Rajat Sharma

गौरव और विकास का सबसे ऊंचा पुल

WhatsApp Image 2025-04-29 at 3.16.47 PM (1) जम्मू कश्मीर में बना दुनिया का सबसे ऊंचा रेलवे आर्च ब्रिज. कश्मीर देश के रेलवे नेटवर्क से जुड़ गया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कटरा से श्रीनगर जाने वाली पहली वंदे भारत ट्रेन को हरी झंडी दिखाई.
मोदी ने चिनाब ब्रिज पर खड़े होकर तिरंगा लहराया और पूरी दुनिया को संदेश दिया कि चिनाब ब्रिज सिर्फ स्टील और कॉन्क्रीट का बना पुल नहीं, भारत के मजबूत इरादों और सामर्थ्य का सबूत है.
मोदी ने याद दिलाया, ऑपरेशन सिंदूर को एक महीना पूरा हो गया. मोदी ने कहा कि पाकिस्तान जब जब 6 मई की उस रात को याद करेगा, जब जब ऑपरेशन सिंदूर का नाम सुनेगा, तो उसे अपनी शर्मनाक हार याद आएगी. मोदी ने कहा कि पाकिस्तान इंसानियत का दुश्मन है, गरीबों की रोजी रोटी का दुश्मन है, पहलगाम का हमला इसका सबूत है.
मोदी ने कहा कि पाकिस्तान तो क्या, जम्मू कश्मीर के विकास को अब दुनिया की कोई ताकत नहीं रोक पाएगी, अगर कोई ये हिमाकत करेगा तो उसे..पहले नरेन्द्र मोदी से टकराना होगा.
मोदी ने जो कहा वो सिर्फ बयान नहीं है, रैली में दिया गया भाषण नहीं हैं, ये विकास के प्रति देश के संकल्प और आंतकवाद के खिलाफ जंग की दृढृ इच्छाशक्ति की अभिव्यक्ति है.
मोदी ने जम्मू-कश्मीर में 46 हजार करोड़ रुपए के जिन प्रोजेक्ट्स की शुरूआत की, उvमें सबसे बड़ा प्रोजेक्ट चिनाब ब्रिज का है. जम्मू-कश्मीर के रियासी pfns में चिनाब नदी पर बना ये ब्रिज दुनिया का सबसे ऊंचा रेलवे ब्रिज है. इसके बनने की शुरूआत तो 42 साल पहले 1983-84 में हुई थी लेकिन ये अब मोदी के कार्यकाल में पूरा हुआ.
ऊंचे ऊंचे पहाड़ों के बीच बना ये स्टील ब्रिज दुनिया के लिए अजूबा है. खतरनाक मौसम के बीच इस ब्रिज को बनाना कोई हंसी खेल नहीं था. इस पुल की ऊंचाई 359 मीटर है. ये आर्च ब्रिज ऐसी जगह बनाया गया है, जो सीस्मिक ज़ोन-5 में आता है, यानि यहां भयंकर भूकंप आने का खतरा हर वक्त रहता है. हर मौसम में सौ किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से हवा चलती है. नीचे चिनाब नदी है.
हमारे इंजीनियर्स ने सारी चुनौतियों को पार किया. 1315 मीटर लंबा ब्रिज बनकर तैयार है. 26 मीटर चौड़े इस ब्रिज से पहली ट्रेन गुजरी. चिनाब ब्रिज की मजबूती ऐसी है कि बड़े से बड़े भूकंप का इस पर कोई असर नहीं होगा. ये ब्रिज 266 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलने वाली हवाओं को भी आसानी से झेल सकता है.
चिनाब ब्रिज को बनाने में 28 हजार टन से भी ज्यादा इस्पात का इस्तेमाल किया गया. यानि पेरिस के एफिल टावर में जितनी मात्रा में इस्पात का इस्तेमाल किया गया था, उससे करीब तीन गुना ज्यादा इस्पात का इस्तेमाल हुआ है.
ये एफिल टावर से 35 मीटर ज्यादा ऊंचा है. गुजरात में स्टैच्यू ऑफ यूनिटी से करीब दोगुना ऊंचा है और कुतुब मीनार से इसकी ऊंचाई करीब पांच गुना ज्यादा है. जब आप इस ब्रिज के ऊपर से गुजरेंगे तो बादल आपको नीचे दिखाई देंगे. लगेगा मानो आप किसी विमान में सफर कर रहे हों या आसमान में उड़ रहे हों.
आपको जानकर आश्चर्य होगा कि सुप्रीम कोर्ट के वकील प्रशांत भूषण ने इस प्रोजेक्ट को रोकने की जी तोड़ कोशिश की थी. प्रशांत भूषण ने सुप्रीम कोर्ट में एक writ petition फाइल की थी. इस प्रोजेक्ट की Methodology को faulty बताया था. इसकी लागत को ज्यादा बताया था. सुरक्षा के सवाल उठाए थे.
इस केस की वजह से चिनाब रिवर प्रोजेक्ट 2 साल तक रुका रहा. रेलवे की तरफ से सीनियर एडवोकेट मनिंदर सिंह ने केस लड़ा.
मनिंदर सिंह ने साबित किया कि केस फाइल करने के पीछे मंशा अच्छी नहीं है. उन्होंने कोर्ट को बताया कि सुरक्षा के हर पहलू पर ध्यान रखा गया. ये प्रोजेक्ट देश के फायदे के लिए है. दो साल केस चला. फिर हाई कोर्ट ने चिनाब रेलवे ब्रिज प्रोजेक्ट को क्लियर किया. तब जाकर इसपर काम शुरू हो पाया.

क्या ट्रम्प से दुश्मनी मस्क को महंगी पड़ेगी ?

अमेरिका की राजनीति में एक बड़ा तूफान आया. राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप और खरबपति एलन मस्क ने एक दूसरे के खिलाफ खुलेआम जंग का ऐलान कर दिया. दो दिन पहले तक जो दोस्त नंबर वन थे,वो अब दुश्मन नंबर वन हो गए.
ट्रंप ने खुलेआम धमकी दी कि वो मस्क की कंपनियों को मिलने वाली सरकारी सहायता और ठेकों को रद्द कर देंगे. ट्रंप का कहना है कि अमेरिकी जनता के अरबों डॉलर बचाने का ये सबसे आसान तरीक़ा है..
एलन मस्क ने जवाबी हमला करते हुए ट्रंप को अहसानफ़रामोश करार दिया. ट्रंप को राष्ट्रपति के पद से हटाने के लिए उनके ख़िलाफ़ महाभियोग प्रस्ताव लाने की मांग की. यहां तक कह दिया कि ट्रंप पर यौन उत्पीड़न के इल्ज़ाम हैं.
कुछ ही घंटों में मस्क ने अपने सोशल मीडिया पर ट्रंप के ख़िलाफ़ आरोपों की बौछार कर दी. मस्क ने X पर लिखा कि उन्होंने ट्रंप को चुनाव जितवाया, राष्ट्रपति बनवाया.
मस्क ने ट्विटर पर लिखा कि उनकी मदद के बग़ैर ट्रंप चुनाव नहीं जीत सकते थे. इसके बाद ट्रंप ने खुलासा किया कि मस्क ने अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा को चलाने के लिए जिस उम्मीदवार के नाम की सिफारिश की थी, वो उन्हें ठीक नहीं लगा. वो डेमोक्रेटिक पार्टी का समर्थक निकला.
ये बात सुनकर मस्क और भड़क गए. जवाब में मस्क ने ट्वीट किया कि अब एक बड़ा बम फोड़ने का टाइम आ गया है. उन्होंने आरोप लगाया कि बच्चों और कम उम्र की लड़कियों के यौन शोषण के आरोपी जेफरी एप्स्टीन की फाइल में ट्रंप का भी नाम है, इसीलिए ट्रंप ने एप्स्टीन फाइल्स को सार्वजनिक नहीं किया.
एपस्टीन फाइल्स का ज़िक्र बहुत सनसनीखेज़ है क्योंकि जेफरी एप्स्टीन सेक्सुअल pervert के तौर पर बहुत बदनाम थे. उनका केस सामने आने के बाद अमेरिका और यूरोप में तहलका मच गया था. ब्रिटेन के राजा चार्ल्स के भाई, प्रिंस एंड्र्यू भी इसकी चपेट में आ गए थे.
अब एलन मस्क ने एक वीडियो पोस्ट करके धमकी दी कि वो जेफरी एपस्टीन और डॉनल्ड ट्रंप के कनेक्शन को एक्सपोज़ करेंगे.
ट्रंप के साथ दोस्ती में दरार का मस्क को भारी नुकसान हुआ है. एक ही दिन में टेस्ला के शेयर में भारी गिरावट आई. कंपनी की नेटवर्थ 150 अरब डॉलर गिर गया.
सवाल ये है कि जब अमेरिका के सबसे ताकतवर ट्रंप और सबसे अमीर मस्क के बीच लड़ाई होगी तो इसका असर क्या होगा?
दोनों की ego है. दोनों hot headed हैं. दोनों पावरफुल हैं. एक दूसरे का जबरदस्त नुकसान कर सकते हैं. ट्रंप ने कॉन्ट्रैक्ट खत्म किए तो मस्क की कंपनियों को अरबों डालर का नुकसान होगा. Self driving cars का प्रोजेक्ट Roll-out करने के लिए मस्क को ट्रंप की परमिशन की जरूरत होगी. व्हाइट हाउस ने emission rules बदले तो TESLA की millions of dollars की कमाई बंद हो जाएगी.
दूसरी तरफ मस्क की स्पेस X कंपनी अमेरिका की इकलौती space firm है जो NASA को इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन जाने के लिए स्पेसक्राफ्ट उपलब्ध कराती है.
मस्क ने धमकी दी है कि वो इसमें अड़ंगा डाल सकते हैं. इससे अमेरिका के स्पेस प्रोग्राम पर असर पड़ेगा. मस्क ने ट्रंप को चुनाव जिताने के लिए 28.8 करोड डॉलर चंदा दिया था. अब वो Republicans को ट्रंप के बिल के खिलाफ वोट देने के लिए फायनेंस कर सकते हैं.
मस्क अपनी एक नई पॉलिटिकल पार्टी बना सकते हैं. लेकिन मस्क का सबसे खतरनाक हथियार है. ट्रंप को यौन अपराधों से जूड़ें एप्स्टीन से जोड़ने की धमकी.
लेकिन ट्रंप तो ट्रंप हैं. वो इससे भी खतरनाक रास्तों से गुजर चुके हैं. सबसे बड़ी बात ये है कि अमेरिका में प्रेसिडेंट की ताकत असीमित होती है. किसी भी बिजनेसमैन को व्हाइट हाउस में दोस्त की जरूरत होती है. राष्ट्रपति से दुश्मनी बहुत महंगी पड़ सकती है.

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