तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा की मुसीबत बढ़ गई है. शुक्रवार को जाने माने उद्योगपति दर्शन हीरानंदानी ने महुआ पर पैसे और गिफ्ट लेकर संसद में सवाल पूछने के आरोपों को नोटराइज़्ड ऐफिडेविट पर कंफर्म कर दिया. महुआ मोइत्रा ने सवाल उठाया था कि हीरानंदानी ने सादे कागज पर क्यों लिखा, इस बात की क्या प्रमाणिकता है कि ये सब हीरानंदानी ने लिखा, ये सब प्रधानमंत्री कार्यालय ने ज़बरदस्ती लिखवाया. शुक्रवार को हीरानंदानी ने सर्टिफाइड एफिडेविट जारी कर दिया, इसमें सारे आरोपों को दोहराया गया है. हीरानंदानी ने एक बार फिर कंफर्म किया कि अडानी के खिलाफ सवाल पूछने के लिए उन्होंने महुआ मोइत्रा को सूचनाएं दी, सवाल ड्राफ्ट किये. हीरानंदानी ने महुआ मोइत्रा को पैसे और सौगातों से मदद की, महुआ ने अपना पार्लियामेंट का लॉगिन और पासवर्ड हीरानंदानी को दिया, हीरानंदानी ने पार्लियामेंट के पोर्टल पर महुआ के नाम से अडानी के खिलाफ डायरेक्ट सवाल पोस्ट किये, हीरानंदानी ग्रुप के CEO दर्शन हीरानंदानी ने ethics कमिटी को ये सब लिख कर दिया है कि ये माना था कि महुआ मोइत्रा ने उनसे मंहगे गिफ्ट लिए, विदेश यात्राएं की, उनसे अपने सरकारी घर का रेनोवेशन करवाया और अडानी ग्रुप के खिलाफ पार्लियामेंट में वो सवाल पूछे जो उन्होंने लिख कर भेजे थे. दर्शन हीरानंदानी ने पूरी डिटेल दी है कि महुआ ने उनसे क्या क्या लिया, अडानी ग्रुप को बदनाम करने के लिए सवाल लिखवाए, इस काम में महुआ ने और किस किस से मदद ली, सब बताया. अब ये मामला पार्लियामेंट की एथिक्स कमेटी के सामने है. पार्लियामेंट में शिकायत बीजेपी के सांसद निशिकांत दुबे ने की है. एथिक्स कमेटी निशिकांत दुबे की शिकायत पर 26 अक्टूबर को सुनवाई करेगी. निशिकांत दुबे के अलावा कोर्ट में महुआ के खिलाफ केस करने वाले वकील जय अंनत देहदराय के साथ साथ दर्शन हीरानंदानी को भी बुलाया जा सकता है. दर्शन हीरानंदानी ने अपना सर्टिफाइड एफिडेविट पार्लियामेंट की एथिक्स कमेटी को भेज दिया है. महुआ मोइत्रा के लिए दूसरी मुश्किल ये पैदा हुई कि शुक्रवार को दिल्ली हाई कोर्ट में खुलासा हुआ कि महुआ के वकील ने महुआ पर पैसे लेकर सवाल पूछने का आरोप लगाने वाले जय अनंत से आउट ऑफ कोर्ट सेटेलमेंट की बात की. महुआ के वकील गोपाल शंकरनारायणन ने जय अनंत से गुरूवार को संपर्क किया और इस मामले को कोर्ट के बाहर बातचीत के जरिए निपटाने का प्रस्ताव दिया. चूंकि ये बात सार्वजनिक हो गई, कोर्ट को इसकी जानकारी दी गई, इसके बाद महुआ के वकील ने खुद को इस केस से अलग कर लिया लेकिन महुआ ने अब तक किसी भी आरोप का स्पेसिफिक जवाब नहीं दिया. उन्होंने कहा वो एथिक्स कमिटी को जवाब देंगी, मीडिया को नहीं, फिलहाल वो दुर्गा पूजा के उत्सव में व्यस्त है, महुआ ने ये भी कहा था कि दर्शन हीरानंदानी का बयान मोदी सरकार ने ड्राफ्ट करवाया है, वो हर इल्जाम का जवाब देने के लिए तैयार हैं, लेकिन वह डरेंगी नहीं. सरकार के दवाब के सामने झुकेंगी नहीं. अब सवाल ये है कि महुआ अपने बचाव में क्या कहेंगी, सारे सबूत और गवाह उनके खिलाफ हैं, महुआ ममता की करीबी हैं लेकिन दर्शन हीरानंदानी का बयान आने के बाद तृणमूल कांग्रेस का कोई नेता महुआ के बचाव में नहीं बोला, किसी ने महुआ का समर्थन नहीं किया, हालांकि इंडिया एलायन्स की कुछ पार्टियों के नेता महुआ के साथ दिख रहे हैं, लेकिन उनकी अपनी पार्टी महुआ के साथ नहीं हैं.
महुआ को इस बात पर भी आपत्ति है कि एथिक्स कमेटी के अध्यक्ष विनोद सोनकर इस मुद्दे पर मीडिया से बात क्यों कर रहे हैं. महुआ ने ट्विटर पर लिखा कि नियमों के मुताबिक जब तक कोई मामला लम्बित है, तब तक एथिक्स कमेटी के अध्यक्ष को इस पर कुछ नहीं बोलना चाहिए. महुआ ने कहा कि इस सवाल का जवाब मिलना चाहिए कि दर्शन हीरानंदानी का एफिडेविट मीडिया के हाथ कैसे पहुंचा. महुआ मोइत्रा का आरोप है कि बीजेपी का एक सूत्री एजेंडा ये है कि उनको किसी तरह लोकसभा से बाहर किया जाए. हैरानी की बात ये है कि महुआ ममता बनर्जी की करीबी हैं. ममता ने उन्हें विधायक और फिर सांसद बनाया. लोकसभा में हर मुद्दे पर महुआ ही तृणमूल कांग्रेस का सबसे मुखर चेहरा हैं लेकिन जब महुआ मुसीबत में पड़ी हैं तो तृणमूल कांग्रेस का कोई भी नेता उनके समर्थन में खड़ा दिखाई नहीं दिया. किसी ने महुआ पर लगे आरोपों के मामले में उनका बचाव नहीं किया. लेकिन लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि जब भी एक खास उद्योगपति को लेकर सवाल पूछे जाते हैं तो सरकार बौखला जाती है, इस मामले में भी जिस तरह एथिक्स कमेटी बनाई गई, उससे लग रहा है कि सब कुछ पहले ही तय कर लिया गया है. तेलंगाना के मुख्यमंत्री केसीआर के बेटे और खुद उनकी सरकार में मंत्री केटीआर ने कहा कि जांच सवाल पूछने वाले की नहीं, सवालों की होनी चाहिए. ये पता लगाया जाना चाहिए कि महुआ ने जो सवाल पूछे उनमें दम था या नहीं, कोई घोटाला हुआ या नहीं. RJD के सांसद मनोज झा ने महुआ के बचाव में कहा कि जब 15 अक्टूबर को निशिकांत दुबे ने महुआ पर पैसे लेकर सवाल पूछने के आरोप लगाए तब दर्शन हीरानंदानी ने इन आरोपों से इनकार किया लेकिन दो दिन बाद आखिर ऐसा क्या हो गया कि उनकी तरफ से इतना लंबा चौड़ा एफिडेविट दिया गया, इसका मतलब है कि पर्दे के पीछे कुछ तो हुआ है, इसलिए सभी को जांच का इंतजार करना चाहिए. मैं आप को महुआ मोइत्रा की पृष्ठभूमि बता देता हूं. महुआ बड़े बंगाली ब्राह्मण परिवार की बेटी हैं, असम में पैदा हुईं, अमेरिका में पली बढ़ी, वहीं पढ़ीं, फिर लंदन में नौकरी की, जे पी मॉर्गन जैसी बड़ी कंपनी में इन्वेस्टमेंट बैंकर थी, 2009 में राजनीति का शौक लगा और कांग्रेस में शामिल हो गईं. राहुल गांधी की करीबी रहीं. लेकिन एक साल बाद महुआ ने कांग्रेस छोड़ तृणमूल कांग्रेस का हाथ पकड़ लिया. ममता के करीब हो गईं. ममता ने 2016 में उन्हें विधानसभा चुनाव लड़वाया, विधायक बनाया, फिर 2019 में लोकसभा का टिकट दिया, सांसद बनवाया. राजनीति में इतनी जल्दी और इतनी ज्यादा सफलता कम लोगों को मिलती है, लेकिन महुआ महत्वाकांक्षी हैं. वो और आगे जाना चाहती थीं. .ये कोई बुरी बात नहीं हैं लेकिन उन्होंने जो रास्ता अपनाया, अब वही उनका सबसे बड़ा स्पीड ब्रेकर बन सकता है. क्योंकि दर्शन हीरानंदानी ने सार्वजनिक तौर पर ये मान लिया है कि महुआ ने मंहगे गिफ्ट और तमाम तरह के फेवर लेकर अडानी ग्रुप के खिलाफ संसद में सवाल पूछे. उन्होंने हीरानंदानी को अपना लॉगिन और पासवर्ड दिया. ये पूरी तरह गैरकानूनी और अनैतिक है. मुझे याद है, 2005 में 11 सांसदों के खिलाफ पैसे लेकर सवाल पूछने का आरोप लगा था और दिसंबर 2005 में सभी सांसदों की सदयस्ता रद्द कर दी गई थी. इनमें 10 लोकसभा और 1 राज्यसभा का MP था. उस वक्त इन सासंदों को निष्कासित करने का प्रस्ताव लोकसभा में प्रणब मुखर्जी और राज्यसभा में डॉ मनमोहन सिंह ने रखा था. .बाद में अपनी बर्खास्तगी को सांसदों ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने संसद के फैसले को सही माना था. दूसरी बात ये है कि महुआ ने अभी तक अपने ऊपर लगे आरोपों का कोई स्पष्ट जवाब नहीं दिया है. न तो उन्होंने ये बताया कि उन्होंने हीरानंदानी से अपना सरकारी घर रेनोवेट क्यों करवाया, महंगे गिफ्ट्स क्यों लिए, न ही उन्होंने ये बताया कि उन्होंने अपना पासवर्ड और पार्लियामेंट का लॉगिन एक आउटसाइडर के साथ शेयर क्यों किया. महुआ कभी पीएमओ पर इल्जाम लगाती हैं, कभी हीरानंदानी के एफिडेविट को गलत बताती हैं, कभी उनका वकील आउट ऑफ कोर्ट सैटलमेंट करने की कोशिश करता है. इसीलिए लोग कह रहे हैं “तू इधर उधर की न बात कर, ये बता कि क़ाफ़िला क्यूं लुटा, मुझे रहज़नों से गिला नहीं, तेरी रहबरी का सवाल है”.