Rajat Sharma

नंदीग्राम में वोटिंग के दिन गांववालों को किसने धमकाया था?

AKb (1)इंडिया टीवी पर हमने आपको दिखाया कि नंदीग्राम में मतदान के दिन कैसे खौफज़दा गांववाले केंद्रीय सुरक्षाबलों के साये में वोट डालने के लिए मतदान केंद्र तक जा रहे थे। इन ग्रामीणों में महिला और पुरुष दोनों थे। इन लोगों ने तृणमूल के कुछ स्थानीय नेताओं का नाम लिया जिन्होंने उन्हे मतदान के दिन घरों से बाहर न निकलने और वोट न देने की धमकी दी थी। इससे पता चलता है कि नंदीग्राम में किस तरह से आतंक का माहौल बनाया गया था जहां से तृणमूल कांग्रेस की सर्वेसर्वा ममता बनर्जी अपने राजनीतिक अस्तित्व को बचाने की लड़ाई लड़ रही हैं।

अब तक हम केवल ये सुनते आये थे कि तृणमूल के नेता और बााहुबली बंगाल में भाजपा की रैलियों में शामिल नहीं होने के लिए लोगों को धमकी देते हैं, लोगों को बीजेपी की रैली में जाने पर डराते हैं। हम ऐसा भी सुनते थे कि यहां के गांववाले लोकल पुलिस पर कभी भरोसा नहीं करते। लेकिन सेंट्रल फोर्सेज को देखकर उनकी हिम्मत बढ़ी है और लोग एकजुट होकर वोट देने के लिए घरों से बाहर निकले। बीजेपी के नेता बार-बार कहते हैं कि तृणमूल के लोगों ने उनके कार्यकर्ताओं की पिटाई की, डराया और कई जगह हत्याएं हुईं। इन सब आरोपों पर यकीन करना कई बार मुश्किल होता था लेकिन नंदीग्राम में पोलिंग के दिन जो कुछ दिखा उससे यह मनना पड़ेगा की तृणमूल के गढ़ वाले इलाकों में आतंक का राज है।

इन गांववालों ने इंडिया टीवी के संवाददाता अमित पालित को बताया कि कैसे तृणमूल के नेता उनके घरों पर आए और मिथुन के रोड शो में शामिल होने पर धमकाया। इनके गांव में केंद्रीय सुरक्षा बलों की टीम भेजी गई और इन ग्रामीणों को पोलिंग बूथ तक लाया गया ताकि ये बिना किसी भय के अपने वोट डाल सकें।

हमने गुरुवार को एक और दृश्य दिखाया कि कैसे मुस्लिम बहुल इलाके में बीजेपी प्रत्याशी शुभेंदु अधिकारी के काफिले की गाड़ियों पर पथराव हुआ। शुभेंदु की गाड़ियों के पीछे मीडिया की गाड़ियां भी थी। अचानक सड़क के दोनों तरफ से पत्थरों की बारिश होने लगी। गाड़ियों के शीशे चकनाचूर हो गए। इंडिया टीवी की गाड़ी के शीशे भी फूटे और हमारे संवाददाता पवन नारा के सिर में चोट भी लगी। जैसे ही शुभेंदु अधिकारी को हमले की खबर मिली तो उन्होंने काफिले को रोका और इंडिया टीवी की गाड़ी के पास आए। उन्होंने कहा, ‘ये बेगम के जंगलराज का सबूत है। बंगाल के लोगों को देखना चाहिए। यहां तृणमूल के लोकल मुस्लिम लीडर और बाहुबली शेख सूफियान के खिलाफ पहले से ही गैर-जमानती वारंट लंबित है, ये बाहरी लोगों को मदरसा बूथ पर धांधली के लिए लए थे। अभी बंगाल चुनाव में 6 चरण बाकी है, इसे सबको दिखना चाहिए कि यहां क्या हो रहा है।’

शुभेंदु अधिकारी नंदीग्राम के ब्लॉक-1 में हमले के लिए सीधे-सीधे मुसलमानों को जिम्मेदार क्यों ठहरा रहे हैं? इसका अंदाजा आपको नंदीग्राम के मुसलमानों की बात सुनकर हो जाएगा। इंडिया टीवी संवाददाता मनीष भट्टाचार्या भी नंदीग्राम के उसी इलाके में थे जहां पथराव हुआ था। यहां के तृणमूल समर्थक मुस्लिम मतदाताओं ने कहा, ‘इस बार तो शुभेंदु दादा गया, न ओवैसी चलेगा, न पीरजादा, मुसलमानों का सौ प्रतिशत वोट ममता को मिलेगा।’

ममता बनर्जी इस बात को अच्छी तरह से जानती हैं कि बंगाल में मुस्लिम मतदाता उनके समर्थन में एकजुट हैं और किसी भी हद तक जा सकते हैं क्योंकि उन्हें डर है कि बीजेपी सत्ता में आ सकती है। इसीलिए ममता बनर्जी ने मुस्लिम इलाकों से ज्यादा हिंदू इलाकों पर फोकस किया। ममता ने बूथ पर पहुंचकर करीब दो घंटे तक ड्रामा किया। दो घंटे से ज्यादा वक्त तक वह व्हीलचयर पर बूथ में बैठी रहीं। इस बीच उन्होंने राज्य़पाल जगदीप धनखड़ को फोन करके शिकायत की। ममता ने राज्यपाल से बंगाल में निष्पक्ष चुनाव कराने की मांग की। उन्होंने अपने हाथ से चुनाव आयोग को 2 पेज की चिट्ठी लिखी और यह आरोप लगाया कि केंद्रीय बल धांधली की इजाजत दे रहे हैं। यह सब राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मीडिया का ध्यान आकर्षित करने के लिए किया गया था।

ममता बनर्जी का कहना है कि उन्हें शिकायत मिली थी कि हिंदू बहुल क्षेत्र बोयाल में मुस्लिम मतदाताओं को वोट डालने से रोका जा रहा है। ममता जब पोलिंग बूथ पर पहुंची तब इंडिया टीवी के रिपोर्टर मनीष भट्टाचार्य वहीं मौजूद थे। अचानक बड़ी संख्या में तृणमूल समर्थक वहां नारेबाजी करते हुए आए और भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं के साथ झगड़ा शुरू कर दिया। तृणमूल सुप्रीमो की मौजूदगी में ही दोनों तरफ से नारेबाजी हुई, और फिर मारपीट भी हुई। अच्छी बात यह रही कि केंद्रीय सुरक्षा बलों की एक बड़ी टीम मौके पर आई और हालात को बिगड़ने से रोक लिया।

चुनाव आयोग के खिलाफ शिकायत करने के लिए एक पोलिंग बूथ के बाहर दो घंटे तक बैठे रहना और फिर राज्यपाल को फोन करना, ममता की नाटकीय शैली थी । ये वही राज्यपाल थे, जिन्हें वह पिछले कई सालों से ‘बीजेपी का एजेंट’ बता कर कोसती थीं । एक बूथ के बाहर ममता के होने की खबर तेजी से फैली, और कुछ ही देर बाद चुनाव आयोग के ऑब्जर्वर वहां पहुंच गए, और अपनी रिपोर्ट दिल्ली स्थित EC के कंट्रोल रूम को भेज दी।

चुनाव आयोग ने शाम को इस बारे में मीडिया को बताया, ‘मीडिया के कई हिस्सों में यह कवर किया गया कि नंदीग्राम विधानसभा सीट की बूथ संख्या 7 पर मुख्यमंत्री के कथित घेराव और भीड़ जमा होने के कारण मतदान की प्रक्रिया बाधित हुई। जनरल ऑब्जर्वर हिमेन दास (IAS 2009 बैच) और पुलिस ऑब्जर्वर आशुतोष रॉय (IPS 1994 बैच) से तत्काल मौके पर पहुंचने के लिए कहा गया था। जनरल ऑब्जर्वर की रिपोर्ट 4.06 मिनट पर मिली, जिसमें कहा गया, ‘गुड ऑफ्टरनून सर, बूथ संख्या 7 (बोयाल मोक्ताब प्राइमरी स्कूल) पर मतदान सुचारु रूप से चल रहा है। मुख्यमंत्री, जो कि प्रत्याशी भी हैं, वहां करीब डेढ़ घंटे तक रहने के बाद लगभग 3.35 बजे चली गईं।’

‘इसका संज्ञान लिया जाए कि यहां पर पूरे समय मतदान में कोई व्यवधान नहीं हुआ। अब तक कुल 943 मतों में से 702 मत डाले जा चुके हैं। यहां 74 फीसदी मतदान हुआ है। जब हम मौके पर पहुंचे तो वहां करीब 3,000 लोग थे। अब सभी लोग वहां से जा चुके हैं। अब यहां पर मैं, पुलिस ऑब्जर्वर और CAPF समेत अधिकृत पुलिसकर्मी ही मौजूद हैं। सादर।’

‘पश्चिम बंगाल के मुख्य निर्वाचन अधिकारी के माध्यम से मुख्यमंत्री की ओर से दोपहर के समय हस्तलिखित शिकायत मिली जिसके बाद इसे विशेष पर्यवेक्षक अजय नायक और विशेष पुलिस पर्यवेक्षक विवेक दुबे के पास भेज दिया गया। उनसे शुक्रवार शाम 6 बजे तक रिपोर्ट देने के लिए कहा गया है।’

इसका मतलब है कि ममता तिल का ताड़ बना रही थीं। वह नाटक रच रही थीं जबकि उनकी खुद की पार्टी के गुंडे गांवों में लोगों को वोट देने के लिए घर से बाहर न निकलने की धमकी दे रहे थे।

ममता के प्रतिद्वंद्वी शुभेंदु अधकारी ने कहा कि इससे साफ पता चलता है कि ममता नंदीग्राम में हार रही हैं। उन्होंने दावा किया कि नंदीग्राम के अधिकांश मतदाताओं ने उनके पक्ष में मतदान किया है। अधिकारी ने पूछा कि पोलिंग बूथ के बाहर 2 घंटे तक बैठकर ममता ने आचार संहिता का उल्लंघन कैसे नहीं किया।

उसी समय उलुबेड़िया और जयनगर में प्रधानमंत्री ने चुनाव रैलियों को संबोधत करते हुए कहा, ‘बंगाल की जनता ने इस बार ममता को सबक सिखाने का फैसला कर लिया है। लोगों के गुस्से से दीदी को कोई नहीं बचा सकता। दीवार पर लिखी हुई इबारत पढ़ लीजिए। पहले चरण के मतदान के बाद इस बात का अच्छी तरह अंदाजा लग चुका है। अभी कुछ ही देर पहले नंदीग्राम में जो हुआ, वह हम सबने देखा है। यह दिखाता है कि दीदी अपनी हार मान चुकी हैं।’

मोदी ने ममता पर सीधा सवाल दागते हुए कहा, ‘दीदी, अभी भी आखिरी चरण के चुनाव के लिए नामांकन पत्र दाखिल किया जाना है। जरा बताइए। इस बात में कितनी सच्चाई है, यहां कानाफूसी चल रही है कि आप अचानक किसी दूसरी सीट से फॉर्म भरने जा रही हैं? आप पहली बार नंदीग्राम गईं और वहां की जनता ने आपको दिखा दिया। आप कहीं और जाएंगी तो वहां भी बंगाल के लोग (आपको सबक सिखाने के लिए) तैयार बैठे हैं।’

तृणमूल कांग्रेस के प्रवक्ता ने देर शाम औपचारिक तौर पर इस बात से इनकार कर दिया कि ममता किसी दूसरी सीट से नामांकन पत्र दाखिल करने जा रही हैं। प्रवक्ता ने कहा, ‘अगर बीजेपी के नेताओं को बंगाल से इतना ही प्यार है तो प्रधानमंत्री या गृह मंत्री यहां नामांकन क्यों नहीं दाखिल करते?’ तृणमूल की एक अन्य सांसद महुआ मोइत्रा ने ट्वीट किया: ‘दूसरी सीट से चुनाव लड़ने जा रही हैं? हां, मिस्टर प्राइम मिनिस्टर, और वह वाराणसी की सीट होगी। इसलिए जाइए, और पूरी तैयारी कर लीजिए।’

इंडिया टीवी के पत्रकारों को इस बात का श्रेय जाता है कि उन्होंने गुरुवार को जबर्दस्त साहस दिखाते हुए केंद्रीय बलों के संरक्षण में अपना वोट डालने के लिए पोलिंग बूथों पर पहुंचे ग्रामीणों से बात की। हमारे रिपोर्टरों ने तृणमूल समर्थकों के पथराव का सामना किया, जिसमें हमारे एक रिपोर्टर घायल भी हो गए। हमारे तीसरे रिपोर्टर ने दिखाया कि मुख्यमंत्री की मौजूदगी में कैसे तृणमूल और बीजेपी के समर्थक आपस में भिड़ गए।

बंगाल में चुनाव कराने से पहले चुनाव आयोग जानता था कि बूथ कैप्चरिंग की कोशिश की जाएगी, और इसलिए 8 चरणों के मतदान और केंद्रीय बलों की भारी तैनाती का विकल्प चुना गया। उस समय 8 फेज की वोटिंग पर सबसे पहले ममता बनर्जी ने ही आपत्ति जताई थी। गुरुवार को कैमरे पर जब गांव के लोगों ने बताया कि वह किस तरह खौफ के माहौल में जी रहे हैं, उससे सारा भेद खुला।

दूसरी बात ये है कि गुंडों द्वारा मारपीट और डराने-धमकाने का ज्यादा असर नहीं हुआ, और आम मतदाता ने मतदान के दिन हिम्मत दिखाई। यह बात गुरुवार को ममता बनर्जी के निराश और हताश चेहरे से जाहिर थी, जब वह एक पोलिंग बूथ के बाहर अपनी व्हीलचेयर पर बैठी थीं। ममता कभी इतनी उदास नज़र नहीं आई । यह उनकी सामान्य शैली नहीं थी। उन्होंने गृह मंत्री अमित शाह पर आरोप लगाया और कहा कि केंद्रीय सुरक्षा बलों ने पक्षपातपूर्ण तरीके से काम किया। ममता ने चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर भी सवाल उठाया।

सवाल अभी भी सामने है: ममता नंदीग्राम में जीत दर्ज करेंगी या उनकी हार होगी?

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