Rajat Sharma

क्या ओमिक्रॉन वेरिएंट भारत के लिए खतरनाक साबित होगा ?

AKBकोरोना को लेकर गुरुवार को अच्छी और बुरी दोनों खबरें आईं। अच्छी खबर यह है कि अब देश में कोरोना वैक्सीन की 125 करोड़ डोज लग चुकी है और करीब 49 फीसदी आबादी को वैक्सीन की दोनों डोज दी जा चुकी है। बुरी खबर यह है कि कोरोना का ओमिक्रॉन वेरिएंट देश में पहुंच चुका है। पहली बार देश में ओमिक्रॉन वेरिएंट के दो मामले सामने आए। ये दोनों मामले कर्नाटक में मिले हैं।

दक्षिण अफ्रीका से बेंगलुरु पहुंचे 66 साल के एक शख्स में कोरोना का ओमिक्रॉन वेरिएंट पाया गया। यह शख्स 20 नवंबर को बेंगलुरु पहुंचा था। यहां उसका आरटी-पीसीआर टेस्ट किया गया तो रिपोर्ट पॉजिटिव आई। इसके बाद सैंपल को जीनोम सीक्वेंसिंग के लिए भेजा गया। यह शख्स जोहान्सबर्ग स्थित एक फार्मा कंपनी के प्रतिनिधि के तौर पर बेंगलुरु के एक प्राइवेट होटल में ठहरा था। 23 नवंबर को इस शख्स ने एक प्राइवेट लैब में टेस्ट कराया तो रिपोर्ट निगेटिव आई और फिर 27 नवंबर को वह बेंगलुरू से दुबई चला गया। दो दिसंबर को जब जीनोम सीक्वेंसिंग की रिपोर्ट आई तो पता चला कि वह शख्स ओमिक्रॉन वेरिएंट से संक्रमित था। उसके 24 प्राइमरी और 240 सेकेंडरी कॉन्टैक्ट थे। इन सभी का कोविड टेस्ट कराया गया लेकिन सभी की रिपोर्ट निगेटिव आई।

बेंगलुरु में ही ओमिक्रॉन वेरिएंट से संक्रमित दूसरा मरीज मिला। वह भारत का नागरिक है, उसकी उम्र 46 साल है और पेशे से वह डॉक्टर (Anaesthetist) है। हैरानी की बात है कि उसकी कोई ट्रैवल हिस्ट्री नहीं है। 21 नवंबर को तबीयत ख़राब होने पर उसका आरटी-पीसीआर टेस्ट किया गया और 22 नवंबर को उसकी कोविड रिपोर्ट पॉज़िटिव आई। उसे 25 नंबवर कोहॉस्पिटल में भर्ती कराया गया और दो दिन बाद डिस्चार्ज कर दिया गया। दो दिसंबर को उसकी जीनोम सीक्वेंसिंग रिपोर्ट में यह पता चला कि वह कोरोना के ओमिक्रॉन वेरिएंट से संक्रमित था।

बेंगलुरु में स्वास्थ्य विभाग इन दोनों मरीजों के कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग में जुट गया है। स्वास्थ्य विभाग के लोग अब इन दोनों मरीजों के प्राइमरी और सेकेंडरी कॉन्टैक्ट को ट्रेस करके उन्हें आइसोलेट कर रहे हैं। अब तक 37 प्राइमरी और 450 से ज़्यादा सेकेंडरी कॉन्टैक्ट का पता लगा है। इनमें से 3 प्राइमरी और 2 सेकेंडेरी कॉन्टैक्ट के लोगों की कोविड रिपोर्ट पॉज़िटिव आई है और उन्हें आइसोलेट किया गया है। इनके सैंपल की जीनोम सीक्वेंसिंग भी की जा रही है। अच्छी बात यह है कि अब तक बेंगलुरु के डॉक्टर और उसके संपर्क में आए लोगों में गंभीर लक्षण नहीं हैं और जल्द ही उन्हें आइसोलेशन से छुट्टी मिलने की उम्मीद है।

आखिरकार, तमाम सावधानियों के बाद भी वायरस का नया वेरिएंट ओमिक्रॉन भारत में पहुंच गया। ऐसी भी खबरें हैं कि मुंबई और दिल्ली में कुछ लोग इससे संक्रमित हो सकते हैं। जामनगर में भी दक्षिण अफ्रीका से लौटा एक व्यक्ति कोविड पॉज़िटिव पाया गया है। इसके सैंपल के जीनोम सीक्वेसिंग की रिपोर्ट आनी बाकी है।

ओमिक्रॉन के दो मामलों की पुष्टि होने के बाद अब केंद्र और राज्य सरकारों का फोकस दो बातों पर है। पहला, इस नए वेरिएंट को देश में फैलने से रोकना है और दूसरा, विदेशों से आ रहे यात्रियों की और ज्यादा गंभीरता से स्क्रीनिंग करना। दोनों स्तरों पर काम चल रहा है।

जिन 12 देशों को जोखिम की श्रेणी में रखा गया है उन देशों से आने वाले यात्रियों को अनिवार्य रूप से आरटी-पीसीआर टेस्ट कराना होगा। टेस्ट रिपोर्ट आने से पहले वह एयरपोर्ट से बाहर नहीं आ सकेंगे। जिनकी रिपोर्ट पॉजिटिव होगी उन्हें उसी वक्त आइसोलेट किया जाएगा और उनके सैंपल्स जीनोम सीक्वेंसिंग के लिए भेजे जाएंगे। कोरोना की निगेटिव रिपोर्ट आने तक उन्हें कहीं भी जाने की इजाजत नहीं मिलेगी। जोखिम की श्रेणी वाले देशों से आने वाले जिन यात्रियों के टेस्ट निगेटिव पाए जाएंगे, उन्हें 7 दिन तक घर में ही आइसोलेशन में रहना होगा। आठवें दिन उनका दोबारा कोविड टेस्ट किया जाएगा।

जोखिम श्रेणी के12 देशों के अलावा दूसरे देशों से जो यात्री आ रहे हैं, उनमें से 2 प्रतिशत यात्रियों की रैंडम टेस्टिंग की जा रही है। इन्हें सैंपल देने के बाद घर जाने की इजाजत दी जा रही है। इनमें से जो लोग कोविड पॉज़िटिव पाए जाएंगे, उन्हें आइसोलेट किया जाएगा। उनके सैंपल की जीनोम सीक्वेंसिंग होगी और अगर ओमिक्रॉन वेरिएंट पाया जाता है तो फिर उनका इलाज तय प्रोटोकॉल के हिसाब से होगा।

समस्या यह है कि हर रोज 31 देशों से 8 हजार से ज्यादा यात्री भारत के विभिन्न एयरपोर्ट पर पहुंचते हैं। सभी का आरटी-पीसीआर टेस्ट करना और फिर एयरपोर्ट पर उन्हें आइसोलेट करना मुश्किल काम है। गुरुवार को दिल्ली पहुंचे ज्यादातर यात्रियों को जब एयरपोर्ट से बाहर निकलने से रोका गया तो वह बहुत परेशान थे। उनका गुस्सा समझ में आता है, लेकिन इस साल अप्रैल और मई के महीने में जिस तरह की लहर ने पूरे देश को अपनी गिरफ्त में लिया था, वैसी एक और लहर का देश सामना नहीं कर सकता। अप्रैल-मई की लहर में बड़े पैमाने पर मौतें हुईं थी। हमारे एक्सपर्ट्स भी अभी कोरोना के नए वेरिएंट ओमिक्रॉन से पूरी तरह अवगत नहीं हैं।

वैज्ञानिकों का कहना है कि अभी तक दुनिया भर में ओमिक्रॉन वेरिएंट से संक्रमित जितने मरीजों का पता चला है, उनमें हल्के लक्षण पाए गए हैं। अमेरिका में रोजाना एक लाख से ज्यादा लोगों की टेस्टिंग हो रही है लेकिन ज्यादतर मामले डेल्टा वेरिएंट के पाए जा रहे हैं। हालांकि, डेल्टा वेरिएंट की तुलना में ओमिक्रॉन वेरिएंट पांच गुना तेजी से फैलता है। पहले ही ओमिक्रॉन वेरिएंट में 52 म्यूटेशन हो चुके हैं और जीनोम सीक्वेंसिंग करते समय एक्सपर्ट्स के लिए यह एक बड़ी चुनौती है। अब तक 29 देशों में ओमिक्रॉन के 375 मामले सामने आ चुके हैं। ओमिक्रॉन के घातक प्रभावों पर अभी तक विस्तार से अध्ययन नहीं किया गया है।

हमें इस बात को समझना होगा कि ओमिक्रॉन वेरिएंट भारत में पहुंच चुका है। इस वेरिएंट का पता लगाना आसान नहीं है। आरटी-पीसीआर टेस्ट केवल यह बता सकता है कि रोगी कोविड पॉजिटिव है या निगेटिव। यह टेस्ट कोरोना के वेरिएंट के बारे में जानकारी नहीं देता है। जीनोम सीक्वेंसिंग से ही इसका पता चल पाता है। जीनोम सीक्वेंसिंग की सुविधा पूरे भारत में केवल 37 लैब में उपलब्ध है। अभी यह नहीं मालूम है कि यह वायरस कितना खतरनाक है। केवल इतना पता है कि यह वायरस डेल्टा वेरिएंट से पांच गुना ज्यादा तेजी से फैलता है। इसलिए ज्यादा सावधानी की जरूरत है।

सवाल यह है कि क्या यह वेरिएंट कोरोना की तीसरी लहर का कारण बनेगा? क्या देश में कोरोना की तीसरी लहर आएगी और अगर तीसरी लहर आई तो क्या यह दूसरी लहर से ज्यादा घातक होगी? इसके जबाव में एक्सपर्ट्स दो तरह की बातें कहते हैं। पहली, यह कि अभी तक दुनिया में ओमिक्रॉन के जो मरीज मिले हैं, वो ज्यादातर एसिम्टोमैटिक (बिना लक्षण वाले) है या माइल्ड सिम्टम्स (मामूली लक्षण) है। इसलिए हो सकता है कि यह वेरिएंट तेजी से फैलने वाला हो लेकिन गंभीर न हो। अगर ऐसा हुआ तो यह ब्लैसिंग इन डिसगाइज जैसा होगा यानि यह कोरोना के खात्मे का रास्ता हो सकता है। क्योंकि यह वायरस कोरोना के डेल्टा वेरिएंट को रिप्लेस कर देगा जो ज्यादा खतरनाक है। लेकिन अगर ओमिक्रॉन ज्यादा घातक हुआ तो फिर आने वाला वक्त बहुत ही मुश्किल हो सकता है।

अब सवाल यह है कि फिर इससे बचने के लिए क्या किया जाए? तो जबाव बहुत आसान है कि अगर वैक्सीन नहीं लगवाई है तो जितनी जल्दी से जल्दी हो सके वैक्सीन ले लीजिए। अब वैक्सीन की कोई कमी नहीं है और यह आसानी से मिल रही है। जो लोग सेकेंड डोज का इंतजार कर रहे हैं वो भी इसे पूरा कर लें। इसके साथ-साथ कोविड प्रोटोकॉल का पालन खुद भी करिए और दूसरों को भी करने को कहिए। मास्क जरूर पहनिए, बार-बार हाथ धोएं, सेनेटाइजर का इस्तेमाल कीजिए और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कीजिए। जितना संभव हो सामूहिक समारोहों और शादी-विवाह के समारोहों से दूर रहिए। भीड़भाड़ वाली जगहों पर मत जाइए। चूंकि अभी हमारे देश में 18 साल से कम उम्र की आबादी को वैक्सीन नहीं लगी है इसलिए बच्चों पर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है। आप इतना करेंगे तो वायरस से बचे रहेंगे। इसलिए डरने की जरूरत नहीं, सावधान रहने की जरूरत है।

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