जनता ने ‘मोदी है तो मुमकिन है’ का सही मतलब समझ लिया है
दिल्ली में बुधवार को बीजेपी के नेताओं ने बिहार विधानसभा और देश के अन्य राज्यों में हुए उपचुनावों में जीत का जश्न धन्यवाद रैली के रूप में मनाया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व और काम पर भरोसा जताने के लिए बीजेपी ने बिहार की जनता का आभार व्यक्त किया। पार्टी मुख्यालय पर आयोजित इस रैली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत पार्टी के तमाम वरिष्ठ नेता शामिल हुए। उत्साहित समर्थकों की भीड़ को संबोधित करते हुए मोदी ने साफ कहा कि एनडीए बिहार में नीतीश कुमार के नेतृत्व में काम करता रहेगा। प्रकारान्तर में मोदी ने नीतीश के सीएम बने रहने पर मुहर लगा दी।
मोदी ने कहा, ‘ये बिहार की आकांक्षाओ की जीत है, बिहार के गौरव की जीत है। .आपने फिर सिद्ध कर दिया कि वाकई बिहारवासी पारखी भी हैं और जागरूक भी। हम सभी भाजपा का कार्यकर्ता, नीतीश जी के नेतृत्व में एनडीए के कार्यकर्ता, हर बिहारवासी के साथ बिहार के विकास के संकल्प को सिद्ध करने में कोई कसर बाकी नहीं रखेंगे।“ नीतीश कुमार दिवाली के बाद मुख्यमंत्री के रूप में अपना छठा कार्यकाल शुरू करेंगे। मोदी ने बिहार के लोगों को एनडीए में भरोसा जताने के लिए धन्यवाद दिया और बिहार की जीत का पूरा श्रेय भाजपा अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा को दिया। मोदी ने पार्टी मुख्यालय में मौजूद समर्थकों से ‘नड्डा जी आगे बढ़ो, हम तुम्हारे साथ हैं’, के नारे लगवाए। उन्होंने कहा कि बिहार, गुजरात, उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, तेलंगाना, मणिपुर और अन्य राज्यों में लोगों ने जो भरोसा बीजेपी पर जताया है वह पार्टी के लिए मूल्यवान है।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा- “ भारतीय जनता पार्टी पूर्व में जीती, मणिपुर में कमल का झंडा फहरा दिया। भारतीय जनता पार्टी पश्चिम में जीती, गुजरात में जीती। भाजपा को उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में विजय प्राप्त हुई और भाजपा को दक्षिण में कर्नाटक – तेलंगाना में भी सफलता मिली। भाजपा ही एकमात्र ऐसी राष्ट्रीय स्तर की पार्टी है जिसका परचम जनता ने पूरे देश में फहराया है। कभी हम दो सीटों पर सीमित थे, आज हिंदुस्तान के हर कोने में हैं, हर किसी के दिल में हैं। भारत के लोग, 21वीं सदी के भारत के नागरिक, बार-बार अपना संदेश स्पष्ट कर रहे हैं। अब सेवा का मौका उसी को मिलेगा, जो देश के विकास के लक्ष्य के साथ ईमानदारी से काम करेगा। हर राजनीतिक दल से देश के लोगों की यही अपेक्षा है कि देश के लिए काम करें, देश के काम से मतलब रखें।“
मोदी ने कहा – “कल जो नतीजे आए, उसने साबित कर दिया है कि आप काम करेंगे तो लोगों से आपको भरपूर आशीर्वाद भी मिलेगा। आप खुद को समर्पित करेंगे, चौबीसों घंटे देश के विकास के बारे में सोचेंगे, कुछ नया करने की चेष्टा करेंगे तो आपको नतीजे भी मिलेंगे। कल के नतीजों में देश की जनता ने फिर ये तय कर दिया है कि 21वी सदी में देश की राजनीति का मुख्य आधार- सिर्फ और सिर्फ विकास ही होगा। देश का विकास, राज्य का विकास, आज सबसे बड़ी कसौटी है और आने वाले समय में भी यही चुनाव का आधार रहने वाला है। जो लोग ये नहीं समझ रहे, इस बार भी उनकी जगह-जगह जमानत जब्त हो गयी है।
मोदी ने कहा कि पूरे भारत में लाखों महिलाओं ने भाजपा के लिए ‘साइलेंट वोटर’ का काम किया। कोविड लॉकडाउन के दौरान डायरेक्ट कैश ट्रांसफर के जरिए लोगों के खाते में सीधे पैसे पहुंचाना, किसी को भूख से परेशानी न हो इसका ख्याल रखना। प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के जरिए लोगों तक फ्री राशन उपलब्ध कराना, इतने बड़े देश में ये काम आसान नहीं है..लेकिन ये काम बड़ी मजबूती के साथ हुआ और प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में इसका जिक्र किया। स्वच्छ भारत योजना के तहत गांव-गांव में शौचालय का निर्माण, लोगों को जनधन खातों से जोड़ना, गरीबों के घर तक उज्जवला गैस सिलेंडर पहुंचाना इन सबका उल्लेख पीएम मोदी ने अपने भाषण में किया। इसके साथ ही उन्होंने ये भी बताया कि पिछले छह वर्षों में लाखों गरीब दलितों, आदिवासियों और अन्य वंचित लोगों को सरकार से कैसे लाभ हुआ है।
मोदी ने वंशवाद और परिवारवाद की राजनीति करनेवाली पार्टियों पर भी सीधा हमला किया। उन्होंने कहा- दुर्भाग्य से कश्मीर से कन्याकुमारी तक परिवारवादी पार्टियों का जाल लोकतंत्र के लिए खतरा बनता जा रहा है। ये देश का युवा भली-भांति जानता है। परिवारों की पार्टियां या परिवारवादी पार्टियां, लोकतंत्र के लिए सबसे बड़ा खतरा हैं।
प्रधानमंत्री ने उन लोगों को भी साफ चेतावनी दी जो बीजेपी के कार्यकर्ताओं की हत्या में लिप्त हैं। उन्होंने पश्चिम बंगाल का नाम नहीं लिया लेकिन कहा- देश के कुछ हिस्सों में ऐसे लोगों को लगता है कि भाजपा के कार्यकर्ताओं को मौत के घाट उतारकर वे अपने मंसूबे पूरे कर लेंगे। जो लोग लोकतांत्रिक तरीके से हमारा मुकाबला नहीं कर पा रहे हैं, ऐसे कुछ लोगों ने हमारी पार्टी के कार्यकर्ताओं की हत्या करने का रास्ता अपनाया है। मैं उन सबको आग्रहपूर्वक निवेदन करता हूं, मैं चेतावनी नहीं देता हूं, वो काम जनता करेगी। उन्होंने आगे कहा, चुनाव आते-जाते हैं, कभी ये बैठेगा कभी वो बैठेगा मगर मौत का खेल खेलकर लोकतंत्र नहीं चलता है और मौत का खेल खेलकर कोई मत नहीं पा सकता है, दीवार पर लिखे हुए ये शब्द पढ़ लेना।
नरेन्द्र मोदी ने अपने भाषण में जो कहा उसी में बीजेपी की जीत, एनडीए की सफलता का राज छिपा है। वो राज है भाजपा और उसके नेतृत्व पर जनता का भरोसा और अच्छी बात ये है कि ये भरोसा मोदी ने अपने काम से जीता है। उन्होंने अपनी सरकार द्वारा पिछले छह वर्षों के दौरान समाज कल्याण, अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए और राष्ट्रीय सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए किए गए कामों का भी उल्लेख किया। अब कोई ये नहीं कह सकता कि लोगों के भले के लिए काम करने से, गरीबों के कल्याण के लिए काम करने से वोट नहीं मिलते।
कोरोना महामारी से निपटने का प्लान इसका सबसे बेहतरीन उदाहरण है। जब मोदी ने लॉकडाउन का ऐलान किया तो देश कोरोना से लडने के लिए तैयार नहीं था। ना हॉस्पिटल तैयार थे, ना आईसीयू बेड थे, ना ऑक्सीजन की व्यवस्था थी। ना पीपीई किट, ना टेस्टिंग की व्यवस्था थी। मोदी ने देशव्यापी लॉकडाउन लागू किया और इस अवसर का उपयोग मास्क, पीपीई किट, टेस्ट लैब, आईसीयू और नए अस्पताल बेड बनाने के लिए किया।
गरीबों, दलित, दिहाड़ी मजदूरों और महिलाओं को दो वक्त का भोजन मिले, इसके लिए उन्होंने अप्रैल, मई और जून के महीनों में 20 करोड़ से ज्यादा महिला जन-धन बैंक खातों में सीधे 500 रुपये तीन किस्तों में भिजवाए ताकि गरीबों को ज्यादा परेशानी नहीं हो। उन्होंने गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले 80 करोड़ से ज्यादा लोगों को प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत मुफ्त राशन उपलब्ध कराने का आदेश दिया। यही वजह रही कि लॉकडाउन के दौरान भूख से मरने का एक भी मामला सामने नहीं आया। इतने बड़े देश में दूर-दराज तक कैश और राशन की आपूर्ति आसान काम नहीं था।
इसी तरह ऐसे कितने सारे उदाहरण दिए जा सकते हैं चाहे पाकिस्तान को आतंकी हमलों के लिए सबक सिखाने का सवाल हो, लोगों को जनधन खातों से जोड़ने का काम हो, गरीबों के घर तक उज्जवला गैस सिलेंडर पहुंचाने का काम हो या गांव-गांव में शौचालय बनवा कर महिलाओं की समस्या दूर करने का काम हो, मोदी ने लोगों तक बुनियादी सुविधाएं पहुंचाईं। बिजली पहुंचाई और अब घर-घर नल पहुंचाने का प्लान हैं। इन कामों से मोदी ने जनता का भरोसा जीता। यही वजह कि देश की जनता ने खासतौर पर बिहार और अन्य राज्यों की जनता ने मोदी के काम पर मुहर लगाकर अपना आभार जता दिया है।
मोदी ने अपनी पार्टी द्वारा किए गए बड़े वादों को पूरा किया, चाहे वह कश्मीर में धारा 370 को खत्म करना हो या अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण हो। बिहार के लोगों ने मोदी की उपलब्धियों पर अपनी मुहर लगा दी है। उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, मणिपुर, गुजरात, तेलंगाना और अन्य राज्यों की जनता ने ‘मोदी है तो मुमकिन है’ के नारे को सही अर्थों में महसूस किया है।
People have realized the true meaning of ‘Modi Hai Toh Mumkin Hai’
The ruling Bharatiya Janata Party celebrated its electoral success in Bihar and other states by holding a thanksgiving event at the party headquarters on Wednesday attended by top leaders including Prime Minister Narendra Modi. Addressing his exuberant supporters, Modi unambiguously endorsed Nitish Kumar’s continuance as Bihar chief minister.
Modi said, “we shall try our best to fulfil the promises made to the people of Bihar under the leadership of Nitish ji”. Nitish Kumar will start his sixth term as CM probably after Diwali. Modi thanked the people of Bihar for reposing confidence in the NDA, and gave full credit for the Bihar victory to BJP president Jagat Prakash Nadda. Modi asked supporters to chant the slogan “Nadda Ji aagey badho, hum tumhare saath hain”. He said, the trust reposed by the people of Bihar, Gujarat, Uttar Pradesh, Karnataka, Telangana, Manipur and other states in BJP is “a big asset” for the party.
The Prime Minister said, “the message from Bihar elections is quite clear: from now on, voters will elect only those who work for the people, they will not elect those who want to merely enjoy the trappings of power but fail to work for the public. ..Gone are the days, when elections in Bihar meant booth capturing, killings and violence. There was peaceful polling in Bihar and there was not a single case of repolling. This is a sign of changing times and it indicates the change that has come in 21st century politics in India”, Modi said.
Modi spoke of how millions of women across India have emerged as “silent voters” for BJP. “They have realized the benefits they have got from direct cash transfer during Covid lockdown, free foodgrains under Pradhan Mantri Garib Kalyan Ann Yojana, toilets under Swachh Bharat Yojana, piped water supply under Jal Shakti scheme, and LPG gas under PM Ujjwala Yojana.” He also spoke of how millions of poor Dalits, tribals and other oppressed classes have benefited from the government in the last six years.
Modi also launched a frontal attack on parties which thrive on dynastic politics. “From Kashmir to Kanyakumari, you can see a web of parties which are either family enterprises or which are in the control of families. They present a serious threat to democracy. Even parties with a glorious history are in the grip of a family”, he said. He was indirectly referring to the Congress.
The Prime Minister also gave a clear warning to those who were indulging in murders of BJP karyakartas(workers). He did not mention West Bengal by name. “I want to caution those who have murdered our karyakartas, they must read the ominous writings on the wall.”
Modi clearly summed up the secret behind BJP’s success at the electoral hustings. It is the people’s confidence in BJP and its leadership which is the key to success. He outlined the work done by his government during the last six years for social welfare, for giving boost to economy and for ensuring national security. No political leader can now claim that ‘people do not vote for us even if we work for their welfare’. Times have changed.
The manner in which Modi handled the Covid pandemic should act as a shining example. When the pandemic broke in India, the nation was not ready with masks, PPEs (personal protection equipments), Covid testing labs, ICUs and hospital beds. Modi enforced a nationwide lockdown and used this opportunity to order manufacture of masks, PPEs, setting up of testing labs, ICUs and new hospital beds.
For the poor, downtrodden, daily wage earners and women, he transferred money in three tranches of Rs 500 directly to more than 20 crore women Jan Dhan bank accounts during the months of April, May or June, so that the poor must not suffer. He ordered free supply of foodgrains under Pradhan Mantri Garib Kalyan Ann Yojana to more than 80 crore people living below the poverty line. Not a single case of starvation was reported during lockdown. Supplying cash and foodgrains to people living in remotest corners across this vast country was not an easy job.
Similarly, Modi delivered when the nation wanted that India must teach a lesson to Pakistan for its terrorist attacks. He also ensured building of toilets and houses, and providing cheap LPG connections, piped water and electricity to poor families. The people of India, specially in Bihar and other states, have shown their gratitude to Modi by voting his party to power.
Modi fulfilled the big promises his party had made, whether abrogating Article 370 in Kashmir or building a Ram temple in Ayodhya. The people of Bihar have put their stamp of approval on Modi’s achievements. People in Uttar Pradesh, Karnataka, Manipur, Gujarat, Telangana and other states have also realized the true meaning of the slogan “Modi hai, toh mumkin hai” (It’s possible if Modi is there).
बिहार के मतदाताओं पर चला मोदी का जादू
बिहार की जनता ने अपना फैसला सुना दिया है। मध्य प्रदेश, गुजरात, उत्तर प्रदेश और कर्नाटक में हुए उपचुनावों के नतीजे भी आ चुके हैं। इन चुनाव नतीजों में भारतीय जनता पार्टी को जबरदस्त जीत मिली है। अगर एक लाइन में कहा जाए तो एक बार फिर ये तय हो गया कि देश की जनता को नरेन्द्र मोदी के नाम पर और उनके काम पर यकीन है।
बिहार में मंगलवार को आधी रात के आसपास चुनाव आयोग ने सभी नतीजों का औपचारिक ऐलान कर दिया। एनडीए को 125, महागठबंधन 110 और बाकी की 8 सीटें एआईएमआईएम और अन्य के खाते में गई हैं।
अगर विश्लेषण करें तो इस चुनाव की पहली और सबसे बड़ी बात तो ये है कि एक बार फिर साबित हुआ कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व पर मतदाताओं का भरोसा पहले के मुकाबले बढ़ा है। दूसरी बात ये है कि बीजेपी पहली बार बिहार में 74 सीटें जीतकर दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बनी है (तेजस्वी के नेतृत्व वाली आरजेडी को 75 सीटें मिली हैं)। अब तक छोटे भाई की भूमिका में रहने वाली बीजेपी अब बिहार सरकार के अंदर बड़े भाई की भूमिका में रहेगी। बिहार में बीजेपी अकेली ऐसी पार्टी है, जिसकी सीटों की संख्या में जबरदस्त इजाफा हुआ है। बाकी सभी पार्टियों की सीटों की संख्या कम हुई है। नीतीश कुमार की जनता दल यूनाइटेड की हालत तो सबसे खराब है। बहुत मुश्किल से वह 43 सीटें जीतने में सफल रही है। जेडीयू अपने सबसे निचले स्तर पर पहुंच गई है। हाल के दिनों में यह जनता दल यूनाइटेड का सबसे खराब प्रदर्शन रहा है। ये नीतीश कुमार के लिए बड़ा झटका है।
तीसरी बात ये है कि चुनाव नतीजों से लगता है कि बिहार में जाति और धर्म के आधार पर वोटिंग तो हुई लेकिन विकास की बात और जंगलराज का डर भी मतदाताओं पर हावी रहा। और इन सबका फायदा बीजेपी को हुआ। नीतीश कुमार से लोगों की नाराजगी थी लेकिन लोग लालू के ‘जंगलराज’ को भूले नहीं हैं। वहीं तेजस्वी बिहार के लोगों को ये यकीन नहीं दिला पाए कि दोबारा जंगलराज नहीं आएगा।
चौथी बात ये है कि इस चुनाव में चिराग पासवान भी एक फैक्टर थे। हालांकि नतीजों से यह साफ हो गया कि बिहार के लोगों को कन्फ्यूजन पसंद नहीं है। चुनाव में चिराग कन्फ्यूज्ड दिखे। उन्होंने बिहार में खुद को एनडीए से अलग कर लिया और चुनाव मैदान में उतरे। वो मोदी के साथ थे लेकिन नीतीश के खिलाफ थे जबकि नीतीश और मोदी साथ-साथ थे। इसलिए जनता को चिराग तले अंधेरा दिखा। हालांकि चिराग ने एनडीए को और खासकर जेडीयू को काफी नुकसान पहुंचाया।
पांचवीं बात ये है कि असदुद्दीन ओवैसी, उपेन्द्र कुशवाहा और पप्पू यादव चुनाव तो बीजेपी के खिलाफ लड़ रहे थे लेकिन सबका फायदा बीजेपी को मिला।
छठी बात ये कि राहुल गांधी ने तेजस्वी की मदद से बिहार में कांग्रेस को मजबूत करने की कोशिश की लेकिन नतीजा ये हुआ कि बिहार में कांग्रेस पहले से भी कमजोर हो गई। कांग्रेस का स्ट्राइक रेट बेहद कम रहा और इससे महागठबंधन को काफी नुकसान झेलना पड़ा। 70 सीटों पर चुनाव लड़कर कांग्रेस महज 19 सीटें पाने में सफल रही।
सातवीं बात ये कि इस बार वाम दलों का स्ट्राइक रेट सबसे अच्छा रहा। महागठबंधन में शामिल वाम दलों ने तेजस्वी की भीड़ जुटाने की ताकत का पूरा फायदा उठाया और 16 सीटें जीतने में कामयाब रहे। सीपीआई-माले-लिबरेशन को 12 सीटें मिली जबकि सीपीआई और सीपीआई-एम को दो-दो सीटें जीतने में कामयाब रही।
अंत में एक बात और साफ हुई कि एग्जिट पोल हों या ओपिनियन पोल, कोई भी मतदाताओं और खासतौर से महिला मतदाताओं के दिल की बात समझने का दावा नहीं कर सकते। इस बार भी बिहार में एग्जिट पोल पूरी तरह से गलत साबित हुए।
इस चुनाव में नरेन्द्र मोदी बड़े गेम चेंजर साबित हुए । उन्होंने एक बार फिर साबित किया कि वो हवा का रूख अपनी तरफ मोड़ने का हुनर अच्छी तरह जानते हैं। बिहार के चुनाव पर पूरे देश की नजर थी। कोरोना महामारी की त्रासदी के बीच ये पहला चुनाव था। बिहार राजनीतिक तौर पर बहुत सक्रिय और जागरूक राज्य माना जाता है। शुरुआत में यह दावा किया जा रहा था कि बिहार में बदलाव की तैयारी है। जिस तरह की तस्वीरें आ रही थीं, जिस तरह की बातं सुनाई दे रही थी, उससे ऐसा लग भी रहा था। लेकिन जब 27 अक्टूबर को नरेन्द्र मोदी चुनाव प्रचार में उतरे उसके बाद हवा का रूख बदला। किसी ने नहीं सोचा था कि बिहार में बीजेपी अब तक का सबसे अच्छा प्रदर्शन करेगी। प्रदेश में दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बन जाएगी। नरेंद्र मोदी की रैलियों ने चुनाव का माहौल पूरी तरह बदल दिया। मोदी की रैलियों और उनके भाषण से चुनाव के दूसरे और तीसरे चरण में चुनाव का रुख बदल गया। नरेंद्र मोदी ने 12 जिलों में रैलियां की जिनसे 101 सीटों पर सीधा असर पड़ा। इन 101 सीटों में से एनडीए ने 59 सीटों पर जीत दर्ज की।
असल में जब तक नरेंद्र मोदी चुनाव प्रचार में नहीं उतरे थे उस वक्त तक महागठबंधन मजबूत दिख रहा था। मोदी ने जब प्रचार शुरू किया तो पहले चरण में उन्होंने माहौल को समझा। उस वक्त तेजस्वी यादव लोगों से 10 लाख सरकारी नौकरियों का वादा कर रहे थे, राहुल गांधी प्रवासी मजदूरों के मुद्दे पर मोदी पर हमला कर रहे थे, चिराग पासवान कन्फ्यूजन पैदा कर रहे थे। मोदी ने पूरे माहौल को अच्छी तरह समझा और इसके बाद दूसरे और तीसरे चरण की रैलियों में उन्होंने बिहार के लोगों को ‘जंगलराज’ की याद दिलाई। बार-बार कहा कि बिहार के लोग सब सहन कर लेंगे लेकिन बिहार में वो दिन वापस नहीं देखना चाहेंगे जब अपहरण और रंगदारी आम बात थी।
मोदी ने ‘जंगलराज’, ‘जंगराज के युवराज’, ‘किंडनैपिंग के किंग’ ,’दो-दो युवराज’ (तेजस्वी और राहुल गांधी) ऐसे तमाम जुमलों का इस्तेमाल किया जो सीधे जनता की समझ में आए। पीएम मोदी ने लोगों को गरीब कल्याण पैकेज की याद दिलाई। मुफ्त राशन की योजना की याद दिलाई। महिलाओं के जन धन खातों में 500-500 रुपये की किश्त भेजे जाने की बात कही। मोदी ने ये भी कहा कि लोगों को दिक्कत तो हुई है लेकिन संकट ही ऐसा था जिससे पूरी दुनिया परेशान थी। सरकार ने लोगों की मुश्किलों को दूर करने की पूरी कोशिश की। मोदी का संदेश स्पष्ट तौर पर जनता के बीच गया और इसका असर दिखा दिया और लोगों ने मोदी की बात पर यकीन किया। उधर, नीतीश की जेडीयू ने भी महिला मतदाताओं को लुभाने की पूरी कोशिश की।
इस सफलता का श्रेय भाजपा अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा को भी जाता है। नड्डा बिहार को और बिहार की राजनीति को अच्छी तरह समझते हैं, क्योंकि वो छात्र जीवन में बिहार में रहे। नड्डा ने बिहार में 22 बड़ी जनसभाएं और कई रोड शो किए। उन्होंने सैकड़ों छोटी सभाएं की। बिहार में टिकटों के बंटवारे लेकर पार्टी के कार्यरर्ताओं और नेताओं को एकजुट रखने का काम नड्डा ने बहुत ही समझदारी से किया। नड्डा का बिहार से जमीनी जुड़ाव रहा है। वो पटना में पैदा हुए, पटना के सेंट जेवियर्स स्कूल से शुरुआती पढ़ाई की। फिर पटना यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन किया। नड्डा बिहार के मिजाज को अच्छी तरह समझते हैं और ये हमने नड्डा की चुनावी रैलियों में भी देखा जब वो खांटी बिहारी अंदाज में लोगों से बात करते दिखाई दिए। वो मिथिलांचल में लोगों से मैथिली में बात करते दिखाई दिए। बड़ी बात ये है कि इस बार नड्डा ने बिहार की जंग जमीन पर अकेले लड़ी। अमित शाह कोरोना पॉजिटिव थे इसलिए बिहार नहीं जा सके। प्रचार की शुरूआत में ही सुशील कुमार मोदी कोरोना के शिकार हो गए। फिर शाहनवाज हुसैन और राजीव प्रताप रूड़ी भी कोरोना की चपेट में आ गए। ऐसे में नड्डा ने अकेले मोर्चा संभाला और पार्टी के लिए उनकी मेहनत रंग लाई।
तेजस्वी यादव ने जबरदस्त मेहनत की। एक दिन में 19-19 रैलियां की। दरअसल उनके पिता लालू यादव जेल में हैं और उनकी पार्टी के कई बड़े-बड़े नेता पार्टी छोड़ चुके हैं। चुनाव का पूरा दारोमदार तेजस्वी पर था। सबको साथ लेकर चलना था। सहयोगियों की जिद पूरी करनी थी। नीतीश कुमार और सुशील मोदी जैसे पुराने और अनुभवी नेताओं से मुकाबला करना था। तेजस्वी चतुर हैं। जानते थे कि अकेले तो नैया पार होना मुश्किल है इसलिए उन्होंने गठबंधन बनाया। लेफ्ट को अपने साथ लिया राहुल गांधी पर भी यकीन किया। 10 लाख रोजगार के वादे से युवाओं को लुभाने की पूरी कोशिश की लेकिन चुनाव प्रचार में नरेंद्र मोदी के उतरने के बाद तेजस्वी का खेल बिगड़ गया।
चिराग के लिए मैं यही कहूंगा कि सियासत में सफलता के लिए महत्वाकांक्षी होना जरूरी है, लेकिन इसके साथ-साथ अनुभव और संयम भी होना चाहिए। चिराग पासवान युवा हैं, अच्छा बोलते हैं, उनमें जज्बा है, लड़ना जानते हैं लेकिन सब्र करना भी जरूरी था। चूंकि रामविलास पासवान का अचानक निधन हो गया इसलिए उनके अनुभव का जो फायदा चिराग को होता था उसकी कमी दिखाई दी। जल्दबाजी में अकेले जाने का फैसला किया और नतीजा क्या हुआ? एलजेपी केवल एक सीट जीत पाई। ‘हम तो डूबेंगे सनम तुमको ले डूबेंगे’ वाली कहावत चरितार्थ हो गई। उनकी वजह से NDA के सहयोगी दलों को काफी नुकसान हुआ। अगर चिराग पूरी तरह से NDA के साथ होते तो NDA 150 से ज्यादा सीटें आराम से जीत सकता था। चिराग पासवान ने अगर तेजस्वी के साथ जाने का फैसला किया होता तो भी बात आर-पार वाली होती। शायद तेजस्वी आसानी से सीएम बन जाते। लेकिन चिराग ने मोदी के साथ रहने और नीतीश का विरोध करने फैसला किया और नतीजा सबके सामने है। चिराग ने नीतीश कुमार के साथ साथ कई जगह बीजेपी को भी नुकसान पहुंचाया ।
कांग्रेस की बात करें तो प्रचार के दौरान राहुल गांधी के भाषण के अंश हमने कई बार आपको सुनवाए। इसलिए अब ये बताने की जरूरत नहीं है कि राहुल गांधी का प्रचार उल्टा क्यों पड़ा। राहुल को बिहार के मुद्दों की समझ नहीं है। वो हर जगह नरेन्द्र मोदी को निशाना बनाते हैं । कांग्रेस के नेताओं ने बार-बार समझाने की कोशिश की कि मोदी पर हमला करने से अन्ततोगत्वा कांग्रेस को ही नुकसान होता है। मोदी ने अपने भाषण में इसकी तरफ इशारा किया था। उन्होंने कहा था कि ‘एक युवराज हैं। वो यूपी में दूसरे युवराज के साथ घूमे थे। वहां उनकी नैया डुबा आए। अब वही युवराज बिहार के युवराज के साथ घूम रहे हैं। इनकी भी नैया डुबाएंगे।’
असदुद्दीन ओवैसी भले ही कहें कि उन्होंने बीजेपी को, NDA को तगड़ी चुनौती दी, वो मोदी के खिलाफ हैं। लेकिन हकीकत तो यही है कि ओवैसी ने कांग्रेस और RJD का काम बिगाड़ा। ओवैसी की वजह से भले ही बीजेपी को फायदा मिला हो लेकिन ये भी सही है कि बिहार में पांच सीटों पर ओवैसी की पार्टी ने जीत दर्ज की है। पहले ओवैसी की पार्टी सिर्फ हैदराबाद तक सीमित थी। इसके बाद पहले महाराष्ट्र में ओबैसी की पार्टी ने दो सीटें जीतीं और अब उनकी पार्टी ने बिहार में पहली बार पांच सीटों पर जीत दर्ज की है। मुसलमानों के नाम पर सियासत करने वाली पार्टियों के लिए ओवैसी बड़ी चुनौती बन सकते हैं।
उधर, मध्य प्रदेश विधानसभा उपचुनावों में भाजपा ने 28 सीटों में से 19 सीटें जीत ली है। प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान की सरकार बनी रहेगी ये बीजेपी ने पक्का कर लिया है। उत्तर प्रदेश में हाथरस जैसी घटना के बाद राहुल और प्रियंका की कोशिश के बावजूद बीजेपी ने सात में से 6 सीटें जीत ली। गुजरात में सारी की सारी 8 सीटें बीजेपी ने जीती। मणिपुर और तेलंगाना में भी बीजेपी की जीत ने लोगों को अचरज में डाल दिया। ये कोई छोटी उपलब्धि नहीं है। इन सारी जीतों का सबसे बड़ा फैक्टर मोदी की लोकप्रियता है और ये लोकप्रियता मोदी के काम के आधार पर बनी है। आज भी विरोधी दलों के पास मोदी का कोई जवाब नहीं है। आज की इस जीत का फायदा बीजेपी को आने वाले पश्चिम बंगाल के चुनाव में होगा। ये ममता बनर्जी के लिए खतरे की घंटी है। बंगाल और असम में बीजेपी अब नए हौसले के साथ चुनाव लड़ेगी।
How Modi weaved his magic over Bihar voters
The people of Bihar have given their final verdict. Results of all byelections in other states have also come. One thing is crystal clear now. The BJP has scored magnificent wins in most of the states. I can sum up in a single sentence: the people of India have once again reposed their confidence in Prime Minister Modi’s leadership.
After the final official results for Bihar were declared by the Election Commission past midnight, it is NDA 125, Maha Gathbandhan 110, and the remaining eight seats to AIMIM and others.
Let us analyze. One, there is not an iota of doubt that the confidence of common voters of Bihar in Modi’s leadership has increased. Two, BJP has emerged as the second largest party in Bihar winning 74 seats (Tejashwi Yadav’s RJD has won 75 seats). In other words, from its earlier role as a ‘younger brother’ in Bihar NDA, BJP has now emerged as ‘Big Brother’ and will have a big say in the running of Bihar government. Nitish Kumar’s JD(U) has shrunk badly. It barely managed to win 43 seats. This is its lowest figure in recent times and Nitish Kumar has suffered a big political setback.
Three, there was voting on caste and communal lines this time, but issues relating to development and the fear of return of ‘jungle raaj’ also mattered in the minds of voters, and BJP gained a lot because of this. Voters were unhappy with Nitish Kumar, but they had not forgotten and forgiven Lalu Yadav’s infamous ‘jungle raaj’, and his son Tejashwi failed to assure voters that there would be no return of ‘jungle raaj’.
Four, Chirag Paswan harmed both the RJD and JD(U), but the voters of Bihar made it quite clear that they do not want any confusion. Chirag was claiming Modi as his leader but he walked out of the state alliance while opposing Nitish Kumar’s return as CM.
Five, small timers like AIMIM chief Asaduddin Owaisi, Pappu Yadav and Upendra Kushwaha fought against Modi’s BJP, but they ended up giving Modi the advantage.
Six, Rahul Gandhi wanted to give his Congress party a strong footing in Bihar with Tejashwi Yadav’s help, but his party fared poorly, and with a worse strike rate, ended up causing loss to Tejashwi’s Maha Gathbandhan. Congress ultimately won only 19 seats.
Seven, the Left parties took full advantage of Tejashwi’s crowd pulling power and won 16 seats. Their strike rate was good. CPI(ML-Liberation) won 12 seats, CPI and CPI(M) won two seats each.
And lastly, all the exit polls and opinion polls proved wrong. They could not gauge the mood of voters, particularly women, correctly.
Narendra Modi emerged as the biggest game changer in Bihar elections. He knows the art of moving the direction of the wind that was blowing in Bihar’s political landscape. The entire nation had its attention fixed on Bihar, where the first assembly elections were being held in the era of Covid pandemic. The voters of Bihar are politically aware and active. Most of them were speaking about ‘change’.
On October 27, when Modi entered the scene, and started addressing rallies, there was change in the political wind that was blowing. Nobody had expected BJP to emerge as the second largest party and the wind was blowing in favour of Maha Gathbandhan. After Modi addressed rallies, the scene changed during the second and third phases. He addressed rallies in 12 districts covering 101 seats. The NDA won 59 out of these 101 seats.
While campaigning during the first phase, Modi clearly gauged the mood of the people, and in the second and third phases, he turned the tables on MGB. At a time when Tejashwi Yadav was promising a rosy picture of one million government jobs, Rahul was hitting out at Modi over thousands of migrant labourers walking on foot during lockdown, Chirag Paswan was creating confusion, it was Modi who reminded people about the dark days of Lalu’s ‘jungle raaj’ when kidnappings for ransom and collection of ‘rangdari’ (extortion) were rampant.
In his speeches, Modi repeatedly used phrases like ‘jungleraaj ka yuvraj’ (prince of jungle raaj) and ‘kidnapping ke king’. He went to the extent of saying ‘do do yuvraaj’ (two princes) indirectly referring to Tejashwi and Rahul campaigning together. The message was clear and it connected with the common voter. Modi reminded voters of how his government sent free foodgrains for poor families under Pradhan Mantri Garib Kalyan Yojana during Covid lockdown period, and transferred Rs 500 each to the bank accounts of women. The women voters remembered this and they voted for Modi. Even Nitish Kumar’s party JD(U) took advantage of the mood of women voters.
Credit also goes to the new BJP president Jagat Prakash Nadda, who knew the ground situation in Bihar very well. Born in Patna, he studied in a school in Patna and graduated from Patna University. Nadda handled the party machine well, addressed 22 big meetings, took out road shows, and worked with backroom workers to ensure his party’s win. In Mithila region, he spoke in Maithili, and in other regions, he spoke in local dialects to win over the voters. Amit Shah, Shahnawaz Hussain, Rajiv Pratap Rudy and Sushil Modi had tested Covid positive. It was left to Nadda to hold the fort.
Tejashwi Yadav slogged heavily, addressing as many as 19 rallies a day with the help of a chopper. His father, Lalu Yadav, was in jail, and many senior RJD leaders had left his party. Tejashwi had to take his own party leaders and alliance parties along, and tackle seasoned leaders like Nitish Kumar and Sushil Modi.
I give full credit to Tejashwi for the good showing that his party did in the elections, despite his lack of experience. Tejashwi had set the political narrative from the beginning, by raising the issue of jobs for the jobless. He had promised a million government jobs, the day his government took over. Millions of youths in Bihar were attracted towards him, but it was Modi, the game changer, who turned the tables, by describing him as ‘Jungle raaj ke yuvraaj’.
For Chirag Paswan, I have this to say. Ambition is necessary in politics, but in order to achieve aims, one requires experience, patience and sagacity. Chirag is young, he is full of energy, speaks well and knows how to give a political fight, but he overplayed his card. He should have exercised patience. With Ramvilas Paswan passing away days before the elections, he could not benefit from his father’s vast political experience.
Chirag took a hasty decision by walking out of the Bihar NDA, hit out at Nitish Kumar, and the end result: his party LJP could win only a solitary seat. His action against Nitish reminds me of the Urdu couplet, “hum toh doobe hain sanam, tumhe bhi le doobengey”. His decision caused huge losses to NDA partners. Had Chirag stayed in NDA, the alliance could have easily notched up more than 150 seats. Had Chirag joined Tejashwi’s Maha Gathbandhan, the latter could have scored a clear majority and become the CM. But Chirag opted for ‘love Modi, hate Nitish’ line, and in the end, it was neither here, not there. Ignoring Chirag, Modi clearly announced at his rallies that Nitish would lead the NDA in Bihar.
About Congress, the less said the better. In recent shows of ‘Aaj Ki Baat’, I have shown clips of Rahul Gandhi’s speeches, which have no connect with the voters. Rahul does not even know the real issues that matter the most in Bihar. He is like a stuck gramophone record: always denouncing Modi, whether it is Bihar or Maharashtra or Madhya Pradesh. It is his single theme in all his rallies. He fails to realize that the people of India love Modi and his leadership. Senior Congress leaders had advised Rahul not to target Modi too often as it could damage the party’s prospects.
It was left to Modi to remind voters in his rallies about one “yuvraaj” who joined hands with another “yuvraaj” (Akhilesh Yadav) in UP and brought the latter’s downfall. “The same yuvraaj is now going out with another yuvraaj (Tejashwi) in Bihar and will bring about his downfall too”, said Modi.
Asaduddin Owaisi acted as a speed breaker for Muslim voters diverting towards RJD and Congress. Owaisi’s party AIMIM, which was earlier confined to Hyderabad, first spread its wings in Maharashtra, winning two seats, and now, for the first time, it has won five assembly seats in Bihar. Owaisi is soon going to emerge as a serious challenger to those parties whose politics pivot around Muslim votes.
With the BJP winning 19 out of 28 assembly byelections in Madhya Pradesh, Chief Minister Shivraj Singh Chouhan has consolidated his hold. In UP, despite the Hathras incident highlighted by Rahul and Priyanka, the BJP won six out of seven seats. In Gujarat, it made a clean sweep of all eight seats. BJP’s win in Manipur and Telangana has surprised political pundits.
The common thread in all these wins in Modi’s rising popularity. The opposition parties are still searching for somebody who can try to stop Modi. West Bengal and Assam will be going to the polls next year and Modi has set his sights clear. The Bihar results should sound an ominous warning for Mamata Banerjee.
मेरी अपील है कि कोरोना को हल्के में न लें, मास्क पहनें और भीड़ में जाने से बचें
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में शुक्रवार को कोरोना वायरस के रिकॉर्ड 7178 नए मामले दर्ज किए गए और 24 घंटों में 64 लोगों की मौत हुई। एक दिन में सामने आए कोरोना संक्रमण के मामलों के हिसाब से दिल्ली अब पूरे देश में पहले स्थान पर पहुंच गया है और उसने केरल (7,002) को दूसरे स्थान पर धकेल दिया है। हालांकि दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन का दावा है कि बड़ी संख्या में कोरोना टेस्टिंग और कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग की वजह से कोरोना के मामले बढ़े हैं लेकिन जमीनी हकीकत में कुछ और ही कहानी निकलकर सामने आ रही है।
शुक्रवार की रात मेरे प्राइम टाइम शो ‘आज की बात’ में हमने दिखाया कि कैसे दिल्ली के व्यस्त बाजारों यानी सदर बाजार, चांदनी चौक, करोल बाग, लाजपत नगर, सरोजनी नगर, गांधी नगर और चावड़ी बाजार में दिवाली की खरीदारी के लिए लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा था। बाजार में भीड़ इतनी थी कि सड़क पर चलने के लिए एक इंच जगह नहीं बची थी। ज्यादातर लोग कोरोना महामारी को लेकर लापरवाह नजर आए और ऐसा लग रहा था कि उन्हें कोई चिंता नहीं है।
दिल्ली में दिवाली की खरीदारी करने निकली भीड़ का दृश्य देख शायद ही कोई इस बात पर यकीन करे कि दिल्ली में अब तक कोरोना वायरस के संक्रमण की वजह से 6,833 लोगों की जान जा चुकी है और वायरस से संक्रमित होने वाले लोगों का कुल आंकड़ा 4.23 लाख तक पहुंच चुका है। बेशक 3.77 लाख लोग इस बीमारी से ठीक भी हुए हैं, लेकिन दिल्ली के व्यस्त बाजारों में जिस तरह की भीड़ है, उसे देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि अगले कुछ हफ्तों में मामले तेजी से बढ़ सकते हैं।
पहले से ही दिल्ली के अस्पतालों में कोविड-19 के मरीजों के लिए ICU बेड्स की भारी कमी है, और दिल्ली सरकार ने COVID-19 रोगियों के लिए 33 बड़े निजी अस्पतालों में 80 प्रतिशत ICU बेड आरक्षित करने के फैसले पर रोक लगाने के दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है। राजधानी में 168 रजिस्टर्ड प्राइवेट हॉस्पिटल हैं, और दिल्ली सरकार को कोरोना वायरस के रोगियों के इलाज के लिए ICU बेड्स की सख्त जरूरत है।
शुक्रवार को इंडिया टीवी के रिपोर्ट्स मुंबई के झावेरी बाजार और दादर के मार्केट गए। वहां पर भी दिवाली की शॉपिंग के लिए लोगों का हुजूम उमड़ा हुआ था। मुंबई में अब तक कोरोना वायरस से संक्रमण के 2.60 लाख से ज्यादा मामले दर्ज किए गए हैं, 10 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हुई है और फिर भी बाजारों में उमड़ रही भीड़ को सोशल डिस्टेंसिंग की जरा भी चिंता नहीं है। इंडिया टीवी के रिपोर्ट्स ने शॉपिंग करने आए लोगों से बात की तो उनमें से कइयों ने दबी आवाज में स्वीकार किया कि उन्हें मास्क पहनना याद नहीं रहा।
अहमदाबाद के व्यस्त बाजारों में शुक्रवार को भारी भीड़ देखी गई। इस शहर में अब तक कोविड के चलते 3,700 से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है। अहमदाबाद में कोरोना वायरस से संक्रमण के अब तक 1.75 लाख से ज्यदा मामले सामने आए हैं, लेकिन फिर इन व्यस्त बाजारों में जाकर लोग अपनी जान जोखिम में डाल रहे हैं।
जयपुर का मामला थोड़ा अलग है, जहां पुलिस कांस्टेबल के 5000 से ज्यादा पदों के लिए 17 लाख से भी ज्यादा नौजवान परीक्षा में शामिल हुए हैं। चूंकि 32 परीक्षा केंद्रों पर उम्मीदवारों को ले जाने के लिए सरकार ने गाड़ियों की कोई व्यवस्था नहीं की थी, इसलिए बसों को पकड़ने के लिए जयपुर, अजमेर, कोटा और अलवर में बस स्टेशनों पर युवाओं की भारी भीड़ जमा हो गई। यहां भी सोशल डिस्टेंसिंग का ख्याल नहीं रखा गया।
मैंने इस मुद्दे पर कई विशेषज्ञों से बात की है। उन्होंने दिल्ली में कोविड-19 के मामलों में वृद्धि का एक प्रमुख कारण ‘कोरोना फटीग’ को जिम्मेदार ठहराया है। लोग पिछले 7 महीनों से अपने घरों के अंदर रहकर थक गए हैं, और अब उन्हें अब थोड़े बदलाव की जरूरत है। दूसरी बात, सार्वजनिक स्थानों पर घूमने वाले कई लोग मास्क नहीं पहनते हैं, और उसे अपने गले में लटकाकर रखते हैं, जिसका कोई मतलब नहीं है।
लोग दिवाली से पहले शॉपिंग तो करना ही चाहते हैं, लेकिन यह अपने घरों से बाहर निकलकर सार्वजनिक स्थानों पर घूमने का बहाना भी प्रतीत हो रहा है। कई लोगों के मन में यह गलत धारणा बैठ गई है कि कोरोना वायरस आजकल कमजोर हो गया है, और यदि इसकी चपेट में आ भी गए तो 4-5 दिन में ठीक हो जाएंगे। लेकिन वे यह बात भूल जाते हैं कि एक बार जब वे वायरस से संक्रमित होते हैं, तो वे अनजाने में इसके ‘सुपर स्प्रेडर्स’ बनकर तमाम लोगों को संक्रमित कर सकते हैं।
वायरस से संक्रमित होने के बाद ज्यादातर ऐसे लोग जो बूढ़े हैं, या फेफड़े और दिल की बीमारियों से पीड़ित हैं, गंभीर संकट में फंस सकते हैं। इसके अलावा, यूपी, बिहार, हरियाणा, राजस्थान और अन्य राज्यों के लोग बगैर किसी जांच के बड़ी संख्या में दिल्ली आते हैं। उनमें से कई वायरस के वाहक हो सकते हैं और वे अनजाने में वायरस को अपने राज्यों में भी ले जाते होंगे।
अब यह बात बताने की कोई जरूरत नहीं है कि कोरोना वायरस कितना जानलेवा है। अभी भी कोरोना वायरस के फैलने की रफ्तार कम नहीं हुई है। कोविड-19 की कोई दवाई भी अब तक नहीं मिल पाई है, और वैक्सीन के आने में भी अभी कई महीने लग सकते हैं। इसलिए खुद को कोरोना वायरस के खतरे से बचाने का एक ही तरीका है, और वह है कि सावधानी बरती जाए। अगर लोग मास्क नहीं पहनते हैं और सार्वजनिक स्थानों पर सोशल डिस्टेंसिंग को नजरअंदाज करते हैं, तो महामारी का फैलना तय है। ऐसे में सरकार को जिम्मेदार ठहराना ठीक नहीं है। लोगों द्वारा की जा रही ये लापरवाही निश्चित तौर पर उनके अपने परिवार के लिए और समाज के दूसरे लोगों के लिए खतरनाक हो सकती है।
लोगों को यह समझना चाहिए कि कोई सरकार सख्ती नहीं करना चाहती है। कौन चाहता है कि लोगों को जबरन घरों में कैद कर दिया जाए? कोई नहीं चाहता कि फिर लॉकडाउन लगे, लेकिन ये ध्यान रखिए कि यूके, जर्मनी और फ्रांस समेत यूरोप के कई देशों में कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों को देखते हुए दोबारा लॉकडाउन लगाने की नौबत आ गई। यूके में क्रिसमस और न्यू इयर के त्योहारों के ऐन पहले एक महीने के लिए लॉकडाउन लगाया गया है। इसकी वजह ये है की वहां भी लोगों ने लापरवाही की, मास्क नहीं लगाए और सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियां उड़ाईं।
इसलिए मेरी सभी से हाथ जोड़ कर अपील है कि सावधान रहिए, सुरक्षित रहिए। ये आपके लिए जरूरी है। अपने घर पर रहें, सार्वजनिक स्थानों पर मास्क जरूर पहनें, सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान रखें। जब तक अधिकांश लोगों को टीका नहीं लग जाता है, तब तक हर शख्स को सावधानी बरतनी होगी, घर पर रहना होगा और भीड़भाड़ वाली जगहों पर जाने से बचना होगा।
My appeal to all: Do not ignore Covid risks, wear masks, avoid crowded places
The national capital Delhi on Friday recorded the largest number of new Covid cases at 7,178, with 64 deaths reported in the last 24 hours. Delhi is now on top of the Covid tally across India pushing Kerala (7,002) to second position. While Delhi Health Minister Satyendra Jain has claimed that the surge in cases is due to what he called “aggressive contact tracing and testing”, the ground situation tells a different tale.
In my prime time show ‘Aaj Ki Baat’ on Friday night, we showed how huge crowds of Diwali shoppers are thronging the busy markets of Sadar Bazar, Chandni Chowk, Karol Bagh, Lajpat Nagar, Sarojini Nagar, Gandhi Nagar and Chawri Bazar. Many of the shoppers were not wearing masks and there was least social distancing. There was not even an inch of space on roads to move, with crowds thronging the markets. Most of the people appeared to be nonchalant and least concerned about Covid pandemic.
Watching visuals of Diwali shoppers in Delhi, one can hardly believe that this city has till now witnessed 6,833 Covid-related deaths and total number of Covid cases has touched 4.23 lakhs. Of course, 3.77 lakh people did recover, but looking at the crowds in Delhi’s busy markets, one can easily assume that the number of Covid cases is going to skyrocket in the next few weeks.
Already there is critical shortage of ICU beds for Covid patients in Delhi hospitals, and Delhi government has moved the Supreme Court to vacate the High Court order staying its decision to reserve 80 per cent ICU beds in 33 big private hospitals. There are 168 registered private hospitals in the capital, and Delhi government is in dire need of ICU beds to treat Covid patients.
India TV reporters on Friday visited Jhaveri Bazar and Dadar markets in Mumbai, where similar crowds of Diwali shoppers were noticed. Mumbai has recorded more than 2.60 lakh Covid cases till now, more than 10,000 people died due to the pandemic and yet the crowds in markets are least concerned about social distancing. Many of the shoppers India TV reporters spoke to, sheepishly admitted that they had forgotten to wear masks.
Crowds were also noticed on Friday in the busy markets of Ahmedabad, where more than 3,700 people have died of Covid till now. More than 1.75 lakh Covid cases have been detected in Ahmedabad till date, but people are taking grave risks to their lives by visiting these crowded markets.
In a different scenario in Jaipur, more than 17 lakh youths are to appear in exams for more than 5,000 police constable posts across Rajasthan. Since no bus arrangements were made to carry the candidates to 32 exam centres, huge crowds of youths descended on the bus stations in Jaipur, Ajmer, Kota and Alwar to catch buses. Social distancing was given a miss.
I have spoken to several experts on this issue. They attributed the rise in Covid cases in Delhi due to one major reason – “Corona fatigue”. People have become tired staying inside their homes for the last seven months, and they need a change. Secondly, many of the people roaming in public places do not wear masks, they simply hang the masks around their necks, which amounts to nothing.
The urge to buy before Diwali is there, but this appears only to be an excuse to get out of homes and loiter in public places. Several people are under the false notion that the Covid virus has now “weakened”. Many of them are under the impression that if they fall ill due to Covid, they would recover within four of five days. But they forget the basic fact that once they are infected with the virus, they would be unwittingly becoming “super spreaders” of the virus, infecting more and more people.
Most of the people who are old, infirm and suffering from lung and heart ailments, will face critical situation once they are infected by the virus. Moreover, people from UP, Bihar, Haryana, Rajasthan and other states visit Delhi in large numbers, unchecked, and many of them could be carriers of the virus. They would be unknowingly carrying the virus to their respective states too.
There is no gainsaying the fact that Covid virus is life threatening. The spread of the pandemic has not yet eased. No medicine has yet been invented to treat Covid. The vaccine is still several months away. The only method to protect oneself is to remain careful.
If people stop wearing masks and ignore social distancing in public places, the pandemic is sure to spread and there is no point in blaming the government. Such attitudes of crass negligence will surely harm people and their families, and the society at large.
People must understand that governments do not like to enforce unnecessary restrictions on movement, nobody wants another severe lockdown, but one must know that governments in the UK, France, Germany and several European countries have been forced to impose lockdown due to surge in Covid cases. In UK, lockdown has been imposed for a month, just ahead of Christmas and New Year festivities. The reason: people in these countries had been ignoring Covid protocol by refusing to wear masks and maintain social distancing.
I appeal to all of you with folded hands: please take care, be safe, stay at home, always wear masks in public places and maintain social distancing. Till the time most of the people are not vaccinated, every person has to take care, try to stay at home and avoid crowded places.
विश्व शांति और सुरक्षा के हित में नहीं है राजनीतिक रूप से अस्थिर अमेरिका
पूरी दुनिया की नजर इस समय अमेरिका के राष्ट्रपति पद के 2 दावेदारों, डोनाल्ड ट्रंप और जो बाइडेन के के बीच हो रही कांटे की टक्कर पर है। इस मुकाबले में बाइडेन का पलड़ा ट्रंप के मुकाबले भारी नजर आ रहा है। डेमोक्रेटिक कैंडिडेट जो बाइडेन ने अब तक 264 इलेक्टोरल कॉलेज सीटें जीती हैं, और 270 के जादुई आंकड़े तक पहुंचने के लिए उन्हें सिर्फ 6 और सीटों की जरूरत है। वहीं, राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के खाते में अब तक 214 इलेक्टोरल कॉलेज सीटें ही आई हैं। अमेरिका के लोग पिछले 3 दिनों से राष्ट्रपति चुनाव के अंतिम नतीजों का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं, जो कि अब मेल-इन बैलट्स की गिनती को लेकर विवादों में घिर गया है।
ट्रंप और बाइडेन के बीच लड़ाई इतनी करीबी हो गई है कि अधिकांश अमेरिकी मीडिया नेटवर्क्स आखिरी वोट गिने जाने तक किसी को विजेता घोषित करने से बच रहे हैं। अंतिम परिणाम 4 प्रमुख राज्यों- जॉर्जिया, नेवाडा, पेंसिल्वेनिया और उत्तरी कैरोलिना से अपेक्षित हैं। नेवाडा को छोड़कर बाकी के 3 राज्यों में ट्रंप थोड़ा आगे हैं, लेकिन किसी भी एक राज्य में जीत हासिल कर बाइडेन बहुमत के आंकड़े को पा लेंगे। जो बाइडेन ने कुल वोटों का 50.5 प्रतिशत हासिल किया है, जबकि ट्रंप को 47.9 प्रतिशत वोट मिले हैं, लेकिन अमेरिका के राष्ट्रपति चुनावों में इन वोटों का कोई विशेष महत्व नहीं होता है, बल्कि इलेक्टोरल कॉलेज की सीटें महत्वपूर्ण हैं। पिछले 24 घंटों में बाइडेन ने एरिजोना, मिशिगन, विस्कॉन्सिन और न्यू हैम्पशायर जैसे प्रमुख राज्यों में जीत दर्ज की है, जबकि राष्ट्रपति ट्रंप ने फ्लोरिडा, टेक्सास, आयोवा और ओहायो में जीत हासिल की है।
गुरुवार को ट्रंप ने अपना डेमोक्रेट्स पर एक बार फिर चुनावों में गड़बड़ी करने का आरोप लगाया। उन्होंने दावा किया कि यदि ‘वैध मतों की गिनती की गई तो वही जीतेंगे।’ ट्रंप ने आरोप लगाया कि वोटों की गिनती सही तरीके से नहीं की जा रही है। ट्रम्प ने दावा किया, ‘अगर आप लीगल वोट गिनें तो मैं आसानी से जीत रहा हूं। लेकिन अगर आप अवैध (मेल इन बैलट्स) वोट गिनेंगे तो वे (डेमोक्रेट) इसके जरिए हमसे जीत छीनने की कोशिश कर सकते हैं।’ ट्रंप ने साफ संकेत दिया कि अंतिम नतीजे सुप्रीम कोर्ट से ही आएंगे। ट्रंप ने ट्वीट किया, ‘मैं आसानी से अमेरिका के राष्ट्रपति पद का चुनाव जीत जाता अगर केवल कानूनी वोटों को ही डालने की अनुमति दी गई होती। पर्यवेक्षकों को किसी भी तरह से और किसी भी जरिए से अपना काम करने की अनुमति नहीं दी गई और इसलिए जिन लोगों के वोट इस अवधि में स्वीकार किए गए उन्हें निश्चित रूप से अवैध माना जाना चाहिए। अमेरिका के सुप्रीम कोर्ट को इसका फैसला करना चाहिए।’
इससे पहले जो बाइडेन ने अपने समर्थकों से ‘विश्वास बनाए रखने’ के लिए कहा था। उन्होंने कहा, ‘कोई भी हमारे लोकतंत्र को हमसे छीनने नहीं जा रहा है। अभी नहीं और कभी नहीं। लोगों को न तो चुप कराया जाएगा और न ही डराया-धमकाया जाएगा। हर वोट की गिनती होनी ही चाहिए।’ बाइडेन और ट्रंप के समर्थक अमेरिका की सड़कों पर उतर गए हैं। पूरा अमेरिका में साफ तौर पर दो धड़ों में बंटा हुआ दिखाई दे रहा है। ट्रंप के समर्थकों ने मिशिगन, जॉर्जिया और पेंसिल्वेनिया के नतीजों को चुनौती दी है, जबकि कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि गिनती की प्रक्रिया पूरी होने में थोड़ा वक्त लग सकता है। हालांकि ट्रंप और उनके समर्थक इंतजार करने के मूड में नहीं लग रहे हैं।
न्यूयॉर्क में बाइडेन के हजारों समर्थक सारे वोटों की गिनती की मांग करते हुए सड़कों पर उतर गए और जबर्दस्त विरोध प्रदर्शन किया। फिफ्थ एवेन्यू में इन समर्थकों ने जमकर ट्रंप विरोधी नारे लगाए। कुछ समर्थकों ने तो टायर, प्लाईबोर्ड और बैनर में आग लगाने की भी कोशिश की, लेकिन सुरक्षाबलों उन्हें ऐसा करने से रोक दिया। पोर्टलैंड में हिंसा भड़क गई और ओरेगन के गवर्नर को हालात काबू में करने के लिए नेशनल गार्ड्स को फोन करना पड़ा। ट्रंप और बाइडेन के समर्थकों में कई जगहों पर झड़प हुई और तमाम दुकानों को आग के हवाले कर दिया गया। ब्लैक लाइव्स मैटर के समर्थक सिएटल में सड़कों पर उतर गए और ट्रंप विरोधी नारे लगाए।
सारी तस्वीर को देखकर ऐसा लग रहा है कि ट्रंप और उनके समर्थकों द्वारा कानूनी अड़चनें लगाए जाने के बावजूद बाइडेन राष्ट्रपति चुनाव जीतने की राह पर हैं। हालांकि बाइडेन भले ही चुनाव जीत जाएं, अमेरिका की सड़कों पर दोनों विरोधी गुटों के बीच हिंसा की प्रबल संभावना है। ऐसा लग रहा है कि ‘युनाइटेड स्टेट्स ऑफ अमेरिका’ आज ‘डिवाइडेड स्टेट्स ऑफ अमेरिका’ नजर आ रहा है। यह किसी भी लिहाज से एक अच्छी बात नहीं है और अमेरिका के हालात से चिंतित दुनिया वहां के घटनाक्रम पर नजर रखे हुए है। राजनीतिक रूप से अस्थिर अमेरिका विश्व शांति और सुरक्षा के हित में नहीं है। अब मामला अमेरिका के सुप्रीम कोर्ट में जाता हुआ दिख रहा है, तो ऐसे में काउंटिंग और रीकाउंटिंग का सिलसिला लंबा चलेगा और अमेरिका में अनिश्चितता बनी रहेगी। यदि ऐसा होता है तो ये पूरी दुनिया के लिए चिंता की बात होगी।
A politically unstable America is not in the interest of world peace and security
The whole world is witnessing a photo-finish contest between the two US presidential contenders – Donald Trump and Joe Biden – with chances of scales tilting in Biden’s favour. Till now, Democratic candidate Joe Biden has won 264 electoral college seats, requiring six more to touch the magical mark of 270. President Donald Trump has won 214 electoral college seats till now. For the last three days, the people of America have been eagerly waiting for the final result of the Presidential election, which has now been bogged in disputes over counting of mail-in ballots.
The fight is now so close that most of the US media networks are holding back from projecting the clear winner until the last votes are tallied. The final results are expected from four key states – Georgia, Nevada, Pennsylvania and North Carolina. Except Nevada, Trump is marginally ahead in the remaining three states, but a win in any one of the state will help Biden touch the winning mark.
Till now, Joe Biden has garnered 50.5 per cent of the total votes, while Trump has got 47.9 per cent of votes, but votes do not count much in the Presidential sweepstakes. Electoral college seats count. In the last 24 hours, Biden has won the key states of Arizona, Michigan, Wisconsin and New Hampshire, while President Trump has won the states of Florida, Texas, Iowa and Ohio.
On Thursday, Trump reiterated his allegation that Democrats were “trying to steal” the election. He claimed that he would win if “legal votes were counted”. Trump alleged that the ballot counting process was unfair and corrupt.
Trump claimed: “If you count the legal vote, I easily win. If you count the illegal votes, they can try to steal the election from us”. Trump gave a clear hint that the final result will come from “the highest court of the land” (Supreme Court).
Trump tweeted: “I easily WIN the Presidency of the United States WITH LEGAL VOTES CAST. The OBSERVERS were not allowed, in any way, shape or form, to do their job, and therefore, votes accepted during this period must be determined to be ILLEGAL VOTES. U.S. Supreme Court should decide!”
Earlier in the day, Joe Biden told his supporters to “keep the faith”. He said, “no one is going to take our democracy away from us. Not now, not ever…..The people will not be silenced, be bullied or surrender. Every vote must be counted.”
Supporters of Biden and Trump are already out on the streets of America. There seems to be a clear divide that is cutting across the nation. Trump’s supporters have challenged the results from Michigan, Georgia and Pennsylvania. While legal experts say that the counting process normal takes a long time to complete, Trump and his supporters appear to be impatient.
In New York, thousands of supporters of Biden took to the streets to stage protest demanding counting of all votes. At Fifth Avenue, these supporters chanted anti-Trump slogans. Some of the supporters tried to set tyres, plyboard and banners on fire, but were prevented by security forces. In Portland, violence erupted and the Governor of Oregon had to call in National Guards to control the situation. Shops were set on fire and there were clashes between supporters of Trump and Biden. In Seattle, Black Lives Matter supporters came out on the streets and chanted anti-Trump slogans.
Looking at the overall picture, it appears that Biden is set to win the presidential election, despite legal hurdles being set up by Trump and his supporters. Even if Biden wins the election, there is clear possibility of violence taking place on the streets between rival groups.
The United States of America today appears to have become the Divided States of America. This is not a welcome proposition on any count, even as a worried world keeps a close watch on the developments. A politically unstable USA is not in the interest of world peace and security. With the matter reaching the US Supreme Court, it seems that uncertainties will persist and this does not augur well for the rest of the world.
इस्लामी आतंक के खिलाफ मिलकर कार्रवाई करें दुनिया के देश
फ्रांस में निर्दोष लोगों पर इस्लामिक कट्टरपंथियों द्वारा किए गए निर्मम आतंकी हमलों के कुछ ही घंटों बाद ऑस्ट्रिया की राजधानी वियना से भी कुछ ऐसी ही खबरें सामने आईं। खुद को कुख्यात आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट का हमदर्द बताने वाले मैसिडोनिया निवासी एक कट्टरपंथी ने सोमवार की शाम वियना में एक सिनेगॉग (यहूदियों की इबादतगाह) के पास लोगों पर हमला किया।
कुत्जिम फेजुलाई नाम के एक 20 वर्षीय युवक ने, जिसने कुछ वक्त जेल में भी गुजारा था, अपनी कलाशनिकोव राइफल से वियना के एक व्यस्त इलाके में अंधाधुंध फायरिंग करके 4 लोगों को मौत की नींद सुला दिया। इसके बाद सुरक्षा कर्मियों ने तुरंत ऐक्शन लेते हुए फेजुलाई को मार गिराया। मंगलवार को इस्लामिक स्टेट ने अपनी न्यूज एजेंसी अमाक के जरिए इन आतंकी हमलों की जिम्मेदारी ली और फेजुलाई को अबू दग्नाह अल-अल्बानी का नाम दिया। इस्लामिक स्टेट ने हमलावर को ‘खिलाफत का एक सिपाही’ करार दिया।
ऑस्ट्रिया के चांसलर सेबेस्टियन कुर्ज ने इसे ‘राजनीतिक इस्लाम’ का नाम देते हुए यूरोपियन यूनियन से इससे निपटने के लिए संयुक्त तौर पर कार्रवाई करने की मांग की है। उन्होंने कहा कि यह कट्टरपंथी इस्लामिक विचारधारा यूरोपीय जीवन पद्धति के मॉडल के लिए एक खतरे के रूप में सामने आई है। पड़ोसी देश स्विट्जरलैंड की पुलिस ने इस हमले के सिलसिले में 2 लोगों को पकड़ा है।
अपने शो ‘आज की बात’ में हमने दिखाया था कि कैसे आतंकवादी ने पहले 2 व्यक्तियों पर गोलियां बरसाईं। इसी बीच उनमें से एक शख्स मदद के लिए रोते हुए जमीन पर लेट गया, लेकिन फिर भी आतंकी का दिल नहीं पसीजा। वह वापस आया और बेरहमी से उसके जिस्म में गोलियां उतार दीं। इस निर्मम हत्या की जितनी निंदा की जाए कम है। इस आतंकी हमले में एक वेट्रेस, एक युवा राहगीर, एक महिला और एक बुजर्ग शख्स, कुल 4 मासूम लोग मारे गए।
इस आतंकी हमले के विजुअल्स देखकर 12 साल पहले 26/11 को हुए मुंबई आतंकवादी हमलों की भयावह यादें ताजा हो गईं। उस दिन पाकिस्तानी आतंकवादियों ने भारत की वित्तीय राजधानी में भारी तबाही मचाई थी। वियना को दुनिया की ‘म्यूजिक कैपिटल’ के रूप में जाना जाता है। यहां के नागरिक शांति प्रिय माने जाते हैं और इस शांत शहर में इसके पहले शायद की कभी कोई आतंकी हमला हुआ हो। किसी भी ऑस्ट्रियाई को ऐसे आतंकी हमले का कभी सपने में भी गुमान नहीं हुआ होगा। मैं कई बार वियना गया हूं और यहां के मिलनसार लोगों को देखकर मुझे हमेशा अच्छा लगा है। वियना हमेशा इस बात पर गर्व करता रहा है कि वह अपने नागरिकों को शानदार जीवन स्तर देने के मामले में दुनिया के सबसे अच्छे शहरों में से एक है।
ऑस्ट्रियाई सुरक्षा बलों ने अब तक वियना और उसके आसपास की 18 जगहों पर छापा मारा है और इन हमलों के सिलसिले में कुल 14 लोगों को हिरासत में लिया है। पुलिस को अभी भी बंदूकधारी के संभावित साथियों की तलाश है। पुलिस ने कहा कि आतंकी ने एक फेक टेररिस्ट बेल्ट पहना था और उसने अपने कंप्यूटर एक तस्वीर पोस्ट की थी जिसमें वह एक ऑटोमैटिक राइफल और खंजर लिए हुए था। तस्वीर में नजर आए इन हथियारों का इस्तेमाल हमले के दौरान किया गया था।
ऑस्ट्रिया लिविंग स्टैंडर्ड के मामले में दुनिया के 20 सबसे अच्छे देशों में शामिल है। यह प्रति व्यक्ति आय के मामले में दुनिया में सबसे आगे रहने वाले मुल्कों में है। कूटनीतिक संबंधों पर विएना कन्वेंशन, जिसे 1961 में हस्ताक्षरित किया गया था, सभी सदस्य देशों के राजनयिकों को प्रतिरक्षा प्रदान करता है। जिस मुल्क का नाम दुनिया भर में ह्यूमन राइट्स के मामले में लिया जाता है, अब उस देश में इस्लामिक आतंकवाद ने दस्तक दी है। इस आतंकी हमले को लेकर पूरी दुनिया में नाराजगी है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने ट्वीट में हमले की निंदा करते हुए कहा, ‘वियना में कायराना आतंकी हमले से स्तब्ध और दुखी हूं। इस घड़ी में भारत, ऑस्ट्रिया के साथ खड़ा है। मेरी संवेदनाएं पीड़ितों और उनके परिजनों के साथ हैं।’
फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन ने कहा कि उनका देश ‘ऑस्ट्रिया के लोगों के सदमे और दुःख को साझा करता है, यह हमारा यूरोप है। हमारे दुश्मनों को पता होना चाहिए कि वे किसके साथ डील कर रहे हैं। हम हार नहीं मानेंगे।’ सोमवार को अफ्रीका के माली में फ्रांसीसी वायु सेना के मिराज लड़ाकू विमानों ने हवाई हमलों में अलकायदा के 50 से ज्यादा आतंकी मार गिराए। बुर्किना फासो और नाइजर की सरहद पर फ्रांसीसी मिसाइलों ने मोटरसाइकिलों के काफिले में जा रहे इन जिहादियों पर हमला किया था।
फ्रांस ने पिछले एक सप्ताह में कई इस्लामी आतंकी हमलों का सामना किया है। इन हमलों में 2 लोगों की बेरहमी से सिर कलम करने की घटनाएं भी शामिल हैं। फ्रांसीसी सरकार इस्लामी आतंक को इसके सभी रूपों में कुचलने का संकल्प कर चुकी है, और सुदूर माली में हम इसकी बानगी देख भी चुके हैं।
यह देखकर अच्छा लग रहा है कि दुनिया के नेता अब इस्लामिक आतंक को विश्व शांति के लिए गंभीर खतरा मान रहे हैं। फ्रांसीसी सेना द्वारा किए गए हवाई हमले पाकिस्तान के बालाकोट में भारतीय वायुसेना के हवाई हमलों की याद दिलाते हैं। इन हमलों में भारतीय वायुसेना ने आतंकी ठिकानों को तबाह कर दिया था। इसका श्रेय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जाता है, जिन्होंने कश्मीर में पाकिस्तान प्रशिक्षित आतंकवादियों का सफाया करने के लिए पहले नियंत्रण रेखा के पार सर्जिकल स्ट्राइक का आदेश दिया और फिर पुलवामा आतंकी हमले के बाद एयरस्ट्राइक का आदेश दिया। अब वक्त आ गया है कि दुनिया के नेता इस्लामी जिहादी आतंकवाद के खात्मे के लिए हाथ मिला लें।
World must unite to fight Islamic terror
Even as Islamic bigots were carrying out dastardly terror attacks on innocent people in France, another bigot from Macedonia, claiming himself to be an Islamic State sympathizer, attacked people near a synagogue in Vienna, the Austrian capital on Monday evening.
Twenty-year-old Kujtim Fejzulai , who had spent time in prison, opened fire from his Kalashnikov rifle in a busy area of Vienna, killing four innocent persons before he was shot by security forces. On Tuesday, the Islamic State news agency Amaq claimed responsibility for the terror attack and named him Abu Dagnah Al-Albany. The IS described him as a “soldier of the Caliphate.”
The Chancellor of Austria Sebastian Kurz has called on the European Union to prepare a joint response to tackle what he called ‘political Islam’. He said, this radical Islamic ideology represented a danger to the model of the European way of life. Neighbouring Switzerland police has picked up two persons in connection with this attack.
In my show ‘Aaj Ki Baat’, we showed how the terrorist first fired at two persons, and even as one of them lay on the ground crying for help, the terrorist came back and shot him in cold blood. This gruesome murder is condemnable. Those four innocents killed included a waitress, a young passerby and an old man and woman.
Visuals of this terror attack have made us recall the horrors of 26/11 Mumbai terror attacks 12 years ago, when Pakistani terrorists caused mayhem in India’s financial capital. Vienna is famous as the music capital of the world, its citizens are peace loving and there has rarely been any terror attack in this quiet city. No Austrian could ever dream of such a horrendous attack by a terrorist. I have been to Vienna several times and had marveled at the way of life of its peaceful citizens. Vienna prides on having the best quality of life among the world’s top cities.
Till now, Austrian security forces have raided 18 locations in and around Vienna and have detained 14 persons in connection with this carnage. Police are looking for possible accomplices of the gunman. Police said, the terrorist was wearing a fake terrorist belt, and on his computer, he had posted his photograph carrying an automatic rifle and a machete, that were used during the attack.
Austria is among the twenty top countries of the world where the standard of living is very high, in terms of per capita income. The Vienna Convention on Diplomatic Relations, signed in 1961, provides immunity to diplomats in all member countries. Austria is one of the cradles of universal human rights and now Islamic terrorism has struck in that country. This terror attack has caused worldwide outrage.
Prime Minister Narendra Modi condemned the attack in his tweet: “Deeply shocked and saddened by the dastardly terror attacks in Vienna. India stands with Austria during this tragic time. My thoughts are with the victims and their families.”
The French President Emmanuel Macron has said, his country “shares the shock and grief of the Austrian people…This is our Europe. Our enemies must know who they are dealing with. We will not give up.” On Monday, French air force Mirage jet fighters in Mali, Africa, carried out air strikes killing more than 50 Al Qaeda terrorists. The jihadis were going in a motorbike convoy when they were attacked by French missiles on the border of Burkina Faso and Niger.
France has faced several Islamic terror attacks in the last one week, including the brutal beheadings of two persons. The French government is now determined to crush Islamic terror in all its forms, and it has struck in faraway Mali.
It is heartening to find that world leaders have now accepted Islamic terror as a grave threat to world peace. The air strikes by the French army is reminiscent of Indian air force’s air strike in Balakot, Pakistan, where terror hideouts were wiped out. The credit goes to Prime Minister Narendra Modi, who first ordered surgical strikes across the Line of Control to wipe out Pakistan trained terrorists in Kashmir, and then ordered the air strike after the Pulwama terror attack. It’s time that world leaders joined hands to stamp out Islamic jihadi terrorism.
पाकिस्तान का दोहरा चरित्र: हिंदुओं और मंदिरों पर हमले
कराची के भीमपुरा इलाके में रविवार रात मुस्लिम कट्टरपंथियों की भीड़ ने शीतल मंदिर पर हमला कर दिया और तोड़फोड़ की। भीड़ में शामिल लोगों ने भगवान शिव और गणेश की मूर्तियां खंडित कर दी। देखते ही देखते कुछ मिनटों के भीतर पूरा पूजा स्थल मलबे में तब्दील हो गया। मंदिर में तोड़फोड़ पूरी साजिश के तहत की गई। भीड़ ने पहले इसी इलाके में फ्रांस में हुई घटना के विरोध में प्रदर्शन किया, इसके बाद कुछ लोगों ने एक हिन्दू बच्चे पर ईशनिंदा का आरोप लगा दिया और भीड़ को उकसाया। थोड़ी ही देर के बाद तोड़फोड़ शुरू हो गई। भीड़ ने इस प्राचीन मंदिर पर हमला बोल दिया। मूर्तियों को खंडित कर बाहर फेंक दिया। बाद में पता चला कि ईशनिंदा जैसी कोई बात नहीं है। कुछ लोगों ने झूठी अफवाह फैलाई थी।
जब बात फैली तो कराची में रहने वाले हिंदू भी इकट्ठे हुए और प्राचीन मंदिर में तोड़फोड़ के विरोध में ल्यारी इलाके में पहुंच कर प्रशासन और पुलिस से सुरक्षा की मांग की। लेकिन उसी वक्त वहां कुछ गुंडे पहुंच गए और पुलिस की मौजूदगी में प्रदर्शनकारियों को धमकाने लगे। गंभीर नतीजे भुगतने की धमकी देने लगे।
पाकिस्तान में हिन्दुओं पर जुल्म और मंदिरों को तोड़ने की ये अकेली घटना नहीं है। पिछले 20 दिनों में मंदिर तोड़े जाने की ये तीसरी घटना है। इससे पहले पाकिस्तान के सिंध प्रांत में दो मंदिरों को तोड़ा गया। यहां भी वही हुआ जो पाकिस्तान में मंदिरों पर हर हमले के वक्त होता है। कुछ लोग आए और इस्लाम की तौहीन का इल्जाम लगाया, भीड़ जुटाई और मंदिर पर हमला कर दिया। सिंध में भी भीड़ ने मंदिर में रखी मूर्तियों को तोड़ दिया। मंदिर को भी नुकसान पहुंचाया गया। हिंदुओं की शिकायत के बाद पुलिस ने इस मामले में एफआईआर दर्ज की है और जांच की बात कह रही है। लेकिन किसी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई है। इसके अलावा सिंध प्रांत के थारपारकर जिले में भी मंदिर में तोड़फोड़ की गई थी। कट्टरपंथियों ने मंदिर में रखी दुर्गा माता की मूर्ति को खंडित कर दिया था। लेकिन अभी तक किसी मामले में पुलिस ने कोई एक्शन नहीं लिया है।
पाकिस्तान सरकार अपने यहां अल्पसंख्यकों की रक्षा कर पाने में बुरी तरह नाकाम रही है। यहां के राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग में सदस्य के तौर पर एक भी अल्पसंख्यक नहीं है। पाकिस्तान में हिंदू, सिख, शिया, अहमदिया और ईसाई अल्पसंख्यक डरे हुए हैं। पुलिस की तरफ से भी उन्हे सुरक्षा मुहैया नहीं कराई जा रही है। पिछले एक साल में सिखों, हिंदुओं और ईसाइयों के जबरन धर्म परिवर्तन, हिंदू लड़कियों का अपहरण और जबरन शादी, धार्मिक स्थलों पर हमले के कई मामले सामने आए हैं। देश के बंटवारे के समय सिंध प्रांत में 428 हिंदू मंदिर थे। पाकिस्तानी मानवाधिकार कार्यकर्ताओं का कहना है कि यह संख्या अब घटकर केवल 20 रह गई है।
इसी साल अगस्त महीने में कराची के ल्यारी इलाके में एक निर्माण स्थल पर पाकिस्तान के एक बिल्डर ने 1947 से पहले के एक पुराने हनुमान मंदिर को खुलेआम ध्वस्त कर दिया। बिल्डर ने कोरोना की वजह से देशव्यापी लॉकडाउन का फायदा उठाते हुए यह दावा किया कि चूंकि इस मंदिर में कोई श्रद्धालु नहीं आता था इसलिए उसने मंदिर ध्वस्त करने का फैसला किया। वहीं जुलाई में इस्लामाबाद में धार्मिक कट्टरपंथियों ने निर्माणाधीन श्री कृष्ण मंदिर की चारदीवारी को ढहा दिया। उनका कहना था कि इस्लामिक देश की राजधानी में मंदिर के निर्माण की क्या ज़रूरत है।
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान पूरी दुनिया में शोर मचा कर कहते फिरते हैं कि भारत में मुसलमानों के साथ बुरा सलूक होता है। इमरान अपने देश में अल्पसंख्यकों को संरक्षण देने का दावा करते हैं। इमरान कहते हैं कि वे दुनिया में अमन के चीयर लीडर बनेंगे। दुनिया को दिखाएंगे कि कैसे पाकिस्तान में सभी मजहबों के लोगों का सम्मान होता है। सभी को अपने मजहब के हिसाब से जीने की पूरी आजादी है। लेकिन इमरान खान की बातें झूठी साबित हुई। सिंध में हाल ही में भील और मेघवाल समुदायों के हिन्दुओं के घरों को भीड़ ने जला दिया। सिंध में सितंबर महीने में भील समुदाय के 171 हिंदुओं का जबरन धर्म परिवर्तन किया गया। उन्हें इस्लाम अपनाने के लिए मजबूर कर दिया गया।
पाकिस्तान में हिन्दू, सिख और ईसाई लड़कियों का अपहरण किया जाता है और उनसे जबरन इस्लाम कबूल करवा कर किसी मुस्लिम शख्स से उनकी शादी करा दी जाती है। मैं इस तरह के धार्मिक उत्पीड़न की ताजा घटना के बारे में बताता हूं। पिछले दिनों 13 साल की ईसाई बच्ची को अगवा कर लिया गया। माता-पिता पुलिस के पास गए लेकिन कुछ नहीं हुआ। फिर इन लोगों ने अदालत का दरवाजा खटखटाया। अदालत में सुनवाई हुई तो कोर्ट में बच्ची का वीडियो दिखाया गया। बताया गया कि लड़की ने अपनी मर्जी से इस्लाम कबूल कर लिया है और लड़की अब अपने शौहर के साथ है। अदालत ने बच्ची को माता-पिता के हाथों में सौंपने के बजाए उसे 44 साल के उस शख्स के हवाले करने का आदेश दिया जिसके साथ उसकी शादी का दावा किया गया। किसी माता-पिता पर इससे बड़ा जुल्म क्या हो सकता है? एक 13 साल की बच्ची के साथ इससे ज्यादा नाइंसाफी क्या हो सकती है? लेकिन इमरान खान इस पर कुछ नहीं बोलेंगे। फ्रांस में इस्लामिक आतंकवाद के खिलाफ हो रहे एक्शन पर बहुत उन्हें एतराज है और वो उसकी पुरजोर निन्दा करने की बात कहते हैं।
सोचने वाली बात ये है कि फ्रांस में जो हुआ उससे हिन्दुओं का क्या लेना-देना? फ्रांस में पैगम्बर मोहम्मद साहब का कार्टून बनाने पर विवाद हो रहा है और हिंसा हो रही है। वहां हिंसा करने के वालों के खिलाफ फ्रांस की सरकार एक्शन ले रही है, इससे पाकिस्तान के मुसलमान नाराज हैं और इसका बदला पाकिस्तान में गिने-चुने बचे हिन्दुओं से लिया जा रहा है। पाकिस्तान में मंदिर तोड़े जा रहे हैं, सिखों और ईसाइयों को निशाना बनाया जा रहा है।
उधर पड़ोसी देश बांग्लादेश के कोमिला जिले के मुरादनगर के पास कुर्बानपुर गांव में कट्टरपंथियों की भीड़ ने रविवार को 10 हिंदू परिवार के घरों में तोड़फोड़ की। कट्टरपंथियों की भीड़ ने तोड़फोड़ करने के बाद घरों में आग लगा दी। हमले की वजह सुनेंगे तो हैरान रह जाएंगे। पता चला कि हमले से पहले ये अफवाह फैलाई गई कि फ्रांस में राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों की तरफ से इस्लामिक आतंकवाद के खिलाफ जो एक्शन हो रहा है उसकी तारीफ करते हुए एक बांग्लादेशी युवक ने फेसबुक पर एक पोस्ट लिखी। इस पोस्ट पर हिन्दू युवक ने कमेंट किया । ये अफवाह तेजी से फैली। भीड़ जुटी और हिन्दू बस्ती में आगजनी और तोड़फोड़ शुरू कर दी। इससे भी ज्यादा हैरानी की बात ये है कि भीड़ ने जिन लोगों के घरों पर हमला किया, जिन लोगों के घर जला दिए, पुलिस ने उन्ही लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया। दो लोगों को धार्मिक भावनाएं आहत करने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया जिसमें एक स्कूल हेडमास्टर भी शामिल है।
इस घटना को लेकर फैली नाराजगी के बाद बांग्लादेश के गृह मंत्री ने दावा किया कि आगजनी और दंगा करने के आरोप में पांच लोगों को हिरासत में लिया गया है। हालात को नियंत्रण में रखने के लिए कुर्बानपुर और आंदिकोट गांवों में पुलिस तैनात की गई है।
हाल के दिनों में बांग्लादेश में इस्लामिक कट्टरवाद तेजी से फैला है। यहां पुलिस-प्रशासन को धर्म के नाम पर आगजनी और तोड़फोड़ में लिप्त होने वालों से सख्ती से निपटना चाहिए। हालांकि हज़रत मोहम्मद साहब को लेकर फ्रांस में जो हुआ, उन्हें मानने वालों की भावनाओं को जो ठेस पहुंचायी गई वो गलत है, ऐसा नहीं होना चाहिए। ये तो इसलाम भी नहीं सिखाता कि किसी की हत्या की जाए। कोई धर्म नहीं सिखाता कि किसी इंसान की हत्या कर दूसरे धर्म के लोगों को निशाना बनाया जाए। पाकिस्तान और बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर जुल्म कर इस्लामिक जिहादी इस मुद्दे का फायदा उठाने की कोशिश कर रहे हैं। इस तरह की चालों को सफल होने से रोकना होगा। पाकिस्तान और बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर हमला करने वाले के खिलाफ पूरी दुनिया को आवाज उठानी चाहिए।
Double Faced Pakistan: Attacks on Hindus and Temples
A huge mob of Muslim bigots attacked the Sheetal temple in Bhimpura area of Karachi on Sunday night, vandalized the premises, broke idols of Hindu gods Lord Shiva and Ganesh, and within minutes turned the place of worship into a wreck. The immediate provocation: there was a rumour that a Hindu boy had committed blasphemy. An anti-France protest by Muslims was going on in the locality when this rumour spread. Soon the crowd turned its attention towards the Hindus, attacked the ancient temple, broke the idols and threw them outside. It was later found that the rumour was baseless.
When local Hindus in Karachi lodged protests and gave statements to the police, some of the vandals roughed them up in the presence of police and threatened them with dire consequences.
This was the third act of desecration of Hindu temples in Pakistan in the last 20 days. Both the earlier attacks on Hindu temples took place in Sindh province. The pattern was the same. First, some local Muslims alleged Hindus of committing blasphemy and then vandalized the temples. Though local police registered FIR, no action was taken against the vandals.
Pakistan government has terribly failed in protecting its minorities. It does not even have a minority member in its National Minority Commission. Hindu, Sikh, Shia, Ahmediya and Christian minorities in Pakistan are living in a state of fear with no protection being provided by police. In the last one year, there have been several cases of forcible conversion of Sikhs, Hindus and Christians, forcible abduction and marriage of Hindu girls, and attacks on places of worship. During Partition, there were 428 Hindu temples in Sindh province. This number has now dwindled to only 20, say Pakistani human rights activists.
In August this year, a Pakistani builder openly demolished a pre-1947 era Hanuman temple in Lyari locality of Karachi at a construction site. The builder took advantage of the nationwide lockdown due to Covid, and claimed that since no one was visiting the temple, he decided to demolish it. In Islamabad, in July, religious bigots razed the boundary wall of a Sri Krishna temple under construction. They were objecting to the construction of a temple in the capital of the Islamic state.
Pakistan Prime Minister Imran Khan, who has been shouting hoarse about treatment of Indian Muslims, had been claiming that minorities in his country are being given protection. His claim is a white lie. Recently, houses of Bheel and Meghwal communities in Sindh were set on fire by Muslim mobs. In September, 171 Hindus from Bheel community were forcibly converted into Islam in Sindh province.
Let me cite one clear case of religious persecution. A 13-year-old Christian girl was abducted by some Muslims. Her parents approached the police which turned a deaf ear. They approached the court. The defendants produced a video in court to “prove” that the girl converted to Islam of her own free will, and she has married a 44-year-old Muslim. On Tuesday, the court, instead of handing over the girl to her parents, directed that the girl should be allowed to stay with her husband who was more than thrice her age.
This is nothing but a travesty of justice. Imran Khan will never speak about such atrocities in his country, but he would surely raise his voice against what he calls “Islamophobia” in France and other European countries. The question is: why are Hindus, Sikhs and Christians in Pakistan targeted to exact revenge against whatever his happening in faraway France?
In neighbouring Bangladesh, in a shocking case of bigotry, a Muslim mob attacked the homes of 10 Hindu families in Kurbanpur village near Muradnagar in Comilla district on Sunday. The reason: a Bangladeshi man, living in France, had praised President Emmanuel Macron’s action against jihadis in his country after the brutal beheadings of two persons. Bangladesh police arrested two Hindus, including a school headmaster, on charge of liking the Facebook post of the man. They were charged of “hurting religious sentiments”. The houses of both the Hindus arrested by police were also set on fire.
After there was outrage over this incident, Bangladesh Home Minister claimed that five persons have been detained on charge of arson and rioting. Police have been deployed in Kurbanpur and Andikot villages to prevent the situation going out of control.
In recent years, Bangladesh has been witnessing spread of Islamic fundamentalism. Law enforcing agencies in the country must deal sternly with mobs that indulge in arson in the name of religion. The denigration of Prophet Mohammed by displaying his cartoon is condemnable, but this does not mean that wanton acts of beheadings and stabbings by Islamic jehadists must be supported. These are attacks on humanity which must not be condoned. All of us should be concerned over how Islamic jihadists are trying to take advantage of the issue to settle scores with minorities in Pakistan and Bangladesh. Such moves must be nipped in the bud. The world must speak out against bigots attacking minorities in Pakistan and Bangladesh.