Rajat Sharma

सउदी अरब के साथ दोस्ती से भारत को फायदा पहुंचेगा

rajat-sirसउदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान की एक दिन की भारत यात्रा जी-20 शिखर सम्मेलन के तत्काल बाद हुई है, और इस यात्रा से दोनों मुल्कों की आपसी दोस्ती और मजबूत हुई है. दोनों देशों के बीच जल्दी ही रूपए-रियाल में कारोबार शुरू होगा. अभी आयात-निर्य़ात का भुगतान डॉलर में होता है. दोनों देशों की थल सेना और वायु सेना के साझा य़ुद्धाभ्य़ास के लिए भी बातचीत चल रही है. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ मोहम्मद बिन सलमान की औपचारिक बैठक में ये तय हुआ कि भारत में 100 अरब डॉलर के सउदी पूंजीनिवेश को पूरी कराने के लिए एक टास्क फोर्स बनेगा. इसमें से आधी रकम भारत के पश्चिमी तट पर तेल रिफायनरी लगाने पर खर्च होगी, जो कि काफी समय से लम्बित है. भारत सऊदी अरब का दूसरा सबसे बड़ा एनर्जी पार्टनर है. वहीं सऊदी अरब भारत का चौथा सबसे बड़ा कारोबारी पार्टनर है. भारत अपने कच्चे तेल के आयात का 18 परसेंट सऊदी अरब से ख़रीदता है. G20 सम्मेलन में मोदी ने भारत से यूरोप तक इकॉनॉमिक कॉरिडोर बनाने का एलान किया था. चीन के बेल्ट ऐंड रोड इनिशिएटिव के जवाब में बनाए जाने वाले इस कॉरिडोर में सऊदी अरब भी पार्टनर होगा क्योंकि रेल कॉरिडोर का एक बड़ा हिस्सा सऊदी अरब से होकर गुज़रेगा. प्रधानमंत्री बनने के बाद मोदी दो बार सऊदी अरब का दौरा कर चुके हैं. प्रिंस सलमान भी दूसरी बार भारत की यात्रा पर आए हैं. प्रिंस सलमान और प्रधानमंत्री मोदी की पर्सनल केमिस्ट्री ने भी सबसे पावरफुल मुस्लिम देश से भारत के रिश्ते बेहतर बनाए हैं. मोदी सरकार की कोशिशों से सऊदी अरब ने भारत का हज कोटा बढ़ाकर दो लाख कर दिया है. भारत और सऊदी अरब के बीच ऐतिहासिक रिश्ते रहे हैं, जो दोनों देशों के लिए फ़ायदेमंद साबित हुए हैं. दोनों देशों के बीच कभी भी मतभेद नहीं रहे हैं. अब दोनों देश मिलकर बेहतर भविष्य बनाने के लिए काम कर रहे हैं. हम दोनों देश मिलकर इस स्ट्रैटेजिक पार्टनरशिप काउंसिल के ज़रिए भविष्य में प्रगति के तमाम अवसरों पर काम कर रहे हैं. जब से यूक्रेन युद्ध शुरू हुआ है, तब से भारत अपने ऑयल इम्पोर्ट का बोझ घटाने के लिए डॉलर के बजाय रूपये में कारोबार पर ज़ोर दे रहा है. सऊदी अरब के साथ भी भारत ने रूपये में कारोबार करने की बातचीत शुरू की है. अगर बात बन गई तो भारत को इससे काफ़ी फ़ायदा होगा. इंडोनेशिया के बाद दुनिया में मुस्लिम्स की सबसे ज्यादा आबादी भारत में हैं. मुसलमानों के सबसे पवित्र धार्मिक स्थल मक्का और मदीना सऊदी अरब में ही हैं. इसलिए भारत और सऊदी अरब के रिश्ते सैकड़ों साल पुराने और सहज हैं. प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सोच और काम का स्टाइल भी काफी मिलता जुलता है. मोहम्मद बिन सलमान ने विजन 2030 बनाया है जिसके तहत वो चाहते हैं, खाड़ी के मुल्क तेल उत्पादन पर निर्भरता को कम करके मैन्युफैक्चरिंग और डिजिटल टैक्नोलॉजी पर ध्यान दें. मोदी ने विजन 2047 दिया है. मोदी 2030 तक बारत को दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्य़वस्था बनाना चाहते हैं. चूंकि सऊदी अरब और भारत के सपने और लक्ष्य एक जैसे हैं इसलिए दोनों देश मिलकर काम करें तो दोनों का फायदा होगा. एक और बड़ी बात पेट्रोलियम एक्सपोर्टिंग देशों के संगठन OPEC में भी सऊदी अरब का दबदबा है. यूक्रेन युद्ध के बाद, रूस ने भारत को तेल पर जो डिस्काउंट देना शुरू किया था, वो अब रूस ने 80 परसेंट तक कम कर दिया है. रूस का डिस्काउंट 30 डॉलर प्रति बैरल से घटकर 4 डॉलर ही रह गया है. वहीं पश्चिमी देशों की पाबंदी की वजह से तेल के बदले में भारत को चीन की करेंसी युआन में भुगतान करना पड़ रहा है. इसी वजह से, भारत ने अपने तेल आयात को फिर से अरब देशों पर फोकस कर दिया है. खाड़ी में सऊदी अरब ही भारत का सबसे बड़ा तेल सप्लायर है. अब अगर सऊदी भारत को ज्यादा तेल सप्लाई करने और रूपए में पेमेंट लेने को तैयार हो जाता है तो ये बहुत बड़ी कूटनीतिक जीत होगी क्योंकि इससे रूस पर तेल के मामले में निर्भरता खत्म होगी और चीन को भी जवाब मिलेगा.

जी-20 : दुनिया में मोदी की तारीफ, यहां विपक्ष ने की आलोचना

हालांकि G-20 शिखर बैठक खत्म हो चुकी है, ज्यादातर मेहमान लौट गए हैं लेकिन इस पर सियासत जारी है. बड़ी बात ये है कि G-20 के कारण विरोधी दलों की एकता भी खतरे में पड़ गई हैं. ममता बनर्जी G-20 के दौरान राष्ट्रपति की तरफ से दिए गए भोज में शामिल हुई थी. ये बात कांग्रेस के नेताओं को अच्छी नहीं लगी. अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि सरकार ने विपक्ष का अपमान किया, राज्यसभा में विपक्ष के नेता और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को आमंत्रित नहीं किया. इसके बाद भी ममता बनर्जी राष्ट्रपति के डिनर में दौड़कर पहुंच गईं और वहां भी अमित शाह और योगी आदित्यनाथ के साथ एक ही टेबल पर बैठीं. अधीर रंजन ने कहा कि ममता क्या संदेश देना चाहती हैं. अधीर रंजन ने ममता को अग्निकन्या कहा, कहा कि अगर अग्निकन्या डिनर में न जातीं तो क्या कोई उनकी गर्दन पकड़ लेता. हालांकि ममता बनर्जी ने अधीर रंजन के इस इल्ज़ाम का तो कोई जवाब नहीं दिया लेकिन उन्होंने G20 को लेकर एक अलग ही सवाल उठा दिया. ममता ने कहा कि पूरे G20 सम्मेलन में कमल के फूल को दिखाया गया था, ये तो बीजेपी का चुनाव निशान है, ऐसा नहीं करना चाहिए था. राष्ट्रपति के डिनर में न बुलाए जाने से मल्लिकार्जुन खरगे भी खफा हैं. खर्गे ने सरकार पर जोरदार हमला किया. कहा, अब तो G-20 भी खत्म हो गया, अब मोदी सरकार महंगाई, बेरोज़गारी, करप्शन, मणिपुर की हिंसा और हिमाचल प्रदेश में आपदा से निपटने पर ध्यान दे. लेकिन कांग्रेस के दूसरे नेता इसी बात को मुद्दा बनाकर सरकार को कोस रहे हैं कि राष्ट्रपति के डिनर से विपक्ष के नेताओं को दूर क्यों रखा गया. सचिन पायलट ने कहा कि G20 के डिनर में सरकार ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को आमंत्रित नहीं किया, ये काम बहुत ग़लत कदम था. हालांकि कूटनीति को समझने वाले कांग्रेस के सांसद शशि थरूर ने कहा कि G20 के बाद सर्वसम्मति से घोषणपत्र जारी हुआ, ये बड़ी बात है, ये नरेन्द्र मोदी की सरकार की बड़ी कामयाबी है. शशि थरूर संयुक्त राष्ट्र में अवर महासचिव रह चुके हैं. उनके शब्दों में वजन है, क्य़ोंकि वह अन्तरराष्ट्रीय कूटनीति के माहिर हैं. बीजेपी नेता रविशंकर प्रसाद ने थरूर की तारीफ की. कहा, कांग्रेस के दूसरे नेताओं को थरूर से सीखना चाहिए. केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि विरोधी दलों इसलिए बेचैन हैं क्योंकि मोदी के नेतृत्व में भारत दुनिया में सफलता के झंडे गाड़ रहा है. कहा, जो लोग G-20 को लेकर भारत सरकार की आलोचना कर रहे हैं, ये उनकी संकुचित सोच और जलन का सबूत है. दिलचस्प बात ये है कि विरोधी दलों के नेता भी ये मान रहे हैं कि G-20 बैठक सफल रही. कुछ पार्टियां तो सफलता का श्रेय भी ले रही हैं. जनता दल-यू के नेता लल्लन सिंह ने दावा किया कि G-20 में नीतीश कुमार के कामों की वजह से भारत को दुनिया के सामने गौरवान्वित होने का मौक़ा मिला. असल में G20 डिनर के समय नालंदा विश्वविद्यालय का जो बैकड्रॉप रखा गया था वह भारत की समृद्ध विरासत का परिचायक था. ललन सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी को नीतीश कुमार के आगे नतमस्तक होना चाहिए क्योंकि हज़ारों साल पुरानी नालंदा यूनिवर्सिटी को नीतीश कुमार ने ही फिर से ज़िंदा किया था. अब मोदी, नीतीश के किए काम को दुनिया को दिखाकर श्रेय ले रहे हैं. आरडेजी के संस्थापक लालू प्रसाद यादव ने कहा कि G-20 बैठक तो हर साल होती है, सभी सदस्य देश इसकी मेजबानी करते हैं, लेकिन कोई इतना पैसा खर्च नहीं करता, जितना मोदी सरकार ने कर दिया. लालू यादव ने कहा कि सरकार ने हज़ारों करोड़ रुपए ख़र्च करके विदेशी मेहमानों की आवभगत की लेकिन इससे देश की आम जनता को कोई फ़ायदा नहीं हुआ. उधर, आम आदमी पार्टी के नेताओं ने दावा किया कि G-20 के समय दिल्ली को सजाने संवारने के लिए केन्द्र सरकार ने कोई पैसा नहीं दिया, सारा पैसा दिल्ली सरकार का लगा. दिल्ली सरकार की मेहनत से दिल्ली का कायकल्प हुआ. अरविंद केजरीवाल की कैबिनेट के दो मंत्रियों आतिशी और सौरभ भारद्वाज ने कहा कि G20 को दिल्ली वालों ने अपने पैसे से कामयाब बनाया. मैंने आपको ललन सिंह, लालू यादव, अधीर रंजन चौधरी और आतिशी की बात इसलिए बताई, जिससे आप समझ सकें कि मौका कोई भी हो, मंच कितना भी बड़ा हो, भले ही देश की प्रतिष्ठा का सवाल हो, लेकिन हमारे यहां नेता सियासी नफे नुकसान से ऊपर उठकर नहीं सोच पाते. ये सही है कि इससे पहले दूसरे देशों ने भी G-20 की मेजबानी की. लेकिन न तो कभी किसी समिट की दुनिया में इतनी चर्चा हुई और न किसी देश के विरोधी दलों ने इससे पहले G-20 सम्मिट के लिए अपनी सरकार की आलोचना की. ये हमारे देश में ही हो सकता है. मुझे लगता है कि हमारे देश के नेताओं को कम से कम G-20 को लेकर इंटरनेशल मीडिया में जो खबरें छपी हैं, उन पर गौर करना चाहिए. अमेरिका के ABC न्यूज़ ने लिखा कि G20 समिट में भारत ने बंटी हुई दुनिया की ताक़तों को एकजुट किया, ये मोदी की कूटनीतिक जीत है. एक और अमेरिकी मीडिया ऑर्गेनाइज़ेशन ब्लूमबर्ग ने लिखा कि G20 में भारत की जीत अमेरिका को सबक़ सिखाती है कि आक्रामक होते चीन को कैसे काउंटर किया जाता है. ब्रिटेन के फाइनेंशियल टाइम्स ने लिखा कि G20 समिट में भारत छा गया. डिप्लोमैटिक इश्यूज़ पर लिखने वाली पॉलिटिको ने लिखा कि, भारत का टाइम आ गया है. मोदी ने दिखा दिया कि वो विश्व स्तर पर बड़े रोल निभा सकते हैं. ब्रिटिश अख़बार द गार्जियन ने लिखा कि G20 सम्मेलन भारत के बढ़ते दबदबे को दिखाता है. न्यूज़ एजेंसी रायटर्स ने भी भारत में G20 समिट की कामयाबी को मोदी की लीडरशिप का कमाल बताया. मुझे लगता है कि आज जब दुनिया भारतीय नेतृत्व की तारीफ़ कर रही है तो विपक्षी नेताओं को भी देश के सम्मान के मुद्दों पर राजनीति करने से बचना चाहिए .

Get connected on Twitter, Instagram & Facebook

Comments are closed.