Rajat Sharma

योगी ने कैसे रमज़ान पर शांतिपूर्ण तरीके से होली कराई

AKB30 पूरे देश में आज रंगों का उत्सव मनाया गया. मुख्य उत्सव भगवान श्रीकृष्ण की जन्मभूमि मथुरा, वृंदावन और बरसाना में मनाया गया. देश के तमाम बड़े शहरों में लाखों लोगों ने होली मनाई. गोरखपुर में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भगवान नरसिंह की शोभायात्रा निकाली. योगी ने कहा, सनातन धर्म सत्य और विजय का प्रतीक है, विश्व में ऐसा कोई धर्म नहीं, जो सनातन धर्म की तरह विविधताओं से भरा हो. पूरे उत्तर प्रदेश में आज रमज़ान के जुमे की नमाज होनी थी, साथ में होली भी. दस जिलों में मस्जिदें तिरपाल से ढकी हुई थी, ताकि कोई उपद्रवी रंग न फेंक सके. योगी ने खास तरह से होली मनाने वालों से अपील की कि वो दूसरों पर रंग डालते समय संयम बरतें. योगी की अपील काम आई. योगी ने कहा कि होली आपसी भाईचारे को बढ़ाने, पुराने मतभेदों को भुलाने, सबको गले लगाने का त्योहार है. योगी ने लोगों को नसीहत दी कि होली का मतलब हुल्लड़बाजी नहीं है, होली की मस्ती में अनुशासन भी जरूरी है, अगर कोई बीमार है या किसी दूसरे कारण से होली नहीं खेलना चाहता,तो किसी के साथ जबरदस्ती न की जाय. पूरे प्रदेश में प्रशासन अलर्ट पर था. संभल में जम कर रंग गुलाल उड़ा. वहां 46 साल बाद कार्तिकेय महादेव मंदिर में होली मनाई गई. 1978 के दंगों में 200 से ज्यादा लोगों की मौत के बाद उस इलाके से हिंदुओं का पलायन हुआ था और अब चार दशक बाद इस मंदिर में होली मनाई गई. अलीगढ मुसलिम विश्वविद्यलाय में भी पहली बार छात्रों ने होली मनाई. रमज़ान का दूसरा जुमा और होली एक साथ पड़ने की वजह से यूपी के तमाम शहरों, जैसे बरेली, शाहजहांपुर, बाराबंकी, मुरादाबाद और बनारस में मस्जिदों की दीवारों को ढक दिया गया. होली सिर्फ रंगों का त्योहार नहीं है. ये आपसी बैर भूलकर दोस्ती करने का त्योहार है. पुरानी दुश्मनियां भुलाकर सबको गले लगाने का त्योहार है. समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने सबको होली की शुभकामनाएं दी. कहा कि होली सद्भाव का पर्व है, भाईचारे का त्योहार है लेकिन उनका आरोप था कि बीजेपी लोगों को बांटना चाहती है, आपस में लड़ाना चाहती है, इसलिए वो मुसलमानों के खिलाफ नफरत फैला रही हैं. होली के मौके पर बेहतर होता अगर राजनीतिक नेता रंगों के इस उत्सव को सियासी जामा ना पहनाते.

रुपया चिह्न : डिज़ाइनर तमिलियन, अवॉर्ड देने वाला तमिलियन

तमिलनाडु सरकार का बजट आज विधानसभा में पेश हुआ. बजट के कागज़ात में स्टालिन सरकार ने रूपए के सिंबल ₹ की जगह तमिल अक्षर रू में जारी किया. रूपए के सिंबल ₹ को भारत सरकार ने 2010 में जारी किया था. इस सिंबल को तमिलनाडु के ही IIT प्रोफ़ेसर उदय कुमार धर्मलिंगम ने डिज़ाइन किया था, जो DMK के पूर्व विधायक के बेटे हैं… इतने साल तक रुपए का सिंबल इस्तेमाल करने के बाद, अब अचानक स्टालिन सरकार ने रूपए का सिंबल तमिल में बना दिया है. इसे स्टालिन की भाषा राजनीति का अगला कदम माना जा रहा है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारामन ने X पर अपने पोस्ट में लिखा कि ये साफ तौर पर भाषाई और प्रांतीय संकीर्णतावाद का उदाहरण है. सीतारामन ने याद दिलाया कि 20 10में रुपया सिंबल का डिजाइन तमिलनाडु के ही एक व्यक्ति ने तैयार किया था. तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन ने Rupee के सिंबल का सवाल तो उठा दिया, उसमें तमिल तो जोड़ दिया और इसे तमिल गौरव का मुद्दा बनाने की कोशिश की. लेकिन ये सब करते समय वो फैक्ट चेक करना भूल गए. Rupee का सिंबल एक तमिलियन उदय कुमार धर्मालिंगम ने डिजाइन किया था और वो एक पूर्व DMK MLA के बेटे हैं. दूसरी बात, इस सिंबल को 2010 में भारत सरकार ने अपनाया था, जब केंद्र में कांग्रेस की सरकार थी और तमिलनाडु में DMK की सरकार थी. उस समय स्टालिन ने इसका कोई विरोध नहीं किया था. स्टालिन के लिए एक और परेशानी की बात आपको बता दूं . जिस समय डॉ. उदय कुमार धर्मालिंगम का डिजाइन फाइनल हुआ और उन्हें इसके लिए सम्मान दिया गया, तो सम्मान देने वाले भी एक तमिलियन थे और ये तमिलियन थे पी. चिदंबरम. इसीलिए कांग्रेस इस मसले पर अब तक खामोश है..

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