Rajat Sharma

किसके इशारे पर रावण की जगह पीएम मोदी का पुतला जलाया गया?

इस तरह से प्रधानमंत्री का पुतला जलाना देश के लिए, लोकतन्त्र के लिए, संवैधानिक संस्थाओं के लिए और संवैधानिक पदों की गरिमा के लिए अच्छा नहीं है। इससे संवैधानिक पदों के प्रति लोगों का सम्मान खत्म होता है और यह लोकतंत्र की नींव को बहुत कमजोर कर देता है।

akbपंजाब और हरियाणा के कई हिस्सों में रविवार को दशहरा महोत्सव के दौरान किसानों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का पुतला जलाया। रावण के पुतलों पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का चेहरा लगाया गया। रावण के दस सिरों की जगह उद्योगपति गौतम अडानी और मुकेश अंबानी की तस्वीरें लगाई गई। कुछ जगहों पर प्रधानमंत्री मोदी के साथ गृह मंत्री अमित शाह और बीजेपी के अन्य नेताओं की फोटो लगाई गई। इंडिया टीवी के रिपोर्टर्स जब मामले की तह में गए तो पाया कि इन विरोध प्रदर्शनों के पीछे स्थानीय कांग्रेस नेताओं का हाथ था।

इस तरह से प्रधानमंत्री का पुतला जलाना देश के लिए, लोकतन्त्र के लिए, संवैधानिक संस्थाओं के लिए और संवैधानिक पदों की गरिमा के लिए अच्छा नहीं है। इससे संवैधानिक पदों के प्रति लोगों का सम्मान खत्म होता है और यह लोकतंत्र की नींव को बहुत कमजोर कर देता है। अगर इस तरह की एक-दो घटनाएं होती तो इसकी चर्चा नहीं होती। ये बड़ा मुद्दा नहीं बनता। इसे छिटपुट घटना मानकर नजरअंदाज किया जा सकता था। लेकिन, ये सब सोच-समझकर, पूरी रणनीति के साथ कांग्रेस पार्टी के इशारे पर पंजाब और हरियाणा के कई शहरों में किया गया।

ज्यादतर जगहों पर स्थानीय कांग्रेस के नेताओं ने भारतीय किसान यूनियन के कार्यकर्ताओं को आगे रख कर पीएम मोदी के पुतले जलाए जिससे यह दावा किया जा सके कि सरकार ने किसानों के लिए जो कानून बनाए हैं, उससे किसान नाराज हैं। नाराज किसान पीएम मोदी के खिलाफ विरोध जाहिर कर रहे हैं।

राहुल गांधी ने सोमवार को बड़ी चतुराई से इन तस्वीरों को फैला दिया। राहुल गांधी ने ट्वीटर पर वीडियो पोस्ट किए। राहुल ने इसके साथ जो लिखा, उससे ऐसा दिखाने की कोशिश की, जैसे उनका या कांग्रेस का इन घटनाओं से कोई लेना-देना नहीं है। राहुल ने लिखा-‘कल पूरे पंजाब में पीएम मोदी का पुतला जलाया गया। ये दुखद है कि पंजाब में प्रधानमंत्री को लेकर लोगों का गुस्सा इस लेवल तक पहुंच गया है। यह बहुत ही खतरनाक उदाहरण है और हमारे देश के लिए बुरा है। प्रधानमंत्री को इन लोगों से बात करनी चाहिए और इन्हें तत्काल राहत देनी चाहिए।’

बठिंडा में स्टेडियम के पास प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का 12 फीट का पुतला बनाया गया था। इस पुतले के चेहरे पर पीएम मोदी की तस्वीर लगाई गई थी। मोदी के चेहरे के दाएं-बाएं अंबानी और अडानी की तस्वीर लगी थी। पुतले के एक हाथ में फांसी का फंदा लटकाते हुए इसे कृषि कानून बताया गया था। जबकि पुतले के दूसरे हाथ में चाय के कप में केतली से चाय डालते हुए दिखाया गया था। बठिंडा जैसी तस्वीरें नवांशहर में भी दिखी। नवांशहर में भी रावण के चेहरे पर प्रधानमंत्री मोदी की फोटो लगाई गई थी। यहां मेघनाद की जगह उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और कुंभकर्ण की जगह गृह मंत्री अमित शाह का पुतला बनाया गया था। नवांशहर में विजयादशमी पर इन पुतलों को जलाने के लिए क्रिकेटर युवराज सिंह के पिता योगराज सिंह पहुंचे थे। उधर, जालंधर में किसानों की आड़ में स्थानीय कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने प्रधानमंत्री मोदी के मुखौटे वाले पुतले जलाए। प्रधानमंत्री मोदी के पुतले जलाने वालों में जालंधर पश्चिम से कांग्रेस विधायक, एनएसआईयू और यूथ कांग्रेस के कई नेता शामिल थे। पंजाब के कई शहरों में प्रशासन की नाक के नीचे देश के चुने हुए प्रधानमंत्री को रावण के रूप में जलाया गया, लेकिन पूरे पंजाब में कहीं कोई कार्रवाई नहीं हुई। प्रशासन ने कहीं कोई कदम नहीं उठाया, न लोगों को ऐसा करने से रोका।

वहीं, पड़ोसी राज्य हरियाणा के यमुनानगर में कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने पुतले पर रावण की जगह नरेन्द्र मोदी की तस्वीर लगाया था। इसके साथ-साथ रावण के 10 सिरों में हरियाणा से सभी 10 लोकसभा सांसदों के चेहरे लगाए गए थे। चूंकि हरियाणा में लोकल इंटेलीजेंस को जानकारी मिल गई थी कि दशहरे के मौके पर इस तरह की हरकत हो सकती है, इसलिए पुलिस ने एहतियात के तौर पर कांग्रेस के नेताओं को हिरासत में लिया था। इसके बावजूद यमुनानगर में कुछ कांग्रेस समर्थक पीएम मोदी का पुतला जलाने में सफल रहे। उधर, अंबाला में भारतीय किसान यूनियन के लोगों ने पहले से प्रधानमंत्री मोदी और मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर का पुतला फूंकने का ऐलान कर रखा था। इसे देखते हुए अंबाला में जगह-जगह पुलिस तैनात थी। कई जगह पुलिस ने किसानों को पुतला फूंकने से रोका लेकिन कई जगह अचानक छोटे-छोटे समूह में लोग आए और पुतले में आग लगा दी।

अब राहुल गांधी बहुत निर्दोष भाव से कह रहे हैं कि बहुत बुरा हुआ। राहुल कह रहे हैं कि यह बहुत ही खतरनाक उदाहरण है और हमारे देश के लिए बुरा है। प्रधानमंत्री को पुतला जलाने वालों से बात करनी चाहिए। लेकिन बीजेपी ने साफ-साफ कहा है कि जो हुआ वो राहुल गांधी के इशारे पर हुआ। पंजाब और हरियाणा में राहुल गांधी की हरी झंड़ी मिलने के बाद कांग्रेस के नेताओं ने रावण की जगह प्रधानमंत्री के पुतले जलाए। बीजेपी के अध्यक्ष जे.पी. नड्डा ने कहा कि पंजाब में ये ड्रामा राहुल गांधी के डायरेक्शन पर हुआ है। नड्डा ने ट्विटर पर लिखा-‘ ये घटना शर्मनाक है, लेकिन आकस्मिक या अनएक्सपेक्टेड नहीं है। नेहरु-गांधी परिवार ने प्रधानमंत्री पद का कभी सम्मान नहीं किया। 2004-2014 के बीच भी ऐसा ही देखने को मिला था जब यूपीए के शासनकाल में प्रधानमंत्री के पद को सोचे-समझे तरीके से कमजोर किया गया।’

हैरानी की बात ये है कि राहुल गांधी ये सब (नरेंद्र मोदी पर हमला) करने के लिए किसानों के पीछे क्यों छुप रहे हैं। अगर वाकई में वो किसी से नहीं डरते, जैसा वो दावा करते हैं, तो उन्हें कहना चाहिए कि हां हमने ये किया और करवाया है। दशहरे पर ये पुतले पिछले तीन साल में राहुल गांधी के द्वारा बोले गए डायलॉग की याद दिलाते हैं। आपको याद होगा कि वो हमेशा कहते हैं ‘नरेन्द्र मोदी किसानों के विरोधी हैं, ये अडानी और अंबानी की सरकार है।’ अब पंजाब और हरियाणा में रावण के पुतलों पर जो तस्वीरें लगीं वो राहुल गांधी के ऐसे ही डायलॉग के मुताबिक लगी।

ये पूरी घटना राहुल गांधी की सोच का रिफ्लेक्शन है। राहुल गांधी की सोच इसमें दिखती है। कांग्रेस के विधायक ने, एनएसयूआई के कार्यकर्ताओं ने रावण के रूप में पीएम मोदी का पुतला जलाया और राहुल गांधी कहते हैं- ‘बड़े दुख की बात है…ये देश के लिए अच्छा नहीं है।’ अगर वाकई में राहुल गांधी को तकलीफ हुई और वो इसे गलत मानते हैं, तो फिर पंजाब में कांग्रेस की सरकार है। राहुल गांधी को पंजाब सरकार से उन लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए कहना चाहिए जिन्होंने इस तरह की हरकत की। लेकिन पंजाब सरकार ने कार्रवाई क्यों नहीं की? पीएम मोदी को रावण के रूप में दिखाने वाले कांग्रेस विधायक के खिलाफ पार्टी ने एक्शन क्यों नहीं लिया?

मुझे लगता है कि राहुल गांधी का ये दोहरा चरित्र और ये चालाकी ठीक नहीं है। सरकार का विरोध करने का हक सबको है। प्रधानमंत्री के खिलाफ प्रदर्शन करने का भी हक है। सरकार की आलोचना करना, सरकार से सवाल पूछना गलत नहीं है, लेकिन दशहरे जैसे पावन पर्व का इस तरह सियासी इस्तेमाल करना, प्रधानमंत्री के पद को अपमानित करना, ये ठीक नहीं है। जो हुआ वो लोकतन्त्र के लिए अच्छा नहीं है। क्योकि लोग आएंगे, जाएंगे। सरकारें बनेंगी और बदलेंगी। लेकिन प्रधानमंत्री पद की गरिमा तो हमेशा रहेगी और इसके साथ खिलवाड़ नहीं की जानी चाहिए।

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