कश्मीर घाटी में गुरुवार को जो कुछ भी हुआ, वैसा पहले कभी नहीं हुआ था। दहशतगर्दों ने स्कूल में घुसकर वहां मौजूद स्टाफ के आई कार्ड चेक किए, फिर मुसलमानों को हिंदुओं और सिखों से अलग किया। आतंकियों ने मुसलमानों से कहा कि नमाज का वक्त हो गया है, आप लोग घर चले जाइए। इसके बाद 3 दहशतगर्दों ने महिला प्रिंसिपल, जो कि एक सिख थीं, और एक हिंदू टीचर को रोका और उनकी गोली मारकर हत्या कर दी।
यह खूनी वारदात सरकार द्वारा संचालित संगम ईदगाह बॉयज हायर सेकेंडरी स्कूल में सुबह 10.30 बजे हुई। उस वक्त सभी टीचर परीक्षा का शेड्यूल तैयार करने में व्यस्त थे। दहशदगर्दों ने 44 वर्षीय महिला प्रिंसिपल सुपिंदर कौर और उनके सहयोगी दीपक चंद, जो कि जम्मू के रहने वाले एक हिंदू थे, को स्कूल की बिल्डिंग से बाहर आने को कहा और फिर उनपर गोलियों की बौछार कर दी। खून-खराबे के बाद आतंकी आराम से कैंपस से बाहर निकल गए।
इन अलगाववादी दरिंदों ने इस तरह एक बार फिर इंसानियत का कत्ल कर दिया। इन राक्षसों ने एक बार फिर मुसलमानों, हिंदुओं और सिखों के बीच घाटी में पनप रही कश्मीरियत का खून करने की कोशिश की। इन हैवानों ने कश्मीर को एक बार फिर जन्नत से जहन्नुम बनाने की कोशिश की है।
गुरुवार की रात अपने प्राइम टाइम शो ‘आज की बात’ में पहले तो हम मारे गए लोगों के परिजनों का रोना-बिलखना दिखाने से हिचक रहे थे, लेकिन फिर इन्हें दिखाने का फैसला किया ताकि दुनिया इन वीभत्स हत्याओं के बारे में जान सके। सॉफ्ट टारगेट पर हमला करने के पीछे का आतंकियों का मंसूबा साफ है। वे चाहते हैं कि घाटी में धार्मिक आधार पर विभाजन पैदा किया जाए। ये तस्वीरें दिखाती हैं कि पिछले 2 सालों से शांति और सौहार्द से रह रही घाटी में अशांति पैदा करने के लिए वे कितने बेताब हैं।
पिछले 5 दिनों में आतंकवादियों ने 7 निर्दोष नागरिकों की जान ली है, जिनमें से 4 गैर-मुस्लिम थे। आतंकियों ने जिन लोगों को मौत के घाट उतारा उनमें से 2 कश्मीरी पंडित भी थे। इन लोगों को केवल इसलिए मारा गया क्योंकि वे गैर-मुस्लिम थे। चुन-चुनकर की गई इन हत्याओं के पीछे का मकसद बिल्कुल साफ है।
अपने शो में मैंने जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा से बात की, जिन्होंने संकल्प लिया कि इन जघन्य अपराधों के दोषियों को सज़ा मिलकर रहेगी।
मनोज सिन्हा ने इन हत्याओं को ‘कायराना हरकत’ करार दिया। उन्होंने कहा कि पहली बार आतंकियों ने किसी महिला की इस तरह हत्या की है। उन्होंने कहा, ‘वह महिला प्रिंसिपल यतीम बच्चों की सेवा करती थीं, उनकी तालीम के लिए काम करती थीं। मृतकों के परिजनों की आंखों के आंसुओं की एक-एक बूंद का इन आतंकियों से सूद सहित और कायदे से हिसाब किया जाएगा। इन टारगेटेड किलिंग्स के पीछे के इरादे साफ हैं। आतंकवाद फैलाने की जो कोशिश कुछ यहां के लोग और कुछ कहीं और बैठे उनके आका कर रहे हैं, उनसे निपटने के लिए मैंने सुरक्षाबलों को पूरी आजादी दी है। इस तरह विशेष समुदायों से जुड़े लोगों को गोलियों से भून देने के पीछे एक साफ पैटर्न नजर आता है। ये लोग संदेश देना चाहते हैं कि इन्हें घाटी में शांति, सद्भाव और विकास नहीं चाहिए।’
लेफ्टिनेंट गवर्नर ने कहा, ‘पिछले 2 सालों से घाटी में शांति थी। अकेले इसी साल जुलाई में कश्मीर में 10.5 लाख लोग घूमने के लिए आए थे। अगस्त में यहां 11.28 लाख पर्यटक आए और सितंबर में पर्यटकों की संख्या 12.25 लाख के आंकड़े को पार कर गई थी। आतंकवादी आम लोगों की जिंदगी तबाह करना चाहते हैं। वे कश्मीर में विभिन्न समुदायों के बीच भाईचारे को खत्म करना चाहते हैं। लेकिन यदि ये हत्यारे पाताल में भी जाकर छिपे होंगे तो उन्हें खोजकर सजा देने का काम प्रशासन करेगा।’
सिन्हा ने कहा, ‘मैं जम्मू-कश्मीर के सामान्य नागरिकों से अपील करना चाहता हूं कि ऐसे तत्वों से सावधान रहने की जरूरत है। यहां की परंपरा और संस्कृति को कायम रखने की आवश्यकता है। मैं घाटी के सभी बुद्धिजीवियों और युवाओं से आग्रह करना चाहता हूं कि आतंकवादियों को सांप्रदायिक कलह के बीच न बोने दें और भाईचारे को किसी भी हाल में न बिगड़ने दें। हमें आतंकवादियों के बीच एक नया ट्रेंड देखने को मिला है और मैं वादा करता हूं कि शुक्रवार और शनिवार तक सबकुछ जनता के सामने होगा। हमने बुधवार को सुरक्षाबलों के कमांडरों के साथ शीर्ष स्तरीय बैठक की थी और नई रणनीति तैयार की गई है। जल्द ही हालात पर काबू पा लिया जाएगा। हम घाटी में सिखों, हिंदुओं और कश्मीरी पंडितों की सुरक्षा का पूरा मुकम्मल इंतजाम करेंगे।’ मुझे लगता है कि लेफ्टिनेंट गवर्नर के पास कुछ ऐसी खुफिया जानकारी थी, जिसे वह शेयर नहीं करना चाहते थे। ऐसा लगता है कि पुलिस ने हत्यारों की पहचान कर ली है और उन्हें पकड़ने की कोशिश कर रही है।
इन हत्याओं के बाद श्रीनगर के मेयर जुनैद मट्टू ने जो कहा, वह हर भारतीय और हर कश्मीरी को सुनना चाहिए। मट्टू ने कहा, ‘जो लोग आतंकवादियों को मिलिटैंट कहते हैं वे आम कश्मीरियों के दर्द को कभी नहीं समझ पाएंगे। बेगुनाहों और महिलाओं का खून बहाने वालों को किसी भी सूरत में मिलिटैंट्स नहीं कहा जा सकता। वे हैवान हैं। वे इस्लाम और इंसानियत के दुश्मन हैं। पूरे कश्मीर को साथ आकर इन्हें जवाब देना चाहिए।’
हमारे श्रीनगर के रिपोर्टर मंजूर मीर ने बताया कि स्कूल की तरफ जाने वाला रास्ता घने जंगल से होकर जाता है, और आतंकवादियों ने अपनी कायराना हरकत को अंजाम देने के लिए इसी बात का फायदा उठाया। परीक्षा की तैयारी में व्यस्त होने के कारण स्कूल में कोई छात्र नहीं था। शिक्षक स्कूल में सुबह की चाय पी रहे थे कि तभी तीनों युवक पिस्टल लेकर अंदर घुस गए। उन्होंने एक लाइन से सारे टीचर्स और महिला प्रिंसिपल को खड़ा किया और फिर लोगों का मजहब पता करने के लिए सबके पहचान पत्रों, यहां तक कि वोटर आई-कार्ड और आधार कार्ड की जांच की।
प्रिंसिपल सुपिंदर कौर अपने पीछे 2 बच्चे छोड़ गई हैं। उनकी बेटी आठवीं कक्षा में पढ़ती है और बेटा तीसरी कक्षा में पढ़ रहा है। उनके पति बैंक में नौकरी करते हैं। टीचर्स परीक्षा करवाने के लिए ड्यूटी चार्ट तैयार करने स्कूल आए थे। किसी ने सपने में भी नहीं सोचा था कि स्कूल में आतंकवादी घुस आएंगे, उनका धर्म पूछेंगे और फिर उनमें से 2 को गोली मार देंगे। हत्यारों के जाने के बाद सभी टीचर्स शॉक्ड रह गए और उनमें से ज्यादातर जहां थे, वे वहीं बैठकर रो रहे थे।
आतंकियों द्वारा कत्ल किए गए हिंदू टीचर दीपक चंद जम्मू के रहने वाले थे। उन्होंने 3 साल पहले ही नौकरी जॉइन की थी। वह अपनी पत्नी और 3 साल की बच्ची के साथ श्रीनगर में ही किराए के मकान में रहते थे और इस स्कूल में पढ़ाया करते थे। दीपक 5 दिन पहले पिता की बरसी मनाकर जम्मू से लौटे थे, लेकिन गुरुवार को जब स्कूल पहुंचे तो घर वापस लौटकर नहीं आए। दीपक की पत्नी कुछ कहने-सुनने की हालत में नहीं हैं। दीपक के चचेरे भाई ने इंडिया टीवी के रिपोर्टर को बताया कि उन्होंने उनसे फोन पर कहा था कि वह श्रीनगर में व्यापारी मक्खन लाल बिंद्रू की हत्या से घबराए हुए हैं, लेकिन यह भी कहा था कि चूंकि श्रीनगर के लोग अच्छे और मददगार हैं, इसलिए चिंता की कोई बात नहीं है।
सरकार उन लोगों के जख्मों पर मरहम लगाने की कोशिश करेगी जिनके परिवार पर आतंकवादियों ने कायराना हमला किया और उनके अपनों की जान ली। पुलिस उन आंतकवादियों को पकड़ेगी या मौत के घाट उतार देगी, जिन्होंने बेगुनाहों का खून बहाया। लेकिन क्या इससे आतंकवादियों की साजिश नाकाम होगी? क्या इससे कश्मीरियत बच जाएगी?
बिल्कुल नहीं। कश्मीरियत सिर्फ तभी बचेगी जब लोग आतंकवादियों और उनके आकाओं के असली मकसद को समझेंगे और उसके हिसाब से करारा जबाव देंगे। इसलिए मैं आपको बताता हूं कि असली मकसद क्या है।
असल में पिछले 2 सालों में आतंकवादियों ने सुरक्षाबलों पर हमले करके देख लिए। वे नाकाम रहे और मारे गए। इसके बाद कश्मीर पुलिस पर हमले किए, लेकिन कोई असर नहीं हुआ। फिर उन्होंने आम कश्मीरियों का खून बहाया, कश्मीरी मुसलमानों की जान ली, नमाज पढ़ते वक्त कश्मीरियों को पीठ पर गोली मारी लेकिन लोग नहीं डरे। कश्मीरी मुसलमानों ने आतंकवादियों को अपने घरों में पनाह देना बंद कर दिया। उल्टे लोग आतंकवादियों के बारे में सुरक्षाबलों को आतंकियों के बारे में खुफिया जानकारी देने लगे।
अब जब घाटी में शांति लौट आई है, व्यापार एवं सामान्य जीवन फिर से शुरू हो गया है, तो 4500 से ज्यादा कश्मीरी पंडित कश्मीर लौट आए हैं। नब्बे के दशक में चले गए 44,000 कश्मीरी पंडितों में से कइयों के वापस लौटने के संकेत मिलने लगे थे। इन कश्मीरी पंडितों को घाटी के लोगों ने फिर से गले लगाना शुरू कर दिया था। लौटने की इच्छा रखने वाले कश्मीरी पंडित परिवारों ने राज्य सरकार को ऐप्लिकेशन देकर फिर से कश्मीर में बसने की इच्छा जताई।
यही बात पाकिस्तान में बैठे आतंकियों को आकाओं को अखर गई। इसलिए अब पाकिस्तान की तरफ से आतंकवादियों को कश्मीरियत का कत्ल करने का हुक्म दिया गया है, जिससे एक बार फिर सिख और कश्मीरी पंडित, कश्मीरी मुसलमानों पर शक करें। वे चाहते हैं कि हिंदुओं और मुसलमानों के बीच नफरत पैदा हो। लेकिन मुझे पूरा यकीन है कि कश्मीर के हिंदू, सिख और मुसलमान पाकिस्तान की इस साजिश को समझेंगे और सब मिलकर उसे नाकाम करेंगे।