उत्तर प्रदेश में बुधवार को जब अखिलेश यादव मिल्कीपुर उपचुनाव में पुलिस पर पक्षपात के आरोप लगा रहे थे, उस वक्त मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ महाकुंभ में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ थे. नरेंद्र मोदी संगम में डुबकी लगा रहे थे. मोदी के महाकुंभ दौरे को लेकर ज़्यादा शोरशराबा नहीं हुआ, न नेताओं की भीड़ थी, न सुरक्षा का ज्यादा तामझाम था. मोदी के स्वागत के लिए सिर्फ योगी पहुंचे थे. प्रधानमंत्री मेला क्षेत्र से होकर संगम तक नहीं गए. हवाईअड्डे से सीधे अरैल घाट पहुंचे, उसके बाद स्टीमर से संगम तक गए. जिस वक्त मोदी अरैल घाट से संगम की तरफ बढ़ रहे थे, उस वक्त लाखों लोग गंगा स्नान कर रहे थे. मोदी ने हाथ हिला कर घाटों पर मौजूद लाखों लोगों का अभिवादन किया.
मोदी ने वैदिक मंत्रोच्चारण के बीच संगम में डुबकी लगाई. इसके बाद खड़े होकर मां गंगा को प्रणाम किया, रूद्राक्ष की माला लेकर मंत्रों का जाप किया, इसके बाद सूर्यदेव को अर्घ्य दिया. स्नान और ध्यान के बाद मोदी ने पूरे विधि-विधान के साथ गंगा पूजन किया. प्रधानमंत्री ने गंगा जल का आचमन किया, संकल्प किया, गंगा मैया को चुनरी चढ़ाई, माला चढ़ाई, पुष्प दूध, जल, पंच-द्रव्य और नैवेद्य चढ़ाए. इसके बाद मां गंगा की आरती की.
आमतौर पर गंगा स्नान के बाद अक्षय वट के दर्शन की परंपरा है लेकिन लाखों श्रद्धालुओं को होने वाली दिक्कतों को ध्यान में रखते हुए मोदी वहां नहीं गए. प्रधानमंत्री सिर्फ दो घंटे ही कुंभ क्षेत्र में थे. बाद में अपनी भावनाएं ट्वीट के जरिए शेयर की. प्रधानमंत्री ने लिखा कि “मां गंगा का आशीर्वाद पाकर मन को असीम शांति और संतोष मिला है, मैंने सभी देशवासियों की सुख-समृद्धि, आरोग्य और कल्याण की कामना की.”
लेकिन महाकुंभ में प्रधानमंत्री का जाना और गंगा में डुबकी लगाना, विरोधियों को रास नहीं आया. कांग्रेस, समाजवादी पार्टी और उद्धव ठाकरे की शिवसेना ने इसे चुनाव से जोड़ दिया. संजय राउत ने कहा कि प्रधानमंत्री ने जानबूझकर दिल्ली में मतदान वाला दिन चुना, मोदी चाहते थे कि लोग दिन भर उन्हें देखें और उनकी पार्टी को वोट दें.
महाराष्ट्र कांग्रेस के अध्यक्ष नाना पटोले ने कहा कि मोदी ईवेंट के आयोजन में माहिर हैं, इसीलिए वह दिल्ली में वोटिंग के दिन महाकुंभ में डुबकी लगाने पहुंचे. यूपी कांग्रेस के अध्यक्ष अजय राय ने कहा कि मोदी ने चुनाव वाले दिन माहौल बनाने की कोशिश तो पूरी की, लेकिन उससे फायदा नहीं होने वाला, क्योंकि मोदी ने संगम में पूरी डुबकी नहीं लगाई, आधी डुबकी का कोई मतलब नहीं है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अगर संगम में स्नान किया, मां गंगा की आरती की, सूर्य को अर्घ्य दिया, तो इसमें बुराई क्या है? अगर इससे दिल्ली के चुनाव में वोट मिलते हैं तो फिर केजरीवाल और राहुल गांधी को किसने रोका था? वे भी डुबकी लगा लेते. महाकुंभ तो सबके लिए खुला है.
किसी ने ये कमेंट किया कि मोदी अपने पाप धोने गए हैं. तो क्या करोड़ों लोग जो महाकुंभ में स्नान करने गए हैं, उन्होंने पाप किए हैं? जो साधू संत, धर्माचार्य, शंकराचार्य संगम में श्रद्धापुर्वक स्नान कर रहे हैं, क्या वो अपने पाप धो रहे हैं?
मुझे लगता है कि इस तरह की भाषा का प्रयोग करने वाले न सनातन को समझते हैं, न भारत की संस्कृति को, न विरासत को जानते हैं और न ही भारत के लोगों की भावनाओं को समझते हैं. लेकिन कुछ लोग आरोप लगाने में माहिर हैं, वे कोई मौका नहीं छोड़ते. इसीलिए ऐसे लोगों की परवाह नहीं करनी चाहिए.