Rajat Sharma

क्यों चीन पर भरोसा नहीं किया जा सकता

सैनिकों को संबोधित करते हुए, रक्षा मंत्री ने कहा, “अभी तक जितनी भी बातचीत चल रही है, उससे मामला सुलझ जाना चाहिए, पर किस हद तक सुलझेगा, मैं इसकी गारंटी नहीं दे सकता। लेकिन, मैं आपको आश्वस्त करना चाहता हूं कि धरती पर कोई भी ताकत हमारी जमीन का एक इंच भी हिस्सा न तो छू सकती है और न ही उसपर कब्जा कर सकती है… यदि भारत के गौरव को ठेस पहुंचाने का कोई प्रयास किया जाता है, तो इसे सहन नहीं किया जाएगा … हम मुंहतोड़ जवाब देंगे।”

AKB (002)रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शुक्रवार को लद्दाख में LAC के पास स्टाक्ना फॉरवर्ड पोस्ट का दौरा किया, जहां पर उन्होंने पैरा कमांडो और अन्य जवानों की दमदार पैरा ड्रॉपिंग तथा अन्य सैन्य अभ्यास का जायजा लिया और बाद में पैंगोंग झील के पश्चिमी तट, जहां से लगभग 40 किलोमीटर की दूरी पर भारत और चीन के सैनिक पीछे हटने के मुद्दे पर एक दूसरे के आमने सामने हैं, पर सैनिकों को संबोधित किया।

सैनिकों को संबोधित करते हुए, रक्षा मंत्री ने कहा, “अभी तक जितनी भी बातचीत चल रही है, उससे मामला सुलझ जाना चाहिए, पर किस हद तक सुलझेगा, मैं इसकी गारंटी नहीं दे सकता। लेकिन, मैं आपको आश्वस्त करना चाहता हूं कि धरती पर कोई भी ताकत हमारी जमीन का एक इंच भी हिस्सा न तो छू सकती है और न ही उसपर कब्जा कर सकती है… यदि भारत के गौरव को ठेस पहुंचाने का कोई प्रयास किया जाता है, तो इसे सहन नहीं किया जाएगा … हम मुंहतोड़ जवाब देंगे।”

अपनी यात्रा के दौरान, राजनाथ सिंह ने अभ्यास करते हुए भारतीय सेना के टी -90 टैंक और इन्फेंट्री कॉम्बैट व्हीकल देखे। जिस वक्त राजनाथ सिंह ड्रिल को देख रहे थे, उसी दौरान 25000 फीट की ऊंचाई पर मिलिट्री ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट C 130J सुपर हरक्युलिस भी नजर आए, इसी एयरक्राफ्ट के अंदर से स्पेशल फोर्स के पैरा कमांडोज ने छलांग लगाई और फिनिश स्नाइपर राइफल और अमेरिकन एक्सफिल हाई कट बैलिस्टिक हेलमेट के साथ प्रदर्शन किया। स्नाइपर राइफल्स की मारक क्षमता 1500 मीटर है।

भारत ने लद्दाख में चुशुल से लेकर सबसे ऊंची पोस्ट, दौलत बेग ओल्डी सेक्टर तक अपने सैनिकों को तैनात किया है, हमारे 45 हजार से ज्यादा जवान इस वक्त लद्दाख की अलग अलग चौकियों पर मौजूद हैं। इनके साथ साथ हर फॉर्वर्ड लोकेशन पर BMP, इन्फेंट्री कॉम्बैट व्हीकल्स और टैंक्स भी तैनात है। BMP में एक साथ 10 जवान दुश्मन पर धावा बोलने के लिए तैयार रहते हैं, इसमें एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल और एंटी एयरक्राफ्ट गन भी लगी हुई है। टी 90 यानी भीष्म टैंक् ने भी सैनिक अभ्यास में हिस्सा लिया , हमारा भीष्म टैंक किसी भी जैविक या रासायनिक हमलों से निपटने की ताकत रखता है। 60 सेकंड के अंदर 8 गोले दाग सकता है। इस टैंक में 125 MM की तोप जो 6 किलोमीटर की दूरी तक मिसाइल लॉन्च कर सकती है। अपाचे अटैक हेलीकॉप्टर्स ने भी अभ्यास में हिस्सा लिया। इसकी ऑपरेशनल रेंज 476 किलोमीटर है। ये ऐसा हेलीकॉप्टर है जो एक मिनट में एक साथ 128 लक्ष्यों पर अचूक निशाना लगा सकता है। अभ्यास में सेना के जवानों ने मैकेनाइज्ड फॉर्मेशन के रुप में हिस्सा लिया ।

रक्षा मंत्री ने पीका मशीन गन हाथ में लेकर फोटो खिंचवाई, इस मशीन गन से हमारे पैरा कमांडो 3800 से लेकर 4000 मीटर तक फायर कर सकते हैं, यानी चार किलोमीटर तक इसकी मारक क्षमता है, और इसमें वेरियंट के हिसाब से हर मिनट में, हर साठ सेकंड में 650 से लेकर 700 से 800 राउंड तक फायर हो सकते हैं।

12000 फीट पर वॉर एक्सरसाइज देखने के बाद रक्षा मंत्री 13 हजार 500 फीट की ऊंचाई वाले लुकुंग पोस्ट पर पहुंचे। ये भारत की 45 किलोमीटर लंबी पैंगोंग लेक का शुरुआती प्वाइंट है। लुकुंग के इसी फॉरवर्ड पोस्ट पर रक्षा मंत्री को पूरी स्थिति के बारे में ब्रीफ किया गया। उन्हें संभावित टकराव वाले मुख्य स्थानों पर भारत और चीन के सैनिकों की तैनाती के बारे में जानकारी दी गई।

ये सही है कि चीन से लगातार बात चल रही है, कई इलाकों में खास तौर पर गलवान वैली में चीन की सेना पीछे हटी भी है। लेकिन अभी भी कई ऐसे इलाके हैं जहां भारत और चीन की फौज आमने सामने हैं। एक्सपर्ट्स का कहना है कि बातचीत की प्रोसेस अच्छी है लेकिन लंबी है। चीन अप्रैल वाली पोजिशन में जाए इसमें वक्त लगेगा, इसीलिए भारत के फौज की तैयारियां पूरी है, क्योंकि चीन पर भरोसा नहीं किया जा सकता है।

चीनी नेतृत्व को भारतीय सेना की ताकत के बारे में पुराने भ्रम नहीं पालना चाहिए। 1962 के युद्ध के बाद से भारत बहुत बदल गया है और हमारी सेना ज्यादा पेशेवर हो गई है।
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इस वक्त दुनिया मे चीन की स्थिति बहुत अच्छी नहीं है। सारी दुनिया चीन से कोरोना वायरस को लेकर नाराज है, ज्यादातर देश ऐसा समझते हैं कि दुनिया में कोरोना महामारी चीन की वजह से फैली है। पूर्वी और दक्षिण पूर्वी एशिया में दक्षिणी चीन सागर के मुद्दे पर चीन छोटे देशों पर धौंस जमाता है। हांगकांग में लोकतंत्र के लिए मांग और मजबूत हो रही है और चीन इस आवाज को दबाने में लगा हुआ है। ये भारत की डिप्लोमेसी की जीत है कि चीन के साथ सीमा विवाद पर रूस, अमेरिका और प्रमुख यूरोपियन देश भारत का समर्थन कर रहे हैं।

इस बात की आशंका कम ही है कि चीन ऐसे वक्त में कोई दुस्साहस करेगा, लेकिन हमारी सेनाएं अलर्ट हैं, जोश में हैं, एक बात साफ है कि भारत के जवान और फौज किसी भी स्थिति के लिए तैयार हैं।

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