Rajat Sharma

‘आदिपुरुष’ का सिर्फ टीज़र देखकर किसी नतीजे पर न पहुंचें

akb2 अक्टूबर को ओम राउत द्वारा निर्देशित हिंदू पौराणिक फिल्म ‘आदिपुरुष’ का टीज़र रिलीज किया गया। टीज़र के रिलीज़ होने के बाद फिल्म में भगवान राम, लक्ष्मण, रावण और हनुमान के चित्रण को लेकर सवालों, धमकियों और आरोपों की बाढ़ आ गई है। लोग सोशल मीडिया पर फिल्म के निर्देशक और निर्माताओं को ट्रोल कर रहे हैं।

मध्य प्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्र ने फिल्म के डायरेक्टर और प्रोड्यूसर से कहा कि वे लोगों के मन की शंकाओं को दूर करें, फिल्म में बदलाव करें, वरना कार्रवाई होगी। उन्होंने निर्माताओं को चेतवानी दी कि यदि फिल्म से ‘आपत्तिजनक दृश्य, खासतौर पर चमड़े की पोशाक में भगवान हनुमान को दिखाने वाले दृश्य नहीं हटाए गए’ तो कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

महाराष्ट्र के बीजेपी नेता राम कदम ने धमकी दी कि उनके समर्थक इस फिल्म को मुंबई के सिनेमाघरों में चलने नहीं देंगे। संभल, मेरठ, से विश्व हिंदू परिषद के एक नेता ने कहा कि फिल्म को सिनेमाघरों में प्रदर्शित नहीं होने दिया जाएगा क्योंकि इसमें ‘हिंदू समाज का उपहास’ किया गया है।

मज़े की बात यह है ‘आदिपुरूष’ अभी रिलीज़ नहीं हुई है, किसी ने भी अभी पूरी फिल्म नहीं देखी है। इस फिल्म का टीजर भी 100 सेकंड से कम का है लेकिन इसे लेकर 200 से ज्यादा सवाल खड़े हो गए हैं। कोई कह रहा है कि भगवान हनुमान को चमड़े की पोशाक पहने क्यों दिखाया, कोई कह रहा है कि माता सीता को वनवास के दौरान आभूषण पहने क्यों दिखाया, किसी ने कहा कि रावण तो प्रकांड पंडित और वेदों का ज्ञाता था, उसे मध्ययुगीन मुस्लिम शासक अलाऊद्दीन खिलजी जैसा क्यों दिखाया।

कुछ लोगों ने हनुमान की दाढ़ी होने और मूंछ न होने पर सवाल उठाया। कुछ ने कहा कि रावण की नगरी लंका तो सोने की बनी थी, लेकिन फिल्म में इसे भूतिया महल के रूप में क्यों दिखाया गया। कुछ लोगों ने यह भी पूछा कि भगवान राम तो सौम्य एवं शांत दिखाए जाते रहे हैं, उन्हें फिल्म में इतना आक्रामक क्यों दिखाया गया। ऐसे ही तमाम और सवाल पूछे जा रहे थे।

फिल्म के छोटे से टीजर को YouTube पर पहले ही 8 करोड़ से ज्यादा व्यूज मिल चुके हैं, और यह इस सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म पर चार दिनों तक नंबर 1 ट्रेंड कर रहा था।

चूंकि अधिकांश सवाल सोशल मीडिया पर उठाए जा रहे थे, इसलिए मैंने फिल्म के डायरेक्टर ओम राउत और डायलॉग राइटर मनोज मुंतशिर को इन सभी सवालों के जवाब देने के लिए इंडिया टीवी स्टूडियो में बुलाया। इस बात को ध्यान में रखना चाहिए कि यह केवल एक छोटा सा टीज़र है और अभी तो फिल्म भी पूरी नहीं बनी है।

आपको यह जानकर हैरानी होगी कि भगवान राम को लेकर जितने सवाल नहीं उठाए गए उससे कहीं ज्यादा सवाल राक्षसराज रावण के करैक्टर को लेकर उठाए गए हैं।

पूछा जा रहा है कि रावण को बिना मुकुट और बिना आभूषणों के क्यों दिखाया गया है। रावण के किरदार को सैफ अली खान ने निभाया है, लेकिन ज्यादातर सवाल कैरेक्टर के लुक को लेकर ही उठ रहे हैं। किसी ने कहा कि सैफ अली खान को जो लुक रावण से जरा भी नहीं मिलता। कुछ और लोगों का कहना है कि सैफ की ड्रेस और उनका हेयर स्टाइल किसी भी ऐंगल से रावण जैसी नहीं लगती। उनका कहना है कि इस लुक में सैफ रावण कम और अलाउद्दीन खिलजी ज्यादा लग रहे हैं। लोगों ने यह भी कहा कि रावण तो अपने पुष्पक विमान में यात्रा करता था लेकिन फिल्म में उसे एक भयानक दिखने वाले चमगादड़ जैसे जीव की सवारी करते दिखाया गया है।

मनोज मुंतशिर ने कहा कि लोग टीजर को पूरी फिल्म समझ रहे हैं, नए जमाने की फिल्म की पुराने जमाने की कहानी से तुलना कर रहे हैं, इसीलिए दिक्कत हो रही है। उन्होंने कहा, ‘फिल्म में हमने रावण के चरित्र को आज के दौर के हिसाब से ढाला है। यह दिखाने की कोशिश की है कि आज का रावण कैसा दिखता है।’

कई सिनेप्रेमियों का कहना है कि रावण भले ही एक राक्षस था लेकिन वह बहुत बड़ा विद्वान भी था, 4 वेदों और 6 शास्त्रों का ज्ञाता था, परम शिवभक्त था। रावण ने ‘शिव तांडव स्तोत्रम’ की रचना की थी। लोगों ने पूछा कि इतने पराक्रमी राजा और वेदों के विद्वान को एक सामान्य खलनायक की तरह कैसे दिखाया जा सकता है। मनोज मुंतशिर ने कहा, ‘लुक्स को लेकर अलग-अलग राय हो सकती है, लेकिन रावण था तो राक्षस ही। रामायण की बात करने वाले रावण का महिमामंडन करें, यह तो ठीक नहीं है।’

टीजर में दिखाए गए भगवान राम के स्वरूप को लेकर भी विवाद है। रामायण में भगवान राम को सौम्य और सरल स्वभाव का बताया गया है, लेकिन फिल्म में वह रौद्ररूप में नजर आ रहे हैं। ‘बाहुबली’ फेम सुपरस्टार प्रभाष ‘आदिपुरूष’ में भगवान राम की भूमिका निभा रहे हैं।

मनोज मुंतशिर ने कहा, ‘यह सही बात है कि रामायण में प्रभु राम एक सौम्य और संयमित शख्सियत थे, लेकिन साथ ही हमें यह भी नहीं भूलना चाहिए कि वह एक महापराक्रमी योद्धा भी थे। जब कई दिन की तपस्या के बाद भी समुद्र ने उनकी सेना को लंका पर हमला करने के लिए रास्ता नहीं दिया, तब राम को भी क्रोध आया था। राम ने तब समुद्र को सुखाने के लिए अग्निबाण चलाने की चेतावानी दी थी।’

भगवान हनुमान को बगैर मूंछ की दाढ़ी में दिखाने (जैसा कि आम तौर पर मुस्लिम समाज के लोग रखते हैं) और अंगवस्त्रम की बजाय लेदर ड्रेस पहनाने के सवाल पर फिल्म के डायरेक्टर ओम राउत ने कहा, ‘जिस ड्रेस पर सवाल उठाए जा रहे हैं वह चमड़े की नहीं है। फिल्म में किसी भी करैक्टर ने लेदर की ड्रेस नहीं पहनी है। सारी ड्रेसेज रेक्सीन की बनी हैं।’

आदिपुरूष फिल्म को लेकर एक आपत्ति यह भी जताई जा रही है कि कहानी रामायण की है, लेकिन लुक हॉलीवुड की फिल्मों या फिर ‘गेम ऑफ थ्रोन्स’ जैसी किसी वेब सीरीज का है।

डायरेक्टर ओम राउत ने माना कि फिल्म बनाते समय उनके दिमाग में हॉलीवुड की फिल्में थीं। राउत ने कहा, ‘अगर आज की पीढ़ी को रामयाण दिखानी है तो फिर फिल्म की भाषा, विजुअलाइजेशन और प्रेजेंटेशन ऐसा होना चाहिए, जो युवा पीढ़ी को पसंद आए। आजकल के नौजवान ‘हैरी पॉटर’ और ‘लॉर्ड ऑद द रिंग्स’ जैसी मूवी देखते है, इसीलिए आदिपुरूष में भी उसी तरह के विजुअल इफेक्ट्स दिए गए हैं।’

हरियाणा के गृह मंत्री अनिल विज ने तो पहले ही कह दिया है कि ‘किसी को भी भगवान राम को हैरी पॉटर बनाने की इजाजत नहीं दी जा सकती है। भगवान राम करोड़ों हिंदुओं के आराध्य हैं।’

फिल्म के डायलॉग लिखने वाले मनोज मुंतशिर ने कहा, ‘मैं खुद सनातनी हूं, ब्राह्मण हूं। आदिपुरूष से जुड़े हर शख्स ने पूरे भक्तिभाव से यह फिल्म बनाई है। सभी ने यह कोशिश की है कि भगवान राम का यश पूरी दुनिया में फैले। हमारे लिए राम से बड़ा कोई नहीं है।’

फिल्म के डायरेक्टर ओम राउत ने भी कहा, ‘मैं कभी भी भगवान राम के स्वरूप और रामायण से किसी तरह की छेड़छाड़ करने की सोच भी नहीं सकता। मैं चाहता हूं कि भगवान राम के जीवन से आज की पीढ़ी सबक सीखे। इस फिल्म में आज की पीढ़ी की पसंद को ध्यान में रखा गया है। फिल्म में, ‘रामायण की आत्मा’ वैसी ही है। सिर्फ इसके शरीर में थोड़े बदलाव किए गए हैं।’

लेकिन साधु और हिंदू नेता इससे सहमत नहीं हैं। विश्व हिंदू परिषद के प्रवक्ता विनोद बंसल ने कहा, ‘गलती तो फिल्म के प्रोड्यूसर और डायरेक्टर की है। लोग तो टीजर देखकर अपनी राय बनाएंगे ही, और रावण को देखकर कोई भी यही कहेगा कि वह शिवभक्त कम और एक मुगल शासक ज्यादा लग रहा है।’

कुछ अन्य साधुओं ने भी कहा, ‘रामायण पर जो सीरियल बना था, वही वाल्मिकी रामायण और रामचरितमानस के करीब था। नई पीढ़ी की पसंद के नाम पर अब जो फिल्म बनाई जा रही है, उससे आने वाली पीढ़ियों में भ्रम होगा कि भगवान राम कैसे थे और रावण कैसा था। इसलिए फिल्म में जो दिखाया गया है, वह मंजूर नहीं है।’

दोनों पक्षों की बात सुनने के बाद 2 सवाल सामने आते हैं: पहला, क्या इस फिल्म को डायरेक्ट करने वाले, इस फिल्म को लिखने वाले हिंदू विरोधी हैं? क्या वे फिल्मों में हिंदू धर्म का मजाक उड़ाने वालों की जमात में शामिल हैं? इन दोनों सवालों का जवाब नहीं में है। मैंने ओम राउत और मनोज मुंतशिर, दोनों की बैकग्राउंड चेक की है। वे दोनों रामभक्त हैं, हनुमान भक्त हैं, विचारों से RSS और विश्व हिंदू परिषद की सोच के करीब हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि फिर क्या यह सारा विवाद फिल्म को पब्लिसिटी देने के लिए खड़ा किया गया? इस सवाल का जवाब भी नहीं में है।

जब मैं फिल्म के प्रोड्यूसर, राइटर और डायरेक्टर से मिला तो वे सब इस कंट्रोवर्सी से परेशान, आहत और घबराए हुए नजर आए। सवाल यह है कि बिना फिल्म देखे इतना विरोध क्यों? बिना जाने इतना विवाद क्यों? असल में आजकल सोशल मीडिया में एक बार अगर नेगेटिव बात शुरू हो जाए तो वायरल हो जाती है, उसकी चर्चा होने लगती है। जो बात जितनी नेगेटिव होगी, उससे उतना ही बड़ा विवाद पैदा होगा।

मेरा कहना यह है कि फिल्म अभी पूरी तरह बनी नहीं है, किसी ने देखी नहीं है, सिर्फ 95 सेकंड का टीजर आया है, ऐसे में डेढ़ मिनट का टीजर देखकर ढाई घंटे की फिल्म के बारे में फैसला कर लेना ठीक नहीं होगा।

हम सभी को पूरी फिल्म के रिलीज होने का इंतजार करना चाहिए। फिल्म देखने के बाद अगर ऐसा लगे कि डायरेक्टर ने, प्रोड्यूसर ने या राइटर ने किसी के चरित्र को गलत तरीके से दिखाया है, किसी भक्त की भावनाओं को आहत किया है तो जरूर सवाल पूछे जाने चाहिए। लेकिन सिर्फ टीजर देखकर फिल्म को बैन करने की मांग होने लगे, यह अन्याय है।

मैं बार-बार कहता हूं कि जब तक पूरी बात समझ न लें, पूरी हकीकत जान न लें, तब तक किसी तरह की प्रतिक्रिया देने से बचें। सुनी-सुनाई बातें, या सोशल मीडिया पर फैलाई गई बातें गलत हो सकती हैं। ऐसी बातों पर प्रतिक्रिया देने के गंभीर नतीजे हो सकते हैं।

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