प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लोकसभा में गांधी-नेहरू परिवार पर अब तक का सबसे तीखा हमला किया. मोदी ने कहा कि आजकल जाति की बात करना फैशन हो गया है, कुछ लोग संविधान की कॉपी लेकर जेब में घूमते हैं, लेकिन उन्हें संविधान की भावना का मतलब भी नहीं मालूम.
मोदी ने कहा कि जो लोग दलितों की बात करते हैं, वो बताएं कि देश के इतिहास में क्या अब तक ऐसा हुआ है, जब एक ही दलित परिवार के तीन सदस्य एक साथ एक वक्त में सांसद रहे हों.इशारा सोनिया, राहुल, प्रिय़ंका की तरफ था. मोदी ने कहा, जो लोग गरीब की झोपड़ी में जाकर फोटो सेशन कराते हैं, वो गरीबी का मतलब ही नहीं जानते, इसीलिए उनको गरीब परिवार से आई राष्ट्रपति महोदया का भाषण बोरिंग लगता है.
प्रधानमंत्री ने कहा कि जो लोग अर्बन नक्सल की भाषा बोल रहे हैं, इंडियन स्टेट के खिलाफ मोर्चा खोलने की बात कर रहे हैं, वो न संविधान की मर्यादा को समझते हैं, न देश की एकता का महत्व समझ सकते हैं. मोदी ने अपने भाषण की शुरूआत में गरीबी का मुद्दा उठाया. चूंकि राहुल गांधी और कांग्रेस के दूसरे नेताओं ने चर्चा के दौरान इल्ज़ाम लगाया था कि मोदी सरकार सिर्फ अमीरों के लिए काम कर रही है, उद्योगपतियों पर मेहरबान है, सरकार गरीब विरोधी है, इसलिए मोदी ने बताया कि उनकी सरकार ने गरीबों के लिए क्या क्या किया. 25 करोड़ लोगों को गरीबी रेखा के नीचे से कैसे निकाला, सबके लिए दो वक्त की रोटी का इंतजाम कैसे किया, हर घर तक नल से जल कैसे पहुंचाया, 12 करोड़ से ज्यादा टॉयेलट बनवाए, 4 करोड़ से ज्यादा गरीबों को पक्के घर दिए, गरीबों के घर तक बिजली के कनेक्शन पहुंचाए.
इसके बाद मोदी ने बिना नाम लिए राहुल गांधी पर हमला किया, कहा कि गरीब की झोपड़ी में फोटो सेशन कराने से गरीबी के दर्द का एहसास नहीं हो सकता, जो लोग दशकों तक गरीबी दूर करने का नारा देते रहे, उन्हें तो गरीब परिवार से आई राष्ट्रपति के मुंह से गरीबों की बात करना भी नहीं पच रहा. इसीलिए उन लोगों को राष्ट्ररपति का भाषण बोरिंग लगता है.
इसके बाद मोदी ने भ्रष्टाचार का मुद्दा उठाया, पहले राजीव गांधी का भाषण याद दिलाया जिसमें उन्होंने कहा था कि अगर दिल्ली से एक रुपया जाता है, तो जनता तक सिर्फ पन्द्रह पैसे पहुंचते हैं. मोदी ने कहा कि अब हाथ की ऐसी सफाई नहीं चलती, घोटालों के सारे रास्ते रोक दिए हैं, इससे 12 लाख करोड़ रूपए बचे हैं और इस पैसे का इस्तेमाल जनता के कामों में हुआ.
मोदी ने नाम लिए बग़ैर अरविन्द केजरीवाल को निशाने पर लिया. कहा कि कुछ पार्टियां देश के लिए आपदा बन गईं हैं, झूठे वादे करके सत्ता में आती हैं और फिर घोटालों से सुर्ख़ियां बटोरती हैं, कुछ लोग सत्ता में आते हैं, तो इम्पोर्टेड शॉवर और जकूज़ी लगवाते हैं, जनता के पैसे से शीशमहल बनवाते हैं.
मोदी के भाषण को समझने के लिए मोटे तौर पर तीन हिस्सों में बांटा जा सकता है.
पहला, उन्होंने राहुल गांधी और केजरीवाल को आड़े हाथों लिया, SC-ST का जिक्र करते हुए सोनिया राहुल और प्रियंका को लपेटे में लिया. परिवार के तीन सांसद गिनाकर राहुल के दोहरे मापदंड को उजागर कर दिया. गरीब की बात किसे बोरिंग लगी, अर्बन नक्सल की भाषा कौन बोलता है, ये भी समझा दिया. शीशमहल और जकूजी का जिक्र करके केजरीवाल की नीति और नीयत दोनों पर सवाल खड़ा कर दिया.
मोदी का दूसरा फोकस गरीब पर था. मोदी ने आंकड़ों के साथ समझाया कि उनकी सरकार ने जो काम किए, उनसे गरीब आदमी का कितना पैसा बचा, जब घर बने, शौचालय बने, नल से जल मिला, सस्ती दवाई और सस्ती पढ़ाई मिली, तो इससे क्या बचा, LED बल्ब जैसी योजनाओं से कितनी बचत हुई. मोदी ने ये भी समझाया कि सरकार को जो पैसा बचा, उसका इस्तेमाल कैसे गरीब कल्याण के लिए किया गया.
मोदी का तीसरा फोकस युवाओं पर था, युवाओं के लिए स्पेस, डिफेंस, सेमी कंडक्टर, न्यूक्लियर एनर्जी सेक्टर खुलने से कैसे रोजगार के नए अवसर पैदा हुए. गेमिंग और रोबोट पर जोर देने से नए अवसर पैदा हुए. स्टार्टअप इंडिया ने नौजवानों को अपने पैरों पर खड़े होना सिखाया. इसके पीछे राहुल गांधी द्वारा उठाए गए हर सवाल का जवाब भी था.
लेकिन मोदी का आखिरी कमेंट राहुल को सबसे ज्यादा चुभा होगा. जब मोदी ने कहा अभी तो हमारा तीसरा टर्म ही है, तब मोदी ने राहुल से कह दिया, उन्हें अभी और इंतजार करना होगा, पिक्चर अभी बाकी है.