राजस्थान के बाग़ी कांग्रेस नेता सचिन पायलट ने बुधवार को साफ कहा कि वह भारतीय जनता पार्टी में नहीं जा रहे हैं। पायलट ने कहा कि राजस्थान में कांग्रेस को दोबारा सत्ता में लाने के लिए उन्होने कड़ी मेहनत की है और वह पार्टी नहीं छोडेंगे। पायलट के बीजेपी में न जाने का पायलट का ये ऐलान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के उस आरोप के जवाब में था जिसमें उन्होने कहा था कि पायलट बीजेपी के साथ साजिश कर राज्य में उनकी सरकार को गिराना चाहते हैं। गहलोत ने यब भी आरोप लगाया था कि हरियाणा में पायलट के साथी विधायकों को होटल में रखवाने के पीछे बीजेपी का हाथ है।
गहलोत ने राज्य विधानसभा के स्पीकर को पत्र भेजकर पायलट और उनके 18 साथी विधायकों की सदस्यता को खत्म करने के लिए कहा है। स्पीकर की तरफ से इन सभी विधायकों के घरों के बाहर डिसक्वालीफिकेशन नोटिस चिपका दिए गए हैं । पायलट और उनके साथी विधायकों पर अनुशासनहीनता और विधायक दल की बैठकों में हिस्सा न लेने के आरोप लगाए गए हैं।
राजस्थान में अभी राजनीतिक लड़ाई लम्बी चलेगी, वैसे मंगलवार को पहला राउंड अशोक गहलोत के पक्ष में रहा। सचिन पायलट को उप मुख्यमंत्री पद तथा प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद से हटा दिया गया जबकि पायलट के दो अन्य सहयोगियों, विश्वेंद्र सिंह और रमेश मीणा, को मंत्रिमंडल से बर्खास्त कर दिया गया।
कांग्रेस आला कमान इस वक्त मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के पीछे मजबूती से खड़ा है। राज्य में यूथ कांग्रेस, एनएसयूआई और सेवा दल के अध्यक्षों को बदलकर पायलट के समर्थकों को बाहर कर दिया गया है।
पायलट को बरखास्त किए जाने के बाद भारतीय जनता पार्टी ने विधानसभा में शक्तिपरीक्षण की मांग की है । आंकड़ों के खेल में अभी गहलोत का खेमा आगे नज़र आ रहा है, लेकिन आगे क्या स्थिति बनेगी, ये अभी कहना कठिन है।
बीजेपी ने आरोप लगाया है कि गहलोत ने कई विधायकों को कैद कर रखा है । इस इल्जाम को साबित करने वाला एक वीडियो सामने आया। राजस्थान ट्राईबल पार्टी के जो दो विधायक सरकार के साथ थे, उन्होने तय किया है कि वे वोटिंग के समय तटस्थ रहेंगे । इसके फौरन बाद सरकार का रुख बदल गया, कल तक जो विधायक खुले आम घूम रहे थे, उनके घरों के बाहर पुलिस का पहरा लगा दिया गया।
कांग्रेस पार्टी की “यूथ ब्रिगेड”, खासकर जतिन प्रसाद, शशि थरूर, दीपेन्द्र हुडा और प्रिया दत्त, पायलट के खिलाफ कार्रवाई से दुखी हैं। इन युवा नेताओं ने ट्वीट करते हुए कहा है कि सचिन पायलट के हटाए जाने की स्थिति को टाला जा सकता था। शशि थरूर ने सचिन पायलट को कांग्रेस का एक श्रेष्ठ और मेधावी (best and brightest) नेता बताते हुए कहा कि उन्हें हटाये जाने से उन्हे दुख पहुंचा है। थरुर ने लिखा कि पायलट को हटाने की बजाय उन्हें कांग्रेस में सबके साथ मिलकर पार्टी को एक धारदार हथियार के रूप में विकसित करना चाहिए था। थरूर का ये बयान कांग्रेस में युवा पीढी के नेताओं के दुख को बड़े साफ तरीके से दर्शाता है।
अब सवाल पूछे जा रहे हैं कि सचिन पायलट ने कांग्रेस हाईकमान के खिलाफ क्यों विद्रोह किया। सचिन पायलट कांग्रेस में रहकर बेचैन क्यों थे। असली बात ये है कि उन्हें लगता है कि राजस्थान की राजनीति में उनका अस्तित्व खतरे में हैं, उन्हें खत्म करने की कोशिश हो रही है, वह नाम के डिप्टी सीएम थे लेकिन उन्हें पूरी तरह साइडलाइन कर दिया गया था । वो मानते हैं कि अगर उन्होंने अब आवाज नहीं उठाई तो वो कहीं के नहीं रहेंगे लेकिन ये महसूस करने वाले सचिन पायलट अकेले नहीं हैं., सिर्फ ज्योतिरादित्य सिंधिया नहीं है।
कांग्रेस में पूरी की पूरी नई जनरेशन के लोग दीपेन्द्र हुड्डा, मिलिन्द देवड़ा, जितिन प्रसाद ऐसे तमाम नेता हैं, जो सचिन पायलट को साइड लाइन किए जाने से परेशान हैं, इन्हीं के लिए सचिन ने कहा कि ‘सत्य परेशान हो सकता है, पराजित नहीं हो सकता’।
लेकिन इस मामले में सबसे बड़ी चुनौती राहुल गांधी के सामने हैं । ये सारे के सारे नेता राहुल गांधी की टीम का हिस्सा थे । हम रोज देखते थे कि ये राहुल को मजबूत करने के लिए काम कर रहे थे, नई कांग्रेस बनाना चाहते थे । मजे की बात ये है कि अब कहा जा रहा है कि अब सचिन पायलट से बात की जाएगी, राहुल गांधी उनकी बात सुनेंगे, लेकिन मंत्रिमंडल से बरखास्त विश्वेन्द्र सिंह ने मंगलवार को जो शेर ट्वीट किया, उसके बाद राहुल गांधी से कुछ कहने की जरूरत नहीं हैं । ये शेर था, “काट कर जुबान मेरी, कह रहा है वो ज़ालिम, अब तुझे इजाज़त है, हाल ए दिल सुनाने की
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