Rajat Sharma

महाकुंभ में 50 करोड़ श्रद्धालु : योगी ने कमाल कर दिया

AKB30 महाकुंभ में माघी पूर्णिमा का अमृत स्नान सकुशल संपन्न हो गया. करीब दो करोड़ श्रद्धालुओं ने संगम में डुबकी लगाई. प्रयागराज की आबादी करीब साठ लाख है लेकिन संगम नगरी में शहर की आबादी से चार गुना ज्यादा लोग पहुंचे. फिर भी कहीं किसी तरह की दिक्कत नहीं हुई, न जाम लगा, न परेशानी हुई, न संगम तक पहुंचने में श्रद्धालुओं को कोई दिक्कत हुई.

भक्तिभाव में डूबे लोग भजन गाते हुए संगम तक गए, डुबकी लगाई और वापस चले गए. महाकुंभ को एक महीना पूरा हो गया और सिर्फ तीस दिनों में पचास करोड़ लोग महाकुंभ में डुबकी लगा चुके हैं. यह संख्या भारत और चीन को छोड़कर दुनिया के किसी भी देश की आबादी से ज्यादा है. दुनिया के 119 देशों की आबादी को जोड़ दिया जाए तो पचास करोड़ होती है, यानि अब तक महाकुंभ में 119 देशों की आबादी के बराबर लोग डुबकी लगा चुके हैं. ये अकल्पनीय, अविश्वसनीय, अद्भुत है.

मौनी अमावस्या के दिन हुए हादसे के बाद माघी पूर्णिमा के अमृत स्नान को लेकर तमाम तरह की आशंकाएं जताई जा रही थी. योगी आदित्यनाथ की सरकार और प्रशासन के लिए दिन बहुत चुनौती पूर्ण था लेकिन इस चुनौती का योगी ने सफलतापूर्वक सामना किया. प्रयागराज से जो तस्वीरें आईं वो आश्चर्यचकित करने वाली थी, शहर के बाहर किसी हाईवे पर जाम नहीं था, शहर में ट्रैफिक पूरी तरह ठीक चल रहा था.

आप ये जानकर हैरान होंगे कि सुबह चार बजे से दस बजे के बीच सिर्फ छह घंटे में एक करोड़ से ज्यादा श्रद्धालु संगम में स्नान कर चुके थे. इसके बाद अगले छह घंटे में 87 लाख लोगों ने डुबकी लगाई. शाम चार बजे तक एक करोड़ 87 लाख लोगों ने गंगा स्नान किया. चूंकि माघी पूर्णिमा का स्नान माघ के महीने का अंतिम स्नान होता है, इसके बाद ज्यादातर कल्पवासी संगम क्षेत्र से वापस चले जाते हैं, इसलिए संगम में भीड़ ज्यादा थी.

किसी तरह का कोई हादसा न हो, इसलिए पुलिस और प्रशासन के बड़े अफसर सुबह से ही अलर्ट थे. योगी आदित्यनाथ सुबह चार बजे लखनऊ में मुख्यमंत्री आवास में बने वॉर रूम में पहुंच गए. वॉर रूम में लगे सीसीटीवी कैमरों की सीधी तस्वीरें आ रही थीं. योगी उसकी मॉनीटरिंग कर रहे थे. डीजीपी प्रशांत कुमार, प्रमुख गृह सचिव संजय प्रसाद और कई सीनियर अफसर भी वॉर रूम में मौजूद थे. दिन के ग्यारह बजे तक जब सब कुछ ठीक से चलता रहा, तब योगी मुख्यमंत्री आवास से निकले. पश्चिमी पी के बागपत में जयन्त चौधरी के साथ एक रैली थी. य़ोगी ने रैली में मौजूद लोगों से देरी के लिए माफी मांगी. योगी ने कहा कि उन्हें महाकुंभ में माघी पूर्णिमा के स्नान की चिंता थी, इसलिए वह प्रयागराज की व्यवस्थाओं को खुद मॉनीटर कर रहे थे. जब उन्हें भरोसा हो गया कि सब कुछ सुचारू तरीके से चल रहा है, इसके बाद ही वह बागपत पहुंचे हैं. योगी ने बिना नाम लिए अखिलेश यादव पर वार किया, कहा कि कुछ लोग श्रद्धालुओं को डरा रहे हैं, अफवाहें फैला रहे हैं, जिससे महाकुंभ में लोग न जाएं, अब जनता सब जानती है, जो लोग खुद चोरी-छिपे संगम में डुबकी लगाते हैं, उनकी बात आम लोग कहां सुनने वाले.

महाकुंभ को लेकर योगी के सामने सबसे बड़ी चुनौती थी, अमृत स्नान के दिन कोई दुर्घटना ना हो. इतनी बड़ी संख्या में लोगों को मैनेज करना आसान काम नहीं था. लेकिन जिस तरह से प्रबंध किया गया उसकी चर्चा पूरी दुनिया में हो रही है.

हालांकि इससे निकली दूसरी चुनौती ये है कि जब अच्छा प्रबंध होता है तो उसकी चर्चा होती है, जब लोग टीवी पर भक्तों को उत्साह से डुबकी लगाते हुए देखते हैं, तो और अधिक श्रद्धालु कुंभ की तरफ रवाना हो जाते हैं.

तीसरा चुनौती ये है कि महाकुंभ से लौटते समय लोग अयोध्या में रामलला के दर्शन करना चाहते हैं, नए मंदिर को देखना चाहते हैं. काशी में बाबा विश्वनाथ का आशीर्वाद लेना चाहते हैं. इसीलिए अयोध्या और काशी में भी पुलिस फोर्स की जरूरत पड़ती है. इन इलाकों में भी लोगों के खाने पीने का इंतजाम, रहने की व्यवस्था और साफ सफाई एक बड़ी जिम्मेदारी बन जाती है.

इसके बाद चुनौती आती है, राजनीतिक बयानबाजी की. मौनी अमावस्या के समय जो दुखद हादसा हुआ, उसके बाद किसी ने रोप लगाया कि हजारों लोग मारे गए. किसी ने कहा कि प्रबंध पूरी तरह फेल हो गया. सबसे ज्यादा दोष दिया गया ‘वीआईपी कल्चर’ को. लेकिन आरोप लगाने वाले नेता भी चुपचाप कुंभ में डुबकी लगा आए.

बुधवार को दिग्विजय सिंह पुण्य कमाने गए थे. कुछ दिन पहले अखिलेश यादव भी कुंभ में डुबकी लगाकर लौटे हैं. दोनों ने माना कि वो आम आदमी की तरह गए उन्हें कोई परेशानी नहीं हुई. योगी आदित्यनाथ ने न केवल अपने विरोधियों को करारा जवाब दिया, बल्कि अपनी प्रबंध कुशलता से ये साबित कर दिया कि अखिलेश यादव जैसे नेता जो आरोप लगा रहे थे, उनमें कोई दम नहीं है.

महाकुंभ में 50 करोड़ लोगों के स्नान की कुशल व्यवस्था करके योगी ने कमाल का काम किया है, अपनी प्रशासनिक दक्षता का प्रमाण दिया है और इसके लिए उनकी प्रशंसा होनी चाहिए.

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