मोदी भारत और अमेरिका के बीच मजबूत रिश्ते क्यों चाहते हैं
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को यूएस-इंडिया बिजनेस काउंसिल की तरफ से आयोजित इंडिया आइडियाज़ समिट को संबोधित किया, जहां उन्होंने अमेरिकी निवेशकों को भारत में रक्षा, बीमा, कृषि, वित्त, चिकित्सा, ऊर्जा और अंतरिक्ष जैसे क्षेत्रों में निवेश करने के लिए पुरजोर तरीके से आमंत्रित किया। उन्होंने कहा, ” अब वक्त आ गया है कि हमारे दोनों मुल्क साझेदार बन कर दुनिया को महामारी के बाद तेजी से उबरने में अहम भूमिका निभाएं ।”
मोदी ने चीन का नाम तो नहीं लिया लेकिन उनका संकेत कमोबेश उन अमेरिकी कंपनियों के लिए था जो महामारी के बाद चीन छोड़ना चाहती हैं और अपनी सप्लाई चेन को दुनिया के दूसरे देशों में शिफ्ट करने के मौके तलाश रही हैं। मोदी ने कहा, “उन्हें (अमेरिकी निवेशकों को) मैं यही कहूंगा, भारत में पूंजी लगाने का इससे बेहतर मौका पहले कभी नहीं आया। ”
मोदी ने कहा, “भारत में आपको मिलेगा – खुलापन, अवसर और विकल्पों का एक सही मिश्रण। अगर मैं विस्तार से कहूं, तो भारत की जनता खुलेपन में जीती है और यहां के शासन में भी आपको खुलापन मिलेगा। सोच में अगर खुलापन है, तो बाज़ार में भी खुलापन रहेगा.. यह ऐसा सिद्धांत हैं जिस पर भारत और अमेरिका दोनो समान विचार रखते हैं।”
पहली बार, प्रधानमंत्री अमेरिकी कंपनियों को भारत के उस कृषि क्षेत्र में निवेश करने के लिए आमंत्रित कर रहे थे, जिसे पारंपरिक रूप से स्वतंत्रता के बाद से विदेशी निवेश से दूर रखा गया है। नोदी ने कहा कि कैसे आधे अरब से ज्यादा भारतीय अब इंटरनेट से जुड़े हैं, और पहली बार गांवों में इंटरनेट यूजर्स की संख्या शहरों में इंटरनेट इस्तेमाल करने वालों से ज्यादा हो चुकी है। मोदी ने कहा, भारत ” 5जी, बिग डाटा एनालिसिस, क्वांटम कंप्यूटिंग, ब्लॉक-चेन और इंटरनेट ऑफ थिंग्स जैसी अत्याधुनिक टेक्नोलॉजी” के मौकों को तलाश रहा है।
मोदी ने बताया कि कैसे भारत ने रक्षा सामान बनाने वाली कंपनियों के लिए दो बड़े डिफेंस कॉरिडोर तैयार किए हैं और डिफेंस सेक्टर में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की सीमा को 74 प्रतिशत कर दिया है।
यह शिखर सम्मेलन ऐसे मौके पर हुआ जब भारत और अमेरिका के बीच 2 साल से लंबित विवादों को खत्म कर एक नई प्रिफरेन्शियल ट्रेड डील पर काम कर रहे हैं। इस ट्रेड डील को भारतीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने अमेरिका के वाणिज्य सचिव विल्बर रॉस से एक फोन कॉल पर सुलझा लिया था। दोनो देश एक फ्री ट्रेड एग्रीमैंट पर भी काम कर रहे हैं, लेकिन यह अमेरिकी राष्ट्रपति चुनावों के बाद ही हो सकता है।
गोयल चाहते हैं कि अमेरिका भारत से निर्यात होने वाले एल्यूमीनियम, स्टील और कृषि उत्पादों पर ड्यूटी कम करे। अमेरिका चाहता है कि भारत कृषि, मैन्युफैक्चरिंग और मेडिकल उपकरण के क्षेत्रों में अमेरिकी कंपनियों को आने की अनुमति दे। भारत, अमेरिकी और यूरोपियन कंपनियों के लिए चीन की टक्कर में एक बड़ा मैन्युफैक्चरिंग हब बनना चाहता है।
मोदी का संदेश साफ था, दुनिया अब भारत की तरफ देख रही है, न कि चीन की तरफ। दुनिया की बड़ी कंपनियां चीन को छोड़ना चाहती हैं और मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में इस गैप को भरने के लिए भारत तैयार है।
तीन दिन पहले, अमेरिकी नौसेना के विमानवाहक पोत USS Nimitz ने अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के पास भारतीय नौसेना के साथ एक नौसैनिक अभ्यास किया था। वो दिन अब चले गए, जब 1971 में भारत-पाक युद्ध के समय अमेरिका ने भारत के खिलाफ अपने वॉरशिप को बंगाल की खाड़ी में भेजा था। लेकिन इस बार जब चीन के साथ सरहद पर तनाव बढा, गलवान वैली में चीन ने हद पार करने की कोशिश की, तो अमेरिका ने हालात को देखते हुए चीन को सबक सिखाने के लिए अपना युद्धपोत अंडमान सागर में भेजा।
हाल के वर्षों में, भारत और अमेरिकी के बीच रणनीतिक साझेदारी बढ़ी है। भारत ने अपनी सैन्य ताकत बढ़ाने के लिए अमेरिका से C-130J ट्रांस्पोर्ट एयरक्राफ्ट, अपाचे और चिनूक हेलीकॉप्टर्स और अन्य हथियारों की खरीद की है। बुधवार को अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने सम्मेलन में कहा कि वे, “20 सैनिकों की शहादत (गलवान घाटी में) से दुखी हैं…. यह जरूरी है कि चीन की कम्यूनिस्ट पार्टी ने जो चुनौतियां पेश की है, उससे निपटने के लिए हमारे दोनों लोकतांत्रिक देशों को मिलकर काम करना चाहिए. …. भारत को चीनी कंपनियों पर निर्भरता त्याग कर वैश्विक सप्लाई चेन को प्रोत्साहित करना चाहिए।”
अंडमान सागर में अपना नौसैनिक विमानवाहक पोत भेजकर, अमेरिका ने चीन को यह संदेश दिया है कि, चीन के दुस्साहस को अब ज्यादा सहन नहीं किया जाएगा। भारत सरकार द्वारा चीन के 59 ऐप्स पर लगाये गए प्रतिबंध का भी अमेरिकी विदेश मंत्री ने स्वागत किया।
अमेरिकी एजेंडा साफ है – वह चीन को उसकी हांगकांग, दक्षिण चीन सागर और लद्दाख में आक्रामक नीतियों के लिए सबक सिखाना चाहता है। अमेरिका को उम्मीद है कि भारत इस मामले में एक बड़ी भूमिका निभाएगा। प्रधानमंत्री मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के बीच पहले से ही प्रगाढ़ व्यक्तिगत संबंध है। मोदी की अमेरिकी यात्रा के दौरान, ट्रम्प ने भारतीय पीएम के साथ एक लंबी अनौपचारिक चर्चा की थी। फरवरी में जब ट्रम्प भारत आए थे, तो अहमदाबाद में नमस्ते ट्रम्प की रैली में लाखों लोगों की भीड़ पहुंची थी। ट्रम्प को मोदी की कार्यशैली पसंद है, और वह कभी भी यह बताना नहीं भूलते कि भारत में उनके स्वागत के लिए लाखों लोग इकट्ठा हुए थे।
दूसरी तरफ, चीन ने पहले भारत के साथ मित्रता की भाषा में बात की और फिर लद्दाख में LAC पर अतिक्रमण करके पीठ में छुरा घोंपा। चीनी सैनिकों के साथ निहत्थे लड़ते हुए हमारे 20 जांबाज सैनिक शहीद हुए। भारत इस वीरता को कभी नहीं भूलेगा। चीन के विश्वासघात को भी भारत कभी नहीं भूलेगा। मोदी इस बात को समझते हैं, और वह चाहते हैं कि भारत और अमेरिका मिलकर चीन की चुनौती का सामना करें। चीन ने भारत के साथ अपनी सीमा के पास लगभग दो लाख सैनिकों को तैनात कर रखा है । इसी संदर्भ में अमेरिकी विदेश मंत्री ने गलवान घाटी में चीनी सैनिकों द्वारा 20 भारतीय जवानों की हत्या की निंदा की।
अमेरिका का यह दृढ़ मत है कि चीन ने जानबूझकर खतरनाक कोरोनावायरस को दुनिया भर में फैलने दिया, जिससे लाखों लोग मारे गए। वहीं भारत, अपनी ओर से, दुनिया को एक प्रभावी कोरोना वैक्सीन देने का प्रयास कर रहा है। पहली बार, अमेरिकी राष्ट्रपति ने महामारी के दौरान भारत से दवाएं मांगीं और मोदी ने तुरंत हवाई जहाज से दवाएं भेजी । संक्षेप में कहें तो महामारी के दौरान अमेरिका और भारत के बीच नजदीकियां बढ़ी हैं। भारत को उम्मीद है कि अमेरिकी पूंजी आने से भारतीय अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी और अमेरिका के साथ उसके रिश्तों में बड़ा बदलाव आएगा।
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Why Modi wants a strong friendship between India and the US
Prime Minister Narendra Modi on Wednesday addressed the India Ideas Summit hosted by US-India Business Council, where he made a strong pitch to American investors inviting them to invest in sectors like defence, insurance, agriculture, finance, health care, energy and space. “It’s time our partnership plays a key role in helping the world bounce back faster after the pandemic”, he said.
Modi did not name China, but his remarks were more or less addressed to American companies who want to leave China after the pandemic and are looking at opportunities to shift their supply chains from China to other countries. Modi said: “To them (US investors), I would say, there has never been a better time to invest in India.”
“India”, Modi said, “offers a perfect combination of openness, opportunities and options. Let me elaborate. India celebrates openness in people and in governance. Open minds make open markets… These are principles on which both India and the US agree.”
For the first time, the Indian Prime Minister was inviting US companies to invest in India’s agriculture sector, which has been traditionally kept away from foreign investment since independence. He pointed out how over half a billion Indians are now digitally connected to the internet, with rural users outpacing urban users for the first time. Modi said, India is looking at opportunities in the “frontier technologies of 5G, big data analytics, quantum computing, block-chain and internet of things”.
Modi pointed out how India has created two big defence corridors for manufacturers and has raised FDI cap on foreign investment in defence sector to 74 per cent.
The summit was held in the backdrop of a new preferential trade deal being worked out between India and the US by putting an end to two-year-old pending trade issues. This deal was worked out in a phone call between Indian Commerce Minister Piyush Goyal and US Commerce Secretary Wilbur Ross. The two countries are working towards a long-term Free Trade Agreement also, but this can take place only after the US presidential elections.
Goyal wants reduced duties on export of Indian aluminium, steel and farm products to the US. America wants India to allow US companies dealing with farm products, manufacturing sector and medical equipments to work in India. India wants to emerge as a big manufacturing hub for US and other European companies replacing China.
Modi’s message was clear: the world is now looking at India, not China. Top companies of the world want to leave China, and India is willing to fill the gap in the manufacturing sector.
Three days ago, the US Navy’s aircraft carrier USS Nimitz conducted a naval exercise with Indian Navy in the waters of Andaman and Nicobar Islands. Gone are the days of 1971 India-Pakistan war, when the US had sent its warships of the Seventh Fleet to the Bay of Bengal with the aim to attack India. This time, with Indian and Chinese armies locked in a standoff at the Line of Actual Control in Ladakh, the US has sent its warship to Andaman to convey a stern message to China.
In recent years, there has been a rise in strategic partnership between India and the US. India has bought C-130J transport aircraft, Apache and Chinook helicopters and other weapons from the US to beef up its military muscle. On Wednesday, the US Secretary of State Mike Pompeo said at the summit that he “was saddened by the death of 20 Indian soldiers (in the Galwan valley)…it is important that democracies like ours work together …when we see the challenge posed by Chinese Communist Party… India should reduce reliance on Chinese firms and attract global supply chains.”
By sending its naval aircraft carrier to Andaman and Nicobar Islands, the US has conveyed the message that China’s transgressions and adventurism will no more be tolerated. The US Secretary of State also welcomed Indian government’s step to ban 59 Chinese apps in India.
The American agenda is clear: it wants to teach a lesson to China for its aggressive policies in Hong Kong, South China Sea and Ladakh. The US expects India to play a bigger role. Prime Minister Modi and US President Donald Trump already have a personal bonding. During Modi’s US visit, Trump had a long informal discussion with the Indian PM. When Trump visited India in February, the Namaste Trump rally in Ahmedabad witnessed a turnout of lakhs of people. Trump appreciates Modi’s style of working, and he never fails to mention time and again that a million people came out to welcome him in India.
On the other hand, China first spoke the language of friendship with India, and then stabbed in the back by committing transgressions on the LAC. Twenty of our brave jawans attained martyrdom after bravely fighting Chinese soldiers with bare hands. India will never forget their acts of valour. India will also never forget the treachery committed by China. Modi understands this, and he wants India and the US to come together to face the Chinese challenge. China has amassed nearly two lakh troops near its border with India. It is in this context that the US Secretary of State has condemned killing of 20 Indian jawans by Chinese troops in Galwan valley.
The US strongly believes that it was China which deliberately allowed the dreaded Coronavirus to spread across the world killing lakhs of people. India, on its part, is trying to give the world an effective COVID vaccine. For the first time, the US President sought medicines from India during the pandemic, and Modi immediately airlifted them to the US. In a nutshell, the US and India have come closer during the pandemic. With US investments flowing in, India expects to shore up its economy and bring a sea change in its relationship with the US.
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बिहार के अस्पताल इतनी दयनीय हालत में क्यों हैं
देश में कोरोना पॉजिटिव मामलों का आंकड़ा 12 लाख (कुल 11,92,915 केस) की तरफ बढ़ रहा है । दूसरी तरफ बिहार , आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु जैसे राज्यों से कोरोना मामलों में भारी बढ़ोतरी की खबरें आने लगी हैं। मंगलवार को देशभर में 38,444 नए मामले दर्ज किए गए, 7.5 लाख रोगी ठीक होकर घर जा चुके हैं और 4.1 लाख एक्टिव मामले अभी भी हैं।
3,27,031 मामलों के साथ महाराष्ट्र सबसे आगे है, उसके बाद 1,80,643 मामलों के साथ तमिलनाडू है। 1,25,096 मामलों के साथ दिल्ली तीसरे नंबर पर है।
सबसे ज्यादा चिंता की बात यह है कि कोरोना वायरस बिहार, झारखंड, ओडिशा, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक और तमिलनाडु के ग्रामीण इलाकों में तेजी से फैल रहा है।
अकेले बिहार में ही कोरोना मामलों का आंकड़ा 28,504 तक पहुंच गया है। मंगलवार को 1109 नए मामले आए हैं और अबतक 198 लोगों की जान जा चुकी है। सबसे ज्यादा बुरा हाल राजधानी पटना का है, सिर्फ पटना में कोरोना के मरीजों की संख्या चार हजार से ज्यादा हो गई है। मुजफ्फरपुर में वायरस तेजी से फैल रहा है जहां पर मंगलवार को 177 मामले दर्ज किए गए। अन्य प्रभावित जिले भोजपुर, लखीसराय, सारण, भागलपुर और नालंदा हैं।
पटना के तीन बड़े अस्पतालों में सारे इंतजाम कम पड़ रहे हैं। सोमवार को, हमने प्राइमटाइम शो ‘आज की बात’ में सरकारी हॉस्पिटल PMCH के कोरोना सस्पेक्ट वार्ड में दो दिन से मरीजों के बीच पड़ी लाश की तस्वीरें दिखाई थी। इंडिया टीवी पर तस्वीरें दिखाए जाने के बाद शवो को तुरंत हटा दिया गया था।
मंगलवार को इसी तरह का वीडियो पटना के दूसरे बड़े सरकारी अस्पताल नालंदा मेडिकल कॉलेज (NMCH) से आया। NMCH के कोरोना वार्ड में दो दिन तक एक लाश मरीजों के बीच पड़ी रही। वीडियो में दिखा कि लाश के आसपास मरीज लेटे हैं, वार्ड में डॉक्टर या नर्स नहीं दिख रहे हैं, लेकिन मरीजों के तीमारदार जरूर दिख रहे हैं।
यह कोरोना उपचार के प्रोटोकॉल का सरासर उल्लंघन है। सिर्फ पीपीई किट पहने व्यक्ति को ही कोरोना आइसोलेशन वार्ड में जाने की अनुमति है। मरीजों के रिश्तेदारों ने डॉक्टर और नर्सों से शव को हटाने के लिए कहा क्योंकि उससे बदबू आने लगी, पर कोई सुनने वाला नहीं था। जब मरीजों ने खाना पीना बंद कर दिया तो अस्पताल प्रशासन जागा और रविवार से वहां पड़े शव को चुपचाप हटा दिया।
NMCH में भर्ती एक रिटायर्ड फौजी ने हमें कुछ वीडियो भेजे जिनसे पता चलता है कि डॉक्टर और नर्सें कभी कभार ही वॉर्ड में आते हैं। एक वीडियो में दिख रहा है कि कोरोना वॉर्ड में भर्ती एक मरीज़ को सांस लेने में दिक्कत हुई, जिसके बाद उसने नर्सिंग स्टाफ से मदद मांगी, लेकिन मदद नहीं मिली। वीडियो में मरीज़ ये कहते हुई सुनाई पड़ रहा है कि उसकी सांस बंद हो रही है, मरीज कह रहा है कि उसने नर्स को बताया था कि दिक्कत हो रही है, लेकिन नर्स ने कहा कि उनसे नहीं हो पाएगा। ऐसी स्थिति में जब मरीज की हालत बिगड़ने लगी, तो कोरोना वॉर्ड में भर्ती मरीज शंकर कुमार ने दूसरे पेशेंट को CPR दिया।
कोरोना के तेजी से बढ़ते मामलों के चलते बिहार का पूरा हेल्थ सिस्टम चरमरा गया है। NMCH में, इंडिया टीवी संवाददाता नीतीश चंद्र की मुलाकात एक ऐसे व्यक्ति से हुई जिसके पिता गंभीर थे। वह व्यक्ति अपने बीमार पिता के लिए अपने साथ ऑक्सीजन सिलेंडर लेकर पहुंचे हुए थे। उन्होंने बताया कि अस्पताल पर उन्हें बिल्कुल भरोसा नहीं है।
इंडिया टीवी संवाददाता ने जब अस्पतालों की बदइंतजामी पर बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे से बात की तो मंत्री ने कहा कि सारे आरोप झूठे हैं। उनका तर्क था कि अगर अस्पताल में इंतजाम ठीक नहीं होते तो 300 से ज्यादा मरीज कैसे ठीक होकर घर वापस जाते।
वॉर्ड में कुत्ते घूमते हों, मरीजों के बीच लाश दो-दो दिन तक पड़ी रहे, यह किसी अस्पताल में कैसे हो सकता है। कोई नर्स किसी मरीज को तड़पता हुआ कैसे छोड़ सकती है, डॉक्टर्स मरीजों के मामले में लापरवाह कैसे हो सकते हैं, यह सुनकर दुख होता है। प्रोटोकॉल के तहत संक्रमण के खतरे की वजह से मरीज की मौत के बाद भी अस्पताल रिश्तेदारों को लाश नहीं सौंप सकता। तब बड़ा सवाल उठता है, कैसे कोई अस्पताल आइसोलेसन वार्ड में कोरोना मरीज के पास रिश्तेदार को बैठने दे सकता है? और ये बात न प्रशासन को दिखती है और न डॉक्टरों को, ये चिंता की बात है।
मेंगल पांडेजी न वीडियो मानने को तैयार हैं, और न रिपोर्टर ने जो चैक किया उसको मानने को तैयार हैं। वह तो बस 300 लोग ठीक हो गए, उसई की रट लगाए हुए हैं।
अब कोई बिहार के स्वास्थ्य मंत्री से पूछे कि जो हजारों बगैर लक्षण वाले लोग बिना अस्पताल जाए, बिना दवा खाए ठीक हो गए, क्या वो भी उन्हीं की कृपा से ठीक हो गए? क्या ये बिहार के हैल्थ सिस्टम का काम था? असल में जब मंत्री गलतियों को जानने के बाद भी, हकीकत समझने के बाद भी आंखें बंद कर लें तो यही होता है जो आज बिहार में हो रहा है। मरीज वॉर्ड में पड़ी लाशों के वीडियो बनाकर हमें भेज रहे हैं, अस्पताल में डॉक्टर्स नहीं हैं, नर्सेज नहीं हैं, मरीज के रिश्तेदार उनकी तिमारदारी कर रहे हैं जो प्रोटोकोल के बिल्कुल खिलाफ है। मंगल पांडे को सोचना चाहिए कि ऐसा क्यों हो रहा है।
एक ही कारण है, लोगों को बिहार के सिस्टम पर विश्वास नहीं हैं। और अगर ऐसे मंत्री होंगें तो विश्वास होगा भी कैसे? मरीज के रिश्तेदार खुद ऑक्सीजन का सिलेंडर लेकर हॉस्पिटल पहुंच रहे हैं, ऐसा इसलिए क्योंकि लोगों को अस्पताल के इंतजामों पर यकीन नहीं है। सरकार की स्वास्थ्य सुविधाओं पर आम आदमी का भरोसा कम हुआ है। इसलिए जरूरी है कि मंगल पांडे कमियों से मुंह फेरने के बजाए इन कमियों को दूर करें तो शायद लोगों को राहत मिले।
जमीनी हकीकत ये है कि बिहार में डॉक्टरों के पास कोरोना से लड़ने के लिए मास्क, ग्लव्स और पीपीईकिट जैसी बेसिक चीजें नहीं हैं। बिहार की सरकार लोगों से खुद कोरोना टेस्ट करवाने के लिए कह रही है, लेकिन जमीनी हकीकत क्या है? टेस्टिंग के लिए लोगों की लंबी कतारें लगी हैं लेकिन टेस्ट करने के लिए कोई डॉक्टर उपलब्ध नहीं है।
लगता है कि केन्द्र सरकार को इस बात का अहसास हुआ है कि बिहार में कोरोना के खिलाफ जंग बिहार सरकार के बस की बात नहीं है। इसलिए अब केन्द्र सरकार ने सेन्ट्रल टीम को बिहार भेजकर हालत पर नजर रखने और राज्य सरकार को जरूरी मदद करने के आदेश दिए हैं। केंद्र की टीम के दौरे के तुरंत बाद NMCH के मेडिकल सुप्रिटेंडेंट को हटा दिया गया है।
Why Bihar hospitals are in such a sorry state
As the total number of COVID positive cases in India inched towards the 12 lakh mark (11,92,915 to be exact), reports are pouring in from states like Bihar, Andhra Pradesh, Tamil Nadu about a huge surge in COVID cases. On Tuesday, 38,444 new cases were reported across India. So far 7.5 lakh patients have been discharged after they recovered, while 4.1 lakh active cases are still there.
Maharashtra leads with 3,27,031 cases, followed by Tamil Nadu with 1,80,643 cases. Delhi comes third with 1,25,096 cases.
The most worrying aspect is that COVID virus is spreading fast in rural areas of Bihar, Jharkhand, Odisha, Andhra Pradesh, Telangana, Karnataka and Tamil Nadu.
The number of COVID cases has reached 28,504 in Bihar alone. On Tuesday, 1109 new cases were reported and so far 198 people have died. Patna is the worst affected where the number of COVID patients is nearly 4,000. The virus is spreading fast in Muzaffarpur, where 177 new cases were recorded on Tuesday. Bhojpur, Lakhisarai, Saran, Bhagalpur and Nalanda are the other affected districts.
The three big government hospitals in Bihar are unable to deal with the influx of COVID patients. On Monday, we had shown in our primetime show ‘Aaj Ki Baat’, visuals of bodies lying in Patna Medical College Hospital since two days. The bodies were hurriedly removed after the video was telecast on India TV.
On Tuesday, another video emerged of a dead body lying inside an isolation ward of Nalanda Medical College and Hospital, since two days. There were no nurses and doctors inside the ward, and close relatives were looking after their patients.
This is in complete contravention of COVID treatment protocol. Only persons wearing PPEs are allowed to enter COVID isolation wards. The relatives of patients requested doctors and nurses to get the body removed as it was nauseating, but to no avail. It was only when the patients refused to take their meals that the hospital administration woke up and quietly removed the body that had been lying there since Sunday.
An ex-serviceman under treatment at the NMCH sent us a video showing how doctors and nurses rarely visit their wards. In one of the wards, when nurses refused to help a patient experience difficulty in breathing, another patient Shankar Kumar lying on another bed, came over and gave CPR to the critical patient.
The health care system in Bihar appears to be collapsing. In NMCH hospital, India TV reporter Nitish Chandra met a man whose father was critical. He had brought an oxygen cylinder from the market with him. He said, he had no trust in the hospital’s facilities.
When India TV reporter spoke about the sorry state of affairs in hospitals to Bihar Health Minister Mangal Pandey, the minister said, all these complaints were baseless. His reply was: if the facilities were inadequate, how did more than 300 patients recover and return home.
I feel sad when I see videos of stray dogs moving inside hospital premises, bodies lying unattended near patients for two days and nurses and doctors refusing to treat the patients. Relatives staying near COVID patients inside wards offer a sorry sight. According to protocol, hospitals do not hand over bodies to relatives because of fear of infection. Then, the basic question arises: how can a hospital allow relatives to sit near COVID patients inside isolation wards? Neither the doctors, nor the hospital administration take notice of such a situation, and this is really worrisome.
The most comical aspect is about Bihar Health Minister Mangal Pandey. He is unwilling to admit that the visuals shown in videos are real, nor is he willing to accept the reporter’s word, who had crosschecked the visuals in the video by visiting the wards. He was only parroting a single sentence, that if situation was so bad, how did 300 patients recover and go home.
One should ask the minister whether the thousands of asymptomatic people who recovered at home without taking medicines, did so because of the “success” of his healthcare system. When ministers close their eyes from realities, the situation degenerates and this is what is happening in Bihar hospitals. Mangal Pandey should ponder: why relatives of patients are sending videos of unattended bodies, why are there no doctors and nurses, and why are the patients being looked after by relatives.
The reason is simple: the people of Bihar have no faith, no trust in the state healthcare system. How can they have trust when they have such a health minister? A son brings an oxygen cylinder to the hospital for his critical father only because he has no faith in the health system. Common people’s faith in governmental healthcare has been more or less eroded. It’s time that ministers like Mangal Pandey try to provide relief to patients instead of burying their faces in the sand like an ostrich.
The ground reality is that, doctors in Bihar do not have masks, gloves and PPE kits, which are basic necessities to combat COVID. Bihar government asks people to get themselves tested, and what is the ground reality?
There are long queues of people lined up for testing, but no doctors are available to carry out the tests. I think, reports about the sorry state of affairs in Bihar hospitals have already reached the Centre, which promptly sent a central team to keep watch and provide help. The NMCH hospital medical superintendent was changed soon after the central team’s visit.
एक भव्य राम मंदिर का निर्माण
भारतीय इतिहास में 5 अगस्त को एक ऐतिहासिक घटना होगी जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अयोध्या में राम जन्मभूमि मंदिर के लिए भूमिपूजन करेंगे। वरिष्ठ भाजपा नेता लाल कृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत तथा अमित शाह, राजनाथ सिंह, कल्याण सिंह और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को इस कार्यक्रम में बुलाया गया है।
प्रधानमंत्री मोदी मंदिर परिसर के गर्भगृह में पांच में से दो चांदी की ईंटें रखेंगे, जिसके लिए राम जन्मभूमि तीर्थक्षेत्र ट्रस्ट ने योजना तैयार की है। ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत नृत्यगोपाल दास के प्रवक्ता महंत कमल नयन दास ने बताया कि चांदी की 5 ईंटें हिंदू ज्योतिष शास्त्र के पांच मुख्य ग्रहों का प्रतीक होंगी।
राम मंदिर की भव्यता बढ़ाने के लिए डिजाइन में कुछ बदलाव किए गए हैं। मंदिर की लंबाई, चौड़ाई और ऊंचाई को बढ़ाया जाएगा। देश-विदेश से बड़ी संख्या में हिंदू भक्त भगवान राम लला का दर्शन करने आने वाले हैं, इसे ध्यान में रखते हुए पूरे मंदिर परिसर को एक विशाल क्षेत्र में फैलाया जाएगा। इसके लिए भारत के 10 मुख्य मंदिरों के बिल्डिंग प्लान का अध्ययन किया गया है और एक-एक बारीकी को समझा गया है।
इंडिया टीवी संवाददाता निर्णय कपूर ने, जिन्होंने मंदिर के नए डिजाइन को देखा है, बताया कि पहले के डिजाइन में सिर्फ दो गुंबद थे, लेकिन नए नक्शे में कुल पांच गुंबद हैं। पुराने नक्शे के मुताबिक राम मंदिर की लंबाई 310 फीट थी, चौड़ाई 160 फीट और सबसे ऊंचे शिखर की ऊंचाई 141 फीट थी। लेकिन बदले हुए प्लान के हिसाब से अब राम मंदिर की लंबाई 310 फीट से बढ़ाकर 360 फीट कर दी गई है और मंदिर की चौड़ाई 160 फीट से बढ़ाकर 235 फीट की गई है। नए प्लान के मुताबिक, मंदिर का सबसे ऊंचा शिखर गर्भ गृह के ऊपर बनेगा और उसकी ऊंचाई 141 फीट से बढ़ाकर 161 फीट कर दी गई है।
पुराने डिजाइन में तीन मंडप थे लेकिन अब उन्हें बढ़ाकर पांच कर दिया गया है। मंदिर के ढांचे में संतुलन लाने के लिए मुख्य मंडप में एक फ्लोर और जोड़ा गया है। 98 फीट ऊंचे गूढ़ मंडप के अगल-बगल 62.5 फीट ऊंचे कीर्तन मंडप और प्रार्थना मंडप बनाए जाएंगे। मुख्य मंडप के गुंबद को पहले ग्राउंड तथा पहले फ्लोर के ऊपर बनना था, लेकिन अब एक और फ्लोर जोड़ा गया है। इसलिए गूढ़ मंडप अब सेकेन्ड फ्लोर के ऊपर बनेगा, लेकिन मंडप के सेकंड फ्लोर पब्लिक की एंट्री के लिए नहीं खुलेंगे।
गूढ़ मंडप के आगे रंग मंडप होगा, इसकी ऊंचाई 76 फीट होगी। रंग मंडप ग्राउंड और पहली मंजिल पर होगा, इसके आगे यानि मंदिर की एंट्री पर 56 फीट ऊंचा नृत्य मंडप होगा, इसमें गुंबद ग्राउंड फ्लोर के ऊपर ही बना होगा।
शिखर के ग्राउंड फ्लोर पर जहां पर गर्भगृह है, वहां रामलला की मूर्ति स्थापित की जाएगी। उसके ऊपर वाले फ्लोर पर राम दरबार की मूर्तियां लगेंगी। ग्राउंड से फर्स्ट फ्लोर पर जाने के लिए सीढ़ियां होंगी, जिनकी चौड़ाई अब 6 फ़ीट से बढ़ाकर 16 फ़ीट करने की योजना है।
मंदिर की नक्काशी में कोई खास बदलाव नहीं है, क्योंकि पहले से जो पत्थर तराशे गए हैं उन सभी पत्थरों को मंदिर निर्माण में इस्तेमाल किया जाएगा। मंदिर की नींव मिट्टी की गुणवत्ता के आधार पर 60 मीटर नीचे से शुरु होगी।
मंदिर को विशाल रूप देने से पहले कई कारणों को ध्यान में रखा गया है। राम मंदिर का पुराना मॉडल गुजरात के जाने-माने आर्किटेक्ट चंद्रकांत सोमपुरा ने 1989 में तैयार किया था। 31 साल पहले जब राम मंदिर का पुराना मॉडल तैयार किया गया था तब अंदाजा ये लगाया गया था कि राम मंदिर में हर साल पांच लाख श्रद्धालु आएंगे। लेकिन अब लग रहा है कि हर साल साढ़े तीन करोड़ भक्त अयोध्या में रामलला के दर्शन करने पहुंचेंगे, यानि रोजाना एक लाख से ज्यादा श्रद्धालु राम मंदिर में आएंगे।
डिजाइन में बदलाव से पहले सोमनाथ मंदिर, तिरुपति बालाजी मंदिर, अंबाजी मंदिर, अक्षरधाम दिल्ली, काशी विश्वनाथ मंदिर, द्वारकाधीश मंदिर, जगन्नाथ पुरी, बद्रीनाथ मंदिर, अमृतसर स्वर्ण मंदिर और सांवलिया जी तीर्थ, चित्तौड़गढ़ मंदिर का अध्ययन किया गया, जिसके बाद तय किया गया कि राममंदिर के डिजायन में बदलाव जरूरी है।
राम जन्मस्थान पर मंदिर का पुनर्निर्माण 500 साल बाद होगा। सन् 1528 में मुगल बादशाह बाबर के समय मंदिर को तोड़कर बाबरी मस्जिद बनाई गई थी। भगवान विष्णु के अवतार भगवान राम के जन्मस्थान पर मंदिर के पूनर्निर्माण के लिए कई सदियों से हिंदू साधू संत संघर्ष कर रहे थे।
अब जो मंदिर बनेगा वो हजारों सालों तक रहे, भव्य रहे, इस बात को ध्यान में रखते हुए मंदिर के डिजायन में बदलाव किए गए हैं। दूसरी बात ये है कि रामभक्त चाहते हैं मंदिर की भव्यता भी ऐसी होनी चाहिए जो दुनिया देखे। अब जो डिजायन बनाया गया है वो इसी भावना को ध्यान में रखकर बनाया गया है। जो डिजायन तैयार किया गया है उसके हिसाब से मंदिर का पूरा परिसर करीब 120 एकड़ पर फैला होगा। इसके लिए सरकार को कम से कम पचास एकड़ जमीन और अधिगृहित करनी होगी।
जब मंदिर बन कर तैयार होगा तो विशालता के लिहाज से यह दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा मंदिर होगा। सबसे बड़ा मंदिर कंबोडिया में अंकुर वट का मंदिर है, इसके शिखर की ऊंचाई 213 फीट है और इसका परिसर 410 एकड़ में फैला है। विशालता के लिहाज से दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मंदिर तमिलनाडु के तिरुचिरपल्ली में बना श्रीरंगनाथ स्वामी मंदिर है, भगवान विष्णु का ये मंदिर करीब 156 एकड़ में फैला है। इसके बाद तीसरे नंबर पर अयोध्या में बनने वाला भगवान राम लला का मंदिर होगा।
मंदिर का सिर्फ आकार बदला है, भव्यता और बढ़ाई गई है। लेकिन मूल प्लान में कोई बदलाव नहीं हुआ है, मंदिर का गर्भगृह अष्टकोणीय ही होगा और यह नागर स्थापत्य शैली में ही बनेगा।
आजाद भारत के इतिहास में ऐसा दूसरी बार होगा जब इतने बड़े मंदिर का पुर्नर्निमाण होगा। स्वतंत्रता के तुरंत बाद गुजरात में सोमनाथ मंदिर का पुर्ननिर्माण किया गया था और तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद ने उसका उद्घाटन किया था।
अयोध्या में राम जन्मस्थान को लेकर अंग्रेज़ों के ज़माने से कानूनी विवाद जारी था, जिसका समापन पिछले साल 2019 में हुआ । सुप्रीम कोर्ट के उस ऐतिहासिक फैसले को पूरे देश ने स्वीकार किया, और तब जाकर राम मंदिर के पुनर्निर्माण का रास्ता प्रशस्त हुआ। हमारे मुस्लिम भाइयों ने भी राम मंदिर के पुनर्निर्माण पर सहमति जताई।
वैसे देश में अभी भी ऐसे शरारती तत्व हैं जो आस्था से जुड़े मुद्दे पर सवाल उठाकर हमारे बहु-सांस्कृतिक समाज में जहर घोलने की कोशिश कर रहे हैं। इस तरह की साजिशों का जड़ से ही खात्मा कर देना चाहिए। ऐसे तत्वों को समझना चाहिए कि भगवान राम भारतीय आस्था और संस्कृति के आधार हैं। महात्मा गांधी की समाधि पर “हे राम” शब्द लिखे हैं, 1989 में तत्कालीन प्रधान मंत्री राजीव गांधी के आदेश पर रामलला मंदिर के ताले खोले गए थे और सुप्रीम कोर्ट ने भी माना है कि भगवान राम करोड़ों भारतीयों की आस्था के प्रतीक हैं।
आइए हम सभी अयोध्या में भगवान राम के जन्मस्थान पर मंदिर के पुनर्निर्माण को एक उत्सव का रूप दें और 500 साल पहले की गई एक ऐतिहासिक भूल को ठीक करें।
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Building of a Ram temple
It will be a landmark event in Indian history when Prime Minister Narendra Modi will perform the Bhoomi Pujan (brick laying ceremony) for Ram Janmabhoomi Temple in Ayodhya on August 5. Top BJP leaders like L. K. Advani, Dr Murli Manohar Joshi, Maharashtra chief minister Uddhav Thackeray, RSS chief Mohan Bhagwat, Amit Shah, Rajnath Singh, Kalyan Singh and Bihar CM Nitish Kumar have been invited.
Prime Minister Modi will place two out of the five silver bricks at the sanctum sanctorum of the temple premises, the plan for which has been prepared by the Ram Janmabhoomi Teerthkshetra Trust. The five silver bricks will symbolize the five major planets of Hindu astrology, said Mahant Kamal Nayan Das, spokesman for Trust chief Mahant Nrityagopal Das.
The entire Ram temple plan has undergone major changes. The length, breadth and height of the temple have been increased, and the entire shrine will be spread over a vast area keeping in mind the expected huge influx of Hindu devotees from all over the world. Building plans of ten major temples in India were studied and the minutest details were gone through.
In the earlier plan, there were only two domes, but in the new plan, five domes have been featured, according to India TV correspondent Nirnay Kapoor, who has studied the new plan sketches. In the old plan, the temple was 310 feet long and 160 feet broad, and its topmost spire was 141 feet high. In the changed plan, the length has been increased to 360 feet, breadth 235 feet and the tallest spire right above the sanctum sanctorum (garbha griha) is 161 feet.
In the previous plan, there were three mandaps, which have now been increased to five. In order to bring a balance in the temple structure, a storey has been added in the main spire and the main mandap. Two more mandaps, kirtan mandap and prarthana mandap, each 62.5 feet high, will be built on either side of ‘goodh mandap’(main hall), the height of which will be 98 feet. The dome of the main mandap was first planned above the ground and first floors. Now, a second floor has been added. This second floor will not be open for devotees.
In front of the main mandap will be a ‘rang mandap, 76 feet high, which will have two floors. Near the temple entrance, will be a ‘nritya mandap’ 56 feet high whose dome will be built above the ground floor.
The idol of Ram Lala will be placed in the garbha griha (sanctum sactorum). On the floor just above the garbha griha, idols of Ram Durbar will be placed. A staircase from ground to first floor will be 16 feet wide, compared to six feet planned earlier.
There will be no major changes in the stone sculpture on the temple walls. These stones have already been sculpted and will be used for the temple. The pile foundation for the temple may be 60 meter deep.
Several reasons were factored in while increasing the layout of the temple. The older model was prepared by architect Chandrakant Sompura from Gujarat in 1989. At that time, the expectation was that five lakh devotees would visit every year, but this figure has now been hiked to 3.5 crore, which comes, on average, to more than a lakh devotees a day.
Building plans of ten impotant shrines, Somnath temple, Tirupati Balaji shrine, Ambaji temple, Delhi Akshardham, Kashi Vishwanath temple, Dwarkadheesh temple, Jagannath Puri temple, Badrinath temple, Golden Temple, Amritsar and Sanwaliya Seth Mandir, Chittorgarh, were analysed and changes were made for the upcoming Ram temple.
The Ram Janmabhoomi temple will be rebuilt after a span of nearly 500 years. In 1528, the Babri Masjid was built during Mughal emperor Babar’s rule by demolishing the temple. Hindu sadhus had been fighting for several centuries to reclaim the birthplace of Lord Ram, considered the ‘avatar’ (reincarnation) of Lord Vishnu.
The Ram Janmabhoomi temple has been planned in such a manner that it can withstand the vagaries of nature for thousands of years. Devotees of Lord Ram desire that the temple must be truly magnificent and splendid. The shrine will be spread over nearly 120 acres, and the state government may have to acquire at least 50 more acres.
Once the temple is ready, Ram Janmabhoomi shrine will be the world’s third largest temple. The largest temple is the Angkor Wat temple in Cambodia, which has a 213 feet high spire and spread over 410 acres. The Sriranganatha Swamy temple in Tiruchirapalli, Tamil Nadu, built for Lord Vishnu, is spread over 156 acres.
The sanctum sanctorum of Ayodhya Ram temple will be octagonal in shape and will be built in Nagara style of temple architecture.
This will be the second time in independent India’s history when a thousand-year-old temple will be rebuilt on such a massive scale. Soon after independence, the Somnath temple was rebuilt and inaugurated by the then President Dr Rajendra Prasad.
After a long and torturous litigation that went on from British rule till 2019, the path towards rebuilding Ram temple was cleared through a Supreme Court verdict, which was widely accepted by the people of India. Our Muslim brethren have also expressed satisfaction over the rebuilding of Ram temple.
There are however mischievous elements who are trying to inject poison in our multi-cultural society by raising questions on an issue relating to faith. Such conspiracies must be nipped in the bud. Such elements should know that Lord Ram is the cornerstone of Indian faith and culture. The samadhi of Mahatma Gandhi features the words “Hey Ram”, the locks of Ram Lala shrine were opened in 1989 on orders of the then Prime Minister Rajiv Gandhi, and even the Supreme Court has admitted that Ram symbolizes the faith of millions of Indians.
Let us all celebrate the rebuilding of Ram temple at his birthplace in Ayodhya and set right a historical wrong committed 500 years ago.
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क्यों चीन पर भरोसा नहीं किया जा सकता
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शुक्रवार को लद्दाख में LAC के पास स्टाक्ना फॉरवर्ड पोस्ट का दौरा किया, जहां पर उन्होंने पैरा कमांडो और अन्य जवानों की दमदार पैरा ड्रॉपिंग तथा अन्य सैन्य अभ्यास का जायजा लिया और बाद में पैंगोंग झील के पश्चिमी तट, जहां से लगभग 40 किलोमीटर की दूरी पर भारत और चीन के सैनिक पीछे हटने के मुद्दे पर एक दूसरे के आमने सामने हैं, पर सैनिकों को संबोधित किया।
सैनिकों को संबोधित करते हुए, रक्षा मंत्री ने कहा, “अभी तक जितनी भी बातचीत चल रही है, उससे मामला सुलझ जाना चाहिए, पर किस हद तक सुलझेगा, मैं इसकी गारंटी नहीं दे सकता। लेकिन, मैं आपको आश्वस्त करना चाहता हूं कि धरती पर कोई भी ताकत हमारी जमीन का एक इंच भी हिस्सा न तो छू सकती है और न ही उसपर कब्जा कर सकती है… यदि भारत के गौरव को ठेस पहुंचाने का कोई प्रयास किया जाता है, तो इसे सहन नहीं किया जाएगा … हम मुंहतोड़ जवाब देंगे।”
अपनी यात्रा के दौरान, राजनाथ सिंह ने अभ्यास करते हुए भारतीय सेना के टी -90 टैंक और इन्फेंट्री कॉम्बैट व्हीकल देखे। जिस वक्त राजनाथ सिंह ड्रिल को देख रहे थे, उसी दौरान 25000 फीट की ऊंचाई पर मिलिट्री ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट C 130J सुपर हरक्युलिस भी नजर आए, इसी एयरक्राफ्ट के अंदर से स्पेशल फोर्स के पैरा कमांडोज ने छलांग लगाई और फिनिश स्नाइपर राइफल और अमेरिकन एक्सफिल हाई कट बैलिस्टिक हेलमेट के साथ प्रदर्शन किया। स्नाइपर राइफल्स की मारक क्षमता 1500 मीटर है।
भारत ने लद्दाख में चुशुल से लेकर सबसे ऊंची पोस्ट, दौलत बेग ओल्डी सेक्टर तक अपने सैनिकों को तैनात किया है, हमारे 45 हजार से ज्यादा जवान इस वक्त लद्दाख की अलग अलग चौकियों पर मौजूद हैं। इनके साथ साथ हर फॉर्वर्ड लोकेशन पर BMP, इन्फेंट्री कॉम्बैट व्हीकल्स और टैंक्स भी तैनात है। BMP में एक साथ 10 जवान दुश्मन पर धावा बोलने के लिए तैयार रहते हैं, इसमें एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल और एंटी एयरक्राफ्ट गन भी लगी हुई है। टी 90 यानी भीष्म टैंक् ने भी सैनिक अभ्यास में हिस्सा लिया , हमारा भीष्म टैंक किसी भी जैविक या रासायनिक हमलों से निपटने की ताकत रखता है। 60 सेकंड के अंदर 8 गोले दाग सकता है। इस टैंक में 125 MM की तोप जो 6 किलोमीटर की दूरी तक मिसाइल लॉन्च कर सकती है। अपाचे अटैक हेलीकॉप्टर्स ने भी अभ्यास में हिस्सा लिया। इसकी ऑपरेशनल रेंज 476 किलोमीटर है। ये ऐसा हेलीकॉप्टर है जो एक मिनट में एक साथ 128 लक्ष्यों पर अचूक निशाना लगा सकता है। अभ्यास में सेना के जवानों ने मैकेनाइज्ड फॉर्मेशन के रुप में हिस्सा लिया ।
रक्षा मंत्री ने पीका मशीन गन हाथ में लेकर फोटो खिंचवाई, इस मशीन गन से हमारे पैरा कमांडो 3800 से लेकर 4000 मीटर तक फायर कर सकते हैं, यानी चार किलोमीटर तक इसकी मारक क्षमता है, और इसमें वेरियंट के हिसाब से हर मिनट में, हर साठ सेकंड में 650 से लेकर 700 से 800 राउंड तक फायर हो सकते हैं।
12000 फीट पर वॉर एक्सरसाइज देखने के बाद रक्षा मंत्री 13 हजार 500 फीट की ऊंचाई वाले लुकुंग पोस्ट पर पहुंचे। ये भारत की 45 किलोमीटर लंबी पैंगोंग लेक का शुरुआती प्वाइंट है। लुकुंग के इसी फॉरवर्ड पोस्ट पर रक्षा मंत्री को पूरी स्थिति के बारे में ब्रीफ किया गया। उन्हें संभावित टकराव वाले मुख्य स्थानों पर भारत और चीन के सैनिकों की तैनाती के बारे में जानकारी दी गई।
ये सही है कि चीन से लगातार बात चल रही है, कई इलाकों में खास तौर पर गलवान वैली में चीन की सेना पीछे हटी भी है। लेकिन अभी भी कई ऐसे इलाके हैं जहां भारत और चीन की फौज आमने सामने हैं। एक्सपर्ट्स का कहना है कि बातचीत की प्रोसेस अच्छी है लेकिन लंबी है। चीन अप्रैल वाली पोजिशन में जाए इसमें वक्त लगेगा, इसीलिए भारत के फौज की तैयारियां पूरी है, क्योंकि चीन पर भरोसा नहीं किया जा सकता है।
चीनी नेतृत्व को भारतीय सेना की ताकत के बारे में पुराने भ्रम नहीं पालना चाहिए। 1962 के युद्ध के बाद से भारत बहुत बदल गया है और हमारी सेना ज्यादा पेशेवर हो गई है।
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इस वक्त दुनिया मे चीन की स्थिति बहुत अच्छी नहीं है। सारी दुनिया चीन से कोरोना वायरस को लेकर नाराज है, ज्यादातर देश ऐसा समझते हैं कि दुनिया में कोरोना महामारी चीन की वजह से फैली है। पूर्वी और दक्षिण पूर्वी एशिया में दक्षिणी चीन सागर के मुद्दे पर चीन छोटे देशों पर धौंस जमाता है। हांगकांग में लोकतंत्र के लिए मांग और मजबूत हो रही है और चीन इस आवाज को दबाने में लगा हुआ है। ये भारत की डिप्लोमेसी की जीत है कि चीन के साथ सीमा विवाद पर रूस, अमेरिका और प्रमुख यूरोपियन देश भारत का समर्थन कर रहे हैं।
इस बात की आशंका कम ही है कि चीन ऐसे वक्त में कोई दुस्साहस करेगा, लेकिन हमारी सेनाएं अलर्ट हैं, जोश में हैं, एक बात साफ है कि भारत के जवान और फौज किसी भी स्थिति के लिए तैयार हैं।
why we can’t trust China
Defence Minister Rajnath Singh on Friday visited Stakna forward post near the Line of Actual Control in Ladakh, where he witnessed breathtaking paradropping and other military exercises by para commandos and jawans using latest sophisticated weapons, and later addressed jawans on the west bank of Pangong lake, nearly 40 km from where Indian and Chinese troops are facing a stand-off over disengagement issues.
While addressing troops, the Defence Minister said, ‘whatever talks that have happened so far, the matter should get resolved, but to what extent it would be resolved, I cannot guarantee. However, I want to assure you that no power on earth can either touch or capture even an inch of our land. ..If any attempt is made to hurt India’s pride, it will not be tolerated … We will give a befitting reply (munh-tod jawaab)”.
During his visit, Rajnath Singh watched Indian army’s T-90 tanks and Infantry Combat Vehicles carrying out exercise. Para Special Forces of the army displayed Finnish sniper rifles and American Exfil High Cut ballistic helmets after paradropping from a C-130J Super Hercules transporter aircraft at a height of 25,000 feet close to the LAC. The sniper rifles have a kill range of 1,500 metres.
India has deployed more than 45,000 troops all along eastern Ladakh, from Chushul till Daulat Beg Oldie post. Tanks, BMPs and Infantry Combat Vehicles have been positioned near every critical points. The BMPs are fitted with anti-aircraft gun and anti-tank guided missile and can carry 10 jawans inside at a time. Our T-90 Bhishma tanks can withstand attacks from biological and chemical weapons, can fire eight shells in 60 seconds from a 125 mm gun. It can also launch missiles up to a distance of six km. Apache attack choppers also took part in the exercise. These helicopters have an operational range of 476 km, and can engage 128 targets within one minute. Army jawans in mechanized formations took part in the exercise.
The Defence Minister also posed with a Pika machine gun that can be fired by para commandos up to a range of 3,800 to 4,000 meter. It can fire 650 to 800 rounds in a minute.
Rajnath Singh also visited Lukung post near Pangong lake at an altitude of 13,500 ft. This is the opening point of 45 km long Pangong lake, the focal point of tension. It was here that the minister was briefed by senior army officials about the operational preparedness. He was told about the deployment of Indian and Chinese troops at the main points of friction.
Indian and Chinese troops have, no doubt, disengaged in Galwan valley, where bloody clashes took place on June 15, but troops from both sides are yet to disengage in Depsang and Pangong lake. Experts say that the completing of disengagement process may take a long time. Since the Chinese army cannot be trusted, the Indian armed forces are in a state of full preparedness to meet any challenge.
The Chinese leadership must not harbour past illusions about the strength of the Indian armed forces. Since 1962 war, India has changed a lot and our armed forces have become highly professional.
China is in a tight spot in international affairs at this moment. Most of the countries of the world believe that the COVID-19 pandemic spread far and wide because of China. In East and South East Asia, China is acting like a bully to smaller nations over South China Sea issue. The demand for democracy in Hong Kong is gaining strength and China is trying hard to stem the rising voices of dissent. It goes to India’s credit that the US, Russia and other major European countries are supporting us over the border dispute with China.
There seems to be less possibility of the Chinese army taking recourse to any misadventure, but our armed forces are on full alert and the ‘josh’ is high. Our army is ready, come what may.
कैसे खालिस्तानी अलगाववादियों की मदद कर रहा है पाकिस्तान
हाल के दिनों में आप में से कई लोगों के पास अज्ञात नंबरों से मिशिगन, ओकलाहोमा, जॉर्जिया जैसी जगहों से कॉल आए होंगे। जिस किसी ने भी फोन उठाया तो दूसरी तरफ से एक रिकॉर्डेड मैसेज प्ले हुआ। इस मैसेज में यह कहा जाता है कि खालिस्तान पर रेफरेंडम (जनमत संग्रह) होगा। मैसेज देनेवाला यह दावा करता है कि वह सिख्स फॉर जस्टिस (Sikhs for Justice) संस्था से बोल रहा है। और फिर इस मैसेज में यह भी कहा जाता है कि 19 जुलाई को गुरुद्वारे में इसके लिए अरदास (प्रार्थना) करनी है।
सुबह से शाम तक हजारों लोगों को इस तरह के फोन कॉल्स मिले। हरियाणा और पंजाब में ऐसे फोन कॉल्स को लेकर एफआईआर भी दर्ज कराई गई। हरियाणा के कुरुक्षेत्र में तो ऐसे फोन कॉल्स के बाद एक गुरुदारे में लोगों की मीटिंग बुलानी पड़ी। लोगों को बाकायदा समझाया गया और भडकाऊ मैसेज के झांसे में ना आने की अपील की गई। लोगों से कहा गया कि वे इन मैसेज पर कोई प्रतिक्रिया न दें क्योंकि इनका उद्देश्य पंजाब में हिंसा और अलगाववाद को भड़काना है।
अब मैं आपको इसके पीछे की कहानी बताता हूं। पंजाब को भारत से अलग कराने की मुहिम चला रहे अमेरिका स्थित सिख अलगाववादी संगठन सिख्स फॉर जस्टिस ने खालिस्तान पर ‘जनमत संग्रह’ कराने का ऐलान किया है। इसके लिए सभी सिखों को 19 जुलाई को दिल्ली के गुरुद्वारा शीशगंज और गुरुद्वारा बंगला साहिब में अरदास के लिए जाने की अपील की गई है। इसके लिए बाकायदा भारत सरकार द्वारा आतंकवादी घोषित किए गए ‘सिख्स फॉर जस्टिस’ के गुरपतवंत सिंह पन्नू ने एक वीडियो जारी किया है। पन्नू इस संस्था में लीगल काउंसिल के तौर पर काम करता है।
दिल्ली में गुरुवार को जागो पार्टी के प्रमुख मंजीत सिंह जीके ने गुरपतवंत सिंह पन्नू को पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई का एजेंट बताते हुए पाकिस्तान दूतावास के बाहर अपने समर्थकों के साथ प्रदर्शन किया। मंजीत सिंह जीके ने कहा कि खालिस्तान मुद्दे को हवा देने की इस साजिश के पीछे खुफिया एजेंसी आईएसआई का हाथ है। दिल्ली पुलिस ने धारा 144 का हवाला देकर प्रदर्शनकारियों को चाणक्यपुरी थाने पर रोक दिया।
दरअसल, खालिस्तान के मुद्दे को हवा देते रहने के लिए पाकिस्तान पन्नू और एक अन्य खालिस्तानी अलगाववादी गोपाल चावला की मदद करता रहा है। गोपाल चावला मोस्ट वांटेड आतंकी और लश्कर-ए-तैयबा का चीफ हाफिज मोहम्मद सईद का करीबी है। चावला ने एक वीडियो जारी करके खालिस्तान में रेफरेंडम के लिए पन्नू के समर्थन का ऐलान किया। इतना ही नहीं, चावला ने यह भी कहा कि जो भी पन्नू के रास्ते में आएगा, उसे अंजाम तक पहुंचा दिया जाएगा।
असल में सिख्स फॉर जस्टिस का गुरपतवंत पन्नू उस लाइन पर चलता है, उस प्रोपेगेंडा को फैलाता है, जिसकी स्क्रिप्ट पाकिस्तान में लिखी जाती है। सारा गेम प्लान आईएसआई में बैठे उसके राजनीतिक आकाओं द्वारा तय किया जाता है। गुरुवार को होम मिनिस्ट्री ने बताया कि सिख अलगाववाद को बढ़ावा देनेवाली करीब 40 वेबसाइट्स ब्लॉक कर दी गई हैं। आधिकारिक सूत्रों का कहना है कि चूंकि विभिन्न जगहों से अलग-अलग अज्ञात नंबरों से फोन कॉल आ रहे हैं, रिकॉर्डेड मैसेजेस भेजे जा रहे हैं, इसलिए सबको ब्लॉक करना मुश्किल है, लेकिन जरूरत पड़ी तो इस मामले में अमेरिका से भी संपर्क किया जाएगा।
दो-तीन बातें बिल्कुल साफ हैं कि पन्नू और गोपाल चावला वो आतंकवादी हैं, जिन्हें पाकिस्तान पालता है। ये आतंकवादी पाकिस्तान के गुण गाते हैं और सिर्फ भड़काने वाले रिकॉर्डेड मैसेज ही नहीं भेजते बल्कि आईएसआई की मदद से सीमा पार से आतंकवादियों को भेजते हैं और साथ में हथियार भी भेजते हैं। ये एक बड़ी साजिश का हिस्सा हैं और पंजाब में मार-काट मचाना चाहते हैं। वहां की शांति भंग करना चाहते हैं। लेकिन पंजाब की पुलिस ने उनकी हर साजिश को नाकाम किया है और दिल्ली में होम मिनिस्ट्री भी अलर्ट है।
देश की इंटेलिजेंस एजेंसियों ने ऐसे लोगों को आइडेंटीफाई करने की कोशिश शुरू कर दी है जो यहां रहकर ऐसे लोगों को सपोर्ट करते हैं। लेकिन सबसे अच्छी बात ये है कि पन्नू और गोपाल चावला जैसे दहशतगर्दों को सिख समाज अच्छी तरह पहचानता है, उनके इरादे क्या हैं, ये हमारे सिख भाई-बहन पहचानते हैं। सबको पता है इनकी मंशा खून-खराबा फैलाने की है। इसलिए सिख समाज ने इन्हें बार-बार करारा जवाब दिया है। लेकिन सावधान रहने और दूसरों को भी अलर्ट करने की जरूरत है।
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How Pakistan is giving support to Khalistani separatists
In recent weeks, many of you might have received calls from unknown numbers from places like Michigan, Oklahoma, Georgia. Once you receive the call, you get a recorded message from someone claiming to be from an organization Sikhs for Justice, and calling for referendum for Khalistan, for which ardaas (prayer) should be performed in gurudwaras on July 19.
Thousands of people have got such calls in recent weeks and FIRs have been filed in Haryana and Punjab. In Kurukshetra, Haryana, a gurudwara had to call a meeting asking people not to respond to such messages meant to foment violence and separatism in Punjab.
Let me tell you the story behind this. A separatist organization based in the US, Sikhs for Justice, has given a call for ‘referendum’ on Khalistan for which it has asked all Sikhs to go to Gurudwara Sisganj and Gurudwara Bangla Sahib in Delhi for ‘ardaas’ (prayers) on July 19. The call has been given by a separatist Gurpatwant Singh Pannu, who works as legal counsel for this outfit. He has already been declared a terrorist by the Indian government.
On Thursday, Manjit Singh GK of Jaago Party led a demonstration outside Pakistan High Commission in Delhi alleging that Pakistani spy agency ISI was behind this conspiracy to rake up the Khalistan issue. Police stopped the demonstrators near Chanakyapuri police station.
Pakistan has been helping Pannu and another Khalistani separatist Gopal Chawla to raise the Khalistan issue. Gopal Chawla is a close associate of Lashkar-e-Taiyaba chief Hafiz Mohammed Saeed. In a video, Gopal Chawla has supported the call for referendum on Khalistan and has threatened to eliminate all those who are opposed to his idea.
Sikhs for Justice outfit, led by Pannu, follows the game plan set by its political masters in the ISI. The Home Ministry, on Thursday, revealed that it has blocked nearly 40 websites promoting Sikh separatism. Official sources said that it was difficult to keep a watch on recorded messages being sent from unknown numbers from different places, though the US authorities have been told about this.
It is a known fact that Khalistani separatists like Pannu and Gopal Chawla not only send provocative messages, but also send terrorists and weapons from across the border with direct help from Pakistan’s ISI. They are part of a greater insidious plan to create mayhem in Punjab. Both the Punjab Police and the Centre are on high alert to foil the machinations of these terrorists.
Intelligence agencies in India are also trying to identify people who are providing covert support to these separatists. The most satisfactory thing is that the Sikh community in India has openly snubbed these Khalistani separatists. One has to be on constant vigil against the machinations of these terrorists.
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प्लाज्मा डोनेशन के बहाने लोगों को लूटने वाले इन्सानियत के दुश्मन हैं
दुनिया को जिस दिन यह अच्छी खबर मिली कि अमेरिकी बायो टेक कंपनी मॉडर्ना कोरोना वैक्सीन का फाइनल ट्रायल शुरू करने जा रही है, उसी दिन ऐसी भी खबरें आईं कि मुंबई, दिल्ली और हैदराबाद में ठगों के गिरोह कोरोना मरीज़ों को प्लाज्मा डोनेशन के नाम पर न सिर्फ लूट रहे हैं, बल्कि उन्हें उल्लू बना रहे हैं।
भारत में कोरोना वायरस के नए मामलों का आंकड़ा लगातार बढ़ता जा रहा है, बुधवार को रिकॉर्ड 32,498 नए मामले दर्ज किए गए। दुनिया में सबसे ज़्यादा संक्रमित देशों की लिस्ट में भारत इस वक्त तीसरे स्थान पर है और कुछ दिनों में भारत का आंकड़ा 10 लाख को छूने वाला है। भारत में कोरोना से जान गंवाने वालों की संख्या बढ़कर 24,860 हो गई है। ऐसे में कोरोना से ठीक होने वाले लोगों के प्लाज्मा के लिए अस्पतालों में मांग बढ गई है, क्योंकि प्लाज़्मा थेरपी के ज़रिए ही गंभीर हालत वाले मरीज़ों का इलाज हो रहा है। ऐसी हालत में कुछ बेईमान लोग झूठ का सहारा लेकर पैसा कमाने में लग गए हैं।
मैं आपको कोरोना के संकट में भी इंसानियत के दुश्मनों से आगाह करना चाहता हूं, सावधान करना चाहता हूं। ऐसे ज्यादातर लोग कोरोना मरीज के रिश्तेदार को यह कहकर धोखा देते हैं कि, ठीक हो चुके व्यक्ति ने प्लाज्मा डोनेट किया है, लेकिन असल में ऐसा नही होता। दिल्ली, मुंबई और हैदराबाद में ऐसे कई गैंग एक्टिव हैं जो दावा करते हैं उनके पास ऐसे प्लाज्मा डोनर हैं जो कोरोना वायरस से ठीक हुए हैं। ये गैंग सोशल मीडिया और व्हाट्सएप के जरिए लोगों को लूटते हैं।
इस तरह की गड़बड़ और जालसाजी की रिपोर्ट्स सबसे ज्यादा मुंबई से आ रही हैं, लोगों ने साइबर क्राइम डिपार्टमेंट में फर्जीवाडे की कई शिकायतें दर्ज की हैं । आप जानते हैं मुंबई में कोरोना का भयंकर इन्फैक्शन है, यहां अभी तक करीब 96 हज़ार लोग कोरोना वायरस से संक्रमित हो चुके हैं और इनमें से 5400 लोगों की मौत भी हो चुकी है। गंभीर कोरोना मरीजों के लिए वहां पर प्लाज्मा डोनर्स की भारी कमी है।
कुछ बेईमान लोग वॉट्स ऐप पर ग्रुप बनाकर मैसेज फ्लोट करते हैं कि अगर किसी को कोविड 19 से रिकवर पेशेंट्स के प्लाज्मा की जरूरत है तो सीधा कॉन्टैक्ट करें। ऐसे कई ग्रुप सोशल मीडिया पर एक्टिव है, लोग इनके झांसे में फंस जाते हैं। चूंकि प्लाज्मा डोनेट करने के लिए रिकवरी रिपोर्ट के साथ फिटनेस सर्टिफिकेट की भी जरूरत होती है, इसे लेकर साइबर क्रिमिनिल्स नकली सर्टिफिकेट्स का इस्तेमाल कर रहे हैं।
महाराष्ट्र साइबर क्राइम के आई जी ने बताया कि इंटरनेट पर 10 लाख रुपए तक में प्लाज्मा की ब्लैक मार्केटिंग हो रही है। इसके बाद महाराष्ट्र साइबर सेल ने 4 टीम बनाई और अपनी जांच शुरू की। जांच में पता चला कि डार्क वेब के जरिये ये पूरा खेल किया जा रहा है। कुछ मामलों में 40 मिलीलीटर प्लाज्मा के लिए 30-40 हजार रुपए तक मांगा जाता है।
कई बार तो बैंक एकाउंट में पैसे ट्रांसफर करने के बाद भी मरीज तक प्लाज्मा देने वाला डोनर नही पहुंच पाता। कुछ ठग ऐसे हैं जो अस्पतालों और लैब्स के चक्कर लगाते हैं और ये पता लगाते हैं कि किस अस्पताल में, कौन सा मरीज़ को-मॉर्बिड पेशेंट है। यानी जिसे किडनी, लीवर, डायबिटीज या बीपी जैसी बीमारी पहले से है और उसे अब कोरोना का इन्फैक्शन भी है। वे ऐसे फर्जी डोनर का प्रबंध करते हैं जिसका कभी कोरोना इलाज हुआ ही नहीं। गैर-कोरोना डोनर का प्लाज्मा कोरोना रोगी को चढ़ाना खतरनाक हो सकता है और ठगी का ये तरीका मरीज की जान भी ले सकता है, क्योंकि मरीज को हमेशा गलत प्लाज्मा चढने का खतरा बना रहता है।
दिल्ली में भी खुद दिल्ली विधानसभा के स्पीकर रामनिवास गोयल इस धोखे का शिकार हो गए। रामनिवास गोयल के किसी रिश्तेदार को ब्लड प्लाज्मा की जरूरत थी, इसके लिए सोशल मीडिया पर प्लाज्मा डोनेट करने के लिए एक पोस्ट डाला, पोस्ट पर रिएक्शन आया, एक शख्स की तरफ से कहा गया कि वो राम मनोहर अस्पताल का डॉक्टर है, कोरोना से ठीक हो चुका है, फिटनेस सर्टिफिकेट भी है और प्लाज्मा डोनेट करना चाहता है। लेकिन प्लाज्मा डोनेट करने के लिए ट्रांसपोर्ट चार्ज मांगा, एक बार नहीं दो बार पैसे लिए। लेकिन इसके बावजूद जब ये शख्स प्लाज़मा डोनेट करने नहीं पहुंचा, फोन पर भी कॉन्टैक्ट नहीं किया, तब जाकर राम निवास गोयल ने दिल्ली के सिविल लाइंस पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई। हालांकि पुलिस ने कॉल डिटेल्स के आधार पर राहुल उर्फ अब्दुल करीम राणा को गिरफ्तार कर लिया है। दिल्ली पुलिस लोगो से अपील कर रही है की सोशल मीडिया पर कई गिरोह इस वक़्त प्लाज्मा डोनेट के नाम पर लोगो को शिकार बना रहे है जिसके लिए लोगो को सतर्क रहने की जरूरत है।
इसी तरह हैदराबाद में भी खुद को संदीप रेड्डी बताने वाले एक साइबर हैकर ने ट्रैवल चार्ज के नाम पर एक महिला कोरोना मरीज के पोते से 5000 रुपए वसूल लिए। इसी तरह संदीप ने प्रेरणा नाम की भी एक महिला से प्लाज्मा के नाम पर 3000 रुपए ले लिए और गायब हो गया।
महामारी के समय लोगों के साथ धोखाधड़ी करना एक गंभीर अपराध है और इसपर तुरंत रोक लगनी चाहिए। इलाज के नाम पर लोगों की मजबूरी का फायदा उठाना, उनसे पैसे ऐंठना, ये गुनाह है। ऐसा करने वाले इंसान नहीं कहे जा सकते, उनकी संवेदनाएं मर चुकी हैं। ये सिर्फ कोरोना के खौफ से परेशान लोगों की मजबूरी का फायदा उठाते हैं।
असल में जब से लोगों को ये पता चला है कि प्लाज्मा थेरेपी से कोरोना मरीजों के ठीक होने की संभावना होती है तो लोग प्लाज्मा के लिए भागने लगे, हर कोई अपने रिश्तेदार को बचाना चाहता है। और बेईमान लोग इस स्थिति का फायदा उठाने में लगे हैं। प्लाज्मा डोनेशन के लिए आईसीएमआर ने कुछ दिशा निर्देश जारी किये है, लेकिन उनका भी पालन नहीं हो रहा।
दिल्ली हाईकोर्ट में पिछले दिनों एक PIL फाइल की गई थी कि दिल्ली सरकार कोरोना से रिकवर कर चुके पेंशेंट के लिए प्लाज्मा डोनेट करना अनिवार्य कर दे। लेकिन हाई कोर्ट ने ऐसा करने से मना कर दिया और कहा कि किसी के साथ प्लाज्मा के लिए जबरदस्ती नहीं की जा सकती। दिल्ली सरकार ने प्लाज्मा बैंक बनाए हैं, लोग चाहें तो वहां डोनेट कर सकते हैं। लेकिन इसके बावजूद ठीक हो चुके रोगियों के प्लाज्मा की मांग बढ़ती जा रही है।
मैं सभी से अपील करता हूं कि जब भी कोई प्लाज्मा डोनेशन के लिए पैसे की मांग करे तो सावधान रहें। हर व्यक्ति का जीवन बहुमूल्य है लेकिन कोई भी किसी के जाल में न फंसे।
कोरोना महामारी का डर तब तक बना रहेगा जबतक कोई कारगर वैक्सीन नहीं आ जाती। हालांकि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ‘Good News on Vaccines’ लिखकर ट्वीट किया है, लेकिन हमें धैर्य बनाए रखना है क्योंकि किसी भी निष्कर्ष तक पहुंचने से पहले वैज्ञानिक अपना समय लेंगे। वैक्सीन के क्लीनिकल ट्रायल में जल्दबाजी नहीं होनी चाहिए। मैनें कई विशेषज्ञों से बात की। उन सभी की एक राय है कि कोई भी वैक्सीन इस साल के अंत से पहले नहीं आएगी।
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How cyber fraudsters are out to fleece people for plasma donation
On a day when the world got ‘good news’ about a US bio-tech company Moderna going to start the final stage of clinical trials of its COVID-19 vaccine, there were reports of thriving rackets in Mumbai, Delhi and Hyderabad, where Corona patients were being duped in the name of plasma donations from recovered COVID patients.
The number of new COVID-19 infections in India is constantly on the rise, with a huge spike of 32,498 new cases recorded on Wednesday. India, presently at the third position in world tally, is going to touch one million cases within a few days. The death toll in India has now reached 24,860. There is a huge demand from critical patients fighting for their lives, for plasma taken from those who have recovered from COVID-19, and unscrupulous people are using this opportunity to make a kill.
I want to sound a note of caution. Most of these tricksters are duping relatives of patients by saying that the blood plasma has been donated by those who recovered, but in reality, this is not so. Several gangs are active in Delhi, Mumbai and Hyderabad, which claim that they have plasma donors who have recovered from COVID-19. These gangs are active on social media through WhatsApp and other platforms.
The largest number of cyber fraud complaints have come from Mumbai, a Corona hot spot, where 96,000 cases have been reported and 5,400 patients have died so far. There is acute shortage of plasma donors for critical patients.
These cyber criminal gangs creat WhatsApp groups and offer plasma donors for needy patients. They ask relatives to contact them directly. Since a COVID-19 recovery report and fitness certificate are required, these criminals manage to get fake certificates to dupe the relatives.
Maharashtra Police IG Cybercrime revealed that in some cases, the gangs extorted Rs 10 lakh for a plasma donor. Four teams of Maharashtra cyber crime cell police scoured through the dark web and found the details of the con trick. Rs 30 to 40 thousand was being demanded for 40 millilitre plasma.
In some cases, the gangs con relatives to transfer the money online to suspicious accounts and then vanish. In many other cases, gang members visit hospitals to find out which COVID-19 patients having co-morbidities like diabetes, kidney, liver and heart diseases, require blood plasma therapy. They then manage to bring in fake donors who never underwent COVID treatment. Transfusion of blood plasma from a non-COVID donor to a COVID patient is a risky affair, and the patient can lose his or her life.
In Delhi, assembly Speaker Ram Niwas Goel was duped of his money by a trickster Rahul alias Abdul Kareem Rana. The cheat claimed he was a doctor from RML Hospital, who has recovered from COVID and was willing to donate for Goel’s relative, who needed plasma therapy. The man extracted money from the Speaker twice through Google Pay and then vanished. The speaker complained to police, and the trickster was arrested. Delhi Police has appealed to the public to be careful while accepting fake offers on social media.
In Hyderabad, a cyber hacker calling himself as Sandeep Reddy extracted Rs 5000 as ‘travel charge’ from the grandson of a female COVID patient. He also extracted Rs 3000 from a woman named Prerna, and then vanished.
Cheating people during a pandemic is a serious crime and it must be curbed immediately. These criminals and tricksters are not human beings as they lack basic sensitivity. Their only motive is to earn money by hook or by crook.
With plasma therapy emerging as a reliable line of treatment for critical COVID patients, there is tremendous rush among the people for getting plasma donations. These tricksters are taking undue advantage of this situation. Though the Indian Council of Medical Research has prepared guidelines for plasma donations, these are being flouted.
A PIL was filed in Delhi High Court recently seeking directive to make blood plasma mandatory for all those who have recovered from COVID-19, but the court declined saying it cannot compel anybody to donate blood. Blood banks have been opened by Delhi government, but the demand for plasma from recovered COVID patients is high.
I would request all to be very careful while dealing with people who demand money for plasma donation. The life of every human being is valuable and one should not fall into any trap.
The COVID-19 pandemic will continue so long as an effective vaccine does not come in the market. Though US President Donald Trump has tweeted ‘Great News on Vaccines’, we have to remain patient because scientists take their own time to reach a final conclusion. We must not tinker with the clinical trials. I have spoken to several experts. They are unanimous on one point: an effective COVID vaccine will come only by the year-end.
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