Rajat Sharma

दिल्ली में सिर्फ उन वाहनों को सीज़ करें जिनसे प्रदूषण होता हो

WhatsApp Image 2025-04-29 at 3.16.49 PMदिल्ली में जो लोग अपनी पुरानी गाड़ियों को लेकर परेशान हैं, उनको राहत मिलने की उम्मीद बंधी है. दिल्ली सरकार ने CAQM (Commission for Air Quality Management) को एक पत्र लिख कर कहा है कि 10 से 15 साल पुरानी गाडियों को पेट्रोल पम्प में ईंधन न देने और उन्हें जब्त किए जाने के फैसले पर फिलहाल रोक लगाई जाय.

पत्र में लिखा गया है कि पेट्रोल पम्प पर पुरानी गाड़ियों के नम्बरप्लेट को आइडेंटिफाई करने के लिए जो ANPR (automatic number plate recognition) कैमरे लगाए गए हैं, उनमें कई खामियां हैं. इसलिए पुरानी गाडियों को जब्त करने के फैसले पर फिलहाल रोक लगाई जाय. दिल्ली में इस समय 62 लाख ऐसे two-wheeler और four-wheeler वाहन हैं, जो दस या पन्द्रह साल पुराने हैं. कोर्ट का आदेश है कि उन्हें जब्त किया जाए और फिर scrap कर दिया जाए, उन्हें ईंधन न दिया जाए.

दिल्ली में बड़ी संख्या में ऐसे वरिष्ठ नागरिक हैं, जिनके पास पुरानी गाड़ी है और वो महीने में केवल एक या दो दिन इसका इस्तेमाल करते हैं. ऐसे सब लोग परेशान हैं. बहुत सारे लोगों ने फोन पर मुझे मैसेज, ई-मेल भेजे. एक-दो केस ऐसे मिले जिसमें किसी ने कहा कि मेरी मर्सीडीज कार 84 लाख रूपए की है, लेकिन दस साल पुरानी है इसलिए scrap होने के डर से मुझे सिर्फ ढाई लाख रु. में बेचनी पड़ी. एक गाड़ी सिर्फ सत्तर हजार किलोमीटर चली है, वो और चल सकती थी लेकिन नए आदेश के तहत इसे भी scrap करना पड़ेगा.

इस समस्या पर मैंने दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता से सवाल किए. रेखा गुप्ता ‘आप की अदालत’ में मेरी मेहमान थीं. रेखा गुप्ता ने कहा कि वह इस बात से पूरी तरह सहमत हैं कि ये दिल्ली के लोगों के लिए बहुत बड़ी परेशानी का सबब है और उनकी सरकार लोगों को इस मुसीबत से बचाने की पूरी कोशिश कर रही है.

रेखा गुप्ता ने कहा कि पुरानी गाड़ियों को जब्त करके scrap करने का फैसला उनकी सरकार का नहीं हैं. इसमें कोर्ट, NGT और CAQM शामिल हैं. लेकिन उन्होंने विश्वास दिलाया कि वो अपनी तरफ से पूरी कोशिश करेंगी कि दिल्ली के लोगों को इस परेशानी से बचाया जाए. रेखा गुप्ता ने कहा कि पिछली सरकारों ने इस मामले में कुछ नहीं किया, सुप्रीम कोर्ट और NGT के सामने जनता का पक्ष ठीक से नहीं रखा, इसीलिए दिल्ली वालों को इस मुसीबत का सामना करना पड़ा.

रेखा गुप्ता ने माना कि ऐसे हजारों केस हैं और लोग इस आदेश से बहुत परेशान हैं. उनका कहना है कि गाडियों को स्क्रैप करने की शुरूआत केजरीवाल सरकार ने डेढ साल पहले की थी. इसमें ख्वामख्वाह सख्ती बरती गई, लेकिन उनकी सरकार अब ऐसा नहीं होने देगी, लोगों को राहत दिलवाएगी. ‘आप की अदालत’ का ये शो आप शनिवार रात को इंडिया टीवी पर देख सकते हैं.

असल में पुरानी गाडियों को बंद करने का आदेश सबसे पहले 2014 में NGT ने दिया था. उस वक्त दिल्ली के वायु प्रदूषण पर चिंता जताते हुए NGT ने आदेश दिया था कि 10 साल पुरानी डीजल और 15 साल पुरानी पेट्रोल गाड़ियों को public place में parking space न दिया जाए.

2018 में सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि दिल्ली से 10 साल पुरानी डीजल और 15 साल पुरानी पेट्रोल गाड़ियों को हटाया जाए. इसके बाद मामला टलता रहा. दस साल तक अरविन्द केजरीवाल मुख्यमंत्री थे. केजरीवाल की सरकार ने कोई ठोस फैसले नहीं किए. इस साल कमीशन फॉर एयर क्वालिटी मैनेजमेंट ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को 1 जुलाई से लागू करने का आदेश दे दिया, पुरानी गाडियों को पेट्रोल डीजल ने देने का फरमान सुना दिया. दिल्ली के सभी पेट्रोल पंप्स पर कैमरे लगा दिए गए, पुलिस तैनात हो गई और बुधवार तक 158 गाडियां जब्त हो चुकी थीं. ये सिलसिला जारी है.

लोगों में दहशत है. इसलिए दिल्ली सरकार ने अब इस फैसले का विरोध किया है. कमीशन फॉर एयर क्वालिटी मैनेजमेंट को दिल्ली के पर्यावरण मंत्री ने चिट्ठी लिखी है. हालांकि इस मामले में NGT और सुप्रीम कोर्ट का आदेश है, इसलिए इसे सुलझाने में वक्त लगेगा.

लेकिन एक बात समझ में नहीं आई कि केजरीवाल की सरकार ने NGT और कोर्ट में ये तर्क क्यों नहीं रखा कि अगर प्रदूषण कम करना है तो उन गाड़ियों को बंद करो, जो हवा में प्रदूषण फैलाती हैं. फिर प्रदूषण फैलाने वाली गाड़ी दो साल पुरानी हो या बीस साल, इससे क्या फर्क पड़ता है? अगर कोई गाड़ी फिट है, उसका प्रदूषण स्तर स्वीकार्य सीमा के अंदर है, तो उसे जब्त करके scrap करने के पीछे क्या तुक है ?

बंगाल में बच्ची के रेप के आरोपी तृणमूल नेता को सज़ा

पश्चिम बंगाल के मालदा में एक स्पेशल कोर्ट ने चार साल पहले हुए विधानसभा चुनाव के बाद हुई हिंसा के एक केस में रफीकुल इस्लाम नामक एक तृणमूल कांग्रेस समर्थक और रिटायर्ड स्कूल शिक्षक को नौ साल की बच्ची के साथ बलात्कार के आरोप में दोषी ठहरा दिया.

रेप के केस में कोर्ट के फैसले आते रहते हैं लेकिन ये फैसला इसलिए बड़ा है क्योंकि रफीकुल इस्लाम ने नौ साल की मासूम बच्ची के साथ इसलिए बलात्कार किया क्योंकि उसके माता-पिता बीजेपी के समर्थक हैं. उन्होंने चुनाव में बीजेपी को वोट दिया था.

ये केस कलकत्ता हाई कोर्ट के आदेश पर CBI को ट्रांसफर किया गया. CBI ने जांच की, 22 लोगों की गवाही हुई, इन गवाहों में सबसे अहम थी रेप की शिकार बच्ची की नाबालिग बहन. अदालत के फैसले पर बच्ची के माता पिता ने खुशी जाहिर की. दोनों माता पिता मजदूर हैं.

अभी तो सिर्फ एक केस में फैसला आया है. ऐसे 55 मामले हैं. एक और केस में तृणमूल कांग्रेस के तीन नेताओं पर CBI का शिकंजा कस गया है. सीबीआई ने कोलकाता के बीजेपी नेता अभिजीत सरकार की हत्या के केस में तृणमूल विधायक परेश पाल, पार्षद स्वपन समाद्दार और पापिया घोष को आरोपी बनाया है.

कोर्ट में दाखिल सप्लीमेंट्री चार्जशीट में इन तीनों नेताओं के नाम हैं. इस सप्लीमेंट्री चार्जशीट में तीन पुलिस अफसरों समेत कुल 18 लोगों के नाम जोड़े गए हैं. 2 मई 2021 को कोलकाता के कांकुड़गाछी इलाके में बीजेपी नेता अभिजीत सरकार की पीट-पीटकर हत्या कर दी गई थी. बंगाल के चुनाव नतीजें आने के बाद बड़े पैमाने पर हिंसा हुई थी और अभिजीत सरकार तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ताओं की गुंडागर्दी का वीडियो बना रहा था. इससे तृणमूल कार्यकर्ता नाराज हो गए.

अभिजीत सरकार के भाई विश्वजीत ने बताया कि ममता बनर्जी के समर्थकों ने घर में घुसकर उन्हें और उनकी मां को बुरी तरह पीटा, इसके बाद अभिजीत की हत्या कर दी.

बंगाल में चुनावी हिंसा कोई नई बात नहीं है. बड़ी बात ये है कि बंगाल में चुनाव के दौरान हिंसा होती है. नतीजे आने के बाद ज्यादा होती है. विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद यही हुआ. इसी तरह पंचायत चुनाव के नतीजे आने के बाद बीजेपी के टिकट पर पुरुलिया में जीते ग्राम प्रधानों को तो घर बार छोड़कर झारखंड भागना पड़ा.

हर बार जीत के नशे में डूबे ममता की पार्टी के लोग गुंडागर्दी करते हैं, बीजेपी के समर्थकों पर हमला करते हैं, बम चलाते हैं, उनके घरों को निशाना बनाते हैं और पुलिस कोई कार्रवाई नहीं करती.

19 अगस्त 2021 को कलकत्ता हाई कोर्ट की 5 जजों की बेंच ने चुनाव के बाद हुई हिंसा में हत्या, बलात्कार और महिलाओं पर अत्याचार के सारे मामलों की जांच CBI को सौंपने का आदेश दिया था.

CBI ने 55 केस दर्ज किए. इनमें से ज्यादातर मामलों में चार्जशीट दाखिल हो चुकी है. ट्रायल चल रहा है. CBI ने अलग अलग अदालतों में विशेष वकील नियुक्त किए. अब पहले केस में बच्ची के साथ रेप के मामले में फैसला आ गया. इसलिए कम से कम अब तृणमूल कांग्रेस के नेताओं को ये कहने का कोई हक नहीं हैं कि बंगाल में हुई हिंसा में उनकी पार्टी का कोई हाथ नहीं हैं.

डीपफेक वीडियो : समाज के लिए अभिशाप

हरियाणा के नूंह से एक हैरान करने वाली खबर आई. आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस की मदद से दो नाबालिग किशोरों ने समाजवादी पार्टी की सांसद इक़रा हसन का deepfake वीडियो बनाया, उसे फेसबुक पर अपलोड कर दिया. ये वीडियो वायरल हो गया. जांच में पता लगा कि इक़रा हसन का ये अश्लील फेक वीडियो नूंह जिले के एक गांव के दो लड़कों ने बनाया था. लड़कों की उम्र सिर्फ 13-14 साल है. दोनों अनपढ़ है. दोनों ने इक़रा हसन MP के नाम से फेसबुक पेज बनाया और फेसबुक पेज पर फॉलोअर बढ़ाने के चक्कर में इन लड़कों ने किसी दूसरे की तस्वीर पर इक़रा हसन की फोटो लगा कर AI जेनरेटिड फर्जी वीडियो बना कर पोस्ट कर दिया.

इक़रा हसन ने नूंह की कांग्रेस नेता रज़िया बानो से बात की. रज़िया बानो ने पड़ताल की तो मालूम हुआ कि नूंह के आमका गांव के दो लड़कों ने बनाया था. रज़िया बानो आमका गांव पहुंचीं. इसके बाद गांव में पंचायत हुई, दोनों लड़कों ने कबूल किया कि वीडियो उन्होंने ही बनाया था. दोनों लड़कों की पिटाई हुई और माफ़ी मंगवा कर उन्हें छोड़ दिया गया.

नूंह का इलाका साइबर क्राइम और डीपफेक का सेंटर बन गया है. नूंह इलाके से ही साइबर ठगी के केस होते हैं, लोगों का डिजिटल अरेस्ट दिखा कर उन्हें ठगा जाता है. ज्यादातर काम नाबालिग लड़के करते हैं.

Deepfake वीडियो बनाने वाले लड़कों ने माफी मांग ली, इकरा हसन ने भी उन्हें माफ कर दिया. वैसे भी लड़के नाबालिग हैं, इसलिए उनके खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई हो भी नहीं सकती.

लेकिन ये मामला इस बात का सबूत है कि AI deepfake वीडियो आज के समय में कितनी बड़ी समस्या बन गए हैं. आज की digital दुनिया में ऐसे किसी भी आपत्तिजनक कंटेंट को पूरी तरह से block करना मुश्किल होता है.. किसी भी social media platform पर ऐसा आपत्तिजनक वीडियो अपलोड होने पर सबसे पहले ये साबित करना होगा कि ये कंटेंट deepfake है, फिर इसकी शिकायत पुलिस से करनी होगी और पुलिस के निर्देश पर या victim के अनुरोध पर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म इस deepfake वीडियो को हटा देते हैं. कई बार कोर्ट जाना पड़ता है.

मैंने आपके साथ पहले भी शेयर किया है कि मैं भी कई बार deepfake का शिकार हो चुका हूं. मेरे वीडियो पर AI की sound लगाकर, मेरे नाम से कभी कोई दवा बेची जाती है, कभी किसी investment को promote किया जाता है. ये वीडियो fake होते हैं, झूठे होते हैं और कोई न कोई मुझे सूचना भेज देता है.

मेरे पास कोर्ट का dynamic order है. हम ऐसे Videos को हटवा देते हैं पर हर थोड़े दिन में फिर कोई नया Video आ जाता है. ये समस्या पूरी दुनिया में है और इस पर गहराई से विचार चल रहा है कि इसका क्या इलाज किया जाए.

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