करोड़ों भारतीयों ने NASA अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स और तीन अन्य यात्रियों को आज सुबह पृथ्वी पर उतरते देखा. सुनीता और उनके साथी बुच विलमोर 9 महीने अन्तरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन में फंसे रहने के बाद Dragon X capsule से दो अन्य यात्रियों के साथ अमेरिका के फ्लोरिडा तट से दूर समुद्र में उतरे. सुनीता और बुच 8 दिन के लिए अन्तरिक्ष केंद्र में गये थे, लेकिन बोइंग कैप्सूल में खराबी आने के कारण पृथ्वी पर 9 महीने तक नहीं लौट पाये थे. राष्ट्रपति द्रौपदी मूर्मू ने ‘भारत की बेटी’ कह कर सुनीता की वापसी पर उनका स्वागत किया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सुनीता को ‘icon और trailblazer’ बताया और उनके साहस और जिजीविषा की प्रशंसा की. वापसी से एक दिन पहले मोदी ने सुनीता विलियम्स को एक चिट्ठी लिखी जिसमें उन्होने कहा कि ‘भले ही आप हजारों मील दूर हों, लेकिन आप हमारे दिलों के करीब हैं’. गुजरात के महेसाणा जिले के झूलासन गांव में लोगों ने नगाड़े बजा कर और पटाखे चला कर सुनीता की वापसी पर जश्न मनाया. पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करते समय वो चंद पल काफी तनावपूर्ण थे, जब ड्रैगन कैप्सूल 28,800 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से काफी घट कर 1,600 डिग्री सेल्सियस के तापमान को झेलते हुए आ रहा था. कैप्सूल पर लगे हीटशील्ड के कारण अंदर बैठे चारों अंतरिक्षयात्री सुरक्षित लौटे और पैराशूट के सहारे फ्लोरिडा तट से दूर सागर में उतरे. सभी को तत्काल जॉनसन स्पेस सेंटर, ह्यूस्टन ले जाया गया, जहां नियमों के मुताबिक, उनकी सेहत पर निगरानी रखी जाएगी क्योंकि अंतरिक्ष में लम्बे समय तक भारहीनता का शरीर के अंगों पर असर पड़ता है. सुनीता विलियम्स अमेरिकी नौसेना में कैप्टन रह चुकी हैं. उनके पिता दीपक पंड्या गुजराती हैं.
औरंगज़ेब : महिमामंडन क्यों किया ?
नागपुर पुलिस ने सोमवार की हिंसा के मास्टरमाइंड फहीम शमीम खान को गिरफ्तार कर लिया है. वह Minorities Democratic Party के एक स्थानीय नेता हैं और उसने सोमवार की रात एक उग्र भीड के सामने भडकाऊ भाषण दिया था जिसके बाद आगजनी और पथराव की घटनाएं हुई. अभी तक 50 से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया गया है और पुलिस के अधिकारी सीसीटीवी फुटेज और सोशल मीडिया पोस्ट खंगाल रहे हैं ताकि साजिश में शामिल दूसरे लोगों का पता लग सके. महाराष्ट्र के सीएम देवेंद्र फडणवीस और उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा है कि यह एक सोची समझी साजिश का हिस्सा है. अभी तक नागपुर के 10 थाना इलाकों में कर्फ्यू लागू है. नागपुर में जो हिंसा हुई, वह निंदनीय है. दंगा, आगजनी, पुलिस पर हमला किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जा सकता. इस पूरे मामले को एक perspective में देखने की जरूरत है. सबसे पहले अबू आजमी ने औरंगजेब का महिमामंडन करके भावनाएं भड़काईं. फिर नीतेश राणे ने बयानबाजी करके आग में घी डालने का काम किया. इसी दौरान संभाजी महाराज की शौर्य गाथा बताने वाली फिल्म छावा रिलीज हुई. इसका भी लोगों के दिलोदिमाग पर असर हुआ. इसके बाद कई मुस्लिम संगठनों ने इस पूरे प्रकरण को मुस्लिम विरोधी कैंपेन करार दिया, औरंगजेब को हीरो बताने लगे, उसे इंसाफपसंद बादशाह के रूप में पेश किया गया. फिर बजरंग दल और विश्न हिंदू परिषद के लोग बीच में कूद पड़े. उन्होंने प्रतीकात्मक कब्र जलाई. इससे मुस्लिम नेताओं को बहाना मिला. पूरी प्लानिंग के साथ आयत को जलाने की अफवाह फैलाई गई. इनसे ये मामला काबू से बाहर हो गया. हमेशा शांत रहने वाले नागपुर में आग की लपटें भड़क उठीं. इस मामले में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने समझदारी से काम लिया. एक तरफ तो उन्होंने कहा कि औरंगजेब की कब्र ASI का प्रोटेक्टेड monument है, इसे नहीं तोड़ा जा सकता. दूसरी तरफ उन्होंने कहा कि किसी को भी औरंगजेब को महिमामंडित करने की इजाजत नहीं दी जा सकती. मुझे लगता है कि पूरे मामले को अगर इस नजरिए से देखा जाता तो न भावनाएं भड़कती, न आग लगती. अब एक बार फिर हिंदू और मुस्लिम संगठनों को मुख्यमंत्री की बात सुननी चाहिए और इस मामले को यहीं शांत करना चाहिए.
संभल नेजा मेला : रोकने की क्या ज़रूरत ?
संभल में प्रशासन ने इस साल नेजा मेले की इजाज़त देने से इंकार कर दिया है. इससे मुस्लिम संगठनों में नाराज़गी है. प्रशासन ने साफ कर दिया है कि एक लुटेरे और हत्यारे की याद में किसी मेले की अनुमति नहीं दी जाएगी. संभल में हर साल होली के बाद नेजा मेला लगता है. सैय्यद सालार मसूद गाज़ी की याद में धार्मिक नगर नेजा कमेटी इस मेले का आयोजन करती है. मसूद गाज़ी महमूद गज़नवी का भांजा था, उसका सेनापति था. महमूद गज़नवी ने सोमनाथ मंदिर को लूटा था, कत्लेआम किया था. मसूद गाज़ी ने भी भारत में जमकर लूटपाट की, हिन्दुओं का नरसंहार किया, इसलिए हिन्दू संगठनों ने मसूद की याद में होने वाले नेजा मेले का विरोध किया है. संभल के हिन्दुओं ने प्रशासन के फैसले का स्वागत किया है. समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि योगी आदित्यनाथ महाकुंभ मेले की हर रोज़ तारीफ करते हैं लेकिन मुसलमानों के मेले पर उन्हें ऐतराज़ है. अखिलेश ने कहा कि बीजेपी सरकार इस तरह का विवाद इसलिए खड़े करती है ताकि लोग असल मुद्दों की तरफ ध्यान न दें. संभल का मामला भी महाराष्ट्र के औरंगज़ेब के मसले जैसा ही है. दिलचस्प बात ये है कि दोनों से समाजवादी पार्टी के नेता जुड़े हुए हैं. अबू आजमी ने औरंगजेब को इंसाफपसंद बताकर उसकी तारीफ की. यहां समाजवादी पार्टी के नेताओं ने महमूद गज़नवी के सेनापति की याद में मेला लगाने की वकालत की. और ये मामला हिंदू और मुसलमान का हो गया. मुसलमानों का कहना है कि ये मेला कई साल से लगता रहा है. हिंदुओं का कहना है, लुटेरों और हत्यारों का जितना महिमामंडन होना था, हो गया, अब ये बंद होना चाहिए. बची-खुची कसर अखिलेश यादव ने इस मेले की तुलना महाकुंभ से करके पूरी कर दी. मुझे लगता है कि औरंगजेब और गज़नवी को हिंदू-मुसलमान के नज़र से नहीं देखना चाहिए. जिसने देश को लूटा, वो किसी का नहीं हो सकता. जिसने मंदिरों को तोड़ा, उसे हमारे देश में कौन याद करना चाहेगा? ऐसे लोगों का महिमामंडन करने से ही सारी समस्या पैदा हुई है. ऐसी बातों से ही अफवाहें फैलती हैं, भावनाएं भड़कती हैं. इसीलिए इतिहास को समझना चाहिए, विरासत का मान करना चाहिए और देश को लूटने वालों का महिमामंडन किसी को नहीं करना चाहिए.