सीन डोज इम्पोर्ट (आयात) करने का ऑर्डर दे दिया और यह घोषणा की है कि वह 1 मई से प्रतीकात्मक रूप से राज्य में यूनिवर्सल वैक्सीनेशन अभियान शुरू करने जा रही है।
इस बीच, पिछले नौ दिनों में भारत में मेडिकल ऑक्सीजन का उत्पादन 67 फीसदी बढ़ा है। हालांकि जमीनी स्तर पर अभी-भी ऑक्सीजन की भारी कमी है। अस्पतालों में ऑक्सीजन की कमी के कारण हाल ही में मेरठ में 21 मरीजों की मौत हो गई है। कोरोना मरीजों के रिश्तेदार ऑक्सीजन सिलेंडरों को भरने के लिए इधर-उधर मारे फिर रहे हैं, लेकिन ज्यादतर को खाली हाथ लौटना पड़ता है। ग्रेटर नोएडा में एक ऑक्सीजन प्लांट के बाहर अपने ऑक्सीजन सिलेंडर को रिफिल करने के लिए लोगों की लंबी कतारें लगी हुई थीं। मेडिकल ऑक्सीजन की सप्लाई यूपी, दिल्ली, हरियाणा और महाराष्ट्र में तेज गति से हो रही है। लेकिन कोरोना के मरीजों को अस्पताल में बेड और वेंटिलेटर नहीं मिल पा रहे हैं।
अगर कोरोना के ताजा मामलों में बढ़ोतरी को नियंत्रण में लाया जाता है तो आनेवाले दिनों में ऑक्सीजन की सप्लाई और अस्पताल में बेड की उपलब्धता में सुधार हो सकता है। आर्म्ड फोर्स और रेलवे की मदद से केंद्र और राज्य सरकारें मेडिकल ऑक्सीजन की सप्लाई बढ़ाने के लिए अपनी पूरी कोशिश कर रहे हैं। हम सभी को हालात सुधरने की उम्मीद करनी चाहिए।
Covid Pandemic: How Russia will provide 85 crore Sputnik V vaccines to India
The surge continues. Records of Covid deaths and fresh cases are being broken every day. On Thursday, India recorded 3,86,452 new Covid cases, fast reaching towards the 4-lakh mark. The official death count on Thursday was 3,498 taking the cumulative death toll to 2,08,330. There has been no let up in the grave crisis created due to shortage of oxygen, ventilators and hospital beds, despite discharge of 2,97,540 patients in the last 24 hours.
I spoke to several medical experts but nobody could definitely say when the peak would show a decline, and if the second wave subsides, nobody can say whether there will be a third wave or not. Already, Maharashtra government has alerted its doctors to be prepared to face a ‘third wave’. The nation is presently focused more on spreading the vaccination coverage to the optimum.
Till Friday morning, 2.45 crore people registered their names for vaccination drive on the CoWin app for Phase 3. India’s cumulative vaccination coverage has exceeded 15.22 crore. Over 19 lakh Covid tests were done in the last 24 hours. The problem now is: where will India get so many doses to vaccinate its population above the age of 18 years? They constitute 91 crore out of India’s total population of 135 crore. A total of 180 crore doses will be needed to give double dose to roughly 91 crore people above the age of 18 years. In the last three months, the Centre sent 16.16 crore doses to the state governments. Till now, 15.22 crore doses have been administered. The state governments have roughly one crore doses in their stocks, while the Centre is going to send 20 lakh doses in the next three days. But how will the Centre arrange roughly 100 crore doses in the coming months? All ways and avenues are being explored.
Russia is going to provide 85 crore Sputnik V doses, according to some news reports. The Russian Direct Investment Fund has entered into contracts with five Indian companies for manufacturing 85 crore doses of the vaccine. From early May, Sputnik V vaccine doses will be given to Indians on a large scale. Sputnik V got the emergency use authorization from the Subject Experts Committee of the Government of India on April 12, making it the third vaccine to be approved for use in India. The first supply of 1.5 lakh to 2 lakh Sputnik V doses will be reaching India in the first week of May. Prime Minister Narendra Modi had a conversation with Russian President Vladimir Putin over the vaccination issue early this week. The first batch of Sputnik V doses will arrive in India in bulk and then the Indian partner, Dr Reddy’s, will put the doses in separate vials for distribution. The first batch will come from Russia, while the remaining batches will be manufactured in India. Like other vaccines, Sputnik V has to be taken in two doses with 21 days’ gap.
Due to depleting stocks of Covid vaccines, vaccination had to be stopped in several places of Mumbai on Thursday. At the NESCO vaccination centre in Mumbai on Thursday, stocks ran out early in the morning, and hundreds of people had to return empty handed. At some other centres, two km long serpentine queues were noticed with people waiting for their turn, standing in heat. There were scuffles with health workers on Thursday, and police had to intervene, after a staff came out and announced that there were no stocks left. The same was the scene at Rajawadi hospital in Mumbai. Late on Thursday evening, BMC announced suspension of vaccination drive for three days, from April 30 till May 2, due to depleting stocks.
Maharashtra, Rajasthan, Chhattisgarh and Punjab governments have announced they will not be able to launch the universal vaccination drive for all above the age of 18 years from May 1, due to very low stocks. In Panchkula, Punjab, even people above the age of 45 years are unable to get themselves vaccinated. All these four states are being run by non-BJP parties. It would be better if they cooperated with the Centre, start the drive on a small scale, and then speed it up as and when the stock position improves.
Uttar Pradesh government has already ordered import of one crore vaccine doses to deal with the shortage. It has announced that it would symbolically launch the universal vaccination drive in the state from May 1.
Meanwhile, medical oxygen production in India has increased by 67 per cent in the last nine days. At the ground level, however, there is still acute shortage of oxygen. In Meerut, 21 patients have died recently because of lack of oxygen in hospitals. Relatives of Covid patients are scouting for refilling their oxygen cylinders, but most of them had to return empty handed. There were long queues of people waiting for refilling their oxygen cylinders outside an oxygen plant in Greater Noida. The supply of medical oxygen is acute in UP, Delhi, Haryana and Maharashtra. Covid patients are unable to get hospital beds and ventilators.
There are indications that the supply of oxygen and hospital beds will improve in the coming days only if the surge in fresh Covid cases is brought under control. The Centre and states, along with help from the armed forces and railways, are trying their best to augment supply of medical oxygen. Let all of us hope for the best.
हिम्मत न हारें, भारत जीतेगा, कोरोना हारेगा
देशभर में बुधवार को कोरोना वायरस की वजह से 3,645 लोगों की जान गई और रिकॉर्ड 3,79,257 मामले दर्ज किए गए जिससे पूरा का पूरा हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर जबरदस्त प्रेशर में है। देश में अब कोरोना के कुल एक्टिव मामले बढ़कर 30,84,814 हो गया है, वहीं महानगरों और टियर टू सिटीज के अधिकांश अस्पताल बेड उपलब्ध नहीं करा पा रहे हैं। महाराष्ट्र में लगातार केविड के सर्वाधिक नए मामले (63,309) सामने आ रहे हैं, उत्तर प्रदेश (29,824) और दिल्ली 25,986 नए मामले। बुधवार को अकेले महाराष्ट्र में 985 कोविड मरीजों की मौत हो गई।
बुधवार की रात मेरे प्राइम टाइम शो ‘आज की बात’ में हमने दिखाया कैसे महाराष्ट्र के बीड में एक एंबुलेंस के अंदर 22 शवों को श्मशान पहुंचाया गया। हमने शव के साथ बिस्तर पर लेटे हुए कोविड मरीज के डरावने दृश्य भी दिखाए। अहमदनगर के एक अस्पताल में आठ बैड के बॉर्ड में डॉक्टर्स तीस तीस मरीजों का इलाज कर रहे हैं। लखनऊ में किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी में कोरोना हॉस्पिटल के बाहर एक बेटा अपनी बीमार मां को गाड़ी की बैक सीट पर लिटाकर गाड़ी में ही ऑक्सीजन दे रहा था। हॉस्पिटल में एडमीशन नहीं मिल रहा था। बेटा क्या करता, न मां को छोड़कर हॉस्पिटल के अंदर किसी से बात करने जा सकता था और न किसी के आने के इंतजार में वक्त बर्बाद कर सकता था। उस बेटे की बेबसी का अंदाजा लगाइए।
इसी तरह दिल्ली के शाहदरा में एक ऑक्सीजन रिफिलिंग सेंटर के दुकान पर ताला लगाना पड़ा क्योंकि पिछले दो तीन दिनों से भीड ज्यादा हो गई थी, लोग दुकान के बाहर इकट्ठा होने लगे थे इसलिए अब वेटिंग हो गई। लोग सिलेंडर छोडकर जा रहे हैं और दो दिन बाद उन्हें रिफिल किया हुआ सिलेंडर मिल रहा है। साउथ दिल्ली में बनाए गए पटेल कोविड सेंटर का 48 घंटे के भीतर ये हाल है कि कल तक जिस हॉस्पिटल में मरीजों को लेकर एंबुलेंस की लाइन लगी थी, आज उसी कोविड केयर सेंटर के बाहर मरीजों के परिजन रो रहे हैं, बिलख रहे हैं। वो अपने परिवार वालों को कोविड केयर सेंटर से निकाल कर घर ले जाना चाहते हैं क्योंकि उन्हें लग रहा है कि कोविड केयर सेंटर से मरीज का जिंदा बाहर आना मुश्किल है। मरीज खुद परिवार वालों को फोन करके वापस ले जाने की गुहार लगा रहे हैं। मरीजों का कहना है कि कोविड केयर सेंटर के अंदर दवाएं तो दूर पानी भी नहीं है। पंचायती निरंजन अखाड़ा के प्रमुख, महंत लखन गिरि महाराज का कोविड के कारण एम्स, ऋषिकेश में निधन हो गया।
बुधवार को 18 साल से ऊपर की उम्र वाले लोगों के वैक्सीनेशन के लिए रजिस्ट्रेशन शुरू हो गया। कोविन ऐप पर शाम चार बजे से रजिस्ट्रेशन शुरू हुआ। वैक्सीनेशन को लेकर लोगों में जबरदस्त उत्साह दिखा। यही वजह है कि कोविन पर रजिस्ट्रेशन शुरू होते ही पोर्टल पर ट्रैफिक इतना बढ़ा कि इसका सर्वर क्रैश कर गया। पहले दिन 1.2 करोड़ से अधिक लोगों ने CoWin ऐप पर अपना नाम रजिस्टर किया। केंद्र ने कहा है कि वैक्सीनेशन टीकाकरण केंद्रों की उपलब्धता पर निर्भर करेंगी। पहली बार अप्रैल में एक दिन, बुधवार को वैक्सीनेशन की संख्या 20 लाख से नीचे दर्ज की गई। यह मुश्किल से 19 लाख था। गुरुवार को केंद्र ने दावा किया कि उसने पहले ही राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को 16.16 करोड़ खुराक की आपूर्ति कर दी है और अभी भी राज्यों के पास एक करोड़ से अधिक टीके पड़े हुए हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि अगले तीन दिनों में 20 लाख से अधिक खुराकें भेजी जाएंगी।
इस बीच, विभिन्न देशों से आपातकालीन सहायता जारी रही। गुरुवार को दुनिया का सबसे बड़ा US C-5 सैन्य विमान 440 आक्सीजन सिलेंडर और रेगुलेटर लेकर ट्रैविस एयर फोर्स बेस से नई दिल्ली पहुंचा। रूस से दो उड़ानें, 20 ऑक्सीजन कंसंट्रेटर, 75 वेंटिलेटर, 150 बेडसाइड मॉनिटर और दवाइयां लेकर गुरुवार सुबह दिल्ली पहुंचे। आज सुबह ब्रिटेन से 120 ऑक्सीजन कंसंट्रेटर पहुंचे।
इंडिया एयर फोर्स ने गुरुवार सुबह बैंकॉक से जामनगर एयरबेस तक चार खाली क्रायोजेनिक ऑक्सीजन कंटेनरों को एयरलिफ्ट किया। यहां उन्हें मेडिकल ऑक्सीजन से भरा जाएगा और विभिन्न स्थानों पर भेजा जाएगा। IAF ने 13 कंटेनरों को भी एयरलिफ्ट किया। इनमें से दो कंटेनर आगरा से रांची, चंडीगढ़ से रांची, इंदौर से रायपुर, हिंडन एयरबेस (उ.प्र.) से रांची, जोधपुर से जामनगर, ग्वालियर से रांची और भोपाल से सूरत एक-एक कंटेनर मेडिकल ऑक्सीजन भरने के लिए एयरलिफ्ट किए गए जिन्हें विभिन्न जगहों पर भेजा जाएगा।
भारतीय सेना ने पुणे में ओल्ड कमांड हॉस्पिटल कॉम्प्लेक्स में एक कोविड चिकित्सा सुविधा की स्थापना की है। सेना के डॉक्टर और पैरामेडिकल स्टाफ कोविड मरीजों की देखभाल करेंगे। सेना ने गुजरात के अहमदाबाद में 900 बिस्तरों वाला अस्पताल और राजस्थान के बाड़मेर में 100 बिस्तरों आइसोलेशन केंद्र भी खोला है। सेना ने भोपाल, ग्वालियर और सागर में भी अस्पताल स्थापित किए हैं।
इंडिया टीवी के रिपोर्टर आम लोगों की पीड़ा आप तक पहुंचाने के लिए चौबीसों घंटे काम कर रहे हैं। उनके करीबी रिश्तेदार भी हैं, जो कोरोना पॉजिटिव हैं हॉस्पिटल में हैं लेकिन उनको छोड़कर वो बाहर निकले ताकि सच आप तक पहुंचे और ये सच सिर्फ अहमदनगर का, दिल्ली, लखनऊ का नहीं है। हमारे रिपोर्ट्स ने, मुंबई में, जयपुर में हर बड़े-बड़े शहर में जाकर ये रिपोर्ट भेजी लेकिन आज मेरे पास कानपुर, इटावा, औरैया, महारजगंज, शिवपुरी, धौलपुर, ऐसे शहरों से भी इसी तरह की तस्वीरें आई हैं जिन्होंने दिल तोड़ दिया। हर जगह हाहाकार मचा हुआ है। मरीज मुश्किल में हैं। हर जगह मरीजों के रिश्तेदार रो रहे हैं, बिलख रहे हैं। हर शहर की एक ही कहानी है। कोई किसी की मदद नहीं कर पा रहा और जाहिर है हॉस्पिटल्स में बैड की कमी है, ऑक्सीजन की कमी है, दवाओं की कमी है और अब तो हालत ये है कि डॉक्टर्स की भी कमी होने लगी है। डॉक्टर्स थकने लगे हैं टूटने लगे हैं। खुद कोरोना पॉजिटिव होने लगे हैं लेकिन मैं कहूंगा कि हमारे डॉक्टर्स, हमारी नर्सेज, हमारे हैल्थ वर्कर्स अपनी जान पर खेलकर दूसरों की जान बचाने में लगे हैं। डॉक्टर्स सबकुछ भूलकर सिर्फ अपना फर्ज निभा रहे हैं। अपनी जान को खतरे में डालकर दूसरों की जान बचाने में लगे हैं इसलिए इन डॉक्टर्स के, इन नर्सेज के जज्बे को सलाम करना चाहिए।
केंद्र सरकार, राज्य सरकारें, एयरफोर्स, आर्मी जब सब मिलकर कोरोना के खिलाफ जंग लड़ेंगे तो हम ये जंग जरूर जीतेंगे। इस वक्त सबसे ज्यादा जरूरत इस बात की है कि आप हिम्मत ना हारें, धैर्य ना खोएं और ये मानकर चलें कि भारत जीतेगा, कोरोना हारेगा।
Covid Pandemic: Do not lose courage, India will win this war
More than 3,645 Covid patients died and 3,79,257 fresh Covid cases were reported across India on Wednesday, throwing the entire health infrastructure into turmoil. The total number of active Covid cases has now crossed 30 lakhs (30,84,814), with hospitals in most of the metros and Tier-2 cities unable to provide beds. Maharashtra continues to report the highest number of fresh Covid cases (63,309), Uttar Pradesh (29,824) and Delhi 25,986 fresh cases. 985 Covid patients died in Maharashtra alone on Wednesday.
In my prime time show ‘Aaj Ki Baat’ on Wednesday night, we showed how an ambulance was carrying 22 bodies of Covid victims from the Beed district hospital in Maharashtra to the local crematorium. We also showed scary visuals of a Covid patient lying on a bed with a dead body. Around 30 Covid patients were inside an eight-bed ward of the Ahmednagar hospital.
From Lucknow, we showed visuals of an ambulance driver giving oxygen to his mother, who had worked as health worker for 30 years, outside the famous KGMU hospital. The son was waiting for instructions from Covid Command Centre for admission of his ailing mother.
There was clamour for oxygen cylinders, and one vendor in Delhi’s Shahdara pulled down his shutters when he found a large number of people waiting for their cylinders to be refilled. The situation was worse in the newly built Patel Covid Centre in South Delhi, where patients who were admitted, were not provided either water or oxygen. Many of the patients rang up their relatives to take them away. The head of Panchayati Niranjan Akhada, Mahant Lakhan Giri Maharaj passed away at AIIMS, Rishikesh due to Covid.
On Wednesday, over 1.2 crore people above 18 years of age registered their name and details on the CoWin app. The Centre has said that appointments for vaccination will depend on the availability of vaccination centres. For the first time on an April weekday, the number of vaccinations dropped below 20 lakhs on Wednesday. It was barely 19 lakhs. On Thursday, the Centre claimed that it had already supplied 16.16 crore doses to states and union territories, and there were still over one crore vaccines lying with the states. Over 20 lakh doses will be sent in the next three days, a Health Ministry official said.
Meanwhile, emergency aid continued to pour in from different countries. On Thursday, the world’s largest US C-5 military aircraft arrived from Travis Air Force Base at New Delhi, carrying 440 oxygen cylinders and regulators, donated by the State of California. Two flights from Russia, carrying 20 oxygen concentrators, 75 ventilaors, 150 bedside monitors, and medicines, totalling 22 metric tonnes arrived in Delhi on Thursday morning. 120 oxygen concentrators arrived from the UK this morning.
India Air Force airlifted four empty cryogenic oxygen containers from Bangkok to Jamnagar airbase on Thursday morning, where they will be filled with medical oxygen and sent to different destinations. IAF also airlifted 13 containers. Out of them, it airlifted two containers each from Agra to Ranchi, from Chandigarh to Ranchi, from Indore to Raipur, from Hindon airbase (UP) to Ranchi, from Jodhpur to Jamnagar, from Gwalior to Ranchi, and one container from Bhopal to Surat, for filling with medical oxygen and will be sent to various destinations.
Indian Army has established a dedicated Covid Medical Facility at the Old Command Hospital Complex in Pune. Army doctors and paramedical staff will take care of Covid patients. Army has also opened a 900-bed hospital in Ahmedabad, Gujarat and 100-bed isolation complex in Barmer, Rajasthan. Army has also set up hospitals in Bhopal, Gwalior and Sagar.
India TV reporters are working round-the-clock to show you visuals about the sufferings of common people. They also have close relatives who are down with Covid, but duty beckons them. We, at India TV, have not only confined our reports to Mumbai, Delhi or the big metros, visuals are coming about patients and their relatives crying for help from towns like Auraiya, Kanpur, Maharajganj, Shivpuri, Etawah and Dhaulpur. The scenes are almost the same everywhere. People need hospital beds, oxygen, vital medicines and medical treatment. Most of the hospitals have run out of beds and oxygen, and the relatives are frantically seeking oxygen cylinders and vital medicines from outside. Doctors and nurses are working under tremendous pressure and many of them are almost on breaking point. Many of the healthcare workers are themselves Covid patients.
Come what may, India is going to win this war. The Centre, state governments, our air force, army and even the navy, are joining hands to provide succour to the people. The biggest need of the time is: Do not lose courage, do not lose hope. Know that India shall win this war and the pandemic shall lose. It is only a matter of time.
कोरोना महामारी की दूसरी लहर का अनुमान लगा पाने में सरकारें कैसे नाकाम रहीं
देशभर में कोरोना महामारी बेहद भयावह रूप ले चुकी है। इसका अंदाजा इस आंकड़े से लगाया जा सकता है कि अकेले बुधवार को कोरोना के कुल 3,60,960 नए मामले सामने आए और इस संक्रमण ने 3,293 लोगों की जान ले ली। ऑक्सीजन, वेंटिलेटर, दवाओं और अस्पतालों में बेड की कमी के कारण लोग मर रहे हैं। दिल्ली-एनसीआर, उत्तर प्रदेश और हरियाणा के कई हिस्सों में हालात गंभीर हैं।
कोरोना मरीजों के रिश्तेदार ब्लैक मार्केट से जरूरी दवाएं खरीदने को मजबूर हैं, टेस्टिंग लैब में लोगों की लंबी कतारें हैं, रिपोर्ट आने में भी काफी वक्त लग रहा है। न मरीजों को ऑक्सीजन सिलेंडर मिल रहा है और न ही वेंटिलेटर। इसी बीच एक ऐसा वीडियो आया जिसे देखकर किसी का भी कलेजा फट जाए। वीडियो में स्ट्रेचर पर एक शख्स बेसुध पड़ा है और उसकी पत्नी स्ट्रेचर को खींच रही है। जबकि तीन-चार साल का एक छोटा सा बच्चा स्ट्रेचर को धक्का दे रहा है। मां और बेटे मिलकर उस शख्स को अस्पताल के अंदर पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं जबकि उनकी मदद के लिए कोई वॉर्ड ब्वॉय तक वहां नहीं था।
केंद्र और राज्यों की सरकारें दावा कर कर रही हैं कि सब ठीक है। बेड, ऑक्सीजन और दवाओं की कोई कमी नहीं है। लेकिन इंडिया टीवी के रिपोर्टर्स ने जो ग्राउंड रिपोर्ट भेजी वो कुछ दूसरी तस्वीर पेश करती है। हॉस्पिटल के बाहर तड़प रहे मरीजों के लिए न बेड है, न ऑक्सीजन और न दवाएं। हॉस्पिटल मरीजों के परिवार वालों से कह रहे हैं कि खुद ऑक्सीजन का इंतजाम करो, दवाएं लेकर आओ। मरीज के परिवारवाले 40 डिग्री सेल्सियस तपती दोहपरी में बेड, ऑक्सीजन और दवाओं के लिए इधर-उधर भाग रहे हैं। और इस मुश्किल वक्त में भी कुछ बेईमान लोग मौके का फायदा उठाने की कोशिश कर रहे हैं। कोई जबरदस्ती बेड कब्जा करके बैठा है तो किसी ने दवाएं स्टोर की ली हैं। किसी ने मार्केट से ऑक्सीमीटर गायब कर दिया है तो कोई पैसा कमाने के चक्कर में रेमडेसिविर इंजेक्शन लेकर घूम रहा है। ये लोग इन जीवनरक्षक वस्तुओं को महंगे दामों पर बेचकर मरीजों के परिवारवालों को लूट रहे हैं।
कोरोना संक्रमण के ताजा मामले और मौतों की संख्या को लेकर जो आधिकारिक आंकड़े बताए जा रहे हैं उसकी पूरी तस्वीर सामने नहीं आ रही है। कोविड टेस्ट करनेवाली एक बड़ी टेस्टिंग एजेंसी के सीईओ ने शिकायत की है कि उसके पास जिले के स्थानीय अधिकारियों के फोन आए और कोरोना की ‘पॉजिटिव’ रिपोर्ट नहीं करने के लिए कहा गया। दिल्ली और मुंबई में अचानक नए मरीजों की संख्या कैसे कम हो गई। आंकड़े देखें तो लगेगा यहां कोरोना काबू में आ रहा हैं लेकिन मैं थोड़ा गहराई में गया तो पता चला दिल्ली और मुबई में पिछले दो दिन से टेस्ट ही कम हो रहे हैं, इसलिए कम पॉज़िटिव मरीज रिकार्ड पर आ रहे हैं। सच्चाई ये है कि दिल्ली में जिसका टेस्ट हो रहा है, उनमें से हर तीसरा आदमी कोरोना पॉजिटिव मिल रहा है। दिल्ली में इस वक्त कोरोना का पॉजिटिविटी रेट 35 प्रतिशत पर बना हुआ है। सोमवार को दिल्ली में कुल 57,600 टेस्ट हुए उनमें से 20 हजार दो सौ से ज्यादा लोग कोरोना पॉजिटिव पाए गए। आपको जानकर हैरानी होगी कि 13 अप्रैल को 1,02,460 टेस्ट हुए थे और इनमें से सिर्फ 13468 की रिपोर्ट पॉजिटिव थी यानि 13 अप्रैल को दिल्ली में पॉजिटिविटी रेट 12 प्रतिशत था, जो दो हफ्ते में बढ़कर 35 प्रतिशत हो गया है।
दिल्ली हाईकोर्ट ने महामारी से निपटने और रोगियों को बेड मुहैया कराने में विफल रहने पर दिल्ली सरकार की खिंचाई की है। कोर्ट ने कहा कि सरकार क्या कर रही है? हॉस्पिटल्स में मरीजों के लिए बेड नहीं है, ऑक्सीजन नहीं हैं। ऑक्सीजन के लिए अस्पतालों को कोर्ट जाना पड़े इससे ज्यादा शर्मनाक बात क्या हो सकती है। हाईकोर्ट ने कहा कि दिल्ली सरकार ऑक्सीजन वितरण की निगरानी करने और महत्वपूर्ण दवाओं की जमाखोरी रोक पाने में करने में पूरी तरह विफल रही है। कोर्ट ने कहा कि आप अपनी चीजों को व्यवस्थित करें। बेसिरपैर के आदेश का कोई मतलब नहीं है। अगर दिल्ली सरकार से सिस्टम नहीं संभल रहा है, हालात काबू से बाहर है तो फिर अदालत केन्द्र सरकार को टेकओवर करने का आदेश देगी। हम लोगों को इस तरह मरने नहीं दे सकते।
हाईकोर्ट ने कहा कि दिल्ली सरकार बेसिरपैर के आदेश दे रही है जिनका कोई मतलब नहीं है और कोई फायदा नहीं हैं। हाईकोर्ट ने कहा, “आपको जमीनी हकीकत का पता नहीं है…मरीजों को यह कहना वो डॉक्टरों की देखरेख में घर पर रेमडेसिविर नहीं ले सकते, बिल्कुल गलत प्रतित होता है, यह ठीक वैसा हीं है दैसा किसी आदमी की जान ले ली गई हो।”
अदालत ने इस बात पर नाराजगी जाहिर की और हैरानी भी जताई कि जब मरीजों के परिवार वाले एक बैड के लिए इधर से उधर भाग रहे हैं, उन्हें बैड नहीं मिल रहा ऐसे में दिल्ली सरकार ने जजों और कोर्ट के अफसरों के लिए फाइव स्टार होटल में सौ बैड बुक कर दिए। वाकई में हैरानी की बात है। इससे ऐसा मैसेज गया कि जब देश भर में हाहाकार है उस वक्त हमारे जजेज को अपनी फिक्र है। इस पर अदालत ने दिल्ली सरकार की जमकर क्लास ली। हाईकोर्ट ने कहा कि हमने तो दिल्ली सरकार को होटल रिजर्व करने के लिए नहीं कभी नहीं कहा था। अदालत ने सिर्फ इतना कहा था कि अगर हाईकोर्ट के स्टाफ को अस्पताल की जरूरत पडे तो उसे सुविधा दी जाए। हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार से कहा कि हमने दो अधिकारियों को खो दिया है और आप उल्टे सीधे ऑर्डर जारी कर रहे हैं।
दिल्ली हाईकोर्ट की नाराजगी जायज है। जनता परेशान है। सरकार एक्शन में दिख रही हैष मरीजों को बेड मिल नहीं रहे तो एक ही उम्मीद बचती है कोर्ट से, जजेज से। आज दिल्ली हाईकोर्ट ने लोगों के मन की बात सरकार से कही है। दिल्ली में हालात इतने खराब हो चुके हैं कि एक कोविड हॉस्पिटल खुलता है और दो से तीन घंटें में सारे बेड फुल हो जाते हैं। कुछ ही घंटों के बाद हॉस्पिटल के गेट पर फिर रोते बिलखते लोग और तड़पते मरीजों की लाइनें लग जाती है। कल दिल्ली में सरदार पटेल कोविड सेंटर शुरू हुआ था। 500 बेड वाला ये सेंटर शुरु हुआ। इसमें अभी 150 बेड्स ऑपरेशनल हुए हैं लेकिन कुछ ही घंटों में सारे 150 बैड्स फुल हो गए। इसी तरह DRDO की तरफ से जो 500 बेड वाला सेंटर खोला गया उसमें भी सारे बेड्स ऑक्यूपाई हो चुके हैं। इन सेंटर्स के बाहर मरीजों की लाइन लगी है।
अरविन्द केजरीवाल दावा कर रहे हैं कि अगले तेरह दिनों में दिल्ली में अलग अलग जगहों पर 1200 ICU बेड्स का और इंतजाम किया जाएगा। दिल्ली के रामलीला ग्राउंड, जीटीबी अस्पताल के पास और सरदार पटेल कोविड सेंटर में बेड्स बढ़ाए जाएंगे। आज से ही इन जगहों पर कोविड सेंटर बनाने का काम तेजी से शुरू भी हो गया। 10 मई तक इन्हें ऑपरेशनलाइज करने की डेडलाइन दी गई है। हमारे संवाददात भास्कर मिश्रा ने बताया कि जीटीबी हॉस्पिटल के बगल में एक ग्राउंड है, इसे कोविड केयर सेंटर में तब्दील किया जा रहा है। दिल्ली के पड़ोसी हरियाणा और गाजियाबाद में हालात खराब हो रही है जहां अचानक हॉस्पिटल वालों ने मरीजों के रिश्तेदारों से कह दिया कि ऑक्सीजन का इंतजाम करो, कुछ ही घंटों की ऑक्सीजन बची है। इससे मरीजों के परिवार वाले परेसान हो गए और सरकार से मदद की गुहार लगाने लगे।
हरियाणा पर इल्जाम ये भी है कि आंकड़े कम करके दिखाए जा रहे हैं। जब रिपोर्टर्स ने चीफ मिनिस्टर मनोहर लाल खट्टर से इसके बार में पूछा तो उन्होंने बहुत ही बाहियात और बेतुका जबाव दिया। खट्टर ने कहा कि इस वक्त आंकड़ों का कोई मतलब नहीं है। प्राकृतिक आपदा है। इसमें सरकार क्या कर सकती है। जो मर गया उस पर चिल्लाने से, शोर मचाने से वो जिंदा तो नहीं हो जाएगा। अगर एक राज्य का चीफ मिनिस्टर इस तरह की बात कहना तो दूर सोचता भी है तो फिर उस राज्य के सिस्टम का भगवान ही मालिक है।
लखनऊ में भी ऑक्सीजन की डिमांड बहुत अधिक है। लखनऊ में ऑक्सीजन प्लांट के बाहर सैंकड़ों मीटर लंबी लाइनें देखेंगे तब आपको सिचुएशन का अंदाजा होगा। आज हमारी संवाददाता रुचि कुमार ने लाइन में लगे लोगों से बात की, उनकी स्थिति को समझा। 40 डिग्री के टेंपरेचर में भी लोग 12-12 घंटे से लाइनों में लगे हैं। कोई रात से वेट कर रहा है तो कुछ लोग सुबह 4 बजे से बैठे हुए हैं। ये हालात लखनऊ शहर से 25 किलोमीटर दूर के ऑक्सीजन प्लांट की है। पिछले कुछ दिनों में इस प्लांट ने अपनी कैपेसिटी को डबल कर लिया और 13 सौ से बढ़ाकर 26 सौ सिलेंडर्स को डेली रिफिल कर रहे हैं लेकिन ऑक्सीजन की लाइन खत्म ही नहीं हो रही।
ऐसी ही एक तस्वीर महाराष्ट्र के बीड से आई। यहां एक एंबुलेंस के अंदर 22 शवों को श्मशान पहुंचाया गया। जी हां ठीक सुना आपने। एक एंबुलेंस में 22 लाशें। एंबुलेंस वैसे भी बहुत बड़ी नहीं होती। इसमें एक या दो मरीजों को ही ले जाया जाता है लेकिन महाराष्ट्र के बीड में एक एंबुलेंस के अंदर 22 शव ठूंस दिए गए। जब लोगों ने एक एंबुलेंस में 22 शवों को देखा तो प्रशासन पर सवाल उठे। अस्पताल की तरफ से सफाई दी गई कि उसके पास 2 ही एंबुलेंस हैं। सरकार से पांच एंबुलेंस की और मांग की गई थी। एक महीने से ज्यादा हो गया अभी तक एक भी एम्बुलेंस नहीं मिली है।
इन हालातों को देखते हुए मैं केवल इतना हीं कह सकता हूं कि संकट के समय ही जागना सरकार का कर्तव्य नहीं है और जब संकट बहुत अधिक बढ़ जाता है तब सरकार उसका समाधान निकालने के लिए हाथ-पैर मारना शुरू कर देती है। लोगों ने अपनी सरकार से अपेक्षा की थी कि कोरोना महामारी के दूसरे और सबसे खतरनाक वेब से निपटने के लिए पहले से कोई योजना और व्यवस्था तैयार रखी होगी। सरकारें इस मोर्चे पर विफल पाई गईं। वे इस महामारी की विशाल लहर का अनुमान लगाने में विफल रहे। कुछ हफ्ते पहले, दिल्ली के डिप्टी सीएम हरियाणा और पड़ोसी राज्यों को ऑक्सीजन आपूर्ति में बाधा डालने का आरोप लगा रहे थे। अब जब भारत के अंदर और बाहर से ऑक्सीजन कंसंट्रेटर और मेडिकल ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ रही है, तो इसने आशा की कुछ किरणों को जन्म दिया है। अगर सरकारें ऑक्सीजन और दवा संकट को लेकर पहले से सतर्क होतीं, तो वे बड़ी संख्या में होने वाली मौतों को रोक सकती थीं।
मैं एक बार फिर से 18 साल से अधिक उम्र के सभी लोगों से अपील करूंगा कि टीकाकरण के लिए CoWin पोर्टल पर खुद को रजिस्टर करना शुरू करें। टीकाकरण जरूरी है, और घरों के अंदर भी मास्क पहनना, आपको कोरोना वायरस से सुरक्षित रखने के लिए आवश्यक है। आपका मास्क वायरस को आपके शरीर में प्रवेश करने से रोकने के लिए एक कवच का काम करेगा
How governments failed to anticipate the full brunt of the second pandemic wave
With 3,293 Covid-related deaths and 3,60,960 fresh cases reported from across India on Tuesday, the overall pandemic scenario is grim. People are dying because of lack of oxygen, ventilators, medicines and hospital beds. The situation in Delhi-NCR and many parts of Uttar Pradesh and Haryana is acute.
Relatives of Covid patients are being forced to buy vital medicines in black market, there are long queues for lab tests, oxygen cylinders and ventilators are not available. There was this heart wrenching video of a four-year-old boy pushing a stretcher carrying his father, while his mother was dragging the stretcher from the other hand, inside a hospital. There were no ward boys to help.
While the Centre and state governments claim that there is no shortage of hospital beds, oxygen and medicines, ground reports from India TV reporters prove otherwise. There are no beds, no oxygen and no medicines for Covid patients writhing in agony outside hospitals. Family members are running from pillar to post in search of oxygen and beds in 40 degree Celsius heat. On the other hand, there are mischievous people who have already ‘grabbed’ hospital beds, cornered stocks of medicines that they do not require, selling medicines and oxygen cylinders at exorbitant prices and fleecing people of their hard-earned money.
Official statistics of fresh Covid cases and death figures are being under reported. The CEO of a leading Covid testing agency has complained that he had got phone calls from local district officials not to report ‘positive’ Covid tests. In Mumbai and Delhi, the figures of fresh Covid cases are being deliberately showed on the lower side, simply because RT-PCR tests have been scaled down to hide figures. The ground reality is that one out of every three persons tested in Delhi are being found ‘positive’. On Monday, only 57,600 tests were conducted in Delhi out of which 20,200 were found positive. Compare this with 1,02,460 tests conducted in Delhi on April 13, and only 13,468 were found ‘positive’. It means, the positivity rate in Delhi was only 12 per cent on April 13, but now it has jumped to more than 35 per cent.
Delhi High Court has pulled up the state government for failing to cope with the pandemic and in providing hospital beds to patients. The High Court has observed that the Delhi government has failed to monitor oxygen distribution to hospitals and is unable to do anything when large stocks of vital medicines are being hoarded. The High Court observed: “Set your house in order. Enough is enough. If you can’t, we will ask the central government officers to take over. We can’t let people die like this”.
The High Court also remarked: “You are just passing orders, instructions as if you are living in a completely different world. You don’t know the ground reality….Telling that patients can’t have Remdesivir at home under medical supervision, appears to be absolutely wrong, it seems like taking away that man’s life”.
On Tuesday night, Delhi government withdrew its order to set aside 100 rooms at the 5-star Ashok Hotel for exclusive Covid care for judges, judicial officers and their family members, after the Delhi High Court said it never made any such request. The High Court said, “we have lost two judicial officers. All that we wanted was in case they needed hospitalization, there should be facility available. But is projected that we wanted a 100-bedded facility…You are passing orders left, right and centre.”
The Delhi High Court’s anger is justified. The state government has failed in providing beds, oxygen and medicines to Covid patients, and its lawyer was trying to whitewash its negligence in front of the judges. A 500-bed Patel Covid Centre opened in South Delhi on Tuesday, where 150 beds were operational. All these beds were filled up within a few hours. Similarly, the Covid Care Centre run by DRDO in Delhi had 500 beds, all of which are now occupied. Not a single bed is available now. There are long queues of Covid patients outside these centres. There were heart rending visuals of patients huffing for breath while lying on the road outside these hospitals, waiting for admission.
Delhi chief minister Arvind Kejriwal is now claiming that his government will provide 1200 beds at two places in Delhi: one near Guru Tegh Bahadur Hospital, and the other at Ramlila Maidan, but these will be operational only after May 10. The situation is worse in neighbouring Haryana and Ghaziabad, where private hospitals are telling relatives to take away their patients immediately as they have run out of oxygen. There are reports of Haryana government deliberately under reporting Covid cases and deaths.
The confusion has been worse confounded by intemperate remarks being made by Haryana chief minister Manohar Lal Khattar on Tuesday. Khattar said, “there is no point making a noise over the number of people who have died as the dead won’t come back to life. We should avoid playing with the data relating to deaths. This is a natural calamity. What can the government do? ” If the chief minister of a state can make such an outrageous remark, one can easily understand how the system is working in Haryana.
Our reporter Ruchi Kumar sent visuals of people waiting in long queues for oxygen cylinders outside an oxygen plant, 25 km away from Lucknow. Many of them have been waiting for more than 12 hours in 40-degree Celsius heat. Some of them had slept in the open for the whole night, awaiting their turn. The plant had doubled its capacity from refilling 1,300 to 2,600 cylinders, and is yet unable to cope with the demand.
In Beed, Maharashtra, an ambulance van loaded 22 bodies of Covid victims and dumped them at a crematorium. The hospital authorities said, they had only two ambulances, and had sought new ambulances from the government, which did not arrive.
Looking at the overall scenario, I can only say: it is not the duty of a government to open its umbrella only when there is a shower. And when it becomes a torrential rain, the government goes out in search of umbrellas. People had expected from their government that it may have done some forward planning and advance arrangements to meet the full brunt of the pandemic. The governments were found failing on this front. They failed to anticipate the huge pandemic wave. A few weeks ago, the Delhi deputy CM had been blaming Haryana and neighbouring states for obstructing its oxygen supply. Now that oxygen concentrators and medical oxygen are pouring in both from inside and outside India, it has kindled some rays of hope. Had the governments been alert about the oxygen and medicine crisis, they could have averted the large number of deaths that have taken place.
I will again appeal to all, above the age of 18 years, to start registering yourselves on CoWin portal for vaccination. Vaccination is a must, and wearing of masks, even inside homes, is necessary to keep you safe from Coronavirus. Your mask will act as a shield to prevent the virus from entering your body.
कोरोना वायरस से डरें नहीं
दिल्ली-एनसीआर और भारत के कई अन्य महानगरों में आईसीयू बेड, वेंटिलेटर, ऑक्सीजन बेड को लेकर एक भयावह स्थिति बनी हुई है। लगभग सभी मामलों में, कोविड रोगी को सांस लेने में दिक्कत की परेशानी है और उन्हें ऑक्सीजन या वेंटिलेटर की सख्त जरूरत है। डॉक्टरों का कहना है कि ऐसे कई मामलों को रोका जा सकता था अगर रेमडेसिविर शीशियों की पर्याप्त आपूर्ति होती। आज ही देश में 3 लाख 23 हजार से ज्यादा नए केस सामने आए जबकि सिर्फ 2 लाख 19 हजार लोग रिकवर हुए हैं। यानि सवा लाख से ज्यादा नए एक्टिव केस जुड़ गए। फिलहाल देशभऱ में 28 लाख से ज्यादा एक्टिव केस हैं। ये आंकड़ा रोज बढ़ रहा है।
जिन लोगों ने वैक्सीन मैत्री पर सवाल उठाया था, जो ये बार बार कह रहे थे कि भारत ने वैक्सीन तो भेजी लेकिन ऐन वक्त पर कोई देश मदद के लिए आगे नहीं आया। तो उन्हें मालूम होना चाहिए कि अमेरिका, जापान, जर्मनी, ब्रिटेन, सिंगापुर, UAE, साउदी अरब जैसे मुल्क इस मुश्किल वक्त में भारत के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हैं। जिस अमेरिका ने कुछ दिन पहले कोरोना वैक्सीन के लिए कच्चा माल सप्लाई करने से इनकार कर दिया था आज वही अमेरिका भारत के लिए कच्चा माल भी भेज रहा है। उसके साथ साथ ऑक्सीजन कंसंट्रेटर्स अमेरिका से भारत आने लगे हैं। आज न्यूयॉर्क से नई दिल्ली की जो पैसेंजर फ्लाइट आई उसी के अंदर 328 ऑक्सीजन कन्संट्रेटर्स भी मौजूद थे।
आमतौर पर तो ये होता है कि इन मेडिकल इक्विपमेंट्स के लिए अलग से स्पेशल प्लेन रवाना किया जाता। वो प्लेन 12-13 घंटे में अमेरिका पहुंचता और फिर ये सामान भारत आता लेकिन इस बार ये सारा झंझट बच गया। पैसेंजर प्लेन में ही इक्विपमेंट्स लोड कर दिए गए और फिर इन्हें दिल्ली एयरपोर्ट पर बाकी सामान के साथ अनलोड किया गया। अब केंद्र सरकार की तरफ से ये ऑक्सीजन कंसट्रेटर्स अस्पतालों को प्रायोरिटी बेसिस पर दिए जाएंगे।
सिर्फ अमेरिका नहीं, ब्रिटेन ने भी इंडिया को करीब 600 मेडिकल इक्विपमेंट्स भेजे हैं। इनमें 495 ऑक्सीजन कंसनट्रेटर्स है। इसके साथ साथ 120 नॉन इन्वेसिव और 20 मैनुअल वेंटिलेटर शामिल हैं। इतना ही नहीं ये तो मदद की पहले खेप है, इस तरह के नौ प्लेन इंडिया पहुंचेंगे और हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूती देंगे।
इसी तरह चाहे जर्मनी हो, जापान है या फिर मिडिल ईस्ट कंट्रीज़ हों हर तरफ से भारत के लिए मदद आ रही है। दुबई से तो हमारे C-17 ग्लोबमास्टर एयरक्राफ्ट में 7 क्रायोजेनिक ऑक्सीजन कंटेनर्स आए हैं। जापान से भी ऑक्सजीन जेनरेटर आने वाले हैं। सऊदी अरब ने भारत के लिए 80 मीट्रिक टन ऑक्सीजन भेजी है। सिंगापुर से भी हमें मेडिकल इक्विपमेंट्स मिले हैं। जर्मनी से हम 23 ऑक्सीजन जेनेरेटर मोबाइल प्लांट्स ले रहे हैं। रशिया ने भी हर हफ्ते भारत को चार लाख रेमडेसिविर इंजेक्शन देने का भरोसा दिलाया है।
सूत्रों ने अनुसार अमेरिकी सेना भारत में कोरोना पेशेन्ट्स के लिए आईसीयू बेड उपलब्ध कराने के लिए अपने मोबाइल अस्पताल भेजने जा रही है। भारत ने कोविड पेशेन्ट्स के लिए अमेरिका से ऑक्सीजन कंसंट्रेटर्स, 10-लीटर और 45-लीटर की क्षमता वाले ऑक्सीजन सिलेंडर, ऑक्सीजन जनरेटर और रेमडेसिविर, फेविप्रिविर और टोसीलिज़ुमाब जैसी महत्वपूर्ण दवाएं मांगी हैं।
विदेश से तो मदद आ ही रही है सरकार भी कोरोना पेशेन्ट्स को राहत पहुंचाने के लिए वॉर फुटिंग पर काम कर रही है। दिल्ली भी ऑक्सीजन क्राइसिस से जूझ रही है। केजरीवाल सरकार ऑक्सीजन के इंतजाम करने की बात तो कह रही है लेकिन अभी तक टैंकर्स ही नहीं मिल पाए हैं। इस बीच प्राइवेट सेक्टर मदद के लिए आगे आया है। छत्तीसगढ़ के रायगढ़ से चार ऑक्सीजन टैंकर्स को रेलवे की मदद से दिल्ली लाया जा रहा है। आज रात तक इनके दिल्ली पहुंचने की उम्मीद है। इन ऑक्सीजन टैंकर्स को जिंदल स्टील की तरफ से लाया जा रहा है। भारतीय रेलवे ने बुधवार सुबह तक 450 टन मेडिकल ऑक्सीजन पहुंचाई है। 90 टन मेडिकल ऑक्सीजन ले जाने वाले छह लोडेड टैंकर बोकारो से जबलपुर और भोपाल की ओर निकल गए हैं, जबकि यूपी के अस्पतालों के लिए ऑक्सीजन लाने के लिए तीन टैंकर बोकारो के रास्ते में हैं।
केंद्र ने 10 मीट्रिक टन और 20 मीट्रिक टन क्षमता के 20 क्रायोजेनिक ऑक्सीजन टैंकरों का आयात करने और उन्हें राज्यों को आपातकालीन उपयोग के लिए आवंटित करने का निर्णय लिया है। इस बीच, देश भर में टीके की कुल 14.5 करोड़ से अधिक डोज दी गई और पिछले 24 घंटों के दौरान कोविड से 2.5 लाख से अधिक लोग ठीक हुए हैं। वहीं Apple, Google और Microsoft ने भारत के लिए विशेष कोविड सहायता की घोषणा की है। आर्मी, पैरामिलिट्री फोर्सेज, पुलिस और रेलवे सब मुसीबत के वक्त में जिस तरह लोगों की मदद कर रहे हैं उसकी जितनी तारीफ की जाए कम है। 48 घंटे में 500 बैड का हॉस्पिटल तैयार करना आसान नहीं होता। आपको जानकर हैरानी होगी कि 24 अप्रैल तक हमारे देश में रोजाना करीब 7 हजार 200 मीट्रिक टन ऑक्सीजन का प्रोडक्शन हो रहा था, आज 26 अप्रैल है और इस वक्त देश में ऑक्सीजन का प्रोडक्शन 9 हजार टन से ज्यादा हो गया है। 48 घंटे में अगर ऑक्सीजन का उत्पादन 2 हजार मीट्रिक टन बढ़ता है तो ये बड़ी अचीवमेंट है।
कोरोना को लेकर व्हाट्स एप, फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम पर लोग अपना दुख शेयर करते हैं लेकिन कुछ लोग इसका इस्तेमाल अफवाह फैलाने के लिए भी करते हैं। इसकी वजह से लोगों के मन में कोरोना को लेकर डर बैठ गया है, तो कोरोना को लेकर डरने की जरूरत नहीं। लोग कहते हैं कि मैं तो एक साल एकदम सावधान रहा। मैं किसी कोरोना पेशेंट के करीब नहीं गया फिर मुझे इंफेक्शन कैसे हुआ। एक्सपर्ट्स का कहना है कि हमारे देश में करीब 80 पर्सेंट कोरोना के शिकार लोग एसिम्टोमैटिक हैं। जिन लोगों में वायरस के कोई लक्षण दिखाई नहीं देते वो वायरस के सबसे बड़े कैरियर हैं।
रिसर्च बताती है कि बंद कमरे में एक एसिम्टोमैटिक व्यक्ति अगर बात कर रहा है तो भी वो वायरस फैला सकता है और चूंकि पता ही नहीं चलता इसलिए बड़ी संख्या में लोग संक्रमित हो जाते हैं। लोग पूछ रहे हैं कि परिवार के परिवार कैसे इंफेक्ट हो जाते हैं। पहले तो ऐसा नहीं होता था। डॉक्टर्स कहते हैं कि एक तो ये वायरस तेजी से फैलता है और दूसरा आजकल टेस्टिंग में वेटिंग है। जबतक सैंपल देने का नंबर आता है और जबतक ये पता चलता है कि कोई व्यक्ति पॉजिटिव है तब तक वो व्यक्ति एसिम्टोमैटिक मानकर लोगों से मिलता रहता है और वायरस फैला देता है।
एक बात ये भी है कि सेंकड वेव के ज्यादातर केसेज़ में सांस लेने में दिक्कत कॉमन है इसलिए इतनी ज्यादा तादाद में ऑक्सीजन की जरूरत पड़ने लगी है। अगर कोरोना के बढ़ते केसेज के रफ्तार को रोकना है तो डरने की जरुरत नहीं, हिम्मत से लड़ने की जरुरत है। आप का डर सब से बड़ा वाइरस है और सब से बड़ी वैक्सीन आप की हिम्मत है। कोरोना के प्रोटोकॉल का पालन करने की जरुरत है। ठीक से मास्क लगाना, दूरी बनाए रखना कोरोना की चेन को तोड़ने के सबसे कारगर उपाय हैं। ये आसान काम हैं। ये आप करिए और बडे बडे काम सरकारों पर छोड दीजिए। सरकार को चेताने का काम हम पर छोड़ दीजिए।
Covid pandemic: Do not fear the virus
A nightmarish scenario is prevalent in Delhi-NCR and several other metros of India, with frequent calls for ICU beds, ventilators, oxygen beds. In almost all the cases, the Covid patients are suffering from loss of breath and are in dire need of oxygen or ventilators. Doctors say, many of these cases could have been prevented had there been adequate supply of Remdesivir vials, which continue to be in short supply. On Tuesday, India reported 3,23,144 new Covid cases and 2,771 Covid related deaths.
Meanwhile, help continues to pour in from USA, UK, UAE, France and other countries. 100 ventilators and 95 oxygen concentrators have arrived in India from UK, ISO oxygen tankers have come from Thailand at West Bengal’s Panagarh IAF airbase, both UAE and Saudi Arabia are sending oxygen concentrators to India, along with 80 tonnes of medical oxygen, while CEOs of 40 US companies have set up a global task force to send help and supplies to India.
US President Joe Biden spoke to Prime Minister Narendra Modi and assured all help to fight Covid pandemic. Biden said, “India was thre with the American people in their hour of need and the United States will be there for India in their hour of need”.
The US has already started shipment of government health stocks of Astra Zeneca Covid vaccine and raw materials to India. Additional stocks of oxygen equipment are being diverted from US army field hospitals to India, Lockheed Martin will be sending helicopters and cargo planes to move stocks to small towns across India. US Defense Department and USAID is going to provide field oxygen generation systems to India. Each unit can provide oxygen to 50 to 100 beds.
Sources have said that the US army is going to send its mobile hospitals to provide ICU beds for Covid patients in India. India has asked the US for oxygen concentrators, 10-litre and 45-litre capacity oxygen cylinders, oxygen generators and vital medicines like Remdesivir, Faviprivir and Tocilizumab for Covid patients. The US is also going to send rapid diagnostic testing kits, PPEs, therapeutics and ventilators for Indian hospitals.
In India, an Oxygen Express carrying medical oxygen tankers arrived from Jindal steel plant in Chhattisgarh at Delhi Cantt railway station. Indian Railways have delivered 450 tonnes of medical oxygen till Wednesday morning. Six loaded tankers carrying 90 tonnes of medical oxygen have left Bokaro towards Jabalpur and Bhopal, while three tankers are on way to Bokaro to pick up oxygen for UP hospitals.
The Centre has decided to import 20 Cryogenic oxygen tankers of 10 metric tonne and 20 metric tonne capacity and allocate them to the states for emergency use. Meanwhile, cumulative vaccination coverage has exceeded 14.5 crore across India and more than 2.5 lakh people recovered from Covid during the last 24 hours. Apple, Google, Microsoft have announced special Covid assistance for India.
Our armed forces, our paramilitary forces, police and railway are working jointly to tackle the scourge of the pandemic. On April 24, India produced 7,200 metric tonnes of medical oxygen, but today we are producing more than 9,000 tonnes of medical oxygen daily. This is no mean achievement.
Millions of people are sharing their sorrows on Facebook, Twitter, Instagram and WhatsApp, but there are some vested interests who are circulating baseless rumours and fake videos and are trying to create a sense of panic and despondency among people. These people may try to instil fear in your minds.
Let me tell you: Do not fear at all. If you have mild Covid systems, you can recover easily while staying inside your homes by taking medicines on doctors’ advice. Since nearly 80 per cent of persons infected with Coronavirus are asymptomatic, it is very difficult when such people unintentionally spread infection. Secondly, during this second wave of pandemic, most of the Covid cases relate to shortness of breath. There are medicines that can treat this symptom, and it is not necessary to take oxygen, unless the situation is serious.
There is no need to fear, everyone has to fight this scourge with courage. Following Covid protocol, like wearing masks (even inside homes), maintaining distance and frequent washing of hands, is the only way to stay away from the virus. Do these simple things at home, and leave the solution of critical problems to the government. And, leave the task of prodding the government to action to us, who work in the media.
कोरोना महामारी: ऑक्सीजन और दवाओं के लिए युद्धस्तर पर प्रयास जारी
पिछले महीने से कोरोना वायरस की दूसरी लहर दिन- प्रतिदिन पूरे देश में पांव पसारती जा रही है। शुक्रवार को देशभर में कोरोना संक्रमण के 3,46,786 नए मामले सामने आए और इस घातक वायरस ने 2,624 लोगों की जान ले ली। 11 राज्य और लगभग सभी महानगर बुरी तरह से इस महामारी की चपेट में आ चुके हैं। मरनेवालों की तादाद लगातार बढ़ती जा रही है। इस महामारी की शुरुआत से लेकर अबतक 1,89,544 लोगों की मौत हो चुकी है। हालात बेहद गंभीर हैं, अस्पताल अभी-भी ऑक्सीजन की कमी के संकट से जूझ रहे हैं।
इस मुश्किल भरे हालात में जब चारों ओर मातम पसरा हुआ है, तो साथ में उम्मीद की किरणें भी नजर आ रही हैं। बेहद तेज गति से युद्धस्तर पर काम चल रहा है। रेलवे जो कि युद्ध के मोर्चों तक टैंक, बख्तरबंद गाड़ियों को ले जाने का काम करती थी, आज देश के एक हिस्से से दूसरे हिस्से तक लिक्विड ऑक्सीजन टैंकरों को पहुंचाने के लिए ऑक्सीजन एक्सप्रेस चला रही है। भारतीय वायुसेना के परिवहन विमान जिनका उपयोग बॉर्डर पर सैनिकों और सैन्य साजो-सामान को एयरलिफ्ट करने के लिए होता है, आज ये विमान पूरे देश में ऑक्सीजन टैंकर ले जा रहे हैं। बेहतर प्रबंधन और मिले-जुले प्रयासों से हम हर अस्पताल को समय पर उसकी जरूरत के मुताबिक ऑक्सीजन उपलब्ध करा सकते हैं।
इस वायरस के खिलाफ जंग में केन्द्र और राज्य सरकारें मिलकर काम कर रही हैं। आर्म्ड फोर्स के सभी विंग,सभी केंद्रीय अर्धसैनिक बल, रेलवे, पब्लिक और प्राइवेट सेक्टर के बड़े कॉरपोरेट्स.. सभी हाथ मिलाकर काम कर रहे हैं। ऑक्सीजन के टैंकरों को समय पर अस्पतालों तक पहुंचाने के लिए स्थानीय पुलिस द्वारा ग्रीन कॉरिडोर बनाया जा रहा है। इसके पॉजिटिव रिजल्ट दिखने लगे हैं। भय और दहशत का माहौल बनाने से हालात नहीं सुधरेंगे। केवल हिम्मत-साहस और मिलेजुले प्रयासों से हालात सुधर सकता है, और सुधार रहा है।
इंडिया टीवी पर शुक्रवार रात अपने प्राइम टाइम शो ‘आज की बात’ में हमने आपको रेलवे की ऑक्सीजन एक्सप्रेस को दिखाया जो विशाखापट्टनम से नागपुर, नासिक और उसके बाद मुंबई तक मेडिकल ऑक्सीजन ले जा रही है। बोकारो (झारखंड) से चली एक और ऑक्सीजन एक्सप्रेस मेडिकल ऑक्सीजन लेकर आज सुबह लखनऊ पहुंच गई है। रेलवे राज्य सरकारों की जरूरत के मुताबिक ऑक्सीजन ले जाने के लिए रेक उपलब्ध करा रही है। यूपी सरकार जामनगर स्थित रिलायंस प्लांट से ऑक्सीजन चाहती है, जबकि आंध्र प्रदेश सरकार ने पड़ोसी राज्य ओडिशा से ऑक्सीजन की मांग की है। दिल्ली सरकार ने ओडिशा के राउरकेला से मेडिकल ऑक्सीजन की मांग की है।
भारतीय एयरफोर्स के जहाज खाली टैंकरों को ऑक्सीजन उत्पादन केंद्रों तक पहुंचा रहे हैं ताकि उन्हें भरकर रेल या सड़क मार्ग से शहरों में भेजा जा सके। एयरफोर्स के एसी-17 ग्लोब मास्टर ट्रांस्पोर्ट प्लेन ने शुक्रवार को 2 खाली ऑक्सीजन टैंकरों को इंदौर से जामनगर पहुंचाया। जहां स्थित रिलायंस इंडस्ट्री के प्लांट से ऑक्सीजन लेकर ये टैंकर सड़क मार्ग से इंदौर आएंगे, यानी इन टैंकर्स का एक तरफ का टाइम बचेगा।
एयरफोर्स के ट्रांस्पोर्ट प्लेन ऑक्सीजन के भरे हुए टैंकर वापस नहीं ला सकते क्योंकि लिक्विड ऑक्सीजन को हवाई मार्ग से ट्रांस्पोर्ट नहीं किया जा सकता, लिक्विड ऑक्सीजन अति ज्वलनशील होती है। हैदराबाद से भी एय़रफोर्स के प्लेन के जरिए ऑक्सीजन के टैंकर्स को रीफिलिंग के लिए ओडिशा भेजा गया। गाजियाबाद के हिंडन एयरफोर्स स्टेशन से भी कल रात ग्लोबमास्टर प्लेन तीन खाली ऑक्सीजन के टैंकर लेकर पश्चिम बंगाल के लिए रवाना हुआ। इन टैंकरों के जरिए आने वाली ऑक्सीजन दिल्ली लाई जाएगी। ऑक्सीजन को अस्पतालों तक पहुंचाने के लिए दिल्ली पुलिस ने सभी टैंकरों के लिए विशेष ‘ग्रीन कॉरिडोर’ के प्रबंध किए हैं।
कोरोना महामारी से सबसे ज्यादा त्रस्त 11 राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ बैठक में प्रधाननंत्री मोदी ने हर राज्य की मेडिकल ऑक्सीजन जरूरत का जायजा लिया। उन्होंने सभी राज्यों के मुख्यमंत्री को निर्देश दिया कि ऑक्सीजन टैंकर अगर एक राज्य से दूसरे राज्य जा रहा हो तो उसे रोका न जाए। मोदी ने कहा, कि उन्होंने दवा कंपनियों को जीवन रक्षक दवाओं का उत्पादन बढ़ाने तथा आयात करने के निर्देश दिया है और साथ में यह भी सुनिश्चित करने के लिए कहा है कि हर अस्पताल और रोगी तक दवा पहुंचे।
प्रधानमंत्री ने राज्यों को कॉर्डिनेटेड कमेटी बनाने के ले कहा है ताकि केंद्र की तरफ से भेजी गई ऑक्सीजन राज्यों के अस्पतालों में बिना किसी रुकावट के पहुंचाई जा सके। प्रधानमंत्री ने मुख्यमंत्रियों से कहा है कि वे जीवन रक्षक दवाओं की जमाखोरी और कालाबाजारी करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करें और साथ में राज्य सरकारों को यह भी ध्यान देना होगा कि लोगों में जरूरी सामान को लेकर डर न हो और लोग दवाओँ की पैनिक बाइंग न करें।
इस बीच रक्षा मंत्रालय ने ऑक्सीजन की जरूरत को पूरा करने के लिए जर्मनी से 23 मोबाइल ऑक्सीजन जेनरेटर प्लांट एयरलिफ्ट करने का भी फैसला किया है। ये प्लांट एक मिनट में 40 लीटर और एक घंटे में लगभग 2400 लीटर ऑक्सीजन का उत्पादन कर सकते हैं।
शुक्रवार को प्रधानमंत्री ने देश के बड़े ऑक्सीजन उत्पादक उद्योगपतियों से भी बात की। उद्योगपतियों में रिलायंस इंडस्ट्री के चेयरमैन मुकेश अंबानी, JSW के सज्जन जिंदल, JSPL के नवीन जिंदल, स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया के सोमा मंडल, टाटा स्टील के वरिष्ठ अधिकारी और कई दूसरी कंपनियों के मैनेजिंग डायरेक्टर भी मौजूद थे। प्रधानमंत्री ने उन्हें मिलकर जल्द से जल्द ऑक्सीजन की सप्लाई बढ़ाने के लिए कहा।
ऑक्सीजन की कमी से निपटने के लिए प्रधानमंत्री मोदी जिस तरह से युद्ध स्तर पर प्रयास कर रहे हैं, वह उम्मीद जगाता है, वह अंधी सुरंग के आगे रोशनी की किरण के समान है। यह अचानक नहीं हुआ है, इसके पीछे पूरी प्लानिंग और को-ऑर्डिनेशन है। और जब सारी एजेंसियां इस तरह मिलकर काम करती हैं तो सिस्टम और सरकार के प्रति आम आदमी का भरोसा बढ़ता है। प्रधानमंत्री मोदी ने शुक्रवार को 11 राज्यों के मुख्यमंत्रियों से कहा कि अगर कोरोना के खिलाफ हम मिलकर लड़ेंगे और आपसी खींचतान से बचेंगे तो संशाधनों की कमी नहीं होगी और इस लड़ाई के खिलाफ हम जीतकर रहेंगे।
जिस तरह से ऑक्सीजन की सप्लाई के लिए प्राइवेट सेक्टर के लोग आगे आए हैं वह काबिले तारीफ है। नवीन जिंदल ने फ्री में ऑक्सीजन सप्लाई की बात कही, मुकेश अंबानी और गौतम अडानी पहले ही ऑक्सीजन की सप्लाई में मदद कर रहे हैं। टाटा ग्रुप भी ऑक्सीजन की कमी को खत्म करने के लिए जी जान से जुटा है। इससे उन लोगों को सबक मिल सकता है जो हर रोज अंबानी-अडानी पर सवाल उठाते हैं। उन्हें समझ आ जाना चाहिए कि देश पर जब कोई संकट खड़ा होता है तो देश के उद्योगपति जनता की मदद के लिए आगे आते हैं। ये उद्योग घराने ऑक्सीजन की सप्लाई बढ़ाने के लिए तो आगे आए ही हैं साथ में इन्होंने कोविड वैक्सिनेशन कार्यक्रम को राष्ट्रीय स्तर पर गति देने के लिए भी हाथ मिलाया है क्योंकि पहली मई से 18 वर्ष से ऊपर की आयु वाले सभी भारतीयों को वैक्सीन मिल रही है। यह समय है जब अंबानी-अडानी पर सवाल उठाने वालों को देश के उद्योगपतियों के बारे में अपनी राय बदलनी चाहिए।
लोगों को रोते देख, उनकी बातें सुनकर, उन्हें तकलीफ में देखकर दुख होता है। एक बेबसी सी महसूस होती है कि चाहकर भी लोगों की मदद नहीं कर पा रहे। कभी इस तरह का संकट आएगा तो किसी ने कल्पना भी नहीं की थी, न तो केंद्र और न राज्य सरकारों ने यह अंदाजा लगा पाई कि संक्रमण इस गति से फैलेगा और चारों तरफ ऑक्सीजन और दवाओं के लिए त्राहिमाम मचेगा।
भारत एक विशाल और दुनिया का दूसरा सबसे ज्यादा जनसंख्या वाला देश है। भारत में जितने कोरोना संक्रमण के मामले आ चुके हैं वे दुनिया के कई देशों की जनसंख्या से ज्यादा हैं। ऑक्सीजन और जीवन रक्षक दवाओं को अस्पतालों और रोगियों तक पहुंचाने के लिए युद्ध स्तर पर प्रयास किए जा रहे हैं और इन प्रयासों का परिणाम जल्द दिखेगा।
Covid Pandemic: A Herculean wartime-like effort to supply oxygen, medicines
India reported 3,46,786 new Covid cases and 2,624 deaths on Friday as the second wave of pandemic unleashed since last month is sweeping through the length and breadth of this country. Eleven states and almost all the metros are badly hit by the pandemic, and the death toll is continuously rising. Till date, since the onset of the pandemic, 1,89,544 Covid related deaths have been reported in India. The situation is grim as hospitals are still battling the oxygen crisis.
In this gloomy scenario, there are rays of hope across the horizon. Work is going on at a frenetic pace, on a war footing. The Indian Railways, which used to transport battle tanks and armoured personnel carriers to the war fronts, is today running Oxygen Express, carrying liquid oxygen tankers from one part of the country to another. Indian Air Force transport planes, which used to airlift troops and equipment to the borders, are today carrying oxygen tankers across India. Through better management and coordinated efforts, we can provide sufficient oxygen to each and every hospital, in time.
The Centre, the state governments, all wings of our armed forces, all central paramilitary forces, the railways, top corporates from the public and private sectors have joined hands to carry out this Herculean effort to boost oxygen supply to the metros. Green corridors are being created by local police so that oxygen tankers can reach hospitals in time. The positive results are now showing. The situation will not improve by creating an atmosphere of fear and panic. It can only improve, and is improving, due to sheer courage and coordinated efforts.
In my prime time show ‘Aaj Ki Baat’ on India TV on Friday night, we showed Indian Railways’ Oxygen Express that is carrying medical oxygen from Vishakhapatnam on the south eastern coast to Nagpur, Nashik and its final destination Mumbai. Another Oxygen Express that left UP for Bokaro (Jharkhand), has now started its return journey. It will reach Lucknow on Saturday, carrying medical oxygen. The railways are providing rakes to carry oxygen as per requirements placed by state governments. UP government wanted oxygen from Reliance plant in Jamnagar, while the Andhra Pradesh government has sought oxygen from neighbouring Odisha. Delhi government has sought medical oxygen from Rourkela, Odisha through Indian Railway.
Indian Air Force transport aircraft are ferrying empty oxygen tankers to oxygen production centres, so that they can be sent to metros via rail or road. A C-17 Globemaster aircraft on Friday carried two empty oxygen tankers from Indore to Jamnagar. The tankers will return to Indore by road carrying medical oxygen from the Reliance plant. This is being done to cut transportation time by half.
IAF transport aircraft cannot carry medical oxygen in air, as it is highly combustible and forbidden. From Hyderabad, IAF jumbo aircraft carried empty tankers to Odisha for oxygen refuelling. From the Hindon air base in Ghaziabad, a Globemaster aircraft carried three empty tankers on Thursday night to West Bengal for oxygen refuelling. These tankers will supply oxygen to Delhi hospitals. Delhi Police has made special ‘green corridor’ arrangements for all tankers supplying medical oxygen to hospitals.
At his virtual conference with 11 chief ministers on Friday, Prime Minister Modi took note of the medical oxygen requirements of each states. He directed all state chief ministers to ensure that not a single oxygen tanker must be prevented from reaching their destinations. Modi said, he had spoken to pharmaceutical manufacturers to ramp up production and import of life saving drugs and ensure they are made available to hospitals and patients.
The PM asked states to set up high level coordination committees which can ensure that medical oxygen sent from the Centre reach the designated hospitals in time. He asked the chief ministers to take action against hoarders, profiteers and black marketers and at the same time, the state governments must discourage panic buying of medicines.
Meanwhile, the Defence Ministry has decided to airlift 23 mobile oxygen generating plants from Germany to help in the national effort. These plants can generate 40 litre oxygen in a minute, that comes to roughly 2400 litre oxygen in an hour.
On Friday, the PM held a conference with top oxygen manufacturers. These included Reliance Industries chairman Mukesh Ambani, Sajjan Jindal of JSW, Naveen Jindal of JSPL, top officials of Tata Steel, National Oxygen Ltd, SAIL chief Soma Mondal, and other corporate leaders. The PM told them to join hands in augmenting the numbers of oxygen cylinders, tankers and supply of medical oxygen at the earliest.
Looking at the massive wartime like efforts launched by Prime Minister Modi to beat the oxygen shortage, I am confident that one will soon find light at the end of this dark tunnel, that has engulfed our nation. This did not happen suddenly. There were hours and days of meticulous planning and coordination behind these efforts. When all such agencies join hands and try to deliver results, it kindles hope and trust in the minds of common people towards the present system. The Prime Minister told the 11 chief ministers in so many words on Friday. He said, if all of us, instead of pulling one another’s legs, join hands and work coordinatedly, there will be no lack of resources, and we will definitely win this battle.
I have words of praise for India Inc too. Naveen Jindal promised to supply free medical oxygen, while Mukesh Ambani and Gautam Adani have already joined coordinated efforts in procurement and logistics for supplying oxygen. The Tata group has also joined this Herculean effort. This should serve as a lesson to those, who cry hoarse daily against ‘Ambani, Adani’, but when a pandemic of such a gigantic nature takes place, these industrialists come forward to help the common people. These industrial groups have come forward to augment supply of vital medicines and have also joined hands to ramp up the nationwide Covid vaccination campaign that is due to be launched from May 1 for all Indians above the age of 18 years. It’s time such naysayers should now change their mindset and opinions about industrial corporates.
Watching common people weeping over the death of their beloved ones, I cannot help but feel sad over this tragedy that could have been avoided. Nobody, neither the Centre nor the state governments, had anticipated that the pandemic will sweep through vast swathes of our population, making them breathless, crying for oxygen and vital medicines.
India is a vast country with the second largest population in the world, and the number of those affected by the pandemic is more than the entire population of many countries. All out efforts are being made to supply oxygen and vital medicines to hospitals and patients on a war footing, and this Herculean effort will surely yield positive results, soon.
ऑक्सीजन संकट जल्द ही दूर हो जाएगा
अभूतपूर्व…दिल्ली-एनसीआर के इतिहास में कभी भी लोगों ने ऑक्सीजन की इतनी कमी नहीं देखी थी। कौन सोच सकता था कि दिल्ली और एनसीआर के लोग आक्सिजन के लिए तरस जाएंगे। यहां हॉस्पिटल छोटा हो या बड़ा सबकी हालत एक जैसी है। कुछ हॉस्पिटल वालों ने कहा कि उनके पास बैड हैं, डॉक्टर्स हैं लेकिन ऑक्सिजन नहीं है इसलिए वो मरीजों को भर्ती नहीं कर रहे।
सिचुएशन कितनी सीरियस है इसका अंदाजा इस बात लगाइए कि पिछले साल कोरोना की फर्स्ट वेब के वक्त दिल्ली के प्रसिद्ध सर गंगाराम अस्पताल में एक बार में सबसे ज्यादा 298 मरीज एडमिट हुए थे और इनमें से 81 मरीज ऑक्जीन पर थे लेकिन इस बार 515 पेशेंट्स हॉस्पिटल में एडमिट है। इनमें से 128 आईसीयू में है। कुल मिलाकर 80 परसेंट मरीज ऑक्सीजन सपोर्ट पर है इसलिए ऑक्सीजन की डिमांड बढी है। शुक्रवार सुबह गंगाराम अस्पताल ने एक मैसेज जारी किया: “हमारे अस्पताल में पिछले 24 घंटों के दौरान 25 बीमार मरीजों की मौत हुई है। ऑक्सीजन अगले दो घंटे तक चलेगी। वेंटिलेटर और बीपीएपी मशीनें प्रभावी ढंग से काम नहीं कर रही हैं। 60 अन्य बहुत बीमार मरीजों की जान जोखिम में हैं। बहुत बड़े संकट की आशंका है। तबाही रोकें। ऑक्सीजन की तत्काल आवश्यकता है। सरकारें मदद करें। हमने चेतावनी दी है।” घंटों बाद, एक ऑक्सीजन टैंकर अस्पताल पहुंच गया।
भारतीय वायु सेना के सी-17 और आईएल-76 परिवहन विमानों ने मेडिकल ऑक्सीजन के सप्लाई को तेज करने के लिए देश भर से बड़े ऑक्सीजन कंटेनरों को एयरलिफ्ट करना शुरू कर दिया है। भारतीय वायुसेना के पायलट दिन-रात काम कर रहे हैं ताकि ऑक्सीजन की सख्त जरूरत वाले मरीजों तक समय पर को ऑक्सीजन पहुंचा सकें और उनकी जान बचाई जा सके।
गुरुवार को, कोविड के ताजा मामलों में दैनिक वृद्धि 3,32,730 तक पहुंच गई और 2,263 मौतें दर्ज की गईं। कुल सक्रिय मामले 24,28,616 हैं। दिल्ली, मुंबई, यूपी, महाराष्ट्र और अन्य राज्यों में लोगों में दहशत है, क्योंकि पूरा का पूरा परिवार कोरोना पॉजिटिव हो रहे हैं। दिल्ली, लखनऊ, कानपुर, वाराणसी, पटना, नागपुर, मुंबई में हालात बेकाबू हैं। लोग ऑक्सीजन के एक-एक सिलेंडर के लिए, रेमडेसिविर के एक-एक इंजेक्शन के लिए तड़प रहे हैं लेकिन कुछ लोगों ने इस आपदा को अवसर में बदल लिया है। कहीं रेमडेसिविर की ब्लैकमार्केटिंग हो रही है तो कहीं नकली इंजेक्शन बेचा जा रहा है। कहीं कोरोना वैक्सीन की चोरी हो रही है। महानगरों में मुनाफाखोर कोविड रोगियों के रिश्तेदारों को लूट रहे हैं।
गंगाराम जैसा बड़ा अस्पताल हो या फिर शान्ति हॉस्पिटल जैसा हॉस्पिटल, सबकी सांसे अटकी है। दिल्ली का सरोज अस्पताल हो या बत्रा हॉस्पिटल, माता चन्नन देवी और शांति मुकुंद अस्पताल का भी यही हाल है क्योंकि ऑक्सीजन का टैंक लालबत्ती जला रहा है। दिल्ली सरकार का दावा है कि दिल्ली के छह हॉस्पिटल्स में तो ऑक्सीजन बिल्कुल खत्म हो चुकी है। किसी हॉस्पिटल के पास चार घंटे की ऑक्सीजन बची है तो किसी के पास दो घंटे की। कैलाश हॉस्पिटल्स ने तो गुरुवार को कम ऑक्सीजन की वजह से नए रोगियों को भर्ती नहीं करने का फैसला किया।
गुरुवार रात मेरे प्राइम टाइम शो ‘आज की बात’ में, हमने दिखाया कि कैसे इंडिया टीवी ने दिल्ली के एक्शन बालाजी हॉस्पिटल की मदद की। डॉ. आनंद बंसल की बात हमने तुरंत इंडिया टीवी पर दिखाई। उनको लाइव दिखाया, उनकी बात सुनी, अथॉरिटीज से बात की। इंडिया टीवी पर ये खबर दिखाई गई। असर ये हुआ कि ऑक्सीजन का प्रोडक्शन करनी वाली एक बड़ी कंपनी ने बालाजी हॉस्पिटल को संपर्क किया और शाम होते होते हॉस्पिटल को ऑक्सजीन की सप्लाइ पहुँच गई। मरीजों की जान बच गई। हमने अपना फर्ज निभाया। डॉक्टर्स और नर्सेज वो भी अपना फर्ज निभा रहे हैं। सरकारें भी कोशिश कर रही हैं लेकिन दिक्कत ये है कि संकट इतना बड़ा है। मरीजों की तादाद इतनी ज्यादा है कि सारी कोशिशें कम पड़ रही हैं। मुझे सुकून मिला जब बालाजी हॉस्पिटल का मैसेज आया कि इंडिया टीवी पर खबर देखने के बाद ऑक्सीजन का प्रोडक्शन करने वाली कंपनी ने उन्हें अपने आप कॉन्टेंक्ट किया और ऑक्सीजन भेजी। कितने लोगों की जान का खतरा टल गया।
दिल्ली, मुबंई, लखनऊ, गुरूग्राम, भोपाल, नोएडा, उज्जैन, इंदौर और कानपुर जैसे तमाम शहरों से कई हॉस्पिटल्स से डॉक्टर्स ने मुझे फोन किया, मैसेज किया और दो ही सेंटेस कहे मदद कीजिए। किसी तरह सरकार तक हमारी बात पहुंचाइए। जल्दी से जल्दी ऑक्सीजन का इंतजाम न हुआ तो बहुत बड़ा संकट आ जाएगा। सोचिए हॉस्पिटल में दो सौ से ज्यादा कोरोना के मरीज ऑक्सीजन सपोर्ट पर हों और ऑक्सीजन के टैंक में रेड लाइट जलने लगे, प्रैशर कम होने लगे, ऑक्सीजन का लेवल जीरो की तरफ दिखने लगे तो हॉस्पिटल में तैनात डॉक्टर्स का क्या हाल होगा। जो डॉक्टर्स अपनी जान खतरे में डालकर लोगों की जान बचाने की कोशिश कर रहे हैं, वो आक्सिजन की कमी से पैनिक में हैं। दूसरी बड़ी परेशानी है दवाओं की। जो दवाएं पहले पन्द्रह रूपए में मिलती थी वो या तो दुकान से गायब हो गईं या दोगुनी कीमत पर मिल रही है। जो इन्जेक्शन 500 का था उसके लिए एक लाख रुपये मांगे जा रहे हैं। जो ऑक्सीजन का सिलेंडर पहले पांच सौ रूपये का मिलता था अब उसे पन्द्रह हजार से बीस हजार में बेचा जा रहा है। यानि जिसकी जितनी मजबूरी उसके लिए उतना ज्यादा दाम।
लखनऊ का हाल ये है कि कोई भी अस्पताल कोविड के मरीजों को एडमिट करने को तैयार नहीं। आज हमारी संवाददाता लखनऊ में ऑक्सीजन रिफिल सेंटर्स पर गईं और फिर अस्पतालों में जाकर ग्राउंड सिचुएशन देखी। जो तस्वीरें दिखीं, जो बातें सामने आईं वो डराने वाली थी। रोते बिलखते लोग अपने रिश्तेदार के लिए परेशान लोग। दो तरह की दिक्कतें हैं, पहली तो ऑक्सीजन नहीं मिल रही है। क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि पांच सौ हजार में मिलने वाला आक्सीजन सिलेंडर पैंतीस हजार में मिल रहा है वो भी सबको नहीं। दूसरी दिक्कत ये है कि अगर लखनऊ में कोई अपने रिश्तेदार को एक हॉस्पिटल से दूसरे हॉस्पिटल में ले जाना चाहे तो CMO की परमीशन चाहिए, CMO का लैटर चाहिए और ऑक्सजीन की तरह CMO साहब भी नहीं मिलते।
महाराष्ट्र में भी ऑक्सीजन की जबरदस्त किल्लत है। मुंबई, ठाणे, नवी मुंबई, पालघर, नासिक, नागपुर में भी जो हॉस्पिटल्स हैं हर जगह ऑक्सीजन की शॉर्टेज है इसीलिए हर जगह ऑक्सीजन के प्लांट्स के बाहर सिलेडर भराने के लिए टेंपो-ऑटो, बड़े बड़े ट्रक्स की लाइऩ लगी हुई है। हमारे संवाददाता दिनेश मौर्य आज मुंबई से 35 किलोमीटर दूर वसई इलाके में एक बडे ऑक्सीजन प्लांट में पहुंचे। यहां से रोजाना 700 से 1000 सिलेंडर्स आसपास के इलाकों में भेजे जाते थे। पहले 12 घंटे काम होता था लेकिन लेकिन कोरोना की दूसरी लहर के बाद से 24 घटे प्लांट चालू रहता है। जो लोग ऑक्सीजन सिलेंडर लेने आते हैं उनका कहना है कि तीन तीन घंटे का वेटिंग टाइम है। अस्पतालों पर जबरदस्त प्रैशर है इसलिए एक एक दिन में छह चक्कर तक लगाने पडते हैं।
देश में कोरोना के हालात बेकाबू हैं। लोग ऑक्सीजन के एक-एक सिलेंडर के लिए, रेमडेसिविर के एक-एक इंजेक्शन के लिए तड़प रहे हैं क्योंकि बहुत कम लोगों ने अनुमान लगाया था कि कोविड महामारी की दूसरी लहर का हजारों लोगों पर इतना विनाशकारी प्रभाव पड़ेगा। भारतीय रेलवे, भारतीय वायु सेना और प्रमुख निजी क्षेत्र के कॉर्पोरेट अब आम लोगों की पीड़ा को कम करने के लिए आगे आए हैं। रेलवे नॉन-स्टॉप ऑक्सीजन एक्सप्रेस चला रहा है, IAF ऑक्सीजन टैंकरों और कंटेनरों को एयरलिफ्ट कर रहा है, और रिलायंस जैसी निजी क्षेत्र की कंपनियां मेडिकल ऑक्सीजन का निर्माण कर रही हैं।
प्रधानमंत्री ने अच्छा किया कि बंगाल की चुनावी रैलियां कैंसल कर दी और पूरा दिन देश को इस संकट से निकालने में लगाए। शाम को मैंने डॉक्टर्स से पूछा कि क्या इन सारे स्टेप्स का फायदा होगा। उनका कहना है कि अभी तक जो स्टेप्स उठाए गए हैं उनका असर दिखाई दे रहा है। अब जो वादा किया गया उसके मुताबिक अगर कदम उठाए जाएंगे तो अगले 48 घंटे में देश भर में ऑक्सीजन की प्रॉब्लम काफी हद तक सॉल्व हो जाएगी। ये 48 घंटे जैसे तैसे करके जहां से भी इंतजाम हो, किसी तरह निकालने हैं। डॉक्टर्स की ये बात सुनकर मुझे राहत मिली। मेरी प्रार्थना है कि डॉक्टर्स की ये बात सही साबित हो और देश में ऑक्सीजन की कमी से किसी की जान ना जाए।
Covid Pandemic: Oxygen crisis will be overcome soon
Unprecedented. Never in the history of Delhi-NCR had people witnessed such an acute shortage of oxygen. It is the worst of times that the national capital is facing presently. Top hospitals are in desperate need of medical oxygen and are being forced to ask patients to leave as the oxygen supply has reached a very low critical level.
On Friday morning, the famous Sir Ganga Ram Hospital in Delhi issued a terse message: “25 sickest patients have died during the last 24 hours in our hospital. Oxygen will last another two years. Ventilators and Bipap are not working effectively. Resorting to manual ventilation in ICU and ED. Lives of another 60 sickest patients in peril. Stop catastrophe. Need oxygen to be airlifted urgently. Governments please help. We have warned.” Hours later, an oxygen tanker reached the hospital on emergency basis.
C-17 and IL-76 transport aircrafts of the Indian Air Force have started airlifting big oxygen containers to filling stations across India to speed up distribution of medical oxygen. IAF pilots are working against time to reach deadlines so that sick patients, in dire need of oxygen can be saved.
On Thursday, the daily surge in fresh Covid cases reached 3,32,730, with 2,263 deaths recorded. Total active cases stands at 24,28,616. There is panic among people in Delhi, Mumbai, UP, Maharashtra, and other states, as entire families are being tested positive. People in Delhi, Lucknow, Kanpur, Varanasi, Patna, Nagpur, Mumbai are frantically looking for hospital beds, oxygen and vital medicines, which are in short supply and are being sold in the black market at exorbitant rates. Profiteers are fleecing relatives of Covid patients in most of the metros.
Almost all top hospitals in Delhi NCR like Max Hospital, Sir Gangaram, Apollo, Batra Hospital, Saroj Hospital, Shanti Mukand Hospital, Kailash Hospitals are desperately trying to source oxygen supply from different vendors. Kailash Hospital on Thursday decided not to admit new patients in view of low oxygen supply.
In my prime time show ‘Aaj Ki Baat’ on Thursday night, we showed how India TV helped Action Balaji Hospital in Delhi, when its owner made a desperate plea to me seeking medical oxygen. Dr Anand Bansal, MD, of this hospital, was desperate in his live interview, when he sought India TV’s help in procuring medical oxygen. He said, the hospital had 255 patients, out of which 220 are suffering from Covid. Of them, 81 patients are in ICU. India TV contacted concerned authorities, and within hours of the telecast of this appeal, an oxygen Reliance sent its tanker to the hospital to rescue the patients.
We did our duty, but I feel sad because I have been getting similar desperate SOS from doctors and hospital owners in Mumbai, Indore, Gurugram, Delhi, Kanpur, Lucknow, Noida on a daily basis. I have been trying my best to convey their appeals to higher authorities, but the overall crisis is humongous. Oxygen and vital medicines are in short supply in almost all the metros and Covid-hit states. Doctors and nurses are toiling hard, round-the-clock to save the lives of Covid patients. Injection vials that used to cost Rs 500 during normal times is being sold in the black market by profiteers and hoarders at Rs 1 lakh. An oxygen cylinder worth Rs 500 is being offered at Rs 15,000-20,000. The sharks are moving around in the open trying to fleece the relatives of Covid patients.
India TV reporter Ruchi Kumar went to several oxygen refilling centres and some top hospitals in Lucknow and found the situation disheartening. There were hundreds of relatives weeping and screaming with their patients, seeking oxygen, which was in short supply. An oxygen cylinder that costed Rs 500-1,000 was being sold at Rs 35,000. The oxygen shortage is also acute in Mumbai, Pune, Thane, Navi Mumbai, Palghar, Nagpur and Nashik. There were long queues of trucks, autos and tempos waiting for oxygen cylinders at refilling plants. At a big oxygen plant in Vasai, 700-1,000 cylinders used to be supplied daily during normal times. The plant used to work for 12 hours. Now, the plant is working round-the-clock, and yet buyers have to wait for three hours to get their cylinders.
The medical oxygen crisis occurred because very few people had anticipated that the second wave of Covid pandemic would have such a devastating effect on thousands of people, gasping for breath. Indian Railways, the Indian Air Force and major private sector corporates have now come forward to mitigate the sufferings of the common people. The Railways are running non-stop Oxygen Express, the IAF is airlifting oxygen tankers and containers, and private sector companies like Reliance are manufacturing medical oxygen at optimum capacity.
The Prime Minister Narendra Modi has cancelled his election rallies in West Bengal, and is devoting most of his time to solve the crisis caused by shortage of oxygen and medicines. Already, some positive results are being seen. Doctors are optimistic about an improvement in oxygen supply within the next 48 hours. I surely hope that these efforts will bear fruit and the lives of thousands of people be saved. We should not be afraid of Coronavirus. All of us need strong will power, and if we take timely and proper treatment, get ourselves vaccinated, we will all come out of this danger, safe and strong.