Rajat Sharma

पाकिस्तान में हिन्दुओं और सिखों पर ज़ुल्म : क्या CAA से राहत मिलेगी?

akb full_frame_74900पाकिस्तान में हिंदू, सिख और ईसाई अल्पसंख्यकों पर जुल्मोसितम की इंतेहा हो गई है। वहां अल्पसंख्यक अब दहशत के साये में जी रहे हैं। हाल ही में पाकिस्तान के सिंध और खैबर पख्तूनख्वा में दो घटनाएं हुईं हैं, जिनमें पाकिस्तानी मुसलमानों ने हिंदू और सिख नागरिकों को निशाना बनाया ।

सोमवार की रात इंडिया टीवी पर प्रसारित मेरे प्राइमटाइम शो ‘आज की बात’ में हमने दिखाया कि कैसे सिंध प्रांत के हैदराबाद शहर में एक दलित हिंदू युवक को हजारों जिहादी मुसलमानों ने ईशनिंदा के झूठे आरोप में घेर लिया था। दूसरी घटना एक सिख युवती से जुड़ी है, जो खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में स्कूल टीचर थी। पहले उसका अपहरण हुआ, फिर बलात्कार हुआ और उसके बाद जबरन कलमा पढवा कर एक अनपढ़ रिक्शे वाले से उसका निकाह करा दिया गया।

रविवार को हुई पहली घटना में हजारों मुसलमानों ने सिंध प्रांत के हैदराबाद शहर में एक इमारत को घेर लिया था। इस इमारत में अशोक कुमार नाम का एक हिंदू सफाई कर्मचारी छिपा हुआ था और प्रदर्शन कर रहे मुसलमान उसे बाहर निकालने की मांग कर रहे थे। प्रदर्शन कर रही भीड़ के सिर पर खून सवार था और वे अशोक कुमार का सिर कलम कर देना चाहते थे। चरमपंथी इस्लामिक संगठन तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान (TLP) के समर्थकों ने आरोप लगाया कि अशोक कुमार ने पवित्र कुरान को जलाया था । एक स्थानीय निवासी बिलाल अब्बासी ने शिकायत की थी कि उसे एक मौलाना ने बताया कि अशोक ने कुरान में आग लगाई ।

हमने जो वीडियो दिखाये उनमें कुछ प्रदर्शनकारी खिड़की के शीशे तोड़कर बिल्डिंग में घुसने की कोशिश कर रहे थे, जबकि कई जिहादी पाइप और बालकनी के सहारे ऊपर जाने के लिए जोर लगा रहे हैं। इस पूरे वाकये के वक्त वहां खड़े पुलिसवाले चुपचाप सब कुछ देख रहे थे। भीड़ ने इलाके की दुकानों, कारों और आसपास की इमारतों में जमकर तोड़फोड़ की। ये सिलसिला कई घंटों तक चलता रहा। पुलिस ने लाठीचार्ज किया और आंसू गैस के गोले दागे। हालात को काबू में करने के लिए पुलिस ने अशोक कुमार के खिलाफ ईशनिंदा का मामला दर्ज किया, और उसे चुपके से थाने ले गई।

बाद में पता लगा कि अशोक कुमार ने कुरान पाक नहीं जलाया थास बल्कि एक मुस्लिम महिला ने ये बेअदबी की थी। जांच करने पर पुलिस ने पाया कि बिलाल अब्बासी की अशोक कुमार के परिवार से पुरानी दुश्मनी थी, और उसने उस पर इस्लाम की तौहीन का झूठा आरोप लगाया था। पुलिस ने बिलाल अब्बासी या प्रदर्शनकारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की, बल्कि अशोक कुमार को बेगुनाह होते हुए भी गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया।

पाकिस्तान एक इस्लामिक मुल्क है। वहां दुनिया का सबसे सख्त ईशनिंदा कानून लागू है। पाकिस्तान के फौजी तानाशाह जनरल जिया उल हक ने ईशनिंदा कानून को बेहद सख्त बना दिया था। जहां क़ुरान, पैगंबर मुहम्मद या इस्लाम में मुकद्दस किताबों या सम्मानित लोगों के खिलाफ कुछ भी बोलने की सजा मौत है। दुख की बात यह है कि इस कानून का इस्तेमाल अक्सर, पाकिस्तान के हिन्दुओं, सिखों और ईसाइयों के खिलाफ किया जाता है। अल्पसंख्यकों की संपत्ति पर कब्जा करने के लिए, दुश्मनी का बदला लेने के लिए ईशनिंदा के इल्जाम लगाए जाते हैं। पाकिस्तान के अपने सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, ईशनिंदा का आरोप लगाकर अभी तक 71 पुरुषों और 18 महिलाओं की हत्या की जा चुकी है। ये तो सिर्फ वे आंकड़े हैं जो चर्चा में आ गए, वरना इस तरह के 90 फीसदी से ज्यादा मामले तो रिपोर्ट ही नहीं होते।

पिछले 2 सालों में मुसलमानों की भीड़ ने कई हिंदू मंदिरों में तोड़फोड़ की और कइयों को तो पूरी तरह जमींदोज कर दिया। 26 जनवरी 2020 को सिंध के थारपारकर में माता मंदिर में तोड़फोड़ की गई, 16 अगस्त 2020 को कराची में हनुमान मंदिर को निशाना बनाया गया, 10 अक्टूबर 2020 को सिंध प्रांत के बदीन में रामदेव मंदिर में तोड़फोड़ की गई, 24 अक्टूबर 2020 को सिंध के नगरपारकर में माता मंदिर को क्षतिग्रस्त कर दिया गया, 30 दिसंबर 2020 को खैबर पख्तूनख्वा में एक हिंदू मंदिर को आग के हवाले कर दिया गया और 28 मार्च 2021 को रावलपिंडी में एक और हिंदू मंदिर में तोड़फोड़ की गई। ईशनिंदा के आरोप में अल्पसंख्यक समुदायों के सैकड़ों लोग जेलों में बंद हैं।

जमीनी हकीकत यही है कि पाकिस्तान में हिन्दुओं और सिखों को परेशान करने के लिए किसी कानून की जरूरत भी नहीं हैं। वहां बंदूक के बल पर, जोर जबरदस्ती के दम पर भी अल्पसंख्यकों को मजहब बदलने पर, इस्लाम कबूल करने पर मजबूर किया जाता है।

एक स्कूल में बतौर टीचर काम कर रही सिख लड़की दीना कुमारी का 20 अगस्त को कई लोगों ने बंदूक की नोक पर अपहरण कर लिया, उसके साथ बलात्कार किया और उससे जबरन इस्लाम कबूल करवा लिया। इसके बाद एक अनपढ़ रिक्शे वाले से दीना का निकाह करा दिया गया। यह घटना खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के बुनेर में हुई। बाजार से लौट रही दीना को कुछ बंदूकधारियों ने अगवा कर लिया। उसे शहर से दूर एक गांव में ले जाकर कैद कर दिया गया। कुछ ही घंटों के बाद उसे कलमा पढ़वा कर इस्लाम कबूल करने को मजबूर किया गया और एक रिक्शे वाले से उसकी शादी कर दी गई। इस दौरान दीना कौर के परिवार वाले थाने के चक्कर काटते रहे, लेकिन पुलिस वालों ने रिपोर्ट तक नहीं लिखी।

सोमवार को सैकड़ों सिख सड़कों पर उतर आए और दीना कुमारी को उन्हें सौंपने की मांग को लेकर प्रदर्शन किया। स्थानीय सिख नेताओं ने आरोप लगाया कि पुलिस की मिलीभगत से दीना कुमारी का अपहरण किया गया। जब भारत और अन्य देशों के सिखों ने पाकिस्तान के खिलाफ प्रोटेस्ट करना शुरू किया, तो मीडिया के ज़रिये दीना कौर का एक वीडियो पेश किया गया जिसमें वह ये कहती हुई दिख रही है कि उसने अपनी मर्जी से इस्लाम कबूल किया है और शादी उसकी मर्जी से हुई है। वीडियो में दीना कहती हुई दिख रही है कि वह इस्लाम की शिक्षा से बहुत प्रभावित है।

सिख प्रदर्शनकारियों ने वीडियो की प्रामाणिकता को चुनौती देते हुए कहा कि दीना कुमारी पर दबाव डालकर ये वीडियो बनाया गया । एक सिख प्रदर्शनकारी ने आरोप लगाया कि बुनेर के स्थानीय प्रशासन ने लड़की पर दवाब डाला और उसे इस्लाम कबूल करने और निकाह करने के लिए मजबूर किया। एक अन्य सिख प्रदर्शनकारी ने कहा, ‘उन्होंने थाने में हमारी FIR दर्ज नहीं की। सीनियर पुलिस अफसर हमें संतोषजनक जवाब नहीं दे रहे थे। वे भी इस गुनाह में शामिल हैं। प्रशासन ने लड़की को कागज़ात पर दस्तखत करने के लिए मजबूर किया।’

दिल्ली में बीजेपी नेता मनजिंदर सिंह सिरसा के नेतृत्व में भारतीय सिख नेताओं का एक प्रतिनिधिमंडल सोमवार को विदेश मंत्रालय पहुंचा। उन्होंने वहां पाकिस्तान मामलों के संयुक्त सचिव जे पी सिंह से मुलाकात की, और उनसे मांग की कि भारत सरकार पाकिस्तान में सिखों पर हो रहे जुल्म को रोकने के लिए पाकिस्तान सरकार से बात करे। दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष हरमीत सिंह कालका ने कहा कि अब दुनिया के तमाम हिस्सों में बसे सिख अपने स्तर पर पाकिस्तान के सिखों की मदद की कोशिश करें और उन पर हो रहे अत्याचारों के खिलाफ आवाज उठाएं। कालका ने मांग की कि पाकिस्तान में रहने वाले सिखों को भारत लाया जाए। पाकिस्तान में इस समय करीब 10 हजार सिख हैं।

1947 में देश के बंटवारे के वक्त पाकिस्तान में सिखों की आबादी 20 लाख थी। अब वहां सिर्फ 15 से 20 हजार सिख बचे हैं। बंटवारे के वक्त पाकिस्तान में हिन्दुओं की आबादी 13 फीसदी थी, जो अब घटकर सिर्फ 0.8 फीसदी रह गई है। पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से अक्सर हिन्दुओं पर, सिखों पर, और दूसरे अल्पसंख्यकों पर जुल्म की खबरें आती हैं।

इन देशों से बहुत से हिन्दू और सिख अपना घर बार छोड़कर भारत आ जाते हैं। अभी ऐसे लोगों को भारत की नागरिकता देने की प्रक्रिया बहुत लंबी और कठिन है। हालांकि सरकार अब इसे आसान बना रही है। सोमवार को अहमदाबाद में 40 पाकिस्तानी हिन्दुओं को भारत की नागरिकता का प्रमाणपत्र दिया गया । 2017 से अब तक सिर्फ अहमदाबाद में ही 1032 पाकिस्तानी हिन्दुओं को भारत की नागरिकता दी जा चुकी है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में जुल्म के शिकार हिन्दुओं, सिखों, ईसाइयों, बौद्धों और जैनों की मदद के लिए नागरिकता संशोधन अधिनियम (सिटिजनशिप अमेंडमेंट ऐक्ट) बनाया था, लेकिन इस कानून के खिलाफ शाहीन बाग मे धरना हुआ, तमाम जगहों पर प्रदर्शन किये गये। CAA संसद से पास हो चुका है, राष्ट्रपति इस पर दस्तखत भी कर चुके हैं, लेकिन अभी भी देश में यह कानून लागू नहीं हुआ है। मुझे लगता है कि सरकार को दो काम तुरंत करने चाहिए। पहला, पाकिस्तान से सख्त अंदाज में बात करनी चाहिए, और दूसरा, देश में जल्द से जल्द CAA लागू करना चाहिए।

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