महाराष्ट्र में 5 दिसंबर को नई सरकार का गठन होगा. देवेन्द्र फडणवीस मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ लेंगे और अजित पवार उपमुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेंगे. 4 दिसंबर को बीजेपी विधायक दल फड़णवीस को अपना नेता चुनेगा. लेकिन नई सरकार में एकनाथ शिन्दे किस रोल में होंगे, ये फिलहाल तय नहीं है क्योंकि शिन्दे नाराज़ बताए जा रहे हैं. उन्होंने सेहत ठीक न होने को वजह बता कर सोमवार को सारी मीटिंग्स रद्द कर दी, इसीलिए चर्चाओं का दौर शुरू हुआ.
एकनाथ शिन्दे के बेटे श्रीकांत शिन्दे ने अपने बारे में साफ किया कि वो न डिप्टी सीएम बनने जा रहे हैं और न ही उन्होंने केन्द्र सरकार में कोई पद मांगा है. उन्होंने अपने पिता के नाराज़ होने की खबरों को निराधार बताया.
विभागों के बंटवारे पर फैसला करने के लिए अमित शाह ने देवेन्द्र फडनवीस, अजित पवार और एकनाथ शिन्दे को दिल्ली बुलाया था लेकिन शिन्दे ने तबियत खराब होने की बात कहकर दिल्ली आने से इंकार कर दिया. खबर है के शिंदे डिप्टी सीएम बनने के साथ साथ गृह विभाग चाहते हैं, पर इसके लिए बीजेपी नेतृत्व तैयार नहीं है. उन्हें शहरी विकास विभाग देने की पेशकश की गई है.
महाराष्ट्र की राजनीति में एक ट्रेंड सा हो गया है. जब भी मुख्यमंत्री के सरकारी बंगले, वर्षा, के लिए कोई बारात निकलती है तो एक न एक फूफाजी नाराज़ जरूर हो जाते हैं. पिछली बार उद्धव मुंह फुलाकर बैठ गए थे.सारे रिश्ते नाते तोड़कर फडणवीस की घोड़ी भगाकर ले गए थे और फिर दूसरी बारात में शामिल हो गए.
इस बार शिंदे नाराज फूफा जी बनकर बैठे हैं. बस से नीचे उतरने को तैयार नहीं हैं. उन्हें दुल्हा नहीं बनाया, घोड़ी पर नहीं चढ़ाया, इसीलिए नाराज हैं. लेकिन इस बार फडणवीस का कवच अभेद्य है. उनकी सेना भी बड़ी है. इसीलिए शिंदे थोड़े बहुत नखरे कर सकते हैं पर अन्ततोगत्वा उन्हें मानना ही पड़ेगा. इस बार जनता का आदेश ऐसा है. इसके आगे शिंदे को झुकना ही पड़ेगा. इस बात को वे जितनी जल्दी समझ जाएं, उतना बेहतर होगा.