कोरोना वायरस की उत्पत्ति के पीछे क्या राज़ है जिसे चीन छिपाने की कोशिश कर रहा है? पूरी दुनिया जानना चाहती है कि क्या कोरोना वायरस वुहान की हजारों साल पुरानी गुफाओं से निकला या इस वायरस को चीन की लैब में तैयार किया गया। पूरे विश्व के सामने सवाल है कि क्या ये वायरस चीन के चमगादड़ों ने फैलाया या फिर कोरोना वुहान के मार्केट से निकलकर पूरी दुनिया में फैला?
विश्व स्वास्थ्य संगठन के रिसर्चर्स की एक ग्लोबल टीम इन्हीं सवालों का जवाब तलाशने के लिए गुरुवार को चीन पहुंची। अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, जर्मनी, जापान, ब्रिटेन, रूस, नीदरलैंड, कतर और वियतनाम के रिसर्चर्स की दस सदस्यीय टीम को काफी जद्दोजहद के बाद शी जिंनपिंग की सरकार ने चीन में घुसने की इजाजत दी थी। सिंगापुर के रास्ते चीन के वुहान पहुंचते ही डब्ल्यूएचओ की इस टीम को क्वारंटीन कर दिया गया। इनका स्वैब टेस्ट और एंटीबॉडी टेस्ट कराया गया।
अब अगले 14 दिन तक डब्ल्यूएचओ की टीम के सारे सदस्य अपने होटल के कमरों में कैद रहेंगे। अब ये लोग वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए चीनी एक्सपर्ट्स के साथ काम करेंगे। डब्ल्यूएचओ की टीम ये पता लगाना चाहती है कि कोरोना वायरस का ओरिजिन क्या है, ये वायरस कहां से पैदा हुआ? वुहान के जिस मार्केट से कोरोना वायरस के फैलने का शक है, अब उस मार्केट के हालात क्या हैं? अगर कोरोना वायरस वुहान की हजारों साल पुरानी गुफाओं से निकला तो अब इन गुफाओं में क्या हो रहा है? अभी तक यह तय नहीं है कि टीम के सदस्यों को गुफाओं में या वुहान के मार्केट या फिर वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी लैब जाने की इजाजत दी जाएगी, जहां से वायरस के पनपने और फैलने की आशंका जताई जा रही है।
वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी के पास कोरोना वायरस के जेनेटिक सीक्वेंस का एक विशाल संग्रह है जो 2003 SARS (बर्ड फ्लू) महामारी के मद्देनजर बनाया गया था। यह महामारी उस वक्त चीन से एशिया के अन्य देशों में फैली थी। डब्ल्यूएचओ की टीम इस लैब की लॉगबुक और डेटा देखना चाहती है। इसके साथ ही सीनियर और जूनियर चाइनीज रिसर्चर्स से बात करके सैंपल कलेक्शन, स्टोरेज और एनालिसिस के लिए इस्तेमाल होने वाले सेफ्टी प्रोटोकॉल के बारे में पता करना चाहती है।
डब्ल्यूएचओ टीम ऐसे वक्त में चीन पहुंची है जब वहां बड़े पैमाने पर कोरोना वायरस के ताजा मामले आने पर कई शहरों में लॉकडाउन लगा दिया गया है। करीब 2.2 करोड़ लोगों को लॉकडाउन के कारण घरों के अंदर रहने के लिए कहा गया है। 1.7 करोड़ की जनसंख्या वाले 2 शहरों शिंजुआंग और जिंगताई में लॉकडाउन लगाया गया है जबकि लैंगफैंग (बीजिंग के पास) और वुहान से सटे हेबेई प्रांत में युद्धकालीन आपातकाल घोषित किया गया है। पूर्वोत्तर चीन के हेइलोंगजियांग प्रांत को भी एक ‘आपातकालीन राज्य’ घोषित किया गया है। ट्रांसपोर्ट के सभी साधनों बस और ट्रेनों को रद्द कर दिया गया है। साथ ही शादियां रद्द कर दी गई है और अंतिम संस्कार को लेकर भी पाबंदिया लगाई गई हैं। चीन ने गुरुवार को आठ महीने के बाद अपने यहां कोरोना वायरस से पहली मौत की सूचना दी।
डब्ल्यूएचओ की टीम जब वुहान एयरपोर्ट पर उतरी तो उसका पीपीई किट पहने चीनी अधिकारियों ने स्वागत किया। इस टीम सभी सदस्य पहले ही सिंगापुर में कोविड टेस्ट करा चुके थे और उनकी रिपोर्ट निगेटिव आई थी। टीम के सदस्यों को चीनी अधिकारियों ने नए सिरे से स्वैब टेस्ट कराने के लिए कहा। चीन के अधिकारियों ने कहा कि वे किसी दूसरे देश की टेस्ट रिपोर्ट को नहीं मानते हैं। साथ ही ये भी कहा कि बाहर से चीन आनेवालों को 14 दिनों के क्वारंटीन में रहना होगा। डब्ल्यूएचओ टीम के सदस्यों को बताया गया कि चीन में कोरोना की स्थिति खराब हो गई है और कई शहरों में लॉकडाउन लगा दिया गया है।
डब्ल्यूएचओ टीम का नेतृत्व विश्व प्रसिद्ध वायरोलॉजिस्ट डॉ. पीटर बेन एम्बरेक कर रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘टीम दो हफ्ते के बाद ही अहम जगहों का दौरा करेगी और चीनी रिसर्चर्स से मिल पाएगी। यह आइडिया कोरोना वायरस को लेकर उन स्टडीज को आगे बढ़ाने के लिए था, जो पहले से ही डिजाइन किए गए थे। इन्हें कुछ महीने पहले तय कर लिया गया था ताकि हमें इसकी बेहतर समझ हो कि आखिर हुआ क्या है।’
अपने प्राइम टाइम शो ‘आज की बात’ में हमने आपको डॉ. एम्ब्रेक का बयान दिखाया जिसमें वह कह रहे हैंः ‘हम जानते हैं कि कोरोना वायरस शायद चमगादड़ से आया। फिर दिसंबर 2019 में पता चला कि वुहान में ये इंसानों में फैल गया। लेकिन इन दोनों घटना के बीच के वक्त में क्या हुआ? कितने दूसरे जानवरों में ये पाया गया? कितना पाया गया? इन सब चीजों की डिटेल आना बाकी है। इसलिए हमें नहीं पता कि इस टाइम गैप में क्या-क्या हुआ। यही वजह है कि हम लोग इन सबकी जांच कर रहे हैं।’
डॉ एम्ब्रेक ने कहा, ‘हमारी टीम में महामारी से डील करनेवाले एक्सपर्ट्स हैं। कई और मेडिकल डॉक्टर्स मौजूद हैं। जानवरों का इलाज करने वाले डॉक्टर्स भी टीम का हिस्सा हैं और वायरस पर काम करने वाले तो मौजूद हैं ही। चूंकि ये सब अपनी फील्ड में एक्सपर्ट है और इन्हें अपनी फील्ड की काफी जानकारी है, इसलिए हम जो जांच करनेवाले हैं उसमें ये काफी मददगार साबित रहेंगे। वैसे एक बात मैं कह दूं कि मुझे नहीं लगता कि इस पहले मिशन के बाद ही हमें सारे जानकारी मिल जाएगी। उम्मीद है कि आने वाले दिनों में इस तरह के और मिशन, और दौरे करेंगे। काफी और रिसर्च की जरूरत है।’
डब्ल्यूएचओ के डॉक्टर और वैज्ञानिक बड़ी उम्मीद के साथ वुहान गए थे लेकिन अब वे चीन की चाल में फंस गए हैं। शुरुआत में चीन ने इस बात से साफ इनकार कर दिया था कि वायरस वुहान से उत्पन्न हुआ है। उसने इटली पर दोष मढ़ने की कोशिश की थी और सवाल उठने पर चीन ने अपने देश में बाहरी लोगों के आगमन पर प्रतिबंध लगा दिया। चीन ने तब यह दावा करना शुरू कर दिया था कि उसने महामारी को नियंत्रित कर लिया है, लेकिन उसने अन्य देशों को चीन में जाने और जांच करने की अनुमति नहीं दी थी। चीन ने एक वर्ष से ज्यादा अंतराल के बाद जांच की इजाजत दी है। इसके बाद अब उसने डब्ल्यूएचओ टीम को क्वारंटीन कर दिया है। चीन बार-बार अपना रुख बदल रहा है।
‘आज की बात’ शो में हमने दिखाया कि जब डब्ल्यूएचओ की टीम वुहान में एयरपोर्ट से बाहर निकल रही थी तो जहां से जहां से इस टीम को ले जाया गया उस पूरे कॉरिडोर को प्लास्टिक शीट्स से कवर किया गया था। एयरपोर्ट का पूरा स्टॉफ, सिक्युरिटी से लेकर बस के ड्राइवर तक सभी पीपीई किट में थे। ये दिखाने की कोशिश हो रही थी जैसे चीन के वुहान में वायरस का खतरा डब्ल्यूएचओ की टीम से ही है। और ये उस वुहान में हो रहा था जिसे चीन की सरकार कोरोना फ्री घोषित कर चुकी थी। लेकिन अचानक फिर वुहान में लोगों को घरों में कैद कर दिया गया।
मुझे इस बात को लेकर हैरानी हुई है क्योंकि कुछ दिन पहले यहां सब कुछ सामान्य था। सच तो ये है कि वुहान के कई इलाके ऐसे हैं जहां लोग अब भी घूम रहे हैं। किसी तरह की कोई पाबंदी नहीं है। दो हफ्ते पहले नए साल के मौके पर शी जिंनपिंग की सरकार ने खुद चीन में नए साल के जश्न की तस्वीरें जारी की थी। जब पूरी दुनिया कोरोना प्रोटोकॉल के साथ नए साल का स्वागत कर रही थी तब चीन में लोग जमकर जश्न मना रहे थे। चीन ने दुनिया को ये दिखाने की कोशिश की थी कि उसने कोरोना पर कंट्रोल पा लिया है। लेकिन जब डब्ल्यूएचओ की टीम वुहान पहुंची तो चीन की सरकार ने लॉकडाउन का एलान कर दिया।
आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि चीन ने पिछले साल मई से कोरोना के नए, सक्रिय और मौत के मामलों के बारे में आंकड़े देना बंद कर दिया था। उस समय चीन ने दावा किया था कि कोरोना से केवल 4,000 लोगों की मौत हुई। इसके बाद से चीन के आंकड़ों में कोई बदलाव नहीं हुआ। लेकिन गुरुवार को जब डब्ल्यूएचओ की टीम पहुंची तो चीन के राष्ट्रीय स्वास्थ्य आयोग ने दुनिया को बताने के लिए आंकड़े जारी किए। उन्होंने बताया कि चीन में कोरोना के 150 नए मामले सामने आए हैं और एक व्यक्ति की मौत हो गई है। चीन ने दुनिया को बताया कि उसने कई शहरों में लॉकडाउन लगा दिया गया है। कोई भी कोरोना के इन आंकड़ों के बारे में सही तथ्य नहीं जानता है।
असल में वायरस हो या वैक्सीन, चीन ने दुनिया को कभी भी सच बताने की कोशिश नहीं की। चीन ने ना इस बात की परवाह की कि वो दुनिया का विश्वास खो देगा। असल में सच पर पर्दा डालना चीन की आदत है। कोई भी चीन के दीवार के पार जाकर असलियत का पता नहीं लगा सकता। चीन ने कभी इस बात की भी परवाह नहीं की कि कोरोना के वायरस से पूरी दुनिया किस तरह परेशान हुई।
जिस तरह से चीन ने डब्ल्यूएचओ की टीम पर पाबंदियां लगाई उससे साफ है चीन कोरोना वायरस के ओरिजिन (उत्पत्ति) पर पर्दा डालना चाहता है। वैसे तो पूरी दुनिया जानती है और मानती है कि ये वायरस चीन से निकला और पूरी दुनिया में फैल गया। सवाल तो ये है कि ये वायरस चीन की गुफाओं से निकला या फिर लैब में बनाकर जानबूझ कर पूरी दुनिया में फैलाया गया? डब्ल्यूएचओ की जो टीम सबूत जुटाने वुहान पहुंची है उसे क्वारंटीन करके और वुहान में लॉकडाउन लगाकर चीन क्या छिपाना चाहता है? सवाल ये भी है कि जिस लैब इंटर्न ने ये बताया था कि ये वायरस चीन से निकला वो गायब क्यों हो गई? सवाल ये भी है कि जब इटली में लोगों ने दरियादिली दिखाते हुए चीनी टूरिस्ट को गले लगाया था तो उसके बाद ही इटली का इतना बुरा हाल क्यों हुआ? सवाल ये भी है कि ट्रंप ने कोरोना को चाइनीज वायरस क्यों कहा? सवाल तो ये भी है कि जिन लोगों ने इस वायरस की रिपोर्टिंग की वो कुछ दिनों के लिए गायब क्यों हो गए?
अच्छा तो ये होगा कि चीन डब्ल्यूएचओ की टीम को इस वैक्सीन के ओरजिन की तहकीकात करने दे। गुफाओं में जाने दे, वुहान मार्केट और लैब में जाने दे। लेकिन जो लोग चीन को जानते और समझते हैं उनका कहना है कि चीन से सच बाहर निकलेगा इसकी ज्यादा उम्मीद नहीं रखनी चाहिए क्योंकि चीन की दीवार बहुत मोटी है।