देशभर में पिछले 111 दिनों में पहली बार कोरोना के मामले 40 हजार के आंकड़े को पार कर 40,944 तक पहुंच गए हैं। यह सभी के लिए चिंता की बात है। इस साल एक दिन में कोरोना वायरस के इतने मामले पहली बार सामने आए हैं। कोरोना के एक्टिव मामलों की संख्या में 19 हजार की बढ़ोतरी हुई है जो कि पिछले साल सितंबर महीने के बाद सबसे बड़ा इजाफा है। कोरोना के मामले पिछले 9 दिनों से लगातार बढ़ रहे हैं। 17 राज्यों में यह बढ़ोतरी देखने को मिल रही है जिसमें महाराष्ट्र सबसे ज्यादा प्रभावित है। पिछले तीन दिनों में 54 हजार से ज्यादा मामले सामने आने के साथ ही शुक्रवार को कोरोना के एक्टिव मामलों की संख्या बढ़कर 2.9 लाख हो गई।
महाराष्ट्र में हालात बहुत खराब हैं। यहां कोरोना के 25,681 नए मामले सामने आए हैं। ऐसे में यह सवाल उठ रहा है कि क्या हमारे मुल्क में कोरोना की दूसरी लहर आ चुकी है?
मैं आपको इतना कन्फर्म कर सकता हूं कि महाराष्ट्र में कोरोना की दूसरी लहर शुरू हो चुकी है लेकिन फिलहाल देश के अन्य राज्यों में कोरोना की दूसरी लहर जैसी कोई बात नहीं है।
आपको यह जानकर हैरानी होगी कि देश में रोजाना कोरोना के जितने मामले आ रहे हैं उनमें से दो-तिहाई से ज्यादा मामले अकेले महाराष्ट्र के हैं। महाराष्ट्र के विभिन्न शहरों और जिलों तक में कोरोना के नए मामलों का विस्फोट देखा जा रहा है। सीएसआईआर (वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद) के महानिदेशक शेखर सी मांडे का कहना है कि ये महाराष्ट्र के लोगों के लिए रेड अलर्ट है। अगर अभी न सुधरे तो फिर पिछले साल सितंबर जैसे हालात हो सकते हैं।
सीएसआईआर की बात पर गौर करना इसलिए जरूरी है क्योंकि यह पूरे देश में बीमारी/महामारी के पैटर्न पर नजर रखता है। कोरोना के किस स्ट्रेन के मामले कहां ज्यादा आ रहे हैं? किस इलाके में कोरोना के फैलने का पैटर्न क्या है? सीएसआईआर आंकड़ों का विश्लेषण कर इन सवालों का जवाब वैज्ञानिक आधार पर देता है, फिर रिसर्च के रिजल्ट के हिसाब से सरकार को आगे की रणनीति बनाने की सलाह देता है। मांडे ने शुक्रवार को इंडिया टीवी को बताया कि वास्तव में महामारी की ‘दूसरी लहर’ महाराष्ट्र में आ चुकी है। उन्होंने कहा कि कोरोना की दूसरी लहर अभी भारत के अन्य हिस्सों में आने वाली है। जबतक यह महामारी खत्म हो नहीं जाती है तबतक कोविड गाइडलाइंस का पालन सभी के लिए जरूरी है।
आखिर महाराष्ट्र में कोरोना की दूसरी लहर कैसे आई, कहां से आई ? असल में महाराष्ट्र के कम से कम 15 जिले ऐसे हैं जहां हालात पिछले साल से भी ज्यादा खराब हो गए हैं। इन जिलों में कोरोना वायरस बहुत तेजी से फैल रहा है। हालात का अंदाजा आपको आंकड़ा देखकर होगा। पिछले साल जब कोरोना पीक पर था, उस वक्त देश में एक दिन में 90 हजार के करीब मामले सामने आ रहे थे। उस वक्त भी महाराष्ट्र में एक दिन में ज्यादा से ज्यादा 24 हजार मामले आते थे। 1 सितंबर 2020 को महाराष्ट्र में एक दिन में सबसे ज्यादा, करीब 25 हजार मामले दर्ज किए गए थे, लेकिन शुक्रवार को यहां 26 हज़ार नए मामले सामने आए और ये अभी तक एक दिन में कोरोना के मरीजों की सबसे बड़ी संख्या है। पहले देश में कोरोना का हर पांचवां मरीज महाराष्ट्र से होता था लेकिन फिलहाल जो स्थिति है उसमें हर तीन में दो मरीज महाराष्ट्र से है।
मुंबई, नागपुर, पुणे जैसे शहरों का सबसे बुरा हाल है।आपको बता दूं कि पिछले दो दिनों में मुंबई में करीब 6 हज़ार नए कोरोना के मरीजों का पता चला है। गुरुवार को मुंबई में 2,800 से ज्यादा मामले आए जबकि शुक्रवार को 3 हजार से ज्यादा नए मरीजों का पता चला।
अब मन में ये सवाल भी उठता है कि आखिर महाराष्ट्र में ऐसा क्या हो रहा है जिसके कारण कोरोना फुल स्पीड से बढ़ रहा है? इसका जवाब बिल्कुल आसान है।असल में लोगों ने कोरोना से डरना छोड़ दिया। लोग मास्क लगाना भूल गए हैं। सोशल डिस्टेंसिंग खत्म हो गई है। इसी का असर ये है कि मुंबई में एशिया की सबसे बड़ी झुग्गी धारावी कोरोना से मुकाबला करने के मामले में दुनिया के लिए उदाहरण बन गया था, अब वही धारावी फिर से कोरोना का घऱ बन गया है। धारावी में 30 से ज्यादा मामले आए हैं लेकिन इसके बाद भी यहां लोग बेखौफ होकर बिना मास्क लगाए आराम से मार्केट में घूम रहे हैं।
मेरा मानना है कि इसके लिए अगर सिर्फ जनता को दोष दिया जाए तो ये ठीक नहीं है, क्योंकि आमतौर पर मुश्किल वक्त में, हालात को देखते हुए सरकार को कड़े फैसले लेने चाहिए। अगर लोगों को तकलीफ से बचाने के लिए कुछ पाबंदियां लगानी है तो उसकी तैयारी पहले से होनी चाहिए। पहले से सारे विकल्पों पर विचार होना चाहिए। लेकिन महाराष्ट्र सरकार ने ऐसा नहीं किया और अब जब हालात बिगड़ने लगे तो हड़बड़ी में फैसले लिए जा रहे हैं। कहीं लॉकडाउन है, कुछ शहरों पर वीकेंड पर लॉकडाउन है, कुछ जगहों पर कर्फ्यू लगाया है, कहीं नाईट कर्फ्यू है तो कहीं मास्क न पहनने वालों से जुर्माना वसूला जा रहा है। लेकिन मुश्किल ये है कि इसके बाद भी कोई असर नहीं हो रहा है।
शुक्रवार की रात अपने प्राइम टाइम शो ‘आज की बात’ में हमने दिखाया कि मुंबई के भीड़-भाड़ वाले दादर मार्केट में लोग बिना मास्क के कैसे घूम रहे थे। कई लोगों के पास मास्क था लेकिन उसे वे अपनी जेब में रखे हुए थे और कैमरा देखते ही उन्होंने जल्दी से मास्क पहन लिया। महामारी से न तो महाराष्ट्र की जनता ने सबक लिया और न ही सरकार की आंख खुली। अब जब कोरोना ने फिर से हमला किया है तो सरकारऔर BMC दोनों परेशान है। कोरोना के बढ़ते आंकड़ों को देखते हुए अब BMC ने दादर की फूल और सब्जी मंडी को शिफ्ट करने का फैसला लिया है। इसे बीकेसी और सोमैया ग्राउंड में शिफ्ट किया जा सकता है। इसके अलावा BMC ने मुंबई में नाइट कर्फ्यू लगाने की सिफारिश भी सरकार के पास भेजी है।
हमारे यहां एक कहावत है कि घर जलने के बाद जागे तो क्या जागे। BMC का रवैया ऐसा ही है। जब कोरोना फैल गया तो कदम उठा रहे हैं। मार्केट में भीड़ पहले भी थी इसलिए मार्केट को पहले भी शिफ्ट किया जा सकता था। खैर…जब जागे तब सबेरा। लेकिन दादर मार्केट के दुकानदार इसका विरोध कर रहे हैं।दुकानदारों का कहना है कि पिछले साल के आर्थिक उथल-पुथल के बाद बड़ी मुश्किल से जिंदगी पटरी पर आ रही है लेकिन सरकार मार्केट को शिफ्ट करके गाड़ी को फिर डिरेल करना चाहती है।अगर मार्केट शिफ्ट किया गया तो दुकानदार बर्बाद हो जाएंगे।
इंडिया टीवी के संवाददाता ने मुंबई की मेयर किशोरी पेडनेकर से जब इस बारे में पूछा तो उन्होंने कहा कि लोगों की चिंता ठीक है-‘लेकिन जब रोजगार और जिंदगी में से किसी एक चुनना हो तो जिंदगी को ही चुनेंगे। अगर जिंदगी रही तो दुकानदारी फिर चल निकलेगी। इसलिए अगर लोग खुद नहीं सुधर रहे तो फिर सरकार सख्ती करके उन्हें सुधारेगी। क्योंकि जान तो बचानी है।’मुंबई की मेयर ने प्रोएक्टिव रोल प्ले किया है लेकिन उन्हें यह कदम पहले उठाना चाहिए था। अब वो जितना चाहें सख्ती कर लें, कोरोना तो फैल चुका है। महाराष्ट्र के कई शहरों में पिछले साल मई के महीने जैसी तस्वीरें दिखने लगी है। जैसे उस वक्त लॉकडाउन के दौरान पुलिस ड्रोन कैमरों से इलाकों पर नजर रखती थी अब फिर वही हो रहा है।
उधर, पुणे में एक दिन में 5 हज़ार से ज्यादा नए मामले सामने आए हैं। इसके साथ-साथ नासिक,औरंगाबाद, नांदेड़, अमरावती, अकोला, नंदूरबार और जलगांव जैसे जिलों में भी इंफेक्शन तेजी से फैल रहा है। नागपुर में हालात बेहद खऱाब हैं। पिछले एक हफ्ते में यहां कोरोना के 18 हज़ार नए मरीज सामने आए हैं, जिसमें से पिछले तीन दिनों में ही 10 हजार से ज्यादा लोग कोरोना से संक्रमित हुए हैं। शुक्रवार को भी यहां 3 हज़ार से ज्यादा नए मरीजों का पता चला। ये हाल तब है, जब नागपुर में 21 मार्च तक लॉकडाउन लगा हुआ है। जरूरी सेवाओं को छोड़कर बाजार और व्यापारिक प्रतिष्ठान बंद हैं। इसके बाद भी बहुत से लोग हालात को नहीं समझ रहे हैं। बहुत से दुकानदार चोरी-छिपे दुकान खोलते हैं। बहुत से लोग छोटी-छोटी गलियों में घर से बाहर घूमते रहते हैं। इसलिए ऐसे लोगों पर नजर रखने के लिए अब ड्रोन कैमरों की मदद ली जा रही है।
नागपुर में कई मरीज ऐसे हैं जिनकी कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव है लेकिन वो एसिमटोमैटिक (जिनमें कोरोना का कोई लक्षण नहीं है) हैं। चूंकि पहले कोरोना के मामले बढ़ने की रफ्तार कम थी इसलिए अधिकारियों ने भी होम क्वारंटीन वाले मरीजों पर ध्यान नहीं दिया। नतीजा ये हुआ कि कई लोग होम क्वारंटीन के नियमों का पालन नहीं कर रहे थे। घर से बाहर निकलकर दूसरे लोगों को संक्रमित करने के कैरियर बन रहे थे, लेकिन अब जब कोरोना संक्रमण की रफ्तार तेज हो चुकी है तो एक बार फिर प्रशासन की नींद टूटी है। अब फिर से होम क्वारंटीन वाले स्टिकर्स घरों के बाहर लगाए जा रहे हैं। ये हिदायत दी जा रही है कि अगर कोई मरीज होम क्वांरटीन के नियम तोड़कर बाहर निकला तो ऐसे मरीजों पर 5000 रुपए का जुर्माना लगाया जाएगा।
इसके बाद भी लोग सुधरने को तैयार नहीं हैं। इसकी एक तस्वीर मुंबई के चारकोप इलाके से सामने आई है जिसमें मास्क को लेकर चेकिंग अभियान के दौरान हाथापाई हो गई। दरअसल, बीएमसी की तरफ से कई जगह महिला मार्शलों को तैनात किया गया है। मुंबई में मास्क नहीं पहनने पर 200 रुपए का चालान है और इसी को लेकर एक महिला और मार्शल के बीच विवाद हो गया। महिला ने मास्क नहीं लगाया था, पहले तनातनी हुईऔर फिर हाथापाई तक नौबत पहुंच गई। अब अश्विनी चव्हाण नाम की महिला मार्शल ने मारपीट को लेकर शिकायत दर्ज करवाई है। ऐसी कई घटनाएं महाराष्ट्र के अलग-अलग इलाके में हुई हैं।
ये सिर्फ इत्तेफाक नहीं है कि जब देश में कोरोना क प्रकोप शुरू हुआ था तब भी सबसे ज्यादा मामले महाराष्ट्र में आए थे। और अब जबकि देश के ज्यादातर हिस्सों में कोरोना का प्रकोप कम हुआ, तब भी सबसे ज्यादा मामले महाराष्ट्र में है। यहां कोरोना की ‘दूसरी लहर’ देखने को मिल रही है। पहले सरकार लापरवाह थी, फिर लोग भी बेपरवाह हो गए और नतीजा ये हुआ कि महाराष्ट्र में हालात खराब हो गए।
राज्य सरकार समय-पर नियमों को लेकर सख्ती कर सकती थी और लोग भी अपनी ओर से भी मास्क पहनने, सोशल डिस्टेंसिंग और हाथों को सैनिटाइज करने के नियम का पालन कर सकते थे। जब मामले बढ़े तो डर बढ़ा और फिर सरकार और लोग कुछ दिन लिए रास्ते पर आए लेकिन पिछले तीन चार महीने से फिर से फुल लापरवाही का दौर शुरू हो गया। महाराष्ट्र के लोग कहने लगे कि अब थक गए हैं। लोगों ने मास्क लगाना बंद कर दिया।दो गज की दूरी रखना बंद हो गया और लोगों के दिल और दिमाग से कोरोना का डर खत्म को गया। मुझे लगता है यही वजह है कि तीन महीने में महाराष्ट्र के 15 जिलों में कोरोना एक बार फिर इतनी तेजी से फैल गया है।
मेरा मानना है इसकी दूसरी बड़ी वजह है राजनीतिक अस्थिरता। महाराष्ट्र में 3 दलों की गठबंधन सरकार है। कोई किसी की सुनता नहीं। सभी दल अपने-अपने मंत्रियों के साथ रहते हैं और मंत्री एक-दूसरे की टांग खींचने में लगे रहते हैं। पिछले साल भर में कोरोना के काल में महाराष्ट्र की सरकार ने इतनी सारी राजनीतिक समस्याओं का सामना किया है कि नेताओं के पास कोरोना पर पूरा ध्यान देने का वक्त नहीं है। अब जबकि मामला हाथ से निकल गया तो उद्धव ठाकरे कह रहे हैं कि आप मेरी बात नहीं मानेंगे तो लॉकडाउन लगाना पड़ेगा। वो डराने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन, मुझे नहीं लगता कि आज की परिस्थितियों में लॉकडाउन एक विकल्प है।