दुनिया के सबसे उन्नत हाई-एल्टिट्यूड लाइट कॉम्बैट हेलीकॉप्टर ‘प्रचंड’ को सोमवार को भारतीय वायु सेना में शामिल कर लिया गया। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने खुद जोधपुर एयर बेस से प्रचंड पर एक उड़ान भरी। देश में ही निर्मित प्रचंड खासकर पहाड़ी इलाकों में वायु सेना की क्षमता को बढ़ाएगा।
हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड द्वारा निर्मित 5.8 टन वाला ये हेलीकॉप्टर हवा से दुश्मन पर मिसाइलें दाग सकता है। यह 20 मिलीमीटर तोप, रॉकेट सिस्टम और अन्य हथियारों से भी लैस है। अमेरिका, रूस और चीन के पास भी ऐसे लाइट कॉम्बैट हेलीकॉप्टर नहीं हैं जो इतनी ऊंचाई पर काम कर सकें।
हल्के लड़ाकू हेलीकॉप्टर को मुख्य रूप से पहाड़ी इलाकों में लड़ाई के लिए विकसित किया गया है। जोधपुर एयरफोर्स स्टेशन में सोमवार को आयोजित एक समारोह में 4 हेलीकॉप्टरों के बेड़े को भारतीय वायुसेना में शामिल किया गया। इस मौके पर चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान और भारतीय वायु सेना के अध्यक्ष एयर चीफ मार्शल वी. आर. चौधरी भी मौजूद थे। यह लड़ाकू हेलीकॉप्टर दिन और रात, दोनों समय काम कर सकता है। यह ऊंचाई वाले इलाकों में दुश्मन सेना की इन्फैंट्री, टैंक, ड्रोन, बंकर और बाकी साजो-सामान को निशाना बना सकता है।
1999 के कारगिल युद्ध के दौरान ज्यादा ऊंचाई पर काम करने वाले लड़ाकू हेलीकॉप्टर की जरूरत महसूस की गई थी। 2010 के मध्य तक इस हल्के लड़ाकू हेलीकॉप्टर के प्रोटोटाइप ने पहला फ्लाइट टेस्ट पूरा किया और सभी वांछित मानदंडों पर इसे खरा पाया गया। जोधपुर एयर बेस पर एक बहु-धार्मिक प्रार्थना समारोह के बाद नए हेलीकॉप्टरों को पारंपरिक वाटर-कैनन सलामी दी गई। आसमान से तीन सुखोई-30MKI लड़ाकू विमानों ने एयरबेस पर खड़े इन लाइट कॉम्बैट हेलीकॉप्टर्स को सल्यूट किया।
इस साल मार्च में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल की सुरक्षा संबंधी समिति ने 3,887 करोड़ रुपये की लागत से 15 स्वदेशी लाइट कॉम्बैट हेलीकॉप्टरों की खरीद को मंजूरी दी थी। 10 हेलीकॉप्टर वायु सेना के लिए होंगे, और 5 हेलीकॉप्टरों को थल सेना में शामिल किया जाएगा। ‘प्रचंड’ लाइट कॉम्बैट हेलीकॉप्टर और ‘ध्रुव’ अडवांस्ड लाइट हेलीकॉप्टर में कई समानताएं हैं।
‘प्रचंड’ हेलिकॉप्टर में कई स्टील्थ फीचर्स, आर्मर्ड-प्रोटेक्शन सिस्टम, रात में हमला करने की क्षमता और क्रैश-वर्थी लैंडिंग गियर हैं। इसका इस्तेमाल सर्च और रेस्क्यू ऑपरेशंस (CSAR), दुश्मन के एयर डिफेंस को नेस्तनाबूत करने (destruction of enemy air defence or DEAD) और आतंकवाद विरोधी अभियानों में किया जा सकता है। थल सेना की मदद करने के लिए ये हैलीकॉप्टर पहाड़ों की ऊंचाई पर बने बंकरों को ध्वस्त कर सकते हैं, जंगलों में आतंकी ठिकानों को नेस्तनाबूद कर सकते हैं, और शहरी इलाकों में भी आतंकियों के ठिकानों को नष्ट कर सकते हैं। ये हैलीकॉप्टर दुश्मन के धीमी गति से चलने वाले विमानों और रिमोटली पायलटेड विमानों को भी निशाना बना सकते हैं । प्रचण्ड हैलीकॉप्टर वायु सेना और थल सेना, दोनों की ऑपरेशनल जरूरतों को पूरा करने के लिए एक ताकतवर प्लैटफॉर्म के रूप में काम कर सकेगा ।
प्रचंड हैलीकॉप्टर अत्याधुनिक तकनीक से लैस है। ये दुश्मन की नजर में आए बगैर ही हमला कर सकता है। सूत्रों ने बताया कि भविष्य में बनने वाले प्रचंड हेलीकॉप्टरों में कुछ नये अडवांस्ड और स्वदेशी सिस्टम होंगे।
प्रचंड हेलीकॉप्टर का परीक्षण पहले ही समुद्र तट, रेगिस्तान, और सियाचिन की ऊंचाई पर अलग-अलग वातावरण में किया गया था। थल सेना पहाड़ी इलाकों में होने वाली लड़ाइयों के लिए 95 हल्के लड़ाकू हेलीकॉप्टर अपने बेड़े में शामिल करने वाली है।
समारोह में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इसे भारत के रक्षा उत्पादन में ‘एक महत्वपूर्ण क्षण’ बताया। उन्होंने कहा, ‘मुझे पूरा यकीन है कि हल्के लड़ाकू हेलीकॉप्टरों को शामिल करने के बाद भारतीय वायु सेना की समग्र क्षमता में और वृद्धि होगी। कुछ और काम होने के बाद हम भारत के रक्षा उत्पादन को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। भारत की सुरक्षा हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है और यह बनी रहेगी। प्रचंड हेलीकॉप्टर मोदी सरकार के आत्मनिर्भर भारत अभियान की कामयाबी की एक बड़ी मिसाल है।’
सरकार पहले ही HAL को स्वदेशी रूप से विकसित तेजस लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट बनाने का ऑर्डर दे चुकी है। ध्रुव और रुद्र हेलीकॉप्टर भी स्वदेश में ही विकसित किए गए हैं। इसके अलावा ब्राह्मोस मिसाइल, पिनाक रॉकेट सिस्टम, स्वदेशी तोप और अडवांस्ड Towed आर्टिलरी गन सिस्टम भी भारत में न सिर्फ विकसित किए गए हैं बल्कि हमारे सशस्त्र बलों में शामिल हो चुके हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले महीने ही भारत का पहला स्वदेशी विमानवाहक पोत INS विक्रांत हमारी नौसेना को सौंपा था।
राजनाथ सिंह ने कहा, ‘प्रचंड हेलीकॉप्टर न सिर्फ हमारी सरहद की रखवाली करेगा, बल्कि इसे दूसरे देशों को बेचकर भारत को विदेशी मुद्रा कमाने का मौका भी मिलेगा।’ एयर चीफ मार्शल चौधरी ने कहा, ‘प्रचंड हेलीकॉप्टर की क्षमता वैश्विक स्तर पर अपनी श्रेणी के हेलीकॉप्टरों के बराबर है।’
दिलचस्प बात यह है कि प्रचंड हेलीकॉप्टर पिछले दो साल से LAC पर तैनात रहे हैं और और लगातार उड़ानें भर रहे हैं। सोमवार को तो इसे औपचारिक रूप से वायुसेना में शामिल किया गया। 2020 में जब LAC पर चीन ने अपना लाइट कॉम्बैट हेलीकॉप्टर Z-10 उड़ाकर ताकत दिखाने की कोशिश की थी, तो भारत की तरफ से 2 लाइट कॉम्बैट हैलीकॉप्टरों को वास्तविक नियंत्रण रेखा के बेहद करीब ले जाकर उड़ाया गया था। इसके बाद चीन की वायुसेना को अपने कदम पीछे खींचने पड़े थे।
भारतीय वायुसेना के जिन पायलटों ने उस वक्त भारत-चीन सीमा पर प्रचंड को उड़ाया था, वे सोमवार के समारोह में भी मौजूद थे। उन्होंने बताया कि चीन और पाकिस्तान के पास ज्यादा ऊंचाई पर उड़ान भरने वाले लाइट अटैक हेलीकॉप्टर नहीं हैं। उनके हेलीकॉप्टर 12 हजार फीट तक की ऊंचाई पर ही उड़ सकते हैं जबकि प्रचंड 21 हजार फीट की ऊंचाई तक बड़े आराम से उड़ सकता है।
1999 में जब कारगिल युद्ध हुआ था, उस समय थल सेना और वायुसेना के पास फ्रांस और रूस में बने हेलीकॉप्टर ही थे, जो कारगिल की ऊंची चोटियों पर जरूरत के मुताबिक उड़ान नहीं भर पा रहे थे। उस समय एक ऐसे हल्के कॉम्बैट हेलीकॉप्टर की जरूरत महसूस की गई थी, जो मिसाइल और रॉकेटों से लैस होकर कम से कम 15-16,000 फीट की ऊंचाई पर उड़ सके, और दुश्मन के ठिकानों को तबाह कर सके। ‘प्रचंड’ दुनिया का इकलौता ऐसा लाइट अटैक हेलिकॉप्टर है, जो 5000 मीटर की ऊंचाई पर उड़ सकता है और वहां लैंड भी कर सकता है। हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड ने टेस्टिंग के लिए LCH के 4 प्रोटोटाइप बनाए थे।
इन प्रोटोटाइप्स की टेस्ट फ्लाइट विंग कमांडर उन्नी पिल्लै ने की थी। विंग कमांडर पिल्लै ने सोमवार को बताया कि दूसरे देश जो भी हेलीकॉप्टर या हथियार बनाते हैं, वे अपनी जरूरत के हिसाब से बनाते हैं, दूसरे मुल्कों में भारत जैसे इतने अलग-अलग तरह के इलाके नहीं हैं। भारत में रेगिस्तान भी हैं, हिमालय की चोटियां भी हैं और समुद्री सीमा भी है, इसलिए किसी दूसरे देश में बने हेलीकॉप्टर भारतीय वायुसेना की जरूरतों को पूरा नहीं कर सकते। विंग कमांडर पिल्लै ने कहा कि प्रचंड को भारतीय सेना की जरूरतों को ध्यान में रखकर ही बनाया गया है।
प्रचंड हेलीकॉप्टर को हेलीना या नाग एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल से लैस किया गया है, जो हवा से ही टैंक और बख्तरबंद वाहनों को तबाह कर सकता है। इसकी एक और बड़ी खूबी ये है कि यह स्टील्थ टेक्निक की मदद से दुश्मन के रेडार को चकमा दे सकता है, उसकी पकड़ में आने से बच सकता है। प्रचंड लेज़र तकनीक से भी लैस है और 8 किलोमीटर दूर से ही टारगेट को चुनकर तबाह कर सकता है।
इंडिया टीवी के डिफेंस एडिटर मनीष प्रसाद ने सोमवार को जोधपुर में प्रचंड हेलीकॉप्टर में उड़ान भरी। उन्होंने बताया कि सरकार ने HAL को 15 प्रचंड हेलीकॉप्टर का ऑर्डर दिया है, जिनमें से चार की डिलीवरी सोमवार को वायुसेना को की गई। इससे पहले, 29 सितंबर को भारतीय सेना को एक प्रचंड हेलीकॉप्टर की डिलीवरी की गई थी।
खास बात ये है कि प्रचंड एक ही बार में 550 किलोमीटर तक उड़ सकता है। हेलिकॉप्टर को क्रैश प्रूफ मटीरियल से बनाया गया है। इसके केबिन में किसी भी परमाणु, जौविक या रासायनिक हथियार से हुए हमले को सहने की ताकत है। यह लाइट कॉम्बैट हेलीकॉप्टर फ्रांसीसी तकनीक से बने दो ‘शक्ति’ इंजनों से लैस है।
कॉम्बैट हेलीकॉप्टर ‘प्रचंड’ को भारतीय वायुसेना में शामिल किया जाना रक्षा के क्षेत्र में भारत की आत्मनिर्भरता की तरफ बढ़ते कदमों का सबूत है। वह दिन दूर नहीं जब हथियारों के लिए भारत की दूसरे मुल्कों पर निर्भरता कम हो जाएगी। ‘प्रचंड’ इस बात का सबूत है कि भारत भी दुनिया के सबसे उन्नत हथियार बना सकता है और उन्हें दूसरे देशों को बेच सकता है। लेकिन यह सिर्फ एक शुरुआत है, हमें इस दिशा में एक बहुत लंबा रास्ता तय करना है।
आजादी के बाद से 70 साल तक हम यह मान कर बैठे थे कि अपनी सेना के आधुनिकीकरण के लिए हथियार तो अमेरिका, रूस और फ्रांस जैसे बड़े-बड़े मुल्कों से ही खरीदने होंगे। चिंता सिर्फ इस बात की होती थी कि डिफेंस के इतने भारी बजट के लिए पैसा कहां से आएगा। फिक्र इस बात की होती थी कि हथियार, युद्धपोत और लड़ाकू विमान बेचने वाले ताकतवर मुल्कों के बीच संतुलन कैसे बनाया जाए।
सबसे खराब बात यह थी कि रक्षा उपकरण खरीदने के बड़े-बड़े सौदों के लिए दलालों की एक अच्छी-खासी फौज खड़ी हो गई थी। सब यह मान कर चलते थे कि जब रक्षा सौदा होगा तो उसमें कोई न कोई तो कमाएगा। 8 साल पहले तक यह समान्य था। ऐसा माना जाता था कि जो मुल्क भारत को रक्षा उपकरण बेचेंगे वे किसी न किसी को एजेंट बनाएंगे और कमीशन खिलाएंगे।
नरेंद्र मोदी आए, और उन्होंने इस तरह के सभी संदिग्ध सौदों पर पूर्ण विराम लगा दिया। उन्होंने रक्षा खरीद के मामले में सोच को बदलकर रख दिया। हमारे देश में एक बड़ी लॉबी थी जो नहीं चाहती थी कि भारत रक्षा के मामले में आत्मनिर्भर हो। नरेंद्र मोदी ने रक्षा उत्पादन के क्षेत्र को प्राइवेट सेक्टर के लिए खोलकर इस लॉबी को खत्म कर दिया। सोमवार को जब राजनाथ सिंह ने कॉम्बैट हेलीकॉप्टर में उड़ान भरी तो उनके चेहरे पर इस हेलीकॉप्टर के विशुद्ध भारतीय होने का गर्व साफ-साफ दिखाई दे रहा था। मुझे उम्मीद है कि ऐसे गौरवपूर्ण क्षण और आएंगे, कई बार आएंगे और जल्दी-जल्दी आएंगे।