गुरुवार की रात अपने शो ‘आज की बात’ में मैंने ओम प्रकाश शेटे, जो कि महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के ओएसडी हुआ करते थे, का एक वायरल वीडियो दिखाया था। वह इस वीडियो में सूबे के कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों की दुर्दशा के बारे में बता रहे थे। इसमें वह एक जगह कहते हैं, ‘मुझे बेहद बुरा लगता है, कई बार सो नहीं पाता। आम आदमी खुद को कोविड से बचा पाने में असमर्थ है। हम अब तक 17 लाख लोगों की सेवा कर चुके हैं, लेकिन लोग अभी भी मर रहे हैं। हर दिन 600 के करीब मैसेज आते हैं। मदद की मांग करते तमाम लोगों का जवाब देते-देते मैं थक चुका हूं। बहुत सारे लोग मर रहे हैं। अदालत से मेरा अनुरोध है कि वह इस टेक्निकल एरर को दूर करे।’
ये टेक्निकल एरर या तकनीकी त्रुटि क्या है? फडणवीस जब सीएम थे, तब मुख्यमंत्री कार्यालय में एक चिकित्सा सहायता प्रकोष्ठ था। जो गरीब आदमी महंगा इलाज करा पाने में असमर्थ थे, वे आवेदन भेजते थे और उन्हें मुख्यमंत्री सहायता कोष से वित्तीय सहायता जारी कर दी जाती थी। शेटे वह शख्स थे जो इन ऐप्लिकेशंस पर ऐक्शन लेते थे। जब उद्धव ठाकरे सीएम बने तो उन्होंने मुख्यमंत्री राहत कोष से चिकित्सा सहायता जारी करना बंद कर दिया। हजारों गरीब लोग, जिन्हें कोरोना वायरस के इलाज के लिए मदद चाहिए थी, अब अपनी जान गंवा रहे हैं क्योंकि शेटे अब कुछ नहीं कर सकते। महाराष्ट्र में कोरोना वायरस के चलते हुई मौतों की बड़ी संख्या के पीछे यह एक प्रमुख कारण है।
बॉम्बे हाई कोर्ट की एक बेंच जिसमें चीफ जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस गिरीश कुलकर्णी शामिल थे, ने धार्मिक पूजा स्थलों को खोलने को लेकर दी गई एक पिटीशन को खारिज करते हुए इसी वायरल वीडियो का जिक्र किया था। चीफ जस्टिस ने कहा, ‘हम सिर्फ इतना कह सकते हैं कि हालात बेहद चिंताजनक हैं विशेषकर संख्याओं को देखते हुए, जो कि रोज बढ़ रही हैं। हमें कई संदेश मिले हैं जिनमें यह बात कही गई है कि महाराष्ट्र की स्थिति वास्तव में खराब है।’ वॉट्सऐप के जरिए कोर्ट को भेजे गए ओम प्रकाश शेटे के वीडियो का जिक्र करते हुए चीफ जस्टिस ने कहा, ‘यदि इस वीडियो में जो भी कहा गया है वह प्रामाणिक और सत्य है, तो हमें लगता है कि जल्द से जल्द कुछ किया जाना चाहिए। इस वीडियो की ऑथेंटिसिटी चेक करने और यह पता लगाने की जरूरत है कि क्या यह शख्स वाकई में मुख्यमंत्री चिकित्सा सहायता प्रकोष्ठ का अधिकारी है।’
भारत में कोरोना वायरस के मामलों की कुल संख्या में महाराष्ट्र का हिस्सा लगभग 20 प्रतिशत का है। भारत में कोरोना वायरस से संक्रमण के 58.2 लाख मामलों में से 12.6 लाख महाराष्ट्र से हैं। महाराष्ट्र के कुल कोविड मरीजों में से 9.56 लाख ठीक हो चुके हैं। भारत में कोरोना वायरस से हुई 92,290 मौतों में से 33,886 मौतें महाराष्ट्र में हुई हैं। आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और कर्नाटक कोविड की लिस्ट में क्रमश: दूसरे, तीसरे और चौथे नंबर पर आते हैं।
मुंबई शुरू से ही कोरोना का हॉटस्पॉट रहा है, और वहां कोविड के मामलों की संख्या लगातार बढ़ती रही है। मुंबई समेत महाराष्ट्र के अन्य शहरों में सोशल डिस्टैंसिंग के नियमों की अभी भी अनदेखी की जा रही है। हमारे पास मुंबई की लोकल ट्रेन्स की कुछ तस्वीरें और विजुअल्स सामने आए हैं, जिनमें कोचेज के अंदर वैसी ही भीड़ नजर आ रही है जैसी महामारी के पहले के दिनों में दिखा करती थी। इन ट्रेनों में अधिकांश यात्रियों ने मास्क भी नहीं पहना था, और वे ट्रेन के कोच में खड़े होने के लिए एक-दूसरे से धक्का-मुक्की करते नजर आ रहे थे।
अफसरों का तर्क था कि गुरुवार को भारी बारिश होने के चलते कम लोकल ट्रेनें चली थीं, जिसके चलते यात्रियों की भारी भीड़ हो गई थी। लेकिन हकीकत यह है कि जब शुक्रवार को मौसम सामान्य था, तब भी लोकल ट्रेनों में ऐसी ही भीड़ देखी गई। यात्री कैमरे पर यह कहते हुए नजर आए कि यदि वे बसों में यात्रा करेंगे तो उन्हें और भी ज्यादा भीड़ झेलनी होगी।
कोरोना वायरस की महामारी को काबू में करने के लिए महाराष्ट्र सरकार को मुंबई और अन्य अंदरूनी इलाकों में ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है। शुक्रवार को महाराष्ट्र में कोरोना वायरस से संक्रमण के 21,029 नए मामले सामने आए। गुरुवार को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के साथ अपनी वर्चुअल मीटिंग में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें उन 20 जिलों पर ध्यान केंद्रित करने की सलाह दी थी, जहां महामारी तेजी से फैल रही है। भारत में कुल मिलाकर 60 जिले ऐसे हैं जहां से कोविड के लगभग 80 प्रतिशत मामले सामने आए हैं। उद्धव ठाकरे ने प्रधानमंत्री से वादा किया कि उनकी सरकार महामारी के प्रसार को कंट्रोल में करने के लिए पूरी कोशिश करेगी।
लेकिन ठाकरे को एक बेहद बड़ी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। इंफ्रास्ट्रक्चर कहां है? अस्पताल कहां हैं, ऑक्सिजन सिलिंडर्स कहां हैं और महामारी से निपटने के लिए जिन डॉक्टरों और हेल्थकेयर वर्कर्स की जरूरत है, वे कहां हैं? सबसे बड़ी बात कि कोरोना से निपटने के लिए मार्च और अप्रैल में जो इन्फ्रास्ट्रक्चर बनाया गया था उनका इस्तेमाल क्यों नहीं हो रहा है? नागपुर में भी कमोबेश यही हालात हैं। कोरना वायरस से संक्रमित मरीजों के लिए अस्पताल में बेड्स की कमी है, ऑक्सिजन सिलिंडर्स भी पर्याप्त संख्या में नहीं हैं और सबसे बड़ी बात कि डॉक्टरों और स्वास्थ्यकर्मियों की भारी कमी है।
मुझे पता लगा कि नागपुर में 5 इमारतों को कोविड अस्पताल में बदल दिया गया था। उनमें बेड्स की व्यवस्था हुई, ऑक्सिजन सप्लाई का इंतजाम हुआ और सारे मेडिकल इक्विपमेंट्स लगाए गए, लेकिन इस कोविड अस्पताल में अब ताला लग चुका है। स्थानीय अधिकारियों का कहना है कि डॉक्टरों और पैरा-मेडिकल स्टाफ की कमी है, जिसके चलते इस अस्पताल को बंद कर दिया गया है। उद्धव ठाकरे को युद्धस्तर पर ऐसी सभी खामियों को ठीक करने की जरूरत है।