
बार बार लग रहा है कि जो अटल जी ने अपनी कविता में कहा वो सच हो जाए….उन्होंने अपनी कविता में लिखा था लौटकर आऊंगा..कूच से क्यों डरूं…अटल जी का कविता पाठ अब सुनने को नहीं मिलेगा….अब उनकी डांट…उनकी सलाह नहीं मिलेगा….मुझे वो सौभाग्य प्राप्त था कि मैं अटल जी से अपने मन की बात कह सकता था…वो भी अपने मन की बात मुझे बताते थे….अटल जी का बहुत स्नेह मुझे मिला…बुल्कुल बच्चे जैसा साफ दिल का इंसान अब कहां….छोटी छोटी बात पर रूठ जाना फिर उन्हें मनाना…अब न अटल जी रूठेंगे…न उन्हें मनाना पड़ेगा….बहुत सारी यादें हैं…मैं चाहता था अटल जी आपकी अदालत में आएं…लेकिन मनाना मुश्किल था…आपकी अदालत में आने के लिए कहता…अटल जी हंसकर टाल देते थे…एक बार मैं बहुत सारी चिट्ठियां ले गया कि देखिए लोगों ने आपको बुलाने के लिए इतने सारे लैटर्स लिखे हैं….जोर से हंसे , कहा कि आप जिसके पास जाते हैं उसीकी चिट्ठियां ले जाते हैं….आखिरकार वो तैयार हो गए…लेकिन जिस दिन शो की रिकॉर्डिंग थी…उस दिन फिर मना कर दिया…मैं घर पर पहुंचा…उनको मनाया…उन्होंने कहा कि हमें पार्टी ने मना किया है…मैंने कहा कि मैं पहली बार देख रहा हूं कि आप पार्टी की बात मान रहे हैं…थोड़े गुस्सा भी हुए लेकिन जब नमिता ने इंटरवीन किया…अटल जी की बेटी नमिता को मैं कॉलेज के जमाने से जानता था…और रंजन भट्टाचार्या मेरे साथ कॉलेज में थे…उस वक्त नमिता ने अटल जी से कहा कि बाप जी आपने वादा किया था…तो फिर एकदम खड़े हुए कि चलो….
अटल जी वाकई में विरले इंसान थे…न हल्की बात सोचते थे..न हल्की बात करते थे….आपकी अदालत का जब ये शो रिकार्ड हुआ तो उसके बाद अटल दी प्रधानमंत्री बने..तेरह दिन सरकार रही और सरकार गिर गई.. देवेगौड़ा प्रधानमंत्री बने….राष्ट्रपति भवन में डिनर था ….वहां अटल जी ने कहा कि आप से बात करनी है….मैं समय लेकर अगले दिन उनके पास गया….तो उन्होंने कहा कि मुझे आपसे तीन बात करनी है…मैंने कहा कि आप बड़े हैं..कुछ भी कह सकते हैं….उन्होंने कहा कि मेरे दिल पर बोझ है..ये आज उतारना चाहता हूं ..पहली बात हम आपके आभारी हैं ..हमारे प्रधानमंत्री की प्रक्रिया आपके अदालत के कार्यक्रम से शुरु हुई ..मैंने कहा कि अटल आपकी पचास साल की तपस्या है..एक कार्यक्रम ..उन्होंने कहा कि हमने लोगों की आंखो में परिवर्तन देखा…तो मैंने कहा कि इसके बाद मुझे कुछ नहीं सुनना है..इतनी बड़ी बात आपने कह दी है…उंन्होंने कहा नहीं.. हमें दो बातें और कहनी हैं…आज आप बोलेंगे नहीं सुनेंगे…दूसरी बात ये कि हम क्षमाप्रार्थी हैं कि हम 13 दिन प्रधानमंत्री रहे और आपसे मिले नहीं…तो मैंने कहा कि अटल जी कितने लोगों से आप मिल सकते थे उस समय…नहीं नहीं मिलना चाहिए था…और तीसरी बात ये कि हम आपसे मित्रता करना चाहते हैं…इन तीन बातों का मेरे दिल पर इतना असर हुआ…मैं जब घर वापस गया तो मैं दो तीन दिन सो नहीं सका…मुझे लगा कि इतने बड़े आदमी को इतनी बड़ी बात कहने की कोई आवश्यकता नहीं थी…न उन्हें धन्यवाद करने की जरूरत थी…न आभार प्रकट करने की जरूरत थी..ना उन्हें ये कहने की जरूरत थी कि उन्हे दोस्ती करनी है…उसके बाद फिर चुनाव आए….मैं अपने शो में अटल जी की तारीफ में दो चार बातें कह देता था..मेरे दिल से ये बात निकलती थी…तो एक दिन मुझे रंजन का फोन आया…उसने कहा कि अटल जी बुला रहे हैं…एयरपोर्ट पर हैं…दो घंटे के लिए रुके है…चैन्नई से आए हैं..पटना जा रहे हैं…एयरपोर्ट पर मैं गया तो मुझे कहा आजकल बहुत कृपा हो रही है हमारे ऊपर…महानता की पराकाष्ठा देखिए..मैंने कहा कि अटल जी…थोड़ा बहुत तो शो में करते हैं…उन्होंने कहा कि ये ठीक नहीं है…उन्होंने कहा कि रजत जी आपकी ताकत आपकी विश्वसनीयता में हैं…सब दलों में आपके दोस्त हैं…सबसे मित्रता है…सब आपकी बात सुनते हैं…इसमें कोई समझौता नहीं होना चाहिए…तो मैंने कहा अटल जी इलैक्शन हैं…इलैक्शन हो जाएंगे उसके बाद हम चिंता करेंगे..तो अटल जी ने कहा कि प्रधानमंत्री आएंगे…जाएंगे..सरकारें बनेंगी.. बिगड़ेंगी…लेकिन पत्रकार के तौर पर आपकी जो विश्वसनीयता है…ये नहीं जानी चाहिए..ये गई तो फिर वापस नहीं आएगी…क्या कोई आम इंसान इतना बड़ा सोच सकता है…इतना बड़ा व्यक्तित्व..इतनी बड़ी बात सोचने वाला…शायद कोई दूसरा नहीं हो सकता..ऐसे थे हमारे अटल जी…क्या ऐसा इंसान कभी दिल से विदा हो सकता है….अटल जी हम सबके दिलों में हमेशा रहेंगे…
अटल जी का जीवन खुली किताब की तरह रहा…वो फकीर थे..फक्कड़ मिजाज थे…लेकिन जिंदगी में कभी समझौता करना तो शायद उन्होंने सीखा ही नहीं था…उनके जीवन से…व्यक्तितव से…उनके सान्निध्य से मुझे बहुत कुछ सीखने को मिला….एक बार मैंने अटल जी से कहा कि मुझे आपसे भाषण देने की कला सीखनी है….अटल जी ने बहुत बड़ी बात कही….उन्होंने कहा कि हमसे बोलने की कला मत सीखो…अगर कुछ सीखना है…तो ये सीखो कि चुप कब रहना है…बात छोटी थी…लेकिन सबक गहरा और ये जीवन भर काम आता है….आज क्या क्या याद करूं, क्या क्या भूलूं…कुछ समझ नहीं आ रहा है…सिर्फ अटल जी का चेहरा सामने हैं…उनके निष्प्राण शरीर को जाते हुए देख रहा हूं…और बार बार मन में एक हूक सी उठती है….अटल जी एक बार उठ जाओ…और कहो… पंडित जी हम कहीं नहीं गए….हम यहीं हैं…तुम सबके बीच…तुम सबके साथ….