पिछले कुछ दिनों से हमें एक ऐसे इंटरनेशनल गैंग के बारे में काफी खबरें पढ़ने को मिल रही हैं जो मूक एवं बधिर बच्चों को अवैध रूप से इस्लाम कुबूल करवाता था। उत्तर प्रदेश पुलिस के आतंकवाद निरोधी दस्ते (ATS) ने इस मामले में अब तक 6 गिरफ्तारियां की हैं। आखिरी गिरफ्तारी बुधवार को सलाहुद्दीन शेख की हुई जिसे गुजरात के अहमदाबाद से गिरफ्तार किया गया। इससे पहले ATS ने दिल्ली के जामिया नगर से 2 मौलवियों, मुफ्ती काजी जहांगीर आलम कासमी और उमर गौतम को गिरफ्तार किया था। ये दोनों इस्लामिक दावा केंद्र नाम के एक ऐसे संगठन के लिए काम कर रहे थे, जिसे पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI से फंडिंग होती रही है। सलाहुद्दीन ने माना है कि वह खाड़ी देशों से आए हुए पैसों को हवाला के जरिए उमर गौतम को भेजता था।
आतंक और धर्म परिवर्तन की बात छोड़ भी दें, तो एक बार उन मां-बाप के बारे में भी सोचिए जिन्हें अचानक पता चलता है कि उनके बच्चों ने कोई दूसरा धर्म कुबूल कर लिया है। बुधवार की रात अपने प्राइम टाइम शो ‘आज की बात’ में हमने दिखाया था कि कैसे एक मध्यमवर्गीय परिवार की सदस्य आपबीती सुना रही थीं। उन्होंने बताया कि जब उन्हें पता चला कि नोएडा में उनके पड़ोस में रहने वाली एक महिला ने उनके 17 साल के बेटे को इस्लाम कुबूल करवा दिया, तब उनके ऊपर क्या बीती थी।
मां-बाप अपने बेटे दर्श सक्सेना को अक्सर कंप्यूटर पर काम करते हुए देखते थे, लेकिन उन्होंने कभी यह जानने की कोशिश नहीं की कि वह किससे बात करता है, या किसके संपर्क में है। 3 साल पहले दर्श अपने घर से गायब हो गया, और उसके मां-बाप को बाद में पता चला कि उसने अपना नाम रेहान अंसारी रख लिया है। उसने इस्लाम कुबूल कर लिया था। परिवार को लोगों को अभी भी पता नहीं है कि दर्श कहां है। मई 2018 से ही वह अपने परिवार के संपर्क में नहीं है।
दर्श की मां शिवानी सक्सेना ने बताया कि कैसे वह और उनके पति उसे सोशल मीडिया पर किसी ‘दीदी’ के साथ चैटिंग में मशगूल पाते थे, लेकिन उन्हें नहीं पता था कि ‘दीदी’ उनके बच्चे को धर्म परिवर्तन का पाठ पढ़ा रही थी। उसकी मां ने बाद में पता चला कि दर्श अपने बैग में टोपी छुपाकर रखता था। उन्हें यह भी मालूम चला कि वह चुपके से मस्जिद में नमाज पढ़ने जाता था। और फिर एक दिन उनका लड़का घर छोड़कर चला गया।
यह भारत के अंदरूनी इलाकों के किसी दूर-दराज के गांव की घटना नहीं है। यह घटना हाई-टेक शहर नोएडा के एक मध्यमवर्गीय परिवार में हुई है जिसकी पहुंच इंटरनेट और सोशल मीडिया तक है। मैंने जब दर्श की मां का दर्द सुना तो लगा कि इसे दर्शकों के साथ शेयर करना जरूरी है क्योंकि वह और उनके पति अभी भी अपने बेटे के घर लौटने का इंतजार कर रहे हैं। दर्श की मां ने कहा कि उनका और उनके पति का कसूर सिर्फ इतना था कि उन्होंने अपने बच्चे पर पूरा यकीन किया। उन्होंने कभी भी उसके सोशल मीडिया कॉन्टैक्ट्स को चेक नहीं किया और न ही इस बात पर नजर रखी कि वह किससे चैटिंग करता रहता है। दरअसल, दर्श अपने कंप्यूटर पर ऑनलाइन इस्लाम का पाठ ले रहा था और ‘दीदी’ उसे नमाज पढ़ने और इस्लाम कुबूल करने के फायदे सिखा रही थी। बाद में पता चला कि वह जिस ‘दीदी’ के संपर्क में था, वह उनके पड़ोस में ही रहने वाली एक महिला थी।
इसी तरह की एक और घटना में मोहम्मद उमर गौतम ने एक मूक-बधिर बच्चे राहुल भोला को इस्लाम कुबूल करवाया था। उमर गौतम ने बाद में राहुल भोला को भी कन्वर्जन के काम में लगा दिया। राहुल भोला दूसरे मूक-बधिर बच्चों से बात करता था और उन्हें इस्लाम कुबूल करने के लिए राजी करता था। जब हमारे रिपोर्टर ने राहुल भोला के परिवार से बात की तो उन्होंने बताया कि राहुल अपने बैग में टोपियां रखता था और चुपके से नमाज पढ़ने जाया करता था। राहुल भोला के बैग से कुछ इस्लामिक साहित्य भी मिला था, लेकिन उस समय उनके परिवार ने इस बात पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया।
राहुल भोला अगर एक नॉर्मल बच्चा होता और मुसलमान बन जाता तो शायद किसी को कोई शिकायत नहीं होती। यदि दर्श सक्सेना बालिग होता और अपनी मर्जी से इस्लाम कुबूल कर लेता तो कानून की नजर में यह अपराध न होता। दर्श के मां-बाप चाहे कितना भी रोते-चिल्लाते, कोई कुछ नहीं कर पाता। लेकिन जब दर्श ने अपना धर्म छोड़कर इस्लाम कुबूल किया तब उनकी उम्र 17 साल थी। इसी तरह एक मूक-बधिर दिव्यांग, जो वयस्क भी नहीं हुआ है, को दूसरा धर्म कुबूल करवाना कानून की नजर में अपराध है। किसी व्यक्ति का प्रलोभन, धमकी या धोखाधड़ी के जरिए धर्मांतरण करना धर्मांतरण विरोधी कानून के तहत एक अपराध है।
मुझे 2016 का एक केस याद है जब केरल के 21 नौजवान अचानक अपना घर छोड़कर अफगानिस्तान चले गए थे। उन्हें ISIS ने अमेरिका के खिलाफ अपनी जंग में शामिल किया था। हैरान करने वाली बात यह थी कि इन 21 लोगों में से ज्यादातर कन्वर्टेड मुस्लिम थे, कोई हिंदू से मुसलमान बना था तो कोई ईसाई धर्म छोड़कर आया था। उस समय निमिषा नाम की एक डेंटिस्ट का नाम भी काफी चर्चा में आया था। निमिषा ने पहले एक ईसाई से शादी की, और बाद में उसके पति ने उससे इस्लाम कुबूल करवा लिया। निमिषा और उनके पति दोनों अफगानिस्तान पहुंच गए। उसके परिवार को इस बारे में तब पता चला जब निमिषा ने अपने नवजात बच्चे की तस्वीर सोशल मीडिया पर पोस्ट की। इसके बाद निमिषा की मां ने दिल्ली आकर तत्कालीन गृह मंत्री राजनाथ सिंह से अपनी बेटी को अफगानिस्तान से वापस लाने की गुहार लगाई थी, लेकिन सरकार बेबस थी। निमिषा एक वयस्क थी, उसने अपनी मर्जी से शादी की थी और इस्लाम कुबूल किया था। सरकार के लिए उसे वापस ला पाना मुमकिन नहीं था।
लेकिन उत्तर प्रदेश में जो मामले सामने आए हैं, उनमें ज्यादातर या तो नाबालिग थे या फिर वे दिव्यांग युवा थे। अपने परिवार पर आश्रित युवाओं का धर्म परिवर्तन करना न सिर्फ कानून बल्कि मानवता के खिलाफ भी अपराध है। इन युवकों का शोषण किया गया और धर्म परिवर्तन करने वाले लोगों ने इनकी कमजोरियों का नाजायज फायदा उठाया।
मैं दो संदेश देना चाहता हूं: एक तो माता-पिता को अपने बच्चों की गतिविधियों पर कड़ी नजर रखने की जरूरत है; और दूसरा, सभी मुस्लिम विद्वानों और मौलानाओं को इस तरह की घटनाओं पर विचार करना चाहिए क्योंकि छल, विश्वासघात और लालच का सहारा लेकर धर्मांतरण करने से इस्लाम की छवि खराब होती है।