बिहार में महागठंबधन के नेताओं ने वोटर लिस्ट के पुनरीक्षण के मुद्दे पर जमकर हंगामा किया. वैसे तो बिहार बंद का ऐलान किया गया था, लेकिन पटना को छोड़कर दूसरे शहरों में इसका ज्यादा असर नहीं दिखा.
पटना में RJD, कांग्रेस और वाम दलों के बड़े नेता पहुंचे थे. इसलिए पटना में भीड़ अच्छी खासी थी. ट्रैफिक रोका गया. जगह-जगह रेलवे ट्रैक पर बैठे कार्यकर्ताओं ने ट्रेनें रोंकीं.
तेजस्वी यादव और राहुल गांधी ने महागठबंधन की दूसरी पार्टियों के नेताओं के साथ मिलकर चुनाव आयोग के दफ्तर का घेराव करने की कोशिश की. सारे नेता एक खुली गाड़ी में सवार होकर चुनाव आयोग के दफ्तर की तरफ बढे, लेकिन पुलिस ने करीब सौ मीटर पहले नेताओं को रोक दिया.
राहुल गांधी ने वहीं पर भीड़ को संबोधित किया. राहुल गांधी ने एक बार फिर संविधान की लाल किताब जेब से निकाली और कहा कि जिस तरह महाराष्ट्र के चुनाव में गड़बड़ी की गई, उसी तरह बिहार में भी धांधली की तैयारी शुरू हो गई है. राहुल गांधी ने कहा कि महाराष्ट्र में वोटर्स बढ़ाए गए थे और बिहार में वोटर्स के नाम काटकर चुनाव आयोग बीजेपी की मदद करने की कोशिश हो रही है.
तेजस्वी यादव ने कहा कि चुनाव आयोग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, अमित शाह और नीतीश कुमार के इशारे पर काम कर रहा है. चुनाव से पहले वोटर लिस्ट से गरीबों, पिछड़ों, अतिपिछड़ों, दलितों और मुस्लिमों के नाम काटने की कोशिश की जा रही है जिससे बीजेपी को फायदा हो.
आज महागठंबधन की रैली में दो खास बातें देखने को मिलीं. पहली ये कि पप्पू यादव और राहुल गांधी के करीबी कन्हैया कुमार को उस गाड़ी से धक्के मार कर नीचे उतार दिया गया जिस पर राहुल गांधी और तेजस्वी समेत महागठबंधन का सारे नेता सवार थे.
अब दावा ये किया जा रहा है कि तेजस्वी यादव इन दोनों से चिढ़ते हैं. .तेजस्वी के इशारे पर ही दोनों को गाड़ी पर चढ़ने नहीं दिया गया. इससे कांग्रेस के कार्यकर्ताओं में नाराजगी है. दूसरी बात ये कि आज महागठंबधन के नेताओं ने चुनाव आयोग को तो कोसा लेकिन किसी ने ये नहीं कहा कि 25 दिन में साढ़े सात करोड़ वोटर्स का वैरीफिकेशन कैसे होगा. कल तक सारे नेता कह रहे थे कि क्या चुनाव आयोग जादू की छड़ी घुमाएगा? क्या देश भर में फैले बिहारियों के लिए स्पेशल ट्रेन चलवाएगा? लेकिन आज इस मुद्दे सब खामोश रहे.
इसकी वजह ये है कि चुनाव आयोग ने आज डेटा जारी करके बता दिया कि पहले पन्द्रह दिन में 58 प्रतिशत वोटर्स के फॉर्म submit हो गए हैं और अभी भी सोलह दिन बाकी हैं. आज शाम छह बजे तक सात करोड़ नब्बे लाख वोटर्स में से चार करोड़ 53 लाख 89 हजार से ज्यादा वोटर्स के फॉर्म्स चुनाव आयोग को मिल चुके हैं. ये प्रक्रिया 25 जुलाई तक चलेगी और इस दौरान वोटर लिस्ट का काम पूरा हो जाएगा. चुनाव आयोग अपना काम तेजी से कर रहा है. अब सभी की नज़रें इस मसले पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर होगी.
कैंटीन कर्मचारी को पीटने वाले MLA के खिलाफ कार्रवाई हो
महाराष्ट्र से एक बार फिर नेता जी की गुंडागर्दी की खबर आई. एकनाथ शिन्दे की शिवसेना के विधायक संजय गायकवाड ने खराब खाना परोसने का आरोप लगाकर कैंटीन के कर्मचारी की धुनाई कर दी. ये घटना मंगलवार देर रात हुई. गायकवाड़ आकाशवाणी परिसर के विधायक निवास में ठहरे थे. उन्होंने रात को कैंटीन से दाल, चावल, सब्जी कमरे में मंगवाई, लेकिन नेता जी को दाल में बदबू आई तो दाल की प्लेट लेकर सीधे कैंटीन पहुंच गए और कैंटीन में मौजूद कर्मचारी पर लात घूंसो की बारिश कर दी.
संजय गायकवाड़ की इस हरकत से MLA हॉस्टल में हड़कंप मच गया. कुछ विधायकों ने इसका विरोध किया. अगले दिन विधानसभा में ये मामला उठा, तो संजय गायकवाड़ के खिलाफ एक्शन की मांग हुई. संजय गायकवाड़ कल परोसी गई दाल और सब्जी को पॉलिथीन में लेकर विधानसभा में पहुंचे थे. उन्होंने कैंटीन चलाने वाले की जांच की मांग की. मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस ने कहा कि ये मुद्दा सियासत का नहीं, नेताओं के व्यवहार का है, संजय गायकवाड़ ने जो हरकत की, वो गलत है.
एकनाथ शिन्दे ने कहा कि संजय गायकवाड़ को खराब खाना दिया गया था, उसे खाकर उनकी तबीयत भी खराब हुई, इसलिए उन्हें गुस्सा आया. लेकिन गुस्से में किसी के साथ मारपीट करना ठीक नहीं हैं, वो गायकवाड को समझाएंगे.
संजय गायकवाड़ ने विधानसभा से बाहर आकर कहा कि वो बाला साहेब के चेले हैं, बाला साहेब ने यही सिखाया है कि कोई गड़बड़ी करे, तो कान के नीचे बजाओ. अब अगर फिर उन्हें खराब खाना मिला तो वो फिर कैंटीन कर्मचारियों को पीटेंगे.
विधायक संजय गायकवाड़ ने जो किया वो शर्मनाक है. सत्ता के नशे में डूबकर उन्होंने कैंटीन के कर्मचारी पर हाथ उठाया, जिसकी घोर निंदा होनी चाहिए. अपने से कमजोर पर हाथ उठाना बहुत आसान होता है. मुख्मंत्री देवेंद्र फडणवीस ने ठीक कहा कि अगर खाने से कोई शिकायत थी तो इसकी शिकायत की जा सकती थी, मारपीट करने की क्या जरूरत?
दुर्भाग्य की बात ये है कि ये सुनकर भी विधायक को गलती का एहसास नहीं हुआ. वो तो कह रहे हैं कि अगर खराब खाना मिला तो फिर से पिटाई करेंगे. ये निहायत ही घटिया मानसिकता है. इसे कहते हैं पहले चोरी फिर सीनाजोरी.
ऐसे विधायक के खिलाफ केस दर्ज करना चाहिए. उन्हें पुलिस के हवाले करना चाहिए और विधानसभा में सभी पार्टियों को मिलकर ऐसे उद्दंड विधायक के खिलाफ कार्रवाई की मांग करनी चाहिए. क्योंकि एक MLA ऐसी हरकत करता है और बदनामी पूरी विधानसभा की होती है.
लेकिन दुर्भाग्य की बात ये है कि उद्धव ठाकरे को इसमें भी राजनीति सूझ रही है. उन्होंने MLA की हरकत को शिंदे की फडणवीस के खिलाफ साजिश बता दिया. विधायक के अपराध को राजनीतिक रंग देने का मतलब है, उसे बचने का रास्ता देना, उसके अपराध की गंभीरता को कम करना.