प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को गुजरात के भरूच से लाइव वीडियो-कॉन्फ्रेंसिंग के दौरान डॉक्टर बनने की ख्वाहिश रखने वाली एक मुस्लिम लड़की को अपने पिता के कंधे पर सिर रखकर रोते हुए देखा तो भावुक हो गए। प्रधानमंत्री की आंखें उस वक्त नम हो गईं जब लड़की ने उनसे कहा कि वह आंखों की रोशनी खो चुके अपने गरीब पिता की मदद करने के लिए डॉक्टर बनना चाहती है।
मोदी दिल्ली से वीडियो-कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए भरूच में हजारों लोगों के साथ ‘उत्कर्ष समारोह’ में गुजराती में बातचीत कर रहे थे। राज्य सरकार ने इस समारोह का आयोजन अपनी प्रमुख पहलों के 100 फीसदी सैचुरेशन के उपलक्ष्य में किया है। अपनी आंखों की रोशनी खो चुके मुस्लिम शख्स अयूब मोदी को बता रहे थे कि कैसे उनकी दोनों बेटियां सरकारी छात्रवृत्ति योजना की लाभार्थी बन गई हैं और वे स्कॉलरशिप के पैसे से अपनी पढ़ाई कर रही हैं।
अयूब ने बताया कि जिस दौरान वह सऊदी अरब में काम करते थे, उनकी आंखों की रोशनी ग्लूकोमा की वजह से जानी शुरू हो गई, लेकिन उन्होंने उम्मीद नहीं छोड़ी। उन्होंने बताया कि अब उनकी बेटी आलिया पढ़ रही है, और डॉक्टर बनने की ख्वाहिश रखती है। मोदी ने बीच में पूछ लिया कि क्या उनकी बेटी आलिया उनके साथ बैठी हैं। आलिया ने खड़ी होकर पीएम का स्वागत किया लेकिन तभी पिता के कंधे पर सिर रखकर रोने लगीं।
अयूब भाई ने मोदी से कहा कि उनकी बेटी भावुक होने की वजह से ज्यादा नहीं बोल पाएगी, लेकिन खामोश सिर्फ बेटी ही नहीं थी। काफी देर तक मोदी भी बोल नहीं पाए, आलिया की बात उन तक बिना अल्फाज के पहुंच गई थी। बेटी के आंसू देखकर मोदी भावुक हो गए। चारों तरफ सन्नाटा छा गया, क्योंकि मोदी की आंखों में भी आंसू आ गए।
यह प्रोग्राम टीवी पर लाइव चल रहा था। कैमरा प्रधानमंत्री और हजारों किलोमीटर दूर रो रही लड़की के एक-एक इमोशन को कैद कर रहा था। मोदी ने अपने आपको संभालने की कोशिश की और अयूब भाई से पूछा कि रमजान कैसे बीता, ईद कैसे मनाई। अयूब के जवाब के बाद बात खत्म करते-करते मोदी ने उनसे कहा, ‘बेटियों को पढ़ाना, खूब आगे बढ़ाना, उनके सपनों को पूरा करना। अगर कोई दिक्कत हो, किसी तरह की परेशानी हो, तो सीधा मुझे बताना।’
मोदी पिछले 20 सालों से उन लोगों के निशाने पर हैं जो उनसे नफरत करते हैं और अल्पसंख्यकों के साथ होने वाले तमाम अत्याचारों के लिए उन्हें जिम्मेदार ठहराते हैं। लेकिन प्रधानमंत्री और एक गरीब गुजराती मुसलमान के बीच हुई यह सीधी बातचीत हमारे नए भारत को परिभाषित करती है।
कुछ सेकंड का सन्नाटा सारी सच्चाई बयां करने के लिए काफी है। मोदी की नीयत कैसी है, उनके इरादे क्या हैं, और वह कैसे काम करते हैं। यह सब कुछ इस लगभग 2 मिनट की बातचीत से साफ हो जाता है। मैं आपको मोदी और अयूब भाई के बीच हुई बातचीत के पारे में विस्तार से बताता हूं।
अयूब पटेल: जबसे आप आए हैं सरकार में, तब से स्कॉलरशिप मिल रही है।
प्रधानमंत्री: कितनी स्कॉलरशिप मिलती है?
अयूब: बड़ी लड़की को 10 हजार रुपये, और छोटी लड़की को 8 हजार रुपये।
प्रधानमंत्री: इन बेटियों ने क्या सोचा है? पढ़कर क्या करना चाहती हैं?
अयूब: बड़ी लड़की का अभी रिजल्ट आया है, अभी 10 बजे। 80 पर्सेंट नंबर आया है, और डॉक्टर बनना चाहती हैं।
प्रधानमंत्री: डॉक्टर बनना चाहती हैं, वहां हैं क्या? आपके साथ बैठी हैं क्या?
अयूब: हमारे साथ में बैठी हैं?
प्रधानमंत्री: बताओ बेटा क्या नाम है?
अयूब: आप उनको आशीर्वाद दीजिए सर जी।
प्रधानमंत्री: मेरा आशीर्वाद है। क्या नाम है बेटा?
आलिया: आलिया।
प्रधानमंत्री: बेटा बताइये, डॉक्टर बनने का विचार मन में क्यों आया?
आलिया: पापा की प्रॉब्लम को देखकर।
(आलिया रोने लगती हैं)
अयूब: उससे नहीं बोला जाएगा, सर जी। वह थोड़ा भावुक हो गई है।
प्रधानमंत्री: ऐसा है, अपनी बेटी को बताइए…
आलिया: नहीं बोल पाऊंगी..
प्रधानमंत्री: बेटी, तुम्हारी यह जो संवेदना है न, वही तुम्हारी ताकत है।
(इसके बाद सन्नाटा छा जाता है)
प्रधानमंत्री: इस बार ईद कैसे मनाई? रमजान कैसा रहा?
अयूब: बहुत अच्छी तरह से मनाया। सबसे मिलजुल कर मनाया।
प्रधानमंत्री: तो ईद में बेटियों को क्या दिया?
अयूब: ईद में उनको पैसा दिया, और कपड़े लाए। और जरूरत की चीजें लाए।
प्रधानमंत्री: देखिए, इन बेटियों का सपना पूरा करना। और कुछ कठिनाई हो तो मुझे बताना।
अयूब: ठीक है सर जी।
प्रधानमंत्री: आप अपनी शारीरिक पीड़ा को शक्ति में बदल रहे हैं। आपकी बेटी को डॉक्टर बनने की प्रेरणा आपसे मिली।
अयूब: सर, दिल्ली तो बहुत दूर है, कई सौ किलोमीटर। लेकिन वहां बैठे-बैठे आप हमारी चिंता करते हैं, इसके लिए आपका धन्यवाद। आप जिस तरह से देश के विकास के लिए दिन-रात लगे हुए हैं, उसके लिए मैं अंतरात्मा से आपका बहुत धन्यवाद करता हूं। आपने विकलांग शब्द खत्म करके दिव्यांग शब्द दिया, हमारा गौरव बढ़ाया, इसके लिए हम आपका धन्यवाद करते हैं।
अयूब भाई पटेल उन 13 हजार से ज्यादा लोगों में से हैं, जिन्हें सरकारी योजनाओं का फायदा मिला है। चूंकि ग्लूकोमा की वजह से उनकी आंखों की रोशनी चली गई, इसलिए वह तो मोदी के आंसू नहीं देख पाए, लेकिन फिर भी वह दिल ही दिल में जानते हैं कि मोदी की वजह से उनकी 3 बेटियों को वजीफा मिल रहा है, .उन्हें पेंशन मिल रही है, मुफ्त राशन मिल रहा है और रेलवे एवं सरकारी बस का पास मिला हुआ है। अयूब तो बस इतना जानते हैं कि अगर सरकार की मदद न मिलती, तो उनके परिवार की जिंदगी में अंधेरे के सिवा कुछ नहीं होता।
भरूच के जिला कलेक्टर ने बताया कि उत्कर्ष पहल के तहत जिला प्रशासन द्वारा 13,430 लाभार्थियों की पहचान की गई है, जहां 4 प्रमुख योजनाओं के लिए पात्र परिवारों को 100 पर्सेंट सैचुरेशन कवरेज दिया जाता है: (1) गंगा स्वरूप आर्थिक सहायता योजना, (2) इंदिरा गांधी वृद्ध सहाय योजना (3) निराधार वृद्ध आर्थिक सहायता योजना और (4) राष्ट्रीय कुटुम्ब सहाय योजना। कलेक्टर ने कहा कि आमतौर पर गरीब लोग इन 4 योजनाओं से अनजान होते हैं और प्रशासन ने इन लाभार्थियों की पहचान के लिए जनवरी से मार्च तक कैंप लगाए थे।
नरेंद्र मोदी ने आंखों की रोशनी खो चुके एक मजबूर पिता और अपने पापा के लिए डॉक्टर बनने का सपना देखने वाली बेटी का दर्द महसूस किया। यह दर्द सिर्फ वही महसूस कर सकता है जिसने गरीबी देखी हो। आलिया और उनके पापा से मोदी ने जो कहा, वह एक गरीब का बेटा ही कह सकता है। मेरी दुआ है कि आलिया डॉक्टर बनें, अपने पिता का इलाज करें और अपना सपना जरूर पूरा करें।