महाराष्ट्र में सियासी संकट जारी है। शिवसेना के एक और विधायक दिलीप लांडे शुक्रवार को गुवाहाटी जाकर एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले बागी गुट में शामिल हो गए। इसके साथ ही शिवसेना के बागी विधायकों की कुल संख्या 38 हो गई है। गुरुवार को शिवसेना के 3 विधायक शिंदे गुट में शामिल हुए। गुवाहाटी में 8 ऐसे निर्दलीय विधायक भी मौजूद हैं, जिन्होंने शिंदे गुट को अपना समर्थन दे रखा है।
शिवसेना के दो-तिहाई से ज्यादा विधायक अब बागी हो चुके हैं, और अगर पार्टी टूटती है तो ये भी बाग़ी विधायक संविधान की दसवीं अनुसूची (दलबदल विरोधी कानून) के तहत अयोग्य घोषित होने से बच जाएंगे।
इसी बीच शिवसेना ने डिप्टी स्पीकर को लिखे पत्र में शिंदे सहित 16 विधायकों को विधायक दल की बैठक में भाग लेने के लिए चीफ व्हिप का आदेश न मानने के लिए अयोग्य घोषित करने की मांग की है। विधानसभा सचिवालय ने शिवसेना को लिखे एक पत्र में एकनाथ शिंदे की जगह अजय चौधरी को शिवसेना विधायक दल का नेता नियुक्त किया है।
उद्धव ठाकरे के बेटे आदित्य ठाकरे शुक्रवार को पार्टी मुख्यालय में शिवसेना के जिला प्रमुखों के साथ एक मीटिंग में शामिल हुए। रिपोर्ट्स के मुताबिक, शिवसेना शुक्रवार की शाम मुंबई के मरीन ड्राइव पर एक जनसभा कर सकती है।
शिवसेना नेता संजय राउत ने एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार से मुलाकात कर मौजूदा मुश्किल से बाहर निकलने के तरीकों पर चर्चा की। इसके बाद संजय राउत ने दावा किया कि महा विकास अघाड़ी सदन के पटल पर बहुमत साबित करेगी, और ‘अगर यह लड़ाई सड़क पर लड़नी है, तो हम इसके लिए भी तैयार हैं।’ संजय राउत ने कहा, ‘मैं उन्हें (बागी विधायकों को) सदन के पटल पर आने की चुनौती देता हूं।’
तमाम दावों के उलट हक़ीक़त यही है कि उद्धव ठाकरे के खेमे में अब शिवसेना के सिर्फ 12 विधायक रह गए हैं, और एकनाथ शिंदे के पास वह संख्याबल है जिससे वह बीजेपी की मदद से महा विकास आघाड़ी सरकार गिरा सकते हैं। बीजेपी के पास 106 विधायक हैं और उसे 7 निर्दलीय विधायकों का समर्थन भी हासिल है।
गुरुवार को एकनाथ शिंदे ने गुवाहाटी के एक होटल में अपने समर्थक विधायकों की परेड कराई और कहा कि हमारे पीछे एक ‘महाशक्ति’ खड़ी है। एकनाथ शिंदे के खेमे का मनोबल इस वक्त बहुत ऊंचा है, और अब बागियों के मुंबई वापस लौटने और राज्यपाल से मिलने में ज्यादा वक्त नहीं रह गया है। गुरुवार को बागी विधायकों ने शिंदे को अपना नेता घोषित कर ‘भारत माता की जय’ और ‘बालासाहेब ठाकरे की जय’ के नारे लगाए।
ठाकरे परिवार अब इस बात से भी परेशान है कि एकनाथ शिंदे और उनके समर्थक 56 साल पहले 19 जून, 1966 को बालासाहेब ठाकरे द्वारा बनाई गई पार्टी पर भी कब्जा कर सकते हैं। शिंदे गुट इसके साथ ही चुनाव आयोग में भी याचिका दायर करके शिवसेना के चुनाव चिह्न ‘तीर और धनुष’ की मांग कर सकता है। एकनाथ शिंदे ने यह भी दावा किया है कि शिवसेना के 18 लोकसभा सांसदों में से कम से कम 14 सांसद उनके साथ हैं। शिंदे अपने गुट को असली शिवसेना बता रहे हैं।
उद्धव ठाकरे के सहयोगी शरद पवार और कांग्रेस अब मुश्किल में हैं। गुरुवार को, NCP सुप्रीमो शरद पवार ने कहा कि बहुमत का फैसला विधानसभा में होगा, और ‘विधायकों को पहले मुंबई वापस आना होगा।’
यह बात उद्धव ठाकरे और शरद पवार दोनों जानते हैं कि बाजी हाथ से निकल चुकी है। शिवसेना के 38 विधायक बागी नेता एकनाथ शिंदे के साथ दिखाई दे रहे हैं। अब इस बात का कोई मतलब नहीं है कि इन विधायकों को डरा-धमकाकर गुवाहाटी ले जाया गया। बागी विधायक पिछले 4 दिनों से गुवाहाटी में डेरा डाले हुए हैं, लोगों से खुलेआम मिलजुल रहे हैं और नई सरकार बनाने की तैयारी कर रहे हैं। ये विधायक अभी से जीत के जश्न की बात कर रहे हैं।
वहीं, दूसरी तरफ उद्धव और उनके साथी हथियार डाल चुके हैं और खुद ही अपनी हार के संकेत दे रहे हैं। उन्हें आभास हो गया है कि शिवसेना के बागी विधायकों के समर्थन से देवेंद्र फडणवीस की सत्ता में वापसी होने जा रही है।
ये सारी बातें मुझे देवेंद्र फडणवीस के उस शेर की याद दिलाती हैं जो उन्होंने उद्धव सरकार बनने के बाद 2019 में विधानसभा में कही थी। फडणवीस ने तब कहा था, ‘मेरा पानी उतरता देख, मेरे किनारे पर घर मत बसा लेना, मैं समंदर हूं, लौटकर वापस आऊंगा।’ और अब फडणवीस वाकई में सत्ता में वापसी की तैयारी कर रहे हैं।