चुनावी माहौल के बीच मध्य प्रदेश में सोशल मीडिया पर वायरल हुआ एक वीडियो कांग्रेस के लिए मुसीबत बन गयी है. इस वीडियो में कमलनाथ टिकट न मिलने से नाराज कांग्रेस के कार्यकर्ताओं से ये कहते दिखाई दे रहे हैं कि जाओ दिग्विजय सिंह और जयवर्धन के कपड़े फाड़ो, लेकिन ये नहीं कहना है कि मैने कहा है. इस वीडियो को लेकर मध्य प्रदेश में सियासत गर्मा गई है. कमनलाथ को सफाई देनी पड़ी. उन्होंने मामले को हल्का करने की कोशिश की लेकिन दिग्वजिय सिंह ने भरी सभा में कमलनाथ को सधे हुए अंदाज में आइना दिखा दिया. मध्य प्रदेश चुनाव के लिए कमलनाथ ने कांग्रेस का घोषणा पत्र जारी किया लेकिन उससे पहले वो वीडियो सर्कुलेट हो चुका था जिसमें कमलनाथ वीरेन्द्र रघुवंशी के समर्थकों से दिग्विजय सिंह के कपड़े फाड़ने की बात कहते हुए दिख रहे थे. दिग्विजिय सिंह इसपर नाराजगी जाहिर कर चुके थे. हर तरफ इसकी चर्चा हो रही थी, इसलिए कमलनाथ को कांग्रेस का घोषणा पत्र जारी करने से पहले इस मामले में सफाई देनी पड़ी. लेकिन जब कमलनाथ बोल रहे थे तो मंच पर दिग्विजय सिंह ने उन्हें टोक दिया. कह दिया बाकी सब तो ठीक है लेकिन कार्यकर्ताओं को पता होना चाहिए कि टिकट कौन दे रहा है, गलती कौन कर रहा है और कपड़े किसके फाड़े जाने चाहिए. लेकिन कमलनाथ पूरे रंग में थे उन्होंने दिग्विजय सिंह से अपने चालीस साल पुराने रिश्ते गिनाएं, यारी दोस्ती की बात की लेकिन तीर कमान से निकल चुका था. दिग्विजय सिंह ने हंसते हंसते ही जवाब दिया लेकिन जवाब करारा था. लेकिन कमलनाथ भी कम नहीं हैं. उन्होंने कहा मैंने आपको पावर ऑफ अटॉर्नी दी थी कि कमलनाथ के लिए आप पूरी गालियां खाइए, इसीलिए कमलनाथ और दिग्विजय की इस तकरार की गूंज पूरे मध्य प्रदेश में सुनाई दी. असली समस्या यह है कि कांग्रेस में टिकटों के ऐलान के बाद कई जगह बगावत हो रही है, कई जगह नेता पार्टी छोड़ कर जा चुके हैं. दर्जनों कैमरों के सामने कमलनाथ और दिग्विजय सिंह एक दूसरे पर तीखे कटाक्ष कर रहे हों, इसका असर तो पड़ेगा. वचनपत्र समारोह में मंच पर कमलनाथ, दिग्विजय सिंह, प्रदेश कांग्रेस के सारे दिग्गज मौजूद थे, मीडिया का जमावड़ा था. मध्य प्रदेश के लिए कांग्रेस का रोडमैप क्या है ये बताने के लिए कमलनाथ ने माइक संभाला लेकिन इतने महत्वपूर्ण मौके पर कमलनाथ ने वचनपत्र की बात शुरु करने से पहले बात की दिग्विजय सिंह की. कमलनाथ ने सबको इस बात की सफाई दी कि उन्होंने दिग्विजय सिंह के कपड़े फाड़ने वाली बात क्यों कही. एक तरफ से कमलनाथ बोल रहे थे, दूसरी तरफ से दिग्विजय सिंह उनका जवाब दे रहे थे. हांलाकि दोनों के बीच बातचीत मजाकिया अंदाज में ही हुई लेकिन मंच पर कमलनाथ और दिग्विजय सिंह के इस संवाद में ये साफ नजर आ रहा था कि दिग्विजय कमलनाथ की कपड़ा फाड़ने वाली बात से खुश नहीं है. कमलनाथ ने दिग्विजय की दोस्ती का हवाला दिया, पारिवारिक संबंधों की बात की लेकिन दिग्विजय यही पूछते रहे कि जब टिकट के ‘ए’ और ‘बी’ फॉर्म में दस्तखत कमलनाथ के हैं तो फिर उन्हें जिम्मेदार क्यों ठहराया गया. कमलनाथ के इस रूख के बाद भी दिग्विजिय की नाराजगी कम नहीं हुई. दिग्विजय ने स्टेज पर कमलनाथ के साथ मंच पर हुई इस बातचीत का वीडियो सोशल मीडिया पर पोस्ट किया. साथ में एक शेर की दो लाइनें भी जोड़ दीं, “ बेतकल्लुफ वो औरों से हैं, नाज़ उठाने को हम रह गए हैं “ . दिग्विजय की नाराजगी की वजह वाजिब है. जो लोग मध्य प्रदेश की राजनीति को जानते समझते हैं, उन्हें पता है कि कमलनाथ और दिग्विजय सिंह की अदावत पुरानी है लेकिन चुनाव के मौके पर दोनों अब तक साथ साथ दिख रहे थे. ये वीडियो एकता को तोड़ सकता है. इसलिए कमलनाथ ने एक बार फिर इस मसले को हल्के में निपटाने की कोशिश की. उन्होंने कहा कि दिग्विजय के कपड़े फाडने की बात तो उन्होंने अपनेपन के नाते कही थी, आज भी वो यही कहेंगे कि अगर कोई नाराजगी है तो दिग्विजय सिंह के कपड़े फाड़ो. कमलनाथ कुछ भी कहें, लेकिन वो भी जानते हैं कि उम्मीदवारों की लिस्ट आने के बाद नाराजगी तो है और ये बात मंगलवार को भोपाल में भी दिखी. जब कांग्रेस दफ्तर में वचन पत्र जारी करने के लिए नेता जुट रहे थे, उस वक्त कांग्रेस के दफ्तर के बाहर टिकट न मिलने से नाराज कांग्रेस के कार्यकर्ता विरोध प्रदर्शन कर रहे थे. दतिया, जतारा और बुधनी सीट पर कांग्रेस के घोषित उम्मीदवारों का विरोध कर रहे थे. दो-तीन बातें जानने लायक हैं, जैसे कि टिकटों के बंटवारे के बाद मध्य प्रदेश कांग्रेस के मीडिया सेल के उपाध्यक्ष अजय सिंह यादव ने पार्टी छोड़ दी. उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस ने पिछड़ों के साथ अन्याय किया है. कांग्रेस के दूसरे नेता यादवेन्द्र सिंह नागोदा से टिकट न मिलने से नाराज थे. उन्होंने उम्मीदवारों की लिस्ट जारी होने के बाद कांग्रेस छोड़कर बहुजन समाज पार्टी ज्वाइन कर ली. बुधनी को लेकर विरोध है, जहां शिवराज सिंह चौहान के सामने रामायण में हनुमान का रोल करने वाले विक्रम मस्ताल को कांग्रेस ने उतारा है. उन्हें कांग्रेस के लोकल नेता “पैराशूट कैंडिडेट” बता रहे हैं. उज्जैन में माया त्रिवेदी का विरोध हो रहा है. .कहा जा रहा है कि लोकसभा चुनाव में लाखों वोटों से हारी, विधानसभा चुनाव तीस हजार वोट से हारी, फिर भी उन्हें टिकट दिया गया. बीजेपी कांग्रेस में मचे घमासान को कमलनाथ और दिग्विजय सिंह के आपसी झगड़े का नतीजा बता रही है. चुनाव से पहले टिकट न मिलने पर नाराज़ नेता प्रदर्शन करते हैं, ये हर पार्टी में होता है, हर चुनाव में होता है. ये बड़ी बात नहीं हैं. नाराज लोगों को समझाने के लिए नेता टिकट कटने की जिम्मेदारी एक दूसरे पर डालते हैं, ये भी कोई नई बात नहीं है, लेकिन पार्टी का बड़ा नेता अपनी ही पार्टी के कार्यकर्ताओं से दूसरे बड़े नेता के कपड़े फाड़ने को कहे और उसका वीडियो भी बन जाए, ये पहली बार देख रहा हूं. ये कमलनाथ के लिए एंब्रैसिंग हैं. उससे भी बड़ी बात ये है कि चुनाव से पहले इस तरह के वीडियो से कांग्रेस कार्यकर्ताओं के मनोबल पर भी असर पड़ेगा. ये बात कमलनाथ भी समझ रहे हैं और दिग्वजिय सिंह भी. इसीलिए अब दोनों सार्वजनिक तौर पर इस मसले को हल्के में टालने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन बीजेपी इसे जोर शोर से फैलाएगी और हर मंच से इसी वीडियो की बात करेगी. दूसरी तरफ कांग्रेस की कोशिश है कि वो इस मामले में मिट्टी डालकर अपनी गारंटियों पर फोकस करे. कांग्रेस ने मध्य प्रदेश के लिए जो वचनपत्र जारी किया है, उसमें 1,290 वादे किए हैं. लोगों को 25 लाख रु. का हैल्थ कवर, बेरोजगारों को 1500 से तीन हजार रु. तक हर महीने का भत्ता, बेटियों की शादी के लिए एक लाख रूपए, बिटिया रानी योजना के तहत दो लाख 51 हजार रूपए, स्कूली बच्चों को पांच सौ से डेढ़ हजार रूपए मासिक, 1,200 रु. प्रति महीने सामाजिक सुरक्षा पेंशन, ऐसे तमाम वादे किए गए हैं. कांग्रेस ने किसान, नौजवान, बच्चे, बुजुर्ग, महिलाओं हर किसी को कुछ न कुछ देने का वादा कर दिया, अगर सिर्फ बच्चों को मिलने वाले वजीफे की बात करें तो इस अकेले वादे को पूरा करने के लिए हर साल करीब साढ़े सात हजार करोड़ रूपए की जरूरत होगी. सारे वादे पूरे करने के लिए लाखों करोड़ रुपये की जरूरत होगी. इतना तो मध्य प्रदेश का बजट नहीं है. फिर वादे कैसे पूरे होंगे? लेकिन आजकल चुनाव के दौरान मुफ्त का माल बांटने के बड़े बड़े लुभावने वादे सब करते हैं. इसके लिए पैसा कहन से आएगा, ये कोई नहीं बताता. कांग्रेस मध्य प्रदेश में बीस साल से सत्ता से दूर है, इसलिए वापसी के लिए जो करना पड़े, वो सब कर रही है. जो कहना पड़े, वो सब कह रही है.