प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 71 वें जन्मदिन पर देश के लाखों स्वास्थ्यकर्मियों ने उन्हें अनमोल तोहफा दिया। इन स्वास्थ्यकर्मियों ने एक दिन में सबसे ज्यादा कोविड वैक्सीनेशन का वर्ल्ड रिकॉर्ड बना दिया। जैसे ही रात में घड़ी की सुई 12 पर पहुंची, देशभर में 2.5 करोड़ से ज्यादा (2,50,07,051) लोगों को वैक्सीन दी जा चुकी थी। इससे पहले चीन ने जून महीने में एक दिन में सबसे ज्यादा 2.47 करोड़ वैक्सीन देने का वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया था। देश में 17 सितंबर को वैक्सीनेशन ने रफ्तार पकड़ी और देश में कुल वैक्सीन की डोज लेनेवालों की संख्या बढ़कर 79.33 करोड़ तक पहुंच गई। वैक्सीनेशन के मामले में भारत ने अब यूरोप को पीछे छोड़ दिया है। यूरोप में अबतक जितने लोगों को वैक्सीन दी जा चुकी है उससे ज्यादा लोग भारत में वैक्सीन ले चुके हैं। भारत में रोजाना वैक्सीनेशन पिछले 30 दिनों में चौथी बार एक करोड़ को आंकड़े को पार कर गया है।
प्रधानमंत्री मोदी ने ट्वीट कर कहा कि शुक्रवार को वैक्सीनेशन की रफ्तार औसतन 15.62 लाख डोज प्रति घंटे, 26 हजार डोज प्रति मिनट और 434 डोज प्रति सेकंड रही। कर्नाटक में सबसे ज्यादा 26.9 लाख डोज, बिहार में 26.6 लाख डोज, यूपी में 24.8 लाख से ज्यादा डोज, मध्य प्रदेश में 23.7 लाख डोज और गुजरात में 20.4 लाख डोज दी गई।
इस उपलब्धि की तारीफ करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा-‘ हर भारतीय को आज रिकॉर्ड संख्या में किए गए टीकाकरण की संख्या पर गर्व होगा। मैं टीकाकरण अभियान को सफल बनाने के लिए डॉक्टर्स, प्रशासकों, नर्सों, हेल्थ केयर और सभी फ्रंटलाइन वर्कर्स की सराहना करता हूं। हम कोविड 19 को हराने के लिए टीकाकरण को बढ़ावा देते रहें।’
नरेंद्र मोदी के कट्टर आलोचक माने जानेवाले कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने ट्टीट किया, ‘उम्मीद करता हूं कि और दिनों में भी रोजाना वैक्सीन की 2.1 करोड़ खुराक दी जाएगी। हमारे देश को इसी गति की जरूरत है।’ स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने इसे ‘भारत और विश्व इतिहास का एक सुनहरा अध्याय’ बताया। विश्व स्वास्थ्य संगठन के दक्षिण पूर्व एशिया के रीजनल ऑफिस की ओर से ट्वीट किया गया-‘भारत को एक और उपलब्धि के लिए बधाई’।
कुल मिलाकर, भारत को वैक्सीनेशन का 10 करोड़ का आंकड़ा छूने में 85 दिन लगे, 20 करोड़ का आंकड़ा पार करने में 45 दिन और 30 करोड़ के आंकड़े तक पहुंचने में 29 दिन और लगे। 40 करोड़ के आंकड़े तक पहुंचने में 24 दिन और लगे, और 50 करोड़ का आंकड़ा पार करने में 20 दिन, 60 करोड़ का आंकड़ा पार करने में 19 दिन और 70 करोड़ के आंकड़े तक पहुंचने में केवल 13 दिन लगे। देश ने 13 सितंबर को 75 करोड़ का आंकड़ा पार कर लिया था। देश में 16 जनवरी को सबसे पहले हेल्थकेयर वर्कर्स के लिए वैक्सीनेशन अभियान शुरू किया गया था जबकि फ्रंटलाइन वर्कर्स के लिए 2 फरवरी को वैक्सीनेशन शुरू हुआ। इसके बाद 45 वर्ष से ज्यादा उम्र के लोगों के लिए वैक्सीनेशन अभियान 1 अप्रैल को शुरू हुआ था। 18 वर्ष से ज्यादा उम्र के हर शख्स के लिए वैक्सीनेश का अभियान 1 मई को शुरू किया गया था।
पिछले साल मार्च महीने में जब देश में कोरोना वायरस ने पांव पसारना शुरू किया तो किसी ने सपने में भी नहीं सोचा था कि भारत खुद कोरोना वैक्सीन बना सकता है। लोग सोचते थे कि अमेरिका अपनी वैक्सीन बनाएगा। पहले अपने लोगों को लगाएगा और फिर जैसा होता आया है, बची हुई वैक्सीन हमें देगा। नरेंद्र मोदी ने इस पूरी सोच को बदल दिया। वे खुद व्यक्तिगत तौर पर पुणे, गुजरात और हैदराबाद गए और उन्होंने वैक्सीन बनाने वाली कंपनियों को हौसला दिया। उन्होंने इन कंपनियों को सहायता दी और इसका नतीजा ये हुआ कि देखते ही देखते दो वैक्सीन, कोविशील्ड और कोवैक्सिन उपयोग के लिए तैयार हो गई। वैक्सीन बनने से पहले ही वैक्सीनेशन के लिए हेल्थ वर्कर्स की बड़े पैमाने पर ट्रेनिंग हुई।
वैक्सीन स्टोर करने, ट्रांसपोर्ट और सीरींज उपलब्ध करने का पूरा प्लान एडवांस में बनाया गया और जब वैक्सीन आ गई तो सबसे पहले हेल्थ वर्कर्स को वैक्सीन लगाने का फैसला हुआ। आपको हैरानी होगी कि पहले दौर में हेल्थ वर्कर्स भी वैक्सीनेशन के लिए पूरी तरह आगे नहीं आए थे। इनमें कुछ डॉक्टर्स और नर्सें भी थीं। ये लोग वैक्सीन लेने से झिझक रहे थे। इन लोगों को वैक्सीन लगाने की प्रक्रिया बहुत धीमी गति से चली और आगे चलकर धीरे-धीरे इसे जनता के लिए भी खोल दिया गया। शुरुआत में वरिष्ठ नागरिकों और गंभीर बीमारी से पीड़ित लोगों को वैक्सीनेशन में प्राथमिकता दी गई।
जब जनता के लिए वैक्सीन लगाने का काम शुरू हुआ तो अफवाहें फैलने लगी। किसी ने कहा कि पूरे ट्रायल के बगैर ही वैक्सीन को मार्केट में आने दिया गया। किसी ने कहा कि यह ‘बीजेपी की वैक्सीन’ है। किसी ने मुसलमानों में अफवाह फैलाई कि इसमें सुअर की चर्बी मिली हुई है। इसका नतीजा ये हुआ कि कई राज्यों के गांव-देहात में लोग वैक्सीन लगाने के लिए पहुंचे हेल्थ वर्कर्स को मारने के लिए दौड़ते थे। हेल्थ वर्कर्स को जान बचाकर भागना पड़ता था। लेकिन हेल्थ वर्कर्स, खासतौर से आशा वर्कर्स ने काफी मेहनत की और ग्रामीणों को वैक्सीनेशन के लिए समझाने के प्रयासों में लगी रहीं।
इस साल अप्रैल-मई में जब कोरोना की दूसरी लहर आई तो लोग बड़ी संख्या में कोरोना के शिकार हुए। लाखों लोग कोरोना से संक्रमित हुए। अस्पतालों में बेड नहीं मिल रहे थे। जरूरी दवाएं और ऑक्सीजन कम पड़ने लगी। अस्पतालों के मुर्दाघर, श्मशान, कब्रिस्तान में लाशों के ढेर लगने लगे तो लोग डरे और तेजी से वैक्सीन के लिए दौड़े। उस समय एक साथ वैक्सीन की मांग काफी बढ़ गई। लोग जल्दी वैक्सीन लगवाना चाहते थे। मांग की तुलना में उत्पादन नहीं था तो लोग परेशान और नाराज हुए।
दरअसल, वैक्सीन का उत्पादन एक जटिल प्रक्रिया है। वैक्सीन निर्माताओं ने भी ये उम्मीद नहीं की थी कि मांग अचानक इतनी बढ़ जाएगी। राज्य सरकारें अब ज्यादा से ज्यादा वैक्सीन की मांग कर रही थीं वहीं कुछ राज्यों में निचले स्तर की राजनीति भी शुरू हो गई। कुछ गैर-बीजेपी शासित राज्य सरकारों ने आरोप लगाया कि केंद्र बीजेपी शासित और गैर-बीजेपी शासित राज्यों के बीच भेदभाव कर रहा है।
अगस्त तक वैक्सीन का उत्पादन बढ़ा और साथ ही वैक्सीनेशन के आंकड़े भी बढ़ते गए। मुझे याद है 27 अगस्त को देश में 1 करोड़ 8 लाख डोज़ लगाई गई थी और 31 अगस्त को यह आंकड़ा 1 करोड़ 41 लाख डोज तक पहुंच गया। शुक्रवार को यह आंकड़ा 2.5 करोड़ के शिखर पर पहुंच गया। यह प्रक्रिया अभी-भी जारी है और जिन लोगों को अभी भी भारत की वैक्सीनेशन क्षमता को लेकर संदेह है या जो लोग इस उपलब्धि को कम करके बताना चाहते हैं उन्हें मैं कुछ आंकड़े समझना चाहता हूं।
दुनिया भर में 175 देश ऐसे हैं जिनकी जनसंख्या 2 करोड़ से कम है यानि शुक्रवार को एक दिन में जितने लोगों को वैक्सीन दी गई वह 175 देशों की आबादी से ज्यादा है।
दूसरी बात, 79 करोड़ से ज्यादा लोगों को वैक्सीन की डोज देकर वैक्सीनेशन के मामले में भारत दुनिया के देशों में नंबर एक पर है। वहीं डबल डोज के मामले में भी भारत दुनिया में नंबर वन पर है। देश में 18 करोड़ 80 लाख लोगों को डबल डोज दी जा चुकी है। दूसरे नंबर पर अमेरिका है जहां 18 करोड़ लोगों को वैक्सीन की डबल डोज लगी है। इसके अलावा ब्राजील में साढ़े 7 करोड़, जापान में साढ़े 6 करोड़, जर्मनी में 5 करोड़ 20 लाख, इंग्लैंड में 4 करोड़ 40 लाख और फ्रांस में 4 करोड़ 30 लाख लोगों को डबल डोज दी जा चुकी है।
इसलिए कोविड वैक्सीनेशन में देश ने जो हासिल किया है उसे कम करके आंकना ठीक नहीं है। वैक्सीन अब पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है और नवंबर तक 100 करोड़ लोगों को वैक्सीन की डोज लग जाएगी। ये भारत जैसे बड़े देश की बड़ी विजय है।