केरल के एक सरकारी नर्सिंग कॉलेज में प्रथम वर्ष के छात्रों को रैगिंग के नाम पर जो आमानवीय यातनाएं दी गई, उसे देखकर आपके रोंगटे खड़े हो जाएंगे. छात्रों की दर्दभरी चीखें सुनकर आपका दिल दहल जाएगा. कोट्टयम के इस कॉलेज में रैगिंग का वीडियो मेरे पास आया. नर्सिंग कॉलेज के छात्रों को दी जा रही यातनाएं देख कर, उनकी चीत्कार सुनकर रूह कांप उठी.
इस सरकारी कॉलेज में पांच सीनियर लड़कों ने फ्रेशर छात्रों के साथ रैगिंग के नाम पर हैवानियत की. उनके हाथ पैर बांध कर शरीर में सुइयां चुभोईं, प्राइवेट पार्ट्स पर भारी भारी डंबल लटका दिए. जबरन शराब पिलाई. यातनाओं का विरोध करने वाले छात्रों को बुरी तरह पीटा और रोते चिल्लाते जूनियर्स को देख कर ये राक्षस हँसते रहे. इन हैवानों ने इस तरह की हरकत सिर्फ एक-दो बार नहीं की, ये दारिंदगी तीन महीनों तक होती रही. छात्र इतने डर गए थे कि उन्होंने किसी से शिकायत नहीं की लेकिन जब सीनियर छात्रों ने दरिंदगी करने के बाद शराब के लिए पैसे वसूलने शुरू किए, पैसे न देने वालों की पिटाई की, तब एक छात्र ने अपने मां-बाप को सारी दास्तां बता दी. मां-बाप फौरन पुलिस के पास गये.
आप कल्पना कर सकते हैं कि जब रैंगिग के नाम पर हुई हैवानियत की बात सुनने में इतनी दर्दनाक है, तो उसकी तस्वीरें कैसी होंगी. जिन बच्चों ने ये दारिंदगी झेली, उनकी दर्द भरी चीखें सुनकर उनके मां-बाप पर क्या गुजरी होगी? सवाल है कि जब इस सरकारी नर्सिंग कॉलेज में रैगिंग हो रही थी, तो कॉलेज प्रशासन क्या कर रहा था? जब जूनियर छात्रों के साथ हैवानियत हुई तो कॉलेज की प्रिंसिपल कहां थीं? हॉस्टल के वॉर्डन को कैंपस में रैगिंग की खबर क्यों नहीं मिली?
केरल पुलिस ने रैगिंग के आरोप में पांच छात्रों को गिरफ़्तार किया जहां से उन्हें 14 दिन के लिए जेल भेज दिया गया. रैगिंग के आरोप में गिरफ़्तार पांच छात्रों में से तीन थर्ड ईयर के, और दो सेकेंड ईयर के छात्र हैं. गिरफ़्तारी के बाद प्रिंसिपल ने रैगिंग करने वाले पांचों छात्रों को सस्पेंड कर दिया है. तीन महीने से दरिंदगी हो रही थी और प्रशासन को खबर नहीं मिली. जब ये सवाल प्रिंसिपल से पूछा गया तो उन्होंने बड़ी मासूमियत से कहा कि जिन के साथ रैगिंग हुई, उन्होंने कभी भी इसकी शिकायत नहीं की.
कोट्टयम पुलिस ने आरोपी छात्रों पर एंटी रैगिंग एक्ट के तहत केस दर्ज करने के साथ साथ अवैध वसूली की धाराएं भी लगाई हैं. कोट्टयम के SP ने कहा कि पुलिस इस मामले में कॉलेज प्रबंधन की लापरवाही की जांच कर रही है. पुलिस ने रैगिंग करने वाले छात्रों के मोबाइल जब्त करके फॉरेन्सिक जांच के लिए भेजे हैं और होस्टल के वॉर्डेन से पूछताछ की है.
कोट्टयम में रैगिंग के नाम पर जो हुआ, वह पाप है, इंसानियत के नाम पर कलंक है. एक ऐसा गुनाह है जिसकी गूंज बरसों तक कानों में सुनाई देती रहेगी. देश में रैगिंग के खिलाफ कानून है. हर शिक्षण संस्थान में एंटी रैगिंग कमेटी होती है. तो भी ऐसी बर्बरता हुई. कहां गया कानून? कहां गई एंटी रैगिंग कमेटी? इसका मतलब साफ है, आज भी सीनियर छात्र फ्रेशर्स को टॉर्चर करते हैं, उनकी चीखों पर हंसते हैं, उनके दर्द का मजाक उड़ाते हैं और जूनियर छात्र डर के मारे किसी से कुछ नहीं कहते. उन्हें वहीं रहना है, वहीं पढ़ना है.
कोट्टयम के इस कॉलेज में भी अगर सीनियर छात्र शराब के लिए पैसे न मांगते, मार पिटाई न करते, तो शायद उनकी हैवानियत की बात कभी बाहर ही नहीं आती. असल में ये जिम्मेदारी प्रिंसिपल और वॉर्डन की है कि कॉलेज में रैगिंग न हो, फ्रेशर्स का टॉर्चर न हो. वो ये कहकर नहीं बच सकते कि किसी ने शिकायत नहीं की.
कोट्टयम की घटना हर कॉलेज के प्रिंसिपल के लिए, हर हॉस्टल के वॉर्डन के लिए एक चेतावनी है. राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने कोट्टयम के कॉलेज में हुई रैगिंग की घटनाओं पर केरल पुलिस के DGP से 10 दिन के अंदर रिपोर्ट मांगी है. उम्मीद है कि कोट्टयम के गुनहगारों को जल्द सज़ा मिलेगी.