Rajat Sharma

आ गया तहव्वुर राणा : क्या पाकिस्तान की पोल खुलेगी ?

AKB 26/11 मुंबई आतंकी हमलों का मास्टर माइंड तहव्वुर राणा भारत पहुंच चुका है और उसे दिल्ली के कोर्ट ने 18 दिन तक NIA की हिरासत में भेज दिया है. अभी राणा से पूछताछ चल रही है, जिसका नेतृत्व NIA की DIG जया राय कर रही हैं. 16 साल की लंबी जद्दोजहद के बाद तहव्वुर राणा को गुरुवार को विशेष विमान में दिल्ली लाया गया. मुंबई में 166 बेगुनाहों की जान लेने वाले तहव्वुर राणा को अब उसके गुनाहों की सजा मिलेगी. ये कोई सीक्रेट नहीं है कि तहव्वुर राणा 26/11 के जिस आतंकवादी हमले में शामिल था, वो पाकिस्तानी फौज और ISI ने करवाया था. उन्होंने आतंकवादियों को ट्रेनिंग दी, टारगेट दिया, फंडिंग की और बेकसूर लोगों पर हुए हमले को सुपरवाइज किया. तहव्वुर राणा और हाफिज सईद जैसे आतंकवादी इस साजिश का हिस्सा थे. तहव्वुर राणा के खिलाफ भारत के पास पुख्ता सबूत हैं. ये अमेरिका की अदालत में साबित हो चुका है. अब उसे भारत में उसके गुनाहों की सजा मिलेगी. लेकिन बड़ी बात ये है कि तहव्वुर राणा के केस की मदद से पाकिस्तान की कलई खुलेगी. वहां की फौज और ISI बड़ी बेशर्मी से इस बात का खंडन करते हैं कि 26/11 के हमले में उनका हाथ नहीं था. अपने गुनाहों पर पर्दा डालने के लिए ISI ने अजमल कसाब और बाकी आतंकवादियों को हाथ में कलावा बांधकर भेजा था ताकि उन्हें हिंदू आतंकवादी करार दिया जा सके. मुझे याद है, 26/ 11 हमलों के अगले दिन इंडिया टीवी से फोन पर बात करते हुए आतंकवादियों ने कहा था कि वो डेक्कन मुजाहिद्दीन के लोग हैं. उन्होंने पाकिस्तानी कनेक्शन पर पर्दा डालने की कोशिश की थी. ये वही ज़माना था जब कांग्रेस के कई बड़े नेता भगवा आतंकवाद की बात करते थे और यही बहाना लेकर पाकिस्तान की फौज और ISI बच निकलते थे. जो बात सारी दुनिया को पता थी, उससे इनकार करते थे. लेकिन अब मोदी की हिम्मत और प्रयासों से ISI का असली चेहरा सामने आएगा. भारत सबूतों के साथ पाकिस्तान की कलई खोल सकेगा.

अमेरिका ने चीन को पकड़ा : क्या भारत को फायदा होगा ?

अमेरिका और चीन के बीच टैरिफ युद्ध छिड़ चुका है. अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रंप ने टैरिफ पर अचानक यू-टर्न ले लिया है. टैरिफ प्लान लागू होने के सिर्फ तेरह घंटे के बाद ट्रंप ने pause बटन दबा दिया. 75 देशों पर लगाए गए टैरिफ को 90 दिनों के लिए टालने का एलान कर दिया. लेकिन ट्रम्प ने चीन पर 145 प्रतिशत टैरिख लगाने का ऐलान कर दिया. जवाब में शुक्रवार को चीन ने अमेरिकी वस्तुओं पर 125 प्रतिशत टैरिफ लगा दिया. भारत में सेन्सेक्स शुक्रवार को 1,310 अंक की उछाल के साथ बंद हुआ. भारत सरकार ने चीन और अमेरिका के बीच छिड़े टैरिफ युद्ध के असर से बचने की तैयारी शुरू कर दी है. असल में अमेरिका के टैरिफ लगाने के बाद इस बात का डर है कि चीन अपने एक्सपोर्ट का एक बड़ा हिस्सा भारत में डंप कर सकता है. इसलिए सरकार ने उन वस्तुओं और सेक्टर्स की पहचान शुरू कर दी है जिनको चीन भारत में डंप कर सकता है. ऐहतियात के तौर पर भारत चीन के इन सामानों पर एंटी डंपिंग ड्यूटी लगा सकता है. ट्रंप ने तो अपनी चाल चल दी. चीन को विश्व व्यापार में अलग-थलग कर दिया, सबको छोड़ दिया और चीन को कस कर पकड़ लिया. चीन अब WTO से शिकायत कर रहा है कि ट्रंप ने उसे धमकाया है. ट्रंप की ये बात सही है कि पिछले 20 साल में चीन ने अमेरिका से जमकर कमाई की है. अमेरिका को चीन 500 अरब डॉलर का सामान एक्सपोर्ट करता है. एक्सपर्ट्स का अंदाजा है कि अब ट्रंप की टैरिफ वॉर के कारण चीन और अमेरिका का कारोबार 80% तक कम हो सकता है. इससे चीन को भारी नुकसान होगा. इलेक्ट्रॉनिक्स और मशीनरी से लेकर टेक्सटाइल तक हर एक्सपोर्ट पर बुरा असर पड़ेगा. फिलहाल इस बात की कोई संभावना नहीं लगती कि अमेरिका या चीन दोनों में से कोई भी झुकने को तैयार होगा. अगर अमेरिका को होने वाला चीन का निर्यात कम हुआ तो इसका फायदा भारत को हो सकता है. लंबे समय तक चीन से काफी पीछे रहने के बाद अब भारत तेजी से तरक्की के रास्ते पर है. मोदी के सत्ता में आने के बाद Apple जैसी बड़ी कंपनियों ने अपना उत्पादन भारत में शिफ्ट किया है. भारत ने सड़क, रेलवे और पोर्ट जैसे इंफ्रास्ट्रक्चर में ज़बरदस्त निवेश किया है. इसीलिए भारत एक लंबी छलांग लगाने के लिए तैयार है और चीन-अमेरिका कारोबारी जंग का संकट भारत के लिए बड़ा अवसर हो सकता है लेकिन इसके लिए Ease of doing business पर ध्यान देना सबसे जरूरी है.

बंगाल, बिहार की सियासत : वक्फ़ की आग पर सिंकाई

वक्फ कानून को लेकर फाइल की गई अर्ज़ियों पर सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में 16 अप्रैल को होगी. मुख्य न्यायाधीश जस्टिस संजीव खन्ना की बेंच में जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस के वी विश्वनाथन भी हैं. हिन्दू महासभा और दूसरे संगठनों की तरफ से याचिकाएं दायर की गईं, और अब ममता बनर्जी की पार्टी की सांसद महुआ मोइत्रा ने भी वक्फ कानून के खिलाफ अर्जी दी है. दूसरी तरफ वक्फ कानून के खिलाफ पश्चिम बंगाल में जबरदस्त प्रोटेस्ट हो रहे हैं. जमीयत उलेमा ए हिंद के अध्यक्ष सिदीकुल्लाह चौधरी के नेतृत्व में गुरुवार को हजारों मुसलमान कोलकाता की सड़कों पर उतरे. सिदीकुल्लाह चौधरी ममता बनर्जी की कैबिनेट में मंत्री भी हैं. वक्फ एक्ट का विरोध करने वाले मौलाना लोगों को ये कहकर भड़का रहे हैं कि इस कानून के जरिए सरकार मुसलमानों की प्रॉपर्टी पर कब्जा कर लेगी. इसमें तो कोई दो राय नहीं कि ममता बनर्जी की नजर मुस्लिम वोटों पर है. वो वक्फ मसले के बहाने मुसलमानों के वोटों का ध्रुवीकरण करना चाहती हैं. इसीलिए बंगाल में वक्फ एक्ट के खिलाफ प्रोटेस्ट हो रहे हैं, हिंसा हो रही है. दूसरी तरफ इसमें भी कोई शक नहीं हैं कि बीजेपी बंगाल में हिन्दुओं के वोटों का ध्रुवीकरण करना चाहती है. इसीलिए बीजेपी के नेता भगवा यात्राएं निकाल रहे हैं. रामनवमी के तीन दिन बाद भी शोभायात्रा निकल रही है. कुल मिलाकर बंगाल में जो हो रहा है, वो अगले साले होने वाले चुनाव की तैयारी है. इसका देश की भावनाओं से कोई मतलब नहीं हैं. बिहार में भी इसी साल विधानसभा चुनाव होने हैं. इसलिए वक्फ एक्ट को बिहार में भी बड़ा मसला बनाने की कोशिश हो रही है. हकीकत ये है कि वक्फ एक्ट के मसले पर JD-U के मुस्लिम नेताओं में बेचैनी तो है. उन्हें अपना वोट बैंक खिसकने की चिंता है. इसीलिए तेजस्वी यादव और कांग्रेस के नेता भी वक्फ एक्ट को मुसलमानों के खिलाफ बताकर पूरी हवा देने में जुटे हैं. हकीकत ये है कि चाहे JD-U के नेता हों या RJD के या कांग्रेस के नेता, किसी को वक्फ एक्ट के गुणदोष से कोई लेना-देना नहीं हैं. उन्हें इस मसले पर बना बनाया वोट दिख रहा है.

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