Rajat Sharma

MCD में पहले दिन हंगामे की असली वजह

AKB30 दिल्ली के नवनिर्वाचित नगर निगम के सदन की पहली बैठक में शुक्रवार को जमकर हंगामा हुआ। पीठासीन अधिकारी सत्या शर्मा ने जैसे ही 10 मनोनीत पार्षदों को, जिन्हें एल्डरमैन भी कहते हैं, शपथ लेने के लिए बुलाया, AAP के पार्षदों ने वेल की तरफ धावा बोल दिया। बीजेपी के इन सभी एल्डरमैन को उपराज्यपाल ने नामित किया था। AAP के पार्षदों ने मेजों पर खड़े होकर नारेबाजी करते हुए शपथ ग्रहण को रोका और बीजेपी के पार्षदों से धक्का-मुक्की शुरू कर दी। हाथापाई में कई पार्षद घायल हो गए और उन्हें अस्पताल ले जाना पड़ा।

नतीजा ये हुआ कि शपथ ग्रहण नहीं हो सका। मेयर, डिप्टी मेयर और स्थायी समितियों के सदस्यों के चुनाव अधर में रह गए। AAP और बीजेपी के पार्षद मंच पर पहुंचे और उनमें से कुछ ने पीठासीन अधिकारी से कागजात छीनने की कोशिश की। AAP पार्षद प्रवीण कुमार और बीजेपी के कुछ पार्षदों के बीच हाथापाई हो गई। सुरक्षाकर्मी चेंबर में घुसे और फिर हाथापाई में पोडियम क्षतिग्रस्त हो गया। इसके बाद पीठासीन अधिकारी ने बैठक को एक घंटे के लिए स्थगित कर दिया।

सदन जब दोबारा शुरू हुआ तो दोनों पक्षों के पार्षदों ने हंगामा शुरू कर दिया, पीठासीन अधिकारी की मेज पर चढ़ गए और माइक तोड़ दिए। AAP के एक पार्षद ने किसी को मारने के लिए कुर्सी भी उठाई, लेकिन उनके साथी ने उन्हें रोक लिया। पीठासीन अधिकारी ने सदन को फिर से स्थगित किया, 15 मिनट बाद वापस आईं, सदस्यों को कार्रवाई की चेतावनी दी, लेकिन जब हाथापाई नहीं रुकी तो उन्होंने सदन को दिन भर के लिए स्थगित कर दिया।

बीजेपी की सांसद मीनाक्षी लेखी पार्टी के 7 पार्षदों के साथ राम मनोहर लोहिया अस्पताल पहुंचीं। ये पार्षद हंगामे में घायल हो गए थे। AAP के 13 घायल पार्षद इलाज के लिए लोक नायक जयप्रकाश अस्पताल गए। एक पार्षद को स्ट्रेचर पर ले जाना पड़ा।

बैठक शुरू होने पर सदन को फूलों और मालाओं से सजाया गया था, लेकिन दिन खत्म होते-होते हाथापाई और हंगामे की वजह से यह जंग के मैदान में तब्दील हो गया था। चारों तरफ टूटी-फूटी कुर्सियां, मेज और माइक पड़े दिख रहे थे। पीठासीन अधिकारी को मार्शलों की मदद से बाहर निकालना पड़ा।

सदन के अंदर आम आदमी पार्टी के विधायक और बीजेपी के सांसद भी वहां मौजूद थे क्योंकि नियम के मुताबिक महापौर के चुनाव में दिल्ली के 13 विधायक और सभी 7 सांसद वोट डाल सकते हैं। AAP अपने 13 विधायकों के साथ पूरी तरह तैयार होकर आई थी, जो बाद में हंगामे में शामिल हो गए।

हंगामे के पीछे मुख्य कारण उपराज्यपाल द्वारा 10 मनोनीत सदस्यों की नियुक्ति थी। आम आदमी पार्टी के नेताओं को डर था कि बीजेपी मेयर और डिप्टी मेयर पदों पर जीत हासिल करने की कोशिश कर सकती है। AAP विधायक आतिशी ने आरोप लगाया कि बीजेपी अपने उम्मीदवार को मेयर बनाने के लिए ‘धोखाधड़ी’ का सहारा ले रही हैं।

बीजेपी की सांसद मीनाक्षी लेखी ने कहा कि उपराज्यपाल के पास पार्षदों को नामित करने की शक्तियां होती हैं और ‘धोखाधड़ी’ का कोई सवाल ही नहीं था। AAP विधायक सौरभ भारद्वाज ने आरोप लगाया कि पीठासीन अधिकारी का काम नए सदस्यों की शपथ और मेयर का चुनाव कराना ही था, लेकिन डिप्टी मेयर और स्थायी समितियों के चुनाव को भी दिन की कार्यसूची में डाला गया था।

नियम के मुताबिक, मनोनीत सदस्य केवल स्थायी समितियों के चुनाव में मतदान कर सकते हैं। वे मेयर और डिप्टी मेयर के चुनाव में वोट नहीं दे सकते।

दिल्ली एमसीडी में कुल 250 सीटें है। मेयर के चुनाव में दिल्ली के 7 सांसद, राज्यसभा के 3 सांसद और 14 विधायक भी वोट डालते हैं। इस लिहाज से मेयर की कुल वोट की संख्या 274 है। कांग्रेस ने पहले ही ऐलान कर दिया है कि वह वोटिंग का बहिष्कार करेगी। MCD चुनाव में कांग्रेस के 9 पार्षद चुनाव जीतकर आए हैं, अगर इन्हें हटा दें तो MCD में कुल वोट की संख्या 265 रह जाएगी और बहुमत का आंकड़ा 133 हो जाएगा।

अब BJP के कुल वोट की बात करें तो पार्टी के 104 पार्षद चुनाव जीते हैं। इसके अलावा बीजेपी के एक विधायक और 7 लोकसभा सांसदों को वोटिंग का अधिकार है। इन सभी को मिला दें तो BJP के कुल वोटों की संख्या 112 हो जाती है।

आम आदमी पार्टी के 134 पार्षद हैं। इनके अलावा 3 राज्यसभा सांसद और 13 विधायक वोट डाल सकते हैं। इस लिहाज से केजरीवाल की पार्टी के पास 150 वोट हैं, जो कि बहुमत से 17 ज्यादा हैं। अगर बीजेपी के लिए किसी तरह 10 नॉमीनेटिड काउंसलर भी वोट डाल देते हैं, तो भी पार्टी के पास कुल 122 वोट ही होंगे। ऐसे में बीजेपी मेयर का चुनाव नहीं जीत सकती।

जब दिल्ली की जनता ने MCD में केजरीवाल की पार्टी के पास स्पष्ट बहुमत दिया है, मेयर और डिप्टी मेयर की पोस्ट पर आम आदमी पार्टी की जीत करीब-करीब तय है तो फिर सवाल ये उठते हैं कि: हंगामा क्यों हो रहा है? जंग किस बात की है? AAP के नेताओं को डर किसका है?

इसकी असली वजह है अविश्वास। बीजेपी तभी जीत सकती है जब केजरीवाल की पार्टी के काउंसलर बीजेपी के उम्मीदवार के पक्ष में क्रॉस वोटिंग कर दें। केजरीवाल को अपने पार्षदों पर यकीन नहीं है। इसीलिए केजरीवाल चाहते थे कि पीठासीन अधिकारी उनकी पार्टी का हो, लेकिन LG ने यह मंशा पूरी नहीं होने दी। इसलिए आम आदमी पार्टी के नेता नाराज हो गए और उनके पार्षद ने टेबल पर चढ़कर पेपर छीन लिया ताकि सदन की कार्यवाही रुक जाए।

दूसरी वजह ये है कि नॉमिनेटिड सदस्य मेयर और डिप्टी मेयर के चुनाव में वोटिंग नहीं कर सकते, लेकिन उन्हें स्टैंडिंग कमेटी के चुनाव में वोट डालने का हक होता है। MCD में स्टैंडिंग कमेटी के पास फाइनेंशियल पावर ज्यादा होती है, इसलिए झगड़ा स्टैंडिंग कमेटी के चेयरमैन को लेकर है। इस कुर्सी पर बीजेपी और आम आदमी पार्टी के बीच मुकाबला कांटे का है। बीजेपी चाहती है कि स्टैंडिंग कमेटी का चेयरमैन उसका हो, और केजरीवाल किसी कीमत पर ये होने नहीं देना चाहते। इसी चक्कर में MCD में पहले ही दिन लात-घूंसे और कुर्सी-टेबल्स चल गईं। शुक्रवार को जो हुआ, वह आने वाले 5 साल का सिर्फ ट्रेलर है।

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