Rajat Sharma

पहलगाम के दरिंदे पाकिस्तानी थे : सबूत पक्के हैं

WhatsApp Image 2025-04-29 at 3.16.47 PM (1) इस बात के सबूत मिल गए हैं कि पहलगाम में हिंदुओं के नाम पूछ कर हत्या करने वाले तीनों दरिंदे पाकिस्तानी थे. आतंकवादियों के पास से मिले ID कार्ड, खाने पीने की चीज़ें, हथियार और सैटेलाइट फोन, ये सच्चाई साबित करते हैं कि ये दरिंदे पाकिस्तान से आए थे. 28 जुलाई को सेना, केंद्रीय सुरक्षा बल, और जम्मू-कश्मीर पुलिस ने श्रीनगर के पास दातीगाम में इन तीन आतंकवादियों को मार गिराया था. उनके नाम हैं, सुलेमान शाह उर्फ़ फ़ैसल जट्ट, अबु हमज़ा उर्फ़ अफ़ग़ान, उर्फ़ हबीब ताहिर और यासिर उर्फ़ जिब्रान.

इनके पास से पाकिस्तान का नेशनल आइडेंटिटी कार्ड मिला था. चिप based इस identity कार्ड में उस शख़्स का नाम और दूसरी जानकारियां भी होती हैं. आतंकियों के पास से पाकिस्तान की सरकारी एजेंसी NADRA की एक स्मार्ट माइक्रोचिप भी बरामद हुई थी. इस चिप में आतंकियों के फिंगरप्रिंट, उनके चेहरे की detail और ख़ानदान की जानकारी दर्ज थी जिसको IT एक्सपर्ट्स ने retrieve किया. आतंकियों के पास से कैंडीलैंड और चॉकोमैक्स नाम की चॉकलेट्स भी मिलीं जो कराची की एक कंपनी बनाती है. आतंकियों के पास से Chinese कंपनी Huawei का सैटेलाइट फोन भी मिला था.

सुलेमान शाह उर्फ़ फ़ैसल जट्ट और अबु हमज़ा उर्फ़ अफ़ग़ानी की जेब से वोटर स्लिप भी बरामद हुई. ये वोटर स्लिप पाकिस्तान के चुनाव आयोग ने जारी की है. सुलेमान शाह, पाकिस्तान की नेशनल असेंबली चुनावक्षेत्र 125 का वोटर था जो लाहौर में पड़ता है. अबु हमज़ा गुज़रांवाला की नेशनल असेंबली की सीट 79 का वोटर है. ये सीट पाकिस्तान के पंजाब सूबे में पड़ती है.

सुलेमान शाह कसूर के चांगा-मांगा गांव का रहने वाला था जबकि अबु हमज़ा रावलाकोट के कुइयां गांव का रहने वाला था. आतंकवादियों के पास से मिली चाइनीज़ कंपनी Huawei का सैटेलाइट फ़ोन 22 अप्रैल से 25 जुलाई के बीच एक्टिव था. कम्युनिकेशन के लिए ये सैटेलाइट फ़ोन ब्रिटिश communication सैटेलाइट Inmarsat-4 F1 की bandwidth का इस्तेमाल कर रहा था. इसी सेटेलेलाइट फोन की लोकेशन को ट्रैस करके सुरक्षा बल जंगलों में छुपे दरिंदों तक पहुंचे थे. 25 जुलाई को जंगलों में सुरक्षा बलों से घिर जाने के बाद, आतंकियों ने ये सैटेलाइट फ़ोन switch off कर दिया था.

आतंकियों के पास बरामद हुए हथियारों की ballistic report से पता चला है कि ये तीनों पहलगाम के दरिंदे थे. पहलगाम की बैसारन घाटी में हमले के बाद जो कारतूस मिले थे. उनकी केसिंग का मिलान मारे गए दहशतगर्दों की राइफलों से किया गया था. ये कारतूस आतंकियों के पास मिलीं AK 103 राइफलों के ही थे. आतंकियों की राइफलों को चंडीगढ़ लाकर उनसे फायरिंग की गई. फिर ख़ाली कारतूसों का मिलान, बैसारन घाटी में मिले कारतूसों से किया गया तो दोनों की marking पूरी मैच हो गईं. पहलगाम में एक आतंकी की फटी हुई शर्ट के टुकड़े भी मिले थे जिसमें लगे ख़ून के धब्बों का मिलान मारे गए आतंकियों के DNA से किया गया. तीनों आतंकियों के DNA प्रिंट्स भी 100 परसेंट मैच हुए. ये इस बात की पुष्टि करता है कि दातीगाम में मारे गए आतंकियों ने ही 22 अप्रैल को पहलगाम में आतंकी हमला किया था.

खुफिया एजेंसियों ने पता लगाया है कि पहलगाम हमले का असल मास्टरमाइंड सज्जाद सैफुल्लाह जट था जो लश्कर का साउथ कश्मीर का कमांडर है. इंटेलिजेंस एजेंसियों के पास उसका voice sample पहले से मौजूद था. आतंकियों के पास मिले सैटेलाइट फोन में रिकॉर्ड आवाज़ से मिलान करने पर ये बात confirm हो गई. इस ऑपरेशन में सेकेंड इन कमांड, PoK में लश्कर का कमांडर रिज़वान अनीस उर्फ़ हनीफ़ था.

28 जुलाई को जब PoK का आतंकी अबु हमज़ा मारा गया तो रावलाकोट में उसके गांव में गायबाना नमाज़-ए-जनाज़ा हुई. इसमें शामिल होने रिज़वान भी गया था. हालांकि, गांव के लोगों ने उसको भगा दिया था. इससे साफ़ है कि लश्करे तैयबा ने ही पहलगाम के हमले की प्लानिंग की और उसी के आतंकियों ने इसको अंजाम दिया. पाकिस्तान को ये सारे सबूत देखने चाहिए.

पाकिस्तान की सरकार अच्छी तरह जानती है कि सुलेमान शाह, अफ़ग़ान, और जिब्रान पाकिस्तानी थे. पाकिस्तान की फौज जानती है कि सुलेमान पाकिस्तानी सेना का Trained Commando था. ISI जानती है कि इन दहशतगर्दों को वही हथियार दिए गए थे जिनका इस्तेमाल पाकिस्तानी फौज करती है. इन आतंकियों के Voter Card भी मिल गए हैं, micro-SD कार्ड से इनके पूरे खानदान का Data मिल गया है, Biometrics भी match हो गए हैं.

पर पाकिस्तान इन सारे सबूतों को नकारेगा. पाकिस्तान अपना कसूर कभी नहीं मानेगा. पाकिस्तान कभी स्वीकार नहीं करेगा कि ये तीनों आतंकवादी पाकिस्तानी नागरिक थे. इसीलिए अब भारत Love Letter नहीं भेजता, Missile भेजता है. अब भारत Dossier नहीं भेजता, पाकिस्तान के आतंकवादियों के अड्डों पर बम बरसाता है.

लेकिन इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि पाकिस्तान इन सबूतों को माने या ना मानें. पाकिस्तान की फितरत सारी दुनिया जानती है.

फर्क इस बात से पड़ता है कि पी चिदंबरम जैसे senior नेता जो गृह मंत्री रह चुके हैं, सच को मानने से इनकार करते हैं.

फर्क इस बात से पड़ता है कि संजय राउत जैसे नेता इस बात पर सवाल उठाते हैं कि क्या इन आतंकवादियों ने मासूम नागरिकों से उनका धर्म पूछकर उनकी हत्या की थी.

पहलगाम के हमले में मारे गए लोगों के परिवारवाले साफ बता रहे हैं कि आतंकवादियों ने धर्म पूछकर गोली मारी थी. दहशतगर्दों ने एक शख्स को इसीलिए छोड़ दिया था कि उसने कलमा पढ़ दिया था. पाकिस्तानी दरिंदों ने सिर्फ मर्दों को मारा था. उनकी पैंट उतरवाकर चेक किया था कि वो हिंदू हैं या मुसलमान.

ये सारी बातें उन बहनों- बेटियों ने बताई थी जिनके माथे का सिंदूर उजड़ गया. आज एक नेता के बयान की वजह से उन परिवारवालों के घाव फिर से हरे हो गए.

संजय राउत ने अपनी राजनीति चमकाने के चक्कर में 26 परिवारों के साथ बड़ा जुल्म किया. उन्हें एक और जख्म दे दिया.

ये वही संजय राउत हैं जिन्होंने दावा किया था कि बीजेपी चुनाव से पहले ट्रेन में ब्लास्ट करवाएगी, शहरों में आग लगवाएगी, दंगे करवाएगी और अब संजय राउत कह रहे हैं कि पहलगाम में आतंकवादियों ने हिन्दुओं को धर्म पूछ कर नहीं मारा, ये बीजेपी की साजिश है.

मुझे लगता है कि इस तरह के बयानों से संजय राउत की विश्वसनीयता तो पहली ही खत्म हो चुकी है लेकिन अब इसका नुकसान उद्धव ठाकरे को भी झेलना पड़ेगा.

राहुल गाँधी को सुप्रीम कोर्ट ने क्यों डांटा ?

वैसे बयानों के मामले में राहुल गांधी का भी कोई मुक़ाबला नहीं हैं. अपने बयान के चक्कर में राहुल गांधी को सुप्रीम कोर्ट से ज़बरदस्त फ़टकार सुनने को मिली. सेना और चीन को लेकर राहुल गांधी ने जो जो बयान दिए, उन पर सुप्रीम कोर्ट ने नाराज़गी जाहिर की.

कोर्ट ने राहुल गांधी से यहां तक कहा कि अगर वो सच्चे भारतीय हैं, तो ऐसे बयान न देते. दिसंबर 2022 में भारत जोड़ो यात्रा के दौरान राहुल गांधी ने कहा था कि गलवान में भारत के 20 सैनिकों को चीनी सेना ने पीट-पीटकर मार डाला, भारत की दो हज़ार वर्ग किलोमीटर ज़मीन पर क़ब्ज़ा कर लिया. इस बयान से आहत होकर सीमा सडक संगठन के पूर्व निदेशक उदय शंकर श्रीवास्तव ने राहुल गांधी के खिलाफ आपराधिक मानहानि का केस फाइल किया था. उदय शंकर श्रीवास्तव का आरोप है कि राहुल गांधी ने सेना का अपमान किया है.

लखनऊ की MP-MLA कोर्ट ने राहुल गांधी को समन किया था. राहुल गांधी ने हाईकोर्ट में अपील की लेकिन राहत नहीं मिली. सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस AG मसीह की बेंच ने इस केस पर तीन हफ्ते के लिए रोक लगा दी. लेकिन साथ ही राहुल गांधी को आईना भी दिखाया.

जस्टिस दत्ता ने पूछा कि राहुल गांधी से पूछा कि उन्हें कैसे पता लगा कि चीन ने भारत की दो हजार वर्ग किलोमीटर जमीन पर कब्जा कर लिया? क्या उनके पास इसका कोई सबूत है? सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राहुल गांधी संसद के सदस्य हैं, प्रतिपक्ष के नेता हैं. उन्हें थोड़ी maturity दिखानी चाहिए, बेवजह की बयानबाज़ी से बचना चाहिए. अदालत ने कहा कि अगर राहुल गांधी को सवाल पूछने हैं तो संसद में पूछें, सोशल मीडिया पर नहीं क्योंकि कोई सच्चा भारतीय सेना के लिए ऐसे शब्दों का इस्तेमाल नहीं कर सकता, न ही देश की ज़मीन पर क़ब्ज़ा होने जैसे बेतुके बयान दे सकता है.

Supreme Court की टिप्पणियों के बाद ये फिर साबित हो गया कि राहुल गांधी बार बार आधा सच, आधा झूठ बोलते हैं, Factually Incorrect बातें कहते हैं, सुप्रीम कोर्ट को कुछ कह नहीं सकते, इसीलिए Media पर blame लगाते हैं.

Rafale मामले में उन्हें Supreme Court में माफी मांगनी पड़ी थी. महाराष्ट्र में कितने voter हैं, इस पर हर बार उनके आंकड़े अलग होते हैं. ऐसे कई उदाहरण हैं.

राजनीतिक बयानबाजी में कुछ 19-20 हो जाए तो ज्यादा समस्या नहीं होती, लेकिन जब मामला भारतीय सेना का हो, जब सवाल चीन और पाकिस्तान से जुड़े हों, तो जिम्मेदारी से बोलना चाहिए. चीन और पाकिस्तान के दावों को मानने की बजाय अपनी सेना और अपनी सरकार पर यकीन करना चाहिए.

तेजस्वी के पास दो-दो वोटर कार्ड कहाँ से आये ?

बिहार में मतदाता सूची पुनरीक्षण मामले को लेकर सोमवार को तेजस्वी यादव का कोई बयान नहीं आया. न कांग्रेस के किसी नेता ने बताया और न RJD के किसी नेता ने कि तेजस्वी यादव के दो दो वोटर कार्ड कैसे बने.

असल में तेजस्वी ने दो दिन पहले खुद दावा किया था कि वोटर लिस्ट के रिवीजन में उनका नाम ही वोटर लिस्ट से कट गया है. इसके बाद चुनाव आयोग ने जांच की और कुछ ही देर में बता दिया कि तेजस्वी का नाम वोटर लिस्ट में हैं लेकिन जो वोटर कार्ड और EPIC नंबर तेजस्वी यादव दिखा रहे हैं, वो गलत है.

चुनाव आयोग ने अब तेजस्वी यादव से उस वोटर कार्ड की डिटेल देने को कहा है जो उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस में दिखाकर वोटर लिस्ट से नाम कटने का दावा किया. तेजस्वी ने कहा था कि उनका EPIC नंबर RAB2916120 है जो ड्राफ्ट रोल से गायब है लेकिन चुनाव आयोग ने साफ कह किया कि तेजस्वी का EPIC नंबर RAB0456228 है जो दीघा विधानसभा क्षेत्र में पहले से दर्ज है. इसी EPIC नंबर से तेजस्वी ने पिछले विधानसभा चुनाव में वोट डाला. इसी नंबर से लोकसभा चुनाव में वोटिंग की.

चुनाव कमीशन ने बताया कि इसी EPIC नंबर का जिक्र तेजस्वी ने विधानसभा चुनाव के हलफनामे में किया था. इसलिए अब इस बात की जांच जरूरी है कि जो दूसरा EPIC नंबर तेजस्वी दिखा रहे हैं, वो कहां से आया, कैसे बना. चुनाव आयोग ने तेजस्वी को नोटिस जारी करके कहा कि आप अपना पुराना कार्ड दीजिए ताकि ये पता लगाया जा सके कि ये कार्ड कैसे बना.

तेजस्वी यादव तो कह रहे थे कि चुनाव आयोग ने उनका नाम गायब कर दिया है. ये चुनाव आयोग पर एक गंभीर आरोप था. लेकिन अब उनके दो-दो Voter ID Card पकड़े गए तो तेजस्वी के पास कोई जवाब नहीं है. चुनाव आयोग ने साफ कहा है कि पिछले दस साल का रिकॉर्ड चैक किया गया. जो EPIC नंबर तेजस्वी यादव दिखा रहे हैं, उस नंबर का कार्ड चुनाव आयोग के सिस्टम से बना ही नहीं है.

अब तेजस्वी को ये बताना चाहिए कि वो जो कार्ड दिखा रहे हैं, वो कार्ड कैसे बना, कहां बना, किसने बनाया. असल में दूसरों पर आरोप लगाना बहुत आसान होता है, लेकिन जब खुद अपनी गलती खुल जाए तो जवाब देना मुश्किल हो जाता है. तेजस्वी यादव ने चुनाव आयोग के बारे में क्या-क्या नहीं कहा. पूरी संस्था की विश्वसनीयता पर सवाल उठाए लेकिन अब खुद तेजस्वी की विश्वसनीयता पर सवाल खड़ा हो गया है.

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