एक तरफ जहां पूरे देश में महामारी की दूसरी लहर में काफी हद तक कमी देखने को मिल रही है, कोविड-19 टीकाकरण के मुद्दे पर सियासी नोकझोंक बदस्तूर जारी है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने शुक्रवार को हिंदी में ट्वीट कर कहा, ‘जुलाई आ गया है, वैक्सीन नहीं आई।’ शनिवार को उन्होंने एक अन्य ट्वीट को एक ग्राफ के साथ पोस्ट करते हुए लिखा, ‘माइंड द गैप! #WhereAreVaccines।’ उनके द्वारा पोस्ट किए गए ग्राफ में दिखाया गया है कि जहां तक संचयी टीकाकरण का सवाल है, भारत अपने लक्ष्य से 27 प्रतिशत पीछे है। ग्राफ के मुताबिक, देश में रोजाना औसतन 50.8 लाख टीके लगाए गए, जबकि तीसरी लहर से बचने के लिए प्रतिदिन 69.5 लाख टीकाकरण का लक्ष्य निर्धारित किया गया था।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन ने ट्विटर पर सबसे पहले करारा पलटवार किया। उन्होंने लिखा: ‘अभी कल ही मैंने जुलाई के लिए टीके की उपलब्धता को लेकर तथ्य सामने रखे थे। राहुल गांधी जी की समस्या क्या है? क्या वह समझते नहीं हैं? अहंकार और अज्ञानता के वायरस का कोई टीका नहीं है। कांग्रेस को अपने नेतृत्व में आमूल-चूल बदलाव के बारे में विचार करने की जरूरत है।’
रेल मंत्री पीयूष गोयल ने कहा, ‘राहुल गांधी को अपनी पार्टी का वाइट पेपर कूड़े में डालना था, उसकी बजाये कांग्रेस सरकार ने वैक्सीन को कूड़े में फैंक दिया। पंजाब व राजस्थान कोरोना से कमाई कर रहे हैं। राजस्थान में मृतकों की संख्या छुपाई, भ्रम व पैनिक फैलाकर ये लोग भ्रष्टाचार करते हैं।’
सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने ट्विटर पर राहुल गांधी को जवाब देते हुए कहा: ‘भारतवासियों ने 35 करोड़ वैक्सीन ली। आपने ली कि नहीं, यह पता नहीं?’
राहुल गांधी सोशल मीडिया पर अक्सर किसी न किसी मुद्दे को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर आरोप लगाते हैं और फिर गायब हो जाते हैं। आमतौर पर केंद्रीय मंत्री राहुल गांधी के आरोपों पर अब प्रतिक्रिया देने से बचते हैं। लेकिन जब राहुल ने वैक्सीनेशन के मुद्दे पर सरकार से सवाल किया तो 3 केंद्रीय मंत्रियों ने तीखा पलटवार किया। शुक्रवार को बीजेपी के प्रवक्ता गौरव भाटिया ने मीडिया से कहा कि पिछले 11 दिनों में देश में औसतन वैक्सीन के 62 लाख डोज रोजाना लगाए गए, लेकिन यह राहुल गांधी नहीं दिखेगा क्योंकि उन्हें हर मुद्दे पर नरेंद्र मोदी का विरोध करना है।
बीजेपी के नेताओं का दावा है कि अब तक 34 करोड़ भारतीयों को वैक्सीन लग चुकी है, लेकिन कांग्रेस का आरोप है कि मुश्किल से 6 करोड़ लोगों की ही दोनों डोज लगी हैं। उनका कहना है कि ये पूरी आबादी का 5 से 6 प्रतिशत भी नहीं है। बीजेपी के नेता गिनवाते हैं कि प्रतिशत देखना हो तो यह भी देखना चाहिए कि हमारे यहां अमेरिका के मुकाबले कितने प्रतिशत लोग कोरोना वायरस से संक्रमित हुए, और कितने प्रतिशत लोगों की इस बीमारी से जान गई।
आम लोग हकीकत जानना चाहते हैं कि क्या वाकई में वैक्सीन की कमी है? क्या लोगों को वैक्सीन लग रही है? सबको वैक्सीन कब तक लग पाएगी? मैं आपको कुछ ऐसे तथ्य बताता हूं, जिनसे न तो राहुल गांधी और न ही विपक्ष का कोई दूसरा नेता इनकार कर सकता है।
तथ्य नंबर एक: भारत दुनिया में सबसे ज्यादा वैक्सीन डोज लगाने वाला देश बन गया है। अमेरिका से भी ज्यादा वैक्सीन डोज भारत में लगी हैं। अमेरिका में वैक्सीन की 32 करोड़ 80 लाख डोज लगाई गई हैं जबकि भारत में लोगों को वैक्सीन की 34 करोड़ से ज्यादा डोज दी जा चुकी हैं।
तथ्य नंबर दो: 45 साल से ज्यादा उम्र के 19.91 करोड़ लोगों को वैक्सीन की डोज मिल चुकी है, जबकि 18 से 44 साल तक की उम्र के लोगों को भारत में 9.65 करोड़ डोज लगाई जा चुकी हैं। वैक्सीन की 2.71 करोड़ डोज हमारे फ्रंटलाइन वर्कर्स को दी गई हैं, जिनमें से 1.74 करोड़ डोज स्वास्थ्यकर्मियों को लगाई गई हैं।
तथ्य नंबर तीन: 2 जुलाई तक भारत में वैक्सीन की कुल 34 करोड़ 46 लाख 11 हजार 291 डोज दी जा चुकी हैं। सिर्फ 1 जुलाई को ही वैक्सीन की 42,64,123 डोज लोगों को लगाई गईं।
केंद्र सरकार की तरफ से वादा किया गया है कि जुलाई में वैक्सीन के 12 करोड़ डोज उपब्लध कराए जाएंगे। सबसे बड़ी बात यह है कि राज्यों को इस बात की जानकारी 15 दिन पहले ही दी जा चुकी है। अगले 3 दिनों में राज्यों को वैक्सीन के 44 लाख 90 हजार डोज मिल जाएंगे। यह संख्या प्राइवेट अस्पतालों को मिली वैक्सीन से अलग है। आंकड़े देखने से साफ पता चलता है कि भारत में इस समय वैक्सीन की कमी नहीं है।
वैक्सीनेशन के मामले में कई राज्य सरकारें भी अपनी तरफ से कोशिश कर रही हैं। महाराष्ट्र में अब तक 3.29 करोड़ वैक्सीन डोज लगाए गए हैं और यह पहले नंबर पर है। इसके बाद उत्तर प्रदेश का नंबर आता है जहां अब वैक्सीन की 3.19 डोज दी जा चुकी हैं। गुजरात में 2.61 करोड़ डोज लगाई गई हैं और यह लिस्ट में तीसरे नंबर पर है। राजस्थान, कर्नाटक और पश्चिम बंगाल के बाद मध्य प्रदेश का नंबर आता है। मध्य प्रदेश में लोगों को वैक्सीन की 2.13 करोड़ डोज लगाई जा चुकी हैं।
शुक्रवार की रात अपने प्राइम टाइम शो ‘आज की बात’ में हमने दिखाया कि कैसे मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा में स्थित एक टीकाकरण केंद्र पर एक हजार से ज्यादा ग्रामीणों की भीड़ उमड़ पड़ी, जबकि वहां वैक्सीन की केवल 250 डोज ही उपलब्ध थीं। वहां लगभग भगदड़ ही मच गई थी और हालात को संभालने के लिए पुलिस को बुलाना पड़ा। इसी तरह की भीड़ मध्य प्रदेश के आगर मालवा कस्बे में भी देखी गई।
भीड़ की इन दो तस्वीरों के आधार पर कांग्रेस ने मध्य प्रदेश की सरकार को कोरोना मेनेजमेंट में फेल घोषित कर दिया। मध्य प्रदेश में सप्ताह में केवल 4 दिन- सोमवार, बुधवार, गुरुवार और शनिवार को टीके लगाए जाते हैं।
इसमें कोई शक नहीं है कि वैक्सीनेशन प्रोग्राम में मिसमैनेजमेंट हुआ है। लोगों को वैक्सीनेशन के बारे में उचित सूचना देकर ऐसी भीड़ से बचा जा सकता था। जब हमारे भोपाल के रिपोर्टर अनुराग अमिताभ ने राज्य के स्वास्थ्य मंत्री प्रभुराम चौधरी से बात की, तो उन्होंने कहा कि यह मिसमैनेजमेंट नहीं था, बल्कि लोगों का वैक्सीनेशन के प्रति उत्साह था, और इसमें कोई बुरी बात नहीं है।
मुंबई के भी कई टीकाकरण केंद्रों पर भीड़ देखी जा रही है। मुंबई के गोरेगांव में नेस्को टीकाकरण केंद्र पर लोग सुबह 6 बजे से लाइनों में खड़े नजर आए। इनमें वरिष्ठ नागरिक भी शामिल थे। अधिकांश लोगों ने कहा कि सेंटर से उन्हें किसी तरह की कोई जानकारी नहीं दी गई।
केंद्र सरकार राज्यों को वैक्सीन दे रही है, लेकिन वैक्सीनेशन सेंटर्स पर भीड़ न हो, अफरा-तफरी न हो, ये राज्य सरकार की जिम्मेदारी है। मिसमैनेजमेंट मध्य प्रदेश में हो या फिर महाराष्ट्र में, इसके लिए केंद्र सरकार को जिम्मेदार ठहराना ठीक नहीं है। भारत जैसे विशाल देश में भीड़भाड़ की ऐसी घटनाएं होती रहती हैं।
यह याद रखना चाहिए कि अमेरिका ने भारत से काफी पहले अपना टीकाकरण अभियान शुरू कर दिया था, लेकिन आज वह हमसे पीछे है। भारत में 34.46 करोड़ डोज लगाए जा चुके हैं जबकि अमेरिका में अब तक वैक्सीन के 32.80 करोड़ डोज दिए गए हैं। 10.27 करोड़ डोज के साथ ब्राजील तीसरे नंबर पर आता है। यूके में 7.79 डोज दिए गए, जबकि जर्मनी में 7.48 डोज लगाए जा चुके हैं। फ्रांस में अब तक 5.44 करोड़ डोज लगाए गए हैं, जबकि इटली में यह संख्या 5.21 करोड़ है।
बेशक, इन देशों की आबादी हमारे देश से कई गुना कम है और इनके स्वास्थ्य संसाधन हमसे कई गुना ज्यादा हैं, इसके बावजूद हमारे देश में वैक्सीनेशन की रफ्तार इन देशों से ज्यादा है। यह प्रत्येक भारतीय के लिए गर्व की बात है।
यह सच है कि तीसरी लहर के खतरे को देखते हुए लोगों में वैक्सीन की डोज की काफी डिमांड है। लेकिन यह याद रखना चाहिए कि वैक्सीन न तो बीजेपी बना सकती है और न कांग्रेस, न तो इसे योगी आदित्यनाथ बना सकते हैं और न ही कैप्टन अमरिंदर सिंह। वैक्सीन सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया, भारत बायोटेक और डॉ. रेड्डी लैबोरेट्रीज में बनाई जा रही है।
सरकारों का काम वैक्सीन की खरीद करना, अच्छी तरह कोल्ड चेन मैनेजमेंट करना और यह देखना है कि लोगों को सही तरीके से इसकी डोज लगे। जब केंद्र जुलाई में 12 करोड़ डोज या अगस्त से एक दिन में एक करोड़ डोज उपलब्ध कराने की बात कहता है, तो यह ज्यादातर इस बात पर निर्भर करता है कि वैक्सीन बनाने वाली कंपनियां अपने वादे पर कितना कायम रहती हैं। अगर वैक्सीन का स्टॉक बेकार पड़ा होता और जनता तक नहीं पहुंच रहा होता, तो सरकार को दोषी ठहराया जा सकता था, लेकिन ऐसा नहीं है।
लेकिन हमारे यहां वैक्सीन पहले दिन से ही सियासत का मुद्दा बनी हुई है। कांग्रेस ने पहले कोवैक्सीन का विरोध किया था, तब इसकी एफिकेसी को लेकर लोगों के मन में भ्रम पैदा हुआ। जब इस आरोप से कुछ नहीं हुआ तो कहा कि वैक्सीन की खरीद को डिसेंट्रलाइज करना चाहिए। कांग्रेस ने मांग की कि राज्य सरकारों को टीके खरीदने की आजादी दी जानी चाहिए, लेकिन भारत और विदेश, दोनों ही जगहों की वैक्सीन बनाने वाली कंपनियों ने राज्यों के साथ सौदा करने से इनकार कर दिया। इसके बाद कांग्रेस ने यूटर्न लिया और कहा कि केंद्र सरकार वैक्सीन खरीदे और राज्यों उपलब्ध करवाए। बीजेपी के नेताओं ने भी इस मामले में सियासत की। उन्होंने गिनवाया कि कांग्रेस के शासन वाले राज्यों में वैक्सीन बर्बाद हुई या फिर प्राइवेट अस्पतालों को ज्यादा कीमत लेकर बेच दी गई।
मुझे लगता है कि वैक्सीन को लेकर सियासत नहीं होनी चाहिए। सभी पार्टियों के नेताओं को एक स्वर में लोगों को बताना चाहिए कि जैसे-जैसे प्रोडक्शन होगा या वैक्सीन का आयात किया जाएगा, वैसे-वैसे लोगों को वैक्सीन लगती जाएगी।
भारत जैसे विशाल देश में एक हफ्ते, एक पखवाड़े या एक महीने के अंदर सभी को वैक्सीन लगाने का राष्ट्रव्यापी अभियान चलाना मुमकिन नहीं है। कोविशील्ड और कोवैक्सिन का उत्पादन करने वाली कंपनियों द्वारा दिए गए आंकड़ों के आधार पर ऐसी उम्मीद है इस साल के आखिर तक देश की 70 फीसदी आबादी को वैक्सीन की दो-दो डोज लग जाएंगी। यदि हम इसमें आयात किए जाने वाले कोविड टीकों के आंकड़े को जोड़ दें, तो देश में टीकाकरण अभियान में तेजी आ सकती है।
राजनीतिक नोकझोंक में लगे रहना एक बात है, लेकिन इस बात का पता लगाया जाना चाहिए कि अफवाहों या वैक्सीन के बारे में इन्फॉर्मेशन न होने के चलते वैक्सीनेशन सेंटर्स पर लोगों की भारी भीड़ क्यों उमड़ी। अफवाहों के कारण अभी भी लोगों की एक बड़ी संख्या कोरना की वैक्सीन को शक की नजर से देखती है। पब्लिक लाइफ में रहने वाले लोगों जैसे कि राजनेताओं, धर्मगुरुओं, विद्वानों और यहां तक कि फिल्मी सितारों की यह जिम्मेदारी है कि वे आगे आएं और लोगों को बताएं कि सभी टीके सुरक्षित हैं और उन्हें किसी भी प्रकार का डर अपने मन में नहीं रखना चाहिए। ऐसा होने पर ही हम मिलकर महामारी को हरा सकते हैं।