Rajat Sharma

बिहार की वोटर लिस्ट : बेकार का शक़

WhatsApp Image 2025-04-29 at 3.16.49 PMबिहार में वोटर लिस्ट के रिवीज़न को लेकर शोर मचा रहे तेजस्वी यादव और राहुल गांधी को सुप्रीम कोर्ट से झटका लगा. कोर्ट ने चुनाव आयोग से कहा कि वह अपना काम जारी रखे.

सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा कि वोटर लिस्ट को अपडेट करना, लिस्ट का रिवीज़न करना, गलत नामों को हटाना, नए वोटर्स को जोड़ना, ये सब चुनाव आयोग की जिम्मेदारी है. इसलिए बिहार में ये प्रक्रिया जारी रहेगी.

लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को ये सुझाव भी दिया है कि वोटर्स से जो दस्तावेज मांगे जा रहे हैं, उनमें आधार कार्ड, राशन कार्ड, MNREGA जॉब कार्ड को भी शामिल करें, हालांकि ये सिर्फ सुझाव है, इसे मानने की बाध्यता चुनाव आयोग पर नहीं है.

चुनाव आयोग ने कोर्ट को बताया कि वोटर लिस्ट के रिवीजन का काम 25 जुलाई तक पूरा हो जाएगा, अब तक साठ परशेंट से ज्यादा वोटर्स के फॉर्म भरे जा चुके हैं. कोर्ट ने चुनाव आयोग से कहा है कि वह एक हफ्ते के भीतर अपने जवाब दाखिल करे. इस मसले पर 28 जुलाई को अब सुनवाई होगी.

वोटर लिस्ट के पुनरीक्षण का मामला पूरी तरह अब political बना दिया गया है. सुप्रीम कोर्ट को भी ये बात समझ आ गई है.

सवाल पूछा गया कि चुनाव आयोग को Voter list check करने की क्या जरूरत है? जवाब मिला कि ये चुनाव आयोग का काम है.

फिर पूछा गया कि अभी करने की क्यों जरूरत है? जवाब मिला कि जब चुनाव होंगे उससे पहले ही तो Voter list check किए जाएंगे ताकि कोई फर्जी voter वोट ना डाल सके.

फिर पूछा गया कि इस काम के लिए सिर्फ 31 दिन क्यों रखे गए ? जवाब मिला कि पिछला revision 2003 में हुआ था, वह भी 31 दिन में हुआ था. अब तो सिर्फ 2003 के बाद बने voters की checking हो रही है, सब की नहीं, इसीलिए 31 दिन काफी हैं.

फिर पूछा गया कि जिन दस्तावेजों के आधार पर वोटर के नाम verify किए जा रहे हैं, उनमें राशन कार्ड, आधार कार्ड और MNREGA job card क्यों नहीं है? इसका जवाब ये आया कि यही तीनों ऐसे card हैं, जो बड़ी आसानी से फर्जी बनाए जा सकते हैं. बिहार में आधार कार्ड का saturation 100% से ज्यादा है. इसलिए फर्जी आधार कार्ड होने की संभावना बहुत ज्यादा है. चुनाव आयोग ने कहा कि किसी भी genuine voter का नाम लिस्ट से नहीं काटा जाएगा.

लेकिन असली समस्या इन सवालों और उनके जवाबों की नहीं है. समस्या है, चुनाव आयोग के प्रति विश्वास की कमी की.

कुछ नेताओं को लगता है कि अगर चुनाव आयोग Voter list को verify कर रहा है, तो जरूर ये सरकार के कहने पर किया जा रहा है और अगर सरकार ये करवा रही है, तो जरूर इसमें बीजेपी को फायदा पहुंचाने की साजिश होगी.

अब इसका कोई क्या कर सकता है. महाराष्ट्र में वोट बढ़े, तो समस्या. बिहार में वोट कटे, तो समस्या. कहते हैं शक का इलाज तो हकीम लुकमान के पास भी नहीं था.

कपिल के कैफे पर गोली : कनाडा को जवाब देना होगा

कनाडा में कॉमेडियन कपिल शर्मा के कैफे पर खालिस्तानी आतंकवादियों ने फायरिंग की. कनाडा में ब्रिटिश कोलंबिया के सरे शहर में कपिल शर्मा ने कैप्स कैफे के नाम से रेस्तरां शुरू किया था. बुधवार देर रात इस कैफे पर फायरिंग की गई.

पता लगा कि एक कार में आए हमलावरों ने कपिल शर्मा के कैफे पर अंधाधुंध फ़ायरिंग की और भाग गए. इस गोलीबारी में किसी की जान तो नहीं गई, लेकिन रेस्तरां के बाहरी हिस्से को कुछ नुक़सान हुआ है. बाद में इस हमले की ज़िम्मेदारी, खालिस्तानी आतंकी हरजीत सिंह लड्डी ने ली.

हरजीत बब्बर खालसा इंटरनेशनल से जुड़ा है. एक बयान में हरजीत ने कहा कि कपिल शर्मा ने अपने शो में निहंग सिखों के बारे में कुछ बातें कही थी, जो उसको पसंद नहीं आई, इसीलिए उसने कैप्स कैफे पर गोलियां चलवाईं.

कपिल शर्मा के रेस्तरां पर किया गया हमला कायराना है. कहां हैं कनाडा के वो लोग जो खालिस्तानियों को अभिव्यक्ति की आज़ादी के नाम पर सुरक्षा देते हैं?

कहां हैं वो लोग जो कहते हैं कि सबको अपनी राय व्यक्त करने का अधिकार है? तो क्या कपिल शर्मा को अपनी बात कहने का हक़ नहीं है? उनके किसी कमेंट को बहाना बनाकर डराने की कोशिश करना कैसे न्यायसंगत है?

जहां तक मैं जानता हूं, कपिल शर्मा कभी कोई ऐसी बात नहीं कहते जो किसी को दु:ख पहुंचाए. वह तो लोगों को हंसाने का काम करते हैं. इसीलिए हमला करने वालों के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए.

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