Rajat Sharma

श्रीनगर में कश्मीरी पंडित की हत्या करने वाले को बहादुर बेटी ने खुली चुनौती दी

AKBआज मैं एक बहादुर कश्मीरी पंडित लड़की की कहानी लिखने जा रहा हूं, जिसने ‘द रेसिस्टेंस फोर्स’ से जुड़े आतंकवादियों को खुलेआम चुनौती दी है। इस नए आतंकी संगठन में लश्कर-ए-तैयबा और हिज्बुल मुजाहिद्दीन के हत्यारे शामिल हैं। इस बहादुर बेटी ने अपने पिता के हत्यारों को चुनौती दी कि वे उसकी आंखों में आंखें डालकर बताएं कि उन्होंने उसके 68 वर्षीय फार्मासिस्ट पिता मक्खन लाल बिंद्रू पर गोलियां क्यों बरसाईं। बिंद्रू की मंगलवार शाम को मौके पर ही मौत हो गई। उन्हें 4 गोलियां मारी गई थीं।

बिंद्रू एक जाने-माने कश्मीरी पंडित व्यवसायी थे, जो नब्बे के दशक के दौरान उग्रवाद की शुरुआत के दौरान भी घाटी छोड़कर नहीं गए थे। उस समय लाखों कश्मीरी पंडितों ने आतंकवादियों की धमकी के बाद कश्मीर से पलायन किया था। बिंद्रू श्रीनगर में ही रहे और कट्टरपंथियों की धमकियों को धता बताते हुए अपनी दवा की दुकान चलाते रहे। उन्होंने और उनकी पत्नी ने दुकान का काम संभाला और यह कई सालों से गुणवत्तापूर्ण दवाओं के लिए एक भरोसेमंद नाम बनी हुई थी। बिंद्रू हिंदू हो या मुसलमान, सभी कश्मीरियों की मदद करते थे और यहां तक कि गरीबों को इलाज के लिए पैसे भी देते थे। बुधवार को घाटी के सैकड़ों हिंदू और मुसलमान भाईचारे का अभूतपूर्व प्रदर्शन करते हुए बिंद्रू के अंतिम संस्कार में शामिल हुए। संक्षेप में कहें तो यही वो कश्मीरियत है जो सदियों से घाटी में फल-फूल रही है।

बिंद्रू के अंतिम संस्कार के दौरान उनकी बेटी डॉ श्रद्धा, जो PGI चंडीगढ़ में मेडिसिन की एसोसिएट प्रोफेसर हैं, ने आतंकियों को खुली चुनौती देते हुए उन्हें कायर कहा। उनका यह वीडियो जल्द ही सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। बुधवार की रात अपने प्राइम टाइम शो ‘आज की बात’ में हमने श्रद्धा का हत्यारों को लताड़ते हुए वीडियो दिखाया। डॉ श्रद्धा ने कहा, ‘मेरे पिता एक कश्मीरी पंडित थे। वह कभी नहीं मरेंगे। आतंकवादी केवल उनके शरीर को मार सकते हैं, लेकिन मेरे पिता की आत्मा और उनका जज्बा हमेशा जीवित रहेंगे। मेरे पिता एक योद्धा थे, वह एक योद्धा की तरह शहीद हुए। वह हमेशा कहते थे, ‘मैं खिदमत करते ही रुखसत हो जाऊंगा।’ आप एक व्यक्ति को मार सकते हैं, लेकिन आप मक्खन लाल की आत्मा को नहीं मार सकते। जिसने भी मेरे पिता को गोली मारी है, मेरे सामने आओ। मेरे पिता ने मुझे पढ़ाया-लिखाया है, लेकिन नेताओं ने तुम्हें बंदूकें और पत्थर पकड़ा दिए। तुम बंदूकों और पत्थरों से लड़ना चाहते हो? यह कायरता है। ये सभी नेता तुम्हारा इस्तेमाल कर रहे हैं।’

श्रद्धा जब बोल रही थीं तो उनकी आंखों में आंसू की एक बूंद तक नहीं थी। उन्होंने कहा, ‘जिसने भी अपना काम कर रहे मेरे पिता की जान ली, अगर तुममें ताकत है तो सामने आओ और मेरे साथ बहस करो। तुम एक लफ्ज नहीं बोल पाओगे। तुम केवल इतना जानते हो कि कैसे पथराव किया जाता है और कैसे पीठ पीछे लोगों को गोलियां मारी जाती हैं।’

बहादुर डॉक्टर ने कहा, ‘मैं एक एसोसिएट प्रोफेसर हूं। मैंने शून्य से शुरुआत की थी। मेरे पिता ने अपना व्यवसाय साइकिल से शुरू किया था। मेरा भाई एक मशहूर डॉक्टर है। मेरी मां एक महिला होकर फार्मेसी की दुकान पर बैठती हैं। यह सब हमारे पिता मक्खन लाल बिंद्रू की वजह से है। वह एक कश्मीरी पंडित थे, वह कभी नहीं मर सकते। एक हिंदू होने के बावजूद मैंने कुरान पढ़ी है। कुरान कहती है कि शरीर का चोला तो बदल जाएगा लेकिन इंसान का जज्बा कहीं नहीं जाएगा। मेरे पिता की आत्मा हमेशा जीवित रहेगी। वह एक बहुत अच्छे इंसान थे जिन्होंने कश्मीर और कश्मीरियत की खिदमत की। पथराव करने और गोलियां चलाने से आप कभी भी कश्मीर या कश्मीरियत को नहीं जीत सकते।’

डॉ श्रद्धा ने आगे कहा: ‘मैंने कश्मीर में पढ़ाई की। मैं अपने स्कूल में पढ़ने वाली अकेली हिंदू लड़की थी। मैंने ऑक्सफोर्ड में पढ़ाई नहीं की है। मेरे पिता ने हमें शिक्षा दी। सभी कश्मीरी पंडित अपने बच्चों को शिक्षा देते हैं, जो बाद में अमेरिका, ब्रिटेन और दुनिया के अन्य हिस्सों में जाकर काम करते हैं। मुझे आपकी हमदर्दी की जरूरत नहीं है। मेरे पिता ने मुझे शिक्षा और अपने जज्बे से काफी मजबूत बनाया है।’

हत्यारों ने इकबाल चौक में मक्खन लाल बिंद्रू को गोली मारने के बाद लाल बाजार इलाके में सड़क पर भेलपुरी बेचने वाले को गोली मार दी। इसके बाद उन्होंने एक और शख्स का कत्ल किया और भाग गए। घाटी हाल ही में आतंकियों द्वारा निहत्थे नागरिकों की हत्या करने की कई कायरना हरकतों की गवाह रही है। बिंद्रू के बेटे डॉक्टर सिद्धार्थ बिंद्रू, जो कि एक डायबेटोलॉजिस्ट हैं, ने इंडिया टीवी के रिपोर्टर मंजूर मीर से बातचीत में बताया कि कैसे उनके पिता उस वक्त भी बीमारों की सेवा में अपना सब कुछ न्योछावर कर देते थे, जब कश्मीर में दवाओं की शॉर्टेज थी। उनके बेटे ने कहा कि जो दवाएं कश्मीर में नहीं मिलती थीं, उन दवाओं को लेने के लिए उनके पिता दिल्ली जाते थे, और अपना पैसा खर्च कर फ्लाइट से आना-जाना करते थे, ताकि घाटी के लोगों को जल्द से जल्द दवाएं मिल सकें। उन्होंने कहा, ‘मेरे पिता की हत्या नहीं हुई है, वह शहीद हुए हैं। वह कश्मीर के लिए ताउम्र जिए, और कश्मीरियत के वास्ते ही दुनिया से रुखसत हो गए।’

नेशनल कांफ्रेंस के संरक्षक और पूर्व मुख्यमंत्री डॉक्टर फारूक अब्दुल्ला ने बिंद्रू के परिजनों से मुलाकात कर उन्हें सांत्वना दी। अब्दुल्ला ने हत्यारों को ‘शैतान’ और ‘दरिंदा’ करार दिया। उन्होंने बिंद्रू के परिवार के सदस्यों से अपनी की कि वे उनकी मौत के बाद घाटी छोड़कर न जाएं। डॉ अब्दुल्ला ने डॉ सिद्धार्थ बिंद्रू को कश्मीर में रहने और अपने पिता की समृद्ध विरासत को आगे बढ़ाने की सलाह दी। उन्होंने कहा, ‘यदि आप घाटी छोड़कर चले जाएंगे तो आतंकवादी कश्मीरियत को तबाह करने के अपने मकसद में कामयाब हो जाएंगे।’

बिंद्रू की पत्नी बेहद गमगीन थीं। उनके परिजनों ने अभी तय नहीं किया है कि वे अब घाटी में रहेंगे या नहीं। बेटी श्रद्धा ने इंडिया टीवी को बताया: ‘मेरे पिता ने अपना पूरा जीवन कश्मीरियों की मदद के लिए समर्पित कर दिया, और फिर भी उनकी निर्मम हत्या कर दी गई। हमारा भरोसा टूट गया है। हमारे भरोसे का खून हुआ है। हम वादों पर कैसे यकीन कर सकते हैं? हम कश्मीर, कश्मीरियत और यहां की खूबसूरत फिजा से प्यार करते हैं। हम तो उन आतंकवादियों से भी नफरत नहीं करते जिन्होंने मेरे पिता की हत्या की।’

डॉ श्रद्धा ने कहा, ‘मैं सिर्फ कश्मीर के नौजवानों से इतना कहना चाहती हूं कि अगर जीतना है तो लोगों का दिल जीतो। जीवन में आगे बढ़ना है तो पहले तालीम लो। अगर कश्मीर चाहिए तो पहले कश्मीरियों की खिदमत करो। खून बहाने से खुद बर्बाद हो जाओगे। न कश्मीर मिलेगा, और न खुद बचोगे।’

अपनी भावनाओं पर काबू पाते हुए उन्होंने कहा: ‘मैं एक कश्मीरी हूं। मैं कश्मीरियों की समस्याओं को जानती हूं। कई कश्मीरियों के साथ गलत हुआ है। लेकिन एक ऐसे शख्स को गोली मारना जो कश्मीरियों की मदद कर रहा था? आप आने वाली पीढ़ियों को क्या संदेश दे रहे हैं? आप नफरत का मुकाबला नफरत से नहीं कर सकते। कश्मीरियों के लिए काम करने वाले शख्स को पीछे से गोली मारना कायरता है। मेरे पिता ने मुझे शेरों की तरह बहादुर बनना सिखाया। उन्होंने हमें मानसिक रूप से बहुत मजबूत बनाया। मैं घाटी में मुस्लिम लड़कों के बीच पढ़ने वाली अकेली हिंदू लड़की थी। मेरे सभी साथियों ने मेरे साथ अच्छा व्यवहार किया। इतने मुसलमान हमारे घर खाना खाने आते थे।’

यह पूछे जाने पर कि क्या उनका परिवार घाटी में रहेगा, श्रद्धा ने कहा: ‘हम डरते नहीं हैं, लेकिन हमारा भरोसा टूट गया है। यहां रहने का मन ही नहीं करेगा। ऐसे लोगों के साथ रहने का क्या मतलब है जो आपका भरोसा तोड़ते हैं?’

बुधवार को श्रीनगर के मेयर ने ऐलान किया कि जिस सड़क पर मक्खन लाल बिंद्रू की दवा की दुकान थी, वह अब उनके नाम से जानी जाएगी। हफ्त चिनार चौक से जहांगीर चौक तक सड़क का नाम बदलकर एमएल बिंद्रू रोड किया जाएगा।

मैं मक्खन लाल बिंद्रू और उनकी बेटी श्रद्धा को उनके साहस और दृढ़ इच्छाशक्ति के लिए सलाम करता हूं। एक बहादुर बेटी ही अपने पिता के हत्यारों को हिंसा का रास्ता छोड़कर तालीम हासिल करने की सलाह दे सकती है। लेकिन दहशतगर्दों के पास न तो दिल होता है और न ही दिमाग। उनका धर्म या इंसानियत में यकीन नहीं होता। वे न तो कश्मीर को जानते हैं और न ही कश्मीरियत को। वे केवल खून बहाना और गोलियां चलाना जानते हैं। वे सिर्फ बंदूक की भाषा समझते हैं, और उनका वही इलाज है। जिन आतंकियों ने मक्खन लाल बिंद्रू की हत्या की है, उनकी एक ही सजा है- मौत। क्योंकि वे कश्मीर के दुश्मन हैं और कश्मीरियत के हत्यारे हैं।

मुझे याद है कि कश्मीरी पंडितों पर जुल्म का सिलसिला 1990 में शुरू हुआ था। इसी तरह की हत्याओं ने, इसी तरह की दहशतगर्दी ने करीब 45,000 कश्मीरी पंडितों के परिवारों को घर-बार छोडकर भागने के लिए मजबूर कर दिया था। करीब 1.5 लाख कश्मीरी पंडित अपने देश में आज भी बेघरों की तरह रह रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने कश्मीरी पंडितों की वापसी और उनके पुनर्वास का काम शुरू किया और उसका असर भी हुआ। कश्मीरी पंडितों में भरोसा जगा, और इसी वजह से करीब 4,000 कश्मीरी पंडित घाटी में वापस लौटे। घर वापसी का यह सिलसिला जारी है और धीरे-धीरे रफ्तार पकड़ रहा है। और यही बात कश्मीर के दुश्मनों, सरहद पार बैठे आतंकी सरगनाओं को पसंद नहीं आई। आतंक के आकाओं ने तब लोगों के दिलों में दहशत पैदा करने के लिए उस शख्स को निशाना बनाने का फैसला किया, जो घाटी में कश्मीरी पंडितों का सबसे चर्चित चेहरा था।

मुझे यकीन है कि कश्मीरी पंडितों को डराने की, उन्हें कश्मीर से दूर रखने की पाकिस्तान की साजिश कभी कामयाब नहीं होगी। उन्होंने एक मक्खनलाल बिंद्रू को मार डाला, लेकिन हजारों मक्खनलाल बिंद्रू सामने आएंगे और कश्मीरियत को जिंदा रखेंगे।

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