Rajat Sharma

ख्वाजा के नाम पर मुसलमानों को एकजुट होकर इस खतरनाक ट्रेंड को रोकना होगा

akb fullराजस्थान पुलिस ने अजमेर शरीफ की मशहूर दरगाह के खादिम सलमान चिश्ती को गिरफ्तार कर लिया है। सलमान पर आरोप हैं कि उसने पैगंबर साहब के खिलाफ आपत्तिजनक बयान देने के लिए नूपुर शर्मा का सिर कलम करने वाले को इनाम देने का ऐलान किया था। पुलिस ने कहा कि दरगाह थाने में सलमान चिश्ती एक ‘हिस्ट्री-शीटर’ है, और उसके खिलाफ लूट, धमकी, दंगा और हत्या के प्रयास के आरोपों सहित 14 मामले दर्ज हैं। पुलिस एक और खादिम गौहर चिश्ती की भी तलाश कर रही है, जिसने नूपुर शर्मा को इसी तरह की धमकी दी है।

अजमेर के एडिशनल एस.पी. विकास सांगवान ने बताया कि सलमान चिश्ती को मंगलवार रात खादिम मोहल्ला स्थित उनके घर से पकड़ा गया। सांगवान ने कहा, प्रथमदृष्टया आपत्तिजनक वीडियो तब बनाया गया था जब सलमान चिश्ती नशे की हालत में था। उन्होंने कहा कि उससे पूछताछ की जा रही है।

28 जून से पहले शूट किए गए और बाद में लीक हुए वीडियो में सलमान चिश्ती यह कहते हुए नजर आ रहा है, ‘मुझे कसम है मेरे रब की, जिसने पैदा किया उस मां की, मैं उसे सरेआम गोली मार देता। मेरे बच्चों की कसम, मैं गोली मार देता। आज भी सीना ठोक कर कहता हूं, जो नूपुर शर्मा की गर्दन लाएगा, मैं उसे अपना ये घर दे दूंगा। यह वादा करता है सलमान, ख्वाजा का गुलाम। सादात घराने से हूं, अहले बैत घराने से हूं। और मुझे नाज है, फख्र है। जो मेरे रसूल की शान में बोलेंगे, उसे जिंदा रहने का हक नहीं है। यह घर उसके नाम कर दूंगा, इसके अलावा एक जमीन है, वह भी दे दूंगा। सब कुछ कुर्बान मेरे रसूल की शान में। हुजूर ख्वाजा बाबा के दरबार से मैसेज है। जब उनकी इज्जत नहीं रही तो हमारी कहां से इज्जत रह गई? ये लिबास, ये शान, ये शौकत, ये ऐशो अराम किसी काम के नहीं हैं।’

अजमेर शरीफ की मशहूर दरगाह का निर्माण 13वीं शताब्दी में सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की याद में किया गया था। सुल्तान अल्तमश के शासनकाल में ख्वाजा ईरान से भारत आए थे। ख्वाजा का सन् 1236 में निधन हो गया, और तब दरगाह का निर्माण किया गया। मुगल बादशाह अकबर अपने शासनकाल में कम से कम 14 बार इस दरगाह पर ज़ियारत करने गए थे। मुगल बादशाह जहांगीर और शाहजहां ने कई बार दरगाह का पुनर्निर्माण करवाया था। बड़ौदा के महाराजा ने सन् 1800 में मकबरे के ऊपर एक भव्य छतरी का निर्माण कराया थ। दुनियाभर से लाखों मुसलमान ख्वाजा की दरगाह पर आते हैं। ख्वाजा को ‘गरीब नवाज़’ के नाम से जाना जाता है। कई देशों के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और दुनिया भर से बहुत से नेता इस दरगाह में ‘चादर’ चढ़ाते आए हैं।

अजमेर शरीफ के खादिम चिश्ती खानदान से हैं। अजमेर शरीफ में 175 हुजरे हैं। हुजरे का मतलब ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती के वंश की अलग-अलग शाखाएं। हर हुजरे को अंजुमन कमेटी दरगाह में गद्दी नंबर अलॉट करती है। हर हुजरे के खादिम अपनी गद्दी पर बैठते हैं। सलमान चिश्ती की गद्दी का नंबर 119 है। चूंकि खादिम ‘जियारत’ में मदद करते हैं, इसलिए मुस्लिमों में उनकी काफी इज्जत है। उनकी बात को बहुत तवज्जो दी जाती है। इसलिए किसी को एक खादिम से ऐसे अल्फाज की उम्मीद नहीं थी।

सलमान चिश्ती ने अपने घर पर बैठकर वीडियो बनाया और सोशल मीडिया पर अपलोड कर दिया। दरगाह पर इबादत करने वाले लोगों के लिए एक ‘खादिम’ के ये तीखे अल्फाज बेहद चौंकाने वाले थे।

एक दूसरा खादिम गौहर चिश्ती एक आपत्तिजनक वीडियो में कहते हुए नजर आ रहा है, ‘अगर कोई हमारे हुजूर की शान में गुस्ताखी करेगा तो हम इसको बिल्कुल बर्दाश्त नहीं करेंगे। गुस्ताखे रसूल की एक ही सज़ा, सिर तन से जुदा..सिर तन से जुदा। आका की नामूस (इज़्ज़त) के लिए हम सिर भी कटाने को तैयार हैं। उसने हमारी आका की शान में गुस्ताखी की है, इसलिए नूपुर शर्मा को जीने का कोई हक नहीं है। नूपुर शर्मा मुर्दाबाद।’

ये यकीन करना मुश्किल है कि ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती दरगाह के दो खादिम एक शख्स के खिलाफ ज़हर उगल रहे हैं और लोगों से उसका सिर कलम करने की अपील कर रहे हैं। ख्वाजा को अमन और भाईचारे के पैग़ाम के लिए जाना जाता है। इस दरगाह का कोई खादिम ऐसी आपत्तिजनक बातें कैसे कह सकता है?

नूपुर शर्मा का गला काटने वाले को अपना घर इनाम में देने का ऐलान करते वक्त सलमान चिश्ती नशे में था या नहीं, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। अगर नशे में भी कोई इस तरह की बात कहता है तो उसे पकड़कर जेल में डालना चाहिए। सवाल ये है कि गरीब नवाज़ की दरगाह के खादिम की इतनी हिम्मत कैसे हुई कि वह किसी की गला काटने की बात कैमरे पर कहे और उसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल कर दे।

अजमेर शरीफ दरगाह के एक और खादिम गौहर चिश्ती ने 17 जून को ही ऐसे एक वीडियो में लोगों से नूपुर शर्मा का सिर काटने की बात कही थी। उसने अजमेर शरीफ दरगाह के निज़ाम गेट के पास भीड़ के सामने तकरीर की थी, और नारे लगवाए थे, ‘गुस्ताखे रसूल की एक सज़ा, सर तन से जुदा, सर तन से जुदा।’

17 जून को गौहर चिश्ती ने ‘सर तन से जुदा’ के नारे लगवाए, और 28 जून को उदयपुर में कन्हैयालाल का गला काट दिया गया। गला काटने वाले मोहम्मद रियाज और गौस मोहम्मद वारदात के बाद अजमेर की तरफ ही जा रहे थे, उन्हें रास्ते में पकड़ा गया।

राजस्थान पुलिस ने गौहर चिश्ती के खिलाफ 25 जून को केस दर्ज किया था, लेकिन उसको आज तक नहीं पकड़ पाई है और वह अभी भी फरार है। ऐसी खबरें हैं कि गौहर चिश्ती के PFI यानी पीपुल्स फ्रंट ऑफ इंडिया के साथ करीबी रिश्ते हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक, वह पाकिस्तान के कट्टरपंथी संगठन दावत-ए-इस्लामी से भी जुड़ा हैं। यहां गौर करने वाली बात ये है कि उदयपुर में कन्हैया का गला काटने वाले मोहम्मद रियाज़ और गौस मोहम्मद भी दावत-ए-इस्लामी से जुड़े थे, और दोनों ने पाकिस्तान में ट्रेनिंग ली थी।

अब इससे भी ज्यादा चौंकाने वाली बात सुनिए। गौहर चिश्ती अजमेर शरीफ दरगाह का कोई मामूली खादिम नहीं है। अजमेर शरीफ दरगाह की अंजुमन कमेटी के सेक्रेट्री सरवर चिश्ती उसके चाचा हैं। अंजुमन कमेटी के सेक्रेट्री का ओहदा एक CEO की तरह हैं, यानी दरगाह कमेटी में सारे अहम फैसले सरवर चिश्ती की रजामंदी से ही होंगे। पिछले ही महीने 14 जून को अंजुमन कमेटी के इलेक्शन हुए, जिसमें 175 हुजरों के खादिमों ने अपने वोट डाले थे। खादिमों के समर्थन से सरवर चिश्ती को जीत मिली। चुनाव जीतने के बाद दरगाह परिसर में ही सरवर चिश्ती ने लोगों से कहा था कि नूपुर शर्मा ने जो कहा उसे किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा, ‘हम पुलिस के पास दो आंखें लेकर जाएंगे, एक आंख मिलाने के लिये, और दूसरी आंख दिखाने के लिए । हम चुप बैठने वाले नहीं है। हम हिंदुस्तान को हिला कर रख देंगे।’

सरवर चिश्ती ने 14 जून को अजमेर शरीफ दरगाह में खड़े होकर कहा था,‘हिंदुस्तान हिला देंगे’, और 28 जून को हिंदुस्तान हिल गया, जब दर्जी कन्हैयालाल का गला काट दिया गया। कातिलों ने हत्या का वीडियो बनाया, फिर हाथ में खून से सना खंजर लेकर वीडियो सोशल मीडिया पर पोस्ट कर दिया।

जब इंडिया टीवी के रिपोर्टर मनीष भट्टाचार्य ने सरवर चिश्ती से बात की, तो उन्होंने तुरंत बात बदल दी। उन्होंने कहा, ‘हिंदुस्तान तो नूपुर शर्मा ने हिला रखा है। रसूल की शान में गुस्ताखी किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं की जाएगी।’ जब उनसे पूछा गया कि गौहर चिश्ती तो ‘सर तन से जुदा’ के नारे लगवा रहा था, सरवर चिश्ती ने कहा, ‘वो क्या कर रहा था, क्या कह रहा था, इससे मुझे क्या मतलब। कोई अपनी पर्सनल कैपेसिटी में कुछ भी करे, उसके लिए अंजुमन कमेटी थोड़े जिम्मेदार है।’

सरवर चिश्ती मामूली खादिम नहीं हैं, वह खादिमों के नेता हैं, इसलिए नेताओं जैसी बात कर रहे हैं। वह ‘सर तन से जुदा’ जैसे नारों की मुखालफत नहीं कर रहे हैं। उन्होंने अपने भतीजे खादिम गौहर चिश्ती के बयान से किनारा करने की कोशिश की, फिर उसे जस्टिफाई भी करने लगे। लेकिन जब सलमान चिश्ती का वीडियो सामने आ गया तो सरवर चिश्ती सामने आए और कहा, ‘सलमान चिश्ती ने जो कहा उसे दरगाह से जोड़ना ठीक नहीं है। सलमान ने घर में बैठकर बयान दिया है, इससे दरगाह का क्या लेना-देना। सलमान ने जो कहा अंजुमन कमेटी उसकी कड़े शब्दों में निंदा करती है।’ लेकिन इसके बाद सरवर चिश्ती की टोन बदल गई और उन्होंने कहा, ‘जो लोग मुसलमानों के खिलाफ नारे लगाते हैं, इस्लाम के खिलाफ बोलते हैं, उनको क्यों नहीं रोका जाता?’

सरवर चिश्ती के तेवरों से ऐसा कहीं नहीं लग रहा कि उन्हें ‘हिंदुस्तान को हिला देंगे’ वाले अपने बयान पर किसी तरह का अफसोस है। सरवर चिश्ती जिस अजमेर शरीफ की दरगाह को चलाने वाली कमेटी के सरबराह बने हैं, उस दरगाह में मुसलमानों के साथ-साथ बड़ी तादाद में हिंदू भी जाते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर कई बड़े फिल्मी सितारे वहां चादर चढ़ाते हैं। उसी दरगाह का इंतजाम देखने वाली अंजुमन कमेटी को चलाने वाले अगर यह कहें कि वे हिंदुस्तान को हिलाकर रख देंगे, तो ये अफसोसनाक बात है। इससे लोगों में गलत संदेश जाता है।

हालांकि मैं ये भी जोड़ना चाहूंगा कि ख्वाजा मोइनुद्दन चिश्ती की दरगाह के सभी खादिम ऐसे नहीं है। ज्यादातर खादिम इंसानियत, प्रेम, भाईचारे की बात करते हैं। वे हिंसा के लिए उकसाने वालों के खिलाफ ऐक्शन की बात करते हैं। सलमान चिश्ती के वीडियो के चक्कर में अजमेर शरीफ दरगाह के एक दूसरे खादिम के लिए बड़ी दिक्कत खड़ी हो गई। दरअसल इस खादिम का नाम भी सलमान चिश्ती है, और इन्होंने कोई बयान नहीं दिया था।

जब इंडिया टीवी के रिपोर्टर ‘दूसरे’ सलमान चिश्ती से मिले तो उन्होंने कहा कि उन्हें तमाम मैसेज और फोन कॉल्स आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि वह मजहबी तकरीरों के लिए अक्सर विदेश भी जाते रहते हैं। दो दिन पहले ही वह पेरिस से लौटे हैं। मुस्लिम जगत में उनके काफी अनुयायी हैं। लेकिन जब ‘पहले वाले’ सलमान चिश्ती का भड़काऊ बयान वायरल हुआ तो कई लोग कन्फ्यूज हो गए और उन्होंने उनसे ही सवाल पूछे शुरू कर दिए। ‘दूसरे’ सलमान चिश्ती ने कहा कि दरगाह भाईचारे का पैगाम देती है। हिंसा की बात करने वाले ख्वाजा के खादिम नहीं हो सकते। उन्होंने कहा, सरकारी एजेंसियों को इस बात का पता लगाना चाहिए कि ‘सर तन से जुदा’ जैसे नारे अचानक वायरल क्यों हो रहे हैं, और इन नारों के लिए कौन भड़का रहा है।

एक सलमान चिश्ती नूपुर शर्मा की गर्दन काटने वाले को घर देने की बात कह रहा है। दूसरे सलमान चिश्ती भाईचारे का पैगाम दे रहे हैं। दोनों का नाम सलमान चिश्ती है, दोनों अजमेर शरीफ दरगाह में खादिम हैं, लेकिन बातों में और विचारों में कितना फर्क है। कुछ लोग हैं जो नफरत फैला रहे हैं, लेकिन सारे मुसलमान ऐसे नहीं हैं। ज्यादातर मुस्लिम भाईचारे से रहना चाहते हैं, लेकिन चिंता की बात यह है कि जब अजमेर शरीफ की अंजुमन कमेटी के सेक्रेट्री ही हिंदुस्तान हिलाने की बात कह रहे हों, और उसे जस्टिफाई करने की कोशिश कर रहे हों, तो फिर क्या कहा जाए।

मंगलवार को अंजुमन कमेटी की तरफ से एक अपील जारी की गई जिसमें कहा गया कि अजमेर शरीफ की दरगाह का इस्तेमाल कोई नफरत फैलाने में न करें। दरगाह परिसर में बैठकर, परिसर के सामने खड़े होकर कोई ऐसी बात न कहे जिससे समाज में दूरियां पैदा हों। अंजुमन कमेटी का यह प्रस्ताव दो साल पुराना है। इसे 8 अगस्त 2020 को पास किया गया था। इस प्रस्ताव में कहा गया है कि दरगाह परिसर का इस्तेमाल देशविरोधी बयानों और बैठकों के लिए न किया जाए। दरगाह शरीफ पाक जगह है और इसका इस्तेमाल मजहबी कामों के लिए ही किया जाए। मुझे लगता है कि इस तरह के रस्मी कदमों से कुछ नहीं होगा। जो लोग भड़काऊ बातें कहते हैं, उनके खिलाफ ऐक्शन हो क्योंकि जब अजमेर शरीफ जैसी पाक जगह से इस तरह के बयान आते हैं तो दूसरे कट्टरपंथी तत्वों की हिम्मत बढ़ती है।

मैं बूंदी (राजस्थान) के एक मौलवी मौलाना मुफ्ती नदीम, जो कि एक YouTube चैनल चलाता है, के एक भड़काऊ भाषण के बारे में बताना चाहता हूं। मौलाना के भड़काऊ भाषण को राजस्थान पुलिस ने उस समय गंभीरता से नहीं लिया, और उसका वीडियो खूब वायरल हुआ। इस वीडियो में मौलाना पैगंबर की शान में गुस्ताखी करने वालों के हाथ काटने, जुबान काटने और आंखें निकाल लेने की बात चिल्ला-चिल्लाकर कह रहा है। उस वक्त राजस्थान पुलिस ने इस मौलाना के खिलाफ कोई ऐक्शन नहीं लिया, और 28 जून को कन्हैयालाल का सिर कलम कर दिया गया।

मौलाना मुफ्ती नदीम को 1 जुलाई को गिरफ्तार किया गया, लेकिन केस इतना कमजोर बनाया गया कि उसे अगले ही दिन, यानी कि 2 जुलाई को जमानत भी मिल गई। इतना ही नहीं, मौलाना को रिसीव करने के लिए जेल के बाहर गाड़ियों का काफिला पहुंचा। इसके बाद मस्जिद में मौलाना का जबरदस्त स्वागत हुआ, उसे फूल मालाएं पहनाई गईं।

इसी तरह, अजमेर में इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहे एक कश्मीरी छात्र वहीद ने कन्हैयालाल के बेरहमी से हुए कत्ल की तस्वीर वॉट्सऐप पर पोस्ट की, जिसमें नीचे कैप्शन दिया था ‘बस 15 मिनट’ और उसके बाद स्माइली वाली इमोजी लगाई थी। यह दिखाता है कि वहीद कन्हैया की हत्या से खुश था। पुलिस ने उसकी लोकेशन जम्मू में ट्रेस कर ली है और अब उसे पकड़ने की कोशिश कर रही है।

राजस्थान में कांग्रेस और बीजेपी के नेता इस मुद्दे को लेकर एक-दूसरे पर जमकर निशाना साध रहे हैं, लेकिन मुझे लगता है कि यह मुद्दा सियासत का नहीं है। राजस्थान की कांग्रेस सरकार के मंत्री प्रताप सिंह खचरियावास की यह बात सही है कि कुछ लोग मुस्लिम समाज में हीरो बनने के लिए इस तरह के वीडियो बना रहे हैं। लेकिन कांग्रेस की सरकार को यह सोचना होगा कि इस तरह की घटनाएं राजस्थान से ही क्यों शुरू हुईं। क्या दहशत का खेल खेलने वालों को यह तो नहीं लगता कि राजस्थान की पुलिस उनके खिलाफ ऐक्शन नहीं लेगी?

दूसरी बात यह कि पाकिस्तान का दावत-ए-इस्लामी हो या हिंदुस्तान का PFI हो, कत्ल करने वाले हों या कातिलों को भड़काने वाले, इन सबके तार एक दूसरे से जुड़े हैं। ये लोग इस्लाम का भी इस्तेमाल करते हैं और अपने मुसलमान होने का भी फायदा उठाते हैं, लेकिन न तो इस्लाम में कत्ल-ओ-गारत की बात कही गई है, और न ही ज्यादतर मुसलमान ऐसी बातों को सपोर्ट करते हैं। लेकिन दिकक्त यह है कि इस्लाम को मानने वाले ऐसे लोगों को अलग करने की कोशिश नहीं करते, ऐसे लोगों को समाज से बाहर करने की कोशिश नहीं करते।

मुस्लिम समाज को यह देखना होगा कि ऐसे लोग ये सोच भी कैसे सकते हैं कि ‘सर तन से जुदा’ करने की बात करके ये मुस्लिम समाज के हीरो बन सकते हैं। इससे खराब बात क्या हो सकती है कि सर तन से जुदा करने वाली बातें अजमेर शरीफ में बैठ कर कही गईं। गरीब नवाज़ की दरगाह का इतिहास 800 साल पुराना है। सूफी संत मोइनुद्दीन चिश्ती सर्वधर्म समभाव के प्रतीक माने जाते हैं। मान्यता है कि हिंदू हो या मुसलमान, गरीब हो या अमीर, राजा हो या रंक, कोई ख्वाजा की चौखट से खाली हाथ नहीं लौटा।

अब अंजुमन कमेटी को आगे आना चाहिए और पूरे मुल्क को एक बार फिर से गरीब नवाज़ का संदेश देना चाहिए। लेकिन इसके लिए जरूरी है कि सबसे पहले वे अपने यहां बैठे ऐसे लोगों को बाहर करें, जो ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की तालीम को, उनके पैग़ाम को मानने से इनकार करते हैं। ये काम पूरे मुस्लिम समाज को करना होगा वरना ऐसी घटनाओं को कोई रोक नहीं पाएगा। उदयपुर में दर्जी का सिर कलम करने की घटना इसका एक बड़ा उदाहरण है, और इसे किसी भी कीमत पर दोहराया नहीं जाना चाहिए।

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