Rajat Sharma

बलूचिस्तान पाकिस्तान से क्यों आज़ाद होना चाहता है?

AKBपाकिस्तान से हैरान करने वाली खबर आई. बलोच लिबरेशन आर्मी ने पूरी ट्रेन को हाईजैक कर लिया. इस ट्रेन में पाकिस्तानी फौज के 182 जवान और अफसर यात्रा कर रहे थे. फौज के ये लोग छुट्टी पर पेशावर जा रहे थे. ट्रेन में सवार पाकिस्तानी सेना के 20 जवानों को BLA ने मारने का दावा किया है. BLA ने कहा है कि अगर फौज ने बलूस्चितान में बलूचों के खिलाफ हो रहे जुल्म को तुंरत बंद नहीं किया तो वो बाकी फौजियों को मारना शुरु कर देंगे. इस घटना से पाकिस्तान सरकार और फौज के हाथ पांव फूल गए हैं. फौज ने क्वेटा से एक ट्रेन रवाना की है, जिसमें सैनिकों के साथ डॉक्टर्स की टीम भी गई है. रेडियो पाकिस्तान के मुताबिक, 27 बलोच बागी मारे गए और 155 यात्री सुरक्षित निकल आए हैं. ट्रेन में तकरीबन 500 लोग सवार थे. हाईजैकर्स ने बलूच लोगों को उनके आईकार्ड देखने के बाद रिहा कर दिया, औरतों और बच्चों को भी छोड़ दिया लेकिन फौज के जवानों और उनके सिविलियन इनफॉर्मर्स को BLA ने बंधक बनाया हुआ है. बलोचिस्तान में BLA का ये कोई पहला हमला नहीं है. इससे पहले भी वहां यात्रियों से भरी दो बसों पर हमला किया गया था. पिछले साल नवंबर में बलोचिस्तान लिबरेशन आर्मी के उग्रवादियों ने बस पर हमला करके 26 लोगों को मार डाला था. क्वेटा से पेशावर की रेलवे लाइन को भी कई बार निशाना बनाया जा चुका है. पाकिस्तान रेलवे ने क्वेटा से पेशावर के बीच ट्रेन सेवा बंद कर दी थी लेकिन पिछले साल अक्टूबर में यह सेवा फिर शुरू हुई थी. किसी भी फौज के लिए ये निहायत शर्मनाक है कि उसके 182 सैनिक बंधक बना लिए जाएं, पूरी ट्रेन हाईजैक हो जाए और फौज को कुछ पता ही न हो. जब तक पाकिस्तानी सेना की नींद खुली तब तक बलोच लिबरेशन आर्मी के लोग फौज के 20 जवानों को मौत के घाट उतार चुके थे. ऐसा लगा कि पाकिस्तानी फौज सदमे में है. कई घंटों तक वो तय ही नहीं कर पाए कि घटनास्थल तक पहुंचें कैसे. ट्रेन को अगवा करने की ये वारदात पाकिस्तानी फौज के जुल्म और ज्यादतियों का नतीजा है. बलोच लोग अपने लिए अलग मुल्क की मांग कर रहे हैं. उनका कहना है कि बलोचिस्तान में सबसे ज्यादा प्रकृतिक संसाधन हैं, और पाकिस्तानी हुकूमत बलोचिस्तान के संसाधन लूट रही है. बलोचिस्तान की सरहद अफगानिस्तान और ईरान से लगती है. ये दोनों मुल्क बलोचों की मदद करते हैं. इसलिए अब बलोचिस्तान में लगी आग को दबाना पाकिस्तान के लिए आसान नहीं होगा. बस हैरानी की बात इतनी है कि बलोचिस्तान में ट्रेन अगवा हुई और पाकिस्तानी हुकूमत ने अब तक इसका इल्जाम भारत पर नहीं लगाया है.

मोदी ने क्यों कहा, हमारे लिए मॉरीशस परिवार है?

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को मारीशस सरकार ने देश के सबसे बड़े सम्मान से नवाज़ा है. मोदी ने यह सम्मान सात पीढ़ी पहले भारत से गिरमिटिया मज़दूर होकर मारीशस गये पुरखों को अर्पित किया और कहा कि यह भारत के 140 करोड़ लोगों का सम्मान है. मॉरीशस की धरती पर मोदी ने प्रभु राम और रामचरित मानस की बात की, अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण का जिक्र किया, महाकुंभ में मॉरीशस के लोगों के शामिल होने की बात की. मोदी ने कहा कि जो लोग महाकुंभ में नहीं पहुंच पाए, उनके लिए वो महाकुंभ का त्रिवेणी का गंगाजल लेकर आए हैं जिसे मारीशसकी राजधानी के गंगा तालाब में समर्पित किया जाएगा. मॉरीशस में 70 प्रतिशत से ज्यादा लोग भारतीय मूल के हैं. भारतीयों ने मॉरीशस की आजादी की लड़ाई लड़ी. अब भारतीयों की सातवीं पीढ़ी मॉरीशस के विकास में जुटी है. भारत और मॉरीशस का रिश्ता तो खून पसीने का रिश्ता है. मोदी ने मारीशस के प्रधानमंत्री नवीन रामगुलाम और उनकी पत्नी को OCI कार्ड दिए. मोदी ने भोजपुरी में समारोह को संबोधित किया. मोदी ने कहा कि मॉरीशस का भारत के साथ रिश्ता पार्टनर का नहीं, परिवार का है. तकरीबन दो सौ साल पहले अंग्रेज उपनिवेशवादी हुक्मरान ने गिरमिटिया मजदूर के रूप में बिहार और पूर्वांचल के लोगों को मारीशस के बागानों में काम करने के लिए भेजा था. उस वक्त लोग रामचरितमानस अपने साथ ले गए थे. मोदी ने मॉरीशस के लोगों को याद दिलाया कि रामचरितमानस ही उस वक्त लोगों का संबल बनी, प्रभु राम ही भारतीयों के तारणहार बने. इसके बाद मोदी ने राम मंदिर निर्माण का जिक्र किया. प्राण प्रतिष्ठा के दिन मॉरीशस सरकार ने आधे दिन की छुट्टी का एलान किया था. उसके लिए शुक्रिया कहा. फिर कुछ दिन पहले खत्म हुए महाकुंभ की बात की. मोदी ने कहा कि मॉरीशस से भी लोग महाकुंभ में स्नान करने प्रयागराज गए थे लेकिन जो लोग नहीं पहुंच पाए, उनके लिए वो प्रयागराज से गंगाजल लेकर आए हैं. मॉरीशस के लोगों ने अपने भारतीय मूल की विरासत को काफ़ी संभाल कर रखा है जिसकी झलक मोदी के स्वागत में दिखी. चूंकि मारीशस में आधे से ज्यादा लोग आज भी भोजपुरी में बात करते हैं इसीलिए मोदी ने अपने भाषण की शुरूआत भोजपुरी में की. इसके बाद बिहार के साथ मॉरीशस के रिश्तों की बात की, नालंदा यूनीवर्सिटी की बात की. चूंकि बिहार में इसी साल विधानसभा चुनाव होने वाले हैं, इसीलिए विरोधी दलों के नेता यही कहेंगे कि मोदी ने मॉरीशस से बिहार का इलैक्शन कैंपेन लॉच कर दिया. लेकिन ये बात सच है कि इस तरह की नयी सोच, इस तरह की प्लानिंग में मोदी का कोई मुकालबला नहीं हैं. मोदी मौके पर चौका मारना जानते हैं.

म्यांमार में cyber gangs के चंगुल में फंसे भारतीय कैसे वतन लौटे?

म्यांमार और थाईलैंड में फंसे 283 भारतीयों को भारतीय वायु सेना के विमान में सुरक्षित वापस लाया गया. बुधवार को 255 और भारतीयों को वायु सेना के विमान से दिल्ली के पास हिंडन एयरबेस लाया जाएगा. इन लोगों को अच्छे वेतन का वादा करके म्यानमार बुलाया गया था. लेकिन म्यांमार और थाईलैंड जैसे देशों में इन लोगों को बंधक बनाकर इनसे साइबर फ्रॉड करवाया जा रहा था. साइबर क्राइम में लगे गिरोहों ने म्यामार और थाईलैंड में कॉल सैंटर्स बनाए थे, जहां से दुनिया भर के लोगों के साथ ठगी का धंधा हो रहा था. एक महीने पहले कुछ भारतीयों ने अपने वीडियो शेयर करके आपबीती सुनाई थी और भारत सरकार से मदद मांगी थी. विदेश मंत्रालय ने म्यांमार और थाईलैंड की सरकार के साथ संपर्क करके साइबर ठगी के धंधे में लगे गिरोहों के खिलाफ कार्रवाई की शुरूआत की. इतनी बड़ी तादाद में इन गिरोहों के चक्कर में फंसे भारतीयों को मुक्त कराया. चूंकि इन भारतीय नागरिकों में तेलंगाना और आंध्र प्रदेश के लोग ज्यादा थे, इसलिए तेलंगाना बीजेपी के नेता केंद्रीय गृह राज्यमंत्री बंडी संजय कुमार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह की तारीफ की और कहा कि भारत सरकार अपने सभी नागरिकों की सुरक्षा के लिए कृतसंकल्प है. ऑफिशियल डेटा ये बताता है कि करीब 30 हजार भारतीय नागरिक कम्बोडिया, थाईलैंड, म्यांमार और वियतनाम गए थे, जो वापस नहीं आए. उनमें से करीब आधे लोग 20 से 39 साल के उम्र के हैं. इन लोगों को नौकरी का वादा करके अच्छी तनख्वाह का सब्ज़ बाग दिखा कर इन देशों में ले जाया गया लेकिन उन्हें साइबर क्राइम के काम में झोंक दिया गया. गृह मंत्रालय में जो साइबर क्राइम कॉर्डिनेशन सेंटर है, उसने दक्षिण पूर्व एशिया से होने वाले सायबर क्राइम को analyse किया तो पता चला कि इसमें बड़ी संख्या में भारतीयों को टारगेट किया जा रहा था. करीब एक लाख लोगों ने साइबर सैल से शिकायत की है. ये क्राइम कराने के लिए कम्बोडिया, थाईलैंड, म्यांमार और वियतनाम में गए भारतीयों को Cyber slaves के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा था. जब ये बात सामने आई है तो भारत सरकार ने कोशिश शुरू की ताकि वहां फंसे भारतीय नागरिकों को वापस वतन लाया जाए. आज जो हुआ, वह इसकी शुरुआत है.

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